मित्रों.. चलिए थोड़ा भारत में रह रहे अवैध रोहिंग्या एवं बांगलादेशी घुसपैठियों की बात कर लेते हैं.
मित्रों.. पिछले दो दिनों से भाजपा एवं NDA शासित राज्यों में, हजारों की संख्या में अवैध बांगलादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों को दबोचा गया है !! यह काम पूरे देश में युद्धक स्तर पर चल रहा है. यहां तक की पश्चिम बंगाल से कई घुसपैठियों को दबोचा गया है !! लेकिन झारखंड से एसी कोई खबर नहीं मिल रही है, जहां पे पश्चिम बंगाल के बाद ज्यादा घुसपैठिए रह रहे हैं, और पिछले दो महिनों में #हजारों की संख्या में इन अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट भी किया जा चुका है. अब तो हर रोज़ डिपोर्ट किए जा रहे हैं...
मित्रों.. पिछले दो दिनों से भाजपा एवं NDA शासित राज्यों में, हजारों की संख्या में अवैध बांगलादेशी एवं रोहिंग्या घुसपैठियों को दबोचा गया है !! यह काम पूरे देश में युद्धक स्तर पर चल रहा है. यहां तक की पश्चिम बंगाल से कई घुसपैठियों को दबोचा गया है !! लेकिन झारखंड से एसी कोई खबर नहीं मिल रही है, जहां पे पश्चिम बंगाल के बाद ज्यादा घुसपैठिए रह रहे हैं, और पिछले दो महिनों में #हजारों की संख्या में इन अवैध घुसपैठियों को डिपोर्ट भी किया जा चुका है. अब तो हर रोज़ डिपोर्ट किए जा रहे हैं...
कुछ लोगों ने महाकुंभ में गंदगी और गंदगी देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में सड़क जाम और लाशें देखीं।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में आध्यात्मिकता और दिव्यता देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में अपने माता-पिता और अपने सपनों को पूरा होते देखा।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने किसी के जूस, रोटी या चाय में थूका नहीं।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने नारे लगाकर किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने सड़कों, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर प्रार्थना नहीं की, जिससे दूसरों को असुविधा हुई।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि दलितों, ब्राह्मणों, जाटों या अग्रवालों के लिए अलग से कोई घाट नहीं था। सभी हिंदू एक साथ स्नान करते थे। हर हिंदू के साथ एक जैसा व्यवहार किया गया, बिना किसी जाति भेद के।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी भूखा या भटका नहीं।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि करोड़ों हिंदुओं के आने के बावजूद, अज़ान या सामूहिक प्रार्थना के दौरान दूसरे धर्मों के धार्मिक ढांचों पर पत्थरबाजी नहीं की गई।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी व्यक्ति ने किसी विदेशी का धर्म परिवर्तन करने या किसी की ज़मीन पर दावा करने की कोशिश नहीं की।
हर किसी को यह देखना चाहिए !!
कुछ लोगों ने महाकुंभ में सड़क जाम और लाशें देखीं।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में आध्यात्मिकता और दिव्यता देखी।
कुछ लोगों ने महाकुंभ में अपने माता-पिता और अपने सपनों को पूरा होते देखा।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने किसी के जूस, रोटी या चाय में थूका नहीं।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने नारे लगाकर किसी अन्य धर्म के अस्तित्व को चुनौती नहीं दी।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि 43.57 करोड़ में से एक भी हिंदू ने सड़कों, ट्रेनों या रेलवे स्टेशनों पर प्रार्थना नहीं की, जिससे दूसरों को असुविधा हुई।
लेकिन किसी ने यह नहीं देखा कि दलितों, ब्राह्मणों, जाटों या अग्रवालों के लिए अलग से कोई घाट नहीं था। सभी हिंदू एक साथ स्नान करते थे। हर हिंदू के साथ एक जैसा व्यवहार किया गया, बिना किसी जाति भेद के।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी भूखा या भटका नहीं।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि करोड़ों हिंदुओं के आने के बावजूद, अज़ान या सामूहिक प्रार्थना के दौरान दूसरे धर्मों के धार्मिक ढांचों पर पत्थरबाजी नहीं की गई।
लेकिन किसी ने नहीं देखा कि 43.57 करोड़ हिंदुओं में से जो यहां आए, उनमें से एक भी व्यक्ति ने किसी विदेशी का धर्म परिवर्तन करने या किसी की ज़मीन पर दावा करने की कोशिश नहीं की।
हर किसी को यह देखना चाहिए !!
राम नाम
शिवजी ने क्यो कण्ठ में रखा ?
राम
ये दो अक्षर "रा" और "म"
अर्थात् "राम-नाम" हैं।
यह "राम-नाम" रूपी अमर-मन्त्र शिवजी के कण्ठ और जिह्वा के अग्रभाग में विराजमान है।
भगवान शिव को
"र" और "म" अक्षर क्यों प्रिय ?
ऐसा माना जाता है कि
सती के नाम में "र"कार अथवा "म"कार नहीं है।
इसलिए भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया।
जब सती ने पर्वतराज हिमाचल के यहां जन्म लिया तब उनका नाम "गिरिजा" हो गया।
इतने पर भी
"शिवजी मुझे स्वीकार करेंगे या नहीं"
ऐसा सोचकर
पार्वतीजी तपस्या करने लगीं।
जब उन्होंने सूखे पत्ते भी खाने छोड़ दिए।
तब उनका नाम "अपर्णा" हो गया।
"गिरिजा" और "अपर्णा"
दोनों नामों में "र"कार आ गया
तो भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने पार्वतीजी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया।
इसीतरह शिवजी ने गंगा को स्वीकार नहीं किया।
परन्तु जब गंगा का नाम "भागीरथी" पड़ गया
तो इसमें भी "र"कार आ गया।
तब शिवजी ने उनको अपनी जटा में धारण कर लिया।
इस प्रकार "राम-नाम" में विशेष प्रेम के कारण भगवान शिव दिन-रात "राम-नाम" का जप करते रहते हैं।
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती |
सादर जपहु अनंग आराती ||
ऊँ नमः शिवाय
जय जय श्रीसीताराम🙏🙏🌹🌹
शिवजी ने क्यो कण्ठ में रखा ?
राम
ये दो अक्षर "रा" और "म"
अर्थात् "राम-नाम" हैं।
यह "राम-नाम" रूपी अमर-मन्त्र शिवजी के कण्ठ और जिह्वा के अग्रभाग में विराजमान है।
भगवान शिव को
"र" और "म" अक्षर क्यों प्रिय ?
