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गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/----gopashtami-ki-katha--515.jpg">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha</a>PDF Name<b>गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.65 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोपाष्टमी व्रत कथा / Gopashtami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोपाष्टमी का व्रत गौ माता को समर्पित होता है। यदि आप भी गौ माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत गोपाष्टमी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए। गौ माता की सेवा करने से भगवन कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल गौ माता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् श्री कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में दांपत्य सुख एवं प्रेम में वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को अनेक क्षेत्रों में गौ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।गोपाष्टमी की कथा / Gopashtami Vrat Katha PDFप्राचीन काल में एक बार बाल गोपाल (भगवान कृष्ण) जब 6 साल के थे तो मां यशोदा से कहने लगे कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं बछड़े चराने नहीं जाऊंगा. मैं गौ माता के साथ जाऊंगा. इसपर यशोदा ने बात नन्द बाबा पर टालते हुए कथा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ तो लो. इसपर भगवान कृष्ण जाकर नंद बाबा से कहने लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा. नंद बाबा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बाल गोपाल के हठ के आगे उनकी एक न चली. फिर नंद बाबा ने कृष्ण से कहा कि ठीक है तो पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगाया जा सके.ये सुनकर बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और एक सांस में उनसे कह डाला कि- पंडित जी, आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है. आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको खूब ढेर सारा मक्खन दूंगा.पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन को गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त बता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई भी मुहूर्त शुभ नहीं है.नंद बाबा ने पंडित जी की बात पर विचार करते हुए बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी. भगवान दिन उसी दिन से गाय चराने जाने लगे. जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण आरंभ किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी. भागवान द्वारा उस दिन गाय चराना आरंभ करने की वजह से इसे गोपाष्टमी कहा गया.गौ माता की आरती / Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindiॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे<strong>You may also Like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/gau-mata-ki-aarti/">गौ माता की आरती | Gau Mata Ki Aarti PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/govatsa-dwadashi-kahani/">गोवत्स द्वादशी की कहानी | Govatsa Dwadashi Ki Kahani PDF in Hindi</a><strong>You can download Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#गपषटम #वरत #कथ #Gopashtami #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-gopashtami-ki-katha-pdf-in-hindi">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/aut
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF Detailsस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat KathaPDF Nameस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप स्कंद षष्ठी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय के विभिन्न्न पवित्र नामों में से एक नाम स्कन्द भी है। भगवान् कार्तिकेय जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता है। स्कन्द भगवान् को युद्ध का देवता तथा देवताओं का सेनापति कहा जाता है।स्कन्द भगवान् की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है तथा व्यक्ति के अंदर आत्मशक्ति का संचार होता है। व्यक्ति में यदि आत्मबल हो तो वह विभिन्न प्रकार के कष्टों से बच सकता है तथा शत्रुओं से भी आत्मरक्षा कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय का अवतार एक अत्यधिक दुष्ट राक्षस के वध के लिए हुआ था। यदि आप भी स्कन्द षष्टी का व्रत करना चाहते हैं तो स्कन्द षष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।स्कन्द षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Katha PDFपुराणों में कुमार कार्तिकेय के जन्म का वर्णन मिलता है। जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो।इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। इसके बाद शिवजी का विवाह माता पार्वती से हो जाता है। इस तरह भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। फिर भगवान कार्तिकेय असुरों के राजा तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका निवास स्थान वापस प्रदान करते हैं।भगवान कार्तिकेय की आरती | Lord Kartikeya Aarti in Hindiजय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोराजय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्यामजय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वरजय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मीजय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ताजय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतारजय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।You can download Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#सकद #षषठ #वरत #कथ #Skanda #Sashti #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF in Hindi
छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF Detailsछठ पूजा कथा | Chhath Puja KathaPDF Nameछठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDFNo. of Pages3PDF Size0.29 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha Hindi PDF SummaryFriends, here we have uploaded the Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF for you. According to the Hindu calendar, Chhath Mahavrat is celebrated from Chaturthi to Saptami Tithi of Shukla Paksha of Kartik month. In this, Lord Suryadev is worshiped, especially Chhath fast is done to get a son. Worship is done on Chhath with the chanting of Chhathi Maiya. It is mainly celebrated in the states of Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh. Various diseases can be cured by worshiping the Sun. The bathing is done with Surya Puja. It also cures serious diseases like leprosy. Chhath festival is also celebrated for the long life and prosperity of family members and friends. Below we have also provided the download link for Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF.छठ पूजा कथा PDF | Chhath Puja PDF in Hindiमान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में समृद्धि और सुख आता है। छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित कई क्षेत्रों में छठ का महत्व है।छठ पूजा या सूर्य षष्ठी या छठ व्रत में सूर्य भगवान की पूजा होती है और धरती पर लोगों के सुखी जीवन के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन शक्ति का देवता माना जाता है। इसलिए छठ पर्व पर समृद्धि के लिए पूजा की जाती है।छठ पूजा विधि PDF | Surya Chhath Pooja Vidhi in Hindi PDFकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर व्रती अपने घर पर बनाए पकवानों और पूजन सामग्री लेकर आसपास के घाटों पर जाते हैं। घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाएं। इसके बाद व्रती घाट में स्नान करते हैं और पानी में रहते हुए ही ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर घरजाकर सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए रात भर जागरण करें इसमें छठी माता के प्राचीन गीत गाए जाते हैं। सप्तमी तिथि यानी व्रत के चौथे और आखिरी दिन सूर्य उगने से पहले घाट पर पहुंचें। इस दौरान अपने साथ पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल भी रखें। उगते हुए सूर्य को जल श्रद्धा से अर्घ्य दें। छठ व्रत की कथा सुनें और प्रसाद बांटे। आखिर में व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।छठ के दिन सूर्योदय में उठना चाहिए।व्यक्ति को अपने घर के पास एक झील, तालाब या नदी में स्नान करना चाहिए।स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय सूर्य देवता को नमन करें और विधिवत पूजा करें।शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धुप और फूल अर्पण करें।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।#छठ #पज #कथ #Chhath #Puja #Katha #PDF #HindiThe post छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/-----nagula-chavithi-vratha-katha-292.jpg">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha</a>PDF Name<b>नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.50 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नगुला चविथी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। नगुला चविथी का व्रत नाग देवता को समर्पित होता है। यह पर्व अनेक क्षेत्रों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यदि आप भी नाग देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत नागुला चविथी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। भगवन भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा आप अपने जीवन में मनोवंछित परिणाम प्रपात कर सकते हैंनगुला चविथी कथा PDF | Nagula Chavithi Vrat Katha PDFजब राजा जन्मेजय ने समस्त नाग जाति के विनाश हेतु सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो संसार के सभी सर्प और नाग आकर यज्ञ वेदी में गिरने लगे। तब नागराज तक्षक ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए इंद्रलोक में शरण ली, किन्तु पुरोहितों के प्रबल मन्त्रों के प्रभाव के कारण तक्षक के साथ ही इंद्र और अन्य देवगण भी यज्ञस्थल की ओर खिंचने लगे। देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से रक्षा करने की पुकार लगाई तो उन्होंने मनसा देवी (ब्रह्मा जी की पुत्री और सर्पों की पूज्य माता) के पुत्र ‘अस्तिका’ की सहायता लेने को कहा। अस्तिका महान विद्वान थे और केवल वही इस यज्ञ को रोक सकते थे। देवगण माता मनसा के पास पहुँचे और अपनी व्यथा उनसे कही। तब अपनी माता की आज्ञा और उनके परामर्शानुसार अस्तिका ने वह यज्ञ रुकवाया, और सभी नागों और देवताओं की रक्षा की। नाग चतुर्थी के दिन ही अस्तिका ने देवताओं की सहायता की थी। माता मनसा ने देवताओं और मानव जाति को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन नागों की पूजा करेगा और इस कथा का श्रवण करेगा उसे शुभफल की प्राप्ति होगी। तभी से इस दिन नाग चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन महिलायें घर और मंदिरों में, अथवा बाम्बियों पर जाकर नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती हैं, और अपने परिवार के मंगल की कामना करती हैं। नवविवाहित स्त्रियाँ स्वस्थ और कुशल संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों का मत है कि नाग या साँप दूध नहीं पीते, इसलिए उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए उन्हें दूध पिलाने के स्थान पर संरक्षण प्रदान करना चाहिए। श्रीशैलम में नाग देवताओं के लिए एक अलग शक्तिशाली वेदी बनी हुई है। नाग/सर्प दोष और राहु-केतु दोष के अशुभ फल से मुक्ति पाने के लिए नाग देवताओं की पूजा करने भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।नाग देवता की आरती | Naag Devta Ki Aarti Lyrics PDFआरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।<strong>You can download Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#नगल #चवथ #वरत #कथ #Nagula #Chavithi #Vratha #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a8%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-nagula-chavithi-vratha-katha-pdf-in-hindi">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.eb
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF Detailsभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki KathaPDF Nameभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDFNo. of Pages6PDF Size0.87 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha Hindi PDF SummaryDear Readers, today we are going to upload the भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi for you. Bhai Dooj is a very important festival celebrated in India, which is celebrated in every corner of India. Bhai Dooj is a Hindu festival celebrated in India and Nepal. This festival is celebrated by the followers of Hindu religion. This festival shows the importance of the sacred relationship of brother and sister. The rituals and celebrations of this day are similar to popular celebrations like ‘Raksha Bandhan’. On this special occasion, brothers give many gifts to their sisters and in return sisters give sweets to their brothers. Below we have provided the download link for Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDF.On this day every sister puts tilak on her brother’s forehead and feeds him sweets etc. In such a situation, today we have brought Bhai Dooj fasting story for you.भाई दूज की कथा PDF | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindiछाया भगवान सूर्यदेव की पत्नी हैं जिनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी. वह उनसे सदा यह निवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े। रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हर्षित हुई और भाई का स्वागत सत्कार किया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कि- आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे।यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तथास्तु कहा और यमलोक चले गए। तभी से यह यह मान्यता चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता।Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDFभाई दूज शुभ मुहूर्त:भाई दूज का शुभ मुहूर्त 1:10 बजे से शुरू होकर 3:18 बजे तक है। इस दिन की तिथि 16 नवंबर को सुबह 7:06 बजे शुरू होकर 17 नवंबर को 3:56 बजे तक होगी।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#भई #दज #क #कथ #Bhai #Dooj #Katha #PDF #HindiThe post भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF in Hindi
नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF Detailsनरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi StoryPDF Nameनरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDFNo. of Pages4PDF Size0.61 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से नरक चतुर्दशी की कथा / Narak Chaturdashi Story Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान् श्री कृष्ण जी ने एक नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर का वध होने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।नरक चतुर्दशी के दिन यम देव के नाम से भी दीप प्रज्वलित किया जाता है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव के नाम से दीप प्रज्वलित करने वाले व्यक्ति को यमलोक की यातनाएं नहीं शनि पड़ती हैं तथा मृत्यु पश्चात होने वाले कष्टों से भी वह व्यक्ति बच जाता है। आप भी इस दिन एक दीपक यम देवता की नाम से अवश्य लगाएं।नरक चतुर्दशी की पूरी कहानी | Narak Chaturdashi Katha PDFएक समय भगवान कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ द्वारिका में सुखी जीवन जी रहे थे. उसी समय प्रागज्योतिषपुर नामक राज्य का राजा एक दैत्य नरकासुर था. उसने अपनी दैत्य शक्तियों से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था और साधुओं और औरतों पर अत्याचार करने लगा था. एक दिन स्वर्गलोक के राजा देव इंद्र कृष्ण के पास पहुंचे और बताया कि नरकासुर ने तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिया है और वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है. यही नहीं, वह सुंदर कन्याओं का हरण कर उनके साथ अत्‍याचार कर रहा है और उसके अत्याचार की वजह से देवतागण, मनुष्य और ऋषि-मुनि त्राहि-त्राहि कर रहे हैं.देवराज इंद्र ने कृष्ण से प्रार्थना की और उनसे रक्षा करने की मदद मांगी. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव की प्रार्थना स्वीकार कर ली.  लेकिन नरकासुर को वरदान था कि वह किसी स्त्री के हाथों से ही मारा जाएगा. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा से सहयोग मांगा और अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के 6 पुत्रों- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया.  मुर दैत्य का वध हो जाने का समाचार पाते ही नरकासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना के साथ भगवान कृष्ण से युद्ध के लिए चला. लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया. जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी.  तब से इस दिन को नरकचतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और जश्‍न में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है.नरक चतुर्दशी का महत्व | Narak Chaturdashi Ka Mahatvaकार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नरक की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए प्रात:काल तेल लगाकर अपामार्ग के पौधे सहित जल से स्नान किया जाता है। सायंकाल में यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान किया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस कारण भी इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।You may also like :यम दीप पूजा विधि | Yam Deep Daan Puja Vidhi PDF in HindiYou can download Narak Chaturdashi Story Hindi PDF by clicking on the following download button.#नरक #चतरदश #क #कथ #Narak #Chaturdashi #Story #PDF #HindiThe post नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार मित्रांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुमच्यासाठी अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. अहोई अष्टमीच्या दिवशी माता आपल्या मुलाच्या कल्याणासाठी पहाटेपासून ते संध्याकाळपर्यंत उपवास करतात. सायंकाळच्या वेळी आकाशातील तारे पाहून उपवास मोडला जातो. काही स्त्रिया चंद्राचे दर्शन घेतल्यानंतर उपवास सोडतात परंतु अहोई अष्टमीला चंद्रोदय रात्री उशिरा असल्याने त्याचे पालन करणे कठीण असते.अहोई अष्टमीचा उपवास करवा चौथच्या चार दिवसांनी आणि दिवाळी पूजेच्या आठ दिवस आधी येतो. करवा चौथप्रमाणे उत्तर भारतात अहोई अष्टमी अधिक प्रसिद्ध आहे. अहोई अष्टमीचा दिवस अहोई आथेन म्हणूनही ओळखला जातो कारण हा उपवास अष्टमी तिथीच्या वेळी पाळला जातो, जो महिन्याच्या आठव्या दिवशी असतो. करवा चौथ प्रमाणे, अहोई अष्टमी हा देखील कडक उपवासाचा दिवस आहे आणि अनेक स्त्रिया दिवसभर पाणी देखील घेत नाहीत. आकाशातील तारे पाहूनच उपवास मोडतो.अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathiएकेकाळी एका गावात एक सावकार राहत होता. त्याचे पूर्ण कुटुंब होते. त्यांना 7 मुलगे, एक मुलगी आणि 7 सून होत्या. दीपावलीच्या काही दिवस अगोदर तिची मुलगी तिच्या वहिनींसोबत घर रंगविण्यासाठी जंगलातून स्वच्छ माती आणण्यासाठी गेली होती. जंगलातील माती काढत असताना शाईच्या चिमुकल्याचा खपल्यातून मृत्यू झाला. या घटनेने दु:खी झालेल्या स्याहूच्या आईने सावकाराच्या मुलीला कधीही आई न होण्याचा शाप दिला. त्या शापाच्या प्रभावामुळे सावकाराच्या मुलीच्या गर्भाला बंध पडला.सावकाराची मुलगी शापाने दु:खी झाली. त्यांनी वहिनींना सांगितले की त्यांच्यापैकी कोणीही आपल्या गर्भाला बांधावे. वहिनीचे बोलणे ऐकून धाकटी वहिनी तयार झाली. त्या शापाच्या दुष्परिणामांमुळे त्यांचे मूल फक्त सात दिवस जगले. जेव्हा तिने मुलाला जन्म दिला तेव्हा ती सात दिवसात मरायची. ती अस्वस्थ झाली आणि तिने एका पंडिताला भेटून उपाय विचारला.पंडिताच्या सांगण्यावरून त्यांनी सुरही गायीची सेवा सुरू केली. त्याच्या सेवेवर खूश होऊन गाय एके दिवशी त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते. वाटेत गरुड पक्ष्याला मारणार आहे, पण सावकाराची धाकटी सून सापाला मारून पक्ष्याला जीवदान देते. तेवढ्यात त्या गरुड पक्ष्याची आई येते. संपूर्ण घटना ऐकून ती प्रभावित होते आणि त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते.सावकाराच्या धाकट्या सुनेच्या परोपकाराबद्दल आणि सेवेबद्दल स्याहूची आई जेव्हा ऐकते तेव्हा तिला आनंद होतो. मग तिला सात मुलांची आई होण्याचा आशीर्वाद देतो. आशीर्वादाच्या प्रभावाने सावकाराच्या धाकट्या सुनेला सात मुलगे झाले, ज्यातून तिला सात सून झाल्या. त्याचे कुटुंब मोठे आणि भरलेले आहे. ती आनंदी जीवन जगते. अहोई मातेची पूजा केल्यानंतर अहोई अष्टमी व्रताची कथा अवश्य ऐकावी.Here you can download the अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#अहई #अषटम #वरत #कथ #मरठ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF Detailsगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat KathaPDF Nameगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.49 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindiगोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyricsॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावेYou can download Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गवतस #दवदश #वरत #कथ #Govatsa #Dwadashi #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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करवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF in Hindi
करवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF Detailsकरवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki KahaniPDF Nameकरवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDFNo. of Pages2PDF Size0.31 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको करवा चौथ गणेश जी की कथा PDF / Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। करवा चौथ व्रत सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं। इस बार ये व्रत 24 अक्टूबर को रखा जाएगा। इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखती हैं और चंद्रोदय के बाद चंद्र दर्शन करके व्रत खोलती हैं। इस व्रत में शाम के समय विधि विधान से पूजा की जाती है। जिसके बाद व्रत कथा सुनना बेहद अनिवार्य माना जाता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप गणेश जी की कथा PDF / Ganesh Ji Ki Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।कथा सुने बिना ये व्रत पूर्ण नहीं माना जाता है। महिलाएं पूरे दिन निर्जला व्रत करने के बाद शाम को चंद्रमा देखकर व्रत का पारण करती हैं। वहीं पूजा के दौरान शुभ मुहूर्त का भी ध्यान रखा जाना आवश्यक है।करवा चौथ गणेश जी की कथा PDF | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF in Hindiएक बुढ़िया थी। वह बहुत ही गरीब और दृष्टिहीन थीं। उसके एक बेटा और बहू थे। वह बुढ़िया सदैव गणेश जी की पूजा किया करती थी। एक दिन गणेश जी प्रकट होकर उस बुढ़िया से बोले- ‘बुढ़िया मां! तू जो चाहे सो मांग ले।’बुढ़िया बोली- ‘मुझसे तो मांगना नहीं आता। कैसे और क्या मांगू?’तब गणेशजी बोले – ‘अपने बहू-बेटे से पूछकर मांग ले।’तब बुढ़िया ने अपने बेटे से कहा- ‘गणेशजी कहते हैं ‘तू कुछ मांग ले’ बता मैं क्या मांगू?’पुत्र ने कहा- ‘मां! तू धन मांग ले।’बहू से पूछा तो बहू ने कहा- ‘नाती मांग ले।’तब बुढ़िया ने सोचा कि ये तो अपने-अपने मतलब की बात कह रहे हैं। अत: उस बुढ़िया ने पड़ोसिनों से पूछा, तो उन्होंने कहा- ‘बुढ़िया! तू तो थोड़े दिन जीएगी, क्यों तू धन मांगे और क्यों नाती मांगे। तू तो अपनी आंखों की रोशनी मांग ले, जिससे तेरी जिंदगी आराम से कट जाए।’इस पर बुढ़िया बोली- ‘यदि आप प्रसन्न हैं, तो मुझे नौ करोड़ की माया दें, निरोगी काया दें, अमर सुहाग दें, आंखों की रोशनी दें, नाती दें, पोता, दें और सब परिवार को सुख दें और अंत में मोक्ष दें।’यह सुनकर तब गणेशजी बोले- ‘बुढ़िया मां! तुमने तो हमें ठग लिया। फिर भी जो तूने मांगा है वचन के अनुसार सब तुझे मिलेगा।’ और यह कहकर गणेशजी अंतर्धान हो गए। उधर बुढ़िया मां ने जो कुछ मांगा वह सबकुछ मिल गया। हे गणेशजी महाराज! जैसे तुमने उस बुढ़िया मां को सबकुछ दिया, वैसे ही सबको देना।गणेश जी की कथा PDF | Ganesh Ji Ki Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप करवा चौथ गणेश जी की कथा PDF / Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#करव #चथ #गणश #ज #क #कथ #Karwa #Chauth #Ganesh #Kahani #PDF #HindiThe post करवा चौथ गणेश जी की कथा | Karwa Chauth Ganesh Ji Ki Kahani PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Detailsकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat KathaPDF Nameकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.32 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार वाचकांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुम्हाला करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. करवा चौथ हा भारतातील प्रमुख सणांपैकी एक आहे. या दिवशी स्त्रिया आपल्या पतीच्या दीर्घायुष्यासाठी व्रत आणि पूजा करतात. करवा चौथ उपवासाचे नियम वेगवेगळ्या ठिकाणी वेगवेगळे असू शकतात. अनेक ठिकाणी हा उपवास निर्जल केला जातो, म्हणजे उपवासादरम्यान पाणी प्यायले जात नाही. या पोस्टमध्ये दिलेल्या लिंकवर क्लिक करून तुम्ही Karwa Chauth Vrat Katha Book PDF खूप सहज डाउनलोड करू शकता.पण अनेक प्रदेशात या उपवासात पाणी आणि चहाचे सेवन केले जाते. त्यामुळे तुम्ही तुमच्या प्रदेशानुसार उपवास करू शकता. करवा चौथ उपवासाच्या कथेला या व्रतामध्ये खूप महत्त्व आहे. उपवासाच्या यशासाठी, या उपवासाची कथा वाचणे आणि ऐकणे दोन्ही आवश्यक आहे आणि या उपवासाच्या कथेद्वारे आपल्याला या उपवासाचे महत्त्व कळते.करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathiएका ब्राह्मणाला सात मुलगे आणि वीरवती नावाची एकुलती एक मुलगी होती. सात भावांची एकुलती एक बहीण असल्याने वीरावती सर्व भावांची लाडकी होती आणि सर्व भावांनी तिच्यावर जीवापेक्षा जास्त प्रेम केले. काही काळानंतर वीरावतीचे लग्न एका ब्राह्मण तरुणाशी झाले. लग्नानंतर, वीरावती तिच्या माहेरच्या घरी आली आणि मग तिने तिच्या मेहुण्यांसोबत करवा चौथचे व्रत ठेवले, पण संध्याकाळ अखेरीस ती भुकेने व्याकुळ झाली. सर्व भाऊ जेवायला बसले आणि बहिणीलाही जेवण्याचा आग्रह करू लागले, पण बहिणीने सांगितले की आज करवा चौथचा निर्जल उपवास आहे आणि चंद्र पाहून अर्घ्य दिल्यावरच अन्न खाऊ शकतो. पण चंद्र अजून बाहेर आलेला नाही, म्हणून ती भूक आणि तहानाने त्रस्त आहे.वीरवतीची ही अवस्था तिच्या भावांनी पाहिली नाही आणि मग एक भाऊ पिंपळाच्या झाडावर दिवा लावून चाळणीत ठेवतो. दुरून पाहिलं तर चंद्र बाहेर आल्यासारखं वाटलं. तेवढ्यात एक भाऊ आला आणि त्याने वीरवतीला सांगितले की चंद्र बाहेर आला आहे, तिला अर्घ्य दिल्यावर तू भोजन करू शकतेस. बहिणीने आनंदाने पायऱ्या चढून चंद्राला पाहून अर्घ्य दिले आणि जेवायला बसली.तिने पहिला तुकडा तोंडात टाकताच तिला शिंक आली. दुसरा तुकडा घातल्यावर त्यात केस बाहेर आले. यानंतर तिने तिसरा तुकडा तोंडात घालण्याचा प्रयत्न करताच तिला पतीच्या मृत्यूची बातमी मिळाली.त्याच्या वहिनीने त्याला असे का घडले याची सत्य माहिती दिली. करवा चौथचा उपवास चुकीच्या पद्धतीने मोडल्याबद्दल देवता त्याच्यावर नाराज आहेत. एकदा इंद्राणीची पत्नी इंद्राणी करवाचौथच्या दिवशी पृथ्वीवर आली आणि वीरावती त्याच्याकडे गेली आणि तिच्या पतीच्या संरक्षणासाठी प्रार्थना केली. देवी इंद्राणीने वीरवतीला पूर्ण भक्तिभावाने आणि कर्मकांडाने करवा चौथ व्रत करण्यास सांगितले. यावेळी वीरवतीने करवा चौथचे व्रत पूर्ण भक्तिभावाने ठेवले. तिची भक्ती आणि भक्ती पाहून भगवंत प्रसन्न झाले आणि वीरवती सदासुहागनला तिच्या पतीला जिवंत करण्याचा आशीर्वाद दिला. तेव्हापासून महिलांची करवा चौथ व्रतावर अतूट श्रद्धा सुरू झाली.Karwa Chauth Vrat Katha Book PDFHere you can download the करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#करव #चथ #वरत #कथ #मरठ #Karwa #Chauth #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF in Hindi
