#महान_क्रांतिकारी , स्वतंत्रता सेनानी और हिन्दू संस्कृति के प्रखर समर्थक "#_स्वातंत्र्यवीर_सावरकर" की जयंती पर विशेष...
""""""
जो वर्षों तक लड़े जेल में , उनकी याद करें ।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में , उनकी याद करें ।।
याद करें काला पानी को , अंग्रेजों की मनमानी को ।
कोल्हू में जुट तेल पेरते , सावरकर की बलिदानी को ।।
पूर्व प्रधानमंत्री #अटल_बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियाँ अनन्य देशभक्त , क्रांतिकारी वीर सावरकर के अदम्य साहस और भारतमाता के प्रति सर्वस्व समर्पित कर देने के उनके जज्बे का स्मरण कराती है | वीर सावरकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था , वे क्रांतिकारी होने के साथ - साथ मौलिक चिंतक , समाजसुधारक , इतिहासकार व लेखक भी थे ।
( 28 मई 1883) को जन्म के बाद अपने माता - पिता से शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा पेशवाओं की वीरगाथाएं सुन - सुनकर बड़े हुए | वीर सावरकर के व्यक्तित्व ने भारतीय युवाओं के हृदयँ में क्रांति की ज्वाला जगा दी थी....बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जब स्वराज्य का नाम लेना भी देशद्रोह माना जाता था , पूर्ण स्वतंत्रता की पहली आवाज सावरकर ने ही बुलंद की थी | विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में सावरकर जी ने 1905 में जलाई...अंग्रेजों ने वंदे मातरम् बोलने व लिखने पर प्रतिबन्ध लगा रखा था , ऐसे में भी लन्दन में 1857 की क्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के लिए छापे गए आमंत्रण पत्र पर " वंदे मातरम् " लिखकर उन्होंने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी | बैरिस्टरी उत्रीर्ण करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादार रहने की शपथ लेने से इनकार करने पर उन्हें अपनी बैरिस्टर डिग्री से वंचित रहने का गौरव भी प्राप्त है | सावरकर द्वारा लिखित '1857 का स्वतंत्रता संग्राम ' नामक ओजस्वी पुस्तक विश्व की प्रथम पुस्तक है , जिससे भयभीत अंग्रेज सरकार ने उसके प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था ।
#सावरकर ने ही भारत का पहला राष्ट्रध्वज तैयार कर उसे जर्मनी के स्टुटगार्ड नामक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में मैडम भीखाजी कामा के द्वारा सन 1907 में फहरवाया था इंग्लैंड में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने के लिए पानी के जहाज द्वारा भारत लाया जा रहा था | उस जहाज से गहरे समुद्र में छलांग लगाकर अंग्रेजी सैनिकों को चकमा देने के उनके साहसिक प्रयास ने सारे विश्व में खलबली मचा दी थी | अंग्रेजी सैनिकों की गोलियों की बौछार के बीच में वे तैरते हुए फ़्रांस की भूमि पर पहुँच गए थे | अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने के अपराध में एक ही जन्म में दो - दो आजन्म सश्रम कारावास की सजा पाने वाले सावरकर न केवल पहले अपितु अकेले भारतीय थे | उनकी सारी सम्पतियां अंग्रेजों ने जब्त कर ली थी , उनके परिवार को भीषण कष्टों का सामना करना पड़ा | उनके अन्य दो भाइयों को भी क्रांति में भाग लेने पर अंग्रेजों ने जेल में दाल दिया था।
खतरनाक मुजरिम मानते हुए सावरकर को कालापानी ( सेक्युलर जेल , अंडमान व निकोबार ) भेज दिया गया | जेल में सावरकर को कोल्हू में बैल की तरह जोतकर तेल पिरवाया जाता था | मूँज कुटवाकर जब तक हांथों से खून न टपकने लगे उसकी रस्सी बटवाई जाती थी | उनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी उन दिनों सेक्युलर जेल में ही बंद थे परंतु वर्षों तक दोनों भाइयों को मिलने तक नहीं दिया गया | जेल में अमावनीय अत्याचारों का वर्णन सावरकर जी ने "माझी जन्मठेप" ( मेरा आजीवन कारावास ) नामक पुस्तक में किया है | लेखन सामग्री के आभाव में उन्होंने जेल की कोठरी की दीवारों पर कीलों और काँटों की मदद से ' कमला काव्य ' जैसी उत्कृष्ट कृति की रचना की |
#कालापानी में भीषण शारीरिक और मानसिक यातनाएं सहते हुए भी सावरकर जी ने अपनी प्रबल देशभक्ति की ज्योति को जगाये रखा | यह अत्यंत खेद का विषय है की इतने कष्टों व त्याग के बाद भी सावरकर जी को कांग्रेस द्वारा अनेकों बार उपेक्षित , अपमानित व प्रताड़ित किया गया | यह अदभुत क्रांतिवीर 26 फ़रवरी 1966 को हमेशा - हमेशा के लिए विदा हो गया परंतु उनका चरित्र भारतीय युवाओं को युगों - युगों तक प्रेरित करता रहेगा।
#वन्देमातरम् ।।
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जो वर्षों तक लड़े जेल में , उनकी याद करें ।
जो फाँसी पर चढ़े खेल में , उनकी याद करें ।।
याद करें काला पानी को , अंग्रेजों की मनमानी को ।
कोल्हू में जुट तेल पेरते , सावरकर की बलिदानी को ।।
पूर्व प्रधानमंत्री #अटल_बिहारी बाजपेयी जी की ये पंक्तियाँ अनन्य देशभक्त , क्रांतिकारी वीर सावरकर के अदम्य साहस और भारतमाता के प्रति सर्वस्व समर्पित कर देने के उनके जज्बे का स्मरण कराती है | वीर सावरकर का व्यक्तित्व बहुआयामी था , वे क्रांतिकारी होने के साथ - साथ मौलिक चिंतक , समाजसुधारक , इतिहासकार व लेखक भी थे ।
( 28 मई 1883) को जन्म के बाद अपने माता - पिता से शिवाजी, महाराणा प्रताप तथा पेशवाओं की वीरगाथाएं सुन - सुनकर बड़े हुए | वीर सावरकर के व्यक्तित्व ने भारतीय युवाओं के हृदयँ में क्रांति की ज्वाला जगा दी थी....बीसवीं शताब्दी के प्रारम्भ में जब स्वराज्य का नाम लेना भी देशद्रोह माना जाता था , पूर्ण स्वतंत्रता की पहली आवाज सावरकर ने ही बुलंद की थी | विदेशी वस्त्रों की पहली होली पूना में सावरकर जी ने 1905 में जलाई...अंग्रेजों ने वंदे मातरम् बोलने व लिखने पर प्रतिबन्ध लगा रखा था , ऐसे में भी लन्दन में 1857 की क्रांति के उपलक्ष्य में आयोजित स्वर्ण जयंती कार्यक्रम के लिए छापे गए आमंत्रण पत्र पर " वंदे मातरम् " लिखकर उन्होंने अंग्रेजों को खुली चुनौती दी | बैरिस्टरी उत्रीर्ण करने के बाद ब्रिटिश साम्राज्य के प्रति वफादार रहने की शपथ लेने से इनकार करने पर उन्हें अपनी बैरिस्टर डिग्री से वंचित रहने का गौरव भी प्राप्त है | सावरकर द्वारा लिखित '1857 का स्वतंत्रता संग्राम ' नामक ओजस्वी पुस्तक विश्व की प्रथम पुस्तक है , जिससे भयभीत अंग्रेज सरकार ने उसके प्रकाशन से पहले ही प्रतिबंध लगा दिया था ।
