भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश
• न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्त किया गया है और वे 11 नवंबर, 2024 को पदभार ग्रहण करेंगे।
• वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के तरीके का प्रावधान है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
• CJI को सर्वोच्च न्यायालय (SC) का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होना चाहिए।
• कानून मंत्री को उचित समय पर नए CJI की नियुक्ति के लिए निवर्तमान CJI की सिफारिश लेनी होगी।
• मुख्य न्यायाधीश का पद धारण करने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की योग्यता के बारे में संदेह की स्थिति में अनुच्छेद 124 (2) के तहत अन्य न्यायाधीशों से परामर्श किया जाएगा।
• सर्वोच्च न्यायालय की अध्यक्षता करना तथा न्यायिक कार्यवाही का नेतृत्व करना।
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करना।
• न्यायालय के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए
मामलों का आवंटन और पीठों का गठन करना।
• सीजेआई कॉलेजियम का नेतृत्व करते हैं।
#Current_Affairs_of_IGP
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
• न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्त किया गया है और वे 11 नवंबर, 2024 को पदभार ग्रहण करेंगे।
• वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के तरीके का प्रावधान है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
• CJI को सर्वोच्च न्यायालय (SC) का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होना चाहिए।
• कानून मंत्री को उचित समय पर नए CJI की नियुक्ति के लिए निवर्तमान CJI की सिफारिश लेनी होगी।
• मुख्य न्यायाधीश का पद धारण करने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की योग्यता के बारे में संदेह की स्थिति में अनुच्छेद 124 (2) के तहत अन्य न्यायाधीशों से परामर्श किया जाएगा।
• सर्वोच्च न्यायालय की अध्यक्षता करना तथा न्यायिक कार्यवाही का नेतृत्व करना।
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करना।
• न्यायालय के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए
मामलों का आवंटन और पीठों का गठन करना।
• सीजेआई कॉलेजियम का नेतृत्व करते हैं।
#Current_Affairs_of_IGP
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
👍10❤2👌2
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः
1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है।
2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों ✅✅
d) न तो 1, न ही 2
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है।
2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है।
उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं?
a) केवल 1
b) केवल 2
c) 1 और 2 दोनों ✅✅
d) न तो 1, न ही 2
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
👍4❤3👏3🏆2
Political School
निम्नलिखित कथनों पर विचार कीजिएः 1. राष्ट्रपति द्वारा क्षमादान की शक्तियों का प्रयोग केंद्रीय मंत्रिमंडल की सलाह पर किया जाता है। 2. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। उपर्युक्त कथनों में से कौन-सा/से सही है / हैं? a) केवल 1 b) केवल…
० उच्चतम न्यायालय ने राष्ट्रपति की क्षमादान शक्ति का विभिन्न मामलों में अध्ययन कर निम्नलिखित सिद्धांत प्रस्तुत किए हैं;
1. दया की याचिका करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति से मौखिक सुनवाई का अधिकार नहीं है।
