संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃कराविव शरीरस्य नेत्रयोरिव पक्ष्मणी।
अविचार्य प्रियं कुर्यात्तन्मित्रं मित्रमुच्यते
।।

🔆 यथा करौ शरीरस्य तथा पक्ष्मणी नेत्रयोः रक्षणं कुरुतः तथैव यः स्वमित्राणां ध्यानं धरति स एव मित्रमस्ति।

जैसे दोनों हाथ शरीर का बिना विचारे हित करते हैं, दोनों पलकें आँखों का बिना विचारे ध्यान रखती हैं, वैसे ही जो मित्र बिना विचारे मित्र का प्रिय करता है वही वास्तव में मित्र होता है ।

#Subhashitam
नगरे बाले भ्रमतः। अत्र बाले इत्यस्मिन् का विभक्तिः।
Anonymous Quiz
36%
प्रथमा
29%
सप्तमी
13%
अनुचितप्रयोगः
22%
द्विवचनम्
लिट् लकार
---------------

त्रेता युग में जब भगवान् राम ने निशाचरों का वध करके राम राज्य स्थापित किया तो हर तरफ खुशहाली छा गई।
•• त्रेतायुगे यदा भगवान् राम: निशाचरान् हत्वा रामराज्यस्य स्थापनां चकार तदा सर्वत्र सुखसाम्राज्यो व्याप्तो बभूव।

धरती एक तरह से स्वर्ग हो गई।
•• वसुन्धरा एकप्रकारेण स्वर्गवत् बभूव।

इसी बीच उनके अनन्य भक्त हनुमान जी के मन में विचार आया कि क्यों न भगवान् राम की कथा को लिपिबद्ध किया जाए?
•• एतस्मिन्नेव मध्ये तस्य अनन्यभक्त: हनुमत: मनसि एक: विचार: आजगाम यत् किमर्थं न भगवत: रामस्य कथां लिपिबद्धं कुर्यात् ?

इस विचार को पूरा करने के लिए वे हिमालय के गुफाओं में चले गए और एक चट्टान पर रामकथा लिखनी शुरु कर दी।
•• एतस्य विचारस्य पूर्तये सः हिमालयस्य गुहासु गत्वा एकस्मिन शिलाखण्डे रामस्य कथां लेखितुमारेभे ।

उन्होंने इसे नाखूनों से लिखा ताकि हर शब्द अमिट और अमर रहे
•• स एनं नखैः लिलेख येन प्रत्येकं शब्द: अमिटवत् अमृतवत् च भवेत् ।

यह बात धीरे-धीरे हर जगह फैल गई।
•• अयं शब्दः शनै:-शनै: सर्वत्र प्रसृतः बभूव।

ऋषियों ने इसे हनुमद् रामायण का नाम दिया।
•• ऋषय: एतस्य नामकरणं हनुमद्रामायणं चकार।

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हरियाणा के करनाल में पैदा होकर अन्तरिक्ष परी के तौर पर दुनिया भर में नाम कमाने वाली भारत की बेटी कल्पना चावला आज ही के दिन हमेशा के लिए अन्तरिक्ष में विलीन हो गई थी।
•• हरियाणाया: करनाले जन्मग्रहीत्री भारतपुत्री कल्पना चावला , या अन्तरीक्षाप्सरस: नाम्ना विश्वख्यातिं प्राप्तवती , सा अद्यतनतस्य तिथौ एव अन्तरिक्षे लुप्ता अभवत् ।

वह ऐसी पहली महिला थी जिसने अन्तरिक्ष का सफर करके अपना नाम इतिहास के पन्नों में स्वर्ण अक्षरों से अंकित किया था।
•• सा एतादृशा प्रथमा महिला आसीत् या अंतरिक्षभ्रमणं कृत्वा इतिहासस्य पृष्ठेषु स्वर्णाक्षरै: स्वनाम रचितवती।

कल्पना चावला के जीवन से करोड़ो लड़किया प्रेरणा लेती हैं।
••कल्पना चावलाया: जीवनेन कोटिश: बालिका: प्रेरणां प्राप्नुवंति ।

अन्तरीक्ष परी को नमन।
•• अन्तरीक्षाप्सरसे नम:।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
https://youtu.be/BMC0nin-YTI?feature=shared

