धर्म ज्ञान : जय श्री राम
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सत्य पंथ का करी प्रचारा॥
देश धर्म का करि विस्तारा ||
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अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : गुरुवार
दिनांक: 13 मार्च 2025
सूर्योदय : 6:36 प्रात:
सूर्यास्त : 6:24 सांय
विक्रम संवत : 2081
मास : फाल्गुन
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्दशी 10:37 प्रातः तक फिर पूर्णिमा
नक्षत्र : पूर्वा फाल्गुनी
योग : धृति 1:01 अपराह्न तक फिर शूल
राहुकाल : 2:00 - 3:29 अपराह्न तक
होलिका दहन मुहूर्त
11:26 से 12:29 रात्रि तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मार्च 13, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय  हो। होलिका दहन की हार्दिक शुभकामनाएं।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
यश्चेमां वसुधां कृत्स्नां प्रशासेदखिलां नृपः ।
तुल्याश्मकाञ्चनो यश्च स कृतार्थो न पार्थिवः ॥
कोई राजा सारी पृथ्वी पर शासन करता हो, वह कृतार्थ नहीं होता।
कोई साधु, पत्थर और स्वर्ण को समान समझता है, वह कृतार्थ (संतुष्ट) है।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
होली और होलाष्टक
फाल्गुन शुक्लपक्ष अष्टमी
से होलाष्टक तिथि का आरंभ है।
आज की तिथि से पूर्णिमा तक के आठों दिनों को होलाष्टक होता है।
होलाष्टक अवधि भक्ति की शक्ति का प्रभाव दिखाने की है।
सत्ययुग में हिरण्यकश्यपु ने घोर तपस्या करके भगवान विष्णु से अनेक वरदान पाये थे।
वरदान के अहंकार में हिरण्यकश्यपु ने अनाचार-दुराचार का मार्ग चुन लिया था।
भगवान् विष्णु से अपने भक्त की
यह दुर्गति सहन नहीं हुई और उन्होंने हिरण्यकश्यपु के उद्धार के लिए अपना अंश उनकी पत्नी कयाधू के गर्भ में स्थापित कर दिया जो जन्म के बाद प्रह्लाद कहलाए।
प्रह्लाद जन्म से ही ब्रह्मज्ञानी थे।
वे हर पल भक्ति में लीन रहते।
उन्हें सभी नौ प्रकार की भक्ति प्राप्त थीं
श्रवणं कीर्तनं विष्णो: स्मरणं पाद सेवनम।
अर्चनं वन्दनं दास्यंसख्यमात्म निवेदनम॥
श्रवण
कीर्तन
स्मरण
पादसेवन
अर्चन
वंदन
दास्य
सख्य व आत्मनिवेदनम।
प्रह्लाद की भक्ति का
उनके पिता हिरण्यकश्यपु बहुत विरोध करते थे।
प्रह्लाद को भक्ति से विमुख करने के उनके सभी उपाय जब निष्फल होने लगे तो उन्होंने प्रह्लाद को फाल्गुन शुक्ल पक्ष अष्टमी को बंदी बना लिया
और मृत्यु हेतु तरह-तरह की यातनाएं देने लगे।
प्रह्लाद विचलित नहीं हुए।
इस दिन से प्रतिदिन प्रह्लाद को मृत्यु देने के अनेकों उपाय किए जाने लगे पर वे हमेशा बच जाते।
इसी प्रकार सात दिन बीत गए।
आठवें दिन अपने भाई हिरण्यकश्यपु की परेशानी देख
उनकी बहन होलिका [ जिसे ब्रह्मा द्वारा अग्नि से न जलने का वरदान था ] ने प्रह्लाद को अपनी गोद में लेकर अग्नि में भस्म करने का प्रस्ताव रखा।
और होलिका जैसे ही अपने भतीजे प्रह्लाद को गोद में लेकर जलती आग में बैठी वह स्वयं जलने लगी और प्रह्लाद को कुछ नहीं हुआ।
तभी से भक्ति पर आघात हो रहे
इन 8 दिनों को होलाष्टक के रूप में मनाया जाता है।
भक्ति पर जिस-जिस तिथि वार को आघात होता
उस दिन और तिथियों के स्वामी भी हिरण्यकश्यपु से क्रोधित हो जाते थे।
इसीलिए इन 8 दिनों में क्रमश:
अष्टमी को चंद्रमा
नवमी को सूर्य
दशमी को शनि
एकादशी को शुक्र
द्वादशी को गुरु
त्रयोदशी को बुध
चतुर्दशी को मंगल
तथा पूर्णिमा को राहु उग्र रूप लिए माने जाते हैं।
इसके कारण
इन दिनों में
गर्भाधान
विवाह
नामकरण
विद्यारम्भ
गृह प्रवेश व निर्माण आदि अनुष्ठान अशुभ माने गए हैं।
तभी से फाल्गुन शुक्ल अष्टमी के दिन से ही होलिकादहन स्थान का चुनाव किया जाता है।
पूर्णिमा के दिन सायंकाल शुभ मुहूर्त में अग्निदेव की शीतलता एवं स्वयं की रक्षा के लिए उनकी पूजा करके होलिका दहन किया जाता है।
जिसकी समझ में सब कुछ भगवान का है, उसका अपना तो एक भगवान के अतिरिक्त और कुछ भी नहीं रहा। उसके जीवन का प्रत्येक क्षण भगवान की प्रसन्नता और मंगलाशासन के लिये,उन्हीं की दी हुई योग्यता से , उन्हीं की और उनके प्रियजनों की सेवा में लगेगा। वह *नित्य सेवा* को जीवन का आधार बनाकर सदा प्रसन्न चित्त रहता हुआ सेवा करने में ही अपने आप को भाग्यशाली अनुभव करता है। सदा *भगवत चिन्तन* का महारस का मधुर पान करते हुए आनन्दित रहता है। यही मनुष्य जीवन का वास्तविक उद्देश्य है।
भगवान कृष्ण ज्ञान, भक्ति, प्रेम, शौर्य के पूर्ण अभिव्यक्ति हैं। यदि कोई उन्हें रसिक के रूप में देखता है और आह्लाद करता है तो यह उसका अधिकार है, कोई उन्हें उद्भट योद्धा या योगी के तौर पर देखता है तो यह उसकी दृष्टि है। वह राधा रमण हैं, मुरलीधर हैं, गिरधर और लड्डू गोपाल हैं, वह सुदर्शनधारी और पापनाशक हैं।