ऐसा माना जाता है कि
सती के नाम में "र"कार अथवा "म"कार नहीं है।
इसलिए भगवान शिव ने सती का त्याग कर दिया।
जब सती ने पर्वतराज हिमाचल के यहां जन्म लिया तब उनका नाम "गिरिजा" हो गया।
इतने पर भी
"शिवजी मुझे स्वीकार करेंगे या नहीं"
ऐसा सोचकर
पार्वतीजी तपस्या करने लगीं।
जब उन्होंने सूखे पत्ते भी खाने छोड़ दिए।
तब उनका नाम "अपर्णा" हो गया।
"गिरिजा" और "अपर्णा"
दोनों नामों में "र"कार आ गया
तो भगवान शिव इतने प्रसन्न हुए कि उन्होंने पार्वतीजी को अपनी अर्धांगिनी बना लिया।
इसीतरह शिवजी ने गंगा को स्वीकार नहीं किया।
परन्तु जब गंगा का नाम "भागीरथी" पड़ गया
तो इसमें भी "र"कार आ गया।
तब शिवजी ने उनको अपनी जटा में धारण कर लिया।
इस प्रकार "राम-नाम" में विशेष प्रेम के कारण भगवान शिव दिन-रात "राम-नाम" का जप करते रहते हैं।
तुम्ह पुनि राम राम दिन राती |
सादर जपहु अनंग आराती ||
ऊँ नमः शिवाय
जय जय श्रीसीताराम🙏🙏🌹🌹
साभार...
#कालाबच्चा सोनकर एक ऐसे दलित #रामभक्त,जो कि हिन्दुओं के दूत थे, उत्तर प्रदेश में '#रामकाज' के लिये जिनपर एक ही दिन में 76 मुकदमें ठोंक दिये गये थे,जिनके पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी #ISI ने बम मारकर परखच्चे उड़वा दिये थे।
जिनकी चिता की राख से बम की करीब 40 कीलें मिली थीं। जिनका होना #कानपुर में हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी थी।जिन्हें 'हिन्दुओं का भौकाल' कहा जाता था।
कौन थे काला बच्चा सोनकर?'खटिक' समाज से आने वाले मुन्ना सोनकर उर्फ़ 'काला बच्चा' सोनकर कानपुर के बिल्हौर के रहने वाले थे।खटिक समाज दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। काला बच्चा सोनकर कानपुर में इसी का नेतृत्व करते थे।वह खटिकों के साथ ही पूरे हिन्दू समाज में काफी पॉपुलर थे। वह भाजपा से जुड़े हुए थे।इस्लामी कट्टरपंथियों के आतंक से हिन्दुओं को बचाने वाले काला बच्चा पहले सूअर पालने का काम करते थे।इसी के साथ ही वह स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थे।
हिन्दुओं पर पकड़ और दलितों में बड़ा नाम मुन्ना सोनकर को भाजपा ने 1993 में बिल्हौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बनाया था।हालाँकि,वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गये थे।लेकिन वह हार के बाद भी कानपुर क्षेत्र में भाजपा के पोस्टर बॉय थे।काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर वर्तमान में इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।वह लगातार अपने पिता के बलिदान और हिन्दुओं के लिए किये गए कामों को याद दिलाते हैं।
राम मंदिर आंदोलन और काला बच्चा
काला बच्चा का नाम पहले से प्रसिद्ध तो था ही,वह हीरो बन कर तब उभरे जब उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद कानपुर के भीतर हिन्दुओं को बचाया था। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद देश के बाकी हिस्सों के साथ कानपुर में भी दंगे भड़के थे।बाबूपुरवा,जूही समेत मुस्लिम बहुल इलाकों के अलावा कई जगह हिंसा हुई थी।6 दिसम्बर के बाद मुस्लिमों ने एक मार्च निकाला था जिसके चलते खून खराबा हुआ।इस दंगे के दौरान आतातायी मुस्लिम भीड़ से काला बच्चा सोनकर ने हिन्दुओं को बचाया और मुस्लिमों का प्रतिरोध किया।
1994 में हो गई हत्या
1992 में उनके ऊपर मुकदमे लगे लेकिन लोकप्रियता बढ़ती गई।काला बच्चा सोनकर को 1993 चुनाव में भाजपा ने बिल्हौर से टिकट दिया लेकिन वह हार गए।इस चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद 9 फरवरी,1994 को उनकी हत्या हो गई।हत्या के दिन काला बच्चा सोनकर स्कूटर पर जा रहे थे।उन पर कानपुर में बम चलाया गया था,इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार,इस बम धमाके में उनके शरीर का एक ही हिस्सा बचा था। उन पर इतने शक्तिशाली बम मारे गए थे कि बाद में अस्थियों तक से 40 लोहे के टुकड़े निकले थे।
ISI का हाथ सामने आया,मुंबई से हुई थी फंडिंग
काला बच्चा की हत्या मामले में कुछ मुस्लिम आरोपित बनाए गए थे।इनमें से कुछ की बाद में हत्या भी हो गई।इस मामले में जाँच में सामने आया था कि काला बच्चा को निशाने पर लेने वाले ISI से जुड़े हुए लोग थे।सोनकर को मारने के लिए मुंबई से पैसा भेजे जाने की बात भी सामने आई थी।उनके बेटे राहुल सोनकर बताते हैं कि ₹10 लाख मुंबई से भेजे गए थे,जिनमें से ₹4 लाख का इस्तेमाल इस हत्या में हुआ।
मुलायम सिंह ने नहीं दिया शव,परिवार की पिटाई की
काला बच्चा सोनकर के परिवार पर भी मुलायम सिंह यादव की तब की सरकार ने काफी अत्याचार किए थे।काला बच्चा सोनकर के परिवार को उनका शव ही नहीं दिया गया।उनके शव को पुलिस ने जब्त किए रखा।भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी कानपुर पुलिस से बातचीत करने पहुँचे।पहले पुलिस ने शव लौटाने की हामी भरी और भाजपा नेताओं से तैयारी करने को कहा।लेकिन बाद में मुलायम सरकार ने शव लौटाने से इनकार कर दिया।काला बच्चा को पुलिस ने सुबह 4 बजे चुपके से सिंधियों के शमशान में जला दिया।
इसके बाद जब काला बच्चा के परिवार ने प्रदर्शन किया और मामले में कार्रवाई की माँग की तो उनकी विधवा और बूढ़ी माँ को मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने घेर कर मारा पीटा।प्रदर्शन करने पहुँचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया और उनकी बेरहमी से पिटाई हुई। काला बच्चा के परिवार के सड़क पर निकलने पर तक बैन लगा दिया गया। इस मामले में यह तक आदेश दिया गया कि हत्या का विरोध करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह आगे विरोध करने लायक ना रहें।
अब बेटे राहुल हैं विधायक,याद दिला रहे पिता का बलिदान
काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर को 2022 में भाजपा ने बिल्हौर विधानसभा से टिकट दिया था।उन्होंने अपने पिता के काम को आगे बढाते हुए प्रचार किया और 2022 में 1 लाख से अधिक अंतर से चुनाव जीता।