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----kojagari-lakshmi-puja-katha-593.jpg">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha</a>PDF Name<b>कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha Hindi PDF Summaryहिन्दू धर्म में कोजागिरी पौर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा – आराधना तथा व्रत आदि किया जाता है। देवी लक्ष्मी का महत्व तो आप सभी जानते ही होंगे। उनकी कृपा के बिना व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का भौतिक सुख नहीं रह सकता। देवी लक्ष्मी धन – वैभव आदि को नियंत्रित करती हैं।जिन लोगों के घर में दुःख – दारिद्य ने डेरा डाल रखा हो, उन्हें कोजागिरी पौर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि वह अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकें तथा जीवन में आने वाली आर्थिक समस्याओं से बच सकें। यदि आप भी अपने घर में इस व्रत का आयोजन कर रहें हैं तो कोजागिरी व्रत कथा का पठन – पाठन अवश्य करें।कोजागरी व्रत कथा / Kojagari Lakshmi Puja Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी। कोजागरी पूर्णिमा पूजा विधिइस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा की जाती है। सुबह देवी की पूजा करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है। इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए। इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के दीपक जला दें। इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए। कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए। अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। कोजागिरी पौर्णिमा पूजा मुहूर्तकोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्सकोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 05:20 पी एमपूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 पी एम बजेपूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 पी एम बजे<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/kojagari-lakshmi-puja-vidhi-hindi/">कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF by clicking on the following download button. </strong>#कजगर #परणम #वरत #कथ #Kojagari #Lakshmi #Puja #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत…
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----vijayadashami-dussehra-katha-987.jpg">विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha</a>PDF Name<b>विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.52 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं विजयादशमी की कथा PDF / Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi नमस्कार मित्रों, इस लेख के माध्यम से आप विजयादशमी के महत्व के बारे में जान सकते हैं। विजयादशमी के दिन श्री राम जी कर पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। विजयादशमी दशहरा पूजन की सम्पन्नता के लिए विजयादशमी की कथा का बहुत अधिक महत्व है। बिना विजयादशमी कथा पढ़े दशहरा पूजन संपन्न नहीं माना जाता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Vrat Katha बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस कथा के माध्यम से आप यह जान सकते हैं की विजयादशमी का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव होता तथा इस दिन पूजन करने से आप अपने जीवन में क्या – क्या परिवर्तन कर सकते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई तथा अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। आप भी अपने परिवार के साथ दशहरा पर पूजन अवश्य करें।दशहरा व्रत कथा PDF | Dussehra Vrat Katha PDF in Hindiएक बार माता पार्वती ने शिवजी से विजयादशमी के फल के बारे में पूछा। शिवजी ने उत्तर दिया- आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल में तारा उदय होने के समय विजय नामक काल होता है जो सर्वमनोकामना पूरी करने वाला होता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का संयोग हो तो और भी शुभ हो जाता है। भगवान राम ने इसी विजय काल में लंकापति रावण को परास्त किया था। इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन के गांडीव धनुष को धारण किया था।पार्वती माता ने पूछा शमी वृक्ष ने अर्जुन का धनुष कब और किस प्रकार धारण किया था। शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुएं में हराकर 12 वर्ष का वनवास तथा तेरहवें वर्ष में अज्ञात वास की शर्त रखी थी। तेरहवें वर्ष में यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुन: 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को शमी वृक्ष पर छुपाया था तथा स्वयं बृहन्नला के वेश में राजा विराट के पास सेवा दी थी। जब गौ रक्षा के लिए विराटके पुत्र कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपना धनुष उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन रामचंद्रजी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने रामचंद्रजी की विजय का उद्घोष किया था। इसीलिए दशहरे के दिन शाम के समय विजय काल में शमी का पूजन होता है।विजयादशमी पूजा मुहूर्त  / Vijayadashami Puja Muhurat 2021विजयदशमी शुक्रवार, अक्टूबर 15, 2021 कोविजय मुहूर्त – 02:02 पी एम से 02:48 पी एमअवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्सबंगाल विजयदशमी शुक्रवार, अक्टूबर 15, 2021 कोअपराह्न पूजा का समय – 01:16 पी एम से 03:34 पी एमअवधि – 02 घण्टे 18 मिनट्सदशमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2021 को 06:52 पी एम बजेदशमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 15, 2021 को 06:02 पी एम बजेश्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2021 को 09:36 ए एम बजेश्रवण नक्षत्र समाप्त – अक्टूबर 15, 2021 को 09:16 ए एम बजेविजयादशमी पूजा विधि PDF / Vijayadashami Puja Vidhi PDF in Hindiदशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वस्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।फिर सभी शस्त्रों को पूजा के लिए एक जगह रख दें।अब सभी पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।फिर हल्दी या कुमकुम से तिलकर लगाकर पुष्प अर्पित करें।फूलों के साथ शमी के पत्ते भी चढ़ाएं।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/dussehra-puja-vidhi-hindi/">दशहरा पूजा विधि | Dussehra Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download विजयादशमी की कथा PDF / Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#वजयदशम #क #कथ #Vijayadashami #Dussehra #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%b6%e0%a4%ae%e0%a5%80-%