मेरा कहना है कि जिसे जो रूप अच्छा लग रहा वह भगवान को उस रूप में माने लेकिन यह भी जाने कि उन्हीं के अन्य रूप हैं और वे भी सत्य हैं, उन रूपों के आराधक भी उसी भगवान की शरण में हैं जिसकी शरण में हम स्वयं हैं।

जीवन में प्रेम, ज्ञान और युद्ध का संतुलन होना चाहिए। यदि आप तीनों गुणों को एक दूसरे के आमने सामने खड़ा कर देंगे तो आपको रेगिस्तानी राक्षस बनने से कोई नहीं रोक सकता।
आज आधी रात में होगा होलिका दहन

होली पर भद्रा का साया रहने से आज रात 11 बजकर 27 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक है होलिका दहन का मुहूर्त

आज देर रात यानी 13 मार्च गुरुवार करीब आधी रात में होलिका दहन किया जाएगा और अगले दिन यानी शुक्रवार को रंगों वाली होली खेली जाएगी। हर वर्ष फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होलिका दहन किया जा है और इस छोटी होली भी कहा जाता है. होलिका दहन में तिथि, भद्रा और शुभ मुहूर्त का विशेष ध्यान रखा जाता है. लेकिन होलिका दहन पर इस बार सुबह 10 बजकर 35 मिनट से रात 11 बजकर 26 मिनट तक भद्रा का साया रहने वाला है. शास्त्रों के अनुसार, होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं करना चाहिये। पूरे दिन भद्रा का साया रहने से होलिका दहन के लिए शुभ समय क्या होगा, आइए जानते हैं…

