भगवान शिवजी ने कहा
ततस्तमाह भगवान्न हि मे तादृशी स्थिति: |
स त्वं सृज यथा कामं मृत्युयुक्ता: प्रजा: प्रभो ||
हे ब्रह्मा !
मेरी ऐसी प्रकृति नहीं है
जो मरणशील प्रजा का सृजन कर सकूँ।
अतः हे ब्रह्मा !
अब यह कार्य तुम करो और मरणशील प्रजा का सृजन करो।
इसप्रकार ब्रह्मा ने
जरा मरण संयुक्तं जगदेतच्चराचरम ||
रूद्र से आदेश प्राप्त कर
मरणशील स्थिर और गतिशील प्रजा का निर्माण करने लग गए।
जिनकी आज्ञा से
ब्रह्माजी इस जगत की सृष्टि
तथा विष्णुजी पालन करते है।
जो स्वयं "कालरूद्र" नाम धारण करते है और इस विश्व का संहार करते है उन पिनाकधारी भगवान शंकरजी को मेरा बारम्बार नमस्कार है।
हर हर शम्भु
ततस्तमाह भगवान्न हि मे तादृशी स्थिति: |
स त्वं सृज यथा कामं मृत्युयुक्ता: प्रजा: प्रभो ||
हे ब्रह्मा !
मेरी ऐसी प्रकृति नहीं है
जो मरणशील प्रजा का सृजन कर सकूँ।
अतः हे ब्रह्मा !
अब यह कार्य तुम करो और मरणशील प्रजा का सृजन करो।
इसप्रकार ब्रह्मा ने
जरा मरण संयुक्तं जगदेतच्चराचरम ||
रूद्र से आदेश प्राप्त कर
मरणशील स्थिर और गतिशील प्रजा का निर्माण करने लग गए।
जिनकी आज्ञा से
ब्रह्माजी इस जगत की सृष्टि
तथा विष्णुजी पालन करते है।
जो स्वयं "कालरूद्र" नाम धारण करते है और इस विश्व का संहार करते है उन पिनाकधारी भगवान शंकरजी को मेरा बारम्बार नमस्कार है।
हर हर शम्भु
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : मंगलवार
दिनांक: 11 फरवरी 2025
सूर्योदय : 7:02 प्रात:
सूर्यास्त : 6:01 सांय
विक्रम संवत : 2081
मास : माघ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्दशी 6:59 सांय तक फिर पूर्णिमा
नक्षत्र : पुष्य 6:34 सांय तक फिर अश्लेषा
योग : आयुष्मान 9:05 प्रातः तक फिर सौभाग्य
राहुकाल : 3:16 - 4:39 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
दिन : मंगलवार
दिनांक: 11 फरवरी 2025
सूर्योदय : 7:02 प्रात:
सूर्यास्त : 6:01 सांय
विक्रम संवत : 2081
मास : माघ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्दशी 6:59 सांय तक फिर पूर्णिमा
नक्षत्र : पुष्य 6:34 सांय तक फिर अश्लेषा
योग : आयुष्मान 9:05 प्रातः तक फिर सौभाग्य
राहुकाल : 3:16 - 4:39 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
फरवरी 11, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
रोग-शोक-परीताप-बन्धन-व्यसनानि च ।
आत्मापराधवृक्षाणां फलान्येतानि देहिनाम ।।
रोग,शोक,बन्धन,और अन्य प्रकार की विपत्तियां ये प्राणियों द्वारा किये गये पापापराधरूपी वृक्षों के फल है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
रोग-शोक-परीताप-बन्धन-व्यसनानि च ।
आत्मापराधवृक्षाणां फलान्येतानि देहिनाम ।।
रोग,शोक,बन्धन,और अन्य प्रकार की विपत्तियां ये प्राणियों द्वारा किये गये पापापराधरूपी वृक्षों के फल है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
मन की मृत्यु होती है क्या ?
