सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-26-28
रामस्य दयिता भार्या नित्यं प्राणसमा हिता।। 26।।
जनकस्य कुले जाता देवमायेव निर्मिता।
सर्वलक्षणसम्पन्ना नारीणामुत्तमा वधू: ।। 27।।
सीताप्यनुगता रामं शशिनं रोहिणी यथा।।28।।
श्लोकान्वयः 26-28
जनकस्य कुले जाता देवमाया इव निर्मिता
रामस्य दयिता नित्यं प्राणसमा हिता भार्या सर्वलक्षणसम्पन्ना नारीणाम् उत्तमा वधू:
सीता अपि यथा शशिनं रोहिणी (तथा) रामम् अनुगता।।27-28।।
हिन्दी - अनुवाद -26-28
राजा जनक के कुल में उत्पन्न मोहिनी की तरह निर्मित राम की प्रेयसी,
सदा प्राणसदृश हितकारिणी, उत्तम स्त्री के सभी गुणों से भूषित,
स्त्रिया में श्रेष्ठ सीता ने भी राम का उसी प्रकार अनुगमन किया जिस प्रकार रोहिणी चन्द्रमा का अनुगमन करती है।।27-28।।
English Meaning
रामस्य for Rama, दयिता beloved, भार्या wife, प्राणसमा equal to his vital breath, नित्यम् always, हिता doing fit and proper acts beneficial to him, जनकस्य king Janaka's, कुले in the race, जाता born, निर्मिता created, देवमायेव like Maya Mohini, the assumed form of visnuhnu, सर्वलक्षणसम्पन्ना endowed with all auspicious characteristics, नारीणाम् among women, उत्तमा the foremost, वधू: daughterinlaw (of Dasaratha), सीतापि Sita also, रोहिणी Rohini, (one of the several daughters of Daksha and consort of moon) शशिनम् यथा like moon, रामम् Rama, अनुगता followed.
Born in the race of Janaka and daughterinlaw of Dasaratha, Sita, beloved spouse of Rama is like his vital breath always desired the wellbeing of Rama she followed him like Rohini, the Moon. Endowed with all virtues she is the foremost woman.
Note: The second line of 28th Shloka will follow together with 29th Shloka
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-26-28
रामस्य दयिता भार्या नित्यं प्राणसमा हिता।। 26।।
जनकस्य कुले जाता देवमायेव निर्मिता।
सर्वलक्षणसम्पन्ना नारीणामुत्तमा वधू: ।। 27।।
सीताप्यनुगता रामं शशिनं रोहिणी यथा।।28।।
श्लोकान्वयः 26-28
जनकस्य कुले जाता देवमाया इव निर्मिता
रामस्य दयिता नित्यं प्राणसमा हिता भार्या सर्वलक्षणसम्पन्ना नारीणाम् उत्तमा वधू:
सीता अपि यथा शशिनं रोहिणी (तथा) रामम् अनुगता।।27-28।।
हिन्दी - अनुवाद -26-28
राजा जनक के कुल में उत्पन्न मोहिनी की तरह निर्मित राम की प्रेयसी,
सदा प्राणसदृश हितकारिणी, उत्तम स्त्री के सभी गुणों से भूषित,
स्त्रिया में श्रेष्ठ सीता ने भी राम का उसी प्रकार अनुगमन किया जिस प्रकार रोहिणी चन्द्रमा का अनुगमन करती है।।27-28।।
English Meaning
रामस्य for Rama, दयिता beloved, भार्या wife, प्राणसमा equal to his vital breath, नित्यम् always, हिता doing fit and proper acts beneficial to him, जनकस्य king Janaka's, कुले in the race, जाता born, निर्मिता created, देवमायेव like Maya Mohini, the assumed form of visnuhnu, सर्वलक्षणसम्पन्ना endowed with all auspicious characteristics, नारीणाम् among women, उत्तमा the foremost, वधू: daughterinlaw (of Dasaratha), सीतापि Sita also, रोहिणी Rohini, (one of the several daughters of Daksha and consort of moon) शशिनम् यथा like moon, रामम् Rama, अनुगता followed.
Born in the race of Janaka and daughterinlaw of Dasaratha, Sita, beloved spouse of Rama is like his vital breath always desired the wellbeing of Rama she followed him like Rohini, the Moon. Endowed with all virtues she is the foremost woman.
