संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃 ताटकेयलवादत् एनोहारी हारिगिर आस सः।
हा असहायजना सीता अनाप्तेना अदमनाः भुवि ॥ २१॥


🔸ताड़कापुत्र मारीच को काट मारने से प्रसिद्द, अपनी वाणी से पाप का नाश करने वाले, जिनका नाम मनभावन है, हाय, असहाय सीता अपने उस स्वामी राम के बिना व्याकुल हो गईं (मारीच द्वारा राम के स्वर में सीता को पुकारने से)।


विलोम श्लोक :—

🍃 विभुना मदनाप्तेन आत आसीनाजयहासहा।
सः सराः गिरिहारी ह नो देवालयके अटता ॥ २१॥


🔸प्रद्युम्न संग देवलोक में विचरण कर रहे कृष्ण को रोकने में, पुत्र जयंत के शत्रु प्रद्युम्न के अट्टहास को अपनी बाणवर्षा से काट कर शांत करनेवाले, अथाह संपत्ति के स्वामी, पर्वतों के आक्रमणकर्ता इंद्र, असमर्थ हो गए।

#Viloma_Kavya
🍃 भारमा कुदशाकेन आशराधीकुहकेन हा।
चारुधीवनपालोक्या वैदेही महिता हृता ॥ २२ ॥


🔸लक्ष्मी जैसी तेजस्वी का, अंत समय आसन्न होने के कारण नीच दुष्ट छली नीच राक्षस (रावण) द्वारा, उच्च विचारों वाले वनदेवताओं के सामने ही उस सर्वपूजिता सीता का अपहरण कर लिया गया।


विलोम श्लोक :—

🍃 ताः हृताः हि महीदेव ऐक्य अलोपन धीरुचा।
हानकेह कुधीराशा नाकेशा अदकुमारभाः ॥ २२॥


🔸तब, एक ब्राह्मण की मैत्री से उस लुप्त अविनाशी, चिरस्थायी ज्ञान व तेज को पुनर्प्राप्त कर नाकेश (स्वर्गराज, इंद्र) – जिनकी इच्छा पलायन करने वाले देवताओं की रक्षा करने की थी – ने आकुल कुमार प्रद्युम्न का प्रताप हर लिया।

#Viloma_Kavya
🍃 हारितोयदभः रामावियोगे अनघवायुजः।
तं रुमामहितः अपेतामोदाः असारज्ञः आम यः ॥ २३॥


🔸मनोहारी, मेघवर्णीय (राम) – को सीता से वियोग के पश्चात संग मिला निर्विकार हनुमान का और सुग्रीव का जो अपनी पत्नी रुमा के श्रद्धेय थे, जो बाली द्वारा सताए जाने के कारण अपना सुख गवाँ विचारहीन, शक्तिहीन हो राम के शरणागत हो गए थे।


विलोम श्लोक :—

🍃 यः अमराज्ञः असादोमः अतापेतः हिममारुतम्।
जः युवा घनगेयः विम् आर आभोदयतः अरिहा ॥ २३॥


🔸तब देवताओं से युद्ध का परित्याग कर चुके, अतुल्य साहसी (प्रद्युम्न), आकाश में संचारित शीतल पवन से पुनर्जीवित हो गुरुजनों का गुणगान अर्जन किया जब उनके द्वारा शत्रुओं को मार विजय प्राप्त किया गया।

#Viloma_Kavya
🍃 भानुभानुतभाः वामा सदामोदपरः हतं।
तं ह तामरसाभक्क्षः अतिराता अकृत वासविम् ॥ २४॥


🔸सूर्य से भी तेज में प्रशंसित, रमणीक पत्नी (सीता) को निरंतर अतुल आनंद प्रदाता, जिनके नयन कमल जैसे उज्जवल हैं – उन्होंने इंद्र के पुत्र बाली का संहार किया।


विलोम श्लोक :—

🍃 विं सः वातकृतारातिक्षोभासारमताहतं।
तं हरोपदमः दासम् आव आभातनुभानुभाः ॥ २४॥


🔸उस कृष्ण ने – जिनके तेज के समक्ष सूर्य भी गौण है – जिसने अपने उत्तेजित सेवक गरुड़ की रक्षा की, जिस गरुड़ ने अपने डैनों की फड़फड़ाहट मात्र से शत्रुओं की शक्ति और गर्व को क्षीण किया था – जिस (कृष्ण) ने कभी शिव को भी पराजित किया था।

#Viloma_Kavya
🍃 हंसजारुद्धबलजा परोदारसुभा अजनि।
राजि रावण रक्षोरविघाताय रमा आर यम् ॥ २५॥


🔸हंसज, यानि सूर्यपुत्र सुग्रीव, के अपराजेय सैन्यबल की महती भूमिका ने राम के गौरव में वृद्धि कर रावण वध से विजयश्री दिलाई।


विलोम श्लोक :—

🍃 यं रमा आर यताघ विरक्षोरणवराजिर।
निजभा सुरद रोपजालबद्ध रुजासहम् ॥ २५॥


🔸उस कृष्ण के हिस्से निर्मल विजयश्री की ख्याति आई जो बाणों की वर्षा सहने में समर्थ हैं, जिनका तेज युद्धभूमि को असुर-विहीन करने से चमक रहा है, उनका स्वाभाविक तेज देवताओं पर विजय से दमक उठा।