मनुष्य
मूलतः आत्म स्वरूप है।
प्रकृति के साथ उसका संयोग भी अनादि है।
इस संयोग से ही सर्वप्रथम मन का निर्माण होता है।
यही मन अहंकार एवं वासनायुक्त होकर प्रकृति तत्त्वों का संग्रह कर अपनी वासना पुर्ति हेतु विभिन्न शरीरो का निर्माण कर लेता है।
जिसका अन्तिम रूप यह स्थूल शरीर है।
यह आत्मा ऐसे 7 शरीरों से आबद्ध है जो सुक्ष्म से सुक्ष्मतर होते चले गये है।
ये सभी आवरण आत्मा के वस्त्र की भांति हैं।
जिनको उतार फेकने पर ही आत्मा का वास्तविक स्वरूप प्रकट होता है।
आवरण युक्त होने से मनुष्य आत्मा को न देख कर इन 7 शरीरो को ही अपना वास्तविक स्वरूप समझने लगता है।
इस भ्रान्ति को मिटाना ही आत्मदर्शन का मार्ग है।
ये सभी आवरण
मन की कल्पना से ही रचित है।
इसलिए इनके छुट जाने पर भी मन जीवित रहता है जो अपनी वासना पूर्ति हेतु पुनः नये शरीरो का निर्माण कर लेता है।
यह क्रम कई जन्मो तक चलता रहता है।
ज्ञान की
अंतिम अवस्था मे भी
मन मरता नही है बल्कि वह आत्मा का ही अंग होने से उसमे विलीन हो जाता है।
तथा इच्छा शक्ति के जाग्रत होने पर पुनः प्रकट हो जाता है यह प्रतिक्रिया कई कल्पों तक चलती रहती है।
इसलिए सृष्टि का भी
कभी अन्त नही होता।
जिसे हम मनुष्य का जीवन एवं मृत्यु कहते है वह एक भ्रान्त धारणा है।
जिसका सम्बन्ध केवल भौतिक शरीर से है।
भौतिक शरीर के छूटने पर आत्मा अपने शेष 6 आवरणो से युक्त रहता है जिसमे मन अपने पूर्ण भाव से जीवित रहता है।
स्थूल लोक को छोड कर यह जीव चेतना सूक्ष्म लोक मे प्रवेश कर जाती है।
जहॉ यह अपने पूरे परिवार मन बुद्धि चित्त अहंकार आदि के साथ जीवित रहती है।
जिससे स्थूल शरीर के अलावा समस्तअनुभूतियॉ उसे होती रहती है।
मन के स्तर के समस्त कार्य वह बिना शरीर के ही सम्पादित करती रहती है।
केवल स्थूल शरीर के कर्म बन्द होते है।
मनुष्य के सूक्ष्म शरीर मे 7 चक्र हैं जिनका सम्बन्ध स्थूल शरीर की 7 मुख्य ग्रन्थियों से है।
आध्यात्मिक प्रगति इन्ही से सम्भव है।
जय श्री महाकाल 🙏🙏🌹🌹
मनुष्य
मूलतः आत्म स्वरूप है।
प्रकृति के साथ उसका संयोग भी अनादि है।
इस संयोग से ही सर्वप्रथम मन का निर्माण होता है।
यही मन अहंकार एवं वासनायुक्त होकर प्रकृति तत्त्वों का संग्रह कर अपनी वासना पुर्ति हेतु विभिन्न शरीरो का निर्माण कर लेता है।
जिसका अन्तिम रूप यह स्थूल शरीर है।
यह आत्मा ऐसे 7 शरीरों से आबद्ध है जो सुक्ष्म से सुक्ष्मतर होते चले गये है।
ये सभी आवरण आत्मा के वस्त्र की भांति हैं।
जिनको उतार फेकने पर ही आत्मा का वास्तविक स्वरूप प्रकट होता है।
आवरण युक्त होने से मनुष्य आत्मा को न देख कर इन 7 शरीरो को ही अपना वास्तविक स्वरूप समझने लगता है।
इस भ्रान्ति को मिटाना ही आत्मदर्शन का मार्ग है।
ये सभी आवरण
मन की कल्पना से ही रचित है।
इसलिए इनके छुट जाने पर भी मन जीवित रहता है जो अपनी वासना पूर्ति हेतु पुनः नये शरीरो का निर्माण कर लेता है।
यह क्रम कई जन्मो तक चलता रहता है।
ज्ञान की
अंतिम अवस्था मे भी
मन मरता नही है बल्कि वह आत्मा का ही अंग होने से उसमे विलीन हो जाता है।
तथा इच्छा शक्ति के जाग्रत होने पर पुनः प्रकट हो जाता है यह प्रतिक्रिया कई कल्पों तक चलती रहती है।
इसलिए सृष्टि का भी
कभी अन्त नही होता।
जिसे हम मनुष्य का जीवन एवं मृत्यु कहते है वह एक भ्रान्त धारणा है।
जिसका सम्बन्ध केवल भौतिक शरीर से है।
भौतिक शरीर के छूटने पर आत्मा अपने शेष 6 आवरणो से युक्त रहता है जिसमे मन अपने पूर्ण भाव से जीवित रहता है।
स्थूल लोक को छोड कर यह जीव चेतना सूक्ष्म लोक मे प्रवेश कर जाती है।
जहॉ यह अपने पूरे परिवार मन बुद्धि चित्त अहंकार आदि के साथ जीवित रहती है।
जिससे स्थूल शरीर के अलावा समस्तअनुभूतियॉ उसे होती रहती है।
