संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Daily dose of Sanskrit.

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नमो नमः🙏
गीताजयन्त्याः शुभकामनाः💐
*श्रीमद्भगवद्गीताज्ञान-राष्ट्रियस्पर्धा २०२१*
आयोजकः-
चातुर्वेदसंस्कृतप्रचारसंस्थानम्, काशी
आइये, इस गूगल फार्म के द्वारा गीताज्ञान राष्ट्रीय स्पर्धा में प्रतिभाग करें।
*विशेष प्रतिभाग विशेष पुरस्कार*
निवेदन- यह राष्ट्रीय स्पर्धा प्रथम बार परिवार स्तरीय हो रही है। इसमें परिवार के लोग मिलकर प्रतिभाग करें।
अन्य जानकारी के लिये गूगल लिंक को खोलें, पूरे नियम को पढें, तत्पश्चात् आगे बढें।
लिंक 👇 नोदनं कृत्वा श्रीमद्भगवद्गीताज्ञान-राष्ट्रियस्पर्धायां प्रविश्यताम्।
https://forms.gle/xYukGfN8S5Csyg3j9
स्वयं प्रतिभाग कर आगे अपने इष्ट बन्धुओं को प्रेषित कर दें।
जय श्रीकृष्ण 🙏
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [05.07]
🍃योगयुक्तो विशुद्धात्मा विजितात्मा जितेन्द्रियः। 
सर्वभूतात्मभूतात्मा कुर्वन्नपि न लिप्यते
।।5.7।। 

♦️yogayukto vishuddhaatmaa vijitaatmaa jitendriyaH|
sarvabhuutaatmabhuutaatmaa kurvannapi na lipyate||5.7||

5.7 He who is devoted to the path of action, whose mind is ite pure, who has conered the self, who has subdued his senses and who realises his Self as the Self in all beings, though acting, is not tainted. 

।।5.7।। जो पुरुष योगयुक्त विशुद्ध अन्तकरण वाला शरीर को वश में किये हुए जितेन्द्रिय तथा भूतमात्र में स्थित आत्मा के साथ एकत्व अनुभव किये हुए है वह कर्म करते हुए भी उनसे लिप्त नहीं होता।। 

#geeta
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
🚩तिथि - चतुर्दशी सुबह ०७:२४ तक तत्पश्चात पूर्णिमा

दिनांक - १८ दिसम्बर २०२१
दिन - शनिवार
शक संवत - १९४३
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - मार्ग शीर्ष मास
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - रोहिणी दोपहर ०१:४९ तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग - साध्य सुबह ०९:१३ तक तत्पश्चात शुभ
राहुकाल - सुबह ०९:५३ से सुबह ११:१४
सूर्योदय - ०७:११
सूर्यास्त - १७:५९
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic :Gossip
(जल्पनम्)
Date : 18th December 2021, Saturday

Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss(कोऽपि विषयः नास्ति परस्पर चर्चा एव) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.


👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
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संख्या_रेखा की परिकल्पना (कॉन्सेप्ट्)

"एकप्रभृत्यापरार्धसंख्यास्वरूपपरिज्ञानाय रेखाध्यारोपणं कृत्वा एकेयं रेखा दशेयं, शतेयं, सहस्रेयं इति ग्राहयति, अवगमयति, संख्यास्वरूम, केवलं, न तु संख्याया: रेखातत्त्वमेव।"
Brhadaranyaka Aankarabhasya (4.4.25)

जिसका अर्थ है-

1 unit, 10 units, 100 units, 1000 units etc. up to parardha can be located in a number line. Now by using the number line one can do operations like addition, subtraction and so on.