Note: The second line of 28th Shloka will follow together with 29th Shloka
#SankshepaRamayanam
This course specially designed for Samskrit Teachers.
Online classes in the evening for 10 days (2 weeks Monday to Friday)
Time : 7:30 PM to 9:00 PM
Join : https://adhyapanam.in/courses
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : weather in your city.
(भवतां नगरे वातारवरणम् )
Date : 3rd December 2021, Saturday
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.
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🍃
♦️tyaktvaa karmaphalaasa~NgaM nityatRRipto niraashrayaH|
karmaNyabhipravRRitto'pi naiva ki~nchitkaroti saH||4.20||
⚜4.20 Having abandoned attachment to the fruits of the action, ever content, depending on nothing, he does not do anything though engaged in activity.
⚜।।4.20।। जो पुरुष कर्मफलासक्ति को त्यागकर नित्यतृप्त और सब आश्रयों से रहित है वह कर्म में प्रवृत्त होते हुए भी (वास्तव में) कुछ भी नहीं करता है।।
#geeta
त्यक्त्वा कर्मफलासङ्गं नित्यतृप्तो निराश्रयः।
कर्मण्यभिप्रवृत्तोऽपि नैव किञ्चित्करोति सः
।।4.20।। ♦️tyaktvaa karmaphalaasa~NgaM nityatRRipto niraashrayaH|
karmaNyabhipravRRitto'pi naiva ki~nchitkaroti saH||4.20||
⚜4.20 Having abandoned attachment to the fruits of the action, ever content, depending on nothing, he does not do anything though engaged in activity.
⚜।।4.20।। जो पुरुष कर्मफलासक्ति को त्यागकर नित्यतृप्त और सब आश्रयों से रहित है वह कर्म में प्रवृत्त होते हुए भी (वास्तव में) कुछ भी नहीं करता है।।
#geeta
🍃
♦️niraashiiryatachittaatmaa tyaktasarvaparigrahaH|
shaariiraM kevalaM karma kurvannaapnoti kilbiSham||4.21||
⚜4.21 Without hope and with the mind and the self controlled, having abandoned all covetousness, doing mere bodily action, he incurs no sin.
⚜।।4.21।। जो आशा रहित है तथा जिसने चित्त और आत्मा (शरीर) को संयमित किया है जिसने सब परिग्रहों का त्याग किया है ऐसा पुरुष शारीरिक कर्म करते हुए भी पाप को नहीं प्राप्त होता है।।
#geeta
निराशीर्यतचित्तात्मा त्यक्तसर्वपरिग्रहः।
शारीरं केवलं कर्म कुर्वन्नाप्नोति किल्बिषम्
।।4.21।। ♦️niraashiiryatachittaatmaa tyaktasarvaparigrahaH|
shaariiraM kevalaM karma kurvannaapnoti kilbiSham||4.21||
⚜4.21 Without hope and with the mind and the self controlled, having abandoned all covetousness, doing mere bodily action, he incurs no sin.
⚜।।4.21।। जो आशा रहित है तथा जिसने चित्त और आत्मा (शरीर) को संयमित किया है जिसने सब परिग्रहों का त्याग किया है ऐसा पुरुष शारीरिक कर्म करते हुए भी पाप को नहीं प्राप्त होता है।।
#geeta
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या दोपहर ०१:१२ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०४ दिसम्बर २०२१
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्ग शीर्ष मास
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अनुराधा सुबह १०:४८ तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅ योग - सुकर्मा सुबह ०८:४१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ०९:४५ से सुबह ११:०७ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०२
⛅ सूर्यास्त - १७:५५
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अमावस्या दोपहर ०१:१२ तक तत्पश्चात प्रतिपदा
⛅ दिनांक - ०४ दिसम्बर २०२१
⛅ दिन - शनिवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्ग शीर्ष मास
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - अनुराधा सुबह १०:४८ तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
⛅ योग - सुकर्मा सुबह ०८:४१ तक तत्पश्चात धृति
⛅ राहुकाल - सुबह ०९:४५ से सुबह ११:०७ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:०२
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(भवतां नगरे वातारवरणम् )
Date : 4th December 2021, Saturday
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform
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Switch to DD News daily at 7:15 AM (Morning) for 15 minutes Sanskrit news.
