कारागृहे स्थितः कश्चन सैनिकः स्वस्य अधिकारिणं वदति ~
सैनिकः - महोदय! ह्यः केचन अपराधिनः कारागृहे रामायणस्य नाटकं कृतवन्तः।
अधिकारी - चेत् तत्र का वा समस्या?
सैनिकः - समस्या तु नास्ति परन्तु....
अधिकारी - परन्तु किम्... शीघ्रं वदतु।
सैनिकः - ह्यः यः अपराधी हनुमतः अभिनयं कृतवान् सः इदानीम् अपि "सञ्जीवनी" ओषधिं स्वीकृत्य न प्रत्यागतवान् 😂😂😁
#hasya
सैनिकः - महोदय! ह्यः केचन अपराधिनः कारागृहे रामायणस्य नाटकं कृतवन्तः।
अधिकारी - चेत् तत्र का वा समस्या?
सैनिकः - समस्या तु नास्ति परन्तु....
अधिकारी - परन्तु किम्... शीघ्रं वदतु।
सैनिकः - ह्यः यः अपराधी हनुमतः अभिनयं कृतवान् सः इदानीम् अपि "सञ्जीवनी" ओषधिं स्वीकृत्य न प्रत्यागतवान् 😂😂😁
#hasya
।।श्रीः।।
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अविरोधितया कर्म नाविद्यां विनिवर्तयेत्।
विद्याविद्यां निहन्त्येव तेजस्तिमिरसंघवत्।।3।।
3. Action cannot destroy ignorance, for it is not in conflict with or opposed to ignorance. Knowledge does verily destroy ignorance as light destroys deep darkness.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 3 :
आत्म-बोध के तीसरे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने बताया की इस श्लोक में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस विषय के बारे में बहुत लोगों को अनेकानेक मोह (गलत धारणाएँ) हैं। की हमें मोक्ष के लिए क्या करना है? या अनेकों लोग कहते हैं की हमने सब तीर्थ कर लिए, बहुत सारे अनुष्ठान कर लिए आदि आदि। यहाँ आचार्य स्पष्ट कर रहे हैं की मोक्ष की प्राप्त का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। क्यूंकि कर्म अविद्या का विरोधी नहीं होता है। अगर किसी चीज़ को दूर करना हो तो मात्र यह विचार करिये इस इसका विरोधी क्या होता है, और फिर उतने मात्र में फोकस करिये। विद्या ही अविद्या को दूर करती है अतः अच्छे कर्मों का आशीर्वाद लेकर एक बार उस अध्याय को समाप्त करके ज्ञान के नए अध्याय को प्रारम्भ करना चाहिए।
#Ātmabōdha
।।आत्मबोधः।।
Atmabodha, meaning Self-knowledge or Self-awareness, is an exceptionally lucid and readable work of Shankaracharya. Consisting of sixty-eight verses or shlokas, it is in a sense a simple summary of his entire Vedantic structure of thought, intended, it would seem, as a basic primer for his students and followers. The text follows a clearly elaborated doctrine, starting with knowledge as a key to liberation, the nautre of the Atman within us, the assertion of the pervasive and attribute-less nature of Brahman, and the path towards the realisation of the complete identity between the Atman and Brahman.
अविरोधितया कर्म नाविद्यां विनिवर्तयेत्।
विद्याविद्यां निहन्त्येव तेजस्तिमिरसंघवत्।।3।।
3. Action cannot destroy ignorance, for it is not in conflict with or opposed to ignorance. Knowledge does verily destroy ignorance as light destroys deep darkness.