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF in Hindi
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----maa-siddhidatri-ki-katha-619.jpg">सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha</a>PDF Name<b>सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.44 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सिद्धिदात्री माता की कथा PDF / Maa Siddhidatri Katha PDF सिद्धिदात्री माता की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर की जाती है। नवरात्रि नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के लिए व्रत भी किया जाता है। यह दिन उन साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो किसी भी प्रकार की सिद्धि अथवा साधना करना चाहते हैं। जैसा कि माँ सिद्धिदात्री का नाम है, वह विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।हमने इस लेख के अंत में माता सिद्धिदात्री की व्रत कथा का वर्णन किया है तथा उसको पीडीऍफ़ फाइल के रूप में भी दिया गया है। यदि आप नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करना चाहते हैं, तो इस व्रत कथा को अवश्य पढ़ें तथा माता को प्रसन्न करें। माता सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही नवरात्रि महोत्सव का समापन हो जाता है।माँ सिद्धिदात्री की कथा PDF / Siddhidatri Mata Katha PDFएक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा ने भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कहते हैं कि दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागणम भगवान शिव और प्रभु विष्णु के पास गुहार लगाने गए थे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें मां सिद्धिदात्री के नाम से जाते हैं।पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व सिद्धियां हैं। माता रानी अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों से पूर्ण करती हैं। मां सिद्धिदात्री को जामुनी या बैंगनी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र धारण कर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की हमेशा कृपा बनी रहती हैं।आठ सिद्धियों के नामअणिमामहिमागरिमालघिमाप्राप्तिप्राकाम्यईशित्ववशित्वमाँ सिद्धिदात्री का श्लोकया देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।माँ सिद्धिदात्री आरती PDF / Maa Siddhidatri Ki Aarti PDF in Hindiजय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे।।तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।।हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।<strong>You can download सिद्धिदात्री माता की कथा PDF / Maa Siddhidatri Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#सदधदतर #मत #क #कथ #Maa #Siddhidatri #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%a7%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-maa-s">सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/author/
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----durga-ashtami-vrat-katha-347.jpg">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha</a>PDF Name<b>दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.72 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha Hindi PDF SummaryToday we are going to share दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi with you. Durga Ashtami is one of the most popular festivals in India. There are many people who observe the Ashtami fast and end the fast of Navratri on this day. You can praise Goddess Durga by doing fast on this day and seek her blessings for you and your family. Goddess Durga is the most worshipped goddess in India. In this article, we have given the download link for नवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDFIf you also want to seek the blessings of Goddess Durga by observing the fast of Durga Ashtami. There are few things you should remember while observing this fast. You should recite the Durga Ashtami Vrat Katha for the completion of your fast.दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiपौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त / Durga Puja Muhurat 2021दुर्गा अष्टमी बुधवार, अक्टूबर 13, 2021 कोअष्टमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 12, 2021 को 09:47 पी एम बजेअष्टमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 13, 2021 को 08:07 पी एम बजेअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्तनवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त: अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:41 AM से 05:31 AM तक है।कैसे करें कन्या पूजन ?कन्या पूजन कोई घर पर तो कोई मंदिर में जाकर करता है।शास्त्रों के अनुसार 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए आमंत्रित करना चाहिए।कन्या पूजन में एक बालक का होना भी जरूरी माना जाता है।कन्या पूजन वाले दिन सबसे पहले माता अम्बे की विधि विधान पूजा कर लें।इसके बाद कन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं।फिर कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।फिर मां दुर्गा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और सभी कन्याओं और एक बालक को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें।भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें।फिर सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।अष्टमी दिन का चौघड़िया मुहूर्तलाभ – 06:26 AM से 07:53 PM
अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM
शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM
लाभ – 16:32 AM से 17:59 PMनवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDF<strong>You can download दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#दरग #अषटम #वरत #कथ #Durga #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-durga-ashtami-vrat-kath">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://w…
