शीतकालः
****
हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
(व्रजकिशोरः)
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हेमन्तस्य हिमेन तेन विपुलं कृत्वा स्वमत्या हिमं
शीतर्तुः सकलक्षितौ क्षिपति तच्छीतं ततो वर्धते।
लब्ध्वा ज्ञानकणं हि शिष्यपरमः शक्त्या यथा व्यापकं
तत् संपाद्य विकाशते निजधिया सर्वत्र भूमण्डलम्।।
(व्रजकिशोरः)
कश्चित् उन्मत्तः आत्मानं दर्पणे दृष्ट्वा चिन्तयति।
एषः तु मया कुत्रचित् दृष्टः एव...
(सः तथैव बहुकालपर्यन्तं चिन्तितवान् अनन्तरं वदति)
अरे एषः तु सः एव अस्ति यः परह्यः मया सह केशान् कर्तयितुम् उपविष्टः आसीत्।
#hasya
एषः तु मया कुत्रचित् दृष्टः एव...
(सः तथैव बहुकालपर्यन्तं चिन्तितवान् अनन्तरं वदति)
अरे एषः तु सः एव अस्ति यः परह्यः मया सह केशान् कर्तयितुम् उपविष्टः आसीत्।
#hasya
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्।।81।।
श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम् अनुप्राप्य परां व्रीडाम् उपागमत्।।81।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।
English Meaning
राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).
Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्।।81।।
श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम् अनुप्राप्य परां व्रीडाम् उपागमत्।।81।।
हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।
English Meaning
राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).
Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Gossip.
जल्पनम्
Date : 16thJanuary 2022,
Sunday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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🍃
♦️shrii bhagavaanuvaacha
asaMshayaM mahaabaaho mano durnigrahaM chalaM|
abhyaasena tu kaunteya vairaagyeNa cha gRRihyate6.35
⚜6.35 The Blessed Lord --said Undoubtedly, O mighty-armed Arjuna, the mind is difficult to control and restless; but by practice and by dispassion it may be restrained.
⚜।।6.35।। श्रीभगवान् कहते हैं --
हे महबाहो निसन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है परन्तु हे कुन्तीपुत्र उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।।
#geeta
श्री भगवानुवाचअसंशयं महाबाहो मनो दुर्निग्रहं चलं।
अभ्यासेन तु कौन्तेय वैराग्येण च गृह्यते
।।6.35।। ♦️shrii bhagavaanuvaacha
asaMshayaM mahaabaaho mano durnigrahaM chalaM|
abhyaasena tu kaunteya vairaagyeNa cha gRRihyate6.35
⚜6.35 The Blessed Lord --said Undoubtedly, O mighty-armed Arjuna, the mind is difficult to control and restless; but by practice and by dispassion it may be restrained.
⚜।।6.35।। श्रीभगवान् कहते हैं --
हे महबाहो निसन्देह मन चंचल और कठिनता से वश में होने वाला है परन्तु हे कुन्तीपुत्र उसे अभ्यास और वैराग्य के द्वारा वश में किया जा सकता है।।
#geeta
🍃
♦️asaMyataatmanaa yogo duShpraapa iti me matiH|
vashyaatmanaa tu yatataa shakyo'vaaptumupaayataH6.36
⚜6.36 I think Yoga is hard to be attained by one of uncontrolled self, but the self-controlled and striving one can attain to it by the (proper) means.
⚜।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।
#geeta
असंयतात्मना योगो दुष्प्राप इति मे मतिः।
वश्यात्मना तु यतता शक्योऽवाप्तुमुपायतः
।।6.36।। ♦️asaMyataatmanaa yogo duShpraapa iti me matiH|
vashyaatmanaa tu yatataa shakyo'vaaptumupaayataH
⚜6.36 I think Yoga is hard to be attained by one of uncontrolled self, but the self-controlled and striving one can attain to it by the (proper) means.
