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कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-724.jpg">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi</a>PDF Name<b>कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.34 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi Hindi PDF SummaryIn this article, we are going to share Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF to help you. The story of Mata Katyayani is done on the sixth day of Navratri. According to mythology, there was a Maharishi Katyayana who had no daughter. One day he did severe penance with the desire to have Bhagwati Jagadamba as his daughter. Mother Jagadamba was pleased with her severe penance and she was born as Mata Katyayani to Maharishi Katyayan and became famous as Maa Katyayani. Below we have provided the download link for कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF / Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindi.Maa Katyayani, who was born as a daughter to Maharishi Katyayan, was a very virtuous girl. There was no virtuous, beautiful and knowledgeable girl like him in the whole world.कात्यायनी माता कथा PDF | Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindiपौराणि कथा के अनुसार महार्षि कात्यायन ने मां आदिशक्ति की घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर मां ने उन्हें उनके यहां पुत्री रूप में जन्म लेने का वरदान दिया था। मां का जन्म महार्षि कात्यान के आश्राम में ही हुआ था। मां का लालन पोषण कात्यायन ऋषि ने ही किया था। पुराणों के अनुसार जिस समय महिषासुर नाम के राक्षस का अत्याचार बहुत अधिक बढ़ गया था। उस समय त्रिदेवों के तेज से मां की उत्पत्ति हुई थी। मां ने ऋषि कात्यायन के यहां अश्विन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी के दिन जन्म लिया था। इसके बाद ऋषि कात्यायन ने उनका तीन दिनों तक पूजन किया था।मां ने दशमी तिथि के दिन महिषासुर का अंत किया थाइसके बाद शुम्भ और निशुम्भ ने भी स्वर्गलोक पर आक्रमण करके इंद्र का सिंहासन छिन लिया था और नवग्रहों को बंधक बना लिया था। अग्नि और वायु का बल पूरी तरह उन्होंने छीन लिया था। उन दोनों ने देवताओं का अपमान करके उन्हें स्वर्ग से निकल दिया था। इसके बाद सभी देवताओं ने मां की स्तुति की इसके बाद मां ने शुंभ और निशुंभ का भी वध करके देवताओं को इस संकट से मुक्ति दिलाई थी। क्योंकि मां ने देवताओं को वरदान दिया था कि वह संकट के समय में उनकी रक्षा अवश्य करेंगी।कात्यायनी देवी पूजा विधि PDF | Katyayani Devi Pooja Vidhi PDF in Hindiमां कात्यायनी की पूजा करने से पहले साधक को शुद्ध होने की आवश्यकता है। साधक को पहले स्नान करके साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।इसके बाद पहले कलश की स्थापना करके सभी देवताओं की पूजा करनी चाहिए। उसके बाद ही मां कात्यायनी की पूजा आरंभ करनी चाहिए।पूजा शुरु करने से पहले हाथ में फूल लेकर या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ मंत्र का जाप करते हुए फूल को मां के चरणों में चढ़ा देना चाहिए।इसके बाद मां को लाल वस्त्र,3 हल्दी की गांठ,पीले फूल, फल, नैवेध आदि चढाएं और मां कि विधिवत पूजा करें। उनकी कथा अवश्य सुने।अंत में मां की आरती उतारें और इसके बाद मां को शहद से बने प्रसाद का भोग लगाएं। क्योंकि मां को शहद अत्याधिक प्रिय है । भोग लगाने के बाद प्रसाद का वितरण करें।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Maa Katyayani Devi Vrat Katha PDF in Hindi / कात्यायनी माता कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#कतययन #मत #कथ #Maa #Katyayani #Vrat #Katha #Pooja #Vidhi #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%95%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a5%8d%e0%a4%af%e0%a4%be%e0%a4%af%e0%a4%a8%e0%a5%80-%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%a4%e0%a4%be-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-maa-katyayani-vrat-katha-pooja-vidhi-pdf-in-hindi">कात्यायनी माता कथा | Maa Katyayani Vrat Katha & Pooja Vidhi PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a …
