🍃हरिशङ्करयोर्मध्ये शङ्करब्रह्मणोस्तथा ।
भेदकृत् नरकं भुङ्क्ते यावच्चन्द्रदिवाकरौ ॥
🔆हरेः हरस्य च विषये तथैव हरस्य ब्रह्मणः च विषये ये भेदं वदन्ति ते यावत् चन्द्रदिवाकरौ स्तः तावत् नरके निषीदन्ति।
⚜One who discriminates between Hari and Hara (Shankara) and between Shankara and Brahma undergo sufferings in hell as long as the Sun and the Moon exist.
#Subhashitam
भेदकृत् नरकं भुङ्क्ते यावच्चन्द्रदिवाकरौ ॥
🔆हरेः हरस्य च विषये तथैव हरस्य ब्रह्मणः च विषये ये भेदं वदन्ति ते यावत् चन्द्रदिवाकरौ स्तः तावत् नरके निषीदन्ति।
⚜One who discriminates between Hari and Hara (Shankara) and between Shankara and Brahma undergo sufferings in hell as long as the Sun and the Moon exist.
#Subhashitam
____________ पर्वतशिखरात् गृहितं चित्रमिदम्।
Anonymous Quiz
6%
कस्मैचित्
14%
कस्याश्चित्
36%
कस्यचित्
44%
कस्माच्चित्
अव्यय
---------
यों ही---
(१)उसने मुझे यों ही घर से निकाल दिया
= स माम् अकारणमेव गृहात् निष्कासितवान्।
(२)उसने उसको यों ही गाली दे दिया
= स तम् अकारणमेव अपवदितवान्।
(३)वह यों ही भटकता फिरता है
= स निष्प्रयोजनमेव इतस्तत: भ्रमति।
(४)वह यों ही गेंद को मार रहा है
= स अकारणमेव कन्दुकं प्रहरति।
-------------
(५)यों भी ------ वह बहुत ईमानदार नहीं हैं।आप यों भी आप कह सकते है कि वह बेईमान है
= स महन्निशिथ: नास्ति ।अर्थात् भवान् एवमपि कथयितुं शक्नोति यत् स कापटिक: अस्ति।
-------------
तभी------
(६)तभी गाड़ी आ पहुंची
=तदैव यानम् आगतम्।
(७)तभी एक कुत्ता आया
=तदैव एक: सारमेय: आगत:।
(८)इमानदार बनो ।तभी तुम्हारी तरक्की होगी
= निष्कपट: भव चेदेव तव उन्नति: भविता।
-------------
अब तक/अभी तक---
(९)अब तक मुझे जवाब नहीं मिला है
= इदानीं पर्यन्तं/इदानीमपि मया उत्तरं न प्राप्तम्।
(१०)आपको अब तक सरकारी नौकरी के लिए ज्वाइनिंग लेटर मिल गया होगा
= इदानीं पर्यन्तं सर्वकारी-सेवायै भवता नियुक्तिपत्रं प्राप्तं स्यात्।
(११)ट्रेन अभी तक स्टेशन पर है
= रेलयानम् इदानीमपि रेलस्थानके पर्यवस्थितम्/ अवतिष्ठितम्।
(१२)ट्रेन अभी तक नहीं आई है
= रेलयानम् इदानीमपि नागतम् ।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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यों ही---
(१)उसने मुझे यों ही घर से निकाल दिया
= स माम् अकारणमेव गृहात् निष्कासितवान्।
(२)उसने उसको यों ही गाली दे दिया
= स तम् अकारणमेव अपवदितवान्।
(३)वह यों ही भटकता फिरता है
= स निष्प्रयोजनमेव इतस्तत: भ्रमति।
(४)वह यों ही गेंद को मार रहा है
= स अकारणमेव कन्दुकं प्रहरति।
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(५)यों भी ------ वह बहुत ईमानदार नहीं हैं।आप यों भी आप कह सकते है कि वह बेईमान है
= स महन्निशिथ: नास्ति ।अर्थात् भवान् एवमपि कथयितुं शक्नोति यत् स कापटिक: अस्ति।
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तभी------
(६)तभी गाड़ी आ पहुंची
=तदैव यानम् आगतम्।
(७)तभी एक कुत्ता आया
=तदैव एक: सारमेय: आगत:।
(८)इमानदार बनो ।तभी तुम्हारी तरक्की होगी
= निष्कपट: भव चेदेव तव उन्नति: भविता।
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अब तक/अभी तक---
