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दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta
Title दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta Author वैष्णव-रामदासजी गुरुश्री गोकुलदासजी – Vaishnav-Ramdasji Gurushri Gokuldasji Keywords संदर्भ पुस्तक / Reference book #दसबवन #वषणव #क #वरत #Dosaubavan #Vaishnav #Varta Download eBook Read OnlineThe post दोसौबावन वैष्णव की वार्ता | Dosaubavan Vaishnav Ki Varta appeared first on eBookmela. upload by free hindi books

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हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya | अज्ञात – Unknown
Title हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya Author अज्ञात – Unknown Keywords आलोचनात्मक / Critique, दार्शनिक / Philosophical #हद #भकत #वरत #सहतय #Hindi #Bhakt #Vaarta #Shaitya ईबुक डाउनलोड करें ऑनलाइन पढ़ेंThe post हिंदी भक्त वार्ता साहित्य | Hindi Bhakt Vaarta Shaitya
| अज्ञात – Unknown
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गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/----gopashtami-ki-katha--515.jpg">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha</a>PDF Name<b>गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.65 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोपाष्टमी व्रत कथा / Gopashtami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोपाष्टमी का व्रत गौ माता को समर्पित होता है। यदि आप भी गौ माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत गोपाष्टमी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए। गौ माता की सेवा करने से भगवन कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल गौ माता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् श्री कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में दांपत्य सुख एवं प्रेम में वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को अनेक क्षेत्रों में गौ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।गोपाष्टमी की कथा / Gopashtami Vrat Katha PDFप्राचीन काल में एक बार बाल गोपाल (भगवान कृष्ण) जब 6 साल के थे तो मां यशोदा से कहने लगे कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं बछड़े चराने नहीं जाऊंगा. मैं गौ माता के साथ जाऊंगा. इसपर यशोदा ने बात नन्द बाबा पर टालते हुए कथा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ तो लो. इसपर भगवान कृष्ण जाकर नंद बाबा से कहने लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा. नंद बाबा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बाल गोपाल के हठ के आगे उनकी एक न चली. फिर नंद बाबा ने कृष्ण से कहा कि ठीक है तो पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगाया जा सके.ये सुनकर बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और एक सांस में उनसे कह डाला कि- पंडित जी, आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है. आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको खूब ढेर सारा मक्खन दूंगा.पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन को गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त बता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई भी मुहूर्त शुभ नहीं है.नंद बाबा ने पंडित जी की बात पर विचार करते हुए बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी. भगवान दिन उसी दिन से गाय चराने जाने लगे. जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण आरंभ किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी. भागवान द्वारा उस दिन गाय चराना आरंभ करने की वजह से इसे गोपाष्टमी कहा गया.गौ माता की आरती / Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindiॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे<strong>You may also Like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/gau-mata-ki-aarti/">गौ माता की आरती | Gau Mata Ki Aarti PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/govatsa-dwadashi-kahani/">गोवत्स द्वादशी की कहानी | Govatsa Dwadashi Ki Kahani PDF in Hindi</a><strong>You can download Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#गपषटम #वरत #कथ #Gopashtami #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-gopashtami-ki-katha-pdf-in-hindi">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/aut
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF Detailsस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat KathaPDF Nameस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप स्कंद षष्ठी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय के विभिन्न्न पवित्र नामों में से एक नाम स्कन्द भी है। भगवान् कार्तिकेय जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता है। स्कन्द भगवान् को युद्ध का देवता तथा देवताओं का सेनापति कहा जाता है।स्कन्द भगवान् की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है तथा व्यक्ति के अंदर आत्मशक्ति का संचार होता है। व्यक्ति में यदि आत्मबल हो तो वह विभिन्न प्रकार के कष्टों से बच सकता है तथा शत्रुओं से भी आत्मरक्षा कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय का अवतार एक अत्यधिक दुष्ट राक्षस के वध के लिए हुआ था। यदि आप भी स्कन्द षष्टी का व्रत करना चाहते हैं तो स्कन्द षष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।