आत्म-बोध ऑनलाइन क्लास - 3 :
आत्म-बोध के तीसरे श्लोक में पू गुरूजी श्री स्वामी आत्मानन्द सरस्वतीजी महाराज ने बताया की इस श्लोक में एक अत्यंत महत्वपूर्ण विषय पर प्रकाश डाला जा रहा है। इस विषय के बारे में बहुत लोगों को अनेकानेक मोह (गलत धारणाएँ) हैं। की हमें मोक्ष के लिए क्या करना है? या अनेकों लोग कहते हैं की हमने सब तीर्थ कर लिए, बहुत सारे अनुष्ठान कर लिए आदि आदि। यहाँ आचार्य स्पष्ट कर रहे हैं की मोक्ष की प्राप्त का इससे कुछ भी लेना-देना नहीं होता है। क्यूंकि कर्म अविद्या का विरोधी नहीं होता है। अगर किसी चीज़ को दूर करना हो तो मात्र यह विचार करिये इस इसका विरोधी क्या होता है, और फिर उतने मात्र में फोकस करिये। विद्या ही अविद्या को दूर करती है अतः अच्छे कर्मों का आशीर्वाद लेकर एक बार उस अध्याय को समाप्त करके ज्ञान के नए अध्याय को प्रारम्भ करना चाहिए।
#Ātmabōdha
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
कालावधिः : 30 minutes only
समयः : IST 11:00 AM 🕚
विषयः :संस्कृतकथा,सुभाषितम्,
हास्यकणिका..... इत्यादयः
दिनाङ्कः : 4th February 2022,
Friday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discus (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु। ) in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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🍃
♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam7.25
⚜I know, O Arjuna, the beings of the past, the present and the future, but no one knows Me. 7.26
⚜हे अर्जुन पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा भविष्य में होने वाले भूतमात्र को मैं जानता हूँ परन्तु मुझे कोई भी पुरुष नहीं जानता हैं।। 7.26 ।।
#geeta
वेदाहं समतीतानि वर्तमानानि चार्जुन।
भविष्याणि च भूतानि मां तु वेद न कश्चन
।।7.26।।♦️naahaM prakaashaH sarvasya yogamaayaasamaavRRitaH|
muuDho'yaM naabhijaanaati loko maamajamavyayam
⚜I know, O Arjuna, the beings of the past, the present and the future, but no one knows Me. 7.26
⚜हे अर्जुन पूर्व में व्यतीत हुए और वर्तमान में स्थित तथा भविष्य में होने वाले भूतमात्र को मैं जानता हूँ परन्तु मुझे कोई भी पुरुष नहीं जानता हैं।। 7.26 ।।
#geeta
🍃
♦️ichChaadveShasamutthena dvandvamohena bhaarata|
sarvabhuutaani saMmohaM sarge yaanti parantapa7.27
⚜All beings in this world are in utter ignorance due to the delusion
of dualities born of likes and dislikes, O Arjuna. (7.27)
⚜हे परन्तप भारत इच्छा और द्वेष से उत्पन्न द्वन्द्वमोह से भूतमात्र उत्पत्ति काल में ही संमोह (अविवेक) को प्राप्त होते हैं।। 7.27 ।।
#geeta
इच्छाद्वेषसमुत्थेन द्वन्द्वमोहेन भारत।
सर्वभूतानि संमोहं सर्गे यान्ति परन्तप
।।7.27।।♦️ichChaadveShasamutthena dvandvamohena bhaarata|
sarvabhuutaani saMmohaM sarge yaanti parantapa
⚜All beings in this world are in utter ignorance due to the delusion
of dualities born of likes and dislikes, O Arjuna. (7.27)
⚜हे परन्तप भारत इच्छा और द्वेष से उत्पन्न द्वन्द्वमोह से भूतमात्र उत्पत्ति काल में ही संमोह (अविवेक) को प्राप्त होते हैं।। 7.27 ।।
#geeta
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्थी ०५ फरवरी रात्रि ०३:४७ तक तत्पश्चात पंचमी
⛅ दिनांक - ०४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद शाम 03:58 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद
⛅ योग - शिव शाम 07:10 तक तत्पश्चात सिद्ध
⛅ राहुकाल - सुबह 11:28 से दोपहर 12:53 तक
⛅ सूर्योदय - 07:15
⛅ सूर्यास्त - 18:29
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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⛅ दिनांक - ०४ फरवरी २०२२
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ विक्रम संवत - २०७८
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⛅ योग - शिव शाम 07:10 तक तत्पश्चात सिद्ध
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⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
https://youtu.be/GNCEabF2klM
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में चुनाव प्रचार चरम पर
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वार्ता: संस्कृत में समाचार | यूपी में चुनाव प्रचार चरम पर
_________ _________ सह क्रीडति।
Anonymous Quiz
78%
मार्जालः, कन्दुकेन
5%
चिक्रोडः, कन्दुकेन
14%
शुनकः,कन्दुकेन
3%
मार्जालः, कन्दुकात्
~सम्भाषणम्~
*विषय:- प्रातः काले मित्रसंभाषणम्*
*गोपाल:*- भो मित्र रमेश: ! सुप्रभातम् ।
हे मित्र रमेश! सुप्रभात ।
*रमेश:*- भो मित्र सुप्रभातम्! त्वम कुशलोऽसि ।
हे मित्र सुप्रभात! तुम कुशल से हो ।
*गोपाल:*- आम अहम कुशली अस्मि। भवान स्वकुशलम् वदतु।
हां मैं कुशल हूं आप अपना हाल-चाल बताओ।
*रमेश:*- अहमपि सपरिवारेण कुशलोऽस्मि।
मैं भी सपरिवार कुशल से हूं।
*गोपाल:*- सदा कुशल: एव भवतु।
हमेशा कुशल ही रहो।
*रमेश:*- त्वम् प्रातः काले एव कुत्र गंतु तत्पर: असि ?
