🍃
♦️mattaH parataraM naanyatki~nchidasti dhana~njaya|
mayi sarvamidaM protaM suutre maNigaNaa iva7.7
⚜7.7 There is nothing whatsoever higher than Me, O Arjuna. All this is strung on Me, as clusters of gems on a string.
⚜।।7.7।। हे धनंजय मुझसे श्रेष्ठ (परे) अन्य किचिन्मात्र वस्तु नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में मणियों के सदृश मुझमें पिरोया हुआ है।।
#geeta
मत्तः परतरं नान्यत्किञ्चिदस्ति धनञ्जय।
मयि सर्वमिदं प्रोतं सूत्रे मणिगणा इव
।।7.7।। ♦️mattaH parataraM naanyatki~nchidasti dhana~njaya|
mayi sarvamidaM protaM suutre maNigaNaa iva
⚜7.7 There is nothing whatsoever higher than Me, O Arjuna. All this is strung on Me, as clusters of gems on a string.
⚜।।7.7।। हे धनंजय मुझसे श्रेष्ठ (परे) अन्य किचिन्मात्र वस्तु नहीं है। यह सम्पूर्ण जगत् सूत्र में मणियों के सदृश मुझमें पिरोया हुआ है।।
#geeta
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह ०७:४८ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - २५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह १०:५५ तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - धृति सुबह ०९:१३ तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - शाम ०३:३८ से शाम ०५:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
⛅ 🚩तिथि - सप्तमी सुबह ०७:४८ तक तत्पश्चात अष्टमी
⛅ दिनांक - २५ जनवरी २०२२
⛅ दिन - मंगलवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - चित्रा सुबह १०:५५ तक तत्पश्चात स्वाती
⛅ योग - धृति सुबह ०९:१३ तक तत्पश्चात शूल
⛅ राहुकाल - शाम ०३:३८ से शाम ०५:०१ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१८
⛅ सूर्यास्त - १८:२३
⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Our Constitution .
(अस्माकं संविधानम्)
Date : 25th January 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss [भारतीयसंविधानस्य वैशिष्ट्यं किं, अधिकाराः के, कर्तव्यानि कानि इति।]in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Our Constitution .
(अस्माकं संविधानम्)
Date : 25th January 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss [भारतीयसंविधानस्य वैशिष्ट्यं किं, अधिकाराः के, कर्तव्यानि कानि इति।]in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/TsBUU9s1Ry0
https://youtu.be/TsBUU9s1Ry0
YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज गुजरात के भाजपा कार्यकर्ताओं से करेंगे संवाद
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News has made a name for itself to…
आरक्षकः __________ ___________।
Anonymous Quiz
16%
दण्डेन मारयति।
73%
दण्डेन ताडयति।
8%
दण्डात् मारयति।
3%
दण्डात् ताडयति।
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कोऽपि आत्मानं न हन्ति। • आत्मा को कोई भी नहीं मारता (मार सकता है)। केनाऽपि आत्मा न हन्यते। • किसी के भी द्वारा आत्मा नहीं मारा जाता (मारा नहीं जा सकता)। नित्यम् अग्निहोत्रं जुहुयाद् अतन्द्रितः। • आलस्य रहित होकर व्यक्ति को नित्य हवन करना चाहिए।…
(कर्मवाच्य में द्विकर्मक धातुओं के प्रयोग)
गोपः गां दुग्धं ॥२।१॥ दोग्धि।
• गोपाल गाय का दूध दुहता है।
गोपेन गौः दुग्धं ॥२।१॥ दुह्यते।
• गोपाल के द्वारा गाय का दूध दुहा जा रहा है।
