संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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हितोपदेशः - HITOPADESHAH

श्लोकः:

मांसमूत्रपुरीषास्थि-
निर्मितेऽस्मिन् कलेवरे।
विनश्वरे विहायास्थां
यशः पालय मित्र मे। 89/042।

अर्थः:

हे मित्र, मांस, मूत्र, मल तथा अस्थियों से निर्मित इस नाशवान शरीर में आस्था रखना छोड़ दो और यश प्राप्ति पर ध्यान केंद्रित करो। अर्थात्, शरीर नाशवान है, इसे जानकर भी यदि हम उसी नश्वर शरीर के प्रति प्रेम रखें, तो हम यश प्राप्त नहीं कर सकते। इसलिये, शरीर के मोह को त्याग कर उसे यश प्राप्ति के कार्य में लगाना चाहिए।

MEANING:

O my friend, do not keep affection in the body which will eventually perish and is made of flesh, urine, stool, and bones. Instead, focus on actions that can help you earn lasting fame.

EXPLANATION:

The verse advises abandoning attachment to the perishable body, composed of flesh, urine, stool, and bones, and instead dedicating efforts to achieving fame and glory. Recognizing the transient nature of the body, one should use it in ways that contribute to lasting reputation rather than being attached to its fleeting existence.

ॐ नमो भगवते हयास्याय।

#Subhashitam
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२.६ आकाशवाणी संस्कृत
🍃 रामनामा सदा खेदभावे दयावान् अतापीनतेजाः रिपौ आनते।
कादिमोदासहाता स्वभासा रसामे सुगः रेणुकागात्रजे भूरुमे ॥ ७॥


🔸श्री राम - दुःखियों के प्रति सदैव दयालु, सूर्य की तरह तेजस्वी मगर सहज प्राप्य, देवताओं के सुख में विघ्न डालने वाले राक्षसों के विनाशक - अपने बैरी - समस्त भूमि के विजेता, भ्रमणशील रेणुका-पुत्र परशुराम - को पराजित कर अपने तेज-प्रताप से शीतल शांत किया था।


विलोम श्लोक :—

🍃 मेरुभूजेत्रगा काणुरे गोसुमे सा अरसा भास्वता हा सदा मोदिका।
तेन वा पारिजातेन पीता नवा यादवे अभात् अखेदा समानामर ॥ ७॥


🔸अपराजेय मेरु (सुमेरु) पर्वत से भी सुन्दर रैवतक पर्वत पर निवास करते समय रुक्मिणी को स्वर्णिम चमकीले पारिजात पुष्पों की प्राप्ति उपरांत धरती के अन्य पुष्प कम सुगन्धित, अप्रिय लगने लगे। उन्हें कृष्ण की संगत में ओजस्वी, नवकलेवर, दैवीय रूप प्राप्त करने की अनुभूति होने लगी।

#Viloma_Kavya
चाणक्य नीति ⚔️
✒️ चतुर्दशः अध्याय

♦️श्लोक :- १९

धर्मं धनं च धान्यं गुरोर्वचनमौषधम्।
संगृहीतं च कर्तव्यमन्यथा न तु जीवति।।१९।।

♦️भावार्थ - धर्म का आचरण, धन का उपार्जन, नाना प्रकार के अन्नों का संचय, गुरु के वचनों का तथा विविध प्रकार की औषधियों का सेवन विधि-विधान से तथा प्रयत्न पूर्वक करना चाहिए। ऐसा न करने पर निश्चय ही व्यक्ति ठीक प्रकार से जी नहीं सकता।

#Chanakya
Forwarded from kathaaH कथाः
मे २०११ सम्भषणसन्देश:
ओ३म्

२६४ संस्कृत वाक्याभ्यासः

चलन्तु , अद्य कृषिक्षेत्रं चलामः ।
= चलिये , आज खेत चलते हैं

सः कृषकः

वह किसान है

तेन सह द्वौ बलीवर्दौ स्तः।
= उसके साथ दो बैल हैं

द्वौ श्रमिकौ अपि स्तः ।
= दो श्रमिक भी हैं

एकस्य पार्श्वे खननसाधनम् अस्ति।
= एक के पास खोदने का साधन है।

एकस्य पार्श्वे कुद्दालः अस्ति।
= एक के पास कुदाल है।

खननसाधनेन सः जलपथं निर्माति।
= खोदने के साधन से वह क्यारी बनाता है।

कुद्दालेन सः अपतृणं दूरीकरोति ।
= कुदाल से वह खरपतवार दूर करता है।

कृषकः बलीवर्दाभ्यां सह बीजवपनं करोति।
= किसान बैलों के साथ बीज बोता है।

कृषकः आतपे अपि कार्यं करोति।
= किसान धूप में भी काम करता है

कृषकः वर्षाकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान बरसात में भी काम करता है।