मन के स्तर के समस्त कार्य वह बिना शरीर के ही सम्पादित करती रहती है।
केवल स्थूल शरीर के कर्म बन्द होते है।
मनुष्य के सूक्ष्म शरीर मे 7 चक्र हैं जिनका सम्बन्ध स्थूल शरीर की 7 मुख्य ग्रन्थियों से है।
आध्यात्मिक प्रगति इन्ही से सम्भव है।
जय श्री महाकाल 🙏🙏🌹🌹
सत्संग से
सत् का प्रेम होने से
सत् प्राप्त हो जाता है।
सत्संग मिल जाये
तो परमात्मा का संग मिल जाता है।
सत् से जहाँ सम्बन्ध होता है
वह सत्संग है।
भगवान् के साथ जो संग है
वह सत्संग है।
असत् के त्याग से असली सत्संग होता है।
'सत्संग" "सत्-चिन्तन"
'सत्कर्म" "सत्-चर्चा" "सद्ग्रन्थों का अवलोकन" इन सबका उद्देश्य "सत्संग" ही है।
सत् की प्राप्ति के लिये
असत् का त्याग कर दे
तो सत्संग का उद्देश्य पूरा हो जाता है।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ||
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
सत् का प्रेम होने से
सत् प्राप्त हो जाता है।
सत्संग मिल जाये
तो परमात्मा का संग मिल जाता है।
सत् से जहाँ सम्बन्ध होता है
वह सत्संग है।
भगवान् के साथ जो संग है
वह सत्संग है।
असत् के त्याग से असली सत्संग होता है।
'सत्संग" "सत्-चिन्तन"
'सत्कर्म" "सत्-चर्चा" "सद्ग्रन्थों का अवलोकन" इन सबका उद्देश्य "सत्संग" ही है।
सत् की प्राप्ति के लिये
असत् का त्याग कर दे
तो सत्संग का उद्देश्य पूरा हो जाता है।
सनमुख होइ जीव मोहि जबहीं ||
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि
अतुल बल के धाम
सोने के पर्वत सुमेरु के समान
कान्तियुक्त शरीर वाले
दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप ज्ञानियों में अग्रगण्य संपूर्ण गुणों के निधान वानरों के स्वामी श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹🌹
दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम्
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं
रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि
अतुल बल के धाम
सोने के पर्वत सुमेरु के समान
कान्तियुक्त शरीर वाले
दैत्य रूपी वन को ध्वंस करने के लिए अग्नि रूप ज्ञानियों में अग्रगण्य संपूर्ण गुणों के निधान वानरों के स्वामी श्री रघुनाथजी के प्रिय भक्त पवनपुत्र श्री हनुमान्जी को मैं प्रणाम करता हूँ जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹🌹
दुर्लभो मानुषो देहो देहिनां क्षणभङ्गुरः
तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम्
महापुरुष कहते हैं कि
प्राणियों के लिए मनुष्य शरीर अत्यन्त दुर्लभ और क्षणभङ्गुर है
इसमें भी भगवद्भक्तों का दर्शन तो और भी दुर्लभ है क्योंकि भक्त सन्त-महात्मा एक प्रकार से भगवत्स्वरूप ही हैं
मनुष्य देह क्षणभंगुर होने पर भी जीव के लिए उसका पाना दुर्लभ है
उसमें भी भगवान पर प्रेम करने वाले और भगवान के प्रेमास्पद भक्तों का दर्शन उससे भी दुर्लभ है ऐसा मुझे लगता है जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹🌹
तत्रापि दुर्लभं मन्ये वैकुण्ठप्रियदर्शनम्
महापुरुष कहते हैं कि
प्राणियों के लिए मनुष्य शरीर अत्यन्त दुर्लभ और क्षणभङ्गुर है
इसमें भी भगवद्भक्तों का दर्शन तो और भी दुर्लभ है क्योंकि भक्त सन्त-महात्मा एक प्रकार से भगवत्स्वरूप ही हैं
मनुष्य देह क्षणभंगुर होने पर भी जीव के लिए उसका पाना दुर्लभ है
उसमें भी भगवान पर प्रेम करने वाले और भगवान के प्रेमास्पद भक्तों का दर्शन उससे भी दुर्लभ है ऐसा मुझे लगता है जय श्री राम जय हनुमान 🙏🙏🌹🌹
बजरंग दल का लट्ठ जब तक मजबूत था तब तक समय रैना रविंदर अल्लाहवादीयों को कोई भी हिम्मत सामाजिक गन्दगी फैलाने की नहीं होती थी
लेकिन हिंदूवादी सरकारें बनते ही सबसे पहले बजरंग दल को ही नख दंत विहीन किया गया..जिससे मै कभी सहमत नहीं रहा।
