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Pahalgam terror attack — Sketch of the terrorists released.

If you recognize them or have any information — immediately inform the Security Agencies.

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इनके विचार देखिये
पहलगाम हमला: मुजफ्फराबाद और कराची के 'सेफ हाउस' से टच में थे आतंकी, डिजिटल फुटप्रिंट मिले
पहलगाम हमले पर जश्न मनाने वाले गिरफ्तार
First photo of Pahalgam terrorists RELEASED
कटटर हिन्दू विशेष ध्यान दें 👇

दो मौके बहोत नाजुक होते हैं जहाँ आपको धैर्य दिखाना चाहिए, बाकी सारी साल आप मोदी के खिलाफ़ आग उगलते रहिये कोई दिक्कत नहीं।

पहला मौका - जब देश में या किसी राज्य में चुनाव हो तब आपको आपके नेता या पार्टी की सार्वजनिक आलोचना से बचना चाहिए। क्यूंकि आपके नकारात्मक आचरण से विपक्ष को फ़ायदा होने के चांस बढ़ जाते हैं नतीजा आपका नेता या पार्टी को हार का समना करना पड़ता है।

दूसरा मौका - जब देश पर कोई संकट आया हो (प्राकृतिक आपदा, शत्रु देश का हमला, महामारी या आतंकवादी हमला ) ये बहुत ही सेंसिटिव मामला होता है। इसमें हमारी सरकार के साथ साथ हम नागरिकों को भी बहोत धर्य और maturity दिखानी चाहिए। सरकार की आलोचना से बचना चाहिए। सोशल मीडिया पटल पर शत्रु देश ना सिर्फ हमारी सरकार की कार्यवाही पर नज़र रखता है, बल्कि हमारे नागरिकों के आचरण और मूड को भी निगरानी में रखता है। ऐसे में हम अपने ही देश की सरकार को कोस कर शत्रु को मज़बूत करते हैँ।।

बस ये मौके छोड़ दो बाकी 24X7 आप मोदी को गरिया सकते हो।।

जय हिन्द

- सुशील शर्मा
इंदिरा गांधी को भी इसीलिए मारा गया था क्योंकि सिख खुद को कमजोर महसूस कर रहे थे, इंदिरा के शासन में।

राजीव गांधी को इसलिए मारा गया क्योंकि राजीव गांधी ने तमिलों के दमन के लिए सेना भेजी। सिख भी सही थे और तमिल भी।
एक परिवार बतौर टूरिस्ट कश्मीर गया- अच्छी खासी लागत लगा साल भर की थकान, अपने इलाके की गर्मी से बचने कश्मीर गया।

वहाँ आतंकी हमला हुआ- और परिवार का मुखिया अपने परिवार की सुरक्षा के लिए थर थर काँपता हुआ- पहली मौत मरा ।

जब उसे खचेड़ कर बाहर निकाला गया तो बंदूकों को देख ख़ौफ़ से वो दूसरी मौत मरा ।

तीसरी मौत वो तब मरा जब उसे पूछा गया तेरा मजहब क्या है, तेरा धर्म क्या है। इस पल उसे अहसास हुआ- मेरा धर्म ही मेरी मौत का कारण है।

चौथी मौत वो तब मरा जब उसे उसके परिवार के सामने पैंट खोलने को कहा गया। शारीरिक रूप से एक अंग के छेदन ना होने से उसे गोली खानी होगी- ये भी एक मृत्यु से कम नहीं।

पाँचवी मौत वो मरा जब गोलियों ने उसका शरीर छलनी कर डाला- उसके परिवार के समक्ष। पत्नी बच्चों के क्रंदन के बीच प्राण छूटना, आत्मा का शरीर से साथ छूटना: सोच कर देखिए कितनी वेदना भरी होगी।

छठी मौत वो जब मरा जब उसकी आत्मा ने देखा कि उसकी पत्नी उसके हत्यारों से मौत माँग रही है और वो अट्टहास करते कह रहे है- जाओ मोदी को सब बताना।

सातवी मौत वो तब मरा जब उसकी आत्मा ने देखा- ज़माने भर के लोग उसको हत्यारों को डिफेंड करने तमाम कुतर्क गढ़ रहे है।

आठवी मौत वो तब मरा जब उसने पाया लोग उसे ही कोस रहे है कि वो आख़िर कश्मीर घूमने गया ही क्यों?

नौवी मौत वो तब मरा जब उसके लिए मुस्कुराते हुए भेड़ियों ने मोमबत्ती मार्च निकाला।

दसवीं मौत वो मरा जब उसकी हत्या का जिम्मेदार मज़हबी कारण ना बताते हुए केवल आतंकी हमला ठहरा दिया गया।

नरसंहार में मारे गए २७ लोग केवल एक मृत्यु नहीं मरे है- वो दस बार मरें है!

