This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
याचना नहीं अब रण होगा...
वक्फ कानून को लेकर सरकार फ्रंटफुट पे खेल रही
निशिकांत दुबे जी ने खुलकर कह दिया है
देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए SC जिम्मेदार है।
SC अपनी सीमा से बाहर जा रहा है
अगर हर बात के लिए SC जाना है,
तो संसद-विधानसभा को बंद कर देना चाहिए
वक्फ कानून को लेकर सरकार फ्रंटफुट पे खेल रही
निशिकांत दुबे जी ने खुलकर कह दिया है
देश में धार्मिक युद्ध भड़काने के लिए SC जिम्मेदार है।
SC अपनी सीमा से बाहर जा रहा है
अगर हर बात के लिए SC जाना है,
तो संसद-विधानसभा को बंद कर देना चाहिए
🇮🇳#𝗢𝗻𝗲𝗡𝗮𝘁𝗶𝗼𝗻𝗢𝗻𝗲𝗘𝗹𝗲𝗰𝘁𝗶𝗼𝗻
𝘓𝘦𝘴𝘴 𝘊𝘢𝘮𝘱𝘢𝘪𝘨𝘯𝘴, 𝘔𝘰𝘳𝘦 𝘍𝘰𝘤𝘶𝘴𝘦𝘥 𝘞𝘰𝘳𝘬𝘪𝘯𝘨 𝘵𝘰𝘸𝘢𝘳𝘥𝘴 𝘕𝘢𝘵𝘪𝘰𝘯 𝘉𝘶𝘪𝘭𝘥𝘪𝘯𝘨
✅ Cost Saving
✅ Enhanced Governance
✅ Lesser Political Divisiveness
✅ Better planning & implementation
Sign the petition by clicking the link below and show your support to adopt One Nation One Election
https://chng.it/m5kDQ7FjhJ
Warm Regards
Smilofy India Foundation
Pls sign and help us get more signatures 🙏
𝘓𝘦𝘴𝘴 𝘊𝘢𝘮𝘱𝘢𝘪𝘨𝘯𝘴, 𝘔𝘰𝘳𝘦 𝘍𝘰𝘤𝘶𝘴𝘦𝘥 𝘞𝘰𝘳𝘬𝘪𝘯𝘨 𝘵𝘰𝘸𝘢𝘳𝘥𝘴 𝘕𝘢𝘵𝘪𝘰𝘯 𝘉𝘶𝘪𝘭𝘥𝘪𝘯𝘨
✅ Cost Saving
✅ Enhanced Governance
✅ Lesser Political Divisiveness
✅ Better planning & implementation
Sign the petition by clicking the link below and show your support to adopt One Nation One Election
https://chng.it/m5kDQ7FjhJ
Warm Regards
Smilofy India Foundation
Pls sign and help us get more signatures 🙏
Change.org
This campaign needs you now
One Nation, One Election Initiative in India
India, France to sign their largest-ever defence deal on April 28🛬
The deal, estimated at over ₹63,000 crore, will be signed in the presence of French Defence Minister Sebastien Lecornu.
This contract will include 22 single-seater and four twin-seater Rafale jets.
The deal, estimated at over ₹63,000 crore, will be signed in the presence of French Defence Minister Sebastien Lecornu.
This contract will include 22 single-seater and four twin-seater Rafale jets.
दीवारों पर गोबर लगाने से कमरा ठंडा होता है? इस सवाल का AI ने क्या जवाब दिया..? और गोबर कौनसा होना चाहिए ये भी बताया
हां, दीवार पर गोबर लगाने से कमरा ठंडा हो सकता है। गोबर एक प्राकृतिक इन्सुलेटर है, जो गर्मी को कम करता है और तापमान को नियंत्रित करता है। यह खासकर गर्म जलवायु में प्रभावी है, क्योंकि इसकी तापीय चालकता कम होती है। परंपरागत रूप से, भारत में गोबर को दीवारों पर प्लास्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी देता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, गोबर में सेल्यूलोज रेशे होते हैं, जो इसे बेहतर इन्सुलेटर बनाते हैं। हालांकि, प्रभाव दीवार की मोटाई और लगाने के तरीके पर निर्भर करता है। आधुनिक वेदिक प्लास्टर जैसे उत्पाद भी गोबर का उपयोग करते हैं, जो ऊर्जा बचत में मदद करते हैं।
गोबर गाय का ही होना चाहिए या भैंस का भी चलेगा ? और सीमेंट की दीवार(गांवों में मिट्टी की दीवार पर गोबर लगाते थे) पर अंदर से गोबर लीपना संहि होगा या बाहर से ग्रीन नेट लगा दिया जाए ताकि धूप ही ज्यादा न लगे ? कौन सा उपाय संहि है?