बुराई पर अच्छाई की जीत का पर्व

होलिका दहन का पर्व बुराई पर अच्छाई के जीत के तौर पर मनाया जाता है और हर वर्ष यह पर्व फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. कहा जाता है कि विधि पूर्वक और नियमों के साथ होलिका दहन किया जाए तो सभी चिंता व परेशानियां भी उसी अग्नि में स्वाहा हो जाती हैं और परिवार में सुख-शांति का वास होता है. इस पर्व का सभी बेसब्री से इंतजार करते हैं और दूर दूर से अपने घरों में जाते हैं. इस शुभ दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी के साथ चंद्र देव की भी पूजा की जाती है. मान्यता है कि ऐसा करने से मानसिक शांति मिलती है और धन धान्य की कभी कमी नही होती।

13 मार्च को होलिका दहन

फाल्गुन पूर्णिमा प्रारंभ – 13 मार्च, सुबह 10 बजकर 35 मिनट से
फाल्गुन पूणिमा समापन – 14 मार्च, दोपहर 12 बजकर 24 मिनट तक
13 मार्च को दिन और रात को पूर्णिमा तिथि होने की वजह से होलिका दहन इसी दिन किया जाएगा।

भद्रा का समय

भद्रा काल – 13 मार्च, सुबह 10 बजकर 35 मिनट से 11 बजकर 26 मिनट तक।
भद्रा की पूंछ – शाम 6 बजकर 57 मिनट से रात 8 बजकर 14 मिनट से।
भद्रा का मुख – रात 8 बजकर 14 मिनट से रात 10 बजकर 22 मिनट तक।
तेरह मार्च को चंद्रमा सिंह राशि में संचार करेंगे, जिसकी वजह से भद्रा का साया मृत्यु लोक में रहेगा. शास्त्रों के अनुसार, जब भद्रा मृत्यु लोक में होती है, तब सबसे ज्यादा हानिकारक मानी जाती है. होलिका दहन पर भद्रा करीब 12 घंटे 51 मिनट तक रहेगी।

होलिका दहन का पूजा मुहूर्त

तेरह मार्च को होलिका दहन वाले दिन दोपहर 1 बजकर 30 मिनट से दोपहर 3 बजे तक राहुकाल का समय रहेगा इसलिए इस अवधि में होली पूजन से बचें. शास्त्रों के अनुसार, राहुकाल में पूजन करना अशुभ माना गया है इसलिए होली पूजन का समय 10 बजकर 35 मिनट से 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगा।

होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

13 मार्च को होलिका दहन वाले दिन होलिका दहन के लिए 1 घंटा 4 मिनट का समय मिलेगा. दरअसल रात 11 बजकर 26 मिनट तक भद्रा व्याप्त रहने की वजह से होलिका दहन नहीं किया जा सकेगा।
होलिका दहन मुहूर्त – रात 11 बजकर 27 मिनट से मध्य रात्रि 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा।
होलिका दहन के इस पावन पर्व पर आपके समस्त दुखों का नाश हो।आपके जीवन के सारे कष्ट होलिका दहन में जलकर भस्म हो जाए।खुशियों का नया द्वार खुले और आप सभी के जीवन में सुख–शांति और समृद्धि का संचार हो। आइए इस अवसर पर हम सब मिलकर घृणा,अहंकार और बुराइयों का वध करें।।
भारत को जिहादी आतंक से मुक्ति मिले।
विश्व में कुफ़्र,काफ़िर और जिहाद की अवधारणायें समाप्त हों।
धर्मनिरपेक्षता का नाश हो,शांति,प्रेम और सद्भाव स्थापित हो....
हो सकता है अगले 2/3 दिन आप कहीं रास्ते में जा रहे हों... और अचानक से सनसनाता हुआ पानी या रंग की धार आप पर आकर गिरे....
तो गुस्सा न हों, न उन बच्चों को डांटे...
बल्कि खुद को भाग्यशाली समझें...कि आपको उन नादान हाथों ने चुना है, जो हमारी संस्कृति को जिन्दा रखे हुए हैं...
जो उत्सव को जिन्दा रखे हुए हैं...