ये तो कुछ नमूना हैं , जो ये दर्शाने के लिये दिया गया है कि संस्कृत ग्रंथो में केवल पूजा पाठ या आरती के मंत्र नहीं है बल्कि तमाम विज्ञान भरा पड़ा है।

दुर्भाग्य से कालांतर में व विदेशी आक्रांताओं के चलते संस्कृत का ह्रास होने के कारण हमारे पूर्वजों के ज्ञान का भावी पीढ़ी द्वारा विस्तार नहीं हो पाया और बहुत से ग्रंथ आक्रांताओं द्वारा नष्ट भ्रष्ट कर दिए गए ।

वन्दे संस्कृत मातरम् 🙏🏼

#celebrating_sanskrit
बालस्य कति _______ सन्ति।
Anonymous Quiz
17%
मुखम्
18%
मुखाः
5%
मुखे
60%
मुखानि
क्त प्रत्यय 👉 जग्ध/अन्नम्
👇वाक्यप्रयोग👇
•मया फलम् अन्नम्/जग्धम्।
(मुझसे फल खाया गया)
•तया फलम् अन्नम्/जग्धम्।
(उस(स्त्री)से फल खाया गया)
•त्वया किं फलम् अन्नम्/जग्धम्?
(तुमसे कौन फल खाया गया?)
•तेन सेवफलम् अन्नम्/जग्धम्।
(उससे सेब खाया गया)
•भवता किम् अन्नम् ?
(आपसे क्या खाया गया?)


👇क्तवतु का प्रयोग(पुल्लिङ्गः)👇

•अहं पूलिकाः जग्धवान् ।
(मैंने पूड़ियाँ खायी)
•त्वं पूलिकाः जग्धवान्?
(तुमने पूड़ियाँ खायी)
•भवान् किं जग्धवान्?
(आपने क्या खाया?)
•सः समोषं न जग्धवान् ।
(उसने समोषा नहीं खाया)

(((स्त्रीलिङ्ग)))
•अहं पूलिकाः जग्धवती।
(मैंने पूड़ियाँ खायी)
•त्वं पूपिकाः जग्धवती ?
(तुमने पराठे खाये?)
•सा रोटिकाः जग्धवती ?
(उसने रोटियाँ खायी?)
•एषा पक्ववटिकाः जग्धवती।
(इसने पकौड़ियाँ खायी)

•ह्यः कः त्वाम् आह्वयत्?
=कल तुमको कौन बुला रहा था?
•अत्र कः अतिष्ठत्?
=यहां कौन रुका था?
•श्वः कः आगन्ता?
=कल कौन आएगा(आने वाला है)?
•अद्य त्वां कः अपाठीत्?
=आज तुमको किसने पढ़ाया?
•अत्र कः सत्स्यति?
=यहां कौन बैठेगा?
🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩


★भवान्(भवती) किं फलं खादति ?
= आप कौन फल खाते(खाती) हैं ?

★किं भवती(भवान्) स्वर्णक्षीरी उदुम्बरं च अखादत् ?
= क्या आपने मकोय और गूलर खाया था ?

१-बालकः रसालं खादति ।
२-अहं सेवं खादामि ।
३-वृष्टिकाले जम्बुफलं फलति ।

४-कदलीफलं रात्रौ कदाचित् अपि अखादनीयम् ।

५-मह्यम् आम्रलं , द्राक्षा , कर्कन्धुः , नारिकेलं , कदलीफलं च रोचन्ते ।

६-शैशवे अहं स्वर्णक्षीरीं खादामि स्म ।

---पा--(रक्षा करना)----
""""""""""""""""""""""""""""""
पाति पातः पान्ति
पासि पाथः पाथ
पामि पावः पामः

★भ्राता भगिनीं पाति ।
~•ते सैनिकाः देशं पान्ति ।

★सर्वदा त्वं धेनुं पासि ।
~•यूवां अन्यान् जीवान् पाथः ?

★अहं वृक्षान् पामि ।
~•वयं संस्कृतं संस्कृतिं च पामः ।

•अहं कं पश्यानि?
= मैं किसको देखूं?
•अहं कम् आह्वयानि?
= मैं किसको बुलाऊं?
•अहं कं खादयानि?
= मैं किसको खिलाऊं?
•त्वं कं प्रक्ष्यसि?
= तुम किससे पूछोगे/गी?
•भवती कम् ईक्षते?
= आप किसको देखती हैं?

