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श्री मंगल चालीसा | Mangal Dev Chalisa PDF in Hindi
श्री मंगल चालीसा | Mangal Dev Chalisa PDF Detailsश्री मंगल चालीसा | Mangal Dev ChalisaPDF Nameश्री मंगल चालीसा | Mangal Dev Chalisa PDFNo. of Pages4PDF Size0.52 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
श्री मंगल चालीसा | Mangal Dev Chalisa Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख में आपको श्री मंगल चालीसा / Mangal Dev Chalisa PDF प्रदान कर रहे हैं। यह चालीसा मंगल देव को समर्पित है। जिन जातकों की कुंडली में मंगल देव की महादशा अथवा अन्तर्दशा चल रही है, उन्हे इस चालीसा का पाठ नित्य – प्रतिदिन अवश्य करनी चाहिए। यदि आप प्रतिदिन पाठ करने में असमर्थ हैं, तो काम से कम प्रति मंगलवार इस चालीसा का पाठ अवश्य करें।जिन जातकों की कुंडली में मंगलदोष उपस्थित है तथा उनके जीवन में मंगलदोष के कारण अनेक प्रकार की समस्यायें उत्पन्न हो रही हैं, तो आपको श्री मंगल चालीसा के पाठ से लाभ होगा। इस चालीसा का पाठ करने से मांगलिक होने के कारण से उत्पन्न होने वाली विवाह सम्बंधित समस्याओं का भी नाश होता हैं।मंगल ग्रह चालीसा | Mangal Grah Chalisa Lyrics PDFमंगल मूरति जय जय हनुमंता, मंगल-मंगल देव अनंता।हाथ व्रज और ध्वजा विराजे, कांधे मूंज जनेऊ साजे।शंकर सुवन केसरी नंदन, तेज प्रताप महा जगवंदन।लाल लंगोट लाल दोऊ नयना, पर्वत सम फारत है सेना।काल अकाल जुद्ध किलकारी, देश उजारत क्रुद्ध अपारी।रामदूत अतुलित बलधामा, अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।महावीर विक्रम बजरंगी, कुमति निवार सुमति के संगी।भूमि पुत्र कंचन बरसावे, राजपाट पुर देश दिवावे।शत्रुन काट-काट महिं डारे, बंधन व्याधि विपत्ति निवारे।आपन तेज सम्हारो आपै, तीनों लोक हांक ते कांपै।सब सुख लहैं तुम्हारी शरणा, तुम रक्षक काहू को डरना।तुम्हरे भजन सकल संसारा, दया करो सुख दृष्टि अपारा।रामदण्ड कालहु को दण्डा, तुम्हरे परसि होत जब खण्डा।पवन पुत्र धरती के पूता, दोऊ मिल काज करो अवधूता।हर प्राणी शरणागत आए, चरण कमल में शीश नवाए।रोग शोक बहु विपत्ति घराने, दुख दरिद्र बंधन प्रकटाने।तुम तज और न मेटनहारा, दोऊ तुम हो महावीर अपारा।दारिद्र दहन ऋण त्रासा, करो रोग दुख स्वप्न विनाशा।शत्रुन करो चरन के चेरे, तुम स्वामी हम सेवक तेरे।विपति हरन मंगल देवा, अंगीकार करो यह सेवा।मुद्रित भक्त विनती यह मोरी, देऊ महाधन लाख करोरी।श्रीमंगलजी की आरती हनुमत सहितासु गाई।होई मनोरथ सिद्ध जब अंत विष्णुपुर जाई।श्री मंगल चालीसा पाठ विधि | Shri Mangal Chalisa Path Vidhiसर्वप्रथम स्नान आदि से निर्वत्त होकर शुद्ध हो जाएँ।
अब पूर्व दिशा की ओर मुख करके आसन पर बैठ जाएँ।
एक लकड़ी की चौकी रखें।
लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
उस पर मंगलदेव व श्री हनुमान जी का चित्र अथवा मूर्ति स्थापित करें।
अब उनके समक्ष श्री मंगल चालीसा का पाठ करें।