- मान जी
हिन्दी की सारी लेखक लॉबी उतर गई है आतंकियों को भोला और मासूम सिद्ध करने के लिए। अस्सी-नब्बे साल के वे बुड्ढे भी, जिन्होंने दशकों पहले अपना घुंघरू टांग दिया था। सब उछल रहे हैं, नाच रहे हैं। नाचते नाचते वस्त्र खुल गए हैं, विचार नंगा हो गया है, पर उन्हें कोई लज्जा नहीं... माल मोटा मिला है शायद! दारू और बिरयानी के ऑफर कई अड्डों से मिले हैं शायद... सम्भव है कि चार दिन बाद किसी साहित्यिक कार्यक्रम के बाद "तू लगावेलू जब लिपिस्टिक" जैसे गानों पर मादक नृत्य की वीडियो आ जाये...
इनकी पोस्ट पढिये, ऐसा लगेगा जैसे देश के सारे हिन्दू तलवार लेकर सड़कों पर उतर गए हैं और ये किसी भी तरह अल्पसंख्यकों की जान बचाने के लिए लड़ रहे हैं। हर बार की तरह बिल्कुल फर्जी नैरेटिव... न कश्मीर में मरने वालों के लिए कोई संवेदना है, न ही मारने वालों के प्रति कोई क्रोध! किसी भी मूल्य पर आतंकियों को बचा ले जाने की कवायद चल रही है। जो पीड़ित हैं उन्ही पर प्रश्न उठाया जा रहा है, उन्हें ही नफरती बताया जा रहा है। यही इन धूर्तों का एजेंडा है।
"सारे कश्मीरी दूध के धुले हैं। उन्हें पता ही नहीं होता कि उनके बीच कोई आतंकी भी है। वे जानते ही नहीं कि अत्याधुनिक हथियार लेकर घुस रहे आतंकी कहाँ रहते हैं, कहाँ खाते हैं, कहाँ सोते हैं... वे तो पाकिस्तान से आते हैं, मारते हैं और फुर्र से उड़ कर पाकिस्तान चले जाते हैं। लोकल सपोर्ट तो बिल्कुल ही नहीं होता..." इस देश में इससे बड़ा झूठ और क्या ही बोला जा सकता है?
इनका तर्क सुनिये तो सुनने वालों को लज्जा आएगी कि कैसे गद्दारों के बीच जी रहे हैं हम। कह रहे हैं कि दो हजार की भीड़ थी तो मिलिट्री फोर्स की सुरक्षा क्यों नहीं थी? जैसे इस देश में दो हजार लोगों का इकट्ठा होना अपराध हो। बिना मिलिट्री के इकट्ठा होइये तो आतंकियों को हत्या का अधिकार मिल जाता है। दोष आपका है, आप इकट्ठा हुए ही क्यों...
सुरक्षा मुद्दा है, इसके लिए सरकार से प्रश्न भी जरूरी है, पर इसके बहाने आतंकियों को क्लीन चिट देना निर्लज्जता है। आप देखिये, सभी यही कर रहे हैं।
जो जीवन भर राष्ट्रीय भावना का विरोध करते रहे हैं, उन्हें आज राष्ट्र की चिंता हुई है। कह रहे हैं कि मत बोलिये, वरना राष्ट्र खंडित हो जाएगा। सत्ताईस हत्याओं पर उफ तक मत कीजिये, वरना नफरत फैल जाएगी। चुपचाप देखते रहिये, दुबके रहिये...
जिनकी किताबों की कुल 50 प्रतियां नहीं बिकतीं, उनका अहंकार देखिये। वे जो कह रहे हैं, उसके अतिरिक्त हर बात झूठ है। अपने बन्द कमरे में बैठ कर जो उगल दिया, वही सत्य है।
सरकार से प्रश्न किया जाय। सुरक्षा की जिम्मेवारी उसी की है। उन राज्य को हर साल अरबों रुपये का अनुदान सरकार ही देती है। हजार प्रश्न बनते हैं। कार्यवाही का दबाव बनाया जाना चाहिये। लेकिन आतंकियों को क्लीन चिट दे कर नहीं।

- सर्वेश कुमार तिवारी
संकट के समय उन लोगों से बड़ा खतरा होता है... जो system का भाग होते हैं.

मेजर जनरल GD बक्शी जी का पूरा सम्मान है.. उनका और उनके परिवार का किया हुआ बलिदान यह देश हमेशा याद रखेगा...... और मै अपनी बात कहूँ.. तो मै उनके पैर के कतरे बराबर नहीं.

लेकिन संकट के समय दुष्प्रचार करके बक्शी जी ने दिल तोड़ दिया 😭

सच क्या है??