ऐसे कम ही नासमझ मिलेंगे...वैसे भी सारे समझदार बच्चे विडियोगेम, डोरेमोन और एंड्रॉइड के अंदर घुसे होंगे..

तो कृपया इन्हें हतोत्साहित न करें...
बल्कि यदि आप उन्हें छुपा देख लें तो जानबूझ कर वही से निकलें..
आपकी शर्ट ज़रूर ख़राब हो सकती है, पर जब उनकी इस शरारत का जबाब आप मुस्कुराहट से देंगे तो उनकी खुशी आपको खुशी ही लौटाएगी, और...

होली ज़िन्दा रहेगी...
रंग ज़िन्दा रहेंगे...
उत्सव ज़िन्दा रहेगा....
बचपन ज़िन्दा रहेगा....
पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाली बलूचिस्तान में बलूच लिबरेशन आर्मी ने जिस जगह पर जाफर एक्सप्रेस ट्रेन को हाईजैक किया था, उस जगह में स्थित पहाडों की दरों पर पिछले 2 सालों से बलूच लिबरेशन आर्मी BLA ने कई जगह अपने गुप्त ठिकाने बनाने में लगा था, ताकि युद्ध की परिस्थिति में वह पाकिस्तानी सेना के साथ लड़ाई लड़ सके. वहां पर सुरंग बनाने के साथ-साथ असलहा रखने के लिए भी कई जगह बनाई गई है.

मित्रों, अंदरूनी खबरों के मुताबिक, जाफर एक्सप्रेस ट्रेन हाईजैक के दौरान BLA की गोलीबारी में तत्काल 45-58 पाकिस्तानी सैनिक मारे गए थे, जो उस ट्रेन में सवार थे और 315 सैनिकों को जीवित बंधक बना लिया है. कल से आज तक पाकिस्तानी सैनिकों ने अपने बंधक सैनिकों को छुडाने के लिए जो अॉपरेशन शुरू किया था, उसमें अबतक 200 के करीब सैनिक मारे जा चुके हैं और BLA की 28 लड़ाके पाकिस्तानी सैनिकों के गोली का शिकार हो चुके हैं. खबर यह भी है कि, पाकिस्तानी सेना को जो सैनिक छुड़ाने आए थे, उनमें से भी 45 सैनिकों को BLA ने बंधक बना चुकी है. यह बार और पलटवार बहुत दिलचस्प मोड़ पर आ चुकी है !! क्योंकि तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान TTP के 1500 के करीब लड़ाके बलूचिस्तान की और कूच कर चुके हैं BLA को सपोर्ट करने के लिए. यह खबर भी बड़ी दिलचस्प है कि BLA के पास आधुनिक से आधुनिक हथियार मौजूद है !! यहां तक की Anti Aircraft मिसाइल भी उनके पास मौजूद हैं. इसलिए पाकिस्तानी वायुसेना उनपर हवाई हमला करने से पहले, हर पहलू को जांच रही है. आप लोगों को याद होगा कि पिछले साल भी BLA ने इसी जाफर एक्सप्रेस पर आत्मघाती हमला करके करीब 55-60 पाकिस्तानी सैनिकों को मार गिराया था. तब BLA का यह एक Experiment था, ताकि वह आगे जाकर कुछ बड़ा कर सके. आगे आगे जो खबरें मुझे मिलती रहेगी, में आप लोगों को विस्तार पूर्वक पोस्ट के जरिए समझाता रहूंगा...

