CAA चर्चा में क्यों ?
> केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता देना शुरू कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 11 मार्च 2024 को CAA के नियमों को अधिसूचित किया था।
नागरिकता राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समितियों के माध्यम से प्रदान की गई।
CAA के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया अब पश्चिम बंगाल में शुरू हो गई है, जहाँ राज्य से आए आवेदनों के पहले सेट को पश्चिम बंगाल की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की गई।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA)
इस विधेयक को 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा और दो दिन बाद राज्यसभा ने पारित
कर दिया था। इसे 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई।
> इसमें छह समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारत में रहने की
अनुमति देने का प्रस्ताव है, यदि वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर गए थे।
> नागरिकता के लिए आवश्यक अवधि को 11 वर्ष से घटाकर केवल 5 वर्ष कर देता है
सिटिज़नशिप
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके हैं: जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण और क्षेत्र समाविष्टि।
यह संसद के विशेष अधिकार क्षेत्र में है।
संविधान में 'नागरिक' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 5: भारत में निवास करने वाले और जन्मे सभी लोगों को नागरिकता दी गई।
अनुच्छेद 6: इसमें पाकिस्तान से भारत आये कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किये गये।
अनुच्छेद 7: पाकिस्तान में कुछ प्रवासियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किये गये।
अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किए गए।
अनुच्छेद 9: यदि किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा।
अनुच्छेद 10: प्रत्येक व्यक्ति जो इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के उपबंधों के अधीन रहते हुए ऐसा नागरिक बना रहेगा।
अनुच्छेद 11: यह संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा इससे संबंधित सभी मामलों के संबंध में कोई भी प्रावधान बनाने का अधिकार देता है
अधिनियम और संशोधन
नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण और निर्धारण का प्रावधान करता है।
चार बार संशोधन किया गया है- 1986, 2003, 2005 और 2015 में
✍️ देवराज गौड़
#Current_Affairs_of_IGP
https://t.me/pol_sci_with_devrajgaur
> केंद्र सरकार ने पश्चिम बंगाल, हरियाणा और उत्तराखंड में नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA) के तहत नागरिकता देना शुरू कर दिया है।
प्रमुख बिंदु
केंद्रीय गृह मंत्रालय (MHA) ने 11 मार्च 2024 को CAA के नियमों को अधिसूचित किया था।
नागरिकता राज्य स्तरीय अधिकार प्राप्त समितियों के माध्यम से प्रदान की गई।
CAA के तहत नागरिकता प्रमाण पत्र देने की प्रक्रिया अब पश्चिम बंगाल में शुरू हो गई है, जहाँ राज्य से आए आवेदनों के पहले सेट को पश्चिम बंगाल की अधिकार प्राप्त समिति द्वारा नागरिकता प्रदान की गई।
नागरिकता (संशोधन) अधिनियम (CAA)
इस विधेयक को 9 दिसंबर, 2019 को लोकसभा और दो दिन बाद राज्यसभा ने पारित
कर दिया था। इसे 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल गई।
> इसमें छह समुदायों हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई को भारत में रहने की
अनुमति देने का प्रस्ताव है, यदि वे 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में प्रवेश कर गए थे।
> नागरिकता के लिए आवश्यक अवधि को 11 वर्ष से घटाकर केवल 5 वर्ष कर देता है
सिटिज़नशिप
भारतीय नागरिकता प्राप्त करने के पांच तरीके हैं: जन्म, वंश, पंजीकरण, प्राकृतिककरण और क्षेत्र समाविष्टि।
यह संसद के विशेष अधिकार क्षेत्र में है।
संविधान में 'नागरिक' शब्द को परिभाषित नहीं किया गया है।
अनुच्छेद 5: भारत में निवास करने वाले और जन्मे सभी लोगों को नागरिकता दी गई।
अनुच्छेद 6: इसमें पाकिस्तान से भारत आये कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किये गये।
अनुच्छेद 7: पाकिस्तान में कुछ प्रवासियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किये गये।
अनुच्छेद 8: भारत के बाहर रहने वाले भारतीय मूल के कुछ व्यक्तियों को नागरिकता के अधिकार प्रदान किए गए।
अनुच्छेद 9: यदि किसी व्यक्ति ने स्वेच्छा से किसी विदेशी राज्य की नागरिकता प्राप्त कर ली है तो वह भारत का नागरिक नहीं रहेगा।
अनुच्छेद 10: प्रत्येक व्यक्ति जो इस भाग के पूर्वगामी उपबंधों के अधीन भारत का नागरिक है या समझा जाता है, संसद द्वारा बनाए गए किसी कानून के उपबंधों के अधीन रहते हुए ऐसा नागरिक बना रहेगा।