(९)अब तक मुझे जवाब नहीं मिला है
= इदानीं पर्यन्तं/इदानीमपि मया उत्तरं न प्राप्तम्।
(१०)आपको अब तक सरकारी नौकरी के लिए ज्वाइनिंग लेटर मिल गया होगा
= इदानीं पर्यन्तं सर्वकारी-सेवायै भवता नियुक्तिपत्रं प्राप्तं स्यात्।
(११)ट्रेन अभी तक स्टेशन पर है
= रेलयानम् इदानीमपि रेलस्थानके पर्यवस्थितम्/ अवतिष्ठितम्।
(१२)ट्रेन अभी तक नहीं आई है
= रेलयानम् इदानीमपि नागतम् ।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
६. नासिका
नासिका इस शब्द का अर्थ होता है नाक। हालांकि मात्र नाक से ही कोई भी वर्ण उत्पन्न नहीं होता है। उपर्युक्त कण्ठताल्वादि पांच स्थान जो बताए गए हैं, उन से उच्चारित किए जाने वाले वर्णों में से कुछ वर्ण ऐसे होते हैं जिनका उच्चारण करने के लिए कण्ठताल्वादि के साथ-साथ नासिका यानी नाक की भी जरूरत होती है।
हमारी वर्णमाला में जो वर्गीय व्यंजनों का विभाग है उन वर्गीय व्यंजनों में प्रत्येक वर्ग का पांचवा व्यंजन अपने वर्ग के उच्चारण स्थान के साथ-साथ उच्चारित होने के लिए नासिक का की भी मदद लेता है। उन्हें अनुनासिक वर्ण कहा जाता है।
वर्णमाला में अनुनासिक वर्ण पांच हैं - ङ्। ञ्। ण्। न्। म्॥
🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons
नासिका इस शब्द का अर्थ होता है नाक। हालांकि मात्र नाक से ही कोई भी वर्ण उत्पन्न नहीं होता है। उपर्युक्त कण्ठताल्वादि पांच स्थान जो बताए गए हैं, उन से उच्चारित किए जाने वाले वर्णों में से कुछ वर्ण ऐसे होते हैं जिनका उच्चारण करने के लिए कण्ठताल्वादि के साथ-साथ नासिका यानी नाक की भी जरूरत होती है।
हमारी वर्णमाला में जो वर्गीय व्यंजनों का विभाग है उन वर्गीय व्यंजनों में प्रत्येक वर्ग का पांचवा व्यंजन अपने वर्ग के उच्चारण स्थान के साथ-साथ उच्चारित होने के लिए नासिक का की भी मदद लेता है। उन्हें अनुनासिक वर्ण कहा जाता है।
वर्णमाला में अनुनासिक वर्ण पांच हैं - ङ्। ञ्। ण्। न्। म्॥
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#sanskritlessons
अथ व्यवस्थितान् दृष्ट्वा धार्तराष्ट्रान्कपिध्वजः।
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः।।1.20।।
कः कं पश्यति स्म।
प्रवृत्ते शस्त्रसम्पाते धनुरुद्यम्य पाण्डवः।।1.20।।
कः कं पश्यति स्म।
Anonymous Quiz
16%
कपिः ध्वजम्।
14%
पाण्डवो धनुः।
61%
अर्जुनः धार्तराष्ट्रान्।
8%
कपिध्वजः धनुः।
Salesgirl :- Are you married ?
Man :- Yes. But how do you know that ?
Salesgirl :- Would any mother send their children out to buy pizza in this inclement weather?
#hasya
Man :- Yes. But how do you know that ?
Salesgirl :- Would any mother send their children out to buy pizza in this inclement weather?
#hasya
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰 विषयः - वार्ताः
🗓११/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (कामपि स्थानीयां प्रादेशिकीं राष्ट्रीयां अन्ताराष्ट्रीयां वार्तां वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
🔰 विषयः - वार्ताः
🗓११/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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