भ्रमराम्बाष्टकम् अथवा श्रीमातृस्तवः श्रीशैलभगवत्यष्टकम्

चाञ्चल्यारुणलोचनाञ्चितकृपाचन्द्रार्कचूडामणिं
चारुस्मेरमुखां चराचरजगत्संरक्षणीं तत्पदाम् ।
चञ्च्चम्पकनासिकाग्रविलसन्मुक्तामणीरञ्जितां
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ १॥

कस्तूरीतिलकाञ्चितेन्दुविलसत्प्रोद्भासिफालस्थलीं
कर्पूरद्रावमिक्षचूर्णखदिरामोदोल्लसद्वीटिकाम् ।
लोलापाङ्गतरङ्गितैरधिकृपासारैर्नतानन्दिनीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ २॥

राजन्मत्तमरालमन्दगमनां राजीवपत्रेक्षणां
राजीवप्रभवादिदेवमकुटै राजत्पदाम्भोरुहाम् ।
राजीवायतमन्दमण्डितकुचां राजाधिराजेश्वरीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ३॥

षट्तारां गणदीपिकां शिवसतीं षड्वैरिवर्गापहां
षट्चक्रान्तरसंस्थितां वरसुधां षड्योगिनीवेष्टिताम् ।
षट्चक्राञ्चितपादुकाञ्चितपदां षड्भावगां षोडशीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ४॥

श्रीनाथादृतपालितात्रिभुवनां श्रीचक्रसंचारिणीं
ज्ञानासक्तमनोजयौवनलसद्गन्धर्वकन्यादृताम् ।
दीनानामातिवेलभाग्यजननीं दिव्याम्बरालंकृतां
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ५॥

लावण्याधिकभूषिताङ्गलतिकां लाक्षालसद्रागिणीं
सेवायातसमस्तदेववनितां सीमन्तभूषान्विताम् ।
भावोल्लासवशीकृतप्रियतमां भण्डासुरच्छेदिनीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ६॥

धन्यां सोमविभावनीयचरितां धाराधरश्यामलां
मुन्याराधनमेधिनीं सुमवतां मुक्तिप्रदानव्रताम् ।
कन्यापूजनपुप्रसन्नहृदयां काञ्चीलसन्मध्यमां
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ७॥

कर्पूरागरुकुङ्कुमाङ्कितकुचां कर्पूरवर्णस्थितां
कृष्टोत्कृष्टसुकृष्टकर्मदहनां कामेश्वरीं कामिनीम् ।
कामाक्षीं करुणारसार्द्रहृदयां कल्पान्तरस्थायिनीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ८॥

गायत्रीं गरुडध्वजां गगनगां गान्धर्वगानप्रियां
गम्भीरां गजगामिनीं गिरिसुतां गन्धाक्षतालंकृताम् ।
गङ्गागौत्मगर्गसंनुतपदां गां गौतमीं गोमतीं
श्रीशैलस्थलवासिनीं भगवतीं श्रीमातरं भावये ॥ ९॥

इति श्रीमत्परमहंसपरिव्राजकाचार्यस्य श्रीगोविन्दभगवत्पूज्यपादशिष्यस्य श्रीमच्छंकरभगवतः कृतौ भ्रमराम्बाष्टकं सम्पूर्णम् ॥

#NavratrispecialMusic
Nominative Case

The विभक्तिः (vibhaktiḥ) for this is प्रथमा (prathamā) and this is the first case. Its कारकम् (kārakam) is कर्ता (kartā). The nominative case is used for the subject in the sentence. The subject in the sentence is the one who does the action or the doer of the action.

Some examples for the nominative case are:
बालः भोजनं खादति। (bālaḥ bhojanaṃ khādati।), This means, “A boy is eating food.” Here, the word, बालः is the subject of the sentence and is in singular as there is only one boy. Therefore, the word is in the nominative case, singular. Here, the boy is the one who is doing the action of eating, so he is the subject.

बाला क्रीडाङ्गणे क्रीडति। (bālā krīḍāṅgaṇe krīḍati।), this means, “A girl is playing in the playground.” Here, the word, बाला is the subject of the sentence and is in singular as there is only one girl. Therefore, the word is in the nominative case, singular. Here, the girl is the one doing the action of playing, so she is the subject.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 अपातकन्कुकक्रीडाशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - वार्ताः
🗓१६/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (कामपि स्थानीयां प्रादेशिकीं राष्ट्रीयां अन्ताराष्ट्रीयां वार्