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नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/-----nagula-chavithi-vratha-katha-292.jpg">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha</a>PDF Name<b>नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.50 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नगुला चविथी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। नगुला चविथी का व्रत नाग देवता को समर्पित होता है। यह पर्व अनेक क्षेत्रों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यदि आप भी नाग देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत नागुला चविथी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। भगवन भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा आप अपने जीवन में मनोवंछित परिणाम प्रपात कर सकते हैंनगुला चविथी कथा PDF | Nagula Chavithi Vrat Katha PDFजब राजा जन्मेजय ने समस्त नाग जाति के विनाश हेतु सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो संसार के सभी सर्प और नाग आकर यज्ञ वेदी में गिरने लगे। तब नागराज तक्षक ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए इंद्रलोक में शरण ली, किन्तु पुरोहितों के प्रबल मन्त्रों के प्रभाव के कारण तक्षक के साथ ही इंद्र और अन्य देवगण भी यज्ञस्थल की ओर खिंचने लगे। देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से रक्षा करने की पुकार लगाई तो उन्होंने मनसा देवी (ब्रह्मा जी की पुत्री और सर्पों की पूज्य माता) के पुत्र ‘अस्तिका’ की सहायता लेने को कहा। अस्तिका महान विद्वान थे और केवल वही इस यज्ञ को रोक सकते थे। देवगण माता मनसा के पास पहुँचे और अपनी व्यथा उनसे कही। तब अपनी माता की आज्ञा और उनके परामर्शानुसार अस्तिका ने वह यज्ञ रुकवाया, और सभी नागों और देवताओं की रक्षा की। नाग चतुर्थी के दिन ही अस्तिका ने देवताओं की सहायता की थी। माता मनसा ने देवताओं और मानव जाति को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन नागों की पूजा करेगा और इस कथा का श्रवण करेगा उसे शुभफल की प्राप्ति होगी। तभी से इस दिन नाग चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन महिलायें घर और मंदिरों में, अथवा बाम्बियों पर जाकर नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती हैं, और अपने परिवार के मंगल की कामना करती हैं। नवविवाहित स्त्रियाँ स्वस्थ और कुशल संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों का मत है कि नाग या साँप दूध नहीं पीते, इसलिए उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए उन्हें दूध पिलाने के स्थान पर संरक्षण प्रदान करना चाहिए। श्रीशैलम में नाग देवताओं के लिए एक अलग शक्तिशाली वेदी बनी हुई है। नाग/सर्प दोष और राहु-केतु दोष के अशुभ फल से मुक्ति पाने के लिए नाग देवताओं की पूजा करने भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।नाग देवता की आरती | Naag Devta Ki Aarti Lyrics PDFआरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।<strong>You can download Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#नगल #चवथ #वरत #कथ #Nagula #Chavithi #Vratha #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a8%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-nagula-chavithi-vratha-katha-pdf-in-hindi">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.eb
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF Detailsभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki KathaPDF Nameभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDFNo. of Pages6PDF Size0.87 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha Hindi PDF SummaryDear Readers, today we are going to upload the भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi for you. Bhai Dooj is a very important festival celebrated in India, which is celebrated in every corner of India. Bhai Dooj is a Hindu festival celebrated in India and Nepal. This festival is celebrated by the followers of Hindu religion. This festival shows the importance of the sacred relationship of brother and sister. The rituals and celebrations of this day are similar to popular celebrations like ‘Raksha Bandhan’. On this special occasion, brothers give many gifts to their sisters and in return sisters give sweets to their brothers. Below we have provided the download link for Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDF.On this day every sister puts tilak on her brother’s forehead and feeds him sweets etc. In such a situation, today we have brought Bhai Dooj fasting story for you.भाई दूज की कथा PDF | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindiछाया भगवान सूर्यदेव की पत्नी हैं जिनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी. वह उनसे सदा यह निवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े। रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हर्षित हुई और भाई का स्वागत सत्कार किया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कि- आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे।यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तथास्तु कहा और यमलोक चले गए। तभी से यह यह मान्यता चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता।Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDFभाई दूज शुभ मुहूर्त:भाई दूज का शुभ मुहूर्त 1:10 बजे से शुरू होकर 3:18 बजे तक है। इस दिन की तिथि 16 नवंबर को सुबह 7:06 बजे शुरू होकर 17 नवंबर को 3:56 बजे तक होगी।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#भई #दज #क #कथ #Bhai #Dooj #Katha #PDF #HindiThe post भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameअहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार मित्रांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुमच्यासाठी अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. अहोई अष्टमीच्या दिवशी माता आपल्या मुलाच्या कल्याणासाठी पहाटेपासून ते संध्याकाळपर्यंत उपवास करतात. सायंकाळच्या वेळी आकाशातील तारे पाहून उपवास मोडला जातो. काही स्त्रिया चंद्राचे दर्शन घेतल्यानंतर उपवास सोडतात परंतु अहोई अष्टमीला चंद्रोदय रात्री उशिरा असल्याने त्याचे पालन करणे कठीण असते.अहोई अष्टमीचा उपवास करवा चौथच्या चार दिवसांनी आणि दिवाळी पूजेच्या आठ दिवस आधी येतो. करवा चौथप्रमाणे उत्तर भारतात अहोई अष्टमी अधिक प्रसिद्ध आहे. अहोई अष्टमीचा दिवस अहोई आथेन म्हणूनही ओळखला जातो कारण हा उपवास अष्टमी तिथीच्या वेळी पाळला जातो, जो महिन्याच्या आठव्या दिवशी असतो. करवा चौथ प्रमाणे, अहोई अष्टमी हा देखील कडक उपवासाचा दिवस आहे आणि अनेक स्त्रिया दिवसभर पाणी देखील घेत नाहीत. आकाशातील तारे पाहूनच उपवास मोडतो.अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathiएकेकाळी एका गावात एक सावकार राहत होता. त्याचे पूर्ण कुटुंब होते. त्यांना 7 मुलगे, एक मुलगी आणि 7 सून होत्या. दीपावलीच्या काही दिवस अगोदर तिची मुलगी तिच्या वहिनींसोबत घर रंगविण्यासाठी जंगलातून स्वच्छ माती आणण्यासाठी गेली होती. जंगलातील माती काढत असताना शाईच्या चिमुकल्याचा खपल्यातून मृत्यू झाला. या घटनेने दु:खी झालेल्या स्याहूच्या आईने सावकाराच्या मुलीला कधीही आई न होण्याचा शाप दिला. त्या शापाच्या प्रभावामुळे सावकाराच्या मुलीच्या गर्भाला बंध पडला.सावकाराची मुलगी शापाने दु:खी झाली. त्यांनी वहिनींना सांगितले की त्यांच्यापैकी कोणीही आपल्या गर्भाला बांधावे. वहिनीचे बोलणे ऐकून धाकटी वहिनी तयार झाली. त्या शापाच्या दुष्परिणामांमुळे त्यांचे मूल फक्त सात दिवस जगले. जेव्हा तिने मुलाला जन्म दिला तेव्हा ती सात दिवसात मरायची. ती अस्वस्थ झाली आणि तिने एका पंडिताला भेटून उपाय विचारला.पंडिताच्या सांगण्यावरून त्यांनी सुरही गायीची सेवा सुरू केली. त्याच्या सेवेवर खूश होऊन गाय एके दिवशी त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते. वाटेत गरुड पक्ष्याला मारणार आहे, पण सावकाराची धाकटी सून सापाला मारून पक्ष्याला जीवदान देते. तेवढ्यात त्या गरुड पक्ष्याची आई येते. संपूर्ण घटना ऐकून ती प्रभावित होते आणि त्याला स्याहूच्या आईकडे घेऊन जाते.सावकाराच्या धाकट्या सुनेच्या परोपकाराबद्दल आणि सेवेबद्दल स्याहूची आई जेव्हा ऐकते तेव्हा तिला आनंद होतो. मग तिला सात मुलांची आई होण्याचा आशीर्वाद देतो. आशीर्वादाच्या प्रभावाने सावकाराच्या धाकट्या सुनेला सात मुलगे झाले, ज्यातून तिला सात सून झाल्या. त्याचे कुटुंब मोठे आणि भरलेले आहे. ती आनंदी जीवन जगते. अहोई मातेची पूजा केल्यानंतर अहोई अष्टमी व्रताची कथा अवश्य ऐकावी.Here you can download the अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#अहई #अषटम #वरत #कथ #मरठ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post अहोई अष्टमी व्रत कथा मराठी | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati
અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF Detailsઅહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat KathaPDF Nameઅહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.58 MBLanguageGujaratiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha Gujarati PDF SummaryFriends, today we are going to upload the અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati language to help our daily users. On the day of Ahoi Ashtami, mothers fast from dawn (dawn) to dusk (evening) for the well-being of their sons. During the evening the fast is broken after seeing the stars in the sky. Some women break the fast after sighting the moon but it is difficult to follow because the moonrise is late in the night on Ahoi Ashtami.Ahoi Ashtami fasting day falls four days after Karva Chauth and eight days before Diwali Puja. Ahoi Ashtami is more famous in North India than Karva Chauth. The day of Ahoi Ashtami is also known as Ahoi Aathen as this fast is observed during Ashtami Tithi, which is the eighth day of the month.અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujaratiએક સમયે એક નગરમાં એક શાહુકાર રહેતો હતો. તેમનો સંપૂર્ણ પરિવાર હતો. તેમને 7 પુત્રો, એક પુત્રી અને 7 પુત્રવધૂ હતા. દીપાવલીના થોડા દિવસો પહેલા, તેની પુત્રી તેની ભાભી સાથે ઘરને રંગવા માટે જંગલમાંથી સ્વચ્છ માટી લેવા ગઈ હતી. જંગલમાં માટી કાઢતી વખતે શાહીનું બાળક સ્કેબાર્ડમાંથી મૃત્યુ પામ્યું. આ ઘટનાથી દુઃખી થઈને, સ્યાહુની માતાએ શાહુકારની પુત્રીને ક્યારેય માતા ન બનવાનો શ્રાપ આપ્યો. એ શ્રાપની અસરથી શાહુકારની દીકરીનો ગર્ભ બંધાઈ ગયો.શાહુકારની દીકરી શ્રાપથી દુઃખી થઈ ગઈ. તેણે ભાભીને કહ્યું કે તેમાંથી કોઈ પણ તેને ગર્ભાશયમાં બાંધી લે. ભાભીની વાત સાંભળીને સૌથી નાની ભાભી તૈયાર થઈ ગઈ. એ શ્રાપના દુષ્પ્રભાવને લીધે તેનું બાળક માત્ર સાત દિવસ જ જીવ્યું. જ્યારે પણ તે બાળકને જન્મ આપતી ત્યારે તે સાત દિવસમાં મૃત્યુ પામતી. તે નારાજ થઈ અને એક પંડિતને મળ્યો અને તેનો ઉપાય પૂછ્યો.પંડિતની સલાહ પર તેણે સુરખી ગાયની સેવા કરવાનું શરૂ કર્યું. તેની સેવાથી ખુશ થઈને ગાય તેને એક દિવસ સ્યાહુની માતા પાસે લઈ જાય છે. રસ્તામાં ગરુડ પક્ષીને મારવા જઈ રહ્યો છે, પરંતુ શાહુકારની નાની વહુ સાપને મારીને પક્ષીને જીવતદાન આપે છે. એટલામાં એ ગરુડ પક્ષીની માતા આવે છે. આખી ઘટના સાંભળીને તે પ્રભાવિત થાય છે અને તેને સ્યાહુની માતા પાસે લઈ જાય છે.જ્યારે સ્યાહુની માતા શાહુકારની નાની વહુના પરોપકાર અને સેવા વિશે સાંભળે છે, ત્યારે તે ખુશ થાય છે. પછી તેણીને સાત બાળકોની માતા બનવાના આશીર્વાદ આપે છે. આશીર્વાદની અસરથી, શાહુકારની નાની વહુને સાત પુત્રો છે, જેમાંથી તેને સાત પુત્રવધૂ છે. તેમનો પરિવાર મોટો અને ભરપૂર છે. તેણી સુખી જીવન જીવે છે. આહોઈ માતાની પૂજા કર્યા પછી આહોઈ અષ્ટમી વ્રતની કથા અવશ્ય સાંભળવી.Here you can download the અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા PDF / Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati by click on the link given below.#અહઇ #અષટમ #વરત #કથ #Ahoi #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #GujaratiThe post અહોઇ અષ્ટમી વ્રત કથા | Ahoi Ashtami Vrat Katha PDF in Gujarati appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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Ahoi Ashtami Katha Book PDF in Hindi
Ahoi Ashtami Katha Book PDF DetailsAhoi Ashtami Katha BookPDF NameAhoi Ashtami Katha Book PDFNo. of Pages5PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
Ahoi Ashtami Katha Book Hindi PDF SummaryDear Reader, here we have uploaded the Ahoi Ashtami Katha Book PDF in Hindi to help you. Ahoi Ashtami fast is observed on the eighth day of Kartik Krishna Paksha. Ahoi Mata (Parvati) is worshiped on this day. This time Ahoi Ashtami will be observed on Thursday, October 28. On this day, husband and wife who wish to have children also observe Ahoi Ashtami fast. Ahoi Ashtami fast is kept for the safety and long life of the children.Mothers observe this fast for their children, so like Jivitputrika, this fast is also considered very important. It is believed that by observing the fast of Ahoi Ashtami and listening to the story, one gets the full fruit of the fast.Ahoi Ashtami Katha Book PDF in Hindiपूजा के दौरान साहूकार की कथा को पढ़ना या सुनना अनिवार्य बताया गया है. इस कथा के अनुसार प्राचीन काल में एक साहूकार के सात बेटे और सात बहुएं थीं. इस साहूकार की एक बेटी भी थी जो दीपावली में ससुराल से मायके आई थी. दीपावली पर घर को लीपने के लिए सातों बहुएं और बेटी मिट्टी लाने जंगल गईं. बेटी जहां मिट्टी काट रही थी उस स्थान पर स्याहु (साही) अपने सात बेटों से साथ रहती थी.मिट्टी काटते हुए ग़लती से साहूकार की बेटी की खुरपी के चोट से स्याहु का एक बच्चा मर गया. स्याहु इस पर क्रोधित होकर बोली कि तुमने मेरे बच्चे को मारा है, अब मैं तुम्हारी कोख बांध दूंगी. स्याहू की बात से डरकर साहूकार की बेटी अपनी सातों भाभियों से बचाने की गुहार लगाने लगी और भाभियों से विनती करने लगी कि वे उसकी जगह पर अपनी कोख बंधवा लें. सातों भाभियों में से सबसे छोटी भाभी को अपनी ननद पर तरस आ गया और वो उसने स्याहु से कहा कि आप मेरी कोख बांधकर अपने क्रोध को समाप्त कर सकती हैं.स्याहु ने उसकी कोख बांध दी. इसके बाद छोटी भाभी के जो भी बच्चे हुए, वे जीवित नहीं बचे. सात दिन बाद उनकी मौत हो जाती थी. इसके बाद उसने पंडित को बुलवाकर इसका उपाय पूछा गया तो पंडित ने सुरही गाय की सेवा करने की सलाह दी. सुरही सेवा से प्रसन्न होती है और छोटी बहू से पूछती है कि तू किस लिए मेरी इतनी सेवा कर रही है. तब छोटी बहू कहती है कि स्याहु माता ने मेरी कोख बांध दी है जिससे मेरे बच्चे नहीं बचते हैं. आप मेरी कोख खुलवा दें तो आपकी बहुत मेहरबानी होगी.सेवा से प्रसन्न सुरही छोटी बहु को स्याहु माता के पास ले जाती है. वहां जाते समय रास्ते में दोनों थक कर आराम करने लगते हैं. अचानक साहूकार की छोटी बहू देखती है कि एक सांप गरूड़ पंखनी के बच्चे को डंसने जा रहा है. तभी छोटी बहू सांप को मार देती है. इतने में गरूड़ पंखनी वहां आ जाती है और अपने बच्चे को जीवित देखकर प्रसन्न होती है. इसके बाद वो छोटी बहू और सुरही को स्याहु माता के पास पहुंचा देती है. वहां जाकर छोटी बहू स्याहु माता की सेवा करती है. इससे प्रसन्न स्याहु माता, उसे सात पुत्र और सात बहुओं से समृद्ध होने का का आशीर्वाद देती हैं और घर जाकर अहोई माता का व्रत रखने के लिए कहती हैं. इसके प्रभाव से छोटी बहू का परिवार पुत्र और बहुओं से भर जाता है.नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Ahoi Ashtami Katha Book PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#Ahoi #Ashtami #Katha #Book #PDF #HindiThe post Ahoi Ashtami Katha Book PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF Detailsगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat KathaPDF Nameगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.49 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindiगोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyricsॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावेYou can download Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गवतस #दवदश #वरत #कथ #Govatsa #Dwadashi #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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Karwa Chauth Katha Book PDF in Hindi
