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बृहत कथा श्लोकसंग्रहः | Brhat Katha Shloka Sangraha | स्वामी बुद्ध – Swami Buddha
Title बृहत कथा श्लोकसंग्रहः | Brhat Katha Shloka Sangraha Author स्वामी बुद्ध – Swami Buddha Keywords Genre not Defined. Suggest Genre #बहत #कथ #शलकसगरह #Brhat #Katha #Shloka #Sangraha Download eBook Read OnlineThe post बृहत कथा श्लोकसंग्रहः | Brhat Katha Shloka Sangraha
| स्वामी बुद्ध – Swami Buddha
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उदयसुन्दरी कथा | Udayasundari Katha | एंबार कृष्णमाचार्य – Embar Krishnamacharya, सी० डी० दलाल – C. D. Dalal, सोड्ढल – Soddhal
Title उदयसुन्दरी कथा | Udayasundari Katha Author एंबार कृष्णमाचार्य – Embar Krishnamacharya, सी० डी० दलाल – C. D. Dalal, सोड्ढल – Soddhal Keywords Genre not Defined. Suggest Genre #उदयसनदर #कथ #Udayasundari #Katha Download eBook Read OnlineThe post उदयसुन्दरी कथा | Udayasundari Katha
| एंबार कृष्णमाचार्य – Embar Krishnamacharya, सी० डी० दलाल – C. D. Dalal, सोड्ढल – Soddhal
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गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/----gopashtami-ki-katha--515.jpg">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha</a>PDF Name<b>गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.65 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप गोपाष्टमी व्रत कथा / Gopashtami Ki Katha PDF प्राप्त कर सकते हैं। गोपाष्टमी का व्रत गौ माता को समर्पित होता है। यदि आप भी गौ माता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत गोपाष्टमी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए। गौ माता की सेवा करने से भगवन कृष्ण की कृपा भी प्राप्त होती है।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल गौ माता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् श्री कृष्ण जी भी प्रसन्न होते हैं। भगवान् श्री कृष्ण की कृपा से व्यक्ति के जीवन में दांपत्य सुख एवं प्रेम में वृद्धि होती है। गोपाष्टमी को अनेक क्षेत्रों में गौ अष्टमी के नाम से भी जाना जाता है।गोपाष्टमी की कथा / Gopashtami Vrat Katha PDFप्राचीन काल में एक बार बाल गोपाल (भगवान कृष्ण) जब 6 साल के थे तो मां यशोदा से कहने लगे कि मां अब मैं बड़ा हो गया हूं और अब मैं बछड़े चराने नहीं जाऊंगा. मैं गौ माता के साथ जाऊंगा. इसपर यशोदा ने बात नन्द बाबा पर टालते हुए कथा कि अच्छा ठीक है लेकिन एक बार बाबा से पूछ तो लो. इसपर भगवान कृष्ण जाकर नंद बाबा से कहने लगे कि अब मैं बछड़े नहीं बल्कि गाय चराने जाया करूंगा. नंद बाबा ने उन्हें समझाने की कोशिश की लेकिन बाल गोपाल के हठ के आगे उनकी एक न चली. फिर नंद बाबा ने कृष्ण से कहा कि ठीक है तो पहले जाकर पंडित जी को बुला लाओ ताकि उनसे गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त का पता लगाया जा सके.ये सुनकर बाल गोपाल दौड़ते हुए पंडित जी के पास पहुंचे और एक सांस में उनसे कह डाला कि- पंडित जी, आपको नंद बाबा ने गौ चारण का मुहूर्त देखने के लिए बुलाया है. आप आज ही शुभ मुहूर्त बताना तो मैं आपको खूब ढेर सारा मक्खन दूंगा.पंडित जी नंद बाबा के पास पहुंचे और पंचांग देखकर उसी दिन को गौ चारण के लिए शुभ मुहूर्त बता दिया और साथ ही यह भी कह दिया कि आज के बाद से एक साल तक गौ चारण के लिए कोई भी मुहूर्त शुभ नहीं है.नंद बाबा ने पंडित जी की बात पर विचार करते हुए बाल गोपाल को गौ चारण की आज्ञा दे दी. भगवान दिन उसी दिन से गाय चराने जाने लगे. जिस दिन से बाल गोपाल ने गौ चारण आरंभ किया था उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी थी. भागवान द्वारा उस दिन गाय चराना आरंभ करने की वजह से इसे गोपाष्टमी कहा गया.