गाय का गोबर पारंपरिक रूप से दीवारों के लिए बेहतर है, क्योंकि इसके इन्सुलेशन गुण अच्छे हैं और यह ज्यादा अध्ययन किया गया है। भैंस का गोबर भी काम कर सकता है, लेकिन यह कम प्रचलित है। सीमेंट की दीवार पर अंदर से गोबर-आधारित प्लास्टर, जैसे वैदिक प्लास्टर, लगाना इन्सुलेशन देता है। बाहर ग्रीन नेट लगाना धूप कम करने के लिए ज्यादा प्रभावी है। दोनों का संयोजन सबसे अच्छा है, लेकिन गर्मी कम करने के लिए ग्रीन नेट बाहर लगाना बेहतर है।
हां, दीवार पर गोबर लगाने से कमरा ठंडा हो सकता है। गोबर एक प्राकृतिक इन्सुलेटर है, जो गर्मी को कम करता है और तापमान को नियंत्रित करता है। यह खासकर गर्म जलवायु में प्रभावी है, क्योंकि इसकी तापीय चालकता कम होती है। परंपरागत रूप से, भारत में गोबर को दीवारों पर प्लास्टर के रूप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। यह गर्मियों में ठंडक और सर्दियों में गर्मी देता है।
वैज्ञानिक अध्ययनों के अनुसार, गोबर में सेल्यूलोज रेशे होते हैं, जो इसे बेहतर इन्सुलेटर बनाते हैं। हालांकि, प्रभाव दीवार की मोटाई और लगाने के तरीके पर निर्भर करता है। आधुनिक वेदिक प्लास्टर जैसे उत्पाद भी गोबर का उपयोग करते हैं, जो ऊर्जा बचत में मदद करते हैं।
गोबर गाय का ही होना चाहिए या भैंस का भी चलेगा ? और सीमेंट की दीवार(गांवों में मिट्टी की दीवार पर गोबर लगाते थे) पर अंदर से गोबर लीपना संहि होगा या बाहर से ग्रीन नेट लगा दिया जाए ताकि धूप ही ज्यादा न लगे ? कौन सा उपाय संहि है?
गाय का गोबर पारंपरिक रूप से दीवारों के लिए बेहतर है, क्योंकि इसके इन्सुलेशन गुण अच्छे हैं और यह ज्यादा अध्ययन किया गया है। भैंस का गोबर भी काम कर सकता है, लेकिन यह कम प्रचलित है। सीमेंट की दीवार पर अंदर से गोबर-आधारित प्लास्टर, जैसे वैदिक प्लास्टर, लगाना इन्सुलेशन देता है। बाहर ग्रीन नेट लगाना धूप कम करने के लिए ज्यादा प्रभावी है। दोनों का संयोजन सबसे अच्छा है, लेकिन गर्मी कम करने के लिए ग्रीन नेट बाहर लगाना बेहतर है।
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
राहुल गाँधी का यह statement सुन कर बताइये इसमें क्या गलती है 😂
सुप्रीम कोर्ट की मूर्खता का एक और नमूना देखिए।
इसके लिये आपको 2004 में लिए चलते हैं।
बेस्ट बेकरी केस की सुनवाई गुजरात के हाई कोर्ट में चल रही है। 12 अप्रैल 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए केस को मुम्बई ट्रांसफर कर दिया कि उन्हें गुजरात गवर्नमेंट पर भरोसा नहीं है। क्यों भरोसा नहीं है? क्योंकि वहाँ भाजपा की सरकार है, नरेन्द्र मोदी की सरकार है। महाराष्ट्र पर भरोसा क्यों है? क्योंकि वहाँ कांग्रेस की सरकार है।
भाई, केस की सुनवाई हाई कोर्ट करेगा या सरकार करेगी? हाई कोर्ट करेगा न? मतलब जज करेगा? वही जज जिसे आपकी कॉलेजियम ने ही नियुक्त किया है। मतलब वो आपका अपना आदमी है। तो फिर आपको उस पर भरोसा क्यों नहीं है? भई, कमाल है! खुद ही जज बनाते हो और खुद के बनाये जज पर ही भरोसा नहीं करते। तो इसका मतलब यही हुआ न कि आपका कॉलेजियम सिस्टम सही लोगों की पहचान करने में नाकामयाब रहा है। तो फिर बदल क्यों नहीं देते ऐसे घटिया कॉलेजियम सिस्टम को जो सही और गलत इंसान की पहचान ही नहीं कर पा रहा। और अगर खुद नहीं बदल पा रहे तो जो बदलना चाह रहा है और जिसके पास ऐसा करने का संवैधानिक अधिकार भी है, उसे बदलने दो ना। पर ना! न खुद बदलना है, न संसद को बदलने देना है। मतलब कॉलेजियम सिस्टम न हुआ, अल्लाह का सिस्टम हो गया कि वो sacrosanct है, उसमें फेर बदल हो ही नहीं सकता।