Karwa Chauth Katha Book PDF DetailsKarwa Chauth Katha BookPDF NameKarwa Chauth Katha Book PDFNo. of Pages38PDF Size1.41 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
Karwa Chauth Katha Book Hindi PDF SummaryDear Users, Here we are going to share Karwa Chauth Katha Book PDF in Hindi with you. In this book, you can read Karwa Chauth Vrat Kath PDF and Pooja Vidhi and aarti in Hindi language. Karva Chauth fasting is observed by married women for their husband’s long life and happy married life. This time this fast will be kept on October 24. On this day women observe a Nirjala fast and after moonrise, they break the fast after seeing the moon. In this fast, worship is done in the evening with the law. After which it is considered very necessary to listen to the fast story. Below we have given the download link for Karwa Chauth Katha Book in Hindi PDF.Karwa Chauth Katha Book PDF in Hindi | Karwa Chauth Vrat Katha PDFएक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी। सात भाइयों की अकेली बहन होने के कारण वीरावती सभी भाइयों की लाडली थी और उसे सभी भाई जान से बढ़कर प्रेम करते थे. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह किसी ब्राह्मण युवक से हो गया। विवाह के बाद वीरावती मायके आई और फिर उसने अपनी भाभियों के साथ करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी। सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अर्घ्‍य देकर ही खा सकती है। लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है, इसलिए वह भूख-प्यास से व्याकुल हो उठी है।वीरावती की ये हालत उसके भाइयों से देखी नहीं गई और फिर एक भाई ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख देता है। दूर से देखने पर वह ऐसा लगा की चांद निकल आया है। फिर एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अर्घ्य देने के बाद भोजन कर सकती हो। बहन खुशी के मारे सीढ़ियों पर चढ़कर चांद को देखा और उसे अर्घ्‍य देकर खाना खाने बैठ गई।उसने जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई। दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया। इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार उसे मिल गया।उसकी भाभी उसे सच्चाई से अवगत कराती है कि उसके साथ ऐसा क्यों हुआ। करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं। एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की। देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा। इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा। उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को जीवित कर दिया। इसके बाद से महिलाओं का करवाचौथ व्रत पर अटूट विश्वास होने लगा।Karwa Chauth Vrat Katha PDFनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Karwa Chauth Katha Book PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#Karwa #Chauth #Katha #Book #PDF #HindiThe post Karwa Chauth Katha Book PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF Detailsकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat KathaPDF Nameकरवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDFNo. of Pages2PDF Size0.32 MBLanguageMarathiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha Marathi PDF Summaryनमस्कार वाचकांनो, या लेखाद्वारे आम्ही तुम्हाला करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi डाउनलोड लिंक देत आहोत. करवा चौथ हा भारतातील प्रमुख सणांपैकी एक आहे. या दिवशी स्त्रिया आपल्या पतीच्या दीर्घायुष्यासाठी व्रत आणि पूजा करतात. करवा चौथ उपवासाचे नियम वेगवेगळ्या ठिकाणी वेगवेगळे असू शकतात. अनेक ठिकाणी हा उपवास निर्जल केला जातो, म्हणजे उपवासादरम्यान पाणी प्यायले जात नाही. या पोस्टमध्ये दिलेल्या लिंकवर क्लिक करून तुम्ही Karwa Chauth Vrat Katha Book PDF खूप सहज डाउनलोड करू शकता.पण अनेक प्रदेशात या उपवासात पाणी आणि चहाचे सेवन केले जाते. त्यामुळे तुम्ही तुमच्या प्रदेशानुसार उपवास करू शकता. करवा चौथ उपवासाच्या कथेला या व्रतामध्ये खूप महत्त्व आहे. उपवासाच्या यशासाठी, या उपवासाची कथा वाचणे आणि ऐकणे दोन्ही आवश्यक आहे आणि या उपवासाच्या कथेद्वारे आपल्याला या उपवासाचे महत्त्व कळते.करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathiएका ब्राह्मणाला सात मुलगे आणि वीरवती नावाची एकुलती एक मुलगी होती. सात भावांची एकुलती एक बहीण असल्याने वीरावती सर्व भावांची लाडकी होती आणि सर्व भावांनी तिच्यावर जीवापेक्षा जास्त प्रेम केले. काही काळानंतर वीरावतीचे लग्न एका ब्राह्मण तरुणाशी झाले. लग्नानंतर, वीरावती तिच्या माहेरच्या घरी आली आणि मग तिने तिच्या मेहुण्यांसोबत करवा चौथचे व्रत ठेवले, पण संध्याकाळ अखेरीस ती भुकेने व्याकुळ झाली. सर्व भाऊ जेवायला बसले आणि बहिणीलाही जेवण्याचा आग्रह करू लागले, पण बहिणीने सांगितले की आज करवा चौथचा निर्जल उपवास आहे आणि चंद्र पाहून अर्घ्य दिल्यावरच अन्न खाऊ शकतो. पण चंद्र अजून बाहेर आलेला नाही, म्हणून ती भूक आणि तहानाने त्रस्त आहे.वीरवतीची ही अवस्था तिच्या भावांनी पाहिली नाही आणि मग एक भाऊ पिंपळाच्या झाडावर दिवा लावून चाळणीत ठेवतो. दुरून पाहिलं तर चंद्र बाहेर आल्यासारखं वाटलं. तेवढ्यात एक भाऊ आला आणि त्याने वीरवतीला सांगितले की चंद्र बाहेर आला आहे, तिला अर्घ्य दिल्यावर तू भोजन करू शकतेस. बहिणीने आनंदाने पायऱ्या चढून चंद्राला पाहून अर्घ्य दिले आणि जेवायला बसली.तिने पहिला तुकडा तोंडात टाकताच तिला शिंक आली. दुसरा तुकडा घातल्यावर त्यात केस बाहेर आले. यानंतर तिने तिसरा तुकडा तोंडात घालण्याचा प्रयत्न करताच तिला पतीच्या मृत्यूची बातमी मिळाली.त्याच्या वहिनीने त्याला असे का घडले याची सत्य माहिती दिली. करवा चौथचा उपवास चुकीच्या पद्धतीने मोडल्याबद्दल देवता त्याच्यावर नाराज आहेत. एकदा इंद्राणीची पत्नी इंद्राणी करवाचौथच्या दिवशी पृथ्वीवर आली आणि वीरावती त्याच्याकडे गेली आणि तिच्या पतीच्या संरक्षणासाठी प्रार्थना केली. देवी इंद्राणीने वीरवतीला पूर्ण भक्तिभावाने आणि कर्मकांडाने करवा चौथ व्रत करण्यास सांगितले. यावेळी वीरवतीने करवा चौथचे व्रत पूर्ण भक्तिभावाने ठेवले. तिची भक्ती आणि भक्ती पाहून भगवंत प्रसन्न झाले आणि वीरवती सदासुहागनला तिच्या पतीला जिवंत करण्याचा आशीर्वाद दिला. तेव्हापासून महिलांची करवा चौथ व्रतावर अतूट श्रद्धा सुरू झाली.Karwa Chauth Vrat Katha Book PDFHere you can download the करवा चौथ व्रत कथा मराठी PDF/ Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi by click on the link given below.#करव #चथ #वरत #कथ #मरठ #Karwa #Chauth #Vrat #Katha #PDF #MarathiThe post करवा चौथ व्रत कथा मराठी | Karwa Chauth Vrat Katha PDF in Marathi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha PDF in Telugu
అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha PDF Detailsఅట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha KathaPDF Nameఅట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha PDFNo. of Pages6PDF Size1.24 MBLanguageTeluguCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha Telugu PDF SummaryDear readers, here we are offering అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF / Atla Taddi Vratha Katha PDF in Telugu to you. It is one of the most popular festivals in Southern parts of India. There are many people all around the world who celebrate this festival and perform Gauri Pujan on this day. The same festival is known as Karwa Chauth in North India.అవివాహిత యువతలు మంచి భర్త రావాలని పూజిస్తే, వివాహితులు మంచి భర్త దొరికినందుకు, అతడు ఆరోగ్యంగా ఉండాలని కోరుకుంటారు. సాధారణంగా వివాహమైన తర్వాత పదేళ్లపాటు తప్పనిసరిగా ఈ పూజను చేసి, సమాప్తం అయిందనడానికి గుర్తుగా ఉద్యాపన చేస్తారు. అంటే చివరిసారి పూజచేసి ముత్తైదవులను పిలిచి వాయినాలిచ్చి కన్నుల పండువగా ముగిస్తారు.త్రిలోక సంచారి నారదుడి ప్రోద్బలంతో శివుని తన పతిగా పొందడానికి పార్వతిదేవి తొలుత చేసిన విశిష్టమైన వ్రతమే ఈ అట్లతద్ది. స్త్రీలు సౌభాగ్యం కోసం చేసుకొనే వ్రతం.అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha PDF in Teluguఅట్ల తద్ది రోజున తెల్లవారుజామునే మేల్కొని తలంటి స్నానమాచరించాలి.ఉపవాసం ఉండి ఇంట్లో తూర్పు దిక్కున మండాపాన్ని ఏర్పాటు చేసి గౌరీదేవిని పూజించాలి. ధూప, దీప, నైవేద్యాలు సమర్పించి, వినాయక పూజ తర్వాత గౌరీ స్తోత్రం, శ్లోకాలు పఠించాలి. సాయంత్రం చంద్రదర్శనం అనంతరం తిరిగి గౌరీపూజచేసి 10 అట్లు నైవేద్యంగాపెట్టాలి. అనంతరం ముత్తైదువులకు అలంకరించి పది అట్లు, పది పండ్లు వాయినంగా సమర్పిస్తారు. అట్లతద్ది నోము కథ చెప్పుకొని, అక్షతలు వేసుకోవాలి. ముత్తైదువులకు నల్లపూసలు, లక్కకోళ్లు, రవిక గుడ్డలు, దక్షిణ తాంబూలాలు ఇచ్చి భోజనాలుపెట్టి తామూ భోజనం చేయాలి.You may also like :Atla Taddi Pooja Vidhanam PDF in TeluguYou can download అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF / Atla Taddi Vratha Katha PDF in Telugu by clicking on the following download button.#అటలతదద #వరత #కథ #PDF #Atla #Taddi #Vratha #Katha #PDF #TeluguThe post అట్లతద్ది వ్రత కథ PDF | Atla Taddi Vratha Katha PDF in Telugu appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF in Hindi
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----kojagari-lakshmi-puja-katha-593.jpg">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha</a>PDF Name<b>कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कोजागिरी पौर्णिमा व्रत कथा | Kojagari Lakshmi Puja Katha Hindi PDF Summaryहिन्दू धर्म में कोजागिरी पौर्णिमा का बहुत अधिक महत्व है। इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा – आराधना तथा व्रत आदि किया जाता है। देवी लक्ष्मी का महत्व तो आप सभी जानते ही होंगे। उनकी कृपा के बिना व्यक्ति के जीवन में किसी भी प्रकार का भौतिक सुख नहीं रह सकता। देवी लक्ष्मी धन – वैभव आदि को नियंत्रित करती हैं।जिन लोगों के घर में दुःख – दारिद्य ने डेरा डाल रखा हो, उन्हें कोजागिरी पौर्णिमा का व्रत अवश्य करना चाहिए ताकि वह अपने जीवन को सुचारु रूप से चला सकें तथा जीवन में आने वाली आर्थिक समस्याओं से बच सकें। यदि आप भी अपने घर में इस व्रत का आयोजन कर रहें हैं तो कोजागिरी व्रत कथा का पठन – पाठन अवश्य करें।कोजागरी व्रत कथा / Kojagari Lakshmi Puja Vrat Kathaपौराणिक कथा के अनुसार एक साहुकार को दो पुत्रियां थीं। दोनो पुत्रियां पूर्णिमा का व्रत रखती थीं, लेकिन बड़ी पुत्री पूरा व्रत करती थी और छोटी पुत्री अधूरा व्रत करती थी। व्रत अधूरा रहने के कारण छोटी पुत्री की संतान पैदा होते ही मर जाती थी। अपना दुख जब उसने पंडित को बताया तो उन्होंने बताया कि व्रत अधूरा रखने के कारण ऐसा होता है तुम यदि पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक करने से तुम्हारी संतान जीवित रह सकती है।इसके बाद उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत विधिपूर्वक किया और इसके पुण्य से उसे संतान की प्राप्ति हुई, लेकिन वह भी कुछ दिनों बाद मर गया। उसने लड़के को एक पीढ़ा पर लेटा कर ऊपर से कपड़ा ढंक दिया और फिर बड़ी बहन को बुला कर घर ले आई और बैठने के लिए वही पीढ़ा दे दिया। बड़ी बहन जब उस पर बैठने लगी जो उसका लहंगा बच्चे का छू गया। बच्चा लहंगा छूते ही रोने लगा। तब बड़ी बहन ने कहा कि तुम मुझे कलंक लगाना चाहती थी। मेरे बैठने से यह मर जाता। तब छोटी बहन बोली कि यह तो पहले से मरा हुआ था। तेरे ही भाग्य से यह जीवित हो गया। तेरे पुण्य से ही यह जीवित हुआ है। उसके बाद नगर में उसने पूर्णिमा का पूरा व्रत करने का ढिंढोरा पिटवा दिया। तब से ये दिन एक उत्सव के रुप में मनाया जाने लगा और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाने लगी। कोजागरी पूर्णिमा पूजा विधिइस दिन पीतल, चांदी, तांबे या सोने से बनी देवी लक्ष्मी की प्रतिमा को कपड़े से ढंककर पूजा की जाती है। सुबह देवी की पूजा करने के बाद रात में चंद्रोदय के बाद फिर से की जाती है। इस दिन रात 9 बजे के बाद चांदी के बर्तन में खीर बना कर चांद के निकलते ही आसमान के नीचे रख देनी चाहिए। इसके पश्चात रात्रि में देवी के समक्ष घी के दीपक जला दें। इसके बाद देवी के मंत्र, आरती और विधिवत पूजन करना चाहिए। कुछ समय बाद चांद की रोशनी में रखी हुई खीर का देवी लक्ष्मी को भोग लगाकर उसमें से ही ब्राह्मणों को प्रसाद स्वरूप दान देना चाहिए। अगले दिन माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का पारण करना चाहिए। कोजागिरी पौर्णिमा पूजा मुहूर्तकोजागर पूजा मंगलवार, अक्टूबर 19, 2021 कोकोजागर पूजा निशिता काल – 11:41 पी एम से 12:31 ए एम, अक्टूबर 20अवधि – 00 घण्टे 51 मिनट्सकोजागर पूजा के दिन चन्द्रोदय – 05:20 पी एमपूर्णिमा तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 19, 2021 को 07:03 पी एम बजेपूर्णिमा तिथि समाप्त – अक्टूबर 20, 2021 को 08:26 पी एम बजे<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/kojagari-lakshmi-puja-vidhi-hindi/">कोजागरी व्रत विधि | Kojagari Lakshmi Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download Kojagari Lakshmi Puja Katha PDF by clicking on the following download button. </strong>#कजगर #परणम #वरत #कथ #Kojagari #Lakshmi #Puja #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a5%8b%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%97%e0%a4%bf%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%aa%e0%a5%8c%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%a3%e0%a4%bf%e0%a4%ae%e0%a4%be-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95">कोजागिरी पौर्णिमा व्रत…
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----vijayadashami-dussehra-katha-987.jpg">विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha</a>PDF Name<b>विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.52 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Dussehra Katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं विजयादशमी की कथा PDF / Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi नमस्कार मित्रों, इस लेख के माध्यम से आप विजयादशमी के महत्व के बारे में जान सकते हैं। विजयादशमी के दिन श्री राम जी कर पूजन करने से व्यक्ति के जीवन में आने वाले समस्त प्रकार के कष्ट दूर हो जाते हैं। विजयादशमी दशहरा पूजन की सम्पन्नता के लिए विजयादशमी की कथा का बहुत अधिक महत्व है। बिना विजयादशमी कथा पढ़े दशहरा पूजन संपन्न नहीं माना जाता है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप विजयादशमी की कथा | Vijayadashami Vrat Katha बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस कथा के माध्यम से आप यह जान सकते हैं की विजयादशमी का व्यक्ति के जीवन पर क्या प्रभाव होता तथा इस दिन पूजन करने से आप अपने जीवन में क्या – क्या परिवर्तन कर सकते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई तथा अन्धकार पर प्रकाश की विजय का प्रतीक है। आप भी अपने परिवार के साथ दशहरा पर पूजन अवश्य करें।