⚜।।6.36।। असंयत मन के पुरुष द्वारा योग प्राप्त होना कठिन है परन्तु स्वाधीन मन वाले प्रयत्नशील पुरुष द्वारा उपाय से योग प्राप्त होना संभव है यह मेरा मत है।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - चतुर्दशी 17 जनवरी रात्रि 03:18 तक तत्पश्चात पूर्णिमा
⛅ दिनांक - 16 जनवरी 2022
⛅ दिन - रविवार
⛅ विक्रम संवत - 2078
⛅ शक संवत -1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल नक्षत्र - आर्द्रा 17 जनवरी रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात पुनर्वस
⛅ योग - इन्द्र शाम 03:21 तक तत्पश्चात वैधृति
⛅ राहुकाल - शाम 04:56 से शाम 06:18 तक
⛅ सूर्योदय - 07:19
⛅ सूर्यास्त - 18:17
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
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⛅ विक्रम संवत - 2078
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⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल नक्षत्र - आर्द्रा 17 जनवरी रात्रि 02:09 तक तत्पश्चात पुनर्वस
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⛅ राहुकाल - शाम 04:56 से शाम 06:18 तक
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
https://youtu.be/tNI358xYNI0
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YouTube
वार्ता : संस्कृत समाचार
DD News is India’s 24x7 news channel from the stable of the country’s Public Service Broadcaster, Prasar Bharati. It has the distinction of being India’s only terrestrial cum satellite News Channel. Launched in 2003, DD News has made a name for itself to…
. ॐ
अद्य भारतीय-सैन्य-दिवसः ।
तन्निमित्तम् अस्माकं शूर-सैनिकानां कृते कोटिशः वन्दनानि ।
ते तत्र शैत्ये उष्णतायां च अहोरात्रं तिष्ठन्ति अतः वयम् अत्र गृहे उपविश्य संस्कृतकार्यं कर्तुं शक्नुमः ।
युध्यन्ते तत्र धैर्येण ये
रिपुभिः सह रणाङ्गणे ।
अभिवाद्य आरत्या तान्
कृतज्ञतया वन्दामहे ।।
👆 👆 👆
कस्यचन प्रचलितस्य मराठी-गीतस्य ध्रुवपदस्य स्वैरः संस्कृतानुवादः एषः । तस्य गायनं कर्तुं मम अनार्हस्य एषः धृष्ट-प्रयत्नः ।
ये सङ्गीतं जानन्ति ते सुस्वर-नादेन कर्णमाधुर्ययुतं गानं कर्तुं शक्नुवन्ति ।
------ संस्कृतानन्दः ।
👇 👇 👇
अद्य भारतीय-सैन्य-दिवसः ।
तन्निमित्तम् अस्माकं शूर-सैनिकानां कृते कोटिशः वन्दनानि ।
ते तत्र शैत्ये उष्णतायां च अहोरात्रं तिष्ठन्ति अतः वयम् अत्र गृहे उपविश्य संस्कृतकार्यं कर्तुं शक्नुमः ।
युध्यन्ते तत्र धैर्येण ये
रिपुभिः सह रणाङ्गणे ।
अभिवाद्य आरत्या तान्
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👆 👆 👆
कस्यचन प्रचलितस्य मराठी-गीतस्य ध्रुवपदस्य स्वैरः संस्कृतानुवादः एषः । तस्य गायनं कर्तुं मम अनार्हस्य एषः धृष्ट-प्रयत्नः ।
ये सङ्गीतं जानन्ति ते सुस्वर-नादेन कर्णमाधुर्ययुतं गानं कर्तुं शक्नुवन्ति ।
------ संस्कृतानन्दः ।
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्रुध् व द्रुह् अर्थवाली सोपसर्ग धातुओं के प्रयोग में जिस पर क्रोध व द्रोह किया जाता है उसकी कर्म संज्ञा होती है और उससे द्वितीया विभक्ति होती है। जाल्मोऽयं पितरौ अभिक्रुध्यति। • जालीम यह मां-बाप पर गुस्सा करता है। स्नुषा श्वश्रुम् अभिक्रुध्यत्। • बहु…
ज्ञानार्थक
समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति।
• समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।
समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति।
• समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।
छात्रः धर्म बुध्यते।
• छात्र धर्म को जानता है।
छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति।
• छात्रवत्सल गुरु छात्र को धर्म का बोध कराता है।
छात्रा सदाचारं वेत्ति।
• छात्रा सदाचार को जानती है।
छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति।
• छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।
प्राकृतः जनः न्यायं बोधति।
• आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।
बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति।
• विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।
श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति।
• श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।
वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति।
• वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।
दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत्।
• दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।
विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत्।
• विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।
छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञास्यन्ति।
• छात्राएं ऋषिकृत ग्रन्थों को जानेंगी।
आचार्या छात्राः आर्षग्रन्थान् ज्ञापयिष्यति।
• आचार्या छात्राओं को आर्षग्रन्थों को जनाएंगी।
सर्वे दर्शनानि जानीयुः।
• सभी को दर्शनविद्या जाननी चाहिए।
विद्वांसः सर्वान् दर्शनानि ज्ञापयेयुः।
• विद्वान् लोग सभी को दर्शनशास्त्र जानाएं।
#vakyabhyas
समित्पाणिः शिष्यः शास्त्राणि जानाति।
• समर्पित शिष्य शास्त्रों को जानता है।
समित्पाणिं शिष्यं शास्त्राणि ज्ञापयति।
• समर्पित शिष्य को शास्त्र जना रहा है।
छात्रः धर्म बुध्यते।
• छात्र धर्म को जानता है।
छात्रवत्सलः गुरुः छात्रं धर्म बोधयति।
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छात्रा सदाचारं वेत्ति।
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छात्रप्रिया आचार्या छात्रां सदाचारं वेदयति।
• छात्रप्रिया आचार्या छात्राओं को सदाचार का बोध करवा रही है।
प्राकृतः जनः न्यायं बोधति।
• आम इन्सान उचित व्यवहार को जानता है।
बुधः प्राकृतं जनं न्यायं बोधयति।
• विद्वान् आम इन्सान को उचित व्यवहार का बोध कराता है।
श्रोता व्याख्यानम् अवगच्छति।
• श्रोता व्याख्यान को समझ रहा है।
वक्ता श्रोतारं व्याख्यानम् अवगमयति।
• वक्ता श्रोता को व्याख्यान समझा रहा है।
दयानन्दः व्याकरणम् अज्ञासीत्।
• दयानन्द जी ने व्याकरण को जाना (समझा)।
विरजान्दः दयानन्दं व्याकरणम् अजिज्ञपत्।
• विरजानन्द जी ने दयानन्द जी को व्याकरण समझाया।
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