स्कन्द षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Katha PDFपुराणों में कुमार कार्तिकेय के जन्म का वर्णन मिलता है। जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो।इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। इसके बाद शिवजी का विवाह माता पार्वती से हो जाता है। इस तरह भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। फिर भगवान कार्तिकेय असुरों के राजा तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका निवास स्थान वापस प्रदान करते हैं।भगवान कार्तिकेय की आरती | Lord Kartikeya Aarti in Hindiजय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोराजय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्यामजय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वरजय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मीजय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ताजय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतारजय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।You can download Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#सकद #षषठ #वरत #कथ #Skanda #Sashti #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/-----nagula-chavithi-vratha-katha-292.jpg">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha</a>PDF Name<b>नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.50 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नगुला चविथी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। नगुला चविथी का व्रत नाग देवता को समर्पित होता है। यह पर्व अनेक क्षेत्रों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यदि आप भी नाग देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत नागुला चविथी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। भगवन भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा आप अपने जीवन में मनोवंछित परिणाम प्रपात कर सकते हैंनगुला चविथी कथा PDF | Nagula Chavithi Vrat Katha PDFजब राजा जन्मेजय ने समस्त नाग जाति के विनाश हेतु सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो संसार के सभी सर्प और नाग आकर यज्ञ वेदी में गिरने लगे। तब नागराज तक्षक ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए इंद्रलोक में शरण ली, किन्तु पुरोहितों के प्रबल मन्त्रों के प्रभाव के कारण तक्षक के साथ ही इंद्र और अन्य देवगण भी यज्ञस्थल की ओर खिंचने लगे। देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से रक्षा करने की पुकार लगाई तो उन्होंने मनसा देवी (ब्रह्मा जी की पुत्री और सर्पों की पूज्य माता) के पुत्र ‘अस्तिका’ की सहायता लेने को कहा। अस्तिका महान विद्वान थे और केवल वही इस यज्ञ को रोक सकते थे। देवगण माता मनसा के पास पहुँचे और अपनी व्यथा उनसे कही। तब अपनी माता की आज्ञा और उनके परामर्शानुसार अस्तिका ने वह यज्ञ रुकवाया, और सभी नागों और देवताओं की रक्षा की। नाग चतुर्थी के दिन ही अस्तिका ने देवताओं की सहायता की थी। माता मनसा ने देवताओं और मानव जाति को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन नागों की पूजा करेगा और इस कथा का श्रवण करेगा उसे शुभफल की प्राप्ति होगी। तभी से इस दिन नाग चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन महिलायें घर और मंदिरों में, अथवा बाम्बियों पर जाकर नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती हैं, और अपने परिवार के मंगल की कामना करती हैं। नवविवाहित स्त्रियाँ स्वस्थ और कुशल संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों का मत है कि नाग या साँप दूध नहीं पीते, इसलिए उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए उन्हें दूध पिलाने के स्थान पर संरक्षण प्रदान करना चाहिए। श्रीशैलम में नाग देवताओं के लिए एक अलग शक्तिशाली वेदी बनी हुई है। नाग/सर्प दोष और राहु-केतु दोष के अशुभ फल से मुक्ति पाने के लिए नाग देवताओं की पूजा करने भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।नाग देवता की आरती | Naag Devta Ki Aarti Lyrics PDFआरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।<strong>You can download Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#नगल #चवथ #वरत #कथ #Nagula #Chavithi #Vratha #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a8%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-nagula-chavithi-vratha-katha-pdf-in-hindi">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.eb
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF in Hindi
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/------rama-ekadashi-puja-vidhi-268.jpg">रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi</a>PDF Name<b>रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.77 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप रमा एकादशी व्रत पूजा विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं । रमा एकादशी का व्रत अनेक प्रकार के पापों का नाश करता है । यदि आप अपने जीवन में आने वाली विभिन्न प्रकार की समस्याओं से पीड़ित हो चुके हैं तो आपको रमा एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए । रमा एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा होती है।माता लक्ष्मी के अनेक शुभ नामों में से एक नाम रमा भी है । अतः इस रमा एकादशी के दिन भगवान श्री हरी विष्णु के साथ माता देवी लक्ष्मी की भी पूजा – अर्चना की जाती है । इस दिन जो व्यक्ति पूरे विधि – विधान से माता लक्ष्मी एवं श्री हरी विष्णु जी की आराधना व पूजन करता है उस व्यक्ति घर में धन व अन्न की आपूर्ति रहती है।रमा एकादशी व्रत की विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Vidhi PDF in Hindiसुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त हो जाएं।घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित करें।भगवान विष्णु का गंगा जल से अभिषेक करें।भगवान विष्णु को पुष्प और तुलसी दल अर्पित करें।अगर संभव हो तो इस दिन व्रत भी रखें।भगवान की आरती करें।भगवान को भोग लगाएं।इस बात का विशेष ध्यान रखें कि भगवान को सिर्फसात्विक चीजों का भोग लगाया जाता है।भगवान विष्णु के भोग में तुलसी को जरूर शामिल करें।इस पावन दिन भगवान विष्णु के साथ ही माता लक्ष्मी की पूजा भी करें।इस दिन भगवान का अधिक से अधिक ध्यान करें।रमा एकादशी आरती PDF / Rama Ekadashi Aarti in Hindiॐ जय एकादशी, जय एकादशी, जय एकादशी माता ।विष्णु पूजा व्रत को धारण कर, शक्ति मुक्ति पाता ।। ॐ।।तेरे नाम गिनाऊं देवी, भक्ति प्रदान करनी ।गण गौरव की देनी माता, शास्त्रों में वरनी ।।ॐ।।मार्गशीर्ष के कृष्णपक्ष की उत्पन्ना, विश्वतारनी जन्मी।शुक्ल पक्ष में हुई मोक्षदा, मुक्तिदाता बन आई।। ॐ।।पौष के कृष्णपक्ष की, सफला नामक है,शुक्लपक्ष में होय पुत्रदा, आनन्द अधिक रहै ।। ॐ ।।नाम षटतिला माघ मास में, कृष्णपक्ष आवै।शुक्लपक्ष में जया, कहावै, विजय सदा पावै ।। ॐ ।।विजया फागुन कृष्णपक्ष में शुक्ला आमलकी,पापमोचनी कृष्ण पक्ष में, चैत्र महाबलि की ।। ॐ ।।चैत्र शुक्ल में नाम कामदा, धन देने वाली,नाम बरुथिनी कृष्णपक्ष में, वैसाख माह वाली ।। ॐ ।।शुक्ल पक्ष में होय मोहिनी अपरा ज्येष्ठ कृष्णपक्षी,नाम निर्जला सब सुख करनी, शुक्लपक्ष रखी।। ॐ ।।योगिनी नाम आषाढ में जानों, कृष्णपक्ष करनी।देवशयनी नाम कहायो, शुक्लपक्ष धरनी ।। ॐ ।।कामिका श्रावण मास में आवै, कृष्णपक्ष कहिए।श्रावण शुक्ला होय पवित्रा आनन्द से रहिए।। ॐ ।।अजा भाद्रपद कृष्णपक्ष की, परिवर्तिनी शुक्ला।इन्द्रा आश्चिन कृष्णपक्ष में, व्रत से भवसागर निकला।। ॐ ।।पापांकुशा है शुक्ल पक्ष में, आप हरनहारी।रमा मास कार्तिक में आवै, सुखदायक भारी ।। ॐ ।।देवोत्थानी शुक्लपक्ष की, दुखनाशक मैया।पावन मास में करूं विनती पार करो नैया ।। ॐ ।।परमा कृष्णपक्ष में होती, जन मंगल करनी।।शुक्ल मास में होय पद्मिनी दुख दारिद्र हरनी ।। ॐ ।।जो कोई आरती एकादशी की, भक्ति सहित गावै।जन गुरदिता स्वर्ग का वासा, निश्चय वह पावै।। ॐ ।।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/rama-ekadashi-vrat-katha/">रमा एकादशी व्रत कथा | Rama Ekadashi Vrat Katha PDF in Hindi</a><strong>You can download रमा एकादशी व्रत पूजा विधि PDF / Rama Ekadashi Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#रम #एकदश #वरत #पज #वध #Rama #Ekadashi #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b0%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%8f%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%b6%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%aa%e0%a5%82%e0%a4%9c%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a7%e0%a4%bf-rama">रमा एकादशी व्रत पूजा विधि | Rama Ekadashi Puja Vidhi…
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार मित्रांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुमच्यासाठी अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. अहोई अष्टमीच्या दिवशी माता आपल्या मुलाच्या कल्याणासाठी पहाटेपासून ते संध्याकाळपर्यंत उपवास करतात. सायंकाळच्या वेळी आकाशातील तारे पाहून उपवास मोडला जातो. काही स्त्रिया चंद्राचे दर्शन घेतल्यानंतर उपवास सोडतात परंतु अहोई अष्टमीला चंद्रोदय रात्री उशिरा असल्याने त्याचे पालन करणे कठीण असते.अहोई अष्टमीचा उपवास करवा चौथच्या चार दिवसांनी आणि दिवाळी पूजेच्या आठ दिवस आधी येतो. करवा चौथप्रमाणे उत्तर भारतात अहोई अष्टमी अधिक प्रसिद्ध आहे. अहोई अष्टमीचा दिवस अहोई आथेन म्हणूनही ओळखला जातो कारण हा उपवास अष्टमी तिथीच्या वेळी पाळला जातो, जो महिन्याच्या आठव्या दिवशी असतो. करवा चौथ प्रमाणे, अहोई अष्टमी हा देखील कडक उपवासाचा दिवस आहे आणि अनेक स्त्रिया दिवसभर पाणी देखील घेत नाहीत. आकाशातील तारे पाहूनच उपवास मोडतो.अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathiएकेकाळी एका गावात एक सावकार राहत होता. त्याचे पूर्ण कुटुंब होते. त्यांना 7 मुलगे, एक मुलगी आणि 7 सून होत्या. दीपावलीच्या काही दिवस अगोदर तिची मुलगी तिच्या वहिनींसोबत घर रंगविण्यासाठी जंगलातून स्वच्छ माती आणण्यासाठी गेली होती. जंगलातील माती काढत असताना शाईच्या चिमुकल्याचा खपल्यातून मृत्यू झाला. या घटनेने दु:खी झालेल्या स्याहूच्या आईने सावकाराच्या मुलीला कधीही आई न होण्याचा शाप दिला. त्या शापाच्या प्रभावामुळे सावकाराच्या मुलीच्या गर्भाला बंध पडला.सावकाराची मुलगी शापाने दु:खी झाली. त्यांनी वहिनींना सांगितले की त्यांच्यापैकी कोणीही आपल्या गर्भाला बांधावे. वहिनीचे बोलणे ऐकून धाकटी वहिनी तयार झाली. त्या शापाच्या दुष्परिणामांमुळे त्यांचे मूल फक्त सात दिवस जगले. जेव्हा तिने मुलाला जन्म दिला तेव्हा ती सात दिवसात मरायची. ती अस्वस्थ झाली आणि तिने एका पंडिताला भेटून उपाय विचारला.पंडिताच्या सांगण्यावरून त्यांनी सुरही गायीची सेवा सुरू केली. त्याच्या सेवेवर खूश होऊन गाय एके दिवशी त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते. वाटेत गरुड पक्ष्याला मारणार आहे, पण सावकाराची धाकटी सून सापाला मारून पक्ष्याला जीवदान देते. तेवढ्यात त्या गरुड पक्ष्याची आई येते. संपूर्ण घटना ऐकून ती प्रभावित होते आणि त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते.सावकाराच्या धाकट्या सुनेच्या परोपकाराबद्दल आणि सेवेबद्दल स्याहूची आई जेव्हा ऐकते तेव्हा तिला आनंद होतो. मग तिला सात मुलांची आई होण्याचा आशीर्वाद देतो. आशीर्वादाच्या प्रभावाने सावकाराच्या धाकट्या सुनेला सात मुलगे झाले, ज्यातून तिला सात सून झाल्या. त्याचे कुटुंब मोठे आणि भरलेले आहे. ती आनंदी जीवन जगते. अहोई मातेची पूजा केल्यानंतर अहोई अष्टमी व्रताची कथा अवश्य ऐकावी.Here you can download the अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#अहई #अषटम #वरत #कथ #मरठ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/ahoi-ashtami-vrat-kahani-371.jpg">अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani</a>PDF Name<b>अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.51 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कहानी | Ahoi Ashtami Vrat Kahani Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi for our daily users. Ahoi Ashtami fast is observed on the eighth day of Krishna Paksha of Kartik month. Mothers keep this fast for their children. By observing this fast according to the law, the health of the child remains good and the child has a long life. Women who observe Ahoi Ashtami fast, offer Arghya to the stars during night time by Karwa.This fast is traditionally very popular all over India and is performed by women on a large scale for their children. If you are also observing this fast, then definitely read the fast story of Shri Ahoi Ashtami Mata.अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindiपूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी. दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं. बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी.मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी. स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें. सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं.स्याहु ने उसकी कोख बांध दी. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे. सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी. इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी. सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है. तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी.सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है. वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. तभी छोटी बहू सांप को मार देती है. इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है. इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है. वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है. इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं. इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है.अहोई अष्टमी शुभ मुहूर्त | Ahoi Ashtami Vrat Shubh Muhurtअहोई अष्टमी रविवार, 28 अक्टूबर, 2021 कोअहोई अष्टमी पूजा मुहूर्त – 05:39 PM से 06:56 PMअवधि – 01 घण्टा 17 मिनटगोवर्धन राधा कुण्ड स्नान बृहस्पतिवार, अक्टूबर 28, 2021 कोतारों को देखने के लिए सांझ का समय – 06:03 PMअहोई अष्टमी के दिन चन्द्रोदय समय – 11:29 PM<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप अहोई अष्टमी व्रत कहानी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Kahani PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#अहई #अषटम #वरत #कहन #Ahoi #Ashtami #Vrat #Kahani #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%85%e0%a4%b9%e0%a5%8b%e0%a4%88-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja VidhiPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDFNo. of Pages4PDF Size0.44 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के द्वारा आप अहोई अष्टमी पूजा विधि PDF / Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi प्राप्त कर सकते हैं। अहोई अष्टमी का व्रत अथवा किसी भी प्रकार का व्रत जब तक सम्पूर्ण विधि – विधान से न किया जाए तब तक निश्चित परिणाम प्राप्त नहीं होते हैं। अतः व्रत करने से पूर्व उससे सम्बंधित नियम व विधि को अच्छे से पढ़ लेना चाहिए पूजा के दौरान कोई भी गलती न हो सके।अहोई अष्टमी व्रत की परम्परा बहुत समय से चली आ रही है। इस व्रत के परिणामस्वरुप बालक दीर्घायु तथा स्वस्थ रहता है। यह व्रत विशेषतः माताएं अपने पुत्र के लिए रखती हैं। इस व्रत में रात्रिकाल में तारों को करवा से अर्घ्य दिया जाता है तथा बालक के लिए मंगल कामना की जाती है। यदि आप भी इस व्रत का पालन कर रहे हैं तो उसकी विधि यहाँ से पढ़ें।अहोई अष्टमी पूजन विधि PDF / Ahoi Ashtami Vrat Pujan Vidhi PDF in Hindiइस दिन माताओं अथवा महिलाओं को सूर्योदय से पूर्व स्नान करके व्रत रखने का संकल्प लेना चाहिए।अहोई माता की पूजा के लिए दीवार या कागज पर गेरू से अहोई माता का चित्र बनाना चाहिए।माता का पूजना संध्याकाल में करें।पूजा के लिए अहोई माता के चित्र के सामने एक चौकी रखकर उस पर जल से भरा कलश स्थापित करें।रोली-चावल से अहोई माता की पूजा करें।अहोई माता को भोग लगाने के लिए महिलाएं दही, आटा, चीनी या गुड़ मिला कर मीठे पुए बनायें।कहीं-कहीं आटे के हलवे का भी भोग लगाया जाता है।रोली से कलश पर स्वास्तिक बनाया जाता है।सात टीके लगाए जाते हैं और फिर हाथों में गेहूं के सात दाने ले कर महिलाएं, माताएं अहोई व्रत कथा को पढ़ें व सुनें।पूजा व व्रत कथा सुनने के बाद कलश के जल से तारों को अर्घ्य अर्पित करें।अहोई माता की विधिवत पूजा करने के बाद स्याहु माला धारण की जाती है।स्याहु की माला में चांदी की मोती और अहोई माता की लॉकेट होती है।पूजा के बाद महिलाएं बायना निकालती हैं और अपनी सास या पंडित को देकर आशीर्वाद लेती हैं।पूजन के अंत में पारण किया जाता है।