गोपेन गोः ॥५।१। वा ।६।१॥ दुग्धं ॥१।१॥ दुह्यते।
• गोपाल के द्वारा गाय से / का दूध दुहा जा रहा है।
अपराधी नृपं क्षमां याचते।
• अपराधी राजा से क्षमा मांगता है।
अपराधिना नृपात् नृपस्य वा क्षमा याच्यते।
• अपराधी के द्वारा राजा से क्षमा मांगी जा रही है।
भिक्षुकः धनिकं भिक्षां भिक्षते।
• भिखारी सेठ से भीख मांग रहा है।
भिक्षुकेन धनिकात् धनिकस्य वा भिक्षा भिक्ष्यते।
• भिखारी के द्वारा सेठ से भीख मांगी जा रही है।
भ्रातृव्या माषान् वाष्पापूपान् पचति।
• भतीजी उड़द की इडली पका रही है।
भ्रातृव्यया माषेभ्यः माषाणां वा वाष्पापूपाः पच्यन्ते।
• भतीजी के द्वारा उड़द की इडली पकाई जा रही है।
नृपः दुर्जनं शतं दण्डयति।
• राजा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड देता है।
नृपेण दुर्जनः शतं ॥२।१॥ शतस्य वा दण्ड्यते।
• राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
नृपेण दुर्जनं दुर्जनस्य वा शतं दण्ड्यते।
• राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
बालिका अध्यापिकां धर्मं पृच्छति।
• बच्ची अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछ रही है।
बालिकया अध्यापिकायाः ॥५।१॥ अथवा ॥६।१॥ धर्मः पृच्छ्यते।
• बालिका के द्वारा अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछा जा रहा है।
बालिकया अध्यापिका धर्मं धर्मस्य वा पृच्छ्यते।
• बालिका के द्वारा धर्म के विषय में अध्यापिका पूछी जा रही है।
लता लतां पुष्पाणि चिनोति।
• लता बेल से फूल चुन रही है।
लतया लतायाः ॥५।१॥ अथवा ॥६।१॥ पुष्पाणि चीयन्ते।
• लता के द्वारा बेल से / के फूल चुने जा रहे हैं।
पुत्रः पितरं सत्यं ब्रवीति।
• बेटा बाप को सच बताता है।
पुत्रेण पितुः ॥६।१॥ पितरं वा सत्यं ॥१।१॥ ब्रूयते।
• बेटे के द्वारा बाप को बताने के लिए सत्य बोला जा रहा है।
सुधीः साधकं साधनां शास्ति।
• विद्वान् साधक को साधना का उपदेश कर रहा है।
सुधिया साधकं साधकस्य वा साधना शिष्यते।
• विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
सुधिया साधकः साधनां साधनायाः वा शिष्यते।
• विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
श्यामः रामं शतं जयति।
• श्याम राम से सौ रुपए जीतता है।
श्यामेन रामात् रामस्य वा शतं जीयते।
• श्याम के द्वारा राम से सौ रुपए जीते जा रहे हैं।
श्यामेन रामः शतं शतस्य वा जीयते।
• श्याम के द्वारा सौ रुपए से राम जीता जा रहा है।
सुधीरः संसारसागरं सुधां मथ्नाति।
• सुधीर (=धीर व्यक्ति) संसार सागर से सुधा (=अमृत) को मथता है।
सुधीरेण संसारसागरात् संसारसागरस्य वा सुधा मथ्यते।
• सुधीर के द्वारा संसारसागर से अमृत मथा जा रहा है।
सुधीरेण संसारसागरः सुधां सुधायाः वा मथ्यते।
• सुधीर के द्वारा अमृत के लिए संसारसागर मथा जा रहा है।
मूषकः मा माषान् मुष्णाति।
• चूहा मेरे उड़द चुरा रहा है।
मूषकेन मत् मे मम वा माषाः मुष्यन्ते।
• चूहे के द्वारा मेरे उड़द चुराए जा रहे हैं।
#vakyabhyas
गोपः गां दुग्धं ॥२।१॥ दोग्धि।
• गोपाल गाय का दूध दुहता है।
गोपेन गौः दुग्धं ॥२।१॥ दुह्यते।
• गोपाल के द्वारा गाय का दूध दुहा जा रहा है।
गोपेन गोः ॥५।१। वा ।६।१॥ दुग्धं ॥१।१॥ दुह्यते।
• गोपाल के द्वारा गाय से / का दूध दुहा जा रहा है।
अपराधी नृपं क्षमां याचते।
• अपराधी राजा से क्षमा मांगता है।
अपराधिना नृपात् नृपस्य वा क्षमा याच्यते।
• अपराधी के द्वारा राजा से क्षमा मांगी जा रही है।