2. राष्ट्रपति साक्ष्य का पुनः अध्ययन कर सकता है और उसका विचार न्यायालय से भिन्न हो सकता है। 3. राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल के परामर्श से ही करेगा। इसलिए कथन 1 सही है।
4. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए कथन 2 सही है।
5. राष्ट्रपति न केवल दंड पर राहत दे सकता है बल्कि प्रमाणिक भूल के लिए भी राहत प्रदान कर सकता है। 6. राष्ट्रपति को अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी भी दिशा-निर्देश का पालन करना आवश्यक नहीं है।
7. राष्ट्रपति के इस निर्णय की किसी भी प्रकार की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती, सिवाय ऐसे मामले के जहां राष्ट्रपति का निर्णय स्वेच्छाचारी, विवेक रहित, दुर्भावनापूर्ण तथा भेदभावपूर्ण हो। 8. जब क्षमादान की पूर्व याचिका राष्ट्रपति ने अस्वीकृत कर दी हो तो दूसरी याचिका दायर करके स्थगन (स्टे) नहीं प्राप्त किया जा सकता।
इस प्रश्न का विकल्प c सही है
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
1. दया की याचिका करने वाले व्यक्ति को राष्ट्रपति से मौखिक सुनवाई का अधिकार नहीं है।
2. राष्ट्रपति साक्ष्य का पुनः अध्ययन कर सकता है और उसका विचार न्यायालय से भिन्न हो सकता है। 3. राष्ट्रपति इस शक्ति का प्रयोग मंत्रिमंडल के परामर्श से ही करेगा। इसलिए कथन 1 सही है।
4. राष्ट्रपति अपने आदेश का कारण बताने के लिए बाध्य नहीं है। इसलिए कथन 2 सही है।
5. राष्ट्रपति न केवल दंड पर राहत दे सकता है बल्कि प्रमाणिक भूल के लिए भी राहत प्रदान कर सकता है। 6. राष्ट्रपति को अपनी शक्ति का प्रयोग करने के लिए उच्चतम न्यायालय के किसी भी दिशा-निर्देश का पालन करना आवश्यक नहीं है।
7. राष्ट्रपति के इस निर्णय की किसी भी प्रकार की न्यायिक समीक्षा नहीं की जा सकती, सिवाय ऐसे मामले के जहां राष्ट्रपति का निर्णय स्वेच्छाचारी, विवेक रहित, दुर्भावनापूर्ण तथा भेदभावपूर्ण हो। 8. जब क्षमादान की पूर्व याचिका राष्ट्रपति ने अस्वीकृत कर दी हो तो दूसरी याचिका दायर करके स्थगन (स्टे) नहीं प्राप्त किया जा सकता।
इस प्रश्न का विकल्प c सही है
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
👍6💯1🏆1
Forwarded from PUSHPENDRA KASANA(RES) WRITER(JRF/NET) (Pushpendra Kasana)
00 IInd Grade GK_Inner.pdf
1.5 MB
👍2👌1
Forwarded from PUSHPENDRA KASANA(RES) WRITER(JRF/NET) (Pushpendra Kasana)
👍1🎉1
Forwarded from PUSHPENDRA KASANA(RES) WRITER(JRF/NET) (Pushpendra Kasana)
☝🏻Online 🔗 link book 📕 Purchase
👍1💯1
त्योहार हमेशा से मुझे अच्छे लगते हैं..रोज़ एक जैसे रुटीन से अलग कुछ होना वैसे भी नीरस ज़िन्दगी में एक उछाल जैसा है।
सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की होती है कि अपने घर से बाहर गए लड़के लड़कियां त्योहार पर घर जा रहे होते है...
घर जाना जड़ो की तरफ लौटना होता है जहाँ आपका बचपन जुड़ा होता है,
इंसान की सबसे बेहतरीन यादें बचपन से ही जुड़ी होती है क्योंकि बुढ़ापे में मरते हुए इंसान को अपना ऑफिस याद नही आता,
ख़ैर स्टेशन पर लड़के लड़कियों मज़दूरों कारीगरों की भीड़ बहुत अच्छी लगती है।
ऑफिस का माहौल अच्छा लगता है जब लोग कहते है आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलकर बैग उठाएंगे और त्योहार में दो तीन दिन के लिए घर चले जाएंगे...
इंसान इतना मशीन हो चुका है कि अगर त्योहार न होता तो अपने घर ही न जाता क्योंकि जो एक दो दिन की छुट्टी लेता है उसमें वो आस पास की घूमने वाली जगह पर चला जाता है .....