पव में नंगी लड़कियों को पीटने पर राम मुथलिक के खिलाफ कार्यवाही होते ही , अपसंस्कृति किसी मायावी राक्षसी की तरह उड़ान भरने लगी
अब अपसंस्कृति मानो रक्त में घुल चुकी है , हिन्दू समाज उन्मुक्त ईसाई कल्चर को अपना चुका है... सबसे ज्यादा दुख तो फ़ेसबुक पर प्रखर हिंदूवाद , राष्ट्रवाद के परिचित चेहरों द्वारा पूरे बेलेंटाइन वीक में बिना नागा हर दिन पर मनो विनोद करते हुए देख कर होता है
पता नहीं अब हर किसी को सामने वाली फीमेल में केवल प्रेमिका ही क्यों दिखती है ? जबकि उनमें हर किसी के घर में छोटी बड़ी बहिन भी मौजूद होती है
प्रपोज , किस, हग , चॉकलेट डे आदि के मजाक किस प्रकार बनाते रहते हैं
जबकि हम हिंदूवादी तो पत्नी के अतिरिक्त हर स्त्री लड़की को 'माताजी, बहिन जी... का सम्बोधन देने वाली संस्कृति और समाज के हिस्से हैं
संघ वाले तो जिसको 'भाईसाहब' बोलते हैं उसके घर जाने पर उसकी पत्नी को 'बहिन जी' का सम्बोधन देते हैं
लेकिन अब तो ये दृश्य कतई दुर्लभ होते जा रहे हैं
2014 तक 14 फरवरी को बजरंगी , छिछोरे लफंगों को पार्कों में पकड़ कर लठियाते थे , इनके साथ कि गुंडियों को झोंटा पकड़ पकड़ कर उसको शर्म लिहाज का अहसास कराते थे तो पुलिस भी बजरंगियों का ही साथ देती थी ,
बड़ा ही अजीब दृश्य होता था
तब जबकि किसी लड़की को चुटिया पकड़ कर थप्पड़ मार कर गाल लाल किये जाते अगले ही छण वे बजरंगी मर्यादापूर्ण तरीक़े से उसको बहिन की तरह ससम्मान घर पहुंचाते हुए दिखते
लेकिन अब तो हालत ये है कि 14 फरवरी को पार्कों में कोई खुली योन क्रिया करें तो पुलिस द्वारा उनको भी प्रोटक्शन दिया जाएगा ....
निवेदन रहेगा सभी हिंदुत्व समर्थक सरकारों से बजरंग दल जैसे सभी वास्तविक संगठन जो हिंदुत्व को समर्पित हैं उन्हें उनका कार्य करने दें यदि समाज को ऐसी गंदगी से दूर रखना है।राम राम रहेगी सभी को।
लेकिन हिंदूवादी सरकारें बनते ही सबसे पहले बजरंग दल को ही नख दंत विहीन किया गया..जिससे मै कभी सहमत नहीं रहा।
पव में नंगी लड़कियों को पीटने पर राम मुथलिक के खिलाफ कार्यवाही होते ही , अपसंस्कृति किसी मायावी राक्षसी की तरह उड़ान भरने लगी
अब अपसंस्कृति मानो रक्त में घुल चुकी है , हिन्दू समाज उन्मुक्त ईसाई कल्चर को अपना चुका है... सबसे ज्यादा दुख तो फ़ेसबुक पर प्रखर हिंदूवाद , राष्ट्रवाद के परिचित चेहरों द्वारा पूरे बेलेंटाइन वीक में बिना नागा हर दिन पर मनो विनोद करते हुए देख कर होता है
पता नहीं अब हर किसी को सामने वाली फीमेल में केवल प्रेमिका ही क्यों दिखती है ? जबकि उनमें हर किसी के घर में छोटी बड़ी बहिन भी मौजूद होती है
प्रपोज , किस, हग , चॉकलेट डे आदि के मजाक किस प्रकार बनाते रहते हैं
जबकि हम हिंदूवादी तो पत्नी के अतिरिक्त हर स्त्री लड़की को 'माताजी, बहिन जी... का सम्बोधन देने वाली संस्कृति और समाज के हिस्से हैं
संघ वाले तो जिसको 'भाईसाहब' बोलते हैं उसके घर जाने पर उसकी पत्नी को 'बहिन जी' का सम्बोधन देते हैं
लेकिन अब तो ये दृश्य कतई दुर्लभ होते जा रहे हैं
2014 तक 14 फरवरी को बजरंगी , छिछोरे लफंगों को पार्कों में पकड़ कर लठियाते थे , इनके साथ कि गुंडियों को झोंटा पकड़ पकड़ कर उसको शर्म लिहाज का अहसास कराते थे तो पुलिस भी बजरंगियों का ही साथ देती थी ,
बड़ा ही अजीब दृश्य होता था
तब जबकि किसी लड़की को चुटिया पकड़ कर थप्पड़ मार कर गाल लाल किये जाते अगले ही छण वे बजरंगी मर्यादापूर्ण तरीक़े से उसको बहिन की तरह ससम्मान घर पहुंचाते हुए दिखते
लेकिन अब तो हालत ये है कि 14 फरवरी को पार्कों में कोई खुली योन क्रिया करें तो पुलिस द्वारा उनको भी प्रोटक्शन दिया जाएगा ....