कृषकः शीतकाले अपि कार्यं करोति।
= किसान जाड़े में भी काम करता है।

वयं यदा अन्नं खादामः तदा कृषकं न स्मरामः।
= जब हम अन्न खाते हैं तब किसान को याद नहीं करते हैं।

भोजनसमये ईश्वरं स्मरन्तु।
= भोजन के समय ईश्वर को याद करें।

कृषकम् अपि स्मरन्तु।
= किसान को भी याद करिये।

ओ३म्

१६५ संस्कृत वाक्याभ्यासः

सः /सा जृम्भते ।
= वह जँभाई लेता / लेती है ।

सः /सा वारं वारं जृम्भते ।
= वह बार बार जँभाई लेता / लेती है ।

सः रात्रौ शयनं न कृतवान् ।
= वह रात सोया ही नहीं ।

सा रात्रौ शयनं न कृतवती।
= वह रात सोई ही नहीं ।

किमर्थम् ??
= किसलिये ??

अद्य तस्य / तस्याः परिक्षा अस्ति।
= आज उसकी परीक्षा है।

आरात्रि: सः / सा पुस्तकं पठितवान् / पठितवती।
= सारी रात उसने पुस्तक पढ़ी।

प्रातः त्रिवादने सः / सा शयनं कृतवान् / कृतवती।
= सुबह तीन बजे वह सोया / सोई।

पञ्चवादने उत्थितवान् / उत्थितवती।
= पाँच बजे उठ गया / उठ गई।

अधुना सः / सा पुनः पठति।
= अभी वह फिर से पढ़ रहा / रही है।

अष्टवादने स्नानं करिष्यति।
= आठ बजे स्नान करेगा / करेगी।

अनन्तरं विश्वविद्यालयं गमिष्यति।
= बाद में विश्वविद्यालय जाएगा / जाएगी।

सः / सा माम् उक्तवान् / उक्तवती।
= वह मुझसे बोला / बोली

” चिन्ता मास्तु … परीक्षाखण्डे निद्रां न करिष्यामि।”
= चिन्ता मत करिये … परीक्षाखंड में नींद नहीं करूँगा / करूँगी।

सम्यक् उत्तराणि लेखिष्यामि।
= अच्छे से उत्तर लिखूँगा / लिखूँगी।

ओ३म्

१६६ संस्कृत वाक्याभ्यासः

तस्य वामनेत्रं स्फुरति।
= उसकी बाईं आँख फड़क रही है।

सः पृच्छति , अद्य किं भविष्यति ?
= वह पूछता है , आज क्या होगा ?

ह्यः तस्य दक्षिणनेत्रं स्फुरति स्म।
= कल उसकी दाईं आँख फड़क रही थी।

सायंकाले भार्यया सह कलहः अभवत्।
= शाम को पत्नी के साथ झगड़ा हो गया।

तर्हि अद्य पुनः किमपि असम्यक् भविष्यति !?
= तो आज फिर से कुछ गलत हो जाएगा !?

न , न भविष्यति।
= न नहीं होगा ।

रक्तसंचार-कारणात् नेत्रं स्फुरति।
= रक्तसंचार के कारण आँख फड़कती है

नेत्रं यदा स्फुरति तदा किमपि असम्यक् भविष्यति इति मिथ्या धारणा।
= आँख जब फड़कती है तब कुछ गलत होगा यह गलत धारणा है

नेत्रं स्फुरति चेत् चिन्ता मास्तु।
= आँख फड़कती है तो चिंता न करें

अन्धविश्वासेन अलम्
= अंधविश्वास न करें ।


१६७ संस्कृत वाक्याभ्यासः

प्रियंकायाः पतिः जलं पिबति।
= प्रियंका के पति पानी पी रहे हैं

सः शीतकात् जलं निष्कास्य जलं पिबति।
= वह फ्रिज से पानी निकाल कर पीता है

प्रियंका रुष्टा भवति।
= प्रियंका गुस्से हो जाती है

प्रियंका अवदत्
= प्रियंका बोली

” अहम् अद्य घटम् आनेष्यामि ”
= मैं आज घड़ा लाऊँगी

प्रियंका घटम् आनेतुम् विपणिं गच्छति।
= प्रियंका घड़ा लेने बाजार जाती है

सा घटस्य परीक्षणं करोति।
= वह घड़े का परीक्षण करती है।

प्रियंका वदति – ” एषः घटः तु स्यन्दते”
= प्रियंका बोली – ” ये घड़ा तो रिस रहा है ”