गौ माता की आरती / Gau Mata Ki Aarti Lyrics in Hindiॐ जय जय गौमाता, मैया जय जय गौमाताजो कोई तुमको ध्याता, त्रिभुवन सुख पातासुख समृद्धि प्रदायनी, गौ की कृपा मिलेजो करे गौ की सेवा, पल में विपत्ति टलेआयु ओज विकासिनी, जन जन की माईशत्रु मित्र सुत जाने, सब की सुख दाईसुर सौभाग्य विधायिनी, अमृती दुग्ध दियोअखिल विश्व नर नारी, शिव अभिषेक कियोममतामयी मन भाविनी, तुम ही जग माताजग की पालनहारी, कामधेनु मातासंकट रोग विनाशिनी, सुर महिमा गाईगौ शाला की सेवा, संतन मन भाईगौ मां की रक्षा हित, हरी अवतार लियोगौ पालक गौपाला, शुभ संदेश दियोश्री गौमाता की आरती, जो कोई सुत गावेपदम् कहत वे तरणी, भव से तर जावे<strong>You may also Like :</strong><a href="https://pdffile.co.in/gau-mata-ki-aarti/">गौ माता की आरती | Gau Mata Ki Aarti PDF in Hindi</a><a href="https://pdffile.co.in/govatsa-dwadashi-kahani/">गोवत्स द्वादशी की कहानी | Govatsa Dwadashi Ki Kahani PDF in Hindi</a><strong>You can download Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#गपषटम #वरत #कथ #Gopashtami #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%97%e0%a5%8b%e0%a4%aa%e0%a4%be%e0%a4%b7%e0%a5%8d%e0%a4%9f%e0%a4%ae%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-gopashtami-ki-katha-pdf-in-hindi">गोपाष्टमी व्रत कथा | Gopashtami Ki Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.ebookmela.co.in">eBookmela</a>. upload by <a href="https://www.ebookmela.co.in/aut
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF Detailsस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat KathaPDF Nameस्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDFNo. of Pages4PDF Size0.51 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप स्कंद षष्ठी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय के विभिन्न्न पवित्र नामों में से एक नाम स्कन्द भी है। भगवान् कार्तिकेय जी की विशेष कृपा प्राप्त करने हेतु स्कन्द षष्ठी का व्रत किया जाता है। स्कन्द भगवान् को युद्ध का देवता तथा देवताओं का सेनापति कहा जाता है।स्कन्द भगवान् की कृपा से शत्रुओं का नाश होता है तथा व्यक्ति के अंदर आत्मशक्ति का संचार होता है। व्यक्ति में यदि आत्मबल हो तो वह विभिन्न प्रकार के कष्टों से बच सकता है तथा शत्रुओं से भी आत्मरक्षा कर सकते हैं। भगवान् कार्तिकेय का अवतार एक अत्यधिक दुष्ट राक्षस के वध के लिए हुआ था। यदि आप भी स्कन्द षष्टी का व्रत करना चाहते हैं तो स्कन्द षष्टी व्रत कथा का पाठ अवश्य करें।स्कन्द षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Katha PDFपुराणों में कुमार कार्तिकेय के जन्म का वर्णन मिलता है। जब असुरों ने देवलोक में आतंक मचाया हुआ था तब देवगण को असुरों से पराजय का सामना करना पड़ा था। देवताओं के निवास स्थान पर भी असुरों ने अपना आधिपत्य स्थापित कर लिया था। सभी देवगण असुरों को आतंक से इतने परेशान हो चुके थे कि वो सभी मिलकर भगवान ब्रह्मा के पास गए और मदद की प्रार्थना की। तब ब्रह्मा जी ने बताया कि भगवान शिव के पुत्र द्वारा ही इन असुरों का नाश होगा। लेकिन इस समय भगवान शिव माता सती के वियोग में समाधि में लीन थे।तब सभी देवताओं और इंद्र ने शिवजी समाधि से जगाने का प्रयत्न किया और इसके लिए उन्होंने भगवान कामदेव की मदद ली। कामदेव अपने बाण से शिव पर फूल फेंकते हैं जिससे उनके मन में माता पार्वती के लिए प्रेम की भावना विकसित हो।इससे शिवजी की तपस्या भंग हो जाती हैं और वे क्रोध में आकर अपनी तीसरी आंख खोल देते हैं। इससे कामदेव भस्म हो जाते हैं। तपस्या भंग होने के बाद वे माता पार्वती की तरफ खुद को आकर्षित पाते हैं। इसके बाद शिवजी का विवाह माता पार्वती से हो जाता है। इस तरह भगवान कार्तिकेय का जन्म होता है। फिर भगवान कार्तिकेय असुरों के राजा तारकासुर का वध कर देवताओं को उनका निवास स्थान वापस प्रदान करते हैं।भगवान कार्तिकेय की आरती | Lord Kartikeya Aarti in Hindiजय जय आरती