#कालाबच्चा सोनकर एक ऐसे दलित #रामभक्त,जो कि हिन्दुओं के दूत थे, उत्तर प्रदेश में '#रामकाज' के लिये जिनपर एक ही दिन में 76 मुकदमें ठोंक दिये गये थे,जिनके पाकिस्तान की कुख्यात खूफिया एजेंसी #ISI ने बम मारकर परखच्चे उड़वा दिये थे।
जिनकी चिता की राख से बम की करीब 40 कीलें मिली थीं। जिनका होना #कानपुर में हिन्दुओं की सुरक्षा की गारंटी थी।जिन्हें 'हिन्दुओं का भौकाल' कहा जाता था।
कौन थे काला बच्चा सोनकर?'खटिक' समाज से आने वाले मुन्ना सोनकर उर्फ़ 'काला बच्चा' सोनकर कानपुर के बिल्हौर के रहने वाले थे।खटिक समाज दलित समुदाय का एक बड़ा हिस्सा है। काला बच्चा सोनकर कानपुर में इसी का नेतृत्व करते थे।वह खटिकों के साथ ही पूरे हिन्दू समाज में काफी पॉपुलर थे। वह भाजपा से जुड़े हुए थे।इस्लामी कट्टरपंथियों के आतंक से हिन्दुओं को बचाने वाले काला बच्चा पहले सूअर पालने का काम करते थे।इसी के साथ ही वह स्थानीय राजनीति में भी सक्रिय थे।
हिन्दुओं पर पकड़ और दलितों में बड़ा नाम मुन्ना सोनकर को भाजपा ने 1993 में बिल्हौर विधानसभा सीट से प्रत्याशी भी बनाया था।हालाँकि,वह समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी से हार गये थे।लेकिन वह हार के बाद भी कानपुर क्षेत्र में भाजपा के पोस्टर बॉय थे।काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर वर्तमान में इसी सीट से भाजपा के विधायक हैं।वह लगातार अपने पिता के बलिदान और हिन्दुओं के लिए किये गए कामों को याद दिलाते हैं।
राम मंदिर आंदोलन और काला बच्चा
काला बच्चा का नाम पहले से प्रसिद्ध तो था ही,वह हीरो बन कर तब उभरे जब उन्होंने बाबरी विध्वंस के बाद कानपुर के भीतर हिन्दुओं को बचाया था। 6 दिसम्बर, 1992 को अयोध्या में बाबरी ढाँचे के विध्वंस के बाद देश के बाकी हिस्सों के साथ कानपुर में भी दंगे भड़के थे।बाबूपुरवा,जूही समेत मुस्लिम बहुल इलाकों के अलावा कई जगह हिंसा हुई थी।6 दिसम्बर के बाद मुस्लिमों ने एक मार्च निकाला था जिसके चलते खून खराबा हुआ।इस दंगे के दौरान आतातायी मुस्लिम भीड़ से काला बच्चा सोनकर ने हिन्दुओं को बचाया और मुस्लिमों का प्रतिरोध किया।
1994 में हो गई हत्या
1992 में उनके ऊपर मुकदमे लगे लेकिन लोकप्रियता बढ़ती गई।काला बच्चा सोनकर को 1993 चुनाव में भाजपा ने बिल्हौर से टिकट दिया लेकिन वह हार गए।इस चुनाव के कुछ ही दिनों के बाद 9 फरवरी,1994 को उनकी हत्या हो गई।हत्या के दिन काला बच्चा सोनकर स्कूटर पर जा रहे थे।उन पर कानपुर में बम चलाया गया था,इससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। पुरानी रिपोर्ट्स के अनुसार,इस बम धमाके में उनके शरीर का एक ही हिस्सा बचा था। उन पर इतने शक्तिशाली बम मारे गए थे कि बाद में अस्थियों तक से 40 लोहे के टुकड़े निकले थे।
ISI का हाथ सामने आया,मुंबई से हुई थी फंडिंग
काला बच्चा की हत्या मामले में कुछ मुस्लिम आरोपित बनाए गए थे।इनमें से कुछ की बाद में हत्या भी हो गई।इस मामले में जाँच में सामने आया था कि काला बच्चा को निशाने पर लेने वाले ISI से जुड़े हुए लोग थे।सोनकर को मारने के लिए मुंबई से पैसा भेजे जाने की बात भी सामने आई थी।उनके बेटे राहुल सोनकर बताते हैं कि ₹10 लाख मुंबई से भेजे गए थे,जिनमें से ₹4 लाख का इस्तेमाल इस हत्या में हुआ।
मुलायम सिंह ने नहीं दिया शव,परिवार की पिटाई की
काला बच्चा सोनकर के परिवार पर भी मुलायम सिंह यादव की तब की सरकार ने काफी अत्याचार किए थे।काला बच्चा सोनकर के परिवार को उनका शव ही नहीं दिया गया।उनके शव को पुलिस ने जब्त किए रखा।भाजपा नेता ब्रह्मदत्त द्विवेदी भी कानपुर पुलिस से बातचीत करने पहुँचे।पहले पुलिस ने शव लौटाने की हामी भरी और भाजपा नेताओं से तैयारी करने को कहा।लेकिन बाद में मुलायम सरकार ने शव लौटाने से इनकार कर दिया।काला बच्चा को पुलिस ने सुबह 4 बजे चुपके से सिंधियों के शमशान में जला दिया।
इसके बाद जब काला बच्चा के परिवार ने प्रदर्शन किया और मामले में कार्रवाई की माँग की तो उनकी विधवा और बूढ़ी माँ को मुलायम सिंह यादव की पुलिस ने घेर कर मारा पीटा।प्रदर्शन करने पहुँचे भाजपा कार्यकर्ताओं को पकड़ लिया गया और उनकी बेरहमी से पिटाई हुई। काला बच्चा के परिवार के सड़क पर निकलने पर तक बैन लगा दिया गया। इस मामले में यह तक आदेश दिया गया कि हत्या का विरोध करने वालों को ऐसा सबक सिखाया जाए कि वह आगे विरोध करने लायक ना रहें।
अब बेटे राहुल हैं विधायक,याद दिला रहे पिता का बलिदान
काला बच्चा सोनकर के बेटे राहुल बच्चा सोनकर को 2022 में भाजपा ने बिल्हौर विधानसभा से टिकट दिया था।उन्होंने अपने पिता के काम को आगे बढाते हुए प्रचार किया और 2022 में 1 लाख से अधिक अंतर से चुनाव जीता।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : बुधवार
दिनांक: 12 फरवरी 2025
सूर्योदय : 7:01 प्रात:
सूर्यास्त : 6:02 सांय
विक्रम संवत : 2081
मास : माघ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : पूर्णिमा 7:27 सांय तक फिर प्रतिपदा
नक्षत्र : अश्लेषा 7:35 सांय तक फिर मघा
योग : सौभाग्य 8:05 प्रातः तक फिर शोभन
राहुकाल : 12:32 - 1:54 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : बुधवार
दिनांक: 12 फरवरी 2025
सूर्योदय : 7:01 प्रात:
सूर्यास्त : 6:02 सांय
विक्रम संवत : 2081
मास : माघ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : पूर्णिमा 7:27 सांय तक फिर प्रतिपदा
नक्षत्र : अश्लेषा 7:35 सांय तक फिर मघा
योग : सौभाग्य 8:05 प्रातः तक फिर शोभन
राहुकाल : 12:32 - 1:54 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
फरवरी 12, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम् |
वेने सिंहो यदोन्मत्त: मशाकेन निपतित: ||