क्रमशः आगे की खबर के लिए प्रतिक्षा करें.
ये कूछ सवाल हैं जो परेसान करते हैं आज आप भी मंथन करे जय श्री राम
मुझे कुछ प्रश्नों के जवाब चाहिए.....
* **
जब हमारे पास "गीता" थी तो यह 14 देशो से चोरी करके यह बोझिल सविंधान क्यों बनाया गया?
जब हमारे पास "हिंदी ,संस्कृत" जैसी पवित्र और समृद्ध
भाषा थी तो यह अंग्रेजी भाषा क्यों थोपी गई?
जब हमारे पास "गुरुकुल प्रणाली" थी तो यह कॉन्वेंट के नाम पर मुझे क्यो लुटा गया?
जब हमारे पास पूर्वजो की देन यह ''भगवा''था तो क्यों तिरंगा थमाया गया?
जब हमारे इतिहास में "स्वामी विवेकानंद" जैसे महान विचारशील व्यक्ति थे तो क्यों "मोहनदास" को महात्माँ बनाया गया?
जब हमारे पास भगत सिंह और उधम सिंह का परिवार था, लौहपुरुष पटेल और श्यामा प्रसाद मुखर्जी जैसे महान देशभक्त थे तो क्यों ''नेहरु' को सत्ता दी गई ?
आजादी में जिन शूरवीरो ने अपनी कुर्बानी दी उन्हें छोड़कर हमे स्कूलों में केवल नेहरु और गाँधी परिवार के बारे में क्यों पढाया जाता है!
*भक्त प्रह्लाद जी को भगवान पर दृढ़ विश्वास कैसे हुआ ?*

* प्रह्लाद महाराज जब बालक थे।उन्होंने एक कुम्हारी को देखा कि वह एक आंवे(बर्तन पकाने के लिए) को आग लगाकर उसकी परिक्रमा करके प्रार्थना कर रही थी । प्रह्लाद जी ने पूछा कि ये क्या करती हो ? तो वह बोली कि महाराज *एक हांडी में बिल्ली ने बच्चे दे रखे थे* ,कच्ची मिट्टी ठंडी होती है तो बिल्ली ने उसमें बच्चे दे दिए ।मुझे याद नहीं रहा और अब आंवे को आग लगा दी आग से बच्चे मर जाएंगे। *इस वास्ते भगवान से प्रार्थना कर रही हूं कि महाराज उनको बचाओ।* तो प्रह्लाद जी को बड़ा आश्चर्य हुआ कि भगवान आग से बचा देंगे ? उसने बोला कि हां बचा देंगे । प्रह्लाद जी ने कहा जब यह आंवा खोलो तो मेरे को बुला लेना, मैं देखूंगा । उसने कहा ठीक है ।जब आग ठंडी हो गई तो *ऑवा खोला तो* *उसमें पांच बर्तन कच्चे रह गए* । एक वह हांडी जिसमें बच्चे थे और चार पास के। वह पांच पके ही नहीं ,कच्चे रह गए। बिल्ली के बच्चे खेल रहे थे बड़े - बड़े हो गए ।तब *प्रह्लाद जी के जंच कि भगवान हैं । जँच गई तो जँच ही गई। बात बैठ गई एकदम कि भगवान हैं और रक्षा करते हैं* ।अब कितना ही पिताजी कहे, कुछ भी कहे ,कितने त्रास दिए। *सुना है कि 52 त्रास दिए*। ऊपर से गिराया, समुद्र में डुबाया, आग में बिठाया , सांप छोड़ दिया ,हाथी छोड़ दिए, तरह-तरह के तकलीफ दी। कोई कुछ नहीं कर सका।
* *भीतर में* *यह बात बैठी हुई थी कि भगवान रक्षा करते हैं ! अब कौन मार सकता है!*
*जानकी नाथ सहाय करे तो* , *कौन बिगाड़ करे नर तेरो ।*

*यह जो आस्तिक भाव है यह मनुष्य का कल्याण करता है। *जितना भाव जँचा हुआ है,उतना उनको लाभ होता है।*
नारायण !नारायण !नारायण !नारायण!
होलिका दहन पर विशेष उपाय: अपने मूलांक के अनुसार करें ये उपाय, रुके हुए कार्य पूरे करें और पाएं धन, सुख, समृद्धि और सफलता
होलिका दहन बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। यह शुभ अवसर नकारात्मकता को दूर कर जीवन में नई ऊर्जा, सुख और समृद्धि लाता है। इस होलिका दहन पर अपने मूलांक के अनुसार विशेष उपाय अपनाकर आप अपने जीवन में खुशहाली, सफलता और शांति ला सकते हैं।
अगर आपके जीवन में धन की कमी, रुके हुए कार्य, या सफलता में बाधाएं आ रही हैं, तो होलिका दहन पर ये उपाय आपके भाग्य को बदल सकते हैं!