अनुच्छेद 11: यह संसद को नागरिकता के अर्जन और समाप्ति तथा इससे संबंधित सभी मामलों के संबंध में कोई भी प्रावधान बनाने का अधिकार देता है
अधिनियम और संशोधन
नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण और निर्धारण का प्रावधान करता है।
चार बार संशोधन किया गया है- 1986, 2003, 2005 और 2015 में
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महत्त्वपूर्ण शब्दावली
साइलेंस पीरियड (Silence Period)
भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदान दिवस से 48 घंटे पहले तक का समय साइलेंस पीरियड के नाम से जाना जाता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत, इस अवधि के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं होती है। यह पीरियड मतदान की समाप्ति के साथ समाप्त हो जाता है।
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साइलेंस पीरियड (Silence Period)
भारत के निर्वाचन आयोग के अनुसार, मतदान दिवस से 48 घंटे पहले तक का समय साइलेंस पीरियड के नाम से जाना जाता है। जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 126 के तहत, इस अवधि के दौरान राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों को चुनाव प्रचार करने की अनुमति नहीं होती है। यह पीरियड मतदान की समाप्ति के साथ समाप्त हो जाता है।
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उपराष्ट्रपति को पद से हटाने का प्रस्ताव तैयार
87 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर
भारत के उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया, संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत निर्धारित की गई है:✍️
▪️उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जा सकता है.
▪️इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए, उपराष्ट्रपति को कम से कम 14 दिन पहले सूचना देनी होती है.
▪️प्रस्ताव पारित होने के लिए, राज्यसभा में मौजूद सदस्यों के बहुमत से सहमति ज़रूरी होती है. साथ ही, लोकसभा की भी सहमति लेनी होती है.
▪️उपराष्ट्रपति को हटाने के लिए महाभियोग चलाने की ज़रूरत नहीं होती l
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87 विपक्षी सांसदों के हस्ताक्षर
भारत के उपराष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया, संविधान के अनुच्छेद 67 (बी) के तहत निर्धारित की गई है:✍️
▪️उपराष्ट्रपति को हटाने का प्रस्ताव राज्यसभा में पेश किया जा सकता है.
▪️इस प्रस्ताव को पेश करने के लिए, उपराष्ट्रपति को कम से कम 14 दिन पहले सूचना देनी होती है.
▪️प्रस्ताव पारित होने के लिए, राज्यसभा में मौजूद सदस्यों के बहुमत से सहमति ज़रूरी होती है. साथ ही, लोकसभा की भी सहमति लेनी होती है.
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भारत के सुप्रीम कोर्ट ने 75वीं वर्षगांठ पर नया झंडा और प्रतीक चिह्न पेश किया। इस झंडे पर संस्कृत में 'यतो धर्मस्य ततो जय' लिखा है, जिसका अर्थ है 'जहां धर्म है वहीं विजय है'। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर नए झंडे का अनावरण किया और न्याय प्रक्रियाओं में सुधार की आवश्यकता पर जोर दिया।
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#SupremeCourt #Newflag #insignia #President #DroupadiMurmu
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हरियाणा के राज्यपाल बंडारू दत्तात्रेय ने प्रदेश विधानसभा भंग कर दी है। राज्य की भाजपा सरकार की सिफारिश पर गवर्नर ने इसका नोटिफिकेशन जारी कर दिया। विधानसभा भंग करने के नोटिफिकेशन में गवर्नर ने लिखा- 'भारत के संविधान के अनुच्छेद 174 के खंड (2) के उप-खंड (बी) द्वारा मिली शक्तियों का प्रयोग करते हुए मैं बंडारू दत्तात्रेय, राज्यपाल, हरियाणा तत्काल प्रभाव से हरियाणा विधानसभा भंग करता हूं।'
गवर्नर के मुताबिक, अगली सरकार का गठन होने तक नायब सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
दरअसल, 6 महीने की अवधि में विधानसभा सेशन न बुला पाने के संवैधानिक संकट से बचने के लिए सैनी सरकार ने यह कदम उठाया।
हरियाणा की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक था। यानी अभी कार्यकाल पूरा होने में 52 दिन बचे थे। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, विधानसभा के 2 सेशन में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं हो सकता। प्रदेश विधानसभा के पिछले सेशन को 12 सितंबर को 6 महीने पूरे हो गए। चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं इसलिए सेशन बुलाना संभव नहीं था।
देश में इस तरह के संवैधानिक संकट के बाद विधानसभा भंग करने का यह पहला मामला है। 1947 में देश आजाद होने के बाद कभी किसी राज्य में ऐसी नौबत नहीं आई।
विधानसभा भंग क्यों करनी पड़ी?
