संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
4.4K subscribers
3.04K photos
281 videos
304 files
5.76K links
Daily dose of Sanskrit.

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Download Telegram
🍃यथा सर्वगतं सौक्ष्म्यादाकाशं नोपलिप्यते।
सर्वत्रावस्थितो देहे तथाऽऽत्मा नोपलिप्यते
।।13.33।।

♦️yathaa sarvagataM saukShmyaadaakaashaM nopalipyate|
sarvatraavasthito dehe tathaa''tmaa nopalipyate

As the all-pervading ether is not tainted, because of its subtlety, so the Self seated everywhere in the body is not tainted.(13.33)

जिस प्रकार सर्वगत आकाश सूक्ष्म होने के कारण लिप्त नहीं होता उसी प्रकार सर्वत्र देह में स्थित आत्मा लिप्त नहीं होता।।13.33।।

#geeta
प्रशासक समिति 🚩

🚩जय सत्य सनातन
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२४
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७९
🚩तिथि - अष्टमी सुबह 11:34 तक तत्पश्चात नवमी

दिनांक - 23 मई 2022
दिन - सोमवार
विक्रम संवत - 2079
शक संवत - 1944
अयन - उत्तरायण
ऋतु - ग्रीष्म
मास - ज्येष्ठ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - शतभिषा रात्रि 10:22 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद
योग - वैधृति रात्रि 01:06 तक तत्पश्चात विष्कम्भ
राहुकाल - सुबह 07:36 से 09:16 तक
सूर्योदय - 05:56
सूर्यास्त - 07:17
दिशाशूल - पूर्व दिशा में
ब्रह्म मुहूर्त- प्रातः 04:31 से 05:13 तक
https://m.youtube.com/watch?v=uRLuuDxfgLM

प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
SB Course Profile - IGCSE Sanskrit 2022-23.pdf
228 KB
SB Course Profile - IGCSE Sanskrit 2022-23.pdf
SB Course Profile - Sanskrit for Beginners 2022-23.pdf
220.6 KB
SB Course Profile - Sanskrit for Beginners 2022-23.pdf
Sanskrut Bhakti Course Flyer 2022-23.pdf
241.9 KB
Sanskrut Bhakti Course Flyer 2022-23.pdf
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

Read in English
हिन्दी में पढें


#chitram
🍃नापृष्टः कस्यचिद्-ब्रूयात्,न चान्यायेन पृच्छतः।
जानन्नपि हि मेधावी, जडवल्लोक आचरेत्

-मनुस्मृतिः 2.113

A wise person should not teach w/o being asked for knowledge. One must never teach/answer when the question is not posed with correct intentions(out of arrogance etc.) In the absence of genuine intent of the questioner, may a wise person even if knowing everything behave as if stupid in this world.

🔅विद्वान् व्यक्तिः तावत् न वदति तावत् कोऽपि तं न पृच्छति तदापि न वदति यदा कोऽपि अन्यायेन(अनुचितरीत्या) पृच्छति, सः सर्वं जानन् अपि मूढवत् आचरणं करोति।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
संस्कृतं वद आधुनिको भव। वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।। पाठ: (40) कृदन्त 7 (क्त्वा + णमुल् प्रत्ययौ) + तुमुन् प्रत्ययाः (”बार-बार करना“ इस अर्थ में एक ही वाक्य में प्रयुक्त समान = एक कर्त्तावाली दो धातुओं में से पूर्वकालिक धातु से क्त्वा तथा णमुल् प्रत्ययों का…
तुमुन् प्रत्यय

(”के लिए“ अर्थ में एक वाक्य में प्रयुक्त समान कर्तावाली दो या दो से अधिक धातुओं का प्रयोग होने पर पूर्वकालिक धातु/धातुओं से तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है। तुमुनान्त क्रियावाची शब्द भी अव्यय होने से सभी विभक्तियों में इसके रूप नहीं चलते। अर्ह तथा शक् धातुओं के साथ भी तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग होता है।)

भोक्तुं बालो गृहं व्रजति
= खाने के लिए बच्चा घर जा रहा है।

चिकित्सालये गहनचिकित्साप्रकोष्ठे (आय.सी.यू.) विद्यमानं स्वकं पितरं द्रष्टुं स आकुली भवति
= अस्पताल में गहन चिकित्सा कक्ष में विद्यमान अपने पिता को देखने के लिए वह व्याकुल हो रहा है।

भोजनार्थं घण्टिका निनादिता, भोक्तुं गच्छामि
= भोजन की घण्टी बज गई है, खाने के लिए जा रहा/रही हूं।

सुखेन जीवितुं स्वाधीनं राष्ट्रं स्यात्
= सुख से जीने के लिए राष्ट्र स्वाधीन होना चाहिए।

भारतदेशं स्वाधीनं कर्त्तंु प्रयतेमहि
= भारत को स्वाधीन करने के लिए हमें प्रयत्न करना चाहिए।

