संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃अद्यापि दुर्निवारं स्तुतिकन्या वहति नाम कौमारम्।
सद्भयो न रोचते सा असन्तः अपि अस्यै न रोचन्ते


🔅स्तुतिकन्या अद्य अपि दुर्निवारम् कौमारं नाम वहति । सा सद्भयः न रोचते। अस्यै असन्तः अपि न रोचन्ते।

A girl, called praise, fids it very difficult to ward off being called "miss " ! (finds it difficult to get married) till date. She is not liked by good people and she herself does not like bad people.

#subhashitam
पिता क्लेशकारकं पुत्रं ताडयति।
कर्मपदं किमस्ति।
Anonymous Quiz
7%
पिता
69%
पुत्रम्
23%
ताडयति
2%
नास्ति
Sanskrit-0655-0700
इस तस्वीर के बारे में जानने के बाद आपको खुद शर्म लगेगी।
••अस्य चित्रस्य विषये ज्ञानानन्तरं भवान् स्वयं लज्जाम् अनुभविष्यति।

यह तस्वीर झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की है जो इस समय कूड़ेदान बनकर रह गई है।
•• इदं चित्रं झाँसीनगरस्य रानी लक्ष्मीबाई-वीराङ्गनाया अस्ति यत् अधुना अवकरकुण्डं जातम् अस्ति ।

यह नज़ारा कहीं दूर का नहीं है।
••एतद् दृश्यं क्वचित् दूरं नास्ति।

कुशीनगर के पडरौना नगर के बावली चौक का है जिसने भारत देश को आजाद करा कर हम सभी लोगों को आजादी दिलाई।
•• एतत् स्थानं कुशीनगरस्य पडरौनानगरस्य बावलीचौकस्थाने अवस्थितमस्ति यत्
भारतदेशं मुक्तं कृत्वा अस्मभ्यं स्वतन्त्रतां दापयितवत्।

आज उनकी मूर्ति घास के पास कूड़ा में पड़ी है।
••अद्य तस्या: प्रतिमा तृणानि निकषा अवकरपदार्थेषु स्थिता अस्ति।

क्या कुशीनगर प्रशासनिक अधिकारियों को शर्म नहीं आ रही है जो आराम कुर्सी पर बैठकर लापरवाह बने हुए है?
••किं कुशीनगरस्य प्रशासनिकाधिकारिण: न लज्जन्ते ये सुखासन्दिकासु उपविश्य निश्चिन्ताः शयनं कुर्वन्ति?


उत्तर दिशा में अधिक खिड़कियां होनी चाहिए
•• उत्तरदिशि अधिकानि वातायनानि भवेयु:।

वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर दिशा धन के देवता कुबेर की दिशा है
•• वास्तुशास्त्रानुसारम् उत्तरदिशा धनदेवस्य कुबेरस्य दिशा अस्ति।

इसलिए इस दिशा में अधिक से अधिक खिड़कियां बनवानी चाहिए
•• अस्मिन् दिशि अधिकानि वातायनानि निर्मातव्यानि।

साथ ही धन रखने की तिजोरी आलमारी को भी दक्षिण दिशा में रखना चाहिए कि वह उत्तर की तरफ खुले।
•• अपि च धनरक्षणाय शेवधि: मञ्जूषा चापि दक्षिणदिशि एव स्थापयितव्ये येन उत्तराभिमुखम् उद्घाटितं भवेत्।

ऐसा करने से घर में आर्थिक खुशहाली आती है।
•• एवं करणेन गृहे आर्थिकसमृद्धि: आगच्छति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
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शब्दप्रकाराः। (śabdaprakārāḥ)

In Sanskrit, there are various types of Word Classes. Let’s look at these in detail.

There are five main word classes:

1. नामपदानि (nāmapadāni) i.e. Nouns,
2. सर्वनामपदानि (sarvanāmapadāni) i.e. Pronouns,
3. विशेषणपदानि (viśeṣaṇapadāni) i.e. Adjectives,
4. क्रियाविशेषणपदानि (kriyāviśeṣaṇapadāni) i.e. Adverbs and
5. क्रियापदानि (kriyāpadāni) i.e. Verbs.

Important points to note:

अव्ययपदानि (avyayapadāni) i.e. (Indeclinables) are included in क्रियाविशेषणपदानि (kriyāviśeṣaṇapadāni) i.e. Adverbs.

• The base form of any word (without any forms or suffixes) is known as the प्रातिपदिकम् (prātipadikam) of that word e.g. – ‘संस्कृतम्’ (saṃskṛtam) is the nominative case, singular form of the word, whereas, ‘संस्कृत’ (saṃskṛta) is the प्रातिपदिकम् (prātipadikam), without any form.

• A धातुः (dhātuḥ) in Sanskrit, is a root word. Roots are the base forms of verbs and they have a particular meaning e.g. – ‘पठति’ (paṭhati) has a third person, singular, present tense suffix added to it, whereas, ‘√पठ्’ (√paṭh), its root does not have any suffix.

🌐sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 चक्रशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - सुभाषितादीनि
🗓२९/०९/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं , प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - पूर्णिमा दोपहर 03:29 तक तत्पश्चात प्रतिपदा

दिनांक - 29 सितम्बर 2023
दिन - शुक्रवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - भाद्रपद
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - उत्तरभाद्रपद रात्रि 11:18 तक तत्पश्चात रेवती
योग - वृद्धि रात्रि 08:03 तक तत्पश्चात ध्रुव
राहु काल - सुबह 11:00 से 12:30 तक
सूर्योदय - 06:30
सूर्यास्त - 06:29
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:54 से 05:42 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:06 से 12:54 तक
व्रत पर्व विवरण - भाद्रपदी पूर्णिमा, महालय श्राद्धारम्भ, प्रतिपदा का श्राद्ध, गुरु अमरदासजी पुण्यतिथि
🍃नौका च खलजिह्वा च प्रतिकूलप्रवर्तिनी ।
प्रतारणाय लोकानां दारुणा केन निर्मिता
।।
सु.र. भा.- ७.४३३

🔆नौका यथा सर्वदा नद्याः प्रवाहस्य विपरीतदशायां चलति तथैव अस्माकं जिह्वा अपि जनान् क्लेशयितुमेव प्रायः चलति। तस्य सम्यक् प्रवर्तनमेव पाण्डित्यम्।

नाव और दुष्ट व्यक्ति की जिह्वा,दोनों ही उल्टी दिशा में चलती हैं लोगों को प्रतारित करने के लिए। पता नहीं,किस लकड़ी या सामग्री से इनकी रचना की गई है ।

#Subhashitam
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