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-724.jpg">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi</a>PDF Name<b>कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.34 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF to help you. The story of Mata Katyayani is done on the sixth day of Navratri. According to mythology, there was a Maharishi Katyayana who had no daughter. One day he did severe penance with the desire to have Bhagwati Jagadamba as his daughter. Mother Jagadamba was pleased with her severe penance and she was born as Mata Katyayani to Maharishi Katyayan and became famous as Maa Katyayani. Below we have provided the download link for कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF / Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi.Maa Katyayani, who was born as a daughter to Maharishi Katyayan, was a very virtuous girl. There was no virtuous, beautiful and knowledgeable girl like him in the whole world.कात्यायनी माता कथा PDF | Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindiपौराणि कथा के अनुसार महार्षि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। मां का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में ही हुआ था। मां का लालन पोषण कात्यायन ऋषि ने ही किया था। पुराणों के अनुसार जिस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था। उस समय त्रिदेवों के तेज से मां की उत्पत्ति हुई थी। मां ने ऋषि कात्यायन के यहां अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने उनका तीन दिनों तक पूजन किया था।मां ने दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत किया थाइसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने भी स्वर्गलोक पर आक्रमण करके इंद्र का सिंहासन छिन लिया था और नवग्रहों को बंधक बना लिया था। अग्नि और वायु का बल पूरी तरह उन्होंने छीन लिया था। उन दोनों ने देवताओं का अपमान करके उन्हें स्वर्ग से निकल दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने मां की स्तुति की इसके बाद मां ने शुंभ और निशुंभ का भी वध करके देवताओं को इस संकट से मुक्ति दिलाई थी। क्योंकि मां ने देवताओं को वरदान दिया था कि वह संकट के समय में उनकी रक्षा अवश्य करेंगी।कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF | Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindiमां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है। साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।पूजा शुरु करने से पहले हाथ में फूल लेकर या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें। उनकी कथा अवश्य सुने।अंत में मां की आरती उतारें और इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं। क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है । भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#कतययन #मत #कथ #Maa #Katyayani #Vrat #Katha #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-pdf-in-hindi">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a …
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF Detailsमाँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja VidhiPDF Nameमाँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDFLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF SummaryHere we are going to upload the माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF / Maa Kushmanda Devi Katha PDF in Hindi for our daily users. Maa Kushmanda is worshiped on the fourth day of Navratri. This goddess is known as Kushmanda because of her slow, mild laughter causing the egg, that is, the universe. She is called the mother who removes sorrows. The Sun is considered their abode. Therefore, behind this form of mother, the radiance of the sun is shown. He has eight hands and rides on a lion. Below we have provided the download link for कुष्मांडा देवी पूजा विधि PDF / Kushmanda Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi.The radiance and radiance of his body are equally as radiant as the sun. Worshiping Maa Kushmanda removes all the diseases and sorrows of the devotees. Their devotion increases life, fame, strength and health. Maa Kushmanda is going to be pleased with little service and devotion.माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF | Maa Kushmanda Devi Katha PDF in Hindiकूष्माण्डा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कूष्माण्ड कहते हैं इसलिए इस देवी को कूष्माण्डा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।कूष्माण्डा देवी पूजा विधि PDF | Maa Kushmunda Devi Pooja Vidhi PDF in Hindiइस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें।फिर देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विराजमान देवी-देवताओं की पूजा करें।इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्‍मांडा की पूजा करें। पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर इस मंत्र ‘सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्‍मांडा शुभदास्तु मे।’ का ध्यान करें।इसके बाद शप्‍तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच और अंत में आरती करें। आरती करने के बाद देवी मां से क्षमा प्रार्थना करना न भूलें।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF / Maa Kushmanda Devi Katha PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#म #कषमड #दव #कथ #Maa #Kushmanda #Devi #Katha #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/06/small/som-pradosh-vrat-katha-217.jpg">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha</a>PDF Name<b>सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF</b>No. of Pages<b>6</b>PDF Size<b>0.57 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सोम प्रदोष व्रत कथा PDF / Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi जिसमे आपको बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat) कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं। यहाँ से आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा पीडीऍफ़ हिंदी भाषा में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस बार सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat Katha ) 7 जून, सोमवार के दिन पड़ रहा है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बताई गई है। प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF | सोम प्रदोष व्रत कथा PDFपौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।Som Pradosh Vrat Subh Muhurt | सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट सेत्रयोदशी तिथि का समापन – 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनटपूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तकSom Pradosh Vrat Pooja Vidhi | सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए।  इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए। इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा PDF हिंदी भाषा में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#सम #परदष #वरत #कथ #Som #Pradosh #Vrat #katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a5%8b%e0%a4%ae-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%b7-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-som-pradosh-vrat-katha-pdf-in-hindi-2">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a hr…