जिस मनुष्य के पास विद्या (बुद्धि) है, वह शक्तिशाली है। जिस पुरुष के पास ज्ञान ना हो, उसकी शक्ति कहाँ? जैसे एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
बुद्धिर्यस्य बलं तस्य निर्बुद्धेश्च कुतो बलम् |
वेने सिंहो यदोन्मत्त: मशाकेन निपतित: ||
जिस मनुष्य के पास विद्या (बुद्धि) है, वह शक्तिशाली है। जिस पुरुष के पास ज्ञान ना हो, उसकी शक्ति कहाँ? जैसे एक छोटा खरगोश भी चतुराई से मदमस्त हाथी को तालाब में गिरा देता है।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
फरवरी 12, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
धनानि जीवितञ्चैव परार्थे प्राज्ञ उत्सृजेत ।
सन्निमित्ते वरं त्यागो विनाशे नियते सति ।।
विद्वान को चाहिए कि परोपकार के लिए ही अपने धन और प्राणोंश का त्याग करे, धन और जीवन का विनाश जब निश्चित है तब परोपकार आदि अच्छे काम में ही उनका त्याग करना श्रेयस्कार हे।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
धनानि जीवितञ्चैव परार्थे प्राज्ञ उत्सृजेत ।
सन्निमित्ते वरं त्यागो विनाशे नियते सति ।।
विद्वान को चाहिए कि परोपकार के लिए ही अपने धन और प्राणोंश का त्याग करे, धन और जीवन का विनाश जब निश्चित है तब परोपकार आदि अच्छे काम में ही उनका त्याग करना श्रेयस्कार हे।
जय श्री गणेश
जय श्री राम
फरवरी 12, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अतिरोषणश्चक्षुष्मानन्ध एव जनः।
अत्यन्त क्रोधी व्यक्ति आँखें रखते हुए भी अन्धा होता है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
अतिरोषणश्चक्षुष्मानन्ध एव जनः।
अत्यन्त क्रोधी व्यक्ति आँखें रखते हुए भी अन्धा होता है।
जय श्री हनुमान
जय श्री राम
. माघ पूर्णिमा
मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के तीन दिन पहले से पवित्र तीर्थ नदियों में स्नान करने से पूरे माघ माह स्नान करने का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में वैसे तो सभी पूर्णिमाओं का विशेष महत्व है, लेकिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा विशेष फलदायी माना गया है।
माघ मास में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं। इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा श्रवण करने की परंपरा है। शास्त्रों में माघ की पूर्णिमा को भाग्यशाली तिथि बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में घर की साफ सफाई करके पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करना फलदायी होता है। घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं और फिर घर की दहलीज पर हल्दी व कुमकुम लगाएं। इसके बाद मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिह्न बना कर रोली अक्षत लगाएं। दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर प्रणाम करें। इसके बाद तुलसी की पूजा करनी चाहिए। उनको जल, दीपक और भोग अर्पित करें ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
माघी पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को तिल, घी, कंबल, फल आदि वस्तुओं का दान करें। इसके साथ ही पूजा घर में घी का दीपक जलाएं और उसमें चार लौंग रख दें। ऐसा करने से धनधान्य की कभी कमी नहीं रहती। माघ की पूर्णिमा के दिन भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम या फिर गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें। पुराणों में पूर्णिमा के दिन इन तीनों का पाठ करना बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैं और आपस में सकारात्मक भाव उत्पन्न होता है। भगवान कृष्ण के प्रिय तिथि माघी पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को और चंद्रमा को सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ ही सफेद मोती, सफेद वस्त्र, सफेद मीठा अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
माघ पूर्णिमा व्रत कथा
कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण रहता था। वो अपना जीवन निर्वाह भिक्षा लेकर करता था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, लेकिन लोगों ने उसे बांझ कहकर ताने मारे और भिक्षा देने से इनकार कर दिया। इससे वो बहुत दुखी हुई. तब किसी ने उससे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने को कहा।
ब्राह्मण दंपत्ति ने सभी नियमों का पालन करके मां काली का 16 दिनों तक पूजन किया। 16वें दिन माता काली प्रसन्न हुईं और प्रकट होकर ब्राह्मणी को गर्भवती होने का वरदान दिया। साथ ही कहा कि तुम पूर्णिमा को एक दीपक जलाओ और हर पूर्णिमा पर ये दीपक बढ़ाती जाना। जब तक ये दीपक कम से कम 32 की संख्या में न हो जाएं। साथ ही दोनों पति पत्नी मिलकर पूर्णिमा का व्रत भी रखना।
ब्राह्मण दंपति ने माता के कहे अनुसार पूर्णिमा को दीपक जलाना शुरू कर दिया और दोनों पूर्णिमा का व्रत रखने लगे। इसी बीच ब्राह्मणी गर्भवती भी हो गई और कुछ समय बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम देवदास रखा। लेकिन देवदास अल्पायु था। देवदास जब बड़ा हुआ तो उसे अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी भेजा गया।
काशी में उन दोनों के साथ एक दुर्घटना घटी जिसके कारण धोखे से देवदास का विवाह हो गया। कुछ समय बाद काल उसके प्राण लेने आया, लेकिन ब्राह्मण दंपति ने उस दिन अपने पुत्र के लिए पूर्णिमा का व्रत रखा था, इस कारण काल चाहकर भी उसका कुछ बिगाड़ न सका और उसे जीवनदान मिल गया। इस तरह पूर्णिमा के दिन व्रत करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
मान्यता है कि माघी पूर्णिमा के तीन दिन पहले से पवित्र तीर्थ नदियों में स्नान करने से पूरे माघ माह स्नान करने का फल प्राप्त होता है। शास्त्रों में वैसे तो सभी पूर्णिमाओं का विशेष महत्व है, लेकिन माघ मास की शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा विशेष फलदायी माना गया है।