निवेदन रहेगा सभी हिंदुत्व समर्थक सरकारों से बजरंग दल जैसे सभी वास्तविक संगठन जो हिंदुत्व को समर्पित हैं उन्हें उनका कार्य करने दें यदि समाज को ऐसी गंदगी से दूर रखना है।राम राम रहेगी सभी को।
मित्रों.. चलिए थोड़ा भारत में रह रहे अवैध रोहिंग्या एवं बांगलादेशी घुसपैठियों की बात कर लेते हैं.
मित्रों.. पिछले दो दिनों से भाजपा एवं NDA शासित राज्यों में, हजारों की संख्या में अवैध बांगलादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों को दबोचा गया है !! यह काम पूरे देश में युद्धक स्तर पर चल रहा है. यहां तक की पश्चिम बंगाल से कई घुसपैठियों को दबोचा गया है !! लेकिन झारखंड से एसी कोई खबर नहीं मिल रही है, जहां पे पश्चिम बंगाल के बाद ज्यादा घुसपैठिए रह रहे हैं, और पिछले दो महिनों में #हजारों की संख्या में इन अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट भी किया जा चुका है. अब तो हर रोज़ डिपोर्ट किए जा रहे हैं...
मित्रों.. पिछले दो दिनों से भाजपा एवं NDA शासित राज्यों में, हजारों की संख्या में अवैध बांगलादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों को दबोचा गया है !! यह काम पूरे देश में युद्धक स्तर पर चल रहा है. यहां तक की पश्चिम बंगाल से कई घुसपैठियों को दबोचा गया है !! लेकिन झारखंड से एसी कोई खबर नहीं मिल रही है, जहां पे पश्चिम बंगाल के बाद ज्यादा घुसपैठिए रह रहे हैं, और पिछले दो महिनों में #हजारों की संख्या में इन अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट भी किया जा चुका है. अब तो हर रोज़ डिपोर्ट किए जा रहे हैं...
कुछ लोगों ने महाकुंभ में गंदगी और गंदगी देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में सड़क जाम और लाशें देखीं।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में आध्यात्मिकता और दिव्यता देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में अपने माता-पिता और अपने सपनों को पूरा होते देखा।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने किसी के जूस, रोटी या चाय में थूका नहीं।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने नारे लगाकर किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने सड़कों, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर प्रार्थना नहीं की, जिससे दूसरों को असुविधा हुई।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि दलितों, ब्राह्मणों, जाटों या अग्रवालों के लिए अलग से कोई घाट नहीं था। सभी हिंदू एक साथ स्नान करते थे। हर हिंदू के साथ एक जैसा व्यवहार किया गया, बिना किसी जाति भेद के।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी भूखा या भटका नहीं।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि करोड़ों हिंदुओं के आने के बावजूद, अज़ान या सामूहिक प्रार्थना के दौरान दूसरे धर्मों के धार्मिक ढांचों पर पत्थरबाजी नहीं की गई।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी व्यक्ति ने किसी विदेशी का धर्म परिवर्तन करने या किसी की ज़मीन पर दावा करने की कोशिश नहीं की।
हर किसी को यह देखना चाहिए !!
कुछ लोगों ने महाकुंभ में सड़क जाम और लाशें देखीं।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में आध्यात्मिकता और दिव्यता देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में अपने माता-पिता और अपने सपनों को पूरा होते देखा।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने किसी के जूस, रोटी या चाय में थूका नहीं।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने नारे लगाकर किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने सड़कों, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर प्रार्थना नहीं की, जिससे दूसरों को असुविधा हुई।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि दलितों, ब्राह्मणों, जाटों या अग्रवालों के लिए अलग से कोई घाट नहीं था। सभी हिंदू एक साथ स्नान करते थे। हर हिंदू के साथ एक जैसा व्यवहार किया गया, बिना किसी जाति भेद के।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी भूखा या भटका नहीं।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि करोड़ों हिंदुओं के आने के बावजूद, अज़ान या सामूहिक प्रार्थना के दौरान दूसरे धर्मों के धार्मिक ढांचों पर पत्थरबाजी नहीं की गई।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी व्यक्ति ने किसी विदेशी का धर्म परिवर्तन करने या किसी की ज़मीन पर दावा करने की कोशिश नहीं की।
हर किसी को यह देखना चाहिए !!
राम नाम
शिवजी ने क्यो कण्ठ में रखा ?
राम
ये दो अक्षर "रा" और "म"
अर्थात् "राम-नाम" हैं।
यह "राम-नाम" रूपी अमर-मन्त्र शिवजी के कण्ठ और जिह्वा के अग्रभाग में विराजमान है।
भगवान शिव को
"र" और "म" अक्षर क्यों प्रिय ?