लेकिन त्योहार के बहाने लोग अपने घर जाते है इससे इसकी अहमियत पता चलती है मैं दुबारा फिर कहूंगा घर जाना हमेशा सबसे बेहतरीन होता है।
पिछले 2-3 दिनों से रेलों और बसों के माध्यम से घर जाने वालों में ज़्यादातर स्टूडेंट थे जो सामान लिए हुए थे।
एक नज़र ग़ौर से देखा एक अंदर से ख़ुशी हुई की ये जो लड़के अपने गांव लौट रहे है ये तीन- चार दिन कितने बेहतरीन होंगे।
उनकी माँ बहन उनका इन्तिज़ार देख रही होंगी। उनके दोस्त उन्हें याद कर रहे होंगे। शायद गांव की कोई लड़की भी।
सब कुछ कितना अच्छा होगा। ये त्यौहार भी कितनी खुशिया लाते है।
ये वाक़ई बेहतरीन और ख़ुशनसीबी है कि जिस देश मे हम पैदा हुए है वहां अलग अलग धर्मो के त्योहारों का मज़ा ले रहे है।
घर मे शादी फंक्शन भी मज़ा देते है लेकिन ये महज़ गिने चुने लोगो के लिए होता है लेकिन त्योहार में तो पूरा देश झूमता है।
मैने दीवाली में खूब पटाख़े छुड़ाए....लोगो के घरों की बाउंड्री से "दीये" उठाकर अपने घर पे सजाये है।
घर के तमाम बर्तनों में बम रखकर बर्तनों को ख़राब किया है हालांकि अब ये सब नही होता, मैं अब त्योहार इस तरह सेलेब्रेट नही करता लेकिन दूसरो को ऐसा करते देखना अच्छा लगता है।
अंत में
आप सभी को प्रकाश पर्व दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ 💐💐🌆🪔🧨🎇
सादर-
देवराज गौड़
सबसे ज़्यादा खुशी इस बात की होती है कि अपने घर से बाहर गए लड़के लड़कियां त्योहार पर घर जा रहे होते है...
घर जाना जड़ो की तरफ लौटना होता है जहाँ आपका बचपन जुड़ा होता है,
इंसान की सबसे बेहतरीन यादें बचपन से ही जुड़ी होती है क्योंकि बुढ़ापे में मरते हुए इंसान को अपना ऑफिस याद नही आता,
ख़ैर स्टेशन पर लड़के लड़कियों मज़दूरों कारीगरों की भीड़ बहुत अच्छी लगती है।
ऑफिस का माहौल अच्छा लगता है जब लोग कहते है आज ऑफिस से थोड़ा जल्दी निकलकर बैग उठाएंगे और त्योहार में दो तीन दिन के लिए घर चले जाएंगे...
इंसान इतना मशीन हो चुका है कि अगर त्योहार न होता तो अपने घर ही न जाता क्योंकि जो एक दो दिन की छुट्टी लेता है उसमें वो आस पास की घूमने वाली जगह पर चला जाता है .....
लेकिन त्योहार के बहाने लोग अपने घर जाते है इससे इसकी अहमियत पता चलती है मैं दुबारा फिर कहूंगा घर जाना हमेशा सबसे बेहतरीन होता है।
पिछले 2-3 दिनों से रेलों और बसों के माध्यम से घर जाने वालों में ज़्यादातर स्टूडेंट थे जो सामान लिए हुए थे।
एक नज़र ग़ौर से देखा एक अंदर से ख़ुशी हुई की ये जो लड़के अपने गांव लौट रहे है ये तीन- चार दिन कितने बेहतरीन होंगे।
उनकी माँ बहन उनका इन्तिज़ार देख रही होंगी। उनके दोस्त उन्हें याद कर रहे होंगे। शायद गांव की कोई लड़की भी।
सब कुछ कितना अच्छा होगा। ये त्यौहार भी कितनी खुशिया लाते है।
ये वाक़ई बेहतरीन और ख़ुशनसीबी है कि जिस देश मे हम पैदा हुए है वहां अलग अलग धर्मो के त्योहारों का मज़ा ले रहे है।
घर मे शादी फंक्शन भी मज़ा देते है लेकिन ये महज़ गिने चुने लोगो के लिए होता है लेकिन त्योहार में तो पूरा देश झूमता है।
मैने दीवाली में खूब पटाख़े छुड़ाए....लोगो के घरों की बाउंड्री से "दीये" उठाकर अपने घर पे सजाये है।
घर के तमाम बर्तनों में बम रखकर बर्तनों को ख़राब किया है हालांकि अब ये सब नही होता, मैं अब त्योहार इस तरह सेलेब्रेट नही करता लेकिन दूसरो को ऐसा करते देखना अच्छा लगता है।
अंत में
आप सभी को प्रकाश पर्व दीपावली की ढेर सारी शुभकामनाएँ 💐💐🌆🪔🧨🎇
सादर-
देवराज गौड़
👍31❤13🔥2🎉2💯2