पाठ संपन्न होने पर आरती करें तथा आशीर्वाद ग्रहण करें।You may also like :मंगलवार की आरती | Mangalvar Vrat Aarti PDF in Hindiमंगलवार व्रत कथा | Mangalvar Vrat Katha in Hindi PDF in Hindiऋणमोचक मंगल स्तोत्र | Rinmochan Mangal Stotra PDF in Hindiमंगल भौम प्रदोष व्रत कथा | Mangal Pradosh Vrat Katha 2021 PDF in HindiYou can download Mangal Dev Chalisa in Hindi PDF by clicking on the following download button.#शर #मगल #चलस #Mangal #Dev #Chalisa #PDF #HindiThe post श्री मंगल चालीसा | Mangal Dev Chalisa PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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विंध्याचल चालीसा | Vindhyachal Chalisa PDF in Hindi
विंध्याचल चालीसा | Vindhyachal Chalisa PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/----vindhyachal-chalisa-454.jpg">विंध्याचल चालीसा | Vindhyachal Chalisa</a>PDF Name<b>विंध्याचल चालीसा | Vindhyachal Chalisa PDF</b>No. of Pages<b>8</b>PDF Size<b>0.55 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
विंध्याचल चालीसा | Vindhyachal Chalisa Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं विंध्याचल चालीसा PDF / Vindhyachal Chalisa PDF in Hindi जिसके नियमित पाठ करने से आपको शांति भरा जीवन प्राप्त होता है। विंध्याचल देवी को भारत के विभिन्न क्षेत्रों बहुत बड़ी संख्या में पूजा जाता है। विंध्याचल देवी चालीसा को बहुत से स्थानों पर विन्धेश्वरी देवी के नाम से भी जाना जाता है। बहुत से लोगों ने अपने जीवन में माँ विंध्याचल देवी के चमत्कार को देखा है तथा उसका अनुभव किया है। विन्धेश्वरी देवी के पूजन से न केवल शत्रुओं का नाश होता है, बल्कि व्यक्ति के जीवन में आने वाले सारे संकट कट जाते हैं।यदि आप अपने जीवन में अनेक प्रकार की समस्याओं से घिरे रहते हैं तथा बहुत समय हो जाने पर भी उन समस्याओं से छुटकारा नहीं मिल पा रहा है, तो आपको देवी विन्धेश्वरी का पूजन अवश्य करें। विन्धेश्वरी देवी को प्रसन्न करने के लिए आप विंध्याचल चालीसा का पाठ कर सकते हैं। विंध्याचल चालीसा के नियमित पाठ से व्यक्ति का जीवन सुखी हो जाता है।विन्ध्याचल चालीसा PDF | Vindhyachal Chalisa PDF in Hindi॥ दोहा ॥नमो नमो विन्ध्येश्वरी,नमो नमो जगदम्ब।सन्तजनों के काज में,माँ करती नहीं विलम्ब॥॥ चौपाई ॥जय जय जय विन्ध्याचल रानी।आदि शक्ति जग विदित भवानी॥सिंहवाहिनी जै जग माता।जय जय जय त्रिभुवन सुखदाता॥कष्ट निवारिनी जय जग देवी।जय जय जय जय असुरासुर सेवी॥महिमा अमित अपार तुम्हारी।शेष सहस मुख वर्णत हारी॥दीनन के दुःख हरत भवानी।नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी॥सब कर मनसा पुरवत माता।महिमा अमित जगत विख्याता॥जो जन ध्यान तुम्हारो लावै।सो तुरतहि वांछित फल पावै॥तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी।तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी॥रमा राधिका शामा काली।तू ही मात सन्तन प्रतिपाली॥उमा माधवी चण्डी ज्वाला।बेगि मोहि पर होहु दयाला॥तू ही हिंगलाज महारानी।तू ही शीतला अरु विज्ञानी॥दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता।तू ही लक्श्मी जग सुखदाता॥तू ही जान्हवी अरु उत्रानी।हेमावती अम्बे निर्वानी॥अष्टभुजी वाराहिनी देवी।करत विष्णु शिव जाकर सेवी॥चोंसट्ठी देवी कल्यानी।गौरी मंगला सब गुण खानी॥पाटन मुम्बा दन्त कुमारी।भद्रकाली सुन विनय हमारी॥वज्रधारिणी शोक नाशिनी।आयु रक्शिणी विन्ध्यवासिनी॥जया और विजया बैताली।मातु सुगन्धा अरु विकराली॥नाम अनन्त तुम्हार भवानी।बरनैं किमि मानुष अज्ञानी॥जा पर कृपा मातु तव होई।तो वह करै चहै मन जोई॥कृपा करहु मो पर महारानी।सिद्धि करिय अम्बे मम बानी॥जो नर धरै मातु कर ध्याना।ताकर सदा होय कल्याना॥विपत्ति ताहि सपनेहु नहिं आवै।जो देवी कर जाप करावै॥जो नर कहं ऋण होय अपारा।सो नर पाठ करै शत बारा॥निश्चय ऋण मोचन होई जाई।जो नर पाठ करै मन लाई॥अस्तुति जो नर पढ़े पढ़ावे।या जग में सो बहु सुख पावै॥जाको व्याधि सतावै भाई।जाप करत सब दूरि पराई॥जो नर अति बन्दी महं होई।बार हजार पाठ कर सोई॥निश्चय बन्दी ते छुटि जाई।सत्य बचन मम मानहु भाई॥जा पर जो कछु संकट होई।निश्चय देबिहि सुमिरै सोई॥जो नर पुत्र होय नहिं भाई।सो नर या विधि करे उपाई॥पांच वर्ष सो पाठ करावै।नौरातर में विप्र जिमावै॥निश्चय होय प्रसन्न भवानी।पुत्र देहि ताकहं गुण खानी॥ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै।विधि समेत पूजन करवावै॥नित प्रति पाठ करै मन लाई।प्रेम सहित नहिं आन उपाई॥यह श्री विन्ध्याचल चालीसा।रंक पढ़त होवे अवनीसा॥यह जनि अचरज मानहु भाई।कृपा दृष्टि तापर होई जाई॥जय जय जय जगमातु भवानी।कृपा करहु मो पर जन जानी॥श्री विन्ध्याचल चालीसा पाठ विधि PDF | Vindhyachal Chalisa Path Vidhi PDFसबसे पहले स्नान करके स्वच्छ हो जाएँ।तत्पश्चात पूर्व दिशा की ओर मुख करके एक लकड़ी की चौकी रखें।अब लकड़ी की चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं।तदोपरांत देवी माँ की स्थापना करें।स्थापना के पश्चात श्री विन्ध्याचल चालीसा का पाठ करें।अंत में माता जी की आरती करें तथा आशीर्वाद ग्रहण करें।<strong>You can download विंध्याचल चालीसा PDF / Vindhyachal Chalisa PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#वधयचल #चलस #Vindhyachal #Chalisa #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookme
गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa PDF in Hindi
गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/10/small/gayatri-chalisa-100.jpg">गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa</a>PDF Name<b>गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa PDF</b>No. of Pages<b>3</b>PDF Size<b>0.18 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>download.vedpuran.net</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गायत्री चालीसा | Gayatri Chalisa Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं Gayatri Chalisa PDF in Hindi / गायत्री चालीसा PDF जिसके नियमित पाठ करने से आपको शांति भरा जीवन प्राप्त होता है। हिंदू धर्म में मां गायत्री को वेदमाता कहा जाता है अर्थात सभी वेदों की उत्पत्ति इन्हीं से हुई है। गायत्री को भारतीय संस्कृति की जननी भी कहा जाता है। गायत्री माता चालीसा गायत्री माता की आराधना करने का एक बहुत ही सुन्दर माध्यम है। इस मन्त्र में चालीस श्लोकों का एक समूह है। जिसके माध्यम से भक्त माता गायत्री की आराधना करते हैं।माता गायत्री सदा अपने भक्तों पर अपनी दया दृष्टि रखतीं हैं. उनकी कृपा से मनुष्य सदा खुशहाल जीवन बिताता है। वे इस जगत की जननी हैं. वे हमारी पालन पोषण करती हैं. वे इस जगत की माता है।गायत्री चालीसा PDF | Gayatri Chalisa PDF in Hindi<strong>|| दोहा ||</strong>हीं श्रीं, क्लीं, मेधा, प्रभा, जीवन ज्योति प्रचण्ड |
शांति, क्रांति, जागृति, प्रगति, रचना शक्ति अखण्ड ||
जगत जननि, मंगल करनि, गायत्री सुखधाम |
प्रणवों सावित्री, स्वधा, स्वाहा पूरन काम ||<strong>|| चौपाई ||</strong>भूर्भुवः स्वः ॐ युत जननी |
गायत्री नित कलिमल दहनी ||
अक्षर चौबिस परम पुनीता |
इनमें बसें शास्त्र, श्रुति, गीता ||शाश्वत सतोगुणी सतरुपा |
सत्य सनातन सुधा अनूपा ||
हंसारुढ़ सितम्बर धारी |
स्वर्णकांति शुचि गगन बिहारी ||पुस्तक पुष्प कमंडलु माला |
शुभ्र वर्ण तनु नयन विशाला ||
ध्यान धरत पुलकित हिय होई |
सुख उपजत, दुःख दुरमति खोई ||कामधेनु तुम सुर तरु छाया |
निराकार की अदभुत माया ||
तुम्हरी शरण गहै जो कोई |
तरै सकल संकट सों सोई ||सरस्वती लक्ष्मी तुम काली |
दिपै तुम्हारी ज्योति निराली ||
तुम्हरी महिमा पारन पावें |
जो शारद शत मुख गुण गावें ||चार वेद की मातु पुनीता |
तुम ब्रहमाणी गौरी सीता ||
महामंत्र जितने जग माहीं |
कोऊ गायत्री सम नाहीं ||सुमिरत हिय में ज्ञान प्रकासै |
आलस पाप अविघा नासै ||
सृष्टि बीज जग जननि भवानी |
काल रात्रि वरदा कल्यानी ||ब्रहमा विष्णु रुद्र सुर जेते |
तुम सों पावें सुरता तेते ||
तुम भक्तन की भक्त तुम्हारे |
जननिहिं पुत्र प्राण ते प्यारे ||महिमा अपरम्पार तुम्हारी |
जै जै जै त्रिपदा भय हारी ||
पूरित सकल ज्ञान विज्ञाना |
तुम सम अधिक न जग में आना ||तुमहिं जानि कछु रहै न शेषा |
तुमहिं पाय कछु रहै न क्लेषा ||
जानत तुमहिं, तुमहिं है जाई |
पारस परसि कुधातु सुहाई ||तुम्हरी शक्ति दिपै सब ठाई |
माता तुम सब ठौर समाई ||
ग्रह नक्षत्र ब्रहमाण्ड घनेरे |
सब गतिवान तुम्हारे प्रेरे ||सकलसृष्टि की प्राण विधाता |
पालक पोषक नाशक त्राता ||
मातेश्वरी दया व्रत धारी |
तुम सन तरे पतकी भारी ||जापर कृपा तुम्हारी होई |
तापर कृपा करें सब कोई ||
मंद बुद्घि ते बुधि बल पावें |
रोगी रोग रहित है जावें ||दारिद मिटै कटै सब पीरा |
नाशै दुःख हरै भव भीरा ||
गृह कलेश चित चिंता भारी |
नासै गायत्री भय हारी ||संतिति हीन सुसंतति पावें |
सुख संपत्ति युत मोद मनावें ||
भूत पिशाच सबै भय खावें |
यम के दूत निकट नहिं आवें ||जो सधवा सुमिरें चित लाई |
अछत सुहाग सदा सुखदाई ||
घर वर सुख प्रद लहैं कुमारी |
विधवा रहें सत्य व्रत धारी ||जयति जयति जगदम्ब भवानी |
तुम सम और दयालु न दानी ||
जो सदगुरु सों दीक्षा पावें |
सो साधन को सफल बनावें ||सुमिरन करें सुरुचि बड़भागी |
लहैं मनोरथ गृही विरागी ||
अष्ट सिद्घि नवनिधि की दाता |
सब समर्थ गायत्री माता ||ऋषि, मुनि, यती, तपस्वी, जोगी |
आरत, अर्थी, चिंतित, भोगी ||
जो जो शरण तुम्हारी आवें |
सो सो मन वांछित फल पावें ||बल, बुद्घि, विघा, शील स्वभाऊ |
धन वैभव यश तेज उछाऊ ||
सकल बढ़ें उपजे सुख नाना |
जो यह पाठ करै धरि ध्याना ||<strong>|| दोहा ||</strong>यह चालीसा भक्तियुत, पाठ करे जो कोय |
तापर कृपा प्रसन्नता, गायत्री की होय ||<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Gayatri Chalisa PDF in Hindi / गायत्री चालीसा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#गयतर #चलस #Gayatri #Chalisa #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co
विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF in Hindi
विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF Detailsविन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari ChalisaPDF Nameविन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDFNo. of Pages2PDF Size0.06 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateksandesh.weebly.comDownload LinkAvailable Downloads26
विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa Hindi PDF Summaryदोस्तों आज हम आपके लिए लेकर आये हैं विन्धेश्वरी चालीसा PDF / Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार विंध्येश्वरी चालीसा का नियमित रूप से जाप देवी विंधेश्वरी को प्रसन्न करने और उनका आशीर्वाद पाने का सबसे शक्तिशाली तरीका है। सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए आपको सुबह स्नान करने के बाद और देवी विंधेश्वरी की मूर्ति या तस्वीर के सामने विंध्येश्वरी चालीसा का पाठ करना चाहिए। इसके प्रभाव को अधिकतम करने के लिए आपको सबसे पहले विंध्येश्वरी चालीसा का मतलब हिंदी में समझना चाहिए।विन्धेश्वरी चालीसा का नियमित पाठ करने से मन को शांति मिलती है और आपके जीवन से सभी बुराईयाँ दूर रहती हैं और आप स्वस्थ, धनवान और समृद्ध बनते हैं।विन्धेश्वरी चालीसा PDF | Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi||दोहा||नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब।||चौपाई ||जय जय विन्ध्याचल रानी, आदि शक्ति जग विदित भवानी।
सिंहवाहिनी जय जग माता, जय जय त्रिभुवन सुखदाता।कष्ट निवारिणी जय जग देवी, जय जय असुरासुर सेवी।
महिमा अमित अपार तुम्हारी, शेष सहस्र मुख वर्णत हारी।दीनन के दुख हरत भवानी, नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी।
सब कर मनसा पुरवत माता, महिमा अमित जग विख्याता।जो जन ध्यान तुम्हारो लावे, सो तुरतहिं वांछित फल पावै।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी, तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी।रमा राधिका श्यामा काली, तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला, बेगि मोहि पर होहु दयाला।तू ही हिंगलाज महारानी, तू ही शीतला अरु विज्ञानी।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी, हेमावती अम्बे निरवाणी।
अष्टभुजी वाराहिनी देवी, करत विष्णु शिव जाकर सेवा।चौसठ देवी कल्यानी, गौरी मंगला सब गुण खानी।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी, भद्रकाली सुन विनय हमारी।वज्र धारिणी शोक नाशिनी, आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी।