ऐसा माना जाता है कि
सती के नाम में "र"कार अथवा "म"कार नहीं है।
इसलिए भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया।
जब सती ने पर्वतराज हिमाचल के यहां जन्म लिया तब उनका नाम "गिरिजा" हो गया।
इतने पर भी
"शिवजी मुझे स्वीकार करेंगे या नहीं"
ऐसा सोचकर
पार्वतीजी तपस्या करने लगीं।
जब उन्होंने सूखे पत्ते भी खाने छोड़ दिए।
तब उनका नाम "अपर्णा" हो गया।
"गिरिजा" और "अपर्णा"
दोनों नामों में "र"कार आ गया
तो भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने पार्वतीजी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया।
इसीतरह शिवजी ने गंगा को स्वीकार नहीं किया।
परन्तु जब गंगा का नाम "भागीरथी" पड़ गया
तो इसमें भी "र"कार आ गया।
तब शिवजी ने उनको अपनी जटा में धारण कर लिया।
इस प्रकार "राम-नाम" में विशेष प्रेम के कारण भगवान शिव दिन-रात "राम-नाम" का जप करते रहते हैं।
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती |
सादर जपहु अनंग आराती ||
ऊँ नमः शिवाय
जय जय श्रीसीताराम🙏🙏🌹🌹
शिवजी ने क्यो कण्ठ में रखा ?
राम
ये दो अक्षर "रा" और "म"
अर्थात् "राम-नाम" हैं।
यह "राम-नाम" रूपी अमर-मन्त्र शिवजी के कण्ठ और जिह्वा के अग्रभाग में विराजमान है।
भगवान शिव को
"र" और "म" अक्षर क्यों प्रिय ?
ऐसा माना जाता है कि
सती के नाम में "र"कार अथवा "म"कार नहीं है।
इसलिए भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया।
जब सती ने पर्वतराज हिमाचल के यहां जन्म लिया तब उनका नाम "गिरिजा" हो गया।
इतने पर भी
"शिवजी मुझे स्वीकार करेंगे या नहीं"
ऐसा सोचकर
पार्वतीजी तपस्या करने लगीं।
जब उन्होंने सूखे पत्ते भी खाने छोड़ दिए।
तब उनका नाम "अपर्णा" हो गया।
"गिरिजा" और "अपर्णा"
दोनों नामों में "र"कार आ गया
तो भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने पार्वतीजी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया।
इसीतरह शिवजी ने गंगा को स्वीकार नहीं किया।
परन्तु जब गंगा का नाम "भागीरथी" पड़ गया
तो इसमें भी "र"कार आ गया।
तब शिवजी ने उनको अपनी जटा में धारण कर लिया।
इस प्रकार "राम-नाम" में विशेष प्रेम के कारण भगवान शिव दिन-रात "राम-नाम" का जप करते रहते हैं।
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती |
सादर जपहु अनंग आराती ||
ऊँ नमः शिवाय
जय जय श्रीसीताराम🙏🙏🌹🌹
साभार...
#कालाबच्चा सोनकर एक ऐसे दलित #रामभक्त,जो कि हिन्दुओं के दूत थे, उत्तर प्रदेश में '#रामकाज' के लिये जिनपर एक ही दिन में 76 मुकदमें ठोंक दिये गये थे,जिनके पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी #ISI ने बम मारकर परखच्चे उड़वा दिये थे।
जिनकी चिता की राख से बम की करीब 40 कीलें मिली थीं। जिनका होना #कानपुर में हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी थी।जिन्हें 'हिन्दुओं का भौकाल' कहा जाता था।
कौन थे काला बच्चा सोनकर?'खटिक' समाज से आने वाले मुन्ना सोनकर उर्फ़ 'काला बच्चा' सोनकर कानपुर के बिल्हौर के रहने वाले थे।खटिक समाज दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। काला बच्चा सोनकर कानपुर में इसी का नेतृत्व करते थे।वह खटिकों के साथ ही पूरे हिन्दू समाज में काफी पॉपुलर थे। वह भाजपा से जुड़े हुए थे।इस्लामी कट्टरपंथियों के आतंक से हिन्दुओं को बचाने वाले काला बच्चा पहले सूअर पालने का काम करते थे।इसी के साथ ही वह स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थे।
हिन्दुओं पर पकड़ और दलितों में बड़ा नाम मुन्ना सोनकर को भाजपा ने 1993 में बिल्हौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बनाया था।हालाँकि,वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गये थे।लेकिन वह हार के बाद भी कानपुर क्षेत्र में भाजपा के पोस्टर बॉय थे।काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर वर्तमान में इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।वह लगातार अपने पिता के बलिदान और हिन्दुओं के लिए किये गए कामों को याद दिलाते हैं।
राम मंदिर आंदोलन और काला बच्चा