#Viloma_Kavya
🍃 सागरातिगम् आभातिनाकेशः असुरमासहः।
तं सः मारुतजं गोप्ता अभात् आसाद्य गतः अगजम् ॥ २६॥


🔸समुद्र लांघ कर सहयाद्री पर्वत तक जा समुद्र तट तक पहुंचने वाले की प्राप्ति दूत हनुमान के रूप में होने से, इंद्र से भी अधिक प्रतापी, असुरों की समृद्धि को असहनशील, उस रक्षक राम की कीर्ति में वृद्धि हो गई।


विलोम श्लोक :—

🍃 जं गतः गदी असादाभाप्ता गोजं तरुम् आस तं।
हः समारसुशोकेन अतिभामागतिः आगस ॥ २६॥


🔸जो गदाधारी हैं, अपरिमित तेज के स्वामी हैं, वो कृष्ण – प्रद्युम्न को दिए कष्ट से अत्यधिक कुपित हो - स्वर्ग में उत्पन्न वृक्ष को झपट कर विजयी हुए।

#Viloma_Kavya
🍃 वीरवानरसेनस्य त्रात अभात् अवता हि सः।
तोयधो अरिगोयादसि अयतः नवसेतुना ॥ २७॥


🔸वीर वानर सेना के त्राता के रूप में विख्यात राम, उस सेतुसमुन्द्र पर चलने लगे, जो अथाह विस्तृत सागर के जीव-जंतुओं से भी रक्षा कर रहा था।


विलोम श्लोक :—

🍃 ना तु सेवनतः यस्य दयागः अरिवधायतः।
स हि तावत् अभत त्रासी अनसेः अनवारवी ॥ २७॥


🔸जो व्यक्ति, प्रभु हरि की सेवा में रत, उनका यशगान करता है, वह प्रभु की दया प्राप्त कर शत्रुओं पर विजय पाता है। जो ऐसा नहीं करता है वह निहत्थे शत्रु से भी भयभीत होकर कान्तिविहीन हो जाता है।

#Viloma_Kavya
🍃 हारिसाहसलंकेनासुभेदी महितः हि सः।
चारुभूतनुजः रामः अरम् आराधयदार्तिहा ॥ २८॥


🔸चमत्कारिक रूप से साहसी उस राम द्वारा रावण के प्राण हरने पर देवताओं ने उनकी स्तुति की। वे रूपवती भूमिजा सीता के संग हैं, तथा शरणागतों का कष्ट निवारण करते हैं।


विलोम श्लोक :—

🍃 हा आर्तिदाय धराम् आर मोराः जः नुतभूः रुचा।
सः हितः हि मदीभे सुनाके अलं सहसा अरिहा ॥ २८॥


🔸वे, प्रद्युम्न को युद्ध के कष्टों से उबारने के पश्चात लक्ष्मी को निज वक्षस्थली रखने वाले, कीर्तियों के शरणस्थल जो प्रद्युम्न के हितैषी कृष्ण, ऐरावत वाले स्वर्गलोक को जीत कर पृथ्वी को वापस लौट आए।

#Viloma_Kavya
🍃 नालिकेर सुभाकारागारा असौ सुरसापिका।
रावणारिक्षमेरा पूः आभेजे हि न न अमुना ॥ २९॥


🔸नारियल वृक्षों से आच्छादित, रंग-बिरंगे भवनों से निर्मित अयोध्या नगर, रावण को पराजित करने वाले राम का, अब समुचित निवास स्थल बन गया।


विलोम श्लोक :—

🍃 ना अमुना नहि जेभेर पूः आमे अक्षरिणा वरा।
का अपि सारसुसौरागा राकाभासुरकेलिना ॥ २९॥


🔸अनेकों विजयी गजराजों वाली भूमि द्वारका नगर में धर्म के वाहक सताप्रिय कृष्ण, दिव्य वृक्ष पारिजात से दीप्तिमान, का प्रवेश क्रीड़ारत गोपियों संग हुआ।

#Viloma_Kavya
🍃 सा अग्र्यतामरसागाराम् अक्षामा घनभा आर गौः।
निजदे अपरजिति आस श्रीः रामे सुगराजभा ॥ ३०॥


🔸अयोध्या का समृद्ध स्थल, तामरस (कमल) पर विराजमान राज्यलक्ष्मी का सर्वोत्तम निवास बना। सर्वस्व न्योछावर करानेवाले अजेय राम के प्रतापी शासन का उदय हुआ।


विलोम श्लोक :—
🍃 भा अजराग सुमेरा श्रीसत्याजिरपदे अजनि।
गौरभा अनघमा क्षामरागा स अरमत अग्र्यसा ॥ ३०॥


🔸श्रीसत्य (सत्यभामा) के आँगन में अवस्थित पारिजात में पुष्प प्रस्फुटित हुए। सत्यभामा, इस निर्मल संपत्ति को पा कृष्ण की प्रथम भार्या रुक्मिणी के प्रति इर्ष्याभाव का त्याग कर, कृष्ण संग सुखपूर्वक रहने लगी।🔚

#Viloma_Kavya

विलोम काव्य समाप्त

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