#सावरकर ने ही भारत का पहला राष्ट्रध्वज तैयार कर उसे जर्मनी के स्टुटगार्ड नामक स्थान पर अंतरराष्ट्रीय समाजवादी सम्मेलन में मैडम भीखाजी कामा के द्वारा सन 1907 में फहरवाया था इंग्लैंड में उन्हें गिरफ्तार कर मुकदमा चलाने के लिए पानी के जहाज द्वारा भारत लाया जा रहा था | उस जहाज से गहरे समुद्र में छलांग लगाकर अंग्रेजी सैनिकों को चकमा देने के उनके साहसिक प्रयास ने सारे विश्व में खलबली मचा दी थी | अंग्रेजी सैनिकों की गोलियों की बौछार के बीच में वे तैरते हुए फ़्रांस की भूमि पर पहुँच गए थे | अंग्रेजी सत्ता के विरुद्ध क्रांति का बिगुल बजाने के अपराध में एक ही जन्म में दो - दो आजन्म सश्रम कारावास की सजा पाने वाले सावरकर न केवल पहले अपितु अकेले भारतीय थे | उनकी सारी सम्पतियां अंग्रेजों ने जब्त कर ली थी , उनके परिवार को भीषण कष्टों का सामना करना पड़ा | उनके अन्य दो भाइयों को भी क्रांति में भाग लेने पर अंग्रेजों ने जेल में दाल दिया था।
खतरनाक मुजरिम मानते हुए सावरकर को कालापानी ( सेक्युलर जेल , अंडमान व निकोबार ) भेज दिया गया | जेल में सावरकर को कोल्हू में बैल की तरह जोतकर तेल पिरवाया जाता था | मूँज कुटवाकर जब तक हांथों से खून न टपकने लगे उसकी रस्सी बटवाई जाती थी | उनके बड़े भाई गणेश सावरकर भी उन दिनों सेक्युलर जेल में ही बंद थे परंतु वर्षों तक दोनों भाइयों को मिलने तक नहीं दिया गया | जेल में अमावनीय अत्याचारों का वर्णन सावरकर जी ने "माझी जन्मठेप" ( मेरा आजीवन कारावास ) नामक पुस्तक में किया है | लेखन सामग्री के आभाव में उन्होंने जेल की कोठरी की दीवारों पर कीलों और काँटों की मदद से ' कमला काव्य ' जैसी उत्कृष्ट कृति की रचना की |
#कालापानी में भीषण शारीरिक और मानसिक यातनाएं सहते हुए भी सावरकर जी ने अपनी प्रबल देशभक्ति की ज्योति को जगाये रखा | यह अत्यंत खेद का विषय है की इतने कष्टों व त्याग के बाद भी सावरकर जी को कांग्रेस द्वारा अनेकों बार उपेक्षित , अपमानित व प्रताड़ित किया गया | यह अदभुत क्रांतिवीर 26 फ़रवरी 1966 को हमेशा - हमेशा के लिए विदा हो गया परंतु उनका चरित्र भारतीय युवाओं को युगों - युगों तक प्रेरित करता रहेगा।
#वन्देमातरम् ।।
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : गुरुवार
दिनांक: 29 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : तृतीया 11:18 रात्रि तक फिर चतुर्थी
नक्षत्र : आर्द्रा 10:38 रात्रि तक फिर पुनर्वसु
योग : शूल 3:46 सांय तक फिर गण्ड
राहुकाल : 2:01 - 3:45 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : गुरुवार
दिनांक: 29 मई 2025
सूर्योदय : 5:26 प्रात:
सूर्यास्त : 7:10 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : तृतीया 11:18 रात्रि तक फिर चतुर्थी
नक्षत्र : आर्द्रा 10:38 रात्रि तक फिर पुनर्वसु
योग : शूल 3:46 सांय तक फिर गण्ड
राहुकाल : 2:01 - 3:45 सांय तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 29, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।
यदि शांति या युद्ध में समान वृद्धि हो तो उसे (राजा को) शांति का सहारा लेना चाहिए।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
संधिविग्रहयोस्तुल्यायां वृद्धौ संधिमुपेयात्।
यदि शांति या युद्ध में समान वृद्धि हो तो उसे (राजा को) शांति का सहारा लेना चाहिए।
जय श्री हरिविष्णु
जय श्री राम
धर्मरूपाय सत्त्वाय नमस्सत्त्वात्मने हर।
वेदवेद्यस्वरूपाय नमो वेदप्रियाय च॥
नमो वेदस्वरूपाय वेदवक्त्रे नमो नमः।
सदाचाराध्वगम्याय सदाचाराध्वगामिने॥
विष्टरश्रवसे तुभ्यं नमस्सत्यमयाय च।
सत्यप्रियाय सत्याय सत्यगम्याय ते नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 29 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि और गुरुवार है तृतीया आज रात 11:19 तक रहेगी आज रात 10:39 तक आर्द्रा नक्षत्र रहेगा साथ ही आज रम्भा तृतीया का व्रत किया जायेगा इसके अलावा आज महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाएगी।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
वेदवेद्यस्वरूपाय नमो वेदप्रियाय च॥
नमो वेदस्वरूपाय वेदवक्त्रे नमो नमः।
सदाचाराध्वगम्याय सदाचाराध्वगामिने॥
विष्टरश्रवसे तुभ्यं नमस्सत्यमयाय च।
सत्यप्रियाय सत्याय सत्यगम्याय ते नमः॥
ॐ श्री हरये नमः
जयतु भारत राष्ट्रम्
सर्वेषां स्वस्तिर्भवतु
सादर अभिनन्दम्
प्रभात मङ्गलम्
आज 29 मई को ज्येष्ठ शुक्लपक्ष की तृतीया तिथि और गुरुवार है तृतीया आज रात 11:19 तक रहेगी आज रात 10:39 तक आर्द्रा नक्षत्र रहेगा साथ ही आज रम्भा तृतीया का व्रत किया जायेगा इसके अलावा आज महाराणा प्रताप की जयंती मनाई जाएगी।
🪷🐚🙏🙏🐚🪷
भगवान विष्णु या शिवजी
समुद्रमंथन में अहम भूमिका
भगवान विष्णु और शिवजी
दोनों ने ही एक दूसरे की सहायता की हैं समुद्र मंथन में।
यदि शिवजी ने
गले का सर्प वासुकि न दिया होता व विषपान न किया होता तो कुछ भी शेष न बचता इस सृष्टि में।
समुद्रमंथन न होता
तो किसी को कुछ न मिलता।
चंद्रमा को भी कही कोई स्थान न मिलता।
यहाँ तक की विष्णु को "शंख" "कौस्तुभ मणि" और "लक्ष्मी" की पुनः प्राप्ति न होती।
यदि विष्णु ने
देवों एवं दानवो को मंथन करने का सुझाव न दिया होता
मंदार पर्वत का भार अपने पीठ पर कूर्म अवतार मे न लेते
तो समुद्र मंथन न होता।
न ही विष निकलता
