संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🌿 यो हि शत्रोर्विवृद्धस्य प्रभोर्बन्धविनाशने ।
पूर्वं न सहते वेगं क्षिप्रमेव विनश्यति॥


🌞 यो हि विवृद्धस्य प्रभोः शत्रोः बन्धविनाशने पूर्वं वेगं न सहते क्षिप्रम् एव विनश्यति।

🌷 जो बल में बढ़ेचढ़े तथा बन्धन में डालने और विनाश करने में समर्थ शत्रु के प्रथम वेग को सिर झुकाकर नहीं सह लेता है, वह शीघ्र ही नष्ट हो जाता है।

🌹 The one who does not bow his head and bear the first blow of the enemy, who is powerful and capable of binding and destroying, is soon destroyed.

📍महाभारते १२।११३।१२॥ #Subhashitam
लेढि ______ लिहन्ति। लिह् इत्यस्य धातोः अत्र कर्तरि लटि परस्मैपदि द्विवचने प्रथमपुरुषे कः रूपः सिध्यते।
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
एक राजा क्रूर और अभिमानी था , परन्तु मंत्री दयालु और हाजिर जवाब था। •• एको नृप: क्रूर: दम्भी चासीत् , परन्तु अमात्यो दयार्द्रो वाक्चतुर: चासीत्। एक दिन राजा ने मंत्री से कहा- चलो! समुद्र की सैर करके आते हैं। •• एकदा नृप: अमात्यमवदत् - "चल!सागरभ्रमणं कृत्वा…
मंत्री ने कहा - राजन ! विशालता सिर्फ देखने की ही होती है, नदी समुद्र से छोटी है किंतु, नदी प्यासे की प्यास बुझाती है, दूसरों को पानी बांटती है, इसलिए जल मीठा है और छोटी होकर भी बढ़ी है।
•• अमात्य: अवदत् - "राजन्!विशालत्वं केवलं द्रष्टुं भवति, नदी समुद्रापेक्षया लघुतरा किन्तु, नदी तृषितानां तृष्णां शमयति,अन्येभ्यः जलं वितरति, अतः जलं मधुरमस्ति तथा सा लघु अपि वर्धिता अस्ति।

जबकि समुद्र सारा पानी खुद ही रखता है, इसलिए उसका पानी खारा है ।
•• यद्यपि सागर: सर्वजलं स्वयमेवं धारयति,अत एव तस्य जलं लवणयुक्तमस्ति।

मंत्र की बात सुनकर राजा उदास हो गया।
•• अमात्यवचनं श्रुत्वा राजा दुःखितोऽभवत्

मंत्री ने पूछा-महाराज! आप उदास क्यों हैं ?
•• अमात्य: अवदत् - महाराज् !भवान् खिन्न: किमर्थमस्ति?

राजा ने कहा- 'तुमने बहुत गहरी बात कह दी। मैं भी समुद्र की तरह हूं, जिसने प्रजा को कभी कोई सुख नहीं दिया, अपने अभिमान के कारण मैं भूल गया था कि नदी से समुद्र बनता है। उसे बनाने वाली नदी ही है।'
•• राजा अवदत् - " त्वया अतीव गम्भीरं उक्तम्। अहम् अपि सागरः इव अस्मि यः प्रजाभ्यः कदापि सुखं न दत्तवान्, स्वाहङ्कारात् अहं विस्मृतः यत् समुद्रः नदीतः निर्मितो भवति। नदी एव तत् सृजति।"

उसी दिन से राजा ने राज्य और प्रजा की भलाई के लिए योजनाएं बनाने लगा।
•• तदारभ्य राजा राज्यस्य प्रजानां च कल्याणार्थं योजनानां निर्माणं कर्तुमारब्धवान् ।

राजा का स्वभाव भी दयालु हो गया।
•• राज्ञ: स्वभावोऽपि दयालु: अभवत्।

दया और दान से छोटा भी बड़ा बन जाता है।
•• कृपया दानेन च लघुः अपि महान् भवति।

इसलिए व्यक्ति को बांटते रहना चाहिए।
•• अत: मानव: वितरणं कुर्वन् एव तिष्ठेत्।

केवल जमा करने से धन भी समुद्र की भांति कड़वा और खारा हो जाता है।
•• केवलं संचयमात्रेण धनमपि सागरवत् तीक्ष्णं लवणं च भवति।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
Namaste
An OFFLINE Samskrita Sambhashana Varga: (Spoken Samskritam Course) is arranged for beginners in the city of Abu Dhabi around Hamdan Area. A good opportunity to learn Samskritam together at home and create Samskrita Griham.
Prior Knowledge of samskritam is not necessary to attend this free course. Anyone above the age of 8 may join.

Sambhashana Varga: (Level 1)
Starting date 05th February 2024, Monday . The varga is intended to be conducted in three different timings :
10 AM-12 PM
4PM - 6PM
7PM-9 PM
Requirement - All 10 days attendance

Please enter correct Email ID as further communication is through email only. Please check spam/junk mails too. In case you don't find please mail us within two days of registration.