अहोई अष्टमी पूजा सामग्री PDF / Ahoi Ashtami Puja Samagri List PDFअहोई माता मूर्ति/चित्रस्याहु मालादीपक करवापूजा रोलीअक्षततिलक के लिए रोलीदूबकलावापुत्रों को देने के लिए श्रीफल माता को चढ़ावे के लिए श्रृंगार का सामान बयानासात्विक भोजनचौदह पूरी और आठ पुओं का भोगचावल की कटोरी,मूलीसिंघाड़ेफलखीरदूध व भातवस्त्रबयाना में देने के लिए नेग (पैसे)You may also like :अहोई अष्टमी व्रत कथा | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiअहोई अष्टमी माता की आरती / Ahoi Ashtami Mata Ki Aarti PDF in Hindiअहोई अष्टमी पूजा सामग्री | Ahoi Ashtami Puja Samagri PDF in HindiYou can download अहोई अष्टमी पूजा विधि PDF / Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi by clicking on the following download button.#अहई #अषटम #वरत #पज #वध #Ahoi #Ashtami #Puja #Vidhi #PDF #HindiThe post अहोई अष्टमी व्रत पूजा विधि | Ahoi Ashtami Puja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF Detailsगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat KathaPDF Nameगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.49 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindiगोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyricsॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावेYou can download Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गवतस #दवदश #वरत #कथ #Govatsa #Dwadashi #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi
करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF Detailsकरवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja VidhiPDF Nameकरवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDFNo. of Pages3PDF Size0.73 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से हम आपको करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का व्रत किया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। करवा चौथ भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लम्बी आयु के लिए व्रत रखती हैं तथा पूजन करती हैं। करवा चौथ व्रत के नियम अलग – अलग स्थानों के अनुसार अलग – अलग हो सकते हैं। बहुत सी जगह पर इस व्रत को निर्जला किया जाता है मतलब कि व्रत के दौरान पानी नहीं पिया जाता। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप करवा चौथ पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Poojan Vidhi PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस साल करवा चौथ व्रत 24 अक्टूबर को है। अगर आप भी इस साल पहली बार व्रत रखने जा रही हैं तो जान लें पूजन साम्रगी, पूजा विधि और सोलह श्रंगार-करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindiकरवा चौथ पूजा करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व दिशा के कोने को अच्छे से साफ  करलें और लकड़ी की चौकी बिछाकर  उस पर शिवजी, मां गौरी और गणेश जी की तस्वीर या चित्र रखें. साथ ही, उत्तर दिशा में एक जल से भरा कलश स्थापित कर उसमें  थोड़े-से अक्षत डालें।इसके बाद कलश पर रोली, अक्षत का टीका लगाएं और गर्दन पर मौली बांधें।तीन जगह चार पूड़ी और 4 लड्डू लें, अब एक हिस्से को कलश के ऊपर, दूसरे को मिट्टी या चीनी के करवे पर और तीसरे हिस्से को पूजा के समय महिलाएं अपने साड़ी या चुनरी के पल्ले में बांध कर रख लें। अब करवाचौथ माता के सामने घी का दीपक जलाकर कथा पढ़ें।पूजा करने के बाद साड़ी के पल्ले और करवे पर रखे प्रसाद को बेटे या अपने पति को खिला दें. वहीं, कलश पर रखे प्रसाद को गाय को खिला दें।पानी से भरे हुए कलश को पूजा स्थल पर ही रहने दें. चन्द्रोदय के समय इसी कलश के जल से चन्द्रमा को अर्घ्य दें और घर में जो कुछ भी बना हो, उसका भोग चंद्रमा को  लगाएं. इसके बाद पति के हाथों से जल ग्रहण करके व्रत का पारण करें।करवा चौथ व्रत में पूजा के लिए आपको मिट्टी का एक करवा और उसका ढक्कन चाहिए।मां गौरी या चौथ माता एवं गणेश जी की मूर्ति बनाने के लिए काली या पीली मिट्ठी चाहिए।पानी के लिए एक लोटागंगाजलगाय का कच्चा दूध, दही एवं देसी घीअगरबत्ती, रूई और एक दीपकअक्षत, फूल, चंदन, रोली, हल्दी और कुमकुममिठाई, शहद, चीनी और उसका बूराबैठने के लिए आसनइत्र, मिश्री, पान एवं खड़ी सुपारीपूजा के लिए पंचामृतअर्घ्य के समय छलनीभोग के लिए फल एवं हलवा-पूड़ीसुहाग सामग्री: महावर, मेहंदी, बिंदी, सिंदूर, चूड़ी, कंघा, बिछुआ, चुनरी आदि।Karwa Chauth 2021 Shubh Muhurt | करवा चौथ 2021 शुभ मुहूर्तचतुर्थी तिथि प्रारंभ – रविवारसुबह 03 बजकर 01 मिनट पर (24 अक्टूबर 2021)चतुर्थी तिथि समाप्त – सुबह  05 बजकर 43 मिनटपर (25 अक्टूबर 2021)चंद्रोदय का समय – रात 8 बजकर 16 मिनट परकरवा चौथ पूजा मुहूर्त –  05 बजकर 43 मिनट से 06 बजकर 59 मिनट तकनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप करवा चौथ व्रत पूजा विधि PDF / Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#करव #चथ #वरत #पज #वध #Karwa #Chauth #Vrat #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post करवा चौथ व्रत पूजा विधि | Karwa Chauth Vrat Pooja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Detailsकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat KathaPDF Nameकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.32 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार वाचकांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुम्हाला करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. करवा चौथ हा भारतातील प्रमुख सणांपैकी एक आहे. या दिवशी स्त्रिया आपल्या पतीच्या दीर्घायुष्यासाठी व्रत आणि पूजा करतात. करवा चौथ उपवासाचे नियम वेगवेगळ्या ठिकाणी वेगवेगळे असू शकतात. अनेक ठिकाणी हा उपवास निर्जल केला जातो, म्हणजे उपवासादरम्यान पाणी प्यायले जात नाही. या पोस्टमध्ये दिलेल्या लिंकवर क्लिक करून तुम्ही Karwa Chauth Vrat Katha Book PDF खूप सहज डाउनलोड करू शकता.