और न ही उसे पीकर शिवजी नीलकंठ कहलाते।
समुद्र से अर्धचंद्र न निकलता
और उसे शीतलता प्रदान करने हेतु शिवजी के ललाट पर स्थापित न किया जाता।
विष न पीते तो उनका शरीर का तापमान न बढ़ता।
और देवता गण उनके माथे पर चंद्रमा स्थापित न करते।
और शिव को जल व बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा न शुरू होती।
न ही सावन का पूरा महीना शिव को समर्पित होता।
तो इन दोनों की सहायता के बिना देवता व दानव भी मंथन न कर पाते।
दोनों की भूमिका अहम थी।
समुद्रमंथन में अहम भूमिका
भगवान विष्णु और शिवजी
दोनों ने ही एक दूसरे की सहायता की हैं समुद्र मंथन में।
यदि शिवजी ने
गले का सर्प वासुकि न दिया होता व विषपान न किया होता तो कुछ भी शेष न बचता इस सृष्टि में।
समुद्रमंथन न होता
तो किसी को कुछ न मिलता।
चंद्रमा को भी कही कोई स्थान न मिलता।
यहाँ तक की विष्णु को "शंख" "कौस्तुभ मणि" और "लक्ष्मी" की पुनः प्राप्ति न होती।
यदि विष्णु ने
देवों एवं दानवो को मंथन करने का सुझाव न दिया होता
मंदार पर्वत का भार अपने पीठ पर कूर्म अवतार मे न लेते
तो समुद्र मंथन न होता।
न ही विष निकलता
और न ही उसे पीकर शिवजी नीलकंठ कहलाते।
समुद्र से अर्धचंद्र न निकलता
और उसे शीतलता प्रदान करने हेतु शिवजी के ललाट पर स्थापित न किया जाता।
विष न पीते तो उनका शरीर का तापमान न बढ़ता।
और देवता गण उनके माथे पर चंद्रमा स्थापित न करते।
और शिव को जल व बेलपत्र चढ़ाने की परंपरा न शुरू होती।
न ही सावन का पूरा महीना शिव को समर्पित होता।
तो इन दोनों की सहायता के बिना देवता व दानव भी मंथन न कर पाते।
दोनों की भूमिका अहम थी।
साभार...4 दिन पाकिस्तान की कुटाई का प्रोग्राम चला, कांग्रेस बीजेपी के साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़ी हुई। राजनीतिक सौहार्द की अद्भुत मिसाल कायम हुई।
लेकिन ज़ब सेना ने बयान दे दिया कि हमने सभी लक्षित आतंकवादी मार गिराये है तो फिर राहुल गाँधी का ये राजनीति खेलना कि कितने आतंकवादी बच गए, ये सत्ता को नहीं सेना को सीधी सीधी चुनौती है।
इस राजनीति मे एक मायूसी छिपी है, मायूसी प्रधानमंत्री ना बन पाने की, वो सत्ता जो 1989 के बाद परिवार के पास दोबारा नहीं लौटी।
दिल्ली का वो ताज़ जो विरासत मे चाहिए था वो कभी नरसिम्हा राव और वाजपेयी के सिर पर सजा। मोदीजी गुजरात से आकर दिल्ली के उसी सिंहासन पर विराज गए जिस पर बैठने का सपना जन्म लेते ही देख लिया था।
ये मायूसी इतिहास की याद दिलाती है, ज़ब मुहम्मद अली जिन्ना को कायद ए आजम बनने का भूत सवार हुआ और ज़ब लगा कि नेहरू, पटेल और बोस के रहते उसका नंबर नहीं लगेगा तो वो मुस्लिम लीग मे चला गया।
गांधीजी ने 1947 मे नेहरूजी को कहा था कि जिन्ना को प्रधानमंत्री बन जाने दो तो बंटवारा रुक जाएगा। नेहरूजी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बापू आजादी के लिये आप 6 साल, मैं 8 साल और पटेल 5 साल के लिये जेल गए थे। इसका क्या योगदान है?
इसे प्रधानमंत्री बना भी दिया तो ये देश को बर्बाद ही करेगा क्योंकि इसे आजादी की क़ीमत ही पता नहीं है। इसे तो मैं अपना चपरासी भी ना रखु। नेहरू जी के इस बयान मे जिन्ना की तत्कालीन स्थिति दिखाई देती है।
यही स्थिति आज राहुल गाँधी की दिखाई दे रही है, वो अमेरिका जाकर भारत के लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता रहा है। जबकि खुद का व्यवस्था मे दहले भर का योगदान नहीं है।
अब वो सेना के बयान पर सरकार को घेर रहा है, राहुल गाँधी और पाकिस्तान के सुर एक साथ बज रहे है और सबसे बड़ी बात वो ये सब तब कर रहा है ज़ब भारत ने अपना प्रतिनिधि मंडल यूरोप मे भेजा हुआ है।
उसे 99 सीटें मिली, वो खुश था क्योंकि उसके इर्द गिर्द बैठे चाटुकारों ने इसे ही उसकी सुनामी कहा। उसकी अकड़ भी नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर जैसी हो गयी थी। लेकिन जैसे जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव नतीजे आये, सारे मुगालते दूर होते गए।
अब बच गयी है तो वही जिन्ना वाली मायूसी, "मुझे कायद ए आज़म बना दो नहीं तो देश तोड़ दूंगा"। खैर राहुल गाँधी के पीछे उतना बड़ा वोट बैंक नहीं है कि ये देश तोड़ सके, लेकिन ये इतना कर सकता है कि देश मेरा नहीं तो किसी का भी नहीं।
बस अंतर ये है कि इस बार हम पहले से तैयार है, जीत अपनी जगह है लेकिन बीजेपी को जल्द ही शशि थरूर को अपनी ओर कर लेना चाहिए, सिंधिया और हिमांता को ले आये, सचिन पायलेट को खुद उन्होंने ही साइडलाइन कर दिया।
गुलाम नबी ने पार्टी छोड़ दी अब सिर्फ एक तुरूप का पत्ता उनके पास है, ये तो फिर भी तय समझिये कि बीजेपी 4.0 करें ना करें मगर पाड़ा अब कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पायेगा चाहे कितने ही दाँव खेल ले।
लेकिन ज़ब सेना ने बयान दे दिया कि हमने सभी लक्षित आतंकवादी मार गिराये है तो फिर राहुल गाँधी का ये राजनीति खेलना कि कितने आतंकवादी बच गए, ये सत्ता को नहीं सेना को सीधी सीधी चुनौती है।
इस राजनीति मे एक मायूसी छिपी है, मायूसी प्रधानमंत्री ना बन पाने की, वो सत्ता जो 1989 के बाद परिवार के पास दोबारा नहीं लौटी।
दिल्ली का वो ताज़ जो विरासत मे चाहिए था वो कभी नरसिम्हा राव और वाजपेयी के सिर पर सजा। मोदीजी गुजरात से आकर दिल्ली के उसी सिंहासन पर विराज गए जिस पर बैठने का सपना जन्म लेते ही देख लिया था।
ये मायूसी इतिहास की याद दिलाती है, ज़ब मुहम्मद अली जिन्ना को कायद ए आजम बनने का भूत सवार हुआ और ज़ब लगा कि नेहरू, पटेल और बोस के रहते उसका नंबर नहीं लगेगा तो वो मुस्लिम लीग मे चला गया।
गांधीजी ने 1947 मे नेहरूजी को कहा था कि जिन्ना को प्रधानमंत्री बन जाने दो तो बंटवारा रुक जाएगा। नेहरूजी ने एक बहुत अच्छी बात कही कि बापू आजादी के लिये आप 6 साल, मैं 8 साल और पटेल 5 साल के लिये जेल गए थे। इसका क्या योगदान है?