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News and updates in Sanskrit | Vaarta | 4.12.2021
______ बाणः चालितः।
Anonymous Quiz
8%
इन्द्रजित्
16%
इन्द्रजिता
28%
इन्द्रजितः
48%
इन्द्रजितेन
1%
इन्द्रजिद्भ्याम्
ॐ सुरभारत्यै नमः॥ जयश्रीकृष्ण 🙏🌷
अद् ( खाना) लङ्लकार (भूतकाल)
आदत् आत्ताम् आदन्
आदः आत्तम् आत्त
आदम् आद्व आद्म
---------''||वाक्यप्रयोग||''-----------
--पुल्लिङ्ग--
१-कः/अयं/सः फलम् आदत् ?/।
(कौन/यह/वह फल खाया?/।)
२-कौ/एतौ/तौ हैमीम् आत्ताम्?/।
(कौन/ये/वे दोनों ने बर्फी खाये?/।)
३-के/इमे/ते रोटिकाः आदन्?/।
(कौन/ये/वे सबने रोटियाँ खायी?/।)
४-भवन्तः / सर्वे आदन् ।
(आप / सबने खा लिया।)
🌳 --स्त्रीलिङ्ग-- 🌳
५-इयं/सा (बालिका) फलम् आदत् ।
(इसने/उसने फल खाया।)
६-एते/ते हैमीम् आत्ताम्।
(इन/उन दोनों ने बर्फी खायी।)
७-इमाः/ताः रोटिकाः आदन्?/।
(ये/वे सबने रोटियाँ खायी?/।)
८-भवत्यः / सर्वाः आदन् ।
(आप / सबने खा लिया।)
९-त्व किम् आदः ?=(तुमने क्या खाया?)
१०-युवां कदा आत्तम्?=(तुम दोनों कब खाये?)
११-यूयं किमर्थं न आत्त?=तुम सबने किसलिये नहीं खाये?
१२-अहम् ओदनं न आदम्।
(मैंने भात नहीं खाया)
१३-आवां दृढबीजानि आद्व।
(हम दोनों अमरूद खाये)
१४-वयं निशायां किमपि न आद्म।
(हम सब रात में कुछ नहीं खाये)
जयतु संस्कृतम्॥ जयतु भारतम्॥
----------------------------------------------
मात्र 100 दिन में 100 प्रतिशत संस्कृत बोलना सीखिए।
•• केवलं शतदिनेषु शतप्रतिशतं संस्कृतसम्भाषणम् अधीष्व।
प्रतिदिन एक घंटा गूगल मिट माध्यम से संस्कृत सम्भाषण सिखाया जाएगा।
•• प्रत्यहं हौरेकं यावत् गूगल मीत इति माध्यमेन संस्कृतसम्भाषणम् अध्यापयिष्यते।
व्हाट्स अप समूह में नोट्स दिए जायेंगे।
•• व्हाट्स अप समूहे पठनसामग्र्य: दास्यन्ते।
लिखित एवं मौखिक माध्यम से संस्कृत के स्पष्ट उच्चारण सिखाये जायेंगे।
•• लिखितविधिना मौखिकविधिना च संस्कृतसम्भाषणस्य स्पष्टोच्चारणम् अध्यापयिष्यते।
संस्कृत व्याकरण,संस्कृत श्लोक,संस्कृत साहित्य से परिचित कराया जायेगा।
•• संस्कृतव्याकरणस्य संस्कृतश्लोकस्य संस्कृतसाहित्यस्य च परिचयः कारयिष्यते।
छात्र संख्या सीमित रखी गई है। अतः भरपूर अभ्यास कराया जायेगा।
•• छात्राणां संख्या सीमितास्ति । अतः अधिकाधिक: अभ्यास: कारयिष्यते।
कक्षा में जुड़ने हेतु आयु की कोई सीमा नहीं है।
•• कक्षायां प्रवेष्टुं काचन वयसीमा नास्ति।
संस्कृत का पूर्व ज्ञान होना आवश्यक नहीं है।
•• संस्कृतस्य पूर्वज्ञानम् आवश्यकं नास्ति।
यह कक्षा सशुल्क कक्षा है।
•• एष वर्ग: सशुल्कं वर्गोऽस्ति।
अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें।
•• अधिकां सूचनां प्राप्तुं सम्पर्कं कुरु। @omtnm
#vakyabhyas
अद् ( खाना) लङ्लकार (भूतकाल)
आदत् आत्ताम् आदन्
आदः आत्तम् आत्त
आदम् आद्व आद्म
---------''||वाक्यप्रयोग||''-----------
--पुल्लिङ्ग--
१-कः/अयं/सः फलम् आदत् ?/।
(कौन/यह/वह फल खाया?/।)
२-कौ/एतौ/तौ हैमीम् आत्ताम्?/।
(कौन/ये/वे दोनों ने बर्फी खाये?/।)
३-के/इमे/ते रोटिकाः आदन्?/।
(कौन/ये/वे सबने रोटियाँ खायी?/।)
४-भवन्तः / सर्वे आदन् ।
(आप / सबने खा लिया।)
🌳 --स्त्रीलिङ्ग-- 🌳
५-इयं/सा (बालिका) फलम् आदत् ।
(इसने/उसने फल खाया।)
६-एते/ते हैमीम् आत्ताम्।
(इन/उन दोनों ने बर्फी खायी।)
७-इमाः/ताः रोटिकाः आदन्?/।
(ये/वे सबने रोटियाँ खायी?/।)
८-भवत्यः / सर्वाः आदन् ।
(आप / सबने खा लिया।)
९-त्व किम् आदः ?=(तुमने क्या खाया?)