माघ मास में भगवान विष्णु जल में निवास करते हैं। इसलिए माघी पूर्णिमा के दिन नदियों में स्नान करने का विशेष महत्व है। इस दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा व कथा श्रवण करने की परंपरा है। शास्त्रों में माघ की पूर्णिमा को भाग्यशाली तिथि बताया गया है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में घर की साफ सफाई करके पूरे घर में गंगाजल से छिड़काव करना फलदायी होता है। घर के मुख्य द्वार पर आम के पत्तों का तोरण लगाएं और फिर घर की दहलीज पर हल्दी व कुमकुम लगाएं। इसके बाद मुख्य द्वार के दोनों ओर स्वास्तिक का चिह्न बना कर रोली अक्षत लगाएं। दरवाजे पर घी का दीपक जलाकर प्रणाम करें। इसके बाद तुलसी की पूजा करनी चाहिए। उनको जल, दीपक और भोग अर्पित करें ऐसा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है।
माघी पूर्णिमा के दिन दान का विशेष महत्व बताया गया है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इस दिन गरीब व जरूरतमंद व्यक्ति को तिल, घी, कंबल, फल आदि वस्तुओं का दान करें। इसके साथ ही पूजा घर में घी का दीपक जलाएं और उसमें चार लौंग रख दें। ऐसा करने से धनधान्य की कभी कमी नहीं रहती। माघ की पूर्णिमा के दिन भगवद्गीता, विष्णु सहस्त्रनाम या फिर गजेंद्र मोक्ष का पाठ करें। पुराणों में पूर्णिमा के दिन इन तीनों का पाठ करना बहुत ही महत्वपूर्ण बताया गया है। ऐसा करने से सभी संकट दूर होते हैं और आपस में सकारात्मक भाव उत्पन्न होता है। भगवान कृष्ण के प्रिय तिथि माघी पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीकृष्ण को और चंद्रमा को सफेद फूल अर्पित करें। इसके साथ ही सफेद मोती, सफेद वस्त्र, सफेद मीठा अर्पित करें। ऐसा करने से भगवान श्रीकृष्ण की कृपा प्राप्त होती है।
माघ पूर्णिमा व्रत कथा
कांतिका नगर में धनेश्वर नाम का ब्राह्मण रहता था। वो अपना जीवन निर्वाह भिक्षा लेकर करता था। ब्राह्मण और उसकी पत्नी के कोई संतान नहीं थी। एक दिन ब्राह्मण की पत्नी नगर में भिक्षा मांगने गई, लेकिन लोगों ने उसे बांझ कहकर ताने मारे और भिक्षा देने से इनकार कर दिया। इससे वो बहुत दुखी हुई. तब किसी ने उससे 16 दिन तक मां काली की पूजा करने को कहा।
ब्राह्मण दंपत्ति ने सभी नियमों का पालन करके मां काली का 16 दिनों तक पूजन किया। 16वें दिन माता काली प्रसन्न हुईं और प्रकट होकर ब्राह्मणी को गर्भवती होने का वरदान दिया। साथ ही कहा कि तुम पूर्णिमा को एक दीपक जलाओ और हर पूर्णिमा पर ये दीपक बढ़ाती जाना। जब तक ये दीपक कम से कम 32 की संख्या में न हो जाएं। साथ ही दोनों पति पत्नी मिलकर पूर्णिमा का व्रत भी रखना।
ब्राह्मण दंपति ने माता के कहे अनुसार पूर्णिमा को दीपक जलाना शुरू कर दिया और दोनों पूर्णिमा का व्रत रखने लगे। इसी बीच ब्राह्मणी गर्भवती भी हो गई और कुछ समय बाद उसने एक पुत्र को जन्म दिया, जिसका नाम देवदास रखा। लेकिन देवदास अल्पायु था। देवदास जब बड़ा हुआ तो उसे अपने मामा के साथ पढ़ने के लिए काशी भेजा गया।
काशी में उन दोनों के साथ एक दुर्घटना घटी जिसके कारण धोखे से देवदास का विवाह हो गया। कुछ समय बाद काल उसके प्राण लेने आया, लेकिन ब्राह्मण दंपति ने उस दिन अपने पुत्र के लिए पूर्णिमा का व्रत रखा था, इस कारण काल चाहकर भी उसका कुछ बिगाड़ न सका और उसे जीवनदान मिल गया। इस तरह पूर्णिमा के दिन व्रत करने से सभी संकटों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
*संत शिरोमणि गुरु रविदास जी // जयंती *
संत गुरु रविदास जी हिन्दू समाज के महान् स्तम्भ थे. वह एक संत ही नहीं अपितु महाज्ञानी और योगी भी थे. उनका जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वाराणसी जिले में हुआ था. चँवर पुराण के अनुसार चँवर वंश, सूर्यवंशी क्षत्रिय राजवंश था जिसकी स्थापना महाराज चँवर सेन ने की थी, जिसमें सूर्य सेन एवं चामुण्डा राय बड़े शक्तिशाली राजा हुए थे.
धर्मान्ध मुस्लिम शासक सिकन्दर शाह लोधी द्वारा उन्हें ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार को चमार बना दिया गया. राज आज्ञा के कारण कोई भी उनको सहायता देने में अक्षम हो गया. यह घटना ऐसी घटी कि संत रविदास जी मुसलमानों को हिन्दू बनाने का काम कर रहे थे.
परम् पूज्य संत रामानंद जी, रविदास जी के गुरु थे. जब संत रविदास जी ने सदना कसाई को हिन्दू समाज में प्रवेश दिलाकर रामदास बनाया तब सिकन्दर शाह लोधी बहुत क्रोधित हुआ और उसने संत रविदास जी को बुलाया और उन्हें मुसलमान बनने को कहा.
रविदास जी ने साफ़ मना कर दिया तो उसने उन्हें पाँच जागीर देने का प्रलोभन दिया. सिकन्दर ने रविदास जी को मुसलमान बनाने के लिए अनेक प्रयास किये. लेकिन वो सफल नहीं हो पाया.
तब सिकन्दर ने रविदास को जेल में डाल दिया. जेल में भगवान श्री कृष्ण ने इन्हें साक्षात दर्शन दिये. दूसरी ओर सिकन्दर बहुत बेचैन था. उसने रविदास जी को जेल से रिहा तो कर दिया लेकिन साथ में यह आज्ञा दी कि उनका पूरा कुनबा और उनकी शिष्य मण्डली वाराणसी के आस-पास मरे हुए पशुओं को उठाओ.
संत रविदास जी एवं उनके शिष्यों ने मरे हुए पशुओं को उठाना स्वीकार किया लेकिन अपना हिन्दू धर्म का त्याग कर के मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया.
इसके पश्चात् ही उन्हें चमार की संज्ञा प्राप्त हुई. इस प्रकार इस पुनीत एवं उच्च कुलीन वंश को चमार बनना पड़ा. अपने प्रारम्भिक जीवन और बाद के जीवन में महान् अन्तर पर स्वयं संत रविदास जी अपने एक भजन में कहते हैं.
जाके कुटुम्ब सब ढोर ढोवत आज बनारसी आसा पासा,
आचार सहित विप्र करहिं दण्डवत तिन, तनै रैदास दासानुदासा
अर्थात् :- जिसके कुटुम्बी आज वाराणसी के आस-पास मरे पशु उठाते हैं ? ये वो लोग हैं जिनके पूर्वजों को ब्राह्मण लोग आदर सहित दण्डवत प्रणाम किया करते थे. उन्हीं महान् लोगों का पुत्र दासों का दास मैं रविदास हूँ.