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/06/small/som-pradosh-vrat-katha-217.jpg">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha</a>PDF Name<b>सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF</b>No. of Pages<b>6</b>PDF Size<b>0.57 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं सोम प्रदोष व्रत कथा PDF / Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi जिसमे आपको बहुत कुछ पढ़ने को मिलेगा। प्रदोष व्रत भगवान शिव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव के साथ माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। प्रदोष का दिन जब सोमवार को आता है तो उसे सोम प्रदोष (Som Pradosh Vrat) कहते हैं, मंगलवार को आने वाले प्रदोष को भौम प्रदोष कहते हैं और जो प्रदोष शनिवार के दिन आता है उसे शनि प्रदोष कहते हैं। यहाँ से आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा पीडीऍफ़ हिंदी भाषा में बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं।इस बार सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat Katha ) 7 जून, सोमवार के दिन पड़ रहा है। हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत की काफी महिमा बताई गई है। प्रदोष व्रत भोलेशंकर भगवान शिव को समर्पित माना जाता है।Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF | सोम प्रदोष व्रत कथा PDFपौराणिक कथा के अनुसार एक नगर में एक ब्राह्मणी रहती थी। उसके पति का स्वर्गवास हो गया था। उसका अब कोई सहारा नहीं था इसलिए वह सुबह होते ही वह अपने पुत्र के साथ भीख मांगने निकल पड़ती थी। वह खुद का और अपने पुत्र का पेट पालती थी।एक दिन ब्राह्मणी घर लौट रही थी तो उसे एक लड़का घायल अवस्था में कराहता हुआ मिला। ब्राह्मणी दयावश उसे अपने घर ले आई। वह लड़का विदर्भ का राजकुमार था। शत्रु सैनिकों ने उसके राज्य पर आक्रमण कर उसके पिता को बंदी बना लिया था और राज्य पर नियंत्रण कर लिया था इसलिए वह मारा-मारा फिर रहा था। राजकुमार ब्राह्मण-पुत्र के साथ ब्राह्मणी के घर रहने लगा।एक दिन अंशुमति नामक एक गंधर्व कन्या ने राजकुमार को देखा तो वह उस पर मोहित हो गई। अगले दिन अंशुमति अपने माता-पिता को राजकुमार से मिलाने लाई। उन्हें भी राजकुमार पसंद आ गया। कुछ दिनों बाद अंशुमति के माता-पिता को शंकर भगवान ने स्वप्न में आदेश दिया कि राजकुमार और अंशुमति का विवाह कर दिया जाए। वैसा ही किया गया।ब्राह्मणी प्रदोष व्रत करने के साथ ही भगवान शंकर की पूजा-पाठ किया करती थी। प्रदोष व्रत के प्रभाव और गंधर्वराज की सेना की सहायता से राजकुमार ने विदर्भ से शत्रुओं को खदेड़ दिया और पिता के साथ फिर से सुखपूर्वक रहने लगा। राजकुमार ने ब्राह्मण-पुत्र को अपना प्रधानमंत्री बनाया। मान्यता है कि जैसे ब्राह्मणी के प्रदोष व्रत के प्रभाव से दिन बदले, वैसे ही भगवान शंकर अपने भक्तों के दिन फेरते हैं।Som Pradosh Vrat Subh Muhurt | सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त:त्रयोदशी तिथि की शुरुआत – 24 मई 2021 तड़के 03 बजकर 38 मिनट सेत्रयोदशी तिथि का समापन – 25 मई 2021 रात 12 बजकर 11 मिनटपूजा का शुभ मुहूर्त – शाम 07 बजकर 10 मिनट से रात 09 बजकर 13 मिनट तकSom Pradosh Vrat Pooja Vidhi | सोम प्रदोष व्रत की पूजा विधि:प्रदोष व्रत करने वाले जातकों को सुबह सूर्योदय से पहले बिस्तर त्याग देना चाहिए।  इसके बाद नहा-धोकर पूरे विधि-विधान के साथ भगवान शिव का भजन कीर्तन और आराधना करनी चाहिए। इसके बाद घर के ही पूजाघर में साफ-सफाई कर पूजाघर समेत पूरे घर में गंगाजल से पवित्रीकरण करना चाहिए। पूजाघर को गाय के गोबर से लीपने के बाद रेशमी कपड़ों से मंडप बनाना चाहिए। इसके बाद आटे और हल्दी की मदद से स्वस्तिक बनाना चाहिए। व्रती को आसन पर बैठकर सभी देवों को प्रणाम करने के बाद भगवान शिव के मंत्र ‘ओम नमः शिवाय’ का जाप करना चाहिए।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके आप Som Pradosh Vrat Katha Hindi PDF / सोम प्रदोष व्रत कथा PDF हिंदी भाषा में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#सम #परदष #वरत #कथ #Som #Pradosh #Vrat #katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b8%e0%a5%8b%e0%a4%ae-%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a6%e0%a5%8b%e0%a4%b7-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-som-pradosh-vrat-katha-pdf-in-hindi-2">सोम प्रदोष व्रत कथा | Som Pradosh Vrat katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a hr…