१०-युवां कदा आत्तम्?=(तुम दोनों कब खाये?)
११-यूयं किमर्थं न आत्त?=तुम सबने किसलिये नहीं खाये?
१२-अहम् ओदनं न आदम्।
(मैंने भात नहीं खाया)
१३-आवां दृढबीजानि आद्व।
(हम दोनों अमरूद खाये)
१४-वयं निशायां किमपि न आद्म।
(हम सब रात में कुछ नहीं खाये)
जयतु संस्कृतम्॥ जयतु भारतम्॥
----------------------------------------------
मात्र 100 दिन में 100 प्रतिशत संस्कृत बोलना सीखिए।
•• केवलं शतदिनेषु शतप्रतिशतं संस्कृतसम्भाषणम् अधीष्व।
प्रतिदिन एक घंटा गूगल मिट माध्यम से संस्कृत सम्भाषण सिखाया जाएगा।
•• प्रत्यहं हौरेकं यावत् गूगल मीत इति माध्यमेन संस्कृतसम्भाषणम् अध्यापयिष्यते।
व्हाट्स अप समूह में नोट्स दिए जायेंगे।
•• व्हाट्स अप समूहे पठनसामग्र्य: दास्यन्ते।
लिखित एवं मौखिक माध्यम से संस्कृत के स्पष्ट उच्चारण सिखाये जायेंगे।
•• लिखितविधिना मौखिकविधिना च संस्कृतसम्भाषणस्य स्पष्टोच्चारणम् अध्यापयिष्यते।
संस्कृत व्याकरण,संस्कृत श्लोक,संस्कृत साहित्य से परिचित कराया जायेगा।
•• संस्कृतव्याकरणस्य संस्कृतश्लोकस्य संस्कृतसाहित्यस्य च परिचयः कारयिष्यते।
छात्र संख्या सीमित रखी गई है। अतः भरपूर अभ्यास कराया जायेगा।
•• छात्राणां संख्या सीमितास्ति । अतः अधिकाधिक: अभ्यास: कारयिष्यते।
कक्षा में जुड़ने हेतु आयु की कोई सीमा नहीं है।
•• कक्षायां प्रवेष्टुं काचन वयसीमा नास्ति।
संस्कृत का पूर्व ज्ञान होना आवश्यक नहीं है।
•• संस्कृतस्य पूर्वज्ञानम् आवश्यकं नास्ति।
यह कक्षा सशुल्क कक्षा है।
•• एष वर्ग: सशुल्कं वर्गोऽस्ति।
अधिक जानकारी हेतु सम्पर्क करें।
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#vakyabhyas
https://youtu.be/kW9x7hscnPU
*।।हिन्दी संस्कृत साहित्यम्।।*
पुंसाञ्च नाम कार्येण
चर्चितञ्जायते ननु।
प्रसिद्धिं प्राप्तुकामश्चेद्
योग्यतां विपुलीकुरु।।१।।
अभिधान मेरा क्या है
चर्चित कार्य से होए।
योग्यता विस्तार कीजिए
अभिधान सर्वत्र होए।।१।।
अहं येनात्मनःकृत्वा
पाठितःप्रियशिष्यवत्।
स न चेन्मय्यनुरक्तः
कथं मे कालनाशनम्।।२।।
कह कर प्रेमी अपना किसी ने
पाठ हमको दिव्य पढ़ाया क्यों।
रम न सके इस गँगा में तो
काल हमारा गवाया क्यों।।२।।
मया तु याचितं प्रेम
भक्त्या कस्माद्वशीकृतः।
कथञ्च प्रीतिमन्त्रेण
निद्रा मे नाशिता निशि।।३।।
हमने कहा था क्या प्रेम दे दो
भक्त को भक्ति से गवाया क्यों।