तुम सुबह ही कहां जाने के लिए तैयार हो?
*गोपाल:*- अद्य कार्यालये एका सभा अस्ति । तस्य सर्वं दायित्वं ममोपरि एव अस्ति । अतः प्रातः काले एव गच्छामि।
आज कार्यालय में एक सभा है। उसकी सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है। इसलिए सुबह ही जा रहा हूं।
*रमेश:*- तव कार्यालये कति सदस्या: सन्ति?
तुम्हारे कार्यालय में कितने सदस्य हैं?
*गोपाल:*- मम कार्यालये पंचसप्तति: सदस्या: संति। अहम् सर्वेषां सदस्यानाम् अध्यक्ष: अस्मि।
मेरे कार्यालय में 75 सदस्य हैं । मैं सभी का अध्यक्ष हूं।
*रमेश:*- अति हर्षस्य विषय: । मम पक्षत: वर्धापने स्वीकरोतु।
यह बहुत खुशी की बात है । हमारी बधाई स्वीकार करो।
*गोपाल:*- धन्यवाद:!
धन्यवाद।
*रमेश:*- गच्छतु भवान् विलंब भविष्यति ।
आप चलो देरी हो जाएगी।
*गोपाल:*- गच्छामि अहम्। पुन: मिलिब्याव:।
मैं जाता हूं पुनः मिलेंगे।
#vakyabhyas
*विषय:- प्रातः काले मित्रसंभाषणम्*
*गोपाल:*- भो मित्र रमेश: ! सुप्रभातम् ।
हे मित्र रमेश! सुप्रभात ।
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*गोपाल:*- आम अहम कुशली अस्मि। भवान स्वकुशलम् वदतु।
हां मैं कुशल हूं आप अपना हाल-चाल बताओ।
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मैं भी सपरिवार कुशल से हूं।
*गोपाल:*- सदा कुशल: एव भवतु।
हमेशा कुशल ही रहो।
*रमेश:*- त्वम् प्रातः काले एव कुत्र गंतु तत्पर: असि ?
तुम सुबह ही कहां जाने के लिए तैयार हो?
*गोपाल:*- अद्य कार्यालये एका सभा अस्ति । तस्य सर्वं दायित्वं ममोपरि एव अस्ति । अतः प्रातः काले एव गच्छामि।
आज कार्यालय में एक सभा है। उसकी सारी जिम्मेदारी मेरे ऊपर ही है। इसलिए सुबह ही जा रहा हूं।
*रमेश:*- तव कार्यालये कति सदस्या: सन्ति?
तुम्हारे कार्यालय में कितने सदस्य हैं?
*गोपाल:*- मम कार्यालये पंचसप्तति: सदस्या: संति। अहम् सर्वेषां सदस्यानाम् अध्यक्ष: अस्मि।
मेरे कार्यालय में 75 सदस्य हैं । मैं सभी का अध्यक्ष हूं।
*रमेश:*- अति हर्षस्य विषय: । मम पक्षत: वर्धापने स्वीकरोतु।
यह बहुत खुशी की बात है । हमारी बधाई स्वीकार करो।
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