Registration for these batches will be closed prior to the first day of the sessions

For any queries email to soochanapatramap@gmail.com

https://forms.gle/N4n7YaAEMeE413Nu9
प्रज्ञाप्रवाहानुदानम्।
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - लोकोक्तिविवरणम्
🗓०१/०२/२०२४ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (स्वस्थानियभाषायां लिखितायाः लोकोक्त्याः विवरणं संस्कृतेन कर्तव्यम्) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩 आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩 युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩 विक्रम संवत-२०८०
🚩 तिथि - षष्ठी दोपहर 02:03 तक तत्पश्चात सप्तमी

दिनांक - 01 फरवरी 2024
दिन - गुरूवार
अयन - उत्तरायण
ऋतु - शिशिर
मास - माघ
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - चित्रा 02 फरवरी प्रातः 03:49 तक तत्पश्चात स्वाती
योग - धृति दोपहर 12:28 तक तत्पश्चात शूल
राहु काल - दोपहर 02:17 से 03:40 तक
सूर्योदय - 07:20
सूर्यास्त - 06:27
दिशा शूल - दक्षिण
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:37 से 06:28 तक

#panchang
🌿 सारासारं बलं वीर्यमात्मनो द्विषतश्च यः।
जानन् विचरति प्राज्ञो न स याति पराभवम्॥


🌞 यः प्राज्ञः आत्मनः द्विषतः च सारासारं बलं वीर्यं जानन् विचरति, सः पराभवं न याति

🌷 जो बुद्धिमान् अपने तथा शत्रु के सार-असार, बल तथा पराक्रमको जानकर उसके अनुसार बर्ताव करता है, उसकी कभी पराजय नहीं होती है।

🌹 The wise man, who knows his own and his enemy's essence, strength and bravery and behaves accordingly, is never defeated.

📍महाभारते १२।११३।१३॥ #Subhashitam
खंजन एक मध्यम कद का बहुत ही चंचल पक्षी हे।
••खञ्जन: एको मध्यमाकाय: अतीव चञ्चल: पक्षी अस्ति।

इस पक्षी का पूरा शरीर लम्बा और पतला होता है।
••अस्य पक्षिणः पूर्णं शरीरम् उन्नतं कृशं च भवति।

ये पक्षी अक्सर आपको पानी के किनारे मिल जाते हैं यानि ये सब पक्षियां झीलों , तालाबों , नदियाँ के किनारे घूमता रहता है।
••एते पक्षिण: प्रायश भवद्भि जलतटेषु लभ्यन्ते अर्थात् एते सर्वे खगाः कासारतडागनदीतीरेषु भ्रमन्ति।

प्राचीन कवियों ने नेत्रों की उपमा खंजन पक्षी से दिया हे क्योंकि इस पक्षी के नेत्र हमेशा चंचल रहते है।
••प्राचीनकविभिः नेत्रयोः तुलना खञ्जनपक्षिणा सह कृता यतः अस्य पक्षिणः नेत्रे सर्वदा चञ्चले भवत:।

इस पक्षी की सबसे बड़ी विशेषता यह है की यह पक्षी अन्य पक्षी की तरह कूदकर नहीं बल्कि दौड़कर चलता है।
••अस्य पक्षिणः महत्तमं वैशिष्ट्यम् एतदस्ति यत् एष: पक्षी अन्ये पक्षिण: इव कूर्दनेन न अपितु धावनेन चलति।

मादा खंजन पक्षी करीब चार से सात अंडे देती हे जो चौड़े एवं अंडाकार होते हैं और नर मादा साथ मिलकर अपने बच्चो का पालन पोषण करते हैं।
••मादा खञ्जनपक्षी अनुमानत: चतुर्भ्य: सप्तानि यावत् अण्डानि सवति यानि विस्तृताणि वर्तुलाकाराणि च भवन्ति एवञ्च नर: मादा च परस्परं मिलित्वा स्वसन्तती: पोषयत:।

इस पक्षी का जीवनकाल करीब पांच से आठ साल तक होता है
= अस्य पक्षिण: आयु: अनुमानतः पञ्चेभ्य: अष्टवर्षपर्यन्तं भवति।


प्राकृतिक रूप से चींटों से छुटकारा पाने के लिए टेबल सॉल्ट सबसे अच्छे और सस्ते तरीकों में से एक है।
••प्राकृतिकरूपेण
अल्पमूल्यकस्य साधारणलवणस्य प्रयोग: पिपीलेभ्यो निवृत्त्यर्थं सर्वोत्तमेषु उपायेषु अन्यतमोऽस्ति।

जमीन पर नमक की एक पंक्ति चींटों को रोकने के लिए बनाई जा सकती है।
••भूमौ लवणस्य एकस्या: रेखाया: निर्माणं पिपीलानां निवारणाय कर्तुं शक्यते।

पानी में नमक को घोलकर बनाया गया स्प्रे भी चींटों को दूर भगाने में मदद करता है।
••जले लवणं सम्मिश्र्य निर्मितं सेचनमपि पिपीलानां दूरीकरणे सहायकं भवति।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas