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गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF Detailsगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat KathaPDF Nameगोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.49 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोवत्स द्वादशी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोवत्स द्वादशी को कई क्षेत्रों में बछ बारस के नाम से भी जाना जाता है। गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा इस अवसर पर गाय और बछड़ों की सेवा व पूजा की जाती है।यह दिन हमें प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने की शिक्षा देता है। गौ माता तथा उनके बछड़े को हिन्दू धर्म में अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है। गाय दूध देती है जो की विभिन्न आहार का श्रोत होता है तथा बैल खेत में हल चलाकर किसान की सहायता करता है। यदि आप भी गोवत्स द्वादशी का व्रत रख रहे हैं, तो निम्नलिखित गोवत्स द्वादशी व्रत कथा को अवश्य पढ़ें। बछ बारस व्रत कथा / Bach Baras Vrat Katha in Hindiगोवत्स द्वादशी/बछ बारस की पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन समय में भारत में सुवर्णपुर नामक एक नगर था। वहां देवदानी नाम का राजा राज्य करता था। उसके पास एक गाय और एक भैंस थी। उनकी दो रानियां थीं, एक का नाम ‘सीता’ और दूसरी का नाम ‘गीता’ था। सीता को भैंस से बड़ा ही लगाव था। वह उससे बहुत नम्र व्यवहार करती थी और उसे अपनी सखी के समान प्यार करती थी। राजा की दूसरी रानी गीता गाय से सखी-सहेली के समान और बछडे़ से पुत्र समान प्यार और व्यवहार करती थी।यह देखकर भैंस ने एक दिन रानी सीता से कहा- गाय-बछडा़ होने पर गीता रानी मुझसे ईर्ष्या करती है। इस पर सीता ने कहा- यदि ऐसी बात है, तब मैं सब ठीक कर लूंगी। सीता ने उसी दिन गाय के बछडे़ को काट कर गेहूं की राशि में दबा दिया। इस घटना के बारे में किसी को कुछ भी पता नहीं चलता। किंतु जब राजा भोजन करने बैठा तभी मांस और रक्त की वर्षा होने लगी। महल में चारों ओर रक्त तथा मांस दिखाई देने लगा। राजा की भोजन की थाली में भी मल-मूत्र आदि की बास आने लगी। यह सब देखकर राजा को बहुत चिंता हुई।उसी समय आकाशवाणी हुई- ‘हे राजा! तेरी रानी ने गाय के बछडे़ को काटकर गेहूं की राशि में दबा दिया है। इसी कारण यह सब हो रहा है। कल ‘गोवत्स द्वादशी’ है। इसलिए कल अपनी भैंस को नगर से बाहर निकाल दीजिए और गाय तथा बछडे़ की पूजा करें। इस दिन आप गाय का दूध तथा कटे फलों का भोजन में त्याग करें। इससे आपकी रानी द्वारा किया गया पाप नष्ट हो जाएगा और बछडा़ भी जिंदा हो जाएगा। अत: तभी से गोवत्स द्वादशी के दिन गाय-बछड़े की पूजा करने का ‍महत्व माना गया है तथा गाय और बछड़ों की सेवा की जाती है।गौ माता की आरती  / Gau Mata Ki Aarti in Hindi Lyricsॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावेYou can download Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#गवतस #दवदश #वरत #कथ #Govatsa #Dwadashi #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवत्स द्वादशी व्रत कथा | Govatsa Dwadashi Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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