अच्छा चलिए! शायद आप ये कहना चाह रहे हैं कि समस्या जजों के साथ नहीं है। जज तो हमने अच्छे नियुक्त किये हैं पर ये जो नरेन्द्र मोदी की सरकार है न गुजरात में वो गवाहों को influence करने का प्रयास कर रही है, उन्हें धमका रही है, उन्हें तोड़ने का प्रयास कर रही है। इसीलिए केस को मुम्बई ट्रांसफर कर रहे हैं। क्योंकि महाराष्ट्र में तो कांग्रेस की सरकार है न!
पर उससे क्या हुआ? भाजपा वालों को गवाहों को धमकाना हो तो उसके लिए मुम्बई जाने की जरूरत थोड़ी न है। गवाह तो गुजरात में ही रहेंगे न? जब गवाही देनी होगी तभी मुम्बई जायेंगे न? तो गुजरात में ही धमका देंगे। मुम्बई जा के वही कहेंगे जो भाजपा वाले उन्हें कहने को कहेंगे। और ऐसा तो है नहीं कि मुम्बई में भाजपा के लोग नहीं हैं, वहाँ भी हैं। तो वो भी अलग से धमका देंगे गवाहों को। काम हो जाएगा।
क्या कहा? भाजपा वाले ऐसा नहीं कर पायेंगे। क्यों? क्योंकि आप गवाहों को मुम्बई भेज देंगे। अब वो वहीं रहेंगे, केस का फैसला आने तक। पर भाई साहब! आपको पता है न कि अभी अप्रैल का महीना चल रहा है। और मात्र छह महीने के बाद, यानि कि अक्टूबर 2004 में, महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तो उस समय अगर भाजपा जीत गई तो? महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार बन गई तो? तो फिर कहाँ ट्रांसफर करेंगे केस को? कर्नाटक में? पर मई 2004 में तो कर्नाटक में भी चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अगर वहाँ भी पहले से भाजपा की सरकार हुई तो? कहाँ ट्रांसफर करेंगे? केरल में? हाँ, ये ठीक रहेगा, क्योंकि केरल में भाजपा के सत्ता में आने का अभी दूर दूर तक कोई सीन नहीं है। तो मुम्बई क्यों? अभी से ही केरल ट्रांसफर कर दीजिये केस को! कोई टेंशन ही नहीं रहेगी। वहाँ या तो LDF आयेगी या UDF, BJP का कोई चाँस ही नहीं है।
मतलब सोचिये! कितना हास्यास्पद था, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेस्ट बेकरी केस को गुजरात से बाहर महाराष्ट्र ट्रांसफर करने का फैसला। तर्कशून्य! मतलब इन्होंने जस्टिस डिलीवर करने के लिए ऐसा process बनाया हुआ है जो इस बात पर निर्भर करता है कि वहाँ सरकार किसकी है। मतलब इन्हें अपने judges पर, अपने processes पर ही भरोसा नहीं है। क्या ऐसी कल्पना की थी हमारे संविधान निर्माताओं ने कि इधर का केस उधर करो, उधर का केस इधर करो। तभी न्याय मिलेगा।
और ये बेस्ट बेकरी का केस कोई एक्सेप्शन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ऐसा अक्सर करता रहता है। खास कर भाजपा शासित राज्यों में। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन "फर्जी" मुठभेड़ मामले की सुनवाई भी, जिसमें CBI ने गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह को आरोपी बनाया था, मुंबई स्थानांतरित कर दी थी। पर अक्टूबर 2014 में महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई। इससे पहले कि सुप्रीम कोर्ट उस केस को किसी ओर राज्य में ट्रांसफर करने की सोचे, दिसंबर 2014 में CBI कोर्ट ने अमित शाह को इस मामले से बाइज़्ज़त बरी कर दिया।
करते रहिये ट्रांसफर!