#vakyabhyas
देववाणीविलासः
(संस्कृतभाषा शिक्षण- मध्यमस्तरीय कक्षा)

समय- हर शनिवार मध्याह्न 4:30 से 5:30 तक

माध्यम- जूम् माध्यम द्वारा
पंजीकरण संकेत-
tinyurl.com/devavani-hind

प्रवेश संकेत- https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
प्रवेश संख्या- 982 3192 7653
हास्यमेव जयते
दीपक शास्त्री

शिक्षकः - (प्रथमं छात्रम्) एतावान् | विलम्बः किमर्थम्?
प्रथमः छात्रः महोदय! मध्ये मार्गे | द्विचक्रिकायाः वायुः अपगतः।
शिक्षकः (द्वितीयं छात्रं) त्वं कथं....? द्वितीयः छात्रः - द्विचक्रिकायाः समस्याकारणेन एव विलम्बः जातः।
शिक्षकः - (तृतीयं छात्र) त्वम्.....?
तृतीयः छात्रः – ममापि एषा समस्या। शिक्षकः (क्रोधेन) असत्यं वदथ ?
वयः त्रयः (एकस्वरेण) न न! वस्तुतः वयं एकस्यामेव द्विचक्रिकायाम् आसम्।

#hasya
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-47-48
तत: शूर्पणखावाक्यादुद्युक्तान्‌ सर्वराक्षसान्‌।
खरं त्रिशिरसं चैव दूषणं चैव राक्षसम्‌।। 47।।
निजघान रणे रामस्तेषां चैव पदानुगान्‌।। 48।।

श्लोकान्वयः -47-48
तत: शूर्पणखावाक्याद् उद्युक्तान्‌ सर्वराक्षसान्‌ (तत्र विशिष्टं)
खरं त्रिशिरसं दूषणं च राक्षसं
तेषां पदानुगान्‌ च रणे एव राम: निजघान।। 47-48।।

हिन्दी - अनुवाद -47-48
शूर्पणखा को विरूप करने के पश्चात्‌ राम, शूपणखा वर्णित घटनाओं को सुनकर युद्ध करने के लिये
उद्यत सभी (चौदह हजार) राक्षसों को विशेष कर खर, दूषण त्रिशिरा और उनके अनुचरों को मार डाला।।47-48।।

English Meaning

ततः thereafter, शूर्पणखावाक्यात् (instigated) by the words of Surpanakha, उद्युक्तान् ready for a battle, सर्वराक्षसान् all the rakshasas, खरम् एव Khara only, त्रिशिरसं च Trisira also, दूषणम् Dushana, राक्षसं च एव rakshasa also, तेषाम् their, पदानुगान् च एव followers also, राम: Rama, वने in the forest, निजघान killed.

Thereafter Rama killed in the fight all the rakshasas, Khara, Trisira, and Dushana with their followers in a battle who were instigated by Surpanakha's words.

#SankshepaRamayanam
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [05.08]
🍃नैव किंचित्करोमीति युक्तो मन्येत तत्त्ववित्। 
पश्यन् श्रृणवन्स्पृशञ्जिघ्रन्नश्नन्गच्छन्स्वपन् श्वसन्
।।5.8।। 

♦️naiva kiMchitkaromiiti yukto manyeta tattvavit|
pashyan shrRRiNavanspRRisha~njighrannashnangachChansvapan shvasan||5.8||

5.8 "I do nothing at all," thus would the harmonised knower of Truth think seeing, hearing, touching, smelling, eating, going, sleeping, breathing. 

।।5.8।। तत्त्ववित् युक्त पुरुष यह सोचेगा (अर्थात् जानता है) कि मैं किंचित् मात्र कर्म नहीं करता हूँ देखता हुआ सुनता हुआ स्पर्श करता हुआ सूंघता हुआ खाता हुआ चलता हुआ सोता हुआ श्वास लेता हुआ।। 

#geeta