जय जय आरती वेणु गोपाला
वेणु गोपाला वेणु लोला
पाप विदुरा नवनीत चोराजय जय आरती वेंकटरमणा
वेंकटरमणा संकटहरणा
सीता राम राधे श्यामजय जय आरती गौरी मनोहर
गौरी मनोहर भवानी शंकर
साम्ब सदाशिव उमा महेश्वरजय जय आरती राज राजेश्वरि
राज राजेश्वरि त्रिपुरसुन्दरि
महा सरस्वती महा लक्ष्मी
महा काली महा लक्ष्मीजय जय आरती आन्जनेय
आन्जनेय हनुमन्ताजय जय आरति दत्तात्रेय
दत्तात्रेय त्रिमुर्ति अवतारजय जय आरती सिद्धि विनायक
सिद्धि विनायक श्री गणेशजय जय आरती सुब्रह्मण्य
सुब्रह्मण्य कार्तिकेय।You can download Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.#सकद #षषठ #वरत #कथ #Skanda #Sashti #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post स्कंद षष्ठी व्रत कथा | Skanda Sashti Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF in Hindi
छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF Detailsछठ पूजा कथा | Chhath Puja KathaPDF Nameछठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDFNo. of Pages3PDF Size0.29 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha Hindi PDF SummaryFriends, here we have uploaded the Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF for you. According to the Hindu calendar, Chhath Mahavrat is celebrated from Chaturthi to Saptami Tithi of Shukla Paksha of Kartik month. In this, Lord Suryadev is worshiped, especially Chhath fast is done to get a son. Worship is done on Chhath with the chanting of Chhathi Maiya. It is mainly celebrated in the states of Bihar, Jharkhand, Uttar Pradesh. Various diseases can be cured by worshiping the Sun. The bathing is done with Surya Puja. It also cures serious diseases like leprosy. Chhath festival is also celebrated for the long life and prosperity of family members and friends. Below we have also provided the download link for Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF.छठ पूजा कथा PDF | Chhath Puja PDF in Hindiमान्यता है कि जब पांडव जुए में अपना सारा राजपाट हार गए, तब द्रौपदी ने छठ का व्रत रखा था। द्रोपदी के व्रत के फल से पांडवों को अपना राजपाट वापस मिल गया था। इसी तरह छठ का व्रत करने से लोगों के घरों में समृद्धि और सुख आता है। छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तरप्रदेश सहित कई क्षेत्रों में छठ का महत्व है।छठ पूजा या सूर्य षष्ठी या छठ व्रत में सूर्य भगवान की पूजा होती है और धरती पर लोगों के सुखी जीवन के लिए सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त किया जाता है। सूर्य देव को ऊर्जा और जीवन शक्ति का देवता माना जाता है। इसलिए छठ पर्व पर समृद्धि के लिए पूजा की जाती है।छठ पूजा विधि PDF | Surya Chhath Pooja Vidhi in Hindi PDFकार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्टी तिथि के दिन निर्जला व्रत रखा जाता है। फिर व्रती अपने घर पर बनाए पकवानों और पूजन सामग्री लेकर आसपास के घाटों पर जाते हैं। घाट पर ईख का घर बनाकर बड़ा दीपक जलाएं। इसके बाद व्रती घाट में स्नान करते हैं और पानी में रहते हुए ही ढलते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। फिर घरजाकर सूर्य भगवान का ध्यान करते हुए रात भर जागरण करें इसमें छठी माता के प्राचीन गीत गाए जाते हैं। सप्तमी तिथि यानी व्रत के चौथे और आखिरी दिन सूर्य उगने से पहले घाट पर पहुंचें। इस दौरान अपने साथ पकवानों की टोकरियां, नारियल और फल भी रखें। उगते हुए सूर्य को जल श्रद्धा से अर्घ्य दें। छठ व्रत की कथा सुनें और प्रसाद बांटे। आखिर में व्रती प्रसाद ग्रहण कर व्रत खोलें।