DEAR ASPIRANTS,
चांद के कान छेद कर उसमें,
पहना दो गेहूं की बाली......
सप्तऋषि से कहो कि लेकर,
खड़े रहें अक्षत की थाली।
..
लड़ो कि यह लड़ाई अंतिम है,
लड़ो कि यह लड़ाई बेहतरीन होगी।
चांद के कान छेद कर उसमें,
पहना दो गेहूं की बाली......
सप्तऋषि से कहो कि लेकर,
खड़े रहें अक्षत की थाली।
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लड़ो कि यह लड़ाई अंतिम है,
लड़ो कि यह लड़ाई बेहतरीन होगी।
#_Dear_Aspirants,
जब दिन भर की मानसिक दौड़ से थक जाओ, जब कमरे में ऊब जाओ औऱ जब बाहर की याद सताने लगे, जब पढाई किनारे कर तफरी का मन करने लगे, जब लगे की तुम्हारी सांसे तुम्हारा साथ छोड़ना चाहती है, जब लगे की इस कमरे ने तुम्हे सिर्फ एक हाड़ मांस का पुतला बना कर छोड़ दिया है जिसकी आत्मा कही कैद है किसी खुले मैदान में, जब लगे की बस अब हारने वाले हो तब...
तब तुम देखना डूबते सूरज को औऱ सोचना की वो कैसे सहन करता है सब
कैसे सहता है वो बादलों का पहरा, कैसे दबाए रखता है वो अपने अंदर की दहकती आग को, कैसे वो अपनी आग से चाँद को शीतलता देता है रात भर,कैसे वो दौड़ता रहता है हमेशा,बिना रुके,बिना थके,भूख औऱ प्यास को पैरों की नोंक से दबाये हुए
सूर्य सिखलाता है हमको की किसी का चांद नही बनना है हमें
हमें तो सूर्य होना है, सूर्य जो सारी सृष्टि की शक्ति समेटे हुए है,जो कभी हारा नही,कभी झुका नही
बस सीखना है उससे कि अपने कार्यों में लगे रहना है,
किताबों 📚 📚 में ही जीना है, तब तक कि जब तक खुद सूर्य ना बन जाओ
.
बस हारना नही है लौंडो...
कभी हारना नही है।।
.
✍ Devesh Sharma
जब दिन भर की मानसिक दौड़ से थक जाओ, जब कमरे में ऊब जाओ औऱ जब बाहर की याद सताने लगे, जब पढाई किनारे कर तफरी का मन करने लगे, जब लगे की तुम्हारी सांसे तुम्हारा साथ छोड़ना चाहती है, जब लगे की इस कमरे ने तुम्हे सिर्फ एक हाड़ मांस का पुतला बना कर छोड़ दिया है जिसकी आत्मा कही कैद है किसी खुले मैदान में, जब लगे की बस अब हारने वाले हो तब...
तब तुम देखना डूबते सूरज को औऱ सोचना की वो कैसे सहन करता है सब
कैसे सहता है वो बादलों का पहरा, कैसे दबाए रखता है वो अपने अंदर की दहकती आग को, कैसे वो अपनी आग से चाँद को शीतलता देता है रात भर,कैसे वो दौड़ता रहता है हमेशा,बिना रुके,बिना थके,भूख औऱ प्यास को पैरों की नोंक से दबाये हुए
सूर्य सिखलाता है हमको की किसी का चांद नही बनना है हमें
हमें तो सूर्य होना है, सूर्य जो सारी सृष्टि की शक्ति समेटे हुए है,जो कभी हारा नही,कभी झुका नही
बस सीखना है उससे कि अपने कार्यों में लगे रहना है,
किताबों 📚 📚 में ही जीना है, तब तक कि जब तक खुद सूर्य ना बन जाओ
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बस हारना नही है लौंडो...
कभी हारना नही है।।
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✍ Devesh Sharma