संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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. ॐ
शिक्षकः - गृहकार्यार्थं दत्तानां प्रश्नानाम् उत्तराणि लिखितानि किम् ?
छात्रः - न आचार्य महोदय !
शिक्षकः - किं कारणम् ?
छात्रः - महोदय ! मम पिता अन्यत् कार्यार्थम् आदिनं गृहात् बहिः आसीत् ।
--------- संस्कृतानन्दः ।

#hasya
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।

Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.

अरुणेनेव बोधेन पूर्वं संतमसे हृते।
तत आविर्भवेदात्मा स्वयमेवांशुमानिव।।43।।

43. The Lord of the early dawn (Aruna) himself has already looted away the thick darkness, when soon the sun rises. The Divine Consciousness of the Self rises when the right knowledge has already killed the darkness in the bosom.

आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 43:

आत्म-बोध के 43rd श्लोक में आचार्यश्री हमें एक अत्यंत महत्वपूर्ण एवं प्रचलित प्रश्न का उत्तर दे रहे हैं। शास्त्र के ज्ञान की क्या आवश्यकता होती है ? क्या हम लोग सीधे ध्यान और समाधी का अभ्यास नहीं कर सकते हैं? इसका उत्तर एक दृष्टांत से देते हैं - जैसे सूर्य के उदय से पूर्व उनका अरुण नामक सारथि अपना रथ लेकर आता है और ज़्यादातर अन्धकार को दूर कर देता है और फिर सूर्य देवता उदित होते हैं। उसी प्रकार से हमें पहले वेदान्त का अध्यन करकेअपने अन्दर अनेकानेक मोह दूर करने होते हैं, तत्पश्च्यात अज्ञान को दूर करते हैं - जिससे आत्मा का अपरोक्ष-साक्षात्कार होता है।

#Atmabodha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : काश्मीरे हिन्दूनां पलायनम्
(Exodus of Hindus from kashmir)
THE KASHMIR FILES
दिनाङ्कः : 16th March 2022,
बुधवासरः

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😇 यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (तस्मिन् समये हिन्दूजनैः सह किं किं जातम् ,तथा चलचित्रे किं किं प्रदर्शितम् अस्ति) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇

स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु


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BVGch10vs14
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.14]
🍃सर्वमेतदृतं मन्ये यन्मां वदसि केशव।
न हि ते भगवन् व्यक्ितं विदुर्देवा न दानवाः
।।10.14।।

♦️sarvametadRRitaM manye yanmaaM vadasi keshava|
na hi te bhagavan vyak्itaM vidurdevaa na daanavaaH10.14

O Krishna, I believe all that You have told Me to be true. O Lord, neither the Devas nor the demons fully understand Your manifestations. (See also 4.06) (10.14)

हे केशव जो कुछ भी आप मेरे प्रति कहते हैं इस सबको मैं सत्य मानता हूँ। हे भगवन् आपके (वास्तविक) स्वरूप को न देवता जानते हैं और न दानव।।10.14।।

#geeta
BVGch10vs15
Swami Brahamananda
श्रीमद्भगवद्गीता [10.15]
🍃स्वयमेवात्मनाऽत्मानं वेत्थ त्वं पुरुषोत्तम।
भूतभावन भूतेश देवदेव जगत्पते
।।10.15।।

♦️svayamevaatmanaa'tmaanaM vettha tvaM puruShottama|
bhuutabhaavana bhuutesha devadeva jagatpate10.15

O Creator and Lord of all beings, God of all gods, Supreme person and Lord of the universe, You alone know Yourself by Yourself. (10.15)

हे पुरुषोत्तम हे भूतभावन हे भूतेश हे देवों के देव हे जगत् के स्वामी आप स्वयं ही अपने आप को जानते हैं।।10.15।।

#geeta
🌞🚩आज का पञ्चाङ्ग🚩 🌞
दिनांक - 16 मार्च 2022
दिन - बुधवार
विक्रम संवत - 2078
शक संवत -1943
अयन - उत्तरायण
ऋतु - वसंत ऋतु
मास - फाल्गुन
पक्ष - शुक्ल
तिथि - त्रयोदशी दोपहर 01:39 तक तत्पश्चात चतुर्दशी
नक्षत्र - मघा रात्रि 12:21 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - धृति 17 मार्च रात्रि 02:39 तक तत्पश्चात शूल
राहुकाल - दोपहर 12:47 से दोपहर 02:18 तक
दिशाशूल - उत्तर दिशा में
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कालावधिः : 45 निमेषाः
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः : काश्मीरे हिन्दूनां पलायनम्
(Exodus of Hindus from kashmir)
THE KASHMIR FILES
दिनाङ्कः : 16th March 2022,
बुधवासरः

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Live stream scheduled for
न वर्ण्यवस्तुमाहात्म्यान्महत्तां भजते कविः ।
तथा सति कवीन्द्रः स्यात्सर्वोऽद्रीभादि वर्णयन् ॥

One doesn't become a महाकवि just because the object of one's description is महत् (big/great). If that had been the case, everyone who describes an elephant or a mountain would be महाकवि