छठ के दिन सूर्योदय में उठना चाहिए।व्यक्ति को अपने घर के पास एक झील, तालाब या नदी में स्नान करना चाहिए।स्नान करने के बाद नदी के किनारे खड़े होकर सूर्योदय के समय सूर्य देवता को नमन करें और विधिवत पूजा करें।शुद्ध घी का दीपक जलाएं और सूर्य को धुप और फूल अर्पण करें।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप Chhath Puja Katha PDF in Hindi / छठ पूजा कथा PDF मुफ्त में डाउनलोड कर सकते हैं।#छठ #पज #कथ #Chhath #Puja #Katha #PDF #HindiThe post छठ पूजा कथा | Chhath Puja Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF Details<a href="https://pdffile.co.in/wp-content/uploads/pdf-thumbnails/2021/11/small/-----nagula-chavithi-vratha-katha-292.jpg">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha</a>PDF Name<b>नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF</b>No. of Pages<b>4</b>PDF Size<b>0.50 MB</b>Language<b>Hindi</b>Category<a href="https://pdffile.co.in/category/religion-spirituality/">Religion & Spirituality</a>Available at<b>eBookmela</b>Download LinkAvailable <a href="https://s.w.org/images/core/emoji/13.1.0/72x72/2714.png"></a>Downloads26
नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से आप नगुला चविथी व्रत कथा PDF प्राप्त कर सकते हैं। नगुला चविथी का व्रत नाग देवता को समर्पित होता है। यह पर्व अनेक क्षेत्रों में नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। यदि आप भी नाग देवता की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं, तो आपको यह व्रत नागुला चविथी के अवसर पर अवश्य करना चाहिए।नागुला चविथी का व्रत करने से न केवल नाग देवता की कृपा प्राप्त होती है बल्कि इस पूजन को पूर्ण विधि – विधान से करने से भगवान् भोलेनाथ भी प्रसन्न होते हैं। भगवन भोलेनाथ की कृपा से व्यक्ति के जीवन में अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता तथा आप अपने जीवन में मनोवंछित परिणाम प्रपात कर सकते हैंनगुला चविथी कथा PDF | Nagula Chavithi Vrat Katha PDFजब राजा जन्मेजय ने समस्त नाग जाति के विनाश हेतु सर्पमेध यज्ञ का आयोजन किया, तो संसार के सभी सर्प और नाग आकर यज्ञ वेदी में गिरने लगे। तब नागराज तक्षक ने अपने प्राणों की रक्षा के लिए इंद्रलोक में शरण ली, किन्तु पुरोहितों के प्रबल मन्त्रों के प्रभाव के कारण तक्षक के साथ ही इंद्र और अन्य देवगण भी यज्ञस्थल की ओर खिंचने लगे। देवताओं ने जब ब्रह्मा जी से रक्षा करने की पुकार लगाई तो उन्होंने मनसा देवी (ब्रह्मा जी की पुत्री और सर्पों की पूज्य माता) के पुत्र ‘अस्तिका’ की सहायता लेने को कहा। अस्तिका महान विद्वान थे और केवल वही इस यज्ञ को रोक सकते थे। देवगण माता मनसा के पास पहुँचे और अपनी व्यथा उनसे कही। तब अपनी माता की आज्ञा और उनके परामर्शानुसार अस्तिका ने वह यज्ञ रुकवाया, और सभी नागों और देवताओं की रक्षा की। नाग चतुर्थी के दिन ही अस्तिका ने देवताओं की सहायता की थी। माता मनसा ने देवताओं और मानव जाति को यह आशीर्वाद दिया था कि जो भी इस दिन नागों की पूजा करेगा और इस कथा का श्रवण करेगा उसे शुभफल की प्राप्ति होगी। तभी से इस दिन नाग चतुर्थी उत्सव मनाया जाता है। नाग चतुर्थी के दिन महिलायें घर और मंदिरों में, अथवा बाम्बियों पर जाकर नाग देवताओं की पूजा कर उन्हें दूध चढ़ाती हैं, और अपने परिवार के मंगल की कामना करती हैं। नवविवाहित स्त्रियाँ स्वस्थ और कुशल संतान प्राप्ति के लिए प्रार्थना करती हैं। हालांकि, पर्यावरणविदों का मत है कि नाग या साँप दूध नहीं पीते, इसलिए उनके प्रति आभार प्रकट करने के लिए उन्हें दूध पिलाने के स्थान पर संरक्षण प्रदान करना चाहिए। श्रीशैलम में नाग देवताओं के लिए एक अलग शक्तिशाली वेदी बनी हुई है। नाग/सर्प दोष और राहु-केतु दोष के अशुभ फल से मुक्ति पाने के लिए नाग देवताओं की पूजा करने भक्त दूर-दूर से यहाँ आते हैं।नाग देवता की आरती | Naag Devta Ki Aarti Lyrics PDFआरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की।उग्र रूप है तुम्हारा देवा भक्त, सभी करते है सेवा ।।मनोकामना पूरण करते, तन-मन से जो सेवा करते।आरती कीजे श्री नाग देवता की , भूमि का भार वहनकर्ता की ।।भक्तों के संकट हारी की आरती कीजे श्री नागदेवता की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।महादेव के गले की शोभा ग्राम देवता मै है पूजा।श्ररेत वर्ण है तुम्हारी धव्जा ।।दास ऊकार पर रहती क्रपा सहसत्रफनधारी की।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।आरती कीजे श्री नाग देवता की, भूमि का भार वहनकर्ता की ।।<strong>You can download Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi by clicking on the following download button.</strong>#नगल #चवथ #वरत #कथ #Nagula #Chavithi #Vratha #Katha #PDF #HindiThe post <a href="https://www.ebookmela.co.in/download/%e0%a4%a8%e0%a4%97%e0%a5%81%e0%a4%b2%e0%a4%be-%e0%a4%9a%e0%a4%b5%e0%a4%bf%e0%a4%a5%e0%a5%80-%e0%a4%b5%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%a4-%e0%a4%95%e0%a4%a5%e0%a4%be-nagula-chavithi-vratha-katha-pdf-in-hindi">नगुला चविथी व्रत कथा | Nagula Chavithi Vratha Katha PDF in Hindi</a> appeared first on <a href="https://www.eb
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF Detailsभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki KathaPDF Nameभाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDFNo. of Pages6PDF Size0.87 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityDownload LinkAvailable Downloads26
भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha Hindi PDF SummaryDear Readers, today we are going to upload the भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi for you. Bhai Dooj is a very important festival celebrated in India, which is celebrated in every corner of India. Bhai Dooj is a Hindu festival celebrated in India and Nepal. This festival is celebrated by the followers of Hindu religion. This festival shows the importance of the sacred relationship of brother and sister. The rituals and celebrations of this day are similar to popular celebrations like ‘Raksha Bandhan’. On this special occasion, brothers give many gifts to their sisters and in return sisters give sweets to their brothers. Below we have provided the download link for Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDF.On this day every sister puts tilak on her brother’s forehead and feeds him sweets etc. In such a situation, today we have brought Bhai Dooj fasting story for you.भाई दूज की कथा PDF | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindiछाया भगवान सूर्यदेव की पत्नी हैं जिनकी दो संतान हुई यमराज तथा यमुना. यमुना अपने भाई यमराज से बहुत स्नेह करती थी. वह उनसे सदा यह निवेदन करती थी वे उनके घर आकर भोजन करें. लेकिन यमराज अपने काम में व्यस्त रहने के कारण यमुना की बात को टाल जाते थे।एक बार कार्तिक शुक्ल द्वितीया को यमुना ने अपने भाई यमराज को भोजन करने के लिए बुलाया तो यमराज मना न कर सके और बहन के घर चल पड़े। रास्ते में यमराज ने नरक में रहनेवाले जीवों को मुक्त कर दिया। भाई को देखते ही यमुना ने बहुत हर्षित हुई और भाई का स्वागत सत्कार किया। यमुना के प्रेम भरा भोजन ग्रहण करने के बाद प्रसन्न होकर यमराज ने बहन से कुछ मांगने को कहा। यमुना ने उनसे मांगा कि- आप प्रतिवर्ष इस दिन मेरे यहां भोजन करने आएंगे और इस दिन जो भाई अपनी बहन से मिलेगा और बहन अपने भाई को टीका करके भोजन कराएगी उसे आपका डर न रहे।