इसे प्रधानमंत्री बना भी दिया तो ये देश को बर्बाद ही करेगा क्योंकि इसे आजादी की क़ीमत ही पता नहीं है। इसे तो मैं अपना चपरासी भी ना रखु। नेहरू जी के इस बयान मे जिन्ना की तत्कालीन स्थिति दिखाई देती है।
यही स्थिति आज राहुल गाँधी की दिखाई दे रही है, वो अमेरिका जाकर भारत के लोकतंत्र पर सवाल खड़े करता रहा है। जबकि खुद का व्यवस्था मे दहले भर का योगदान नहीं है।
अब वो सेना के बयान पर सरकार को घेर रहा है, राहुल गाँधी और पाकिस्तान के सुर एक साथ बज रहे है और सबसे बड़ी बात वो ये सब तब कर रहा है ज़ब भारत ने अपना प्रतिनिधि मंडल यूरोप मे भेजा हुआ है।
उसे 99 सीटें मिली, वो खुश था क्योंकि उसके इर्द गिर्द बैठे चाटुकारों ने इसे ही उसकी सुनामी कहा। उसकी अकड़ भी नेक्स्ट टू प्राइम मिनिस्टर जैसी हो गयी थी। लेकिन जैसे जैसे हरियाणा, महाराष्ट्र और दिल्ली के चुनाव नतीजे आये, सारे मुगालते दूर होते गए।
अब बच गयी है तो वही जिन्ना वाली मायूसी, "मुझे कायद ए आज़म बना दो नहीं तो देश तोड़ दूंगा"। खैर राहुल गाँधी के पीछे उतना बड़ा वोट बैंक नहीं है कि ये देश तोड़ सके, लेकिन ये इतना कर सकता है कि देश मेरा नहीं तो किसी का भी नहीं।
बस अंतर ये है कि इस बार हम पहले से तैयार है, जीत अपनी जगह है लेकिन बीजेपी को जल्द ही शशि थरूर को अपनी ओर कर लेना चाहिए, सिंधिया और हिमांता को ले आये, सचिन पायलेट को खुद उन्होंने ही साइडलाइन कर दिया।
गुलाम नबी ने पार्टी छोड़ दी अब सिर्फ एक तुरूप का पत्ता उनके पास है, ये तो फिर भी तय समझिये कि बीजेपी 4.0 करें ना करें मगर पाड़ा अब कभी प्रधानमंत्री नहीं बन पायेगा चाहे कितने ही दाँव खेल ले।
साभार...
इसे आप भारत अमेरिका के शीत युद्ध की औपचारिक शुरुआत कह लीजिये।
डोनाल्ड ट्रम्प एप्पल के पीछे पड़े है कि भारत मे यदि उत्पादन किया तो अमेरिका मे 25% टेरीफ लग जाएंगे। ट्रम्प मंचों से चीख चीख कर मेक इन इंडिया का विरोध कर रहे है।
लेकिन ट्रम्प मोदी के दोस्त थे,आई लव इंडिया बोलते थे फिर क्या हुआ?
जड़ पर जाने के लिये आपको 1972 के साल मे जाना होगा,अमेरिका मे जनसंख्या बहुत कम थी और वो उद्योग जगत की पहली पसंद था।अमेरिका मे मजदूर कम थे और जो थे महंगे थे।
भारत से संबंध बिगड ही चुके थे,ऐसे मे अमेरिका ने चीन से संबंध ठीक किये और अमेरिकी कम्पनियो ने अपनी प्रोडक्शन यूनिट चीन मे शिफ्ट की जहाँ सस्ते मजदूर थे।इससे अमेरिकी कम्पनियो ने अरबो का फायदा कमाया।
इन कम्पनियो की वज़ह से चीन का कल्चर बदल गया,चीन के लोग भी थोड़े स्किल्ड हो गए और आज आप चीन को देख ही रहे है।हालांकि अमेरिका को आज उसी बात का अफ़सोस भी है।
दरसल अब अमेरिका मे आबादी बढ़ गयी है,बेरोजगारी बढ़ रही है।अमेरिका चाहता है कि एप्पल जैसी सभी बड़ी कम्पनिया चीन से अमेरिका आ जाये मगर ये कम्पनिया जानती है कि मजदूरी भारत मे सस्ती है।
अमेरिका के लिये उसकी कम्पनिया सिरदर्द बन चुकी है,फायदे के आगे देश को नहीं देख रही।अमेरिका को ये भी डर है कि चीन वाली गलती भारत के संदर्भ मे भी ना हो जाए,पता चला भारत भी अमेरिका के प्रभुत्व के लिये चुनौती बन जाए।
इसलिए अब आप तैयार रहिये,अमेरिका मे सरकारे किसी की भी आये वो हमारे लिये खतरा ही रहेगी।डोनाल्ड ट्रम्प आज भी जो बाइडन के मुकाबले बहुत अच्छे है,जो बाइडन के समय जो हो रहा था वो डरा देने वाला था।
ट्रम्प और बाइडन मे जो अंतर आया है वो बस नैतिकता का है,ट्रम्प सामने से हमला कर रहे है बाइडन छिपकर कर रहे थे।
राहुल गाँधी का वो बयान मत भूलिए जो उसने सितंबर 2024 मे अमेरिका मे दिया था,"भारत मे सिखो को पगड़ी नहीं पहनने देते,उन्हें मारा जाता है"।
यदि आप कांग्रेसी भी हो तो भी आपको पता है ये सफ़ेद झूठ है।भारत की छवि बिगाड़ने वाला ये बयान तब का है ज़ब अमेरिका और कनाडा की कूटनीतिक तलवारे भारत पर चल रही थी।
भरसक प्रयास था कि अमेरिका सद्दाम हुसैन की तर्ज पर भारत मे भी तख्तापलट करने की सोचे और प्रयास हुए भी।अडानी की केन्या वाली डील रद्द करवाई गयी,हो जाती तो अप्रत्यक्ष रूप से भारत के हाथ अफ्रीका मे पहुँच जाते।
अडानी को इजरायल के बंदरगाह की एक्सेस रोकने की कोशिश भी हुई थी, हिंडनबर्ग का ड्रामा कौन भुला है? कोरोना वैक्सीन पर भारतीय कम्पनियो के खिलाफ क्या क्या साजिशे नहीं हुई।
अमेरिका और राहुल गाँधी का एक साथ भारतीय उद्योगपतियों के प्रति हमलावर होना बहुत बड़ा संयोग था जो किसी ने शायद देखा ही नहीं।राहुल गाँधी के माध्यम से भारत मे गृहयुद्ध की संभावनाओं को बल भी दिया जा रहा है।
इसलिए ज़ब ज़ब पाड़ा दौड़ने का प्रयास करता है दिल्ली वाले मोटा भाई नेशनल हेराल्ड से नकेल कस देते है।
राहुल गाँधी कंट्रोल हो जायेगा,लेकिन अमेरिकी सरकार की खुन्नस अपनी जगह बनी रहनी है।वे प्रयास करेंगे कि अमेरिका की जगह कोई अन्य देश प्रभावशाली ना बने,हमें चाहिए कि प्रयास करते रहे।हम राजनीतिक और आर्थिक साक्षर बने।
हम जातियों मे ना बंटे,दंगे ना हो,निरंतर उद्योग धंधे विकसित होते रहे,सरकारो से नौकरी की जगह उद्योग की मांग करें नौकरी स्वतः पैदा हो जायेगी।देश जैसे जैसे आत्मनिर्भर बनेगा,ट्रम्प हो या बाइडन हमें फर्क नहीं पड़ेगा।राम राम रहेगी सभी को!