इसके लिये आपको 2004 में लिए चलते हैं।
बेस्ट बेकरी केस की सुनवाई गुजरात के हाई कोर्ट में चल रही है। 12 अप्रैल 2004 को सुप्रीम कोर्ट ने यह कहते हुए केस को मुम्बई ट्रांसफर कर दिया कि उन्हें गुजरात गवर्नमेंट पर भरोसा नहीं है। क्यों भरोसा नहीं है? क्योंकि वहाँ भाजपा की सरकार है, नरेन्द्र मोदी की सरकार है। महाराष्ट्र पर भरोसा क्यों है? क्योंकि वहाँ कांग्रेस की सरकार है।
भाई, केस की सुनवाई हाई कोर्ट करेगा या सरकार करेगी? हाई कोर्ट करेगा न? मतलब जज करेगा? वही जज जिसे आपकी कॉलेजियम ने ही नियुक्त किया है। मतलब वो आपका अपना आदमी है। तो फिर आपको उस पर भरोसा क्यों नहीं है? भई, कमाल है! खुद ही जज बनाते हो और खुद के बनाये जज पर ही भरोसा नहीं करते। तो इसका मतलब यही हुआ न कि आपका कॉलेजियम सिस्टम सही लोगों की पहचान करने में नाकामयाब रहा है। तो फिर बदल क्यों नहीं देते ऐसे घटिया कॉलेजियम सिस्टम को जो सही और गलत इंसान की पहचान ही नहीं कर पा रहा। और अगर खुद नहीं बदल पा रहे तो जो बदलना चाह रहा है और जिसके पास ऐसा करने का संवैधानिक अधिकार भी है, उसे बदलने दो ना। पर ना! न खुद बदलना है, न संसद को बदलने देना है। मतलब कॉलेजियम सिस्टम न हुआ, अल्लाह का सिस्टम हो गया कि वो sacrosanct है, उसमें फेर बदल हो ही नहीं सकता।
अच्छा चलिए! शायद आप ये कहना चाह रहे हैं कि समस्या जजों के साथ नहीं है। जज तो हमने अच्छे नियुक्त किये हैं पर ये जो नरेन्द्र मोदी की सरकार है न गुजरात में वो गवाहों को influence करने का प्रयास कर रही है, उन्हें धमका रही है, उन्हें तोड़ने का प्रयास कर रही है। इसीलिए केस को मुम्बई ट्रांसफर कर रहे हैं। क्योंकि महाराष्ट्र में तो कांग्रेस की सरकार है न!
