संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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एकदा अहं केनचित् मित्रैः सह समुद्रतटे चरामि आसं यदा कश्चन उच्चैः अवदत्।"पश्यतु तत् मृतं पक्षिम् !"
कश्चित् आकाशं पश्यन् अवदत् "कुत्र?"

#hasya
✍🏻 चतुरङ्गशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
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🔰 विषयः - दिपावलिसिद्धता
🗓३१/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं दिपावलिसिद्धता एतद्विषयम् अभिक्रम्य आगच्छत।

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पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
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🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - तृतीया रात्रि 09:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी

दिनांक - 31 अक्टूबर 2023
दिन - मंगलवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - कार्तिक
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - रोहिणी 01 नवम्बर प्रातः 03:58 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग - वरियान दोपहर 03:34 तक तत्पश्चात परिघ
राहु काल - दोपहर 03:13 से 04:38 तक
सूर्योदय - 06:43
सूर्यास्त - 06:03
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:53 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक
व्रत पर्व विवरण - सरदार वल्लभ भाई पटेल जयन्ती (दि.अ. )
🍃अज्ञानोपहतो बाल्ये यौवने मदनाहत:।
शेषे कलत्रचिन्तार्तः किं करोतु कदा जनः।।

🔆 बाल्यकाले मनुजः अज्ञानकारणेन आहतः भवति यौवनकाले कामभावनया तथैव वार्धक्यकाले परिवारचिन्तया च अतः मनुष्यः कुर्यादपि चेत् किम्।

मनुष्य बाल्यकाल में अज्ञानता से अभिभूत होता है, युवावस्था में काम का शिकार होता है और शेष काल (वृद्धावस्था) में परिवार के भविष्य के बारे में चिन्तित रहता है। अब वह कब क्या कर सकता है?

Man is overwhelmed by ignorance in childhood, in youth he is the victim of cupid and in the remaining period (old age) is worried thinking of the future of the family. When and what is one to do?

#Subhashitam
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इदं तव अनुचितः अभ्यासः वर्तते ।
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वाक्यं शुद्धम्
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वाक्यम् अशुद्धम्
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
लेकिन, स्वर्ग का राजपद और इंद्र का आसन मिलने के कुछ ही दिनों में नहुष पर सत्ता और शक्ति का नशा छाने लगा। •• परन्तु , नाकस्य राजपदस्य इन्द्रासनस्य च प्राप्तेः अनन्तरं किञ्चिद्दिनेषु हि नहुषः प्रशासनशक्त्योः मदान्धः भवितुमारेभे। वो अपनी मनमानियों पर उतर आया।…
शचि ने ये सुझाव मान लिया।
•• शचि: एनां युक्तिं स्वीचकार।

उसने नहुष तक अपनी इस शर्त का संदेश भिजवा दिया।
•• सा नहुषं आत्मन: एतस्य समयस्य संदेशं प्रेषयञ्चकार।

शचि का संदेश पाकर नहुष खुश हो गया और उसने सप्तऋषियों को डोली उठाने का आदेश दिया।
•• शचे: सन्देशं श्रुत्वा नहुष: प्रसन्नोभूयो सप्तर्षीन् शिविकाम् उत्थापयितुम् आदिदेश।

मजबूरी में ऋषियों को नहुष की बात माननी पड़ी लेकिन वृद्ध होने के कारण वे तेज नहीं चल पा रहे थे।
•• बाध्योभूय ऋषिभि: नहुषस्य आदेश: स्वीकरणीय: बभूव परन्तु वृद्धावस्थाभि: ते तीव्रगत्या चलितुं न सक्षमा: बभूवु ।

तो नहुष ने डोली उठाकर आगे चल रहे अगस्त ऋषि को लात मारते हुए तेज चलने को कहा।
•• तदनन्तरं नहुष: शिविकाम् उत्थाप्य अग्रे चलितारं अगस्त्यम् ऋषिं पादप्रहारन् तीव्रगत्या चलितुम् आदिदेश।

इस पर ऋषियों के सब्र का बांध टूट गया।
••ऋषय: एतस्य कुकृत्यस्य सहनं कर्तुं न शेकु:।

उन्होंने नहुष को डोली से गिराते हुए तुरंत अजगर बन जाने का शाप दे दिया।
•• ते नहुषं शिविकात् पातयन् अविलम्बेन सर्पं भवितुं शशासु:।

धरती पर गिरा नहुष अजगर बन गया और अपने किए पर उसे पछतावा होने लगा।
••भूमौ पतित: नहुष: अजगर: बभूव तेन च पश्चात्ताप: अनुभूत:।

स्वर्ग का राजा बनने के योग्य व्यक्ति अपने अहंकार और गलतियों के कारण अजगर बन गया।
•• •• नाकराजो भवितुं योग्यपुरुष: आत्मन: अहङ्कारात् त्रुटिभ्यश्च अजगर: बभूव।

नहुष का उद्धार तब हुआ जब हज़ारों वर्षों बाद पांडवों ने उसे इस श्राप से मुक्त करवाया |
••नहुषस्य विमोचनं तदा बभूव
यदा सहस्रवर्षानन्तरं पाण्डवैः स शापमुक्तो बभूव।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
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यु॰पी॰आय् 9418927271
Verbs – धातुरूपाणि (dhāturūpāṇi)

In Sanskrit, the formation of verbs first begins with a verb root, called Dhaatu (Sanskrit: धातुः ; Transliteration: dhātuḥ). An example of this is √पठ् (√paṭh) which means ‘to read’.

A Dhatu, or root, has a meaning of its own. However, until we add suffixes to it, called Pratyaya (Sanskrit: प्रत्ययाः ; Transliteration: pratyayāḥ), it cannot be used in a meaningful sentence. Such suffixes help make a verb or any other kind of word, based on their category. Additionally, prefixes, called Upasarga (Sanskrit: उपसर्ग ; Transliteration: upasarga) can be added to modify the meaning of the Dhatu, or root.

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