इसे आप भारत अमेरिका के शीत युद्ध की औपचारिक शुरुआत कह लीजिये।
डोनाल्ड ट्रम्प एप्पल के पीछे पड़े है कि भारत मे यदि उत्पादन किया तो अमेरिका मे 25% टेरीफ लग जाएंगे। ट्रम्प मंचों से चीख चीख कर मेक इन इंडिया का विरोध कर रहे है।
लेकिन ट्रम्प मोदी के दोस्त थे,आई लव इंडिया बोलते थे फिर क्या हुआ?
जड़ पर जाने के लिये आपको 1972 के साल मे जाना होगा,अमेरिका मे जनसंख्या बहुत कम थी और वो उद्योग जगत की पहली पसंद था।अमेरिका मे मजदूर कम थे और जो थे महंगे थे।
भारत से संबंध बिगड ही चुके थे,ऐसे मे अमेरिका ने चीन से संबंध ठीक किये और अमेरिकी कम्पनियो ने अपनी प्रोडक्शन यूनिट चीन मे शिफ्ट की जहाँ सस्ते मजदूर थे।इससे अमेरिकी कम्पनियो ने अरबो का फायदा कमाया।
इन कम्पनियो की वज़ह से चीन का कल्चर बदल गया,चीन के लोग भी थोड़े स्किल्ड हो गए और आज आप चीन को देख ही रहे है।हालांकि अमेरिका को आज उसी बात का अफ़सोस भी है।
दरसल अब अमेरिका मे आबादी बढ़ गयी है,बेरोजगारी बढ़ रही है।अमेरिका चाहता है कि एप्पल जैसी सभी बड़ी कम्पनिया चीन से अमेरिका आ जाये मगर ये कम्पनिया जानती है कि मजदूरी भारत मे सस्ती है।
अमेरिका के लिये उसकी कम्पनिया सिरदर्द बन चुकी है,फायदे के आगे देश को नहीं देख रही।अमेरिका को ये भी डर है कि चीन वाली गलती भारत के संदर्भ मे भी ना हो जाए,पता चला भारत भी अमेरिका के प्रभुत्व के लिये चुनौती बन जाए।
इसलिए अब आप तैयार रहिये,अमेरिका मे सरकारे किसी की भी आये वो हमारे लिये खतरा ही रहेगी।डोनाल्ड ट्रम्प आज भी जो बाइडन के मुकाबले बहुत अच्छे है,जो बाइडन के समय जो हो रहा था वो डरा देने वाला था।
ट्रम्प और बाइडन मे जो अंतर आया है वो बस नैतिकता का है,ट्रम्प सामने से हमला कर रहे है बाइडन छिपकर कर रहे थे।
राहुल गाँधी का वो बयान मत भूलिए जो उसने सितंबर 2024 मे अमेरिका मे दिया था,"भारत मे सिखो को पगड़ी नहीं पहनने देते,उन्हें मारा जाता है"।
यदि आप कांग्रेसी भी हो तो भी आपको पता है ये सफ़ेद झूठ है।भारत की छवि बिगाड़ने वाला ये बयान तब का है ज़ब अमेरिका और कनाडा की कूटनीतिक तलवारे भारत पर चल रही थी।
भरसक प्रयास था कि अमेरिका सद्दाम हुसैन की तर्ज पर भारत मे भी तख्तापलट करने की सोचे और प्रयास हुए भी।अडानी की केन्या वाली डील रद्द करवाई गयी,हो जाती तो अप्रत्यक्ष रूप से भारत के हाथ अफ्रीका मे पहुँच जाते।
अडानी को इजरायल के बंदरगाह की एक्सेस रोकने की कोशिश भी हुई थी, हिंडनबर्ग का ड्रामा कौन भुला है? कोरोना वैक्सीन पर भारतीय कम्पनियो के खिलाफ क्या क्या साजिशे नहीं हुई।
अमेरिका और राहुल गाँधी का एक साथ भारतीय उद्योगपतियों के प्रति हमलावर होना बहुत बड़ा संयोग था जो किसी ने शायद देखा ही नहीं।राहुल गाँधी के माध्यम से भारत मे गृहयुद्ध की संभावनाओं को बल भी दिया जा रहा है।
इसलिए ज़ब ज़ब पाड़ा दौड़ने का प्रयास करता है दिल्ली वाले मोटा भाई नेशनल हेराल्ड से नकेल कस देते है।
राहुल गाँधी कंट्रोल हो जायेगा,लेकिन अमेरिकी सरकार की खुन्नस अपनी जगह बनी रहनी है।वे प्रयास करेंगे कि अमेरिका की जगह कोई अन्य देश प्रभावशाली ना बने,हमें चाहिए कि प्रयास करते रहे।हम राजनीतिक और आर्थिक साक्षर बने।
हम जातियों मे ना बंटे,दंगे ना हो,निरंतर उद्योग धंधे विकसित होते रहे,सरकारो से नौकरी की जगह उद्योग की मांग करें नौकरी स्वतः पैदा हो जायेगी।देश जैसे जैसे आत्मनिर्भर बनेगा,ट्रम्प हो या बाइडन हमें फर्क नहीं पड़ेगा।राम राम रहेगी सभी को!
मानव जीवन
तपश्चर्या के लिए है
जो तप नहीँ करता
उसका पतन होता है।
मानव जीवन का लक्ष्य
भोग नहीँ भजन है ईश्वर भजन है।
समभाव और सद्भाव सिद्ध करने के लिए सत्संग की जरुरत है।
समभावतभी सिद्ध होता है जब प्रत्येक जड़ चेतन की ओर ईश्वर की भावना जागे।
मानव अवतार परमात्मा की आराधना और तप करने के लिए है।
पशु भी भोँगो का उपयोग करते हैँ।
यदि मनुष्य केवलभोग के पीछे ही दीवाना हो जाए तो फिर उसमेँ और पशु मेँ क्या अन्तर रह जायेगा ?
प्रभु ने मनुष्य को बुद्धि दी है ज्ञान दिया है।
पशु को कुछ नहीँ दिया है।
आने वाले कल की चिन्ता मानव कर सकता है पशु नहीँ।
न तो देव तप कर सकते हैँ न पशु।
देव पुण्य का उपभोग कर सकते हैँ।
तपश्चर्या केवल मनुष्य ही कर सकते है।
मनुष्य विवेकपूर्ण भोग का भी उपभोग कर सकता है।
मनुष्य जीवन विविध प्रकार के तप करने के लिए है।
तप कई प्रकार के हैँ।
कष्ट सहते हुए सत्कर्म करना तप है।
उपासना भी तप है।
पूर्णिमा अमावस्या एकादशी आदि पवित्र दिन माने गये हैँ।
इन दिनो उपवास करना चाहिए।
उपवास का अर्थ उप(समीप) वास(रहना) अर्थात् ईश्वर के समीप रहना।
परोपकार मे शरीर को लीन करना भी तप है।
तप की महत्ता गीता जी मे कहा गया है
!!! भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते !!!
