संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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श्रीमद्भगवद्गीता [06.19]
🍃यथा दीपो निवातस्थो नेङ्गते सोपमा स्मृता।
योगिनो यतचित्तस्य युञ्जतो योगमात्मनः
।।6.19।। 

♦️yathaa diipo nivaatastho ne~Ngate sopamaa smRRitaa|
yogino yatachittasya yu~njato yogamaatmanaH||6.19||

6.19 As a lamp placed in a windless spot does not flicker to such is compared the Yogi of controlled mind, practising Yoga in the Self (or absorbed in the Yoga of the Self). 

।।6.19।। जिस प्रकार वायुरहित स्थान में स्थित दीपक में कम्प नहीं होता वैसी ही उपमा आत्मा के ध्यान में लगे हुए उस योगी के समाहित चित्त की कही गयी है।। 

#geeta
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श्रीमद्भगवद्गीता [06.20]
🍃यत्रोपरमते चित्तं निरुद्धं योगसेवया। 
यत्र चैवात्मनाऽऽत्मानं पश्यन्नात्मनि तुष्यति
।।6.20।।

♦️yatroparamate chittaM niruddhaM yogasevayaa|
yatra chaivaatmanaa''tmaanaM pashyannaatmani tuShyati||6.20||

6.20 When the mind, restrained by the practice of Yoga attains to quietude and when seeing the Self by the self, he is satisfied in hiw own Self. 

।।6.20।। जब (जिस स्थिति में) योगाभ्यास से निरुद्ध हुआ चित्त उपराम हो जाता है और जब आत्मा को आत्मा (बुद्धि) के द्वारा देखऋ़र आत्मा में ही सन्तुष्ट होता है।। 

#geeta
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Need of the family.
(परिवारस्य आवश्यकता)
Date : 8thJanuary 2022,
Saturday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( अद्यत्वे परिवारस्य का आवश्यकता अस्ति। )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
*दिनांक - 08 जनवरी 2022*
*दिन - शनिवार*
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*नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद 09 जनवरी सुबह 07:10 तक तत्पश्चात रेवती*
*योग - वरीयान सुबह 11:41 तक तत्पश्चात परिघ*
*राहुकाल - सुबह 10:02 से सुबह 11:24 तक*
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शिशुः कस्यै रोटिकां ददाति?
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
खर्जूः मां खर्जति।
• खाज मुझे व्याकुल कर रही है।

व्यथा सर्वान् व्यथति।
• व्यथा सबको बेचैन करती है।

वटुकं बुभुक्षा बाधते।
• छोटे बच्चे को भूख सता रही है।

पीड़ा पीड़ितं पीड़यति।
• दर्द रोगी को दुःख दे रहा है।

रोगः रोगिणं / रोगिणः रुजति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।

सन्तापः अस्मान् सन्तापयति।
• सन्ताप हमें दुःख दे रहा है।

ज्वरः ज्वरिणं ज्वरयति।
• बुखार रोगी को कष्ट दे रहा है।

कष्टानि युष्मान् कष्टयन्ति।
• कष्ट तुम्हें पीड़ित कर रहे हैं।

आमयः आमयाविनम् आमयति।
• रोग रोगी को कष्ट दे रहा है।

गदः प्राणिनं दुःखयति।
• रोग प्राणियों को दुःख देता है।

नूतनं वसनं गात्रं कण्डूयति।
• नया कपड़ा शरीर को काट रहा है।

नूतनं पादत्राणं पादं पीड़यति।
• नया जूता पैर में चुभ रहा है।

मूषिका मुद्गान् मुष्णाति।
• चुहिया मूंग चुरा रही है।

चौरः आभूषणानि चोरयति / चोरयते।
• चोर गहने चुराता है।

लुण्टाकः पदातीन् लुण्टति।
• लुटेरा पथिकों को लूटता है।

कटुवाक्याणि सर्वान् कण्टन्ति।
• कड़वे बोल सभी को कांटे की तरह चुभते हैं।

माता भोजनं वण्टति।
• मां भोजन परोसती है।

परिवेषकः पायसं परिवेषयति।
• परोसने वाला खीर परोस रहा है।

जठरः भुक्तं जठति।
• उदर खाए-पीए अन्नादि को धारण करता / रखता है।

शुण्ठिः श्लेष्म शुण्ठति।
• सौंठ कफ को सुखाती है।

उद्दण्डः चाकखण्डं खण्डति।
• शरारती बालक चॉक (श्यामफलक की चूने से बनी लेखनी) के टुकड़े कर रहा है।