पण अनेक प्रदेशात या उपवासात पाणी आणि चहाचे सेवन केले जाते. त्यामुळे तुम्ही तुमच्या प्रदेशानुसार उपवास करू शकता. करवा चौथ उपवासाच्या कथेला या व्रतामध्ये खूप महत्त्व आहे. उपवासाच्या यशासाठी, या उपवासाची कथा वाचणे आणि ऐकणे दोन्ही आवश्यक आहे आणि या उपवासाच्या कथेद्वारे आपल्याला या उपवासाचे महत्त्व कळते.करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathiएका ब्राह्मणाला सात मुलगे आणि वीरवती नावाची एकुलती एक मुलगी होती. सात भावांची एकुलती एक बहीण असल्याने वीरावती सर्व भावांची लाडकी होती आणि सर्व भावांनी तिच्यावर जीवापेक्षा जास्त प्रेम केले. काही काळानंतर वीरावतीचे लग्न एका ब्राह्मण तरुणाशी झाले. लग्नानंतर, वीरावती तिच्या माहेरच्या घरी आली आणि मग तिने तिच्या मेहुण्यांसोबत करवा चौथचे व्रत ठेवले, पण संध्याकाळ अखेरीस ती भुकेने व्याकुळ झाली. सर्व भाऊ जेवायला बसले आणि बहिणीलाही जेवण्याचा आग्रह करू लागले, पण बहिणीने सांगितले की आज करवा चौथचा निर्जल उपवास आहे आणि चंद्र पाहून अर्घ्य दिल्यावरच अन्न खाऊ शकतो. पण चंद्र अजून बाहेर आलेला नाही, म्हणून ती भूक आणि तहानाने त्रस्त आहे.वीरवतीची ही अवस्था तिच्या भावांनी पाहिली नाही आणि मग एक भाऊ पिंपळाच्या झाडावर दिवा लावून चाळणीत ठेवतो. दुरून पाहिलं तर चंद्र बाहेर आल्यासारखं वाटलं. तेवढ्यात एक भाऊ आला आणि त्याने वीरवतीला सांगितले की चंद्र बाहेर आला आहे, तिला अर्घ्य दिल्यावर तू भोजन करू शकतेस. बहिणीने आनंदाने पायऱ्या चढून चंद्राला पाहून अर्घ्य दिले आणि जेवायला बसली.तिने पहिला तुकडा तोंडात टाकताच तिला शिंक आली. दुसरा तुकडा घातल्यावर त्यात केस बाहेर आले. यानंतर तिने तिसरा तुकडा तोंडात घालण्याचा प्रयत्न करताच तिला पतीच्या मृत्यूची बातमी मिळाली.त्याच्या वहिनीने त्याला असे का घडले याची सत्य माहिती दिली. करवा चौथचा उपवास चुकीच्या पद्धतीने मोडल्याबद्दल देवता त्याच्यावर नाराज आहेत. एकदा इंद्राणीची पत्नी इंद्राणी करवाचौथच्या दिवशी पृथ्वीवर आली आणि वीरावती त्याच्याकडे गेली आणि तिच्या पतीच्या संरक्षणासाठी प्रार्थना केली. देवी इंद्राणीने वीरवतीला पूर्ण भक्तिभावाने आणि कर्मकांडाने करवा चौथ व्रत करण्यास सांगितले. यावेळी वीरवतीने करवा चौथचे व्रत पूर्ण भक्तिभावाने ठेवले. तिची भक्ती आणि भक्ती पाहून भगवंत प्रसन्न झाले आणि वीरवती सदासुहागनला तिच्या पतीला जिवंत करण्याचा आशीर्वाद दिला. तेव्हापासून महिलांची करवा चौथ व्रतावर अतूट श्रद्धा सुरू झाली.Karwa Chauth Vrat Katha Book PDFHere you can download the करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#करव #चथ #वरत #कथ #मरठ #Karwa #Chauth #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF in Hindi
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----kojagari-lakshmi-puja-katha-593.jpg">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha</a>PDF Name<b>कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha Hindi PDF Summaryहिन्दू धर्म में कोजागिरी पौर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा – आराधना तथा व्रत आदि किया जाता है। देवी लक्ष्मी का महत्व तो आप सभी जानते ही होंगे। उनकी कृपा के बिना व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का भौतिक सुख नहीं रह सकता। देवी लक्ष्मी धन – वैभव आदि को नियंत्रित करती हैं।जिन लोगों के घर में दुःख – दारिद्य ने डेरा डाल रखा हो, उन्हें कोजागिरी पौर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि वह अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकें तथा जीवन में आने वाली आर्थिक समस्याओं से बच सकें। यदि आप भी अपने घर में इस व्रत का आयोजन कर रहें हैं तो कोजागिरी व्रत कथा का पठन – पाठन अवश्य करें।कोजागरी व्रत कथा / Kojagari Lakshmi Puja Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी। कोजागरी पूर्णिमा पूजा विधिइस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा की जाती है। सुबह देवी की पूजा करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है। इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए। इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के दीपक जला दें। इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए। कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए। अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। कोजागिरी पौर्णिमा पूजा मुहूर्तकोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्सकोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 05:20 पी एमपूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 पी एम बजेपूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 पी एम बजे<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/kojagari-lakshmi-puja-vidhi-hindi/">कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF by clicking on the following download button. </strong>#कजगर #परणम #वरत #कथ #Kojagari #Lakshmi #Puja #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत…