भावसंशुद्धि बड़ तप है।
सभीमेँ ईश्वर का भाव रखना भी तप है।
सभी मेँ ईश्वर विराजते हैँ ऐसा अनुभव करनामहान तप है
अर्थात् अन्तःकरण की पवित्रता से हृदय मेँ सदा सर्वदा शान्तिऔर प्रसन्नता रहेगी।
प्रिय और सत्य बोलना वाणी का तप है।
पवित्रता सरलता ब्रह्मचर्य और अहिँसा आदि शरीर सम्बन्धी तप है।
जय श्री राम🙏
तपश्चर्या के लिए है
जो तप नहीँ करता
उसका पतन होता है।
मानव जीवन का लक्ष्य
भोग नहीँ भजन है ईश्वर भजन है।
समभाव और सद्भाव सिद्ध करने के लिए सत्संग की जरुरत है।
समभावतभी सिद्ध होता है जब प्रत्येक जड़ चेतन की ओर ईश्वर की भावना जागे।
मानव अवतार परमात्मा की आराधना और तप करने के लिए है।
पशु भी भोँगो का उपयोग करते हैँ।
यदि मनुष्य केवलभोग के पीछे ही दीवाना हो जाए तो फिर उसमेँ और पशु मेँ क्या अन्तर रह जायेगा ?
प्रभु ने मनुष्य को बुद्धि दी है ज्ञान दिया है।
पशु को कुछ नहीँ दिया है।
आने वाले कल की चिन्ता मानव कर सकता है पशु नहीँ।
न तो देव तप कर सकते हैँ न पशु।
देव पुण्य का उपभोग कर सकते हैँ।
तपश्चर्या केवल मनुष्य ही कर सकते है।
मनुष्य विवेकपूर्ण भोग का भी उपभोग कर सकता है।
मनुष्य जीवन विविध प्रकार के तप करने के लिए है।
तप कई प्रकार के हैँ।
कष्ट सहते हुए सत्कर्म करना तप है।
उपासना भी तप है।
पूर्णिमा अमावस्या एकादशी आदि पवित्र दिन माने गये हैँ।
इन दिनो उपवास करना चाहिए।
उपवास का अर्थ उप(समीप) वास(रहना) अर्थात् ईश्वर के समीप रहना।
परोपकार मे शरीर को लीन करना भी तप है।
तप की महत्ता गीता जी मे कहा गया है
!!! भावसंशुद्धिरित्येतत्तपो मानसमुच्यते !!!
भावसंशुद्धि बड़ तप है।
सभीमेँ ईश्वर का भाव रखना भी तप है।
सभी मेँ ईश्वर विराजते हैँ ऐसा अनुभव करनामहान तप है
अर्थात् अन्तःकरण की पवित्रता से हृदय मेँ सदा सर्वदा शान्तिऔर प्रसन्नता रहेगी।
प्रिय और सत्य बोलना वाणी का तप है।
पवित्रता सरलता ब्रह्मचर्य और अहिँसा आदि शरीर सम्बन्धी तप है।
जय श्री राम🙏
अयोध्या पञ्चाङ्ग
दिन : शुक्रवार
दिनांक: 30 मई 2025
सूर्योदय : 5:25 प्रात:
सूर्यास्त : 7:11 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्थी 9:23 रात्रि तक फिर पंचमी
नक्षत्र : पुनर्वसु 9:28 रात्रि तक फिर पुष्य
योग : गण्ड 12:56 अपराह्न तक फिर वृद्धि
राहुकाल : 10:35 - 12:18 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
दिन : शुक्रवार
दिनांक: 30 मई 2025
सूर्योदय : 5:25 प्रात:
सूर्यास्त : 7:11 सांय
विक्रम संवत : 2082
मास : ज्येष्ठ
पक्ष : शुक्ल
तिथि : चतुर्थी 9:23 रात्रि तक फिर पंचमी
नक्षत्र : पुनर्वसु 9:28 रात्रि तक फिर पुष्य
योग : गण्ड 12:56 अपराह्न तक फिर वृद्धि
राहुकाल : 10:35 - 12:18 अपराह्न तक
श्री अयोध्या नगरी
जय श्री राम
मई 30, 2025 ईस्वी आज का दिन आप, आपके परिवार, आपके कुटुम्ब तथा आपके इष्ट मित्रों के लिए शुभ,सफल और मंगलमय हो।
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
जीवेषु करुणा चापि मैत्री तेषु विधीयताम् ।
जीवों पर करुणा एवं मैत्री कीजिये।
जय माता दी
जय श्री राम
।। ॐ सुभाषित ॐ ।।
जीवेषु करुणा चापि मैत्री तेषु विधीयताम् ।
जीवों पर करुणा एवं मैत्री कीजिये।
जय माता दी
जय श्री राम
साभार...
कभी संसद के अंदर #भारतीय_नारी का चेहरा था स्वर्गीय #सुषमा_स्वराज जी का...
बिंदी,मांग में सिंदूर...साड़ी
एक हिन्दू सुहागन महिला..
करवाचौथ पर मीडिया के कैमरे हमेशा उनके घर पहुँचते...
नेक नेता... वरिष्ठ मंत्री के तौर तमाम देशों में गयी
उनका UN में दिया कालज़यी भाषण भी आप देख सकते हैं..... देश बदले... भेष कभी नहीं
जहाँ गयीं विशुद्ध भारतीय हिन्दू सुहागन महिला के चिन्ह स्पष्ट साथ होते थे...
अब आप वर्तमान नेत्रियों,प्रवक्ता आदि पर गौर करें...
कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत्र हों,अलका लम्बा,रागिनी नायक या अन्य
सपा की नेत्री... प्रवक्ता..
राजद की...
कम्युनिस्ट की तो बात ही करना बेकार है...
क्या आपने आज तक इन्हे भारतीय हिन्दू सुहागन के रूप में देखा??
मांग में सिंदूर दिखा कभी?
या मंगलसूत्र...?
करवाचौथ व्रत का फोटो?
बिंदी आदि......?
ये कैसी हिन्दू सुहागिनें हैं जो कोई सुहाग चिन्ह न रखती.... पता न चलता पतिदेव हैं भी इनके या लपेट के चाट लिए.....
आखिर क्यों इन्हे भारतीय हिन्दू परंपरा से बैर है??
और जिन औरतों को ये सुहाग चिन्ह बोझ,पिछड़ा होना,गवारू आदि लगते हों...
उनसे क्या ही उम्मीद की जाये कि इन्हे भारतीय हिन्दू समाज में सुहागन स्त्री के लिए सिंदूर का महत्त्व पता होगा...
स्वाभाविक है ये #सिंदूर का मज़ाक ही उड़ाएंगी.... आलोचना करेंगी...
ब्रज में कहावत है "रां$ के पाँव सुहागन लागे... हो जा बहना मो सी ही"
अब ये तो यही चाहेंगी भारत की हिन्दू औरतें भी इनकी तरह विधवा भेष ले घूमें!
बाकी कमाल मोदी जी का इन जीवित पति विधवाओं को भी सिंदूर लगवा दे रहे हैं राजनीती के चलते ही सही...
राम राम रहेगी सभी को!
कभी संसद के अंदर #भारतीय_नारी का चेहरा था स्वर्गीय #सुषमा_स्वराज जी का...
बिंदी,मांग में सिंदूर...साड़ी
एक हिन्दू सुहागन महिला..
करवाचौथ पर मीडिया के कैमरे हमेशा उनके घर पहुँचते...
नेक नेता... वरिष्ठ मंत्री के तौर तमाम देशों में गयी
उनका UN में दिया कालज़यी भाषण भी आप देख सकते हैं..... देश बदले... भेष कभी नहीं
जहाँ गयीं विशुद्ध भारतीय हिन्दू सुहागन महिला के चिन्ह स्पष्ट साथ होते थे...
अब आप वर्तमान नेत्रियों,प्रवक्ता आदि पर गौर करें...
कांग्रेस की सुप्रिया श्रीनेत्र हों,अलका लम्बा,रागिनी नायक या अन्य
सपा की नेत्री... प्रवक्ता..
राजद की...