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/----jivitputrika-vrat-katha-312.jpg">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha</a>PDF Name<b>जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.58 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, प्रस्तुत लेख में हम अपने पाठकों के लिए जीवित्पुत्रिका व्रत कथा प्रस्तुत कर रहे हैं। जिवितपुत्रिका व्रत आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को मनाया जाता है। इस व्रत को जितिया, जीवित्पुत्रिका या जीमूतवाहन व्रत भी कहा जाता है। यह व्रत तीन दिनों तक चलता है। इस अवसर पर मातायें संतान प्राप्ति और उसकी लंबी आयु के लिए जीवितपुत्रिका व्रत रखती हैं।हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष आश्विन मास की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत का प्रथम दिन अर्थात स्नान होता है। अगले दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। हमने अपने पाठकों के लिए इस लेख के अंत में जीवित्पुत्रिका व्रत कथा इन हिंदी pdf का डाउनलोड लिंक फिया है जिसके माध्यम से आप इस कथा को पढ़ सकते हैं तथा इस व्रत का पालन कर सकते हैं। जीवित्पुत्रिका व्रत कथा बुक पीडीएफ / Jivitputrika Vrat Katha Book in Hindi PDFबहुत समय पहले की बात है कि गंधर्वों के एक राजकुमार हुआ करते थे जिनका नाम था जीमूतवाहन। बहुत ही पवित्र आत्मा, दयालु व हमेशा परोपकार में लगे रहने वाले जीमूतवाहन को राज पाट से बिल्कुल भी लगाव न था। लेकिन पिता कब तक संभालते। वानप्रस्थ लेने के पश्चात वे सबकुछ जीमूतवाहन को सौंपकर चलने लगे। लेकिन जीमूतवाहन ने तुरंत अपनी तमाम जिम्मेदारियां अपने भाइयों को सौंपते हुए स्वयं वन में रहकर पिता की सेवा करने का मन बना लिया। अब एक दिन वन में भ्रमण करते-करते जीमूतवाहन काफी दूर निकल आया। उसने देखा कि एक वृद्धा काफी विलाप कर रही है। जीमूतवाहन से कहा दूसरों का दुख देखा जाता था उसने सारी बात पता लगाई तो पता चला कि वह एक नागवंशी स्त्री है और पक्षीराज गरुड़ को बलि देने के लिये आज उसके इकलौते पुत्र की बारी है।जीमूतवाहन ने उसे धीरज बंधाया और कहा कि उसके पुत्र की जगह पर वह स्वयं पक्षीराज का भोजन बनेगा। अब जिस वस्त्र में उस स्त्री का बालक लिपटा था उसमें जीमूतवाहन लिपट गया। जैसे ही समय हुआ पक्षीराज गरुड़ उसे ले उड़ा। जब उड़ते उड़ते काफी दूर आ चुके तो पक्षीराज को हैरानी हुई कि आज मेरा यह भोजन चीख चिल्ला क्यों नहीं रहा है इसे जरा भी मृत्यु का भय नहीं है। अपने ठिकाने पर पंहुचने के पश्चात उसने जीमूतवाहन का परिचय लिया। जीमूतवाहन ने सारा किस्सा कह सुनाया। पक्षीराज जीमूतवाहन की दयालुता व साहस से प्रसन्न हुए व उसे जीवन दान देते हुए भविष्य में भी बलि न लेने का वचन दिया। मान्‍यता है क‍ि तभी से ही संतान की लंबी उम्र और कल्‍याण के  ये व्रत रखा जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत पूजा विधि / Jivitputrika Vrat Katha Vidhi in Hindi PDFसुबह स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें और भगवान जीमूतवाहन की पूजा करें। इस पूजा के लिए कुशा से बनी जीमूतवाहन की प्रतिमा को धूप-दीप, चावल, पुष्प आदि अर्पित करें। इस व्रत के जौरान मिट्टी में गाय का गोबर मिलाकर उससे चील और सियारिन की मूर्ति बनाई जाती है। इन दोनों मूर्तियों के माथे पर लाल सिंदूर का टीका लगाया जाता है। पूजा समाप्त होने के बाद जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनी जाती है। तीसरे दिन व्रत का पारण करने के बाद अपने हिसाब से दान और दक्षिणा भी देना चाहिए। मान्यता है कि व्रत का पारण सूर्योदय के बाद गाय के दूध से ही करना चाहिए। <strong>You may also like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/jitiya-vrat-katha/">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> जीवित्पुत्रिका व्रत कथा हिंदी pdf प्राप्त करने के लिए आप नीचे दिए हुए डाउनलोड बटन पर क्लिक करें।The Jivitputrika Vrat Katha in Hindi download pdf link is given below, you can download it by clicking on the following download button.#जवतपतरक #वरत #कथ #Jivitputrika #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/09/small/jitiya-vrat-katha-227.jpg">जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha</a>PDF Name<b>जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.37 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