काला बच्चा का नाम पहले से प्रसिद्ध तो था ही,वह हीरो बन कर तब उभरे जब उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद कानपुर के भीतर हिन्दुओं को बचाया था। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद देश के बाकी हिस्सों के साथ कानपुर में भी दंगे भड़के थे।बाबूपुरवा,जूही समेत मुस्लिम बहुल इलाकों के अलावा कई जगह हिंसा हुई थी।6 दिसम्बर के बाद मुस्लिमों ने एक मार्च निकाला था जिसके चलते खून खराबा हुआ।इस दंगे के दौरान आतातायी मुस्लिम भीड़ से काला बच्चा सोनकर ने हिन्दुओं को बचाया और मुस्लिमों का प्रतिरोध किया।
1994 में हो गई हत्या
1992 में उनके ऊपर मुकदमे लगे लेकिन लोकप्रियता बढ़ती गई।काला बच्चा सोनकर को 1993 चुनाव में भाजपा ने बिल्हौर से टिकट दिया लेकिन वह हार गए।इस चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद 9 फरवरी,1994 को उनकी हत्या हो गई।हत्या के दिन काला बच्चा सोनकर स्कूटर पर जा रहे थे।उन पर कानपुर में बम चलाया गया था,इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार,इस बम धमाके में उनके शरीर का एक ही हिस्सा बचा था। उन पर इतने शक्तिशाली बम मारे गए थे कि बाद में अस्थियों तक से 40 लोहे के टुकड़े निकले थे।
ISI का हाथ सामने आया,मुंबई से हुई थी फंडिंग
काला बच्चा की हत्या मामले में कुछ मुस्लिम आरोपित बनाए गए थे।इनमें से कुछ की बाद में हत्या भी हो गई।इस मामले में जाँच में सामने आया था कि काला बच्चा को निशाने पर लेने वाले ISI से जुड़े हुए लोग थे।सोनकर को मारने के लिए मुंबई से पैसा भेजे जाने की बात भी सामने आई थी।उनके बेटे राहुल सोनकर बताते हैं कि ₹10 लाख मुंबई से भेजे गए थे,जिनमें से ₹4 लाख का इस्तेमाल इस हत्या में हुआ।
मुलायम सिंह ने नहीं दिया शव,परिवार की पिटाई की
काला बच्चा सोनकर के परिवार पर भी मुलायम सिंह यादव की तब की सरकार ने काफी अत्याचार किए थे।काला बच्चा सोनकर के परिवार को उनका शव ही नहीं दिया गया।उनके शव को पुलिस ने जब्त किए रखा।भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी कानपुर पुलिस से बातचीत करने पहुँचे।पहले पुलिस ने शव लौटाने की हामी भरी और भाजपा नेताओं से तैयारी करने को कहा।लेकिन बाद में मुलायम सरकार ने शव लौटाने से इनकार कर दिया।काला बच्चा को पुलिस ने सुबह 4 बजे चुपके से सिंधियों के शमशान में जला दिया।
इसके बाद जब काला बच्चा के परिवार ने प्रदर्शन किया और मामले में कार्रवाई की माँग की तो उनकी विधवा और बूढ़ी माँ को मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने घेर कर मारा पीटा।प्रदर्शन करने पहुँचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया और उनकी बेरहमी से पिटाई हुई। काला बच्चा के परिवार के सड़क पर निकलने पर तक बैन लगा दिया गया। इस मामले में यह तक आदेश दिया गया कि हत्या का विरोध करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह आगे विरोध करने लायक ना रहें।
अब बेटे राहुल हैं विधायक,याद दिला रहे पिता का बलिदान
काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर को 2022 में भाजपा ने बिल्हौर विधानसभा से टिकट दिया था।उन्होंने अपने पिता के काम को आगे बढाते हुए प्रचार किया और 2022 में 1 लाख से अधिक अंतर से चुनाव जीता।
#कालाबच्चा सोनकर एक ऐसे दलित #रामभक्त,जो कि हिन्दुओं के दूत थे, उत्तर प्रदेश में '#रामकाज' के लिये जिनपर एक ही दिन में 76 मुकदमें ठोंक दिये गये थे,जिनके पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी #ISI ने बम मारकर परखच्चे उड़वा दिये थे।
जिनकी चिता की राख से बम की करीब 40 कीलें मिली थीं। जिनका होना #कानपुर में हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी थी।जिन्हें 'हिन्दुओं का भौकाल' कहा जाता था।
कौन थे काला बच्चा सोनकर?'खटिक' समाज से आने वाले मुन्ना सोनकर उर्फ़ 'काला बच्चा' सोनकर कानपुर के बिल्हौर के रहने वाले थे।खटिक समाज दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। काला बच्चा सोनकर कानपुर में इसी का नेतृत्व करते थे।वह खटिकों के साथ ही पूरे हिन्दू समाज में काफी पॉपुलर थे। वह भाजपा से जुड़े हुए थे।इस्लामी कट्टरपंथियों के आतंक से हिन्दुओं को बचाने वाले काला बच्चा पहले सूअर पालने का काम करते थे।इसी के साथ ही वह स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थे।