दशहरा व्रत कथा PDF | Dussehra Vrat Katha PDF in Hindiएक बार माता पार्वती ने शिवजी से विजयादशमी के फल के बारे में पूछा। शिवजी ने उत्तर दिया- आश्विन शुक्ल दशमी को सायंकाल में तारा उदय होने के समय विजय नामक काल होता है जो सर्वमनोकामना पूरी करने वाला होता है। इस दिन श्रवण नक्षत्र का संयोग हो तो और भी शुभ हो जाता है। भगवान राम ने इसी विजय काल में लंकापति रावण को परास्त किया था। इसी काल में शमी वृक्ष ने अर्जुन के गांडीव धनुष को धारण किया था।पार्वती माता ने पूछा शमी वृक्ष ने अर्जुन का धनुष कब और किस प्रकार धारण किया था। शिवजी ने उत्तर दिया- दुर्योधन ने पांडवों को जुएं में हराकर 12 वर्ष का वनवास तथा तेरहवें वर्ष में अज्ञात वास की शर्त रखी थी। तेरहवें वर्ष में यदि उनका पता लग जाता तो उन्हें पुन: 12 वर्ष का वनवास भोगना पड़ता। इसी अज्ञातवास में अर्जुन ने अपने गांडीव धनुष को शमी वृक्ष पर छुपाया था तथा स्वयं बृहन्नला के वेश में राजा विराट के पास सेवा दी थी। जब गौ रक्षा के लिए विराटके पुत्र कुमार ने अर्जुन को अपने साथ लिया तब अर्जुन ने शमी वृक्ष पर से अपना धनुष उठाकर शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी। विजयादशमी के दिन रामचंद्रजी ने लंका पर चढ़ाई करने के लिए प्रस्थान करते समय शमी वृक्ष ने रामचंद्रजी की विजय का उद्घोष किया था। इसीलिए दशहरे के दिन शाम के समय विजय काल में शमी का पूजन होता है।विजयादशमी पूजा मुहूर्त  / Vijayadashami Puja Muhurat 2021विजयदशमी शुक्रवार, अक्टूबर 15, 2021 कोविजय मुहूर्त – 02:02 पी एम से 02:48 पी एमअवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्सबंगाल विजयदशमी शुक्रवार, अक्टूबर 15, 2021 कोअपराह्न पूजा का समय – 01:16 पी एम से 03:34 पी एमअवधि – 02 घण्टे 18 मिनट्सदशमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2021 को 06:52 पी एम बजेदशमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 15, 2021 को 06:02 पी एम बजेश्रवण नक्षत्र प्रारम्भ – अक्टूबर 14, 2021 को 09:36 ए एम बजेश्रवण नक्षत्र समाप्त – अक्टूबर 15, 2021 को 09:16 ए एम बजेविजयादशमी पूजा विधि PDF / Vijayadashami Puja Vidhi PDF in Hindiदशहरा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वस्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।फिर सभी शस्त्रों को पूजा के लिए एक जगह रख दें।अब सभी पर गंगाजल छिड़ककर पवित्र करें।फिर हल्दी या कुमकुम से तिलकर लगाकर पुष्प अर्पित करें।फूलों के साथ शमी के पत्ते भी चढ़ाएं।<strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/dussehra-puja-vidhi-hindi/">दशहरा पूजा विधि | Dussehra Puja Vidhi PDF in Hindi</a><strong>You can download विजयादशमी की कथा PDF / Vijayadashami Dussehra Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#वजयदशम #क #कथ #Vijayadashami #Dussehra #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%9c%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%a6%e0%a4%b6%e0%a4%ae%e0%a5%80-%
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF in Hindi
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----maa-siddhidatri-ki-katha-619.jpg">सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha</a>PDF Name<b>सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.44 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सिद्धिदात्री माता की कथा PDF / Maa Siddhidatri Katha PDF सिद्धिदात्री माता की पूजा नवरात्रि के अंतिम दिन नवमी पर की जाती है। नवरात्रि नवमी के दिन माँ सिद्धिदात्री के लिए व्रत भी किया जाता है। यह दिन उन साधकों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, जो किसी भी प्रकार की सिद्धि अथवा साधना करना चाहते हैं। जैसा कि माँ सिद्धिदात्री का नाम है, वह विभिन्न प्रकार की सिद्धियों को प्रदान करने वाली हैं।हमने इस लेख के अंत में माता सिद्धिदात्री की व्रत कथा का वर्णन किया है तथा उसको पीडीऍफ़ फाइल के रूप में भी दिया गया है। यदि आप नवमी के दिन माता सिद्धिदात्री की पूजा करना चाहते हैं, तो इस व्रत कथा को अवश्य पढ़ें तथा माता को प्रसन्न करें। माता सिद्धिदात्री के पूजन के साथ ही नवरात्रि महोत्सव का समापन हो जाता है।माँ सिद्धिदात्री की कथा PDF / Siddhidatri Mata Katha PDFएक पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान शिव ने मां सिद्धिदात्री की कठोर तपस्या कर आठों सिद्धियों को प्राप्त किया था। साथ ही मां सिद्धिदात्री की कृपा ने भगवान शिव का आधा शरीर देवी हो गया था और वह अर्धनारीश्वर कहलाए। मां दुर्गा का यह अत्यंत शक्तिशाली स्वरूप है। शास्त्रों के अनुसार, देवी दुर्गा का यह स्वरूप सभी देवी-देवताओं के तेज से प्रकट हुआ है। कहते हैं कि दैत्य महिषासुर के अत्याचारों से परेशान होकर सभी देवतागणम भगवान शिव और प्रभु विष्णु के पास गुहार लगाने गए थे। तब वहां मौजूद सभी देवतागण से एक तेज उत्पन्न हुआ। उस तेज से एक दिव्य शक्ति का निर्माण हुआ। जिन्हें मां सिद्धिदात्री के नाम से जाते हैं।पौराणिक मान्यता के अनुसार मां सिद्धिदात्री के पास अणिमा, महिमा, गरिमा, लघिमा, प्राप्ति, प्राकाम्य, ईशित्व और वशित्व सिद्धियां हैं। माता रानी अपने भक्तों को सभी आठों सिद्धियों से पूर्ण करती हैं। मां सिद्धिदात्री को जामुनी या बैंगनी रंग अतिप्रिय है। ऐसे में भक्त को नवमी के दिन इसी रंग के वस्त्र धारण कर मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना करनी चाहिए। मान्यता है कि ऐसा करने से माता की हमेशा कृपा बनी रहती हैं।आठ सिद्धियों के नामअणिमामहिमागरिमालघिमाप्राप्तिप्राकाम्यईशित्ववशित्वमाँ सिद्धिदात्री का श्लोकया देवी सर्वभू‍तेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता।नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।माँ सिद्धिदात्री आरती PDF / Maa Siddhidatri Ki Aarti PDF in Hindiजय सिद्धिदात्री मां तू सिद्धि की दाता।तू भक्तों की रक्षक तू दासों की माता।तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि।तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि।।कठिन काम सिद्ध करती हो तुम।जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम।तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।तू जगदंबे दाती तू सर्व सिद्धि है।।रविवार को तेरा सुमिरन करे जो।तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो।तू सब काज उसके करती है पूरे।कभी काम उसके रहे ना अधूरे।।तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया।सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली।जो है तेरे दर का ही अंबे सवाली।।हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा।महा नंदा मंदिर में है वास तेरा।मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता।भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता।।<strong>You can download सिद्धिदात्री माता की कथा PDF / Maa Siddhidatri Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#सदधदतर #मत #क #कथ #Maa #Siddhidatri #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a5%8d%e0%a4%a7%e0%a4%bf%e0%a4%a6%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a5%80-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-maa-s">सिद्धिदात्री माता की कथा | Maa Siddhidatri Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/author/