कम्युनिस्ट की तो बात ही करना बेकार है...
क्या आपने आज तक इन्हे भारतीय हिन्दू सुहागन के रूप में देखा??
मांग में सिंदूर दिखा कभी?
या मंगलसूत्र...?
करवाचौथ व्रत का फोटो?
बिंदी आदि......?
ये कैसी हिन्दू सुहागिनें हैं जो कोई सुहाग चिन्ह न रखती.... पता न चलता पतिदेव हैं भी इनके या लपेट के चाट लिए.....
आखिर क्यों इन्हे भारतीय हिन्दू परंपरा से बैर है??
और जिन औरतों को ये सुहाग चिन्ह बोझ,पिछड़ा होना,गवारू आदि लगते हों...
उनसे क्या ही उम्मीद की जाये कि इन्हे भारतीय हिन्दू समाज में सुहागन स्त्री के लिए सिंदूर का महत्त्व पता होगा...
स्वाभाविक है ये #सिंदूर का मज़ाक ही उड़ाएंगी.... आलोचना करेंगी...
ब्रज में कहावत है "रां$ के पाँव सुहागन लागे... हो जा बहना मो सी ही"
अब ये तो यही चाहेंगी भारत की हिन्दू औरतें भी इनकी तरह विधवा भेष ले घूमें!
बाकी कमाल मोदी जी का इन जीवित पति विधवाओं को भी सिंदूर लगवा दे रहे हैं राजनीती के चलते ही सही...
राम राम रहेगी सभी को!
*असदुद्दीन ओवैसी: 14.5 करोड़ मुसलमान हमारे मुल्क में, पाक का झूठ मत मानो*
असदुद्दीन ओवैसी ने सऊदी अरब में खोली पोल
मुस्लिम भाईचारे का चोला पहनकर दुनिया को छलने वाला पाकिस्तान जब-तब मुस्लिम देशों की हमदर्दी बटोरने की कोशिश करता है, लेकिन इस बार उसकी पोल सऊदी अरब में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने खोल दी है। रियाद में पाकिस्तान की चालों को न सिर्फ बेनकाब किया, बल्कि सऊदी अधिकारियों को सख्त लहजे में चेताया भी। सऊदी अरब की राजधानी रियाद में भारत के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान ओवैसी ने खुलकर कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को खुला समर्थन देता है और उसका हर दाव सिर्फ झूठ पर टिका होता है।
ओवैसी ने बताया कि सऊदी अरब में करीब 27 लाख भारतीय रहते और काम करते हैं और भारतीय समुदाय वहां एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सऊदी प्रतिनिधियों को चेताते हुए कहा कि भारत में करीब 14.5 करोड़ मुसलमान रहते हैं और पाकिस्तान जो कुछ भी उनके बारे में प्रचार करता है, वह पूरी तरह से गलत है। ओवैसी ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को सऊदी अरब ने हाल ही में 2 अरब डॉलर की मदद और 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया है, लेकिन उस पैसे का कोई फायदा आम पाक जनता को नहीं मिला।
असदुद्दीन ओवैसी ने सऊदी अरब में खोली पोल
मुस्लिम भाईचारे का चोला पहनकर दुनिया को छलने वाला पाकिस्तान जब-तब मुस्लिम देशों की हमदर्दी बटोरने की कोशिश करता है, लेकिन इस बार उसकी पोल सऊदी अरब में एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने खोल दी है। रियाद में पाकिस्तान की चालों को न सिर्फ बेनकाब किया, बल्कि सऊदी अधिकारियों को सख्त लहजे में चेताया भी। सऊदी अरब की राजधानी रियाद में भारत के सांसदों के प्रतिनिधिमंडल की बैठक के दौरान ओवैसी ने खुलकर कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद को खुला समर्थन देता है और उसका हर दाव सिर्फ झूठ पर टिका होता है।
ओवैसी ने बताया कि सऊदी अरब में करीब 27 लाख भारतीय रहते और काम करते हैं और भारतीय समुदाय वहां एक अहम भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सऊदी प्रतिनिधियों को चेताते हुए कहा कि भारत में करीब 14.5 करोड़ मुसलमान रहते हैं और पाकिस्तान जो कुछ भी उनके बारे में प्रचार करता है, वह पूरी तरह से गलत है। ओवैसी ने इस बात पर जोर दिया कि पाकिस्तान को सऊदी अरब ने हाल ही में 2 अरब डॉलर की मदद और 3 अरब डॉलर का कर्ज दिया है, लेकिन उस पैसे का कोई फायदा आम पाक जनता को नहीं मिला।
साभार...
भारत जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।स्टॉक मार्केट रॉकेट बनकर उड़ रहा है।
खबर सुकून वाली है लेकिन बस एक ही आंकड़ा है जो व्यथित करता है,जापान की आबादी 12 करोड़ है हमारी 150 करोड़।
हर जापानी साल का 29 लाख रूपये कमा रहा है और हम 2.5 लाख भी नहीं। खैर इसमें ये भी एक फैक्टर है कि जापान के सर्विस सेक्टर मे काम करने वालो की डिमांड ज्यादा है जबकि लोग कम है।
इस वज़ह से जॉब पैकेज अच्छे ही होते है लेकिन ये एक्सक्यूज़ तब काम करता ज़ब हमारी भी प्रति व्यक्ति 12 लाख रूपये सलाना के आसपास होती।
औसत भारतीय परिवार मे चार लोग होते है उनमे से एक कमाता है मान लो उसकी सैलरी 60 हजार भी है घर के खर्चे तो ठीक चल रहे है लेकिन ज़ब प्रति व्यक्ति आय की गणना होंगी तो इसे 15 हजार रूपये महीना ही गिना जाएगा और कुछ पश्चिमी मूर्ख इसे #पोवर्टी बोलेंगे।
भारत मे परिवारो मे रहने की परंपरा है,बच्चे नौकरी पर लगते है तो चाहते है कि पिता अब जॉब छोड़ दे और लाइफ एन्जॉय करें।इन सामाजिक मूल्यों के बीच प्रतिव्यक्ति आय सदा ही चुनौती रहेगी।परिवार का हर व्यक्ति कमाये ये पश्चिम का कॉन्सेप्ट है।
इसलिए इन आंकड़ों को देखना है या नहीं वो आप तय कीजिये,मैं इतना कह सकता हुँ कि हम खुद को अपने स्तर पर निखारे।भारत मे बड़े राज्यों मे सबसे ज्यादा प्रतिव्यक्ति आय हरियाणा और गुजरात की है जो 4.5 लाख रूपये के आसपास है।
हम प्रयास करते है कि अगले 10 सालो मे अन्य राज्य भी इस आंकड़े के करीब आ जाए,जाहिर है तब तक गुजरात हरियाणा और आगे भाग चुके होंगे तब हम उस नंबर का पीछा करेंगे।इस तरह से काम करें तो दूर भविष्य मे आर्थिक असमानता का मुद्दा हल हो सकता है।
इन आंकड़ों मे एक डरा देने वाला तथ्य यह है कि भारत के यदि टॉप 5% उद्योगपति ये देश छोड़ दे तो हमारी प्रतिव्यक्ति आय 1 लाख के इर्द गिर्द रह जायेगी जो भयावह है क्योंकि ये अफ़्रीकी देशो से नीचे हो जायेगी।
इसलिए ज़ब कोई नेता पूंजीवाद के विरुद्ध बात करके सामजिक न्याय और समानता का ढ़ोल पीटे तो आप समझ जाइये कि आप किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रोपोगंडा के शिकार हो रहे है।क्योंकि वोट की राजनीति ने आज तक किसी को न्याय नहीं दिलाया है।
दूसरा डर जो मन मे होना चाहिए वो ये कि समाज नशे से जितना दूर हो उतना ठीक।शराब का चलन आज भी कायम है ये जहर है,40-45 की आयु तक लोगो के लीवर गल रहे है।ज़ब इस आयु का व्यक्ति मरता है तो वो परिवार को नहीं देश को भी नुकसान देकर जा रहा है।
इस आयु मे समाज आशा करता है कि वह अब रिटर्न मे समाज को कुछ देगा फिर चाहे वो नई तकनीक हो,नया व्यापार हो,नया आविष्कार हो या नया विचार हो लेकिन शराब यहाँ आतंकवादी से कम किरदार नहीं निभाती।
तीसरी आवश्यक बात है कि महिलाओ को आगे आने दे क्योंकि वे जनसंख्या मे आधी है,इतिहास गवाह है रानी कैकयी युद्ध मे अपने पति दशरथ की सारथी बनी है,राज दरबारो मे महिलाओ ने शास्थार्थ मे पुरुषो को मात दी है। महिलाओ को घर मे कैद रखना हमारी परंपरा नहीं है।
मुग़ल काल की मजबूरियों को आप प्रथा का नाम नहीं दे सकते,ये दासत्व का प्रतीक है किसी स्थानीय शान का नहीं।
बढ़ते तलाक,विवाह उपरांत संबंध और घर के आपसी झगड़ो के लिये नारी सशक्तिकरण उत्तरदायी नहीं है अपितु सामाजिक विचारो मे हो रहा परिवर्तन उसका दोषी है।
कई लोग शायद उक्त विचारों से सहमत ना हो और खैर सामाजिक मुद्दों से मुझे भी अभी मतलब नहीं है,क्योंकि यह लेख आज राष्ट्र को मजबूत और जग सिर मोर बनाने की बात पर लिखा है।
बहरहाल ये तीन वे बिंदु है जिन पर हमें मंथन या यू कहे पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता है।सरकार तो एक इंजन है ही लेकिन नागरिको को भी उस इंजन का अग्रदीप बनना होगा।राम राम रहेगी सभी को!