हिन्दुओं पर पकड़ और दलितों में बड़ा नाम मुन्ना सोनकर को भाजपा ने 1993 में बिल्हौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बनाया था।हालाँकि,वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गये थे।लेकिन वह हार के बाद भी कानपुर क्षेत्र में भाजपा के पोस्टर बॉय थे।काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर वर्तमान में इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।वह लगातार अपने पिता के बलिदान और हिन्दुओं के लिए किये गए कामों को याद दिलाते हैं।
राम मंदिर आंदोलन और काला बच्चा
काला बच्चा का नाम पहले से प्रसिद्ध तो था ही,वह हीरो बन कर तब उभरे जब उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद कानपुर के भीतर हिन्दुओं को बचाया था। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद देश के बाकी हिस्सों के साथ कानपुर में भी दंगे भड़के थे।बाबूपुरवा,जूही समेत मुस्लिम बहुल इलाकों के अलावा कई जगह हिंसा हुई थी।6 दिसम्बर के बाद मुस्लिमों ने एक मार्च निकाला था जिसके चलते खून खराबा हुआ।इस दंगे के दौरान आतातायी मुस्लिम भीड़ से काला बच्चा सोनकर ने हिन्दुओं को बचाया और मुस्लिमों का प्रतिरोध किया।
1994 में हो गई हत्या
1992 में उनके ऊपर मुकदमे लगे लेकिन लोकप्रियता बढ़ती गई।काला बच्चा सोनकर को 1993 चुनाव में भाजपा ने बिल्हौर से टिकट दिया लेकिन वह हार गए।इस चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद 9 फरवरी,1994 को उनकी हत्या हो गई।हत्या के दिन काला बच्चा सोनकर स्कूटर पर जा रहे थे।उन पर कानपुर में बम चलाया गया था,इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार,इस बम धमाके में उनके शरीर का एक ही हिस्सा बचा था। उन पर इतने शक्तिशाली बम मारे गए थे कि बाद में अस्थियों तक से 40 लोहे के टुकड़े निकले थे।
ISI का हाथ सामने आया,मुंबई से हुई थी फंडिंग
काला बच्चा की हत्या मामले में कुछ मुस्लिम आरोपित बनाए गए थे।इनमें से कुछ की बाद में हत्या भी हो गई।इस मामले में जाँच में सामने आया था कि काला बच्चा को निशाने पर लेने वाले ISI से जुड़े हुए लोग थे।सोनकर को मारने के लिए मुंबई से पैसा भेजे जाने की बात भी सामने आई थी।उनके बेटे राहुल सोनकर बताते हैं कि ₹10 लाख मुंबई से भेजे गए थे,जिनमें से ₹4 लाख का इस्तेमाल इस हत्या में हुआ।
मुलायम सिंह ने नहीं दिया शव,परिवार की पिटाई की
काला बच्चा सोनकर के परिवार पर भी मुलायम सिंह यादव की तब की सरकार ने काफी अत्याचार किए थे।काला बच्चा सोनकर के परिवार को उनका शव ही नहीं दिया गया।उनके शव को पुलिस ने जब्त किए रखा।भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी कानपुर पुलिस से बातचीत करने पहुँचे।पहले पुलिस ने शव लौटाने की हामी भरी और भाजपा नेताओं से तैयारी करने को कहा।लेकिन बाद में मुलायम सरकार ने शव लौटाने से इनकार कर दिया।काला बच्चा को पुलिस ने सुबह 4 बजे चुपके से सिंधियों के शमशान में जला दिया।
इसके बाद जब काला बच्चा के परिवार ने प्रदर्शन किया और मामले में कार्रवाई की माँग की तो उनकी विधवा और बूढ़ी माँ को मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने घेर कर मारा पीटा।प्रदर्शन करने पहुँचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया और उनकी बेरहमी से पिटाई हुई। काला बच्चा के परिवार के सड़क पर निकलने पर तक बैन लगा दिया गया। इस मामले में यह तक आदेश दिया गया कि हत्या का विरोध करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह आगे विरोध करने लायक ना रहें।
अब बेटे राहुल हैं विधायक,याद दिला रहे पिता का बलिदान
काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर को 2022 में भाजपा ने बिल्हौर विधानसभा से टिकट दिया था।उन्होंने अपने पिता के काम को आगे बढाते हुए प्रचार किया और 2022 में 1 लाख से अधिक अंतर से चुनाव जीता।