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/-----durga-ashtami-vrat-katha-347.jpg">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha</a>PDF Name<b>दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.72 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha Hindi PDF SummaryToday we are going to share दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi with you. Durga Ashtami is one of the most popular festivals in India. There are many people who observe the Ashtami fast and end the fast of Navratri on this day. You can praise Goddess Durga by doing fast on this day and seek her blessings for you and your family. Goddess Durga is the most worshipped goddess in India. In this article, we have given the download link for नवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDFIf you also want to seek the blessings of Goddess Durga by observing the fast of Durga Ashtami. There are few things you should remember while observing this fast. You should recite the Durga Ashtami Vrat Katha for the completion of your fast.दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindiपौराणिक कथा के अनुसार मासिक दुर्गा अष्टमी के दिन के लिए मान्यता है कि दुर्गम नाम के क्रूर राक्षस ने अपनी क्रूरता से तीनों लोकों को पर अत्याचार किया हुआ था। उसके आतंक के कारण सभी देवता स्वर्ग छोड़कर कैलाश चले गए थे। दुर्गम राक्षस को वरदान था कि कोई भी देवता उसका वध नहीं कर सकता, सभी देवता ने भगवान शिव से विनती कि वो इस परेशानी का हल निकालें। इसके बाद ब्रह्मा, विष्णु और शिव ने अपनी शक्तियों को मिलाकर शुक्ल पक्ष की अष्टमी के दिन देवी दुर्गा को जन्म दिया। इसके बाद माता दुर्गा को सबसे शक्तिशाली हथियार दिया गया और राक्षस दुर्गम के साथ युद्ध छेड़ दिया गया। जिसमें माता ने राक्षस का वध कर दिया और इसके बाद से दुर्गा अष्टमी की उत्पति हुई। इसलिए दुर्गा अष्टमी के दिन शस्त्र पूजा का भी विधान है।अष्टमी पूजा का शुभ मुहूर्त / Durga Puja Muhurat 2021दुर्गा अष्टमी बुधवार, अक्टूबर 13, 2021 कोअष्टमी तिथि प्रारम्भ – अक्टूबर 12, 2021 को 09:47 पी एम बजेअष्टमी तिथि समाप्त – अक्टूबर 13, 2021 को 08:07 पी एम बजेअष्टमी कन्या पूजन शुभ मुहूर्तनवरात्रि अष्टमी शुभ मुहूर्त: अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM तक और ब्रह्म मुहूर्त– 04:41 AM से 05:31 AM तक है।कैसे करें कन्या पूजन ?कन्या पूजन कोई घर पर तो कोई मंदिर में जाकर करता है।शास्त्रों के अनुसार 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को कंजक पूजा के लिए आमंत्रित करना चाहिए।कन्या पूजन में एक बालक का होना भी जरूरी माना जाता है।कन्या पूजन वाले दिन सबसे पहले माता अम्बे की विधि विधान पूजा कर लें।इसके बाद कन्याओं और बालक के साफ जल से पैर धोएं।फिर कन्याओं और बालक को विराजने के लिए आसन दें।फिर मां दुर्गा के समक्ष दीपक प्रज्वलित करें और सभी कन्याओं और एक बालक को तिलक लगाएं और हाथ में कलावा बांधें।इसके बाद बालक और कन्याओं को भोजन परोसें।भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा या उपहार दें।फिर सभी कन्याओं के पैर छूकर उनका आशीर्वाद प्राप्त कर उन्हें सम्मान के साथ विदा करें।अष्टमी दिन का चौघड़िया मुहूर्तलाभ – 06:26 AM से 07:53 PM
अमृत – 07:53 AM से 09:20 PM
शुभ – 10:46 AM से 12:13 PM
लाभ – 16:32 AM से 17:59 PMनवरात्री अष्टमी व्रत कथा PDF | Navratri Ashtami Vrat Katha PDF<strong>You can download दुर्गा अष्टमी व्रत कथा PDF | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#दरग #अषटम #वरत #कथ #Durga #Ashtami #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a6%e0%a5%81%e0%a4%b0%e0%a5%8d%e0%a4%97%e0%a4%be-%e0%a4%85%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-durga-ashtami-vrat-kath">दुर्गा अष्टमी व्रत कथा | Durga Ashtami Vrat Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://w…
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-724.jpg">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi</a>PDF Name<b>कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.34 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF to help you. The story of Mata Katyayani is done on the sixth day of Navratri. According to mythology, there was a Maharishi Katyayana who had no daughter. One day he did severe penance with the desire to have Bhagwati Jagadamba as his daughter. Mother Jagadamba was pleased with her severe penance and she was born as Mata Katyayani to Maharishi Katyayan and became famous as Maa Katyayani. Below we have provided the download link for कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF / Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi.Maa Katyayani, who was born as a daughter to Maharishi Katyayan, was a very virtuous girl. There was no virtuous, beautiful and knowledgeable girl like him in the whole world.कात्यायनी माता कथा PDF | Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindiपौराणि कथा के अनुसार महार्षि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। मां का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में ही हुआ था। मां का लालन पोषण कात्यायन ऋषि ने ही किया था। पुराणों के अनुसार जिस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था। उस समय त्रिदेवों के तेज से मां की उत्पत्ति हुई थी। मां ने ऋषि कात्यायन के यहां अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने उनका तीन दिनों तक पूजन किया था।मां ने दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत किया थाइसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने भी स्वर्गलोक पर आक्रमण करके इंद्र का सिंहासन छिन लिया था और नवग्रहों को बंधक बना लिया था। अग्नि और वायु का बल पूरी तरह उन्होंने छीन लिया था। उन दोनों ने देवताओं का अपमान करके उन्हें स्वर्ग से निकल दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने मां की स्तुति की इसके बाद मां ने शुंभ और निशुंभ का भी वध करके देवताओं को इस संकट से मुक्ति दिलाई थी। क्योंकि मां ने देवताओं को वरदान दिया था कि वह संकट के समय में उनकी रक्षा अवश्य करेंगी।कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF | Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindiमां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है। साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।पूजा शुरु करने से पहले हाथ में फूल लेकर या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें। उनकी कथा अवश्य सुने।अंत में मां की आरती उतारें और इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं। क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है । भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#कतययन #मत #कथ #Maa #Katyayani #Vrat #Katha #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-pdf-in-hindi">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a …
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF Detailsमाँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja VidhiPDF Nameमाँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDFLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF SummaryHere we are going to upload the माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF / Maa Kushmanda Devi Katha PDF in Hindi for our daily users. Maa Kushmanda is worshiped on the fourth day of Navratri. This goddess is known as Kushmanda because of her slow, mild laughter causing the egg, that is, the universe. She is called the mother who removes sorrows. The Sun is considered their abode. Therefore, behind this form of mother, the radiance of the sun is shown. He has eight hands and rides on a lion. Below we have provided the download link for कुष्मांडा देवी पूजा विधि PDF / Kushmanda Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi.The radiance and radiance of his body are equally as radiant as the sun. Worshiping Maa Kushmanda removes all the diseases and sorrows of the devotees. Their devotion increases life, fame, strength and health. Maa Kushmanda is going to be pleased with little service and devotion.माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF | Maa Kushmanda Devi Katha PDF in Hindiकूष्माण्डा देवी की आठ भुजाएं हैं, इसलिए अष्टभुजा कहलाईं। इनके सात हाथों में क्रमशः कमण्डल, धनुष, बाण, कमल-पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र तथा गदा हैं। आठवें हाथ में सभी सिद्धियों और निधियों को देने वाली जप माला है।इस देवी का वाहन सिंह है और इन्हें कुम्हड़े की बलि प्रिय है। संस्कृति में कुम्हड़े को कूष्माण्ड कहते हैं इसलिए इस देवी को कूष्माण्डा। इस देवी का वास सूर्यमंडल के भीतर लोक में है। सूर्यलोक में रहने की शक्ति क्षमता केवल इन्हीं में है। इसीलिए इनके शरीर की कांति और प्रभा सूर्य की भांति ही दैदीप्यमान है। इनके ही तेज से दसों दिशाएं आलोकित हैं। ब्रह्मांड की सभी वस्तुओं और प्राणियों में इन्हीं का तेज व्याप्त है।अचंचल और पवित्र मन से नवरात्रि के चौथे दिन इस देवी की पूजा-आराधना करना चाहिए। इससे भक्तों के रोगों और शोकों का नाश होता है तथा उसे आयु, यश, बल और आरोग्य प्राप्त होता है। ये देवी अत्यल्प सेवा और भक्ति से ही प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती हैं। सच्चे मन से पूजा करने वाले को सुगमता से परम पद प्राप्त होता है।विधि-विधान से पूजा करने पर भक्त को कम समय में ही कृपा का सूक्ष्म भाव अनुभव होने लगता है। ये देवी आधियों-व्याधियों से मुक्त करती हैं और उसे सुख-समृद्धि और उन्नति प्रदान करती हैं। अंततः इस देवी की उपासना में भक्तों को सदैव तत्पर रहना चाहिए।कूष्माण्डा देवी पूजा विधि PDF | Maa Kushmunda Devi Pooja Vidhi PDF in Hindiइस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता की पूजा करें।फिर देवी की प्रतिमा के दोनों तरफ विराजमान देवी-देवताओं की पूजा करें।इनकी पूजा के पश्चात देवी कूष्‍मांडा की पूजा करें। पूजा की विधि शुरू करने से पहले हाथों में फूल लेकर देवी को प्रणाम कर इस मंत्र ‘सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च।दधाना हस्तपद्माभ्यां कूष्‍मांडा शुभदास्तु मे।’ का ध्यान करें।इसके बाद शप्‍तशती मंत्र, उपासना मंत्र, कवच और अंत में आरती करें। आरती करने के बाद देवी मां से क्षमा प्रार्थना करना न भूलें।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप माँ कुष्मांडा देवी कथा PDF / Maa Kushmanda Devi Katha PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#म #कषमड #दव #कथ #Maa #Kushmanda #Devi #Katha #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post माँ कुष्मांडा देवी कथा | Maa Kushmanda Devi Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha PDF in Telugu
పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/polala-amavasya-vrath-katha-262.jpg">పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha</a>PDF Name<b>పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha PDF</b>No. of Pages<b>2</b>PDF Size<b>0.33 MB</b>Language<b>Telugu</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha Telugu PDF SummaryFriends, here we are going to upload the పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ PDF / Polala Amavasya Vrath Katha PDF in Telugu for our daily users. This vratha is observed on Shravana Amavasya. The people of Telangana and Andhra Pradesh performed Polala Amavasya Vratha. At the place of worship, Aliki is adorned with cow dung, a beautiful ending with rice, a kandamokka is placed there, four torahs with turmeric are placed there, first Ganesha is worshiped, then Mangalagauri Devi or Santanalakshmidevi is invoked into the kandamokka and Shodashopacharya is offered to her. In this article, we have given the download link for Polala Amavasya Vrath Katha Telugu PDF.పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ PDF | Polala Amavasya Vrath Katha Telugu PDFఅనగా అనగా ఒక ఊర్లో ఓ బ్రహ్మణమ్మ . ఆమెకు ప్రతి సంవత్సరం పిల్లలు పుడుతునారు . పోతున్నారు. పుట్టగానే పోతున్న సంతానానికి ధుఖించి ఆ బ్రహ్మణమ్మ ఊరి వెలుపల పోచక్క తల్లి చుట్టు ప్రతి ఏట పిల్లల్ని బొంద పెడుతున్నది . ఈ పొలలమావాస్యకు పుడుతున్నారు , మళ్లీ పొలలమావాస్యకి చనిపోతున్నారు . నోముకుందామని ఎవర్ని పేరంటం పిలిచినా రామంటునారు . ఈ విధంగా బాధపడుతున్న ఇల్లాలుకు మళ్లీ ఎప్పటివలె సంతానం మైనది, చనిపోయింది.ఆ పిల్లను తీసుకుని పోచమ్మ దగ్గర బొంద పెట్టేందుకు పోయింది. అప్పుడు పోచక్క తల్లి ఈ ఊర్లలో వాళంత నాకు మొక్కేందుకు వస్తారు . పాయసం , వడలు నైవేద్యం తెస్తారు . ఎడ్లకు రంగులు వేసి నెమలి పించం పెట్టి గాలి , ధూళి తగలకుండా ప్రదక్షణం చేయిస్తారు . పాలేర్లు కల్లు తెస్తారు . వాళ్ళ పెళ్ళాలు కడవలతో పానకం తెస్తారు . నువ్వెందుకు శవాలు నా చుట్టూ బొంద పెడుతున్నావని ప్రశ్నించింది .అమ్మా! పోచక్క తల్లి వేయి కళ్ళ తల్లివి నీకు తెలియనిది ఏముంది. నేను పూర్వ జన్మలో ఏ పాపం చేసానో నాకు పుట్టిన సంతానం ఎప్పటికప్పుడు మరణిస్తునారు అని బాధ పడింది. అప్పుడు పోచమ్మ తల్లి “బ్రహ్మణమ్మ పోయిన జన్మలో పొలలమావాస్య పేరంటాలు రాక ముందే పిల్లలు ఏడిస్తే ఎవరు చూడకుండా పాయసం, గారెలు పెట్టిందని , పులుసు తీపి సరిపోయిందో లేదో చవిచూసింది అని, మడి, తడి లేకుండా అన్ని అమాంగిలం చేసిందని అందుకే ఆమె పిల్లలు అలా పుట్టి పెరిగి చనిపోయినారని” చెప్పింది.తన అపరాధాన్ని తెలుసుకున్న బ్రహ్మణమ్మ పోచక్క తల్లి కాళ్ళమీద పడి తనను క్షమించమని వేడుకున్నది . అమ్మలక్కలు కలియుగం పుట్టనున్నది, పెరగన్నునది కనుక ఈ వ్రత విధానం మాకు తెలుపమని వేడుకోగా పోచక్క ఇలా తెలిపింది. “శ్రావణమాసం చివర బాధ్ర్రపదమాసం తొలుత వచ్చే అమావస్యని పొలలమావాస్య అంటారు . గోడను ఆవు పేడ పాలతో అలికి, పసుపు కుంకుమతో పొలాలు రాసి, కంద మొక్కని అమ్మగా భావించి 9 వరుసల దారంతో పసుపు కొమ్ము కట్టి, ఆ తోరం పోచక్క తల్లికి కట్టి పూజ చేయాలి.9 వరుసల తోరం పేరంటాలకి ఇచ్చి మనము కట్టించుకోవాలి . పిండి వంటలు నైవేద్యం చేసి అమ్మకి నివేదన చేయాలి . భోజనం అనంతరం తాంబూలం దక్షిణ శక్తి కొలది సమర్పించాలి . ఇలా చేస్తే పిల్లలు మృత్యువాత పడకుండా కలరా, మలేరియా , మశూచి మొదలైన వ్యాధులు రాకుండా పోచక్క తల్లి కాపాడుతుందని ” చెప్పింది. ఈ విధంగా బ్రహ్మణమ్మ ఈ వ్రతంని చేసి తన చనిపోయిన సంతానంని తిరిగిపొందింది.<strong>Here you can download the పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ PDF / Polala Amavasya Vrath Katha PDF in Telugu language by click on the link given below.</strong>#పలల #అమవసయ #వరత #కథ #Polala #Amavasya #Vrath #Katha #PDF #TeluguThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%b0%aa%e0%b1%8a%e0%b0%b2%e0%b0%be%e0%b0%b2-%e0%b0%85%e0%b0%ae%e0%b0%be%e0%b0%b5%e0%b0%be%e0%b0%b8%e0%b1%8d%e0%b0%af-%e0%b0%b5%e0%b1%8d%e0%b0%b0%e0%b0%a4-%e0%b0%95%e0%b0%a5-polala-amavasya-vrath-k">పొలాల అమావాస్య వ్రత కథ | Polala Amavasya Vrath Katha PDF in Telugu</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="ht…