हर 2 वर्ष में सेना के हाई लेवल एक्सपर्ट सेना की जरूरतों की समीक्षा करते हैं उसी समीक्षा के आधार पर सेना की जरूरतों को पूरा किया जाता है ।

सेना में कार्यरत सैनिकों ,सैनिक अधिकारियों और असैनिक कर्मचारियों की छंटनी और भरतियाँ की जाती हैं ।

जी डी बख्शी साहब को सार्वजनिक रूप से ऐसा कहने से पहले सेना मुख्यालय से समस्त कारणों की जानकारी ले लेनी चाहिये थी ।

कथित 1 लाख 80 हजार सैंनिकों की कमी जर्नल विपिन रावत के निर्देशन में बनी हाई लेवल कमेटी की सिफारिश पर हुई थी और ये एक लाख 80 हजार की संख्या उन सैनिकों की थी जो अग्रिम मोर्चे पर युद्ध नही करते थे....लेकिन सेना में अन्य कार्य करते थे.

सेना में सारे सैनिक युद्ध नहीं करते.... यह बड़ी है सामान्य सी बात है.

खैर.
BREAKING:
Modi government takes some very strict decisions :-

– International Border to be sealed permanently including Atari
– Pakistani nationals given 48 hrs to leave India

-The Indus Water Treaty will be held in abeyance with immediate effect
– Pakistan High Commission officers will be sent back
– Forces given free hand to respond
-India will withdraw its Naval, Defence, and Air Advisors from the Indian High Commission in Islamabad
Military, AirForce and Naval action will follow
यह एक अच्छी शुरुआत है ..

1. पाकिस्तान की जल पर निर्भरता:
• पाकिस्तान की कृषि का लगभग 80% हिस्सा सिंधु नदी प्रणाली पर निर्भर है।
• पश्चिमी नदियाँ — सिंधु, झेलम और चिनाब — पाकिस्तान के लिए:
• सिंचाई
• पीने के पानी
• हाइड्रोपावर उत्पादन का प्रमुख स्रोत हैं।

यदि, भारत इन नदियों का पानी रोकता है या बहाव कम करता है, तो पाकिस्तान में सूखा, फसलें खराब होना और कृषि संकट गहराने की आशंका है।



2. ऊर्जा संकट:
• पाकिस्तान के बिजली उत्पादन का बड़ा हिस्सा जल-विद्युत (हाइड्रोपावर) से आता है, जैसे:
• मंगला डैम (झेलम)
• टर्बेला डैम (सिंधु)
• पानी की आपूर्ति घटने से बिजली कटौती, लोड शेडिंग, और उद्योगों पर प्रभाव पड़ेगा।



3. खाद्य सुरक्षा का खतरा:
• सिंचाई घटने से गेंहू, चावल, कपास जैसी मुख्य फसलें प्रभावित होंगी।
• इससे खाद्य संकट, कीमतों में वृद्धि, और आयात पर निर्भरता बढ़ सकती है।



4. राजनीतिक और सामाजिक तनाव:
• पाकिस्तान में जल एक भावनात्मक मुद्दा है।
• भारत द्वारा संधि का निलंबन:
• पाकिस्तान में जनता का आक्रोश भड़का सकता है।जो भारत अब चाहता है ..
• उग्रपंथी तत्वों को भारत विरोधी भावना भड़काने का मौका मिलेगा। जो , भारत अब चाहता है ।
• राजनीतिक अस्थिरता उत्पन्न हो सकती है। होती रहे ।



5. अंतरराष्ट्रीय और कानूनी परिणाम:
• सिंधु जल संधि एक विश्व बैंक समर्थित समझौता है (1960 में हुआ था)।
• यदि भारत इसे एकतरफा निलंबित करता है, तो:
• पाकिस्तान अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) में जा सकता है। जाये ।
• संयुक्त राष्ट्र या अन्य देशों से हस्तक्षेप की मांग कर सकता है।करे ।
• भारत की वैश्विक छवि प्रभावित हो सकती है।होती रहे । छवि, लेकर चाटना नहीं है ।



6. भारत के लिए रणनीतिक लाभ:
• भारत इस मुद्दे को राजनयिक दबाव के रूप में प्रयोग कर सकता है — विशेषकर सीमा पार आतंकवाद और कश्मीर के संदर्भ में।
• भारत नदियों पर:
• बांध और जलाशय बना सकता है,
• पानी अपने उपयोग में ला सकता है (संधि की सीमा में या उससे आगे जाकर)।

समर्थन, पूर्ण समर्थन इस प्रयोजन का ..
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सरताज अजीज, पाक प्रधानमंत्री के सलाहकार ने 2016 में कहा था -
"कानून कहता है कि भारत एकतरफा तरीके से सिंधु जल संधि से खुद को अलग नहीं कर सकता। इस निरस्तीकरण को युद्ध की कार्रवाई माना जा सकता है।"

लो पाकिस्तानियो... हम ने कर दिया युद्ध का ऐलान.... अब जो उखाड़ सको उखाड़ लो