धृतराष्ट्र उवाच।
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।। अत्र धृतराष्ट्रः कं सम्बोधयति।
धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः।
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय।।1.1।। अत्र धृतराष्ट्रः कं सम्बोधयति।
Anonymous Quiz
6%
स्वपुत्रान्
12%
पाण्डवान्
78%
सञ्जयम्
4%
कुरून्
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰विषयः - वाक्याभ्यासः
🗓२२/११/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (चित्राणि दृष्ट्वा वाक्यानि वक्तव्यानि) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 11:03 तक तत्पश्चात एकादशी
⛅ दिनांक - 22 नवम्बर 2023
⛅ दिन - बुधवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - कार्तिक
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 08:01 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
⛅ योग - हर्षण शाम 06:37 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहु काल - दोपहर 12:26 से 01:48 तक
⛅ सूर्योदय - 06:57
⛅ सूर्यास्त - 05:54
⛅ दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:05 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:00 से 12:52 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
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⛅ 🚩तिथि - दशमी रात्रि 11:03 तक तत्पश्चात एकादशी
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⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 08:01 तक तत्पश्चात उत्तरभाद्रपद
⛅ योग - हर्षण शाम 06:37 तक तत्पश्चात वज्र
⛅ राहु काल - दोपहर 12:26 से 01:48 तक
⛅ सूर्योदय - 06:57
⛅ सूर्यास्त - 05:54
⛅ दिशा शूल - उत्तर दिशा में
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:05 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:00 से 12:52 तक
Prashasak Samiti
GEETA VIDEO AND PANCHANG : कार्तिक शुक्ल दशमी
🍃जिह्वाया अग्रे मधु मे जिह्वामूले मधूलकम् ।
ममेदह क्रतावसो मम चित्तमुपायसि ॥
(अथर्ववेद १ । ३४ । २ )
🔆 मम जिह्वायाः अग्रभागे मूले च (वचनेषु) सदा माधुर्यं विलसतु मम कर्मसु सदा मधुरता भवतु तथा च माधुर्यं मम हृदयेऽपि प्राप्नोतु।
⚜मेरी जीभ के आगे के हिस्से में माधुर्य हो। मेरी जीभ के मूल में मधुरता हो। मेरे कर्म में माधुर्य का निवास हो और हे माधुर्य! मेरे हृदय तक पहुँचो ।
#Subhashitam
ममेदह क्रतावसो मम चित्तमुपायसि ॥
(अथर्ववेद १ । ३४ । २ )
🔆 मम जिह्वायाः अग्रभागे मूले च (वचनेषु) सदा माधुर्यं विलसतु मम कर्मसु सदा मधुरता भवतु तथा च माधुर्यं मम हृदयेऽपि प्राप्नोतु।
⚜मेरी जीभ के आगे के हिस्से में माधुर्य हो। मेरी जीभ के मूल में मधुरता हो। मेरे कर्म में माधुर्य का निवास हो और हे माधुर्य! मेरे हृदय तक पहुँचो ।
#Subhashitam
भोः त्वं मां सम्यक् अभिजानातु प्रथमम्।
अनुचितं पदं किं तस्य उचितं च किम्।
अनुचितं पदं किं तस्य उचितं च किम्।
Anonymous Quiz
12%
मां - मया
14%
सम्यक् - इदानीम्
51%
अभिजानातु - अभिजानीहि
24%
नास्ति अनुचितं पदम्
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
(१) वे बस से आये = ते लोकयानेन आगता:/आगतवन्त:। (२)वे सब बस से आयी = ता: लोकयानेन आगता:/आगतवत्य:। (३)वह मोटरगाड़ी से आया = स कारयानेन आगत:। (४)वह मोटरगाड़ी से आयी = सा कारयानेन आगता। (५)वह एक बड़ी मोटरगाड़ी से आया = स एकेन वृहत्यानेन आगत:। (६)वह…
(११) वह कलम/पेंसिल से लिखी
= सा लेखन्या/तूलिकया लिखिता/लिखितवती।
(१२)परीक्षा अगले मंगलवार से शुरू होगी
= परीक्षा आगामिनि मंगलवासरे आरब्धा।
(१३)परीक्षा सुबह में ठीक दस बजे से शुरू हो जाएगी
= परीक्षा प्रातरेव दशवादने आरप्स्यते।
(१४) वह हैजे से मरा
= स विषूचिकया मृत:।
(१५) यह बोतल शराब से भरी है
= एषा कूपी मद्यै: पूर्णा अस्ति।
आग लगने पर उसे कई बार पानी डालकर बुझाते हैं।
•• अग्निलग्ने सति तम् असकृत् जलं निक्षिप्य निर्वापयाम:।
पानी डालने से आग कैसे बुझ जाती है?