पर उससे क्या हुआ? भाजपा वालों को गवाहों को धमकाना हो तो उसके लिए मुम्बई जाने की जरूरत थोड़ी न है। गवाह तो गुजरात में ही रहेंगे न? जब गवाही देनी होगी तभी मुम्बई जायेंगे न? तो गुजरात में ही धमका देंगे। मुम्बई जा के वही कहेंगे जो भाजपा वाले उन्हें कहने को कहेंगे। और ऐसा तो है नहीं कि मुम्बई में भाजपा के लोग नहीं हैं, वहाँ भी हैं। तो वो भी अलग से धमका देंगे गवाहों को। काम हो जाएगा।
क्या कहा? भाजपा वाले ऐसा नहीं कर पायेंगे। क्यों? क्योंकि आप गवाहों को मुम्बई भेज देंगे। अब वो वहीं रहेंगे, केस का फैसला आने तक। पर भाई साहब! आपको पता है न कि अभी अप्रैल का महीना चल रहा है। और मात्र छह महीने के बाद, यानि कि अक्टूबर 2004 में, महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव होने वाले हैं। तो उस समय अगर भाजपा जीत गई तो? महाराष्ट्र में भी भाजपा की सरकार बन गई तो? तो फिर कहाँ ट्रांसफर करेंगे केस को? कर्नाटक में? पर मई 2004 में तो कर्नाटक में भी चुनाव होने वाले हैं, ऐसे में अगर वहाँ भी पहले से भाजपा की सरकार हुई तो? कहाँ ट्रांसफर करेंगे? केरल में? हाँ, ये ठीक रहेगा, क्योंकि केरल में भाजपा के सत्ता में आने का अभी दूर दूर तक कोई सीन नहीं है। तो मुम्बई क्यों? अभी से ही केरल ट्रांसफर कर दीजिये केस को! कोई टेंशन ही नहीं रहेगी। वहाँ या तो LDF आयेगी या UDF, BJP का कोई चाँस ही नहीं है।
मतलब सोचिये! कितना हास्यास्पद था, सुप्रीम कोर्ट द्वारा बेस्ट बेकरी केस को गुजरात से बाहर महाराष्ट्र ट्रांसफर करने का फैसला। तर्कशून्य! मतलब इन्होंने जस्टिस डिलीवर करने के लिए ऐसा process बनाया हुआ है जो इस बात पर निर्भर करता है कि वहाँ सरकार किसकी है। मतलब इन्हें अपने judges पर, अपने processes पर ही भरोसा नहीं है। क्या ऐसी कल्पना की थी हमारे संविधान निर्माताओं ने कि इधर का केस उधर करो, उधर का केस इधर करो। तभी न्याय मिलेगा।
और ये बेस्ट बेकरी का केस कोई एक्सेप्शन नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ऐसा अक्सर करता रहता है। खास कर भाजपा शासित राज्यों में। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने सोहराबुद्दीन "फर्जी" मुठभेड़ मामले की सुनवाई भी, जिसमें CBI ने गुजरात के पूर्व मंत्री अमित शाह को आरोपी बनाया था, मुंबई स्थानांतरित कर दी थी। पर अक्टूबर 2014 में महाराष्ट्र में देवेंद्र फडणवीस के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बन गई। इससे पहले कि सुप्रीम कोर्ट उस केस को किसी ओर राज्य में ट्रांसफर करने की सोचे, दिसंबर 2014 में CBI कोर्ट ने अमित शाह को इस मामले से बाइज़्ज़त बरी कर दिया।
करते रहिये ट्रांसफर!
झारखंड में मारे गए 6 नक्सली, बोकारो के जंगलों में हुआ सुरक्षाबलों से आमना-सामना
🇮🇳⚡🇧🇩 India suspends funding for Bangladesh railway projects valued at around ₹5000 crores.
This media is not supported in your browser
VIEW IN TELEGRAM
This is Divine ❤️
Media is too big
VIEW IN TELEGRAM
Theives from Bangladesh caught red-handed and serviced by the locals of Tripura, near Indo-Bangladesh border.
🇮🇳 📁 Explore this finest catalogue to discover best Telegram channels covering a wide range of topics! Stay updated on live events, and dive into the latest discussions on geopolitics, finance, culture, and more.
👉 🇮🇳INDIAN CHANNELS
👉 🇬🇧ENGLISH CHANNELS
▪️ Interested in joining this catalogue? Reach out to us at @gaganautspr
👉 🇮🇳INDIAN CHANNELS
👉 🇬🇧ENGLISH CHANNELS
▪️ Interested in joining this catalogue? Reach out to us at @gaganautspr