काष्ठाहरः काष्ठानि आहरति खण्डति च।
• लकड़हारा लकड़ियां लाता है और उन्हें फाड़ता है।

चण्डी प्रतिवेशिनं चण्डति।
• गुस्सैल महिला पड़ोसी पर क्रोध कर रही है।

मुण्डकः मुण्डं मुण्डति।
• नाई सिर मूंड रहा है।

भवान् किं अन्वेषयति।
• आप क्या ढूंढ रहे हैं?

अहं संस्कृत-शब्दान् अन्वेषयामि।
• मैं संस्कृत भाषा के शब्दों को खोज रहा हूँ।

वैज्ञानिकः किं आविष्करोति?
• वैज्ञानिक क्या आविष्कार कर रहा है?

वैज्ञानिकः नवं विज्ञानं विवृणुते।
• वैज्ञानिक नई खोज को प्रस्तुत (उद्घाटित) कर रहा है।

गुप्तचरः रहस्यं उद्घाटयति।
• जासूस रहस्य खोल रहा है।

#vakyabhyas
देववाणीविलासः
(संस्कृतभाषा शिक्षण- मध्यमस्तरीय कक्षा)

समय- हर शनिवार मध्याह्न 4:30 से 5:30 तक

माध्यम- जूम् माध्यम द्वारा
प्रवेश संकेत- https://indicacademy.zoom.us/j/98231927653
प्रवेश संख्या- 982 3192 7653
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श्रीमद्भगवद्गीता [06.21]
🍃सुखमात्यन्तिकं यत्तद्बुद्धिग्राह्यमतीन्द्रियम्। 
वेत्ति यत्र न चैवायं स्थितश्चलति तत्त्वतः
।।6.21।। 

♦️sukhamaatyantikaM yattadbuddhigraahyamatiindriyam|
vetti yatra na chaivaayaM sthitashchalati tattvataH||6.21||

6.21 When he (the Yogi) feels that Infinite Bliss which can be grasped by the (pure) intellect and which transcends the senses, and established wherein he never moves from the Reality. 

।।6.21।। इन्द्रियातीत केवल (शुद्ध) बुद्धि के द्वारा ग्राह्य जो अनन्त आनन्द है उसे जिस अवस्था में अनुभव करता है और जिसमें स्थित हुआ है यह योगी तत्त्व से कभी दूर नहीं होता है।। 

#geeta
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-73
तत्र लङ्कां समासाद्य पुरीं रावणपालिताम्‌ ।
ददर्श सीतां ध्यायन्तीमशोकवनिकां गताम्‌।।73।।

श्लोकान्वयः -
(हनुमान्‌) रावणपालितां लङ्कां पुर समासाद्य
तत्र अशोकवनिकां गतां (रामं) ध्यायन्तीं सीतां ददर्श।।73।।

हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान्‌ रावण द्वारा पालित लङ्का में जाकर
वहाँ अशोकवाटिका में राम का ध्यान करती हुई सीता को देखा।।73।।

English Meaning

रावणपालिताम् ruled by Ravana, लङ्काम् पुरीम् city of Lanka, समासाद्य having reached, तत्र there, अशोकवनिकाम् गताम् who had gone to Ashoka garden, ध्यायन्तीम् contemplating (on Rama), सीताम् Sita, ददर्श found.

Hanuman arrived at the city of Lanka ruled by Ravana and found Sita in the Ashoka garden meditating on Rama.

#SankshepaRamayanam