सम्यक् कार्याणि विधातुं पूर्वं सम्यक् ज्ञानं स्यात्
B= कार्यों को ठीक तरह से करने के लिए पहले सटीक ज्ञान होना चाहिए।

स्व-संस्कृतिं रक्षितुं सर्वे जाग्रतु
= अपनी संस्कृति की रक्षा के लिए सभी जागृत होवें।

स्वराष्ट्रं निर्मातुं जात्याग्रहं त्यजेत्
= स्वराज्य के निर्माण के लिए जातिवाद का त्याग करना चाहिए।

स्वाम्याज्ञां विना समर्थः सेवकोऽपि किं कर्त्तुमर्हति
= स्वामी के आदेश के बिना समर्थ सेवक भी क्या कर सकता है ?

व्यस्ते जीवने जनानां समीपे पर्यटितुं कालोऽस्ति, किन्तु धर्मं ज्ञातुं नास्ति
= व्यस्त जीवन में भी लोगों के पास घूमने-फिरने के लिए तो समय है पर धर्म को जानने के लिए नहीं है।

स्वसंस्कृतिम् उन्नेतुं गुरुकुलानि सर्वथा आवश्यकानि
= अपनी संस्कृति के उत्थान के लिए गुरुकुल व्यवस्था नितान्त आवश्यक है।

बालकान् गुरुकुलं प्रेषयितुमद्यापि जनाः उत्सुकाः सन्ति, किन्तु न स्वबालान्
= गुरुकुल में बच्चों को भेजने के लिए आज भी लोग उत्सुक हैं, किन्तु अपने बच्चों को छोड़कर।

अद्यत्वे सर्वे केवलं धनं प्राप्तुमेवाऽधीयते
= आजकल सब धनप्राप्ति के लिए ही पढ़ते हैं।

महदाश्चर्यमेतत् आध्यात्मिकज्ञानरूपां नावं विना दुःखसागरं तरितुमिच्छति
= बहुत आश्चर्य की बात है आध्यात्मिक ज्ञानरूपी नाव के बिना दुःखसागर पार करना चाहते हैं।

छिन्नपक्षः पुरुषार्थशतेनाऽपि उड्डयितुं न समर्थः पंखकटा
= पक्षी लाख कोशिश करने पर भी उड़ने में समर्थ नहीं होता।

विशाखं वृक्षं क आश्रयितुं वा´्छति ?
= विना शाखा के पेड़ का आश्रय कौन लेना चाहता है ?

कृपया उपवेष्टुं कि´्चित स्थानं दद्यात्
= कृपा करके बैठने के लिए थोड़ा स्थान दीजिए।

शय्यायां शयितुं मनः कामयते
= मन खाट पर सोने की इच्छा कर रहा है।

सर्वप्रदम् ईश्वरं ध्यातुं कस्यापि समीपे कालो नास्ति
= सबकुछ देनेवाले ईश्वर का ध्यान करने के लिए किसी के पास भी समय नहीं है।

चलितुं शिक्षमाणः बालः मुहुर्मुहुः पतति
= चलना सीखता हुआ बच्चा बार-बार गिर रहा है।

अविनाशी तु तद्विद्धि येन सर्वमिदं ततम्। विनाशमव्ययस्यास्य न कश्चित्कर्त्तुमर्हति
= उसे तू अविनाशी जान जिसने यह संसार फैलाया है। इस अव्यय = अविनाशी का कोई विनाश नहीं कर सकता।

समर्थं को पराजेतुं शक्नोति ?
= समर्थ को कौन पराजित कर सकता है ?

ईश्वरं तिरस्कर्तुं कः समर्थः ?
= ईश्वर का तिरस्कार अर्थात् उसकी आज्ञा का उल्लंघन कौन कर सकता है ?

#vakyabhyas
"पादरक्षकाभ्यां विना वयं तु चलितुं शक्नुमः परन्तु अस्माभिः विना पादरक्षके चलितुं न शक्नुतः।"
आत्ममन्थनशिबिरे राहुलस्य एतद् भाषणम्। 😜

#hasya
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.34]
🍃यथा प्रकाशयत्येकः कृत्स्नं लोकमिमं रविः।
क्षेत्रं क्षेत्री तथा कृत्स्नं प्रकाशयति भारत
।।13.34।।

♦️yathaa prakaashayatyekaH kRRitsnaM lokamimaM raviH|
kShetraM kShetrii tathaa kRRitsnaM prakaashayati bhaarata

Just as the one sun illumines the whole world, so also the Lord of the field (Supreme Self) illumines the whole field, O Arjuna.(13.34)

हे भारत जिस प्रकार एक ही सूर्य इस सम्पूर्ण लोक को प्रकाशित करता है उसी प्रकार एक ही क्षेत्री (क्षेत्रज्ञ) सम्पूर्ण क्षेत्र को प्रकाशित करता है।।13.34।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [13.35]