भिक्षुकः धनिकं भिक्षां भिक्षते।
• भिखारी सेठ से भीख मांग रहा है।
भिक्षुकेन धनिकात् धनिकस्य वा भिक्षा भिक्ष्यते।
• भिखारी के द्वारा सेठ से भीख मांगी जा रही है।
भ्रातृव्या माषान् वाष्पापूपान् पचति।
• भतीजी उड़द की इडली पका रही है।
भ्रातृव्यया माषेभ्यः माषाणां वा वाष्पापूपाः पच्यन्ते।
• भतीजी के द्वारा उड़द की इडली पकाई जा रही है।
नृपः दुर्जनं शतं दण्डयति।
• राजा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड देता है।
नृपेण दुर्जनः शतं ॥२।१॥ शतस्य वा दण्ड्यते।
• राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
नृपेण दुर्जनं दुर्जनस्य वा शतं दण्ड्यते।
• राजा के द्वारा दुष्ट को सौ रुपए का दण्ड दिया जा रहा है।
बालिका अध्यापिकां धर्मं पृच्छति।
• बच्ची अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछ रही है।
बालिकया अध्यापिकायाः ॥५।१॥ अथवा ॥६।१॥ धर्मः पृच्छ्यते।
• बालिका के द्वारा अध्यापिका से धर्म के विषय में पूछा जा रहा है।
बालिकया अध्यापिका धर्मं धर्मस्य वा पृच्छ्यते।
• बालिका के द्वारा धर्म के विषय में अध्यापिका पूछी जा रही है।
लता लतां पुष्पाणि चिनोति।
• लता बेल से फूल चुन रही है।
लतया लतायाः ॥५।१॥ अथवा ॥६।१॥ पुष्पाणि चीयन्ते।
• लता के द्वारा बेल से / के फूल चुने जा रहे हैं।
पुत्रः पितरं सत्यं ब्रवीति।
• बेटा बाप को सच बताता है।
पुत्रेण पितुः ॥६।१॥ पितरं वा सत्यं ॥१।१॥ ब्रूयते।
• बेटे के द्वारा बाप को बताने के लिए सत्य बोला जा रहा है।
सुधीः साधकं साधनां शास्ति।
• विद्वान् साधक को साधना का उपदेश कर रहा है।
सुधिया साधकं साधकस्य वा साधना शिष्यते।
• विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
सुधिया साधकः साधनां साधनायाः वा शिष्यते।
• विद्वान् के द्वारा साधक को साधना का उपदेश किया जा रहा है।
श्यामः रामं शतं जयति।
• श्याम राम से सौ रुपए जीतता है।
श्यामेन रामात् रामस्य वा शतं जीयते।
• श्याम के द्वारा राम से सौ रुपए जीते जा रहे हैं।
श्यामेन रामः शतं शतस्य वा जीयते।
• श्याम के द्वारा सौ रुपए से राम जीता जा रहा है।
सुधीरः संसारसागरं सुधां मथ्नाति।
• सुधीर (=धीर व्यक्ति) संसार सागर से सुधा (=अमृत) को मथता है।
सुधीरेण संसारसागरात् संसारसागरस्य वा सुधा मथ्यते।
• सुधीर के द्वारा संसारसागर से अमृत मथा जा रहा है।
सुधीरेण संसारसागरः सुधां सुधायाः वा मथ्यते।
• सुधीर के द्वारा अमृत के लिए संसारसागर मथा जा रहा है।
मूषकः मा माषान् मुष्णाति।
• चूहा मेरे उड़द चुरा रहा है।
मूषकेन मत् मे मम वा माषाः मुष्यन्ते।
• चूहे के द्वारा मेरे उड़द चुराए जा रहे हैं।
#vakyabhyas
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-92
न चाग्निजं भयं किञ्चन् नाप्सु मज्जन्ति जन्तव:।
न वातजं भयं किञ्चन् नापि ज्वरकृतं तथा।।92।।
श्लोकान्वयः -
न च अग्निजं किञ्चिद् भयम्, न (च) अप्सु जन्तव:
मज्जन्ति न किञ्चिद् वातजं भयम्, न अपि ज्वरकृतं तथा।।92।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम के राज्य में अग्निकाण्ड का कोई भय नहीं रहेगा। प्राणियों के पानी में डूबने का भी कोई भय नहीं होगा।
इसी प्रकार अकालमृत्यु रूप कोई आधिदैविक भय नहीं रहेगा। इसी प्रकार ज्वरपीड़ा आदि जैसे आधिभौतिक कष्ट भी नहीं होगें।।92।।
English Meaning