जया और विजया बैताली, मातु संकटी अरु विकराली।नाम अनन्त तुम्हार भवानी, बरनै किमि मानुष अज्ञानी।
जापर कृपा मातु तव होई, तो वह करै चहै मन जोई।कृपा करहुं मोपर महारानी, सिद्ध करिए अब यह मम बानी।
जो नर धरै मात कर ध्याना, ताकर सदा होय कल्याना।विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै, जो देवी का जाप करावै।
जो नर कहं ऋण होय अपारा, सो नर पाठ करै शतबारा।निश्चय ऋण मोचन होइ जाई, जो नर पाठ करै मन लाई।
अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै, या जग में सो अति सुख पावै।जाको व्याधि सतावे भाई, जाप करत सब दूर पराई।
जो नर अति बन्दी महं होई, बार हजार पाठ कर सोई।निश्चय बन्दी ते छुटि जाई, सत्य वचन मम मानहुं भाई।
जा पर जो कछु संकट होई, निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।जा कहं पुत्र होय नहिं भाई, सो नर या विधि करे उपाई।
पांच वर्ष सो पाठ करावै, नौरातन में विप्र जिमावै।निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी, पुत्र देहिं ताकहं गुण खानी।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै, विधि समेत पूजन करवावै।नित्य प्रति पाठ करै मन लाई, प्रेम सहित नहिं आन उपाई।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा, रंक पढ़त होवे अवनीसा।यह जनि अचरज मानहुं भाई, कृपा दृष्टि तापर होइ जाई।
जय जय जय जग मातु भवानी, कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप विन्धेश्वरी चालीसा PDF / Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#वनधशवर #चलस #Vindhyeshvari #Chalisa #PDF #HindiThe post विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF in Hindi
विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/05/small/vindhyeshvari-chalisa-561.jpg">विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa</a>PDF Name<b>विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa PDF</b>No. of Pages<b>5</b>PDF Size<b>0.54 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
विन्धेश्वरी चालीसा | Vindhyeshvari Chalisa Hindi PDF Summaryआज के इस लेख के माध्यम से हम आपको विन्धेश्वरी चालीसा PDF / Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi प्रदान करेंगे। यह माँ विन्ध्येश्वरी का शक्तिशाली स्तोत्र पाठक को कई लाभ प्रदान करते है। माता के प्यारे भक्त इस मंत्र के द्वारा माता के सभी रूपों की पूजा व स्तुति करते हैं। यदि आप मां दुर्गा को जल्‍द प्रसन्‍न करना चाहते हैं, तो आप नवरात्र में दुर्गा चालीसा का पाठ करना चाहिए। इससे माँ का आशीर्वाद सदैव आपके परिवार पर बना रहेगा। शास्‍त्रों में भी चालीसा पाठ को मां की स्‍तुति के लिए सर्वोत्‍तम माना गया है। इस पोस्ट में दिए गए लिंक के द्वारा आप विन्धेश्वरी चालीसा इन हिंदी PDF / Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi डाउनलोड कर सकते हैं।विन्धेश्वरी चालीसा इन हिंदी PDF | Vindhyeshvari Chalisa PDF in Hindi<strong>||दोहा||</strong>नमो नमो विन्ध्येश्वरी, नमो नमो जगदम्ब।