तीन प्रहर हमको जगाया क्यों
वाणी से हमको लुभाया क्यों।।३।।
भावोऽस्ति मे मनसि सोऽपि कृतज्ञताया
येनास्मि सम्प्रति यशोधवलीकृतोऽहम्।
साहाय्यमत्र महतां फलवत्तथापि
श्रेय: समृद्धिरुचिता स्वकृतश्रमेण।।४।।
हम आपके है आभारी प्यारे
यह शब्दावली महामारी प्यारे।
अभार है बहुत भारी प्यारे
मिटाता योग्यता मूल प्यारे।।
आभार से प्राप्त पदवी सारी भ्रष्ट कारी
परिश्रम से प्राप्त विद्यावृत्ति श्रेयस्कारी।
छत्र छाया में बैठकर प्रतिष्ठा को पाएगा
फैसले शासन चलाने बहुत लड़खड़ाएगा।।४।।
*©प्रणेता:- वत्स देशराज शर्मा*
*।।हिन्दी संस्कृत साहित्यम्।।*
पुंसाञ्च नाम कार्येण
चर्चितञ्जायते ननु।
प्रसिद्धिं प्राप्तुकामश्चेद्
योग्यतां विपुलीकुरु।।१।।
अभिधान मेरा क्या है
चर्चित कार्य से होए।
योग्यता विस्तार कीजिए
अभिधान सर्वत्र होए।।१।।
अहं येनात्मनःकृत्वा
पाठितःप्रियशिष्यवत्।
स न चेन्मय्यनुरक्तः
कथं मे कालनाशनम्।।२।।
कह कर प्रेमी अपना किसी ने
पाठ हमको दिव्य पढ़ाया क्यों।
रम न सके इस गँगा में तो
काल हमारा गवाया क्यों।।२।।
मया तु याचितं प्रेम
भक्त्या कस्माद्वशीकृतः।
कथञ्च प्रीतिमन्त्रेण
निद्रा मे नाशिता निशि।।३।।
हमने कहा था क्या प्रेम दे दो
भक्त को भक्ति से गवाया क्यों।
तीन प्रहर हमको जगाया क्यों
वाणी से हमको लुभाया क्यों।।३।।
भावोऽस्ति मे मनसि सोऽपि कृतज्ञताया
येनास्मि सम्प्रति यशोधवलीकृतोऽहम्।
साहाय्यमत्र महतां फलवत्तथापि
श्रेय: समृद्धिरुचिता स्वकृतश्रमेण।।४।।
हम आपके है आभारी प्यारे
यह शब्दावली महामारी प्यारे।
अभार है बहुत भारी प्यारे
मिटाता योग्यता मूल प्यारे।।
आभार से प्राप्त पदवी सारी भ्रष्ट कारी
परिश्रम से प्राप्त विद्यावृत्ति श्रेयस्कारी।
छत्र छाया में बैठकर प्रतिष्ठा को पाएगा
फैसले शासन चलाने बहुत लड़खड़ाएगा।।४।।
*©प्रणेता:- वत्स देशराज शर्मा*
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*।।हिन्दी संस्कृत साहित्यम्।।*
पुंसाञ्च नाम कार्येण
चर्चितञ्जायते ननु।
प्रसिद्धिं प्राप्तुकामश्चेद्
योग्यतां विपुलीकुरु।।१।।
अभिधान मेरा क्या है
चर्चित कार्य से होए।
योग्यता विस्तार…
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पुंसाञ्च नाम कार्येण
चर्चितञ्जायते ननु।
प्रसिद्धिं प्राप्तुकामश्चेद्
योग्यतां विपुलीकुरु।।१।।
अभिधान मेरा क्या है
चर्चित कार्य से होए।
योग्यता विस्तार…