इन शब्दों में कितनी बेबसी झलकती है. यह तथ्य इतिहास के इस उल्लेख से और सिद्ध हो जाता है कि राजस्थान की रानी गुरु-दीक्षा लेने रविदास जी के आश्रम में गयी. वहां का उच्च कुलीन सौंदर्य और शालीनता पूर्ण व्यवहार देख कर गुरु रविदास जी से दीक्षा लेने को तैयार हो गई.
इस घटना से भी यह तथ्य उजागर होता है कि रविदास जी का वंश और शिष्य परम्परा उच्च कुलीन थी. भारत भ्रमण के समय चितौड़ की रानी मीराबाई ने भी उन्हें अपना गुरु बनाया.
संत रविदास जूते बनाने का काम करते थे. वे जूते बनाते समय इतने मग्न हो जाते थे जैसे स्वयं भगवान के लिए बना रहे हों. वे भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया. इन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी प्रकार से वे भक्ति मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए.
उनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी प्रासंगिक है. 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' उनका यह प्रसंग बहुत लोकप्रिय है. इसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ स्नान नहीं है.
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच.
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच.
इसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं होता बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचा बनाते हैं.
संत रविदास जी कहते हैं कि कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें. एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है लेकिन एक हाथी इतना विशालकाय और शक्तिशाली होने के पश्चात् भी ऐसा नहीं कर सकता.
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस.
कर्म मानुष का धर्म है, संत भाखै रविदास.
अर्थात् :- कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य. इसलिए हमें सदैव कर्म करते रहना चाहिए और कर्म से मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए. वे सभी को एक समान भाव से रहने की शिक्षा देते थे.
संत गुरु रविदास जी हिन्दू समाज के महान् स्तम्भ थे. वह एक संत ही नहीं अपितु महाज्ञानी और योगी भी थे. उनका जन्म माघ मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को वाराणसी जिले में हुआ था. चँवर पुराण के अनुसार चँवर वंश, सूर्यवंशी क्षत्रिय राजवंश था जिसकी स्थापना महाराज चँवर सेन ने की थी, जिसमें सूर्य सेन एवं चामुण्डा राय बड़े शक्तिशाली राजा हुए थे.
धर्मान्ध मुस्लिम शासक सिकन्दर शाह लोधी द्वारा उन्हें ही नहीं बल्कि उनके पूरे परिवार को चमार बना दिया गया. राज आज्ञा के कारण कोई भी उनको सहायता देने में अक्षम हो गया. यह घटना ऐसी घटी कि संत रविदास जी मुसलमानों को हिन्दू बनाने का काम कर रहे थे.
परम् पूज्य संत रामानंद जी, रविदास जी के गुरु थे. जब संत रविदास जी ने सदना कसाई को हिन्दू समाज में प्रवेश दिलाकर रामदास बनाया तब सिकन्दर शाह लोधी बहुत क्रोधित हुआ और उसने संत रविदास जी को बुलाया और उन्हें मुसलमान बनने को कहा.
रविदास जी ने साफ़ मना कर दिया तो उसने उन्हें पाँच जागीर देने का प्रलोभन दिया. सिकन्दर ने रविदास जी को मुसलमान बनाने के लिए अनेक प्रयास किये. लेकिन वो सफल नहीं हो पाया.
तब सिकन्दर ने रविदास को जेल में डाल दिया. जेल में भगवान श्री कृष्ण ने इन्हें साक्षात दर्शन दिये. दूसरी ओर सिकन्दर बहुत बेचैन था. उसने रविदास जी को जेल से रिहा तो कर दिया लेकिन साथ में यह आज्ञा दी कि उनका पूरा कुनबा और उनकी शिष्य मण्डली वाराणसी के आस-पास मरे हुए पशुओं को उठाओ.
संत रविदास जी एवं उनके शिष्यों ने मरे हुए पशुओं को उठाना स्वीकार किया लेकिन अपना हिन्दू धर्म का त्याग कर के मुसलमान बनना स्वीकार नहीं किया.
इसके पश्चात् ही उन्हें चमार की संज्ञा प्राप्त हुई. इस प्रकार इस पुनीत एवं उच्च कुलीन वंश को चमार बनना पड़ा. अपने प्रारम्भिक जीवन और बाद के जीवन में महान् अन्तर पर स्वयं संत रविदास जी अपने एक भजन में कहते हैं.
जाके कुटुम्ब सब ढोर ढोवत आज बनारसी आसा पासा,
आचार सहित विप्र करहिं दण्डवत तिन, तनै रैदास दासानुदासा
अर्थात् :- जिसके कुटुम्बी आज वाराणसी के आस-पास मरे पशु उठाते हैं ? ये वो लोग हैं जिनके पूर्वजों को ब्राह्मण लोग आदर सहित दण्डवत प्रणाम किया करते थे. उन्हीं महान् लोगों का पुत्र दासों का दास मैं रविदास हूँ.
इन शब्दों में कितनी बेबसी झलकती है. यह तथ्य इतिहास के इस उल्लेख से और सिद्ध हो जाता है कि राजस्थान की रानी गुरु-दीक्षा लेने रविदास जी के आश्रम में गयी. वहां का उच्च कुलीन सौंदर्य और शालीनता पूर्ण व्यवहार देख कर गुरु रविदास जी से दीक्षा लेने को तैयार हो गई.
इस घटना से भी यह तथ्य उजागर होता है कि रविदास जी का वंश और शिष्य परम्परा उच्च कुलीन थी. भारत भ्रमण के समय चितौड़ की रानी मीराबाई ने भी उन्हें अपना गुरु बनाया.
संत रविदास जूते बनाने का काम करते थे. वे जूते बनाते समय इतने मग्न हो जाते थे जैसे स्वयं भगवान के लिए बना रहे हों. वे भगवान की भक्ति में समर्पित होने के साथ अपने सामाजिक और पारिवारिक कर्तव्यों का भी बखूबी निर्वहन किया. इन्होंने लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी, और इसी प्रकार से वे भक्ति मार्ग पर चलकर संत रविदास कहलाए.
उनके द्वारा दी गई शिक्षा आज भी प्रासंगिक है. 'मन चंगा तो कठौती में गंगा' उनका यह प्रसंग बहुत लोकप्रिय है. इसका अर्थ है कि यदि मन पवित्र है और जो अपना कार्य करते हुए, ईश्वर की भक्ति में तल्लीन रहते हैं उनके लिए उससे बढ़कर कोई तीर्थ स्नान नहीं है.
रविदास जन्म के कारनै, होत न कोउ नीच.
नकर कूं नीच करि डारी है, ओछे करम की कीच.
इसका अर्थ है कि कोई भी व्यक्ति छोटा या बड़ा अपने जन्म के कारण नहीं होता बल्कि अपने कर्म के कारण होता है. व्यक्ति के कर्म ही उसे ऊँचा या नीचा बनाते हैं.