•• जलस्य निक्षेपणेन अग्नि: कथं निर्वापितो भवति?
पानी ज्वलनशील पदार्थ को ठंडा कर देता है जिससे आग का फैलाव बन्द हो जाता है।
•• जलं ज्वलनशीलपदार्थं शीतलीकरोति येन अग्ने: प्रसारणं समाप्तं भवति।
आग को जलने के लिए हवा (ऑक्सीजन)आवश्यक है।
•• अग्ने: ज्वलनाय ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वम् आवश्यकमस्ति।
पानी डालने पर जो जलवाष्प बनता है वह बाहर से वायु (ऑक्सीजन) को प्रवेश नहीं करने देता जिससे आग बुझ जाती है।
••अग्ने: उपरि जलस्य पातनेन य: जलवाष्पो भवति। स च बहिर्भागात् ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वम् अन्तः प्रवेष्टुं न ददाति अनेन अग्नि: निर्वापितो भवति।
यह भाप आग का सम्पर्क ऑक्सीजन से तोड़ देता है।
•• एष वाष्प: ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वात् अग्ने: सम्पर्क-भंजनं करोति ।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
= सा लेखन्या/तूलिकया लिखिता/लिखितवती।
(१२)परीक्षा अगले मंगलवार से शुरू होगी
= परीक्षा आगामिनि मंगलवासरे आरब्धा।
(१३)परीक्षा सुबह में ठीक दस बजे से शुरू हो जाएगी
= परीक्षा प्रातरेव दशवादने आरप्स्यते।
(१४) वह हैजे से मरा
= स विषूचिकया मृत:।
(१५) यह बोतल शराब से भरी है
= एषा कूपी मद्यै: पूर्णा अस्ति।
आग लगने पर उसे कई बार पानी डालकर बुझाते हैं।
•• अग्निलग्ने सति तम् असकृत् जलं निक्षिप्य निर्वापयाम:।
पानी डालने से आग कैसे बुझ जाती है?
•• जलस्य निक्षेपणेन अग्नि: कथं निर्वापितो भवति?
पानी ज्वलनशील पदार्थ को ठंडा कर देता है जिससे आग का फैलाव बन्द हो जाता है।
•• जलं ज्वलनशीलपदार्थं शीतलीकरोति येन अग्ने: प्रसारणं समाप्तं भवति।
आग को जलने के लिए हवा (ऑक्सीजन)आवश्यक है।
•• अग्ने: ज्वलनाय ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वम् आवश्यकमस्ति।
पानी डालने पर जो जलवाष्प बनता है वह बाहर से वायु (ऑक्सीजन) को प्रवेश नहीं करने देता जिससे आग बुझ जाती है।
••अग्ने: उपरि जलस्य पातनेन य: जलवाष्पो भवति। स च बहिर्भागात् ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वम् अन्तः प्रवेष्टुं न ददाति अनेन अग्नि: निर्वापितो भवति।
यह भाप आग का सम्पर्क ऑक्सीजन से तोड़ देता है।
•• एष वाष्प: ऑक्सीजन इति वायुतत्त्वात् अग्ने: सम्पर्क-भंजनं करोति ।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
Grammatical Voices (प्रयोगः (prayogaḥ)
In Sanskrit, प्रयोगः (prayogaḥ) is voice change (grammatical), unlike english, there are three voices, not two. These voices are based on whether the verb is transitive or intransitive.
The three voices are
कर्तरि-प्रयोगः (kartari-prayogaḥ) (Active Voice),
कर्मणि-प्रयोगः (karmaṇi-prayogaḥ) (Passive Voice) and
भावे-प्रयोगः (bhāve-prayogaḥ). For भावे-प्रयोगः (bhāve-prayogaḥ), there is no equivalent in English.
🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
In Sanskrit, प्रयोगः (prayogaḥ) is voice change (grammatical), unlike english, there are three voices, not two. These voices are based on whether the verb is transitive or intransitive.
The three voices are
कर्तरि-प्रयोगः (kartari-prayogaḥ) (Active Voice),
कर्मणि-प्रयोगः (karmaṇi-prayogaḥ) (Passive Voice) and
भावे-प्रयोगः (bhāve-prayogaḥ). For भावे-प्रयोगः (bhāve-prayogaḥ), there is no equivalent in English.
🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
सञ्जय उवाच।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
अत्र राजा नाम कः।
दृष्ट्वा तु पाण्डवानीकं व्यूढं दुर्योधनस्तदा।आचार्यमुपसङ्गम्य राजा वचनमब्रवीत्।।1.2।।
अत्र राजा नाम कः।
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6%
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42%
दुर्योधनः
7%
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45%
धृतराष्ट्रः