तत्र in that kingdom of Rama, अग्निजं भयम् fear due to fire, किञ्चित् न not even little, जन्तव: creatures, अप्सु in water, न मज्जन्ति will not be drowned, वातजं भयम् danger due to wind, किञ्चित् न not even little, तथा and, ज्वरकृतम् अपि न also no fear from fever,
There (in the kingdom of Rama) was no fear of fire, water, wind, disease,
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-92
न चाग्निजं भयं किञ्चन् नाप्सु मज्जन्ति जन्तव:।
न वातजं भयं किञ्चन् नापि ज्वरकृतं तथा।।92।।
श्लोकान्वयः -
न च अग्निजं किञ्चिद् भयम्, न (च) अप्सु जन्तव:
मज्जन्ति न किञ्चिद् वातजं भयम्, न अपि ज्वरकृतं तथा।।92।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम के राज्य में अग्निकाण्ड का कोई भय नहीं रहेगा। प्राणियों के पानी में डूबने का भी कोई भय नहीं होगा।
इसी प्रकार अकालमृत्यु रूप कोई आधिदैविक भय नहीं रहेगा। इसी प्रकार ज्वरपीड़ा आदि जैसे आधिभौतिक कष्ट भी नहीं होगें।।92।।
English Meaning
तत्र in that kingdom of Rama, अग्निजं भयम् fear due to fire, किञ्चित् न not even little, जन्तव: creatures, अप्सु in water, न मज्जन्ति will not be drowned, वातजं भयम् danger due to wind, किञ्चित् न not even little, तथा and, ज्वरकृतम् अपि न also no fear from fever,
There (in the kingdom of Rama) was no fear of fire, water, wind, disease,
#SankshepaRamayanam
भवन्तः कदा संस्कृतसंलेखनार्थं कार्यमुक्ताः ?
When are you free daily for chatting in Sanskrit?
आप कब संस्कृत में चैटिंग के लिए उपलब्ध हैं?
When are you free daily for chatting in Sanskrit?
आप कब संस्कृत में चैटिंग के लिए उपलब्ध हैं?
Anonymous Poll
8%
7AM
10%
10AM
18%
1PM
23%
3PM
27%
7PM
13%
Other (Comment)
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Republic Day .
(गणतन्त्रदिवसः)
Date : 26th January 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( गणतन्त्रदिवसस्य इतिहासः, कथम् आचर्यते।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Republic Day .
(गणतन्त्रदिवसः)
Date : 26th January 2022,
Wednesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( गणतन्त्रदिवसस्य इतिहासः, कथम् आचर्यते।)in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
🍃
♦️raso'hamapsu kaunteya prabhaasmi shashisuuryayoH|
praNavaH sarvavedeShu shabdaH khe pauruShaM nRRiShu7.8
⚜7.8 I am the sapidity in water, O Arjuna; I am the light in the moon and the sun; I am the syllable Om in all the Vedas, sound in ether and virility in men.
⚜।।7.8।। हे कौन्तेय जल में मैं रस हूँ चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ सब वेदों में प्रणव (ॐकार) हूँ तथा आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ।।
#geeta
रसोऽहमप्सु कौन्तेय प्रभास्मि शशिसूर्ययोः।
प्रणवः सर्ववेदेषु शब्दः खे पौरुषं नृषु
।।7.8।। ♦️raso'hamapsu kaunteya prabhaasmi shashisuuryayoH|
praNavaH sarvavedeShu shabdaH khe pauruShaM nRRiShu
⚜7.8 I am the sapidity in water, O Arjuna; I am the light in the moon and the sun; I am the syllable Om in all the Vedas, sound in ether and virility in men.
⚜।।7.8।। हे कौन्तेय जल में मैं रस हूँ चन्द्रमा और सूर्य में प्रकाश हूँ सब वेदों में प्रणव (ॐकार) हूँ तथा आकाश में शब्द और पुरुषों में पुरुषत्व हूँ।।
#geeta