संत रविदास जी कहते हैं कि कभी भी अपने अंदर अभिमान को जन्म न लेने दें. एक छोटी सी चींटी शक्कर के दानों को उठा सकती है लेकिन एक हाथी इतना विशालकाय और शक्तिशाली होने के पश्चात् भी ऐसा नहीं कर सकता.
करम बंधन में बन्ध रहियो, फल की ना तज्जियो आस.
कर्म मानुष का धर्म है, संत भाखै रविदास.
अर्थात् :- कर्म हमारा धर्म है और फल हमारा सौभाग्य. इसलिए हमें सदैव कर्म करते रहना चाहिए और कर्म से मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए. वे सभी को एक समान भाव से रहने की शिक्षा देते थे.
अकथनीय कष्टों को झेलते हुए भी हिन्दू धर्म की पताका उठाये रखने और सनातन धर्म को हर प्रकार से सशक्त प्रदान करने वाले ऐसे संत शिरोमणि गुरु रविदास जी के श्री-चरणों में हमारा शत्-शत् नमन.
साभार...
अपना दुःख और परेशानियां किसी को बताने से लोगों को पैसे मिलते तो बहुत से लोग करोड़पति हो चुके होते।किसी को आपके दुख सुनने की पड़ी नहीं क्योंकि हर व्यक्ति दुखी ही है किसी न किसी कारण से।कारण कोई भी हो सकता है पर मैंने आज तक कोई ऐसा आदमी नहीं देखा जिसके पास कोई दुःख न हो।
ये दुःख उस आदमी के रूप रंग,कमाई-धमाई,प्यार,व्यापार, किसी भी कारण हो सकता है।पर शायद ही कोई आदमी सर्वथा सुखी हो।कुछ कम दुखी होते हैं,कुछ ज्यादा और कुछ बहुत ज्यादा। कुछ बहुत ज्यादा से भी ज्यादा
लेकिन ऐसा हर आदमी निराशा के भंवर में उतर कर उल्टी सीधी हरकतें नहीं करता।
कोई भी सर्वथा सुखी नहीं है,कोई भी सम्पूर्ण नहीं है और कोई भी सब कुछ नहीं जानता।
राम राम रहेगी
अपना दुःख और परेशानियां किसी को बताने से लोगों को पैसे मिलते तो बहुत से लोग करोड़पति हो चुके होते।किसी को आपके दुख सुनने की पड़ी नहीं क्योंकि हर व्यक्ति दुखी ही है किसी न किसी कारण से।कारण कोई भी हो सकता है पर मैंने आज तक कोई ऐसा आदमी नहीं देखा जिसके पास कोई दुःख न हो।
ये दुःख उस आदमी के रूप रंग,कमाई-धमाई,प्यार,व्यापार, किसी भी कारण हो सकता है।पर शायद ही कोई आदमी सर्वथा सुखी हो।कुछ कम दुखी होते हैं,कुछ ज्यादा और कुछ बहुत ज्यादा। कुछ बहुत ज्यादा से भी ज्यादा
लेकिन ऐसा हर आदमी निराशा के भंवर में उतर कर उल्टी सीधी हरकतें नहीं करता।
कोई भी सर्वथा सुखी नहीं है,कोई भी सम्पूर्ण नहीं है और कोई भी सब कुछ नहीं जानता।
राम राम रहेगी
आलोचना ज़रूरी है!
सही कहा गया है.....निंदक नियरे राखिए...
पर सत्य का दूसरा पक्ष भी है...
महीने भर से हज़ारों यूपी पुलिस वाले महाकुंभ में ड्यूटी पर हैं......घर परिवार से दूर, बिना छुट्टी......वीकली ऑफ के.
दो मिनट के लिए भी ड्यूटी से नहीं हिल सकते. धूल मिट्टी के कारण कई बीमार पड़ चुके हैं. बोलते बोलते कई का गला ख़राब हो चुका है.
बैरिकेडिंग से लेकर संगम तक जो मिलता है, पुलिसवालों को सुना कर चला जाता है…
वे देर रात तक ड्यूटी पर रहते हैं फिर सूर्योदय से पहले जाना पड़ता है. न खाने का ठिकाना और न ही सोने की.
दो अच्छे शब्द तो इन पुलिस कर्मियों के लिए बनता है.... जब भी इन्हें मिलें..... कम से कम इन्हें बुरा ना बोलें.
अभी कम से कम शिवरात्रि तक इन्हें डटे रहना है !!
सही कहा गया है.....निंदक नियरे राखिए...
पर सत्य का दूसरा पक्ष भी है...
महीने भर से हज़ारों यूपी पुलिस वाले महाकुंभ में ड्यूटी पर हैं......घर परिवार से दूर, बिना छुट्टी......वीकली ऑफ के.
दो मिनट के लिए भी ड्यूटी से नहीं हिल सकते. धूल मिट्टी के कारण कई बीमार पड़ चुके हैं. बोलते बोलते कई का गला ख़राब हो चुका है.
बैरिकेडिंग से लेकर संगम तक जो मिलता है, पुलिसवालों को सुना कर चला जाता है…
वे देर रात तक ड्यूटी पर रहते हैं फिर सूर्योदय से पहले जाना पड़ता है. न खाने का ठिकाना और न ही सोने की.
दो अच्छे शब्द तो इन पुलिस कर्मियों के लिए बनता है.... जब भी इन्हें मिलें..... कम से कम इन्हें बुरा ना बोलें.
अभी कम से कम शिवरात्रि तक इन्हें डटे रहना है !!
साभार...
बड़ी चालाकी से एक कथित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद 1 महीने के बाद अगर राहुल गांधी का स्पष्टीकरण नहीं आया तब उन्हें हिंदू धर्म से खारिज करने की बात कर रहा है।
गजब धूर्तता है भाई
राहुल गांधी हिंदू कैसे हो सकता है ?
तब उसे हिंदू धर्म से खारिज करने की बात ही कहां से आती है?
अरे यार खारिज उसे करोगे जो हिंदू हो
और अगर राहुल गांधी ने हिंदू धर्म स्वीकार किया तो कब स्वीकार किया कहां स्वीकार किया किस मंदिर में या किस मठ में स्वीकार किया इसका भी तो खुलासा करो..
और खुद राहुल गांधी 2011 में जब सोमनाथ दर्शन करने गए थे तब सोमनाथ मंदिर में गैर हिंदू को एक रजिस्टर में एंट्री करनी होती है उसे रजिस्टर में अहमद पटेल और राहुल गांधी ने खुद को गैर हिंदू घोषित किया था..
यह रहा आपके सामने उसे मंदिर के रजिस्ट्रर पर राहुल गांधी द्वारा खुद को गैर हिंदू घोषित किए जाने का सुबूत
फिर यह अविमुक्तेश्वरा नंद नौटंकी क्यों कर रहे हैं ?