यमराज ने यमुना की बात मानते हुए तथास्तु कहा और यमलोक चले गए। तभी से यह यह मान्यता चली आ रही है कि कार्तिक शुक्ल द्वितीय को जो भाई अपनी बहन का आतिथ्य स्वीकार करते हैं उन्हें यमराज का भय नहीं रहता।Bhai Dooj Ki Katha in Hindi PDFभाई दूज शुभ मुहूर्त:भाई दूज का शुभ मुहूर्त 1:10 बजे से शुरू होकर 3:18 बजे तक है। इस दिन की तिथि 16 नवंबर को सुबह 7:06 बजे शुरू होकर 17 नवंबर को 3:56 बजे तक होगी।नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप भाई दूज की कथा PDF / Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#भई #दज #क #कथ #Bhai #Dooj #Katha #PDF #HindiThe post भाई दूज की कथा | Bhai Dooj Ki Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF Detailsगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat KathaPDF Nameगोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDFNo. of Pages5PDF Size0.81 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha Hindi PDF Summaryनमस्कार दोस्तों, इस लेख के माध्यम से हम आपको गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi के लिए डाउनलोड लिंक दे रहे हैं। भागवत पुराण में, कृष्ण एक मूसलधार बारिश से वृंदावन के लोगों को आश्रय देने के लिए गोवर्धन पहाड़ी उठाते हैं। वैष्णवों को याद रखने के लिए यह एक विशेष दिन है। यह उन लोगों के लिए सुरक्षा का परमेश्वर का वादा माना जाता है जो उसकी शरण चाहते हैं। यहाँ से आप अन्नकूट व्रत कथा PDF / Annkut Vrat Katha PDF in Hindi बड़ी आसानी से डाउनलोड कर सकते हैं वो भी बिना किसी परेशानी के।जो लोग समर्पित हैं वे गोवर्धन पहाड़ी के प्रतीकात्मक प्रतिनिधित्व में भगवान को भोजन प्रसाद का एक पूरा पहाड़ चढ़ाते हैं और भगवान में अपना विश्वास हासिल करते हैं। यह त्यौहार पूरे भारत के साथ-साथ दुनिया भर के प्रमुख हिंदू धर्मों में मनाया जाता है।गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindiएक बार सभी बृजवासी मिलकर भगवान इंद्र देव की उपासना करने जा रहे थे। उस समय भगवान विष्णु के परमावतार श्री कृष्ण बृज में ही बाल लीलाएं कर रही थे। जब श्रीकृष्ण को इंद्र देव की पूजा के बारे में पता चला तो उन्होंने सभी बृजवासियों से कहा कि आप इंद्र देव की पूजा ना करके गोवर्धन पर्वत की पूजा कीजिए। क्योंकि इस पर्वत की छत्रछाया में ही समस्त बृजवासी सुख से अपना जीवन व्यतीत कर पा रहे हैं।बृजवासियों को भगवान श्री कृष्ण की यह बात बहुत अच्छी लगी और उन्होंने यह निश्चय किया कि वह अब से हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को श्री गोवर्धन पर्वत की पूजा किया करेंगें। जब इस बारे में भगवान इंद्र को पता चला तो उन्होंने क्रोधित हो बृज में खूब वर्षा की।ऐसी मान्यता है कि तब बृजवासियों की रक्षा करने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने अपनी सबसे छोटी उंगली यानी कनिष्ठा उंगली पर सात दिन के लिए गोवर्धन पर्वत को धारण किया था और समस्त बृजवासियों की रक्षा की थी। इसलिए तब से ही गोवर्धन पूजा करने की परंपरा चली आ रही है। क्योंकि ऐसा कहा जाता है कि भगवान गोवर्धन अपने सभी शरणागत भक्तों की रक्षा करते हैं। कहते हैं कि गोवर्धन पर्वत भगवान श्री कृष्ण का ही एक स्वरूप है।अन्नकूट व्रत कथा PDF | Annkut Vrat Katha PDF in Hindiनीचे दिए गए लिंक पर क्लिक कर के आप गोवर्धन पूजा व्रत कथा PDF / Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi मुफ्त में डाउनलोड कर सकते है।#गवरधन #पज #वरत #कथ #Govardhan #Puja #Vrat #Katha #PDF #HindiThe post गोवर्धन पूजा व्रत कथा | Govardhan Puja Vrat Katha PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF in Hindi
नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF Detailsनरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi StoryPDF Nameनरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDFNo. of Pages4PDF Size0.61 MBLanguageHindiCategoryReligion & SpiritualityAvailable ateBookmelaDownload LinkAvailable Downloads26
नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story Hindi PDF Summaryनमस्कार पाठकों, इस लेख के माध्यम से नरक चतुर्दशी की कथा / Narak Chaturdashi Story Hindi PDF प्राप्त कर सकते हैं। हिन्दू धर्म की पौराणिक कथाओं के अनुसार इस दिन भगवान् श्री कृष्ण जी ने एक नरकासुर नामक राक्षस का वध किया था। नरकासुर का वध होने के कारण इस दिन को नरक चतुर्दशी के नाम से जाना जाता है।नरक चतुर्दशी के दिन यम देव के नाम से भी दीप प्रज्वलित किया जाता है। माना जाता है कि नरक चतुर्दशी के दिन यमदेव के नाम से दीप प्रज्वलित करने वाले व्यक्ति को यमलोक की यातनाएं नहीं शनि पड़ती हैं तथा मृत्यु पश्चात होने वाले कष्टों से भी वह व्यक्ति बच जाता है। आप भी इस दिन एक दीपक यम देवता की नाम से अवश्य लगाएं।नरक चतुर्दशी की पूरी कहानी | Narak Chaturdashi Katha PDFएक समय भगवान कृष्ण अपनी आठों पत्नियों के साथ द्वारिका में सुखी जीवन जी रहे थे. उसी समय प्रागज्योतिषपुर नामक राज्य का राजा एक दैत्य नरकासुर था. उसने अपनी दैत्य शक्तियों से इंद्र, वरुण, अग्नि, वायु आदि सभी देवताओं को परेशान कर दिया था और साधुओं और औरतों पर अत्याचार करने लगा था. एक दिन स्वर्गलोक के राजा देव इंद्र कृष्ण के पास पहुंचे और बताया कि नरकासुर ने तीनों लोकों को अपने अधिकार में कर लिया है और वरुण का छत्र, अदिति के कुंडल और देवताओं की मणि छीन ली है. यही नहीं, वह सुंदर कन्याओं का हरण कर उनके साथ अत्‍याचार कर रहा है और उसके अत्याचार की वजह से देवतागण, मनुष्य और ऋषि-मुनि त्राहि-त्राहि कर रहे हैं.देवराज इंद्र ने कृष्ण से प्रार्थना की और उनसे रक्षा करने की मदद मांगी. भगवान कृष्ण ने इंद्रदेव की प्रार्थना स्वीकार कर ली.  लेकिन नरकासुर को वरदान था कि वह किसी स्त्री के हाथों से ही मारा जाएगा. इसलिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा से सहयोग मांगा और अपनी पत्नी सत्यभामा की सहायता से सबसे पहले मुर दैत्य सहित मुर के 6 पुत्रों- ताम्र, अंतरिक्ष, श्रवण, विभावसु, नभश्वान और अरुण का संहार किया.  मुर दैत्य का वध हो जाने का समाचार पाते ही नरकासुर अपने अनेक सेनापतियों और दैत्यों की सेना के साथ भगवान कृष्ण से युद्ध के लिए चला. लेकिन नरकासुर को स्त्री के हाथों मरने का श्राप था इसलिए भगवान कृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा को अपना सारथी बनाया और उनकी सहायता से नरकासुर का वध किया. जिस दिन भगवान कृष्ण ने नरकासुर का वध किया उस दिन कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि थी.  तब से इस दिन को नरकचतुर्दशी के नाम से मनाया जाता है और जश्‍न में दीप जलाकर उत्सव मनाया जाता है.नरक चतुर्दशी का महत्व | Narak Chaturdashi Ka Mahatvaकार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को नरक चतुर्दशी या रूप चतुर्दशी के रूप में मनाया जाता है। इस दिन नरक की पीड़ा से मुक्ति पाने के लिए प्रात:काल तेल लगाकर अपामार्ग के पौधे सहित जल से स्नान किया जाता है। सायंकाल में यमराज की प्रसन्नता के लिए दीपदान किया जाता है। इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नामक दैत्य का वध किया था। इस कारण भी इसे नरक चतुर्दशी कहा जाता है।You may also like :यम दीप पूजा विधि | Yam Deep Daan Puja Vidhi PDF in HindiYou can download Narak Chaturdashi Story Hindi PDF by clicking on the following download button.#नरक #चतरदश #क #कथ #Narak #Chaturdashi #Story #PDF #HindiThe post नरक चतुर्दशी की कथा | Narak Chaturdashi Story PDF in Hindi appeared first on eBookmela. upload by pdfDON

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