मूलांक जानने का तरीका:
केवल जन्म तिथि का योग करें (दिन, महीना और वर्ष को नहीं लेना है)।
उदाहरण: यदि आपकी जन्म तिथि 14 है 1 + 4 = 5
इस प्रकार आपका मूलांक 5 होगा।

🪔 आइए जानें अपने मूलांक के अनुसार उपाय:

मूलांक 1 (जिनकी जन्म तिथि 1, 10, 19, 28 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका दहन में लाल कपड़ा और गुड़ अर्पित करें।
• “ॐ सूर्याय नमः” का 108 बार जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• होलिका की राख को तिजोरी में रखें।
• मंगलवार के दिन हनुमान जी को गुड़ और चना अर्पित करें।
• इससे साहस, नेतृत्व और धन वृद्धि होगी।

मूलांक 2 (जिनकी जन्म तिथि 2, 11, 20, 29 हो)
होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में दही और चावल अर्पित करें।
• “ॐ चंद्राय नमः” का 108 बार जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• चांदी का सिक्का जल में प्रवाहित करें।
• सोमवार के दिन शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं।
• इससे मन की शांति और धन वृद्धि होगी।

मूलांक 3 (जिनकी जन्म तिथि 3, 12, 21, 30 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में केसर और चना दाल अर्पित करें।
• “ॐ बृं बृहस्पतये नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
• गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करें।
• इससे धन लाभ और भाग्य वृद्धि होगी।

मूलांक 4 (जिनकी जन्म तिथि 4, 13, 22, 31 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में नारियल और सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
• “ॐ राहवे नमः” का जाप करें।
धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• शनिवार को काले तिल का दान करें।
• सरसों के तेल से हनुमान जी का अभिषेक करें।
• इससे रुके हुए कार्य और वास्तु दोष दूर होंगे।

मूलांक 5 (जिनकी जन्म तिथि 5, 14, 23 हो)
होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में हरा वस्त्र और मूंग अर्पित करें।
• “ॐ बुं बुधाय नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• हरे रंग की वस्तु का दान करें।
• बुधवार को गणेश जी को दूर्वा चढ़ाएं।
• इससे व्यापार और बुद्धि में उन्नति होगी।

मूलांक 6 (जिनकी जन्म तिथि 6, 15, 24 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में सफेद फूल और इत्र अर्पित करें।
• “ॐ शुक्राय नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• शुक्रवार को काली चींटी को आटा डालें।
• चांदी की वस्तु घर में रखें।
• इससे धन की वृद्धि और वैवाहिक सुख मिलेगा।

मूलांक 7 (जिनकी जन्म तिथि 7, 16, 25 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में काले तिल और कपूर अर्पित करें।
• “ॐ केतवे नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• शनिवार को सरसों के तेल का दीपक जलाएं।
• किसी गरीब को भोजन कराएं।
• इससे भाग्य वृद्धि होगी।

मूलांक 8 (जिनकी जन्म तिथि 8, 17, 26 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में सरसों का तेल और काला वस्त्र अर्पित करें।
• “ॐ शं शनैश्चराय नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• शनिवार को लोहे की वस्तु का दान करें।
• शनि मंदिर में तेल का दीपक जलाएं।
• इससे धन लाभ और रुके हुए कार्य पूरे होंगे।

0 मूलांक 9 (जिनकी जन्म तिथि 9, 18, 27 हो)

होलिका दहन पर उपाय:
• होलिका में लाल चंदन और मसूर की दाल अर्पित करें।
• “ॐ अं अंगारकाय नमः” का जाप करें।

धन और कार्य सिद्धि के लिए:
• मंगलवार को हनुमान जी को गुड़ और चना चढ़ाएं।
• लाल रंग की वस्तु का दान करें।
• इससे साहस, धन प्राप्ति और सफलता मिलेगी
होलिका दहन के बाद उसकी राख को घर के मुख्य द्वार पर छिड़कें।
होलिका दहन के बाद हनुमान जी की आरती जरूर करें।
पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ उपाय करें।