जितिया व्रत कथा | Jitiya Vrat Katha Hindi PDF SummaryIn this article, we have uploaded the Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF for our users. Jivitputrika Vrat is observed on Ashtami Tithi of Krishna Paksha of Ashwin month. This year it will start from 28th September to 30th September. This fast is also called Jiutiya, Jitiya, Jivitputrika or Jimutavahana Vrat. This fast lasts for three days. Mothers keep Jivitputrika Vrat for the attainment of children and for their long life. According to the Hindu calendar, every year on the Ashtami date of Ashwin month, the first day of Jitiya Vrat i.e. takes a bath. Nirjala fast is observed on the next day. Below we have given the download link for Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi / जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF.जीवित्पुत्रिका व्रत कथा PDF | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindiगन्धर्वराज जीमूतवाहन बड़े धर्मात्मा और त्यागी पुरुष थे। युवाकाल में ही राजपाट छोड़कर वन में पिता की सेवा करने चले गए थे। एक दिन भ्रमण करते हुए उन्हें नागमाता मिली, जब जीमूतवाहन ने उनके विलाप करने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि नागवंश गरुड़ से काफी परेशान है, वंश की रक्षा करने के लिए वंश ने गरुड़ से समझौता किया है कि वे प्रतिदिन उसे एक नाग खाने के लिए देंगे और इसके बदले वो हमारा सामूहिक शिकार नहीं करेगा। इस प्रक्रिया में आज उसके पुत्र को गरुड़ के सामने जाना है। नागमाता की पूरी बात सुनकर जीमूतवाहन ने उन्हें वचन दिया कि वे उनके पुत्र को कुछ नहीं होने देंगे और उसकी जगह कपड़े में लिपटकर खुद गरुड़ के सामने उस शिला पर लेट जाएंगे, जहां से गरुड़ अपना आहार उठाता है और उन्होंने ऐसा ही किया। गरुड़ ने जीमूतवाहन को अपने पंजों में दबाकर पहाड़ की तरफ उड़ चला। जब गरुड़ ने देखा कि हमेशा की तरह नाग चिल्लाने और रोने की जगह शांत है, तो उसने कपड़ा हटाकर जीमूतवाहन को पाया। जीमूतवाहन ने सारी कहानी गरुड़ को बता दी, जिसके बाद उसने जीमूतवाहन को छोड़ दिया और नागों को ना खाने का भी वचन दिया।Jitiya Vrat Pooja Vidhi in Hindi PDF | जितिया व्रत पूजा विधिसप्तमी का दिन नहाई खाय के रूप में मनाया जाता है तो अष्टमी को निर्जला उपवास रखना होता है। व्रत का पारण नवमी के दिन किया जाता है। वहीं अष्टमी को सांय प्रदोषकाल में संतानशुदा स्त्रियां जीमूतवाहन की पूजा करती हैं और व्रत कथा का श्रवण करती हैं। श्रद्धा व सामर्थ्य अनुसार दान-दक्षिणा भी दी जाती है।इस दिन सूर्यास्त से पहले उठकर सभी कामों से निवृत्त होकर स्नान कर लें। इसके बाद प्रदोष काल में गाय के गोबर से पूजा स्थल को लीप लें। इसके बाद एक छोटा सा तालाब बना लें। तालाब के पास एक पाकड़ की डाल लाकर खड़ाकर कर दें। अब शालिवाहन राजा के पुत्र धर्मात्मा जीमूतवाहन की कुशनिर्मित मूर्ति जल के पात्र में स्थापित करें। इसके बाद दीप, धूप, अक्षत, रोली और लाल और पीली रूई से सजाएं। अब अपनी श्रद्धानुसार उन्हें भोग लगाएं। इसके बाद मिट्टी या गोबर से मादा चील और मादा सियार की प्रतिमा बनाएं। दोनों को लाल सिंदूर अर्पित करें। इसके बाद व्रत कथा पढ़ें या सुनें।जीवित्पुत्रिका व्रत 2021 शुभ मुहूर्तजितिया व्रत- 29 सितंबर
अष्टमी तिथि प्रारंभ- 28 सितंबर को 06 बजकर 16 मिनट से 29 सितंबर की रात 08 बजकर 29 मिनट तक रहेगी। <strong>You may also like:</strong><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-katha/">जीवित्पुत्रिका व्रत कथा | Jivitputrika Vrat Katha PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/jivitputrika-vrat-aarti/">जीवित्पुत्रिका व्रत आरती | Jivitputrika Vrat Aarti PDF in Hindi</a> <strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Jitiya Vrat Katha PDF in Hindi / जितिया व्रत कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।</strong>#जतय #वरत #कथ #Jitiya #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%9c%e0%a4%bf%e0%a4%a4%e0%a4%bf%e0%a4%af%e0%a4%be-%e0