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/06/small/som-pradosh-vrat-katha-217.jpg">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha</a>PDF Name<b>सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF</b>No. of Pages<b>6</b>PDF Size<b>0.57 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सोम प्रदोष व्रत कथा PDF / Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi जिसमे आपको बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat) कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं। यहाँ से आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा पीडीऍफ़ हिंदी भाषा में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस बार सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat Katha ) 7 जून, सोमवार के दिन पड़ रहा है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बताई गई है। प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF | सोम प्रदोष व्रत कथा PDFपौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।Som Pradosh Vrat Subh Muhurt | सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट सेत्रयोदशी तिथि का समापन – 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनटपूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तकSom Pradosh Vrat Pooja Vidhi | सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए।  इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए। इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा PDF हिंदी भाषा में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#सम #परदष #वरत #कथ #Som #Pradosh #Vrat #katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a5%8b%e0%a4%ae-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%b7-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-som-pradosh-vrat-katha-pdf-in-hindi-2">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a hr…
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/----jivitputrika-vrat-katha-312.jpg">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha</a>PDF Name<b>जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.58 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, प्रस्तुत लेख में हम अपने पाठकों के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत कथा प्रस्तुत कर रहे हैं। जिवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को जितिया, जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर मातायें संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए जीवितपुत्रिका व्रत रखती हैं।हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत का प्रथम दिन अर्थात स्नान होता है। अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। हमने अपने पाठकों के लिए इस लेख के अंत में जीवित्पुत्रिका व्रत कथा इन हिंदी pdf का डाउनलोड लिंक फिया है जिसके माध्यम से आप इस कथा को पढ़ सकते हैं तथा इस व्रत का पालन कर सकते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत कथा बुक पीडीएफ / Jivitputrika Vrat Katha Book in Hindi PDFबहुत समय पहले की बात है कि गंधर्वों के एक राजकुमार हुआ करते थे जिनका नाम था जीमूतवाहन। बहुत ही पवित्र आत्मा, दयालु व हमेशा परोपकार में लगे रहने वाले जीमूतवाहन को राज पाट से बिल्कुल भी लगाव न था। लेकिन पिता कब तक संभालते। वानप्रस्थ लेने के पश्चात वे सबकुछ जीमूतवाहन को सौंपकर चलने लगे। लेकिन जीमूतवाहन ने तुरंत अपनी तमाम जिम्मेदारियां अपने भाइयों को सौंपते हुए स्वयं वन में रहकर पिता की सेवा करने का मन बना लिया। अब एक दिन वन में भ्रमण करते-करते जीमूतवाहन काफी दूर निकल आया। उसने देखा कि एक वृद्धा काफी विलाप कर रही है। जीमूतवाहन से कहा दूसरों का दुख देखा जाता था उसने सारी बात पता लगाई तो पता चला कि वह एक नागवंशी स्त्री है और पक्षीराज गरुड़ को बलि देने के लिये आज उसके इकलौते पुत्र की बारी है।जीमूतवाहन ने उसे धीरज बंधाया और कहा कि उसके पुत्र की जगह पर वह स्वयं पक्षीराज का भोजन बनेगा। अब जिस वस्त्र में उस स्त्री का बालक लिपटा था उसमें जीमूतवाहन लिपट गया। जैसे ही समय हुआ पक्षीराज गरुड़ उसे ले उड़ा। जब उड़ते उड़ते काफी दूर आ चुके तो पक्षीराज को हैरानी हुई कि आज मेरा यह भोजन चीख चिल्ला क्यों नहीं रहा है इसे जरा भी मृत्यु का भय नहीं है। अपने ठिकाने पर पंहुचने के पश्चात उसने जीमूतवाहन का परिचय लिया। जीमूतवाहन ने सारा किस्सा कह सुनाया। पक्षीराज जीमूतवाहन की दयालुता व साहस से प्रसन्न हुए व उसे जीवन दान देते हुए भविष्य में भी बलि न लेने का वचन दिया। मान्‍यता है क‍ि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्‍याण के  ये व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि / Jivitputrika Vrat Katha Vidhi in Hindi PDFसुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इस पूजा के लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत के जौरान मिट्टी में गाय का गोबर मिलाकर उससे चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। इन दोनों मूर्तियों के माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद अपने हिसाब से दान और दक्षिणा भी देना चाहिए। मान्यता है कि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद गाय के दूध से ही करना चाहिए। <strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/jitiya-vrat-katha/">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> जीवित्पुत्रिका व्रत कथा हिंदी pdf प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।The Jivitputrika Vrat Katha in Hindi download pdf link is given below, you can download it by clicking on the following download button.#जवतपतरक #वरत #कथ #Jivitputrika #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/jitiya-vrat-katha-227.jpg">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha</a>PDF Name<b>जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.37 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha Hindi PDF SummaryIn this article, we have uploaded the Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF for our users. Jivitputrika Vrat is observed on Ashtami Tithi of Krishna Paksha of Ashwin month. This year it will start from 28th September to 30th September. This fast is also called Jiutiya, Jitiya, Jivitputrika or Jimutavahana Vrat. This fast lasts for three days. Mothers keep Jivitputrika Vrat for the attainment of children and for their long life. According to the Hindu calendar, every year on the Ashtami date of Ashwin month, the first day of Jitiya Vrat i.e. takes a bath. Nirjala fast is observed on the next day. Below we have given the download link for Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi / जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF.जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindiगन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे। युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा। इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है। नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया। गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला। जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया।Jitiya Vrat Pooja Vidhi in Hindi PDF | जितिया व्रत पूजा विधिसप्तमी का दिन नहाई खाय के रूप में मनाया जाता है तो अष्टमी को निर्जला उपवास रखना होता है। व्रत का पारण नवमी के दिन किया जाता है। वहीं अष्टमी को सांय प्रदोषकाल में संतानशुदा स्त्रियां जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं। श्रद्धा व सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा भी दी जाती है।इस दिन सूर्यास्त से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप लें। इसके बाद एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें। इसके बाद दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं। अब अपनी श्रद्धानुसार उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं। दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें या सुनें।जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 शुभ मुहूर्तजितिया व्रत- 29 सितंबर
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। <strong>You may also like:</strong><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-katha/">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> <strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#जतय #वरत #कथ #Jitiya #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0