बड़ी चालाकी से एक कथित शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद 1 महीने के बाद अगर राहुल गांधी का स्पष्टीकरण नहीं आया तब उन्हें हिंदू धर्म से खारिज करने की बात कर रहा है।
गजब धूर्तता है भाई
राहुल गांधी हिंदू कैसे हो सकता है ?
तब उसे हिंदू धर्म से खारिज करने की बात ही कहां से आती है?
अरे यार खारिज उसे करोगे जो हिंदू हो
और अगर राहुल गांधी ने हिंदू धर्म स्वीकार किया तो कब स्वीकार किया कहां स्वीकार किया किस मंदिर में या किस मठ में स्वीकार किया इसका भी तो खुलासा करो..
और खुद राहुल गांधी 2011 में जब सोमनाथ दर्शन करने गए थे तब सोमनाथ मंदिर में गैर हिंदू को एक रजिस्टर में एंट्री करनी होती है उसे रजिस्टर में अहमद पटेल और राहुल गांधी ने खुद को गैर हिंदू घोषित किया था..
यह रहा आपके सामने उसे मंदिर के रजिस्ट्रर पर राहुल गांधी द्वारा खुद को गैर हिंदू घोषित किए जाने का सुबूत
फिर यह अविमुक्तेश्वरा नंद नौटंकी क्यों कर रहे हैं ?
साभार..
सोशल मीडिया ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर चलता है।दो दिन से कुंभ जाने वालों को धर्म से अनभिज्ञ घोषित करने का ट्रेंड चल रहा है।सब बड़े - बड़े एकाउंट्स से कहा जा रहा है कि कुंभ जाने से अकेले कुछ नहीं होना,प्रयगवासी परेशान हैं, बूढ़े और बच्चों को कुंभ न ले जाएँ।धर्म को समझो, किसी के सर पर पानी डाल दो, हो गया कुंभ।मन चंगा कर लो कठौती में त्रिवेणी आ जाएगी। और जाने क्या क्या।लेकिन ऐसों में से कितने हैं, जो ख़ुद कुंभ नहीं नहा आए?कुंभ में भीड़ करोड़ों की होगी,ये तो कुंभ शुरू होने के पहले से पता था,फिर ख़ुद क्यों हो आए?
हम ट्रेंडिंग और क्लिक बेट पर चलने वाले समाज हो गये हैं। एक समाज के तौर पर - हमसे ना होगा।
सोशल मीडिया ट्रेंडिंग टॉपिक्स पर चलता है।दो दिन से कुंभ जाने वालों को धर्म से अनभिज्ञ घोषित करने का ट्रेंड चल रहा है।सब बड़े - बड़े एकाउंट्स से कहा जा रहा है कि कुंभ जाने से अकेले कुछ नहीं होना,प्रयगवासी परेशान हैं, बूढ़े और बच्चों को कुंभ न ले जाएँ।धर्म को समझो, किसी के सर पर पानी डाल दो, हो गया कुंभ।मन चंगा कर लो कठौती में त्रिवेणी आ जाएगी। और जाने क्या क्या।लेकिन ऐसों में से कितने हैं, जो ख़ुद कुंभ नहीं नहा आए?कुंभ में भीड़ करोड़ों की होगी,ये तो कुंभ शुरू होने के पहले से पता था,फिर ख़ुद क्यों हो आए?
हम ट्रेंडिंग और क्लिक बेट पर चलने वाले समाज हो गये हैं। एक समाज के तौर पर - हमसे ना होगा।
आखिर इस चंद्रशेखर रावण को हिंदू धर्म से इतनी समस्या क्यों है ?
इसे योगी जी के भगवा पहनावे से समस्या क्यों हो गई ?
एक सांसद भी तो संवैधानिक पद है इसके बगल की सीट पर बैठने वाला ओवैसी जब इस्लामी वेशभूषा में बैठता है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब प्रधानमंत्री हाउस मुख्यमंत्री के सरकारी निवास में सरकारी खजाने से रोजा इफ्तार पार्टी दी जाती है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब सरकारी पैसे से सरकारी जमीन पर हज हाउस बनते हैं तब इस समस्या क्यों नहीं होती?
जब हज यात्रा के लिए सरकार प्रति व्यक्ति एक लाख रुपये सब्सिडी देती है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब हज यात्रा के लिए एयर इंडिया के सरकारी विमान को लगा दिया जाता है वह भी नॉर्मल भाड़े के साथ तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
चंद्रशेखर रावण ने अध्यक्ष से "अर्जेंट मैटर" पर बोलने के लिए समय मांगा। उन्हें 1 मिनट दिया गया।
अध्यक्ष महोदय को लगा होगा कि कोई बहुत अर्जेंट मैटर होगा
लेकिन इसने कहना शुरू किया – "उत्तर प्रदेश में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है और मुख्यमंत्री योगी भगवा वस्त्र पहनकर धर्म का राजनीतिकरण कर रहे हैं!"
जगदंबिका पाल ने तुरंत टोका और कहा यह राज्य का विषय है फिर भी मैने आपको बोलने का समय दिया।
चंद्रशेखर रावण बोले – "यह सही नहीं है!"
फिर उन्हें जगदंबिका पाल जी ने जबरदस्त धोया।
इसे योगी जी के भगवा पहनावे से समस्या क्यों हो गई ?
एक सांसद भी तो संवैधानिक पद है इसके बगल की सीट पर बैठने वाला ओवैसी जब इस्लामी वेशभूषा में बैठता है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब प्रधानमंत्री हाउस मुख्यमंत्री के सरकारी निवास में सरकारी खजाने से रोजा इफ्तार पार्टी दी जाती है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब सरकारी पैसे से सरकारी जमीन पर हज हाउस बनते हैं तब इस समस्या क्यों नहीं होती?
जब हज यात्रा के लिए सरकार प्रति व्यक्ति एक लाख रुपये सब्सिडी देती है तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
जब हज यात्रा के लिए एयर इंडिया के सरकारी विमान को लगा दिया जाता है वह भी नॉर्मल भाड़े के साथ तब इसे समस्या क्यों नहीं होती ?
चंद्रशेखर रावण ने अध्यक्ष से "अर्जेंट मैटर" पर बोलने के लिए समय मांगा। उन्हें 1 मिनट दिया गया।
अध्यक्ष महोदय को लगा होगा कि कोई बहुत अर्जेंट मैटर होगा
लेकिन इसने कहना शुरू किया – "उत्तर प्रदेश में धर्मनिरपेक्षता खतरे में है और मुख्यमंत्री योगी भगवा वस्त्र पहनकर धर्म का राजनीतिकरण कर रहे हैं!"
जगदंबिका पाल ने तुरंत टोका और कहा यह राज्य का विषय है फिर भी मैने आपको बोलने का समय दिया।
चंद्रशेखर रावण बोले – "यह सही नहीं है!"
फिर उन्हें जगदंबिका पाल जी ने जबरदस्त धोया।