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----durga-ashtami-vrat-katha-347.jpg">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha</a>PDF Name<b>दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.72 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha Hindi PDF SummaryToday we are going to share दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi with you. Durga Ashtami is one of the most popular festivals in India. There are many people who observe the Ashtami fast and end the fast of Navratri on this day. You can praise Goddess Durga by doing fast on this day and seek her blessings for you and your family. Goddess Durga is the most worshipped goddess in India. In this article, we have given the download link for नवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDFIf you also want to seek the blessings of Goddess Durga by observing the fast of Durga Ashtami. There are few things you should remember while observing this fast. You should recite the Durga Ashtami Vrat Katha for the completion of your fast.दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiपौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त / Durga Puja Muhurat 2021दुर्गा अष्टमी बुधवार, अक्टूबर 13, 2021 कोअष्टमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 12, 2021 को 09:47 पी एम बजेअष्टमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 13, 2021 को 08:07 पी एम बजेअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्तनवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त: अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:41 AM से 05:31 AM तक है।कैसे करें कन्या पूजन ?कन्या पूजन कोई घर पर तो कोई मंदिर में जाकर करता है।शास्त्रों के अनुसार 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए आमंत्रित करना चाहिए।कन्या पूजन में एक बालक का होना भी जरूरी माना जाता है।कन्या पूजन वाले दिन सबसे पहले माता अम्बे की विधि विधान पूजा कर लें।इसके बाद कन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं।फिर कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।फिर मां दुर्गा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और सभी कन्याओं और एक बालक को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें।भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें।फिर सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।अष्टमी दिन का चौघड़िया मुहूर्तलाभ – 06:26 AM से 07:53 PM
अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM
शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM
लाभ – 16:32 AM से 17:59 PMनवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDF<strong>You can download दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#दरग #अषटम #वरत #कथ #Durga #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-durga-ashtami-vrat-kath">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://w…
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/06/small/som-pradosh-vrat-katha-217.jpg">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha</a>PDF Name<b>सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF</b>No. of Pages<b>6</b>PDF Size<b>0.57 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सोम प्रदोष व्रत कथा PDF / Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi जिसमे आपको बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat) कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं। यहाँ से आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा पीडीऍफ़ हिंदी भाषा में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस बार सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat Katha ) 7 जून, सोमवार के दिन पड़ रहा है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बताई गई है। प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF | सोम प्रदोष व्रत कथा PDFपौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।Som Pradosh Vrat Subh Muhurt | सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट सेत्रयोदशी तिथि का समापन – 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनटपूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तकSom Pradosh Vrat Pooja Vidhi | सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए।  इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए। इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा PDF हिंदी भाषा में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#सम #परदष #वरत #कथ #Som #Pradosh #Vrat #katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a5%8b%e0%a4%ae-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%b7-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-som-pradosh-vrat-katha-pdf-in-hindi-2">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a hr…
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/----jivitputrika-vrat-katha-312.jpg">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha</a>PDF Name<b>जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.58 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, प्रस्तुत लेख में हम अपने पाठकों के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत कथा प्रस्तुत कर रहे हैं। जिवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को जितिया, जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर मातायें संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए जीवितपुत्रिका व्रत रखती हैं।हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत का प्रथम दिन अर्थात स्नान होता है। अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। हमने अपने पाठकों के लिए इस लेख के अंत में जीवित्पुत्रिका व्रत कथा इन हिंदी pdf का डाउनलोड लिंक फिया है जिसके माध्यम से आप इस कथा को पढ़ सकते हैं तथा इस व्रत का पालन कर सकते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत कथा बुक पीडीएफ / Jivitputrika Vrat Katha Book in Hindi PDFबहुत समय पहले की बात है कि गंधर्वों के एक राजकुमार हुआ करते थे जिनका नाम था जीमूतवाहन। बहुत ही पवित्र आत्मा, दयालु व हमेशा परोपकार में लगे रहने वाले जीमूतवाहन को राज पाट से बिल्कुल भी लगाव न था। लेकिन पिता कब तक संभालते। वानप्रस्थ लेने के पश्चात वे सबकुछ जीमूतवाहन को सौंपकर चलने लगे। लेकिन जीमूतवाहन ने तुरंत अपनी तमाम जिम्मेदारियां अपने भाइयों को सौंपते हुए स्वयं वन में रहकर पिता की सेवा करने का मन बना लिया। अब एक दिन वन में भ्रमण करते-करते जीमूतवाहन काफी दूर निकल आया। उसने देखा कि एक वृद्धा काफी विलाप कर रही है। जीमूतवाहन से कहा दूसरों का दुख देखा जाता था उसने सारी बात पता लगाई तो पता चला कि वह एक नागवंशी स्त्री है और पक्षीराज गरुड़ को बलि देने के लिये आज उसके इकलौते पुत्र की बारी है।जीमूतवाहन ने उसे धीरज बंधाया और कहा कि उसके पुत्र की जगह पर वह स्वयं पक्षीराज का भोजन बनेगा। अब जिस वस्त्र में उस स्त्री का बालक लिपटा था उसमें जीमूतवाहन लिपट गया। जैसे ही समय हुआ पक्षीराज गरुड़ उसे ले उड़ा। जब उड़ते उड़ते काफी दूर आ चुके तो पक्षीराज को हैरानी हुई कि आज मेरा यह भोजन चीख चिल्ला क्यों नहीं रहा है इसे जरा भी मृत्यु का भय नहीं है। अपने ठिकाने पर पंहुचने के पश्चात उसने जीमूतवाहन का परिचय लिया। जीमूतवाहन ने सारा किस्सा कह सुनाया। पक्षीराज जीमूतवाहन की दयालुता व साहस से प्रसन्न हुए व उसे जीवन दान देते हुए भविष्य में भी बलि न लेने का वचन दिया। मान्‍यता है क‍ि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्‍याण के  ये व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि / Jivitputrika Vrat Katha Vidhi in Hindi PDFसुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इस पूजा के लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत के जौरान मिट्टी में गाय का गोबर मिलाकर उससे चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। इन दोनों मूर्तियों के माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद अपने हिसाब से दान और दक्षिणा भी देना चाहिए। मान्यता है कि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद गाय के दूध से ही करना चाहिए। <strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/jitiya-vrat-katha/">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> जीवित्पुत्रिका व्रत कथा हिंदी pdf प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।The Jivitputrika Vrat Katha in Hindi download pdf link is given below, you can download it by clicking on the following download button.#जवतपतरक #वरत #कथ #Jivitputrika #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/jitiya-vrat-katha-227.jpg">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha</a>PDF Name<b>जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.37 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha Hindi PDF SummaryIn this article, we have uploaded the Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF for our users. Jivitputrika Vrat is observed on Ashtami Tithi of Krishna Paksha of Ashwin month. This year it will start from 28th September to 30th September. This fast is also called Jiutiya, Jitiya, Jivitputrika or Jimutavahana Vrat. This fast lasts for three days. Mothers keep Jivitputrika Vrat for the attainment of children and for their long life. According to the Hindu calendar, every year on the Ashtami date of Ashwin month, the first day of Jitiya Vrat i.e. takes a bath. Nirjala fast is observed on the next day. Below we have given the download link for Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi / जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF.जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindiगन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे। युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा। इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है। नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया। गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला। जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया।Jitiya Vrat Pooja Vidhi in Hindi PDF | जितिया व्रत पूजा विधिसप्तमी का दिन नहाई खाय के रूप में मनाया जाता है तो अष्टमी को निर्जला उपवास रखना होता है। व्रत का पारण नवमी के दिन किया जाता है। वहीं अष्टमी को सांय प्रदोषकाल में संतानशुदा स्त्रियां जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं। श्रद्धा व सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा भी दी जाती है।इस दिन सूर्यास्त से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप लें। इसके बाद एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें। इसके बाद दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं। अब अपनी श्रद्धानुसार उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं। दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें या सुनें।जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 शुभ मुहूर्तजितिया व्रत- 29 सितंबर
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। <strong>You may also like:</strong><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-katha/">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> <strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#जतय #वरत #कथ #Jitiya #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0