संस्कृतार्थः -
विशालस्य ग्रन्थस्य लेखनेन एव कोऽपि महाकविः न भवति। यदि तथा भवेत् चेत् ते सर्वे महाकवयः सन्ति ये गजं पर्वतं वा वर्णयन्ति।
इत्युक्ते गुणाः एव प्रधानाः न तु कुलीनता।

#Subhashitam
योगी आदित्यनाथः निर्वाचनप्रक्रियायां जयं _______।
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प्राप्तः
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प्राप्तवान्
4%
प्राप्तवत्
7%
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
यस्य पुत्रो न वै विद्वान्न शूरो न च धार्मिकः। अप्रकाशं कुलं तस्य नष्टचन्द्रेव शर्वरी।। = जिसका पुत्र न विद्वान् हो, न शूरवीर हो और न धार्मिक हो उसका कुल उसी प्रकार प्रकाशरहित (प्रसिद्धिरहित) रहता है जैसे चन्द्रमा से रहित रात्रि। संसारतापदग्धानां त्रयो…
आत्माऽपराधवृक्षस्य फलान्येतानि देहिनाम्। दारिद्र्यरोगदुःखानि बन्धनव्यसनानि च।।
= दरिद्रता, रोग, कष्ट, दुःख, बन्धन और आपत्तियां ये सब मनुष्य के अपने ही किए पापरूप वृक्ष के फल हैं।

यद् व्यङ्गाः कुष्ठिनश्चान्धाः पङ्गवश्च दरिद्रिणः। पूर्वोपार्जितपापस्य फलमश्नाति देहिनः।।
= अपंग, कोढ़ी, नेत्रहीन, लंगड़े तथा दरिद्र लोग वास्तव में अपने पूर्वोपार्जित पापों का फल ही भोग रहे होते हैं।

बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः।
वर्षधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते।।
= संगठित मनुष्यों का समूह शत्रु के छक्के छुड़ा सकता है, जैसे मूसलाधार वर्षा के वेग को क्षुद्र तिनके (छप्पर के रूप में) रोक देते हैं।

उत्पन्नपश्चात्तापस्य बुद्धिर्भवति यादृशी।
तादृशी यदि पूर्वं स्यात् कस्य न स्यानमहोदयः।।
= अशुभ कर्म कर चुकने के उपरान्त जैसी बुद्धि पछतानेवाले मनुष्य की उत्पन्न होती है वैसी बुद्धि कर्म करने के पूर्व में हो जाए तो किसका मोक्ष नहीं होगा ? अर्थात् सभी का कल्याण होगा।

स जीवति गुणा यस्य यस्य धर्मः स जीवति। गुणधर्मविहीनस्य जीवितं निष्प्रयोजनम्।।
= वह जीवित है जिसके पास गुण हैं, वहभी जीवित है जिसके पास धर्म है। गुण तथा धर्म से रहित व्यक्ति का जीवन निष्फल तथा व्यर्थ है।

संसारकटुवृक्षस्य द्वे फले अमृतोपमे।
सुभाषितं च सुस्वादु सङ्गतिः सुजने जने।।
= संसार रूपी कड़वे वृक्ष के अमृत के समान मधुर दो ही फल हैं। रसीला प्रिय वचन और सज्जनों की संगति।

पिता रत्नाकरो यस्य लक्ष्मीर्यस्य सहोदरा।
शङ्खो भिक्षाटनं कुर्यान्नाऽदत्तमुपतिष्ठते।।
= समुद्र जिसका पिता है, लक्ष्मी जिसकी बहन है, चन्द्रमा के समान चमकता हुआ शंङ्ख भी यदि भीख मांगता फिरे तो समझ लेना चाहिए कि बिना दान दिए धन नहीं मिलता।

तक्षकस्य विषं दन्ते मक्षिकायास्तु मस्तके।
वृश्चिकस्य विषं पुच्छे सर्वाङ्गे दुर्जने विषम्।।
= सांप का विष उसके दांत में, मक्खी के सिर में, बिच्छु के पूंछ में होता है। जबकि दुर्जन व्यक्ति के तो अंग अंग में विष होता है।

परोपकरणं येषां जागर्त्ति हृदये सताम्।
नश्यन्ति विपदस्तेषां सम्पदः स्युः पदे पदे।।
= जिन सज्जनों के हृदय में परोपकार की भावना जागृत रहती है, उनकी आपत्तियां दूर हो जाती हैं और कदम कदम पर उन्हें सम्पत्तियां प्राप्त होती हैं।

परोपकारशून्यस्य धिङ् मनुष्यस्य जीवितम्। जीवन्तु पशवो येषां चर्माप्युपकरिष्यति।।
= परोपकाररहित मानव के जीवन को धिक्कार है अर्थात् उनका जीना बेकार है। जिनका मरणोपरान्त चमड़ा भी उपकार में लगता है ऐसे पशुओं का जीना सार्थक है।

शुचीनां श्रीमतां गेहे योगभ्रष्टोऽभिजायते।
= योगभ्रष्ट व्यक्ति पवित्र और श्रीमन्त लोगों के घर में जन्म लेता है।

#vakyabhyas