संविधान के अनुच्छेद 174(1) के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा के 2 सेशन के बीच 6 महीने से ज्यादा का गैप नहीं हो सकता। हरियाणा में 13 मार्च 2024 को विधानसभा का एक दिन का विशेष सेशन बुलाया गया था। उसमें CM नायब सैनी ने बहुमत साबित किया। इसके बाद 6 महीने के भीतर यानी 12 सितंबर तक हर हाल में दूसरा सेशन बुलाया जाना अनिवार्य था। सैनी सरकार ऐसा नहीं कर पाई।
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गवर्नर के मुताबिक, अगली सरकार का गठन होने तक नायब सैनी कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रहेंगे।
दरअसल, 6 महीने की अवधि में विधानसभा सेशन न बुला पाने के संवैधानिक संकट से बचने के लिए सैनी सरकार ने यह कदम उठाया।
हरियाणा की 14वीं विधानसभा का कार्यकाल 3 नवंबर तक था। यानी अभी कार्यकाल पूरा होने में 52 दिन बचे थे। संवैधानिक व्यवस्था के अनुसार, विधानसभा के 2 सेशन में छह महीने से ज्यादा का गैप नहीं हो सकता। प्रदेश विधानसभा के पिछले सेशन को 12 सितंबर को 6 महीने पूरे हो गए। चूंकि राज्य में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं इसलिए सेशन बुलाना संभव नहीं था।
देश में इस तरह के संवैधानिक संकट के बाद विधानसभा भंग करने का यह पहला मामला है। 1947 में देश आजाद होने के बाद कभी किसी राज्य में ऐसी नौबत नहीं आई।
विधानसभा भंग क्यों करनी पड़ी?
संविधान के अनुच्छेद 174(1) के तहत किसी भी राज्य की विधानसभा के 2 सेशन के बीच 6 महीने से ज्यादा का गैप नहीं हो सकता। हरियाणा में 13 मार्च 2024 को विधानसभा का एक दिन का विशेष सेशन बुलाया गया था। उसमें CM नायब सैनी ने बहुमत साबित किया। इसके बाद 6 महीने के भीतर यानी 12 सितंबर तक हर हाल में दूसरा सेशन बुलाया जाना अनिवार्य था। सैनी सरकार ऐसा नहीं कर पाई।
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भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश
• न्यायमूर्ति संजीव खन्ना को भारत के अगले मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) के रूप में नियुक्त किया गया है और वे 11 नवंबर, 2024 को पदभार ग्रहण करेंगे।
• वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के तरीके का प्रावधान है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
• CJI को सर्वोच्च न्यायालय (SC) का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होना चाहिए।
• कानून मंत्री को उचित समय पर नए CJI की नियुक्ति के लिए निवर्तमान CJI की सिफारिश लेनी होगी।
• मुख्य न्यायाधीश का पद धारण करने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की योग्यता के बारे में संदेह की स्थिति में अनुच्छेद 124 (2) के तहत अन्य न्यायाधीशों से परामर्श किया जाएगा।
• सर्वोच्च न्यायालय की अध्यक्षता करना तथा न्यायिक कार्यवाही का नेतृत्व करना।
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करना।
• न्यायालय के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए
मामलों का आवंटन और पीठों का गठन करना।
• सीजेआई कॉलेजियम का नेतृत्व करते हैं।
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• वर्तमान मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ 10 नवंबर, 2024 को सेवानिवृत्त होंगे।
• भारतीय संविधान के अनुच्छेद 124 में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के तरीके का प्रावधान है। लेकिन मुख्य न्यायाधीश की नियुक्ति के लिए संविधान में कोई विशेष प्रावधान नहीं है।
• CJI को सर्वोच्च न्यायालय (SC) का सबसे वरिष्ठ न्यायाधीश होना चाहिए।
• कानून मंत्री को उचित समय पर नए CJI की नियुक्ति के लिए निवर्तमान CJI की सिफारिश लेनी होगी।
• मुख्य न्यायाधीश का पद धारण करने के लिए वरिष्ठतम न्यायाधीश की योग्यता के बारे में संदेह की स्थिति में अनुच्छेद 124 (2) के तहत अन्य न्यायाधीशों से परामर्श किया जाएगा।
• सर्वोच्च न्यायालय की अध्यक्षता करना तथा न्यायिक कार्यवाही का नेतृत्व करना।
• सर्वोच्च न्यायालय के प्रशासनिक प्रमुख के रूप में कार्य करना।
• न्यायालय के प्रभावी कामकाज को सुनिश्चित करने के लिए
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