सन्तजनों के काज में करती नहीं विलम्ब।||<strong>चौपाई</strong> ||जय जय विन्ध्याचल रानी, आदि शक्ति जग विदित भवानी।
सिंहवाहिनी जय जग माता, जय जय त्रिभुवन सुखदाता।कष्ट निवारिणी जय जग देवी, जय जय असुरासुर सेवी।
महिमा अमित अपार तुम्हारी, शेष सहस्र मुख वर्णत हारी।दीनन के दुख हरत भवानी, नहिं देख्यो तुम सम कोई दानी।
सब कर मनसा पुरवत माता, महिमा अमित जग विख्याता।जो जन ध्यान तुम्हारो लावे, सो तुरतहिं वांछित फल पावै।
तू ही वैष्णवी तू ही रुद्राणी, तू ही शारदा अरु ब्रह्माणी।रमा राधिका श्यामा काली, तू ही मातु सन्तन प्रतिपाली।
उमा माधवी चण्डी ज्वाला, बेगि मोहि पर होहु दयाला।तू ही हिंगलाज महारानी, तू ही शीतला अरु विज्ञानी।
दुर्गा दुर्ग विनाशिनी माता, तू ही लक्ष्मी जग सुख दाता।तू ही जाह्नवी अरु उत्राणी, हेमावती अम्बे निरवाणी।
अष्टभुजी वाराहिनी देवी, करत विष्णु शिव जाकर सेवा।चौसठ देवी कल्यानी, गौरी मंगला सब गुण खानी।
पाटन मुम्बा दन्त कुमारी, भद्रकाली सुन विनय हमारी।वज्र धारिणी शोक नाशिनी, आयु रक्षिणी विन्ध्यवासिनी।
जया और विजया बैताली, मातु संकटी अरु विकराली।नाम अनन्त तुम्हार भवानी, बरनै किमि मानुष अज्ञानी।
जापर कृपा मातु तव होई, तो वह करै चहै मन जोई।कृपा करहुं मोपर महारानी, सिद्ध करिए अब यह मम बानी।
जो नर धरै मात कर ध्याना, ताकर सदा होय कल्याना।विपति ताहि सपनेहु नहिं आवै, जो देवी का जाप करावै।
जो नर कहं ऋण होय अपारा, सो नर पाठ करै शतबारा।निश्चय ऋण मोचन होइ जाई, जो नर पाठ करै मन लाई।
अस्तुति जो नर पढ़ै पढ़ावै, या जग में सो अति सुख पावै।जाको व्याधि सतावे भाई, जाप करत सब दूर पराई।
जो नर अति बन्दी महं होई, बार हजार पाठ कर सोई।निश्चय बन्दी ते छुटि जाई, सत्य वचन मम मानहुं भाई।
जा पर जो कछु संकट होई, निश्चय देविहिं सुमिरै सोई।जा कहं पुत्र होय नहिं भाई, सो नर या विधि करे उपाई।
पांच वर्ष सो पाठ करावै, नौरातन में विप्र जिमावै।निश्चय होहिं प्रसन्न भवानी, पुत्र देहिं ताकहं गुण खानी।
ध्वजा नारियल आनि चढ़ावै, विधि समेत पूजन करवावै।नित्य प्रति पाठ करै मन लाई, प्रेम सहित नहिं आन उपाई।
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा, रंक पढ़त होवे अवनीसा।यह जनि अचरज मानहुं भाई, कृपा दृष्टि तापर होइ जाई।
जय जय जय जग मातु भवानी, कृपा करहुं मोहिं पर जन जानी।विन्धेश्वरी चालीसा के लाभमाँ की इस चालीसा का सबसे अधिक लाभ प्राप्त करने के लिए आपको सुबह में इसके जाप करने चाहिए| सुबह में उठकर अपनी दैनिक क्रिया को करने के बाद फोटो या मूर्ती के सामने दीप जला कर पूजा करनी चाहिए| इससे संतान सुख की कमी, धन सम्बन्धित समस्या, जैसी परेशानी दूर होती है| और न को शांति की प्राप्ति होती है।<strong>नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप विन्धेश्वरी चालीसा PDF / Vindheshwari Chalisa PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।</strong>#वनधशवर #चलस #Vindhyeshvari #Chalisa #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a8%e0%a5%8d%e0%a4%a7%e0%a5%87%e0%a4%b6%e0%a5%8d%e0%a4%b5%e0%a4%b0%e0%a5%80-%e0%a4%9a%e0%a4%be%e0%a4%b2%e0%a5%80%e0%a4%b8%e0%a4%be