अपरं ददातु।
= दूसरा दीजिये।

सा पुनः परीक्षणं करोति।
= वह फिर से जाँचती है।

अपरः घटः न स्यन्दते।
= दूसरा घड़ा नहीं रिस रहा है।

सा घटं क्रीणाति।
= वह घड़ा खरीदती है।


१६८ संस्कृत वाक्याभ्यासः

वृन्दे ! …. हे वृन्दे ….. !

वृन्दे ! तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= वृन्दा ! तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?

वृन्दा – आम् अम्ब !
= हाँ माँ !

माता – तर्हि निर्वापय ,
= तो बन्द कर दो ,

वृन्दा – किम् अभवत् ?
= क्या हुआ ?

माता – पूर्वं व्यजनं निर्वापय
= पहले पंखा बन्द करो

माता – नीरज ! ….. नीरज ….

तव प्रकोष्ठे व्यजनं चलति वा ?
= तुम्हारे कमरे में पंखा चल रहा है क्या ?

नीरजः – न अम्ब !

माता – बहु शोभनम् ।
= बहुत अच्छा

– त्वं तु विद्युतं संरक्षसि
= तुम तो बिजली बचाते हो।

नीरजः – किम् अभवत् अम्ब ?
= क्या हुआ माँ ?

माता – पश्य , सः कपोतः
= देखो , वो कबूतर

– प्रकोष्ठे डयते
= कमरे में उड़ रहा है।

– व्यजनं चलति चेत् कपोतस्य पक्षौ भग्नौ भविष्यतः।
= पंखा चलता है तो कबूतर के पंख टूट जाएँगे।

वृन्दा – अहं तं बहिः निष्कासयामि।
= मैं उसे बाहर निकालती हूँ।

#Vakyabhyas
शिक्षकः – माधव ! त्वया लिखितः धेनुसम्बद्धः लेखः वर्षत्रयात् पूर्वं तव भगिन्या लिखितस्य समानः एव दृश्यते, किमर्थं तत् चोरितवान् ?

माधवः- न महाशय ! अस्माकं धेनुः एका एव, या च इदानीमपि अस्मद्गृहे पूर्ववदेव अस्ति, इत्यतः आवयोः लेखः अपि समानः एव जातः ।
😁😆😂🤣😆😁🤣😂

#hasya
June 2, 2021
 केरलेषु अन्तर्जालद्वारा  तत्समयसुविधया अध्ययनवर्षस्य समारम्भः। 

उत्साहेन पठन्तु इति मुख्यमन्त्री पिणरायि विजयः।

     प्रथमदृष्ट्या कार्यविघ्नाः अवसराण्येव। एते नूतनलोकनिर्माणस्य प्रारम्भः भवति। नूतनाध्ययनवर्षेस्य कक्ष्या तत्समय (online) अन्तर्जाल-माध्यमेन इत्यतः  न्यूनोत्साहिनः मा भवन्तु इति केरलस्य मुख्यमन्त्रिणा पिणरायि विजयेन निगदितम्। छात्रेभ्यः स्वच्छन्देन आशयविनिमयाय सन्दर्भं कर्तुं सज्जीकरणानि करिष्यति इति   विद्यालयीयप्रवेशनोत्सवस्य राज्यस्तरीयोद्घाटनसमारोहे सः न्यवेदयत्। अधुनैव अध्ययनस्य आरम्भः करणीयः। क्रियात्मककार्याणि गृहे करणीयानि।  नूतनलोकः  छात्राणां लोकः एव। कार्यविघ्नः नूतनानि अवसराण्येव इति  सः छात्रान् अस्मारयत्।

~ संप्रति वार्ता
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
🚩तिथि - नवमी 04 जून रात्रि 02:22 तक तत्पश्चात दशमी

दिनांक - 03 जून 2021
दिन - गुरुवार
शक संवत - 1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 06:35 तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
योग - प्रीति 04 जून रात्रि 02:24 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
राहुकाल - दोपहर 02:17 से शाम 03:57 तक
सूर्योदय - 05:57
सूर्यास्त - 19:16
दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
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