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/----jivitputrika-vrat-katha-312.jpg">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha</a>PDF Name<b>जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.58 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, प्रस्तुत लेख में हम अपने पाठकों के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत कथा प्रस्तुत कर रहे हैं। जिवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को जितिया, जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर मातायें संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए जीवितपुत्रिका व्रत रखती हैं।हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत का प्रथम दिन अर्थात स्नान होता है। अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। हमने अपने पाठकों के लिए इस लेख के अंत में जीवित्पुत्रिका व्रत कथा इन हिंदी pdf का डाउनलोड लिंक फिया है जिसके माध्यम से आप इस कथा को पढ़ सकते हैं तथा इस व्रत का पालन कर सकते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत कथा बुक पीडीएफ / Jivitputrika Vrat Katha Book in Hindi PDFबहुत समय पहले की बात है कि गंधर्वों के एक राजकुमार हुआ करते थे जिनका नाम था जीमूतवाहन। बहुत ही पवित्र आत्मा, दयालु व हमेशा परोपकार में लगे रहने वाले जीमूतवाहन को राज पाट से बिल्कुल भी लगाव न था। लेकिन पिता कब तक संभालते। वानप्रस्थ लेने के पश्चात वे सबकुछ जीमूतवाहन को सौंपकर चलने लगे। लेकिन जीमूतवाहन ने तुरंत अपनी तमाम जिम्मेदारियां अपने भाइयों को सौंपते हुए स्वयं वन में रहकर पिता की सेवा करने का मन बना लिया। अब एक दिन वन में भ्रमण करते-करते जीमूतवाहन काफी दूर निकल आया। उसने देखा कि एक वृद्धा काफी विलाप कर रही है। जीमूतवाहन से कहा दूसरों का दुख देखा जाता था उसने सारी बात पता लगाई तो पता चला कि वह एक नागवंशी स्त्री है और पक्षीराज गरुड़ को बलि देने के लिये आज उसके इकलौते पुत्र की बारी है।जीमूतवाहन ने उसे धीरज बंधाया और कहा कि उसके पुत्र की जगह पर वह स्वयं पक्षीराज का भोजन बनेगा। अब जिस वस्त्र में उस स्त्री का बालक लिपटा था उसमें जीमूतवाहन लिपट गया। जैसे ही समय हुआ पक्षीराज गरुड़ उसे ले उड़ा। जब उड़ते उड़ते काफी दूर आ चुके तो पक्षीराज को हैरानी हुई कि आज मेरा यह भोजन चीख चिल्ला क्यों नहीं रहा है इसे जरा भी मृत्यु का भय नहीं है। अपने ठिकाने पर पंहुचने के पश्चात उसने जीमूतवाहन का परिचय लिया। जीमूतवाहन ने सारा किस्सा कह सुनाया। पक्षीराज जीमूतवाहन की दयालुता व साहस से प्रसन्न हुए व उसे जीवन दान देते हुए भविष्य में भी बलि न लेने का वचन दिया। मान्‍यता है क‍ि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्‍याण के  ये व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि / Jivitputrika Vrat Katha Vidhi in Hindi PDFसुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इस पूजा के लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत के जौरान मिट्टी में गाय का गोबर मिलाकर उससे चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। इन दोनों मूर्तियों के माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद अपने हिसाब से दान और दक्षिणा भी देना चाहिए। मान्यता है कि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद गाय के दूध से ही करना चाहिए। <strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/jitiya-vrat-katha/">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> जीवित्पुत्रिका व्रत कथा हिंदी pdf प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।The Jivitputrika Vrat Katha in Hindi download pdf link is given below, you can download it by clicking on the following download button.#जवतपतरक #वरत #कथ #Jivitputrika #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/jitiya-vrat-katha-227.jpg">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha</a>PDF Name<b>जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.37 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha Hindi PDF SummaryIn this article, we have uploaded the Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF for our users. Jivitputrika Vrat is observed on Ashtami Tithi of Krishna Paksha of Ashwin month. This year it will start from 28th September to 30th September. This fast is also called Jiutiya, Jitiya, Jivitputrika or Jimutavahana Vrat. This fast lasts for three days. Mothers keep Jivitputrika Vrat for the attainment of children and for their long life. According to the Hindu calendar, every year on the Ashtami date of Ashwin month, the first day of Jitiya Vrat i.e. takes a bath. Nirjala fast is observed on the next day. Below we have given the download link for Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi / जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF.जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindiगन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे। युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा। इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है। नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया। गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला। जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया।Jitiya Vrat Pooja Vidhi in Hindi PDF | जितिया व्रत पूजा विधिसप्तमी का दिन नहाई खाय के रूप में मनाया जाता है तो अष्टमी को निर्जला उपवास रखना होता है। व्रत का पारण नवमी के दिन किया जाता है। वहीं अष्टमी को सांय प्रदोषकाल में संतानशुदा स्त्रियां जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं। श्रद्धा व सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा भी दी जाती है।इस दिन सूर्यास्त से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप लें। इसके बाद एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें। इसके बाद दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं। अब अपनी श्रद्धानुसार उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं। दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें या सुनें।जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 शुभ मुहूर्तजितिया व्रत- 29 सितंबर
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। <strong>You may also like:</strong><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-katha/">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> <strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#जतय #वरत #कथ #Jitiya #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0