संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
4.61K subscribers
3.07K photos
285 videos
307 files
5.82K links
Daily dose of Sanskrit.

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Download Telegram
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - एकादशी रात्रि 09:00 तक तत्पश्चात द्वादशी

दिनांक - 08 अगस्त 2022
दिन - सोमवार
शक संवत् - 1944
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - श्रावण
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 02:37 तक तत्पश्चात मूल
योग - इन्द्र सुबह 06:56 तक तत्पश्चात वैधृति
राहु काल - सुबह 07:51 से 09:29 तक
सूर्योदय - 06:13
सूर्यास्त - 07:17
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰 सुभाषितान्ताक्षरी
🗓08th August 2022, सोमवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑( उपस्थितानां विभाजनं समुहयोः भविष्यति। सुभाषितस्य अन्तिमं अक्षरेण अन्य सुभाषितस्य आरम्भः करणीयः) कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat

सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

Read in English
हिन्दी में पढें


#chitram
🍃न स्थिरं क्षणमप्येकं उदकं तु यथोर्मिभिः ।। वाताहतं तथा चित्तं तस्मात्तस्य न विश्वसेत्

Whe there wind blowing the water does not stay still even for a second. Our mind is just like that. It will keep changing every second. Never trust it.


जब हवा बहती है, तो पानी क्षण भर भी स्थिर नहीं रहता है। हमारा मन ऐसा ही है, यह प्रत्येक क्षण बदलता है, यह विश्वसनीय नहीं।

🔅यथा वायोः प्रवहनसमये जलं क्षणमपि न तिष्ठति तथैव अस्माकं मनः अपि एतादृशमेव अस्ति यत् प्रत्येकं क्षणं परिवर्तते एतत् विश्वासयोग्यं नास्ति।

#Subhashitam
संस्कृतानन्दः

अद्य मित्रता दिनम् अस्ति।
= आज मित्रता दिन है।

मित्रता दिवसे एव मैत्री जागृता भवति , तथा नास्ति।
= मित्रता दिवस पर ही मित्रता जागती है ऐसा नहीं है।

यः कोsपि कष्टकाले मित्रस्य सहायकः भवति सः एव परमं मित्रं गण्यते।
= जो कोई भी कष्ट के समय मित्र की सहायता करता है उसे ही परम मित्र गिना जाता है।

मित्रं मित्रेण सह कदापि छलं कपटं च न करोति।
= मित्र मित्र के साथ कभी भी छल कपट नहीं करता है।

मित्रतायाः प्रमाणपत्रम् अपि न देयं भवति।
= मित्रता का प्रमाणपत्र भी नहीं देना होता है।

मित्रतायाः भावः स्वयमेव मनसि जायते।
= मित्रता का भाव मन में स्वयं ही जगता है।

सर्वे प्रायः सत्सङ्गतिम् एव इच्छन्ति।
= सभी प्रायः अच्छी संगत ही चाहते हैं।

कुसङ्गतिना सर्वे अपयशम् एव प्राप्नुवन्ति।
= कुसंगति से सभी अपयश ही पाते हैं।

समानशील व्यसनेषु मैत्री इति एका सूक्तिः अस्ति।
= समान विचार और व्यवहार होने पर मैत्री होती है - यह एक सूक्ति है।

विद्यार्थीकाले या मैत्री साध्यते सा मैत्री प्रायः आजीवनं चलति।
= विद्यार्थी काल में जो मित्रता साध ली जाती है वो प्रायः जीवन भर चलती है।

अस्माकं श्रेष्ठाचरणेन शत्रुः अपि मित्रं भवति।
= हमारे अच्छे व्यवहार से शत्रु भी हमारा मित्र बन जाता है।

राष्ट्रस्य अपि मित्राणि भवन्ति।
= राष्ट्र के भी मित्र होते हैं।

कानिचन दिनानि अनन्तरं रक्षाबन्धनपर्व अपि भविष्यति।
= कुछ दिनों के बाद रक्षाबंधन पर्व भी होगा।

यथा मैत्रीदिनं भावनया आचर्यते तथैव रक्षाबन्धनपर्वम् अपि श्रद्धया आचरणीयम्।
= जिस प्रकार मित्रता दिवस पूरी भावना के साथ मनाया जाता है उसी प्रकार रक्षाबन्धन पर्व भी श्रद्धा के साथ मनाया जाना चाहिये।

जाड्यं धियो हरति सिंचति वाचि सत्यं ,
मानोन्नतिं दिशति पापमपाकरोति ।
चेतः प्रसादयति दिक्षु तनोति कीर्तिं,
सत्संगतिः कथय किं न करोति पुंसाम् ।।


अच्छे मित्रों का साथ बुद्धि की जड़ता को हर लेता है ,वाणी में सत्य का संचार करता है, मान और उन्नति को बढ़ाता है, पाप से मुक्त करता है, चित्त को प्रसन्न करता है और हमारी कीर्ति को सभी दिशाओं में फैलाता है । आप ही कहें कि सत्संगति मनुष्यों का कौन सा भला नहीं करती ।


#vakyabhyas
Audio
🍃अहङ्कारं बलं दर्पं कामं क्रोधं परिग्रहम्।
विमुच्य निर्ममः शान्तो ब्रह्मभूयाय कल्पते
।।18.53।।

♦️ahamkaram balam darpam kamam krodham parigraham |
vimucya nirmamah santo brahmabhuyaya kalpate || (18.53)

Having abandoned egoism, strength, arrogance, desire, anger and covetousness, and free from the notion of 'mine' and peaceful, he is fit for becoming Brahman.(18.53)

अहंकार बल दर्प काम क्रोध और परिग्रह को त्याग कर ममत्वभाव से रहित और शान्त पुरुष ब्रह्म प्राप्ति के योग्य बन जाता है।।18.53।।

#geeta
Audio
🍃ब्रह्मभूतः प्रसन्नात्मा न शोचति न काङ्क्षति।
समः सर्वेषु भूतेषु मद्भक्तिं लभते पराम्
।।18.54।।

♦️brahmabhutah prasannatma na socati na kanksati |
samah sarvesu bhutesu madbhaktim labhate param || (18.54)

Becoming Brahman, serene in the Self, he neither grieves nor desires, the same to all beings, he obtains supreme devotion to Me.(18.54)

ब्रह्मभूत (जो साधक ब्रह्म बन गया है) प्रसन्न मन वाला पुरुष न इच्छा करता है और न शोक समस्त भूतों के प्रति सम होकर वह मेरी परा भक्ति को प्राप्त करता है।।18.54।।

#geeta