भारत जापान को पछाड़कर चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है।स्टॉक मार्केट रॉकेट बनकर उड़ रहा है।
खबर सुकून वाली है लेकिन बस एक ही आंकड़ा है जो व्यथित करता है,जापान की आबादी 12 करोड़ है हमारी 150 करोड़।
हर जापानी साल का 29 लाख रूपये कमा रहा है और हम 2.5 लाख भी नहीं। खैर इसमें ये भी एक फैक्टर है कि जापान के सर्विस सेक्टर मे काम करने वालो की डिमांड ज्यादा है जबकि लोग कम है।
इस वज़ह से जॉब पैकेज अच्छे ही होते है लेकिन ये एक्सक्यूज़ तब काम करता ज़ब हमारी भी प्रति व्यक्ति 12 लाख रूपये सलाना के आसपास होती।
औसत भारतीय परिवार मे चार लोग होते है उनमे से एक कमाता है मान लो उसकी सैलरी 60 हजार भी है घर के खर्चे तो ठीक चल रहे है लेकिन ज़ब प्रति व्यक्ति आय की गणना होंगी तो इसे 15 हजार रूपये महीना ही गिना जाएगा और कुछ पश्चिमी मूर्ख इसे #पोवर्टी बोलेंगे।
भारत मे परिवारो मे रहने की परंपरा है,बच्चे नौकरी पर लगते है तो चाहते है कि पिता अब जॉब छोड़ दे और लाइफ एन्जॉय करें।इन सामाजिक मूल्यों के बीच प्रतिव्यक्ति आय सदा ही चुनौती रहेगी।परिवार का हर व्यक्ति कमाये ये पश्चिम का कॉन्सेप्ट है।
इसलिए इन आंकड़ों को देखना है या नहीं वो आप तय कीजिये,मैं इतना कह सकता हुँ कि हम खुद को अपने स्तर पर निखारे।भारत मे बड़े राज्यों मे सबसे ज्यादा प्रतिव्यक्ति आय हरियाणा और गुजरात की है जो 4.5 लाख रूपये के आसपास है।
हम प्रयास करते है कि अगले 10 सालो मे अन्य राज्य भी इस आंकड़े के करीब आ जाए,जाहिर है तब तक गुजरात हरियाणा और आगे भाग चुके होंगे तब हम उस नंबर का पीछा करेंगे।इस तरह से काम करें तो दूर भविष्य मे आर्थिक असमानता का मुद्दा हल हो सकता है।
इन आंकड़ों मे एक डरा देने वाला तथ्य यह है कि भारत के यदि टॉप 5% उद्योगपति ये देश छोड़ दे तो हमारी प्रतिव्यक्ति आय 1 लाख के इर्द गिर्द रह जायेगी जो भयावह है क्योंकि ये अफ़्रीकी देशो से नीचे हो जायेगी।
इसलिए ज़ब कोई नेता पूंजीवाद के विरुद्ध बात करके सामजिक न्याय और समानता का ढ़ोल पीटे तो आप समझ जाइये कि आप किसी अंतर्राष्ट्रीय प्रोपोगंडा के शिकार हो रहे है।क्योंकि वोट की राजनीति ने आज तक किसी को न्याय नहीं दिलाया है।
दूसरा डर जो मन मे होना चाहिए वो ये कि समाज नशे से जितना दूर हो उतना ठीक।शराब का चलन आज भी कायम है ये जहर है,40-45 की आयु तक लोगो के लीवर गल रहे है।ज़ब इस आयु का व्यक्ति मरता है तो वो परिवार को नहीं देश को भी नुकसान देकर जा रहा है।
इस आयु मे समाज आशा करता है कि वह अब रिटर्न मे समाज को कुछ देगा फिर चाहे वो नई तकनीक हो,नया व्यापार हो,नया आविष्कार हो या नया विचार हो लेकिन शराब यहाँ आतंकवादी से कम किरदार नहीं निभाती।
तीसरी आवश्यक बात है कि महिलाओ को आगे आने दे क्योंकि वे जनसंख्या मे आधी है,इतिहास गवाह है रानी कैकयी युद्ध मे अपने पति दशरथ की सारथी बनी है,राज दरबारो मे महिलाओ ने शास्थार्थ मे पुरुषो को मात दी है। महिलाओ को घर मे कैद रखना हमारी परंपरा नहीं है।
मुग़ल काल की मजबूरियों को आप प्रथा का नाम नहीं दे सकते,ये दासत्व का प्रतीक है किसी स्थानीय शान का नहीं।
बढ़ते तलाक,विवाह उपरांत संबंध और घर के आपसी झगड़ो के लिये नारी सशक्तिकरण उत्तरदायी नहीं है अपितु सामाजिक विचारो मे हो रहा परिवर्तन उसका दोषी है।
कई लोग शायद उक्त विचारों से सहमत ना हो और खैर सामाजिक मुद्दों से मुझे भी अभी मतलब नहीं है,क्योंकि यह लेख आज राष्ट्र को मजबूत और जग सिर मोर बनाने की बात पर लिखा है।
बहरहाल ये तीन वे बिंदु है जिन पर हमें मंथन या यू कहे पुनः मूल्यांकन की आवश्यकता है।सरकार तो एक इंजन है ही लेकिन नागरिको को भी उस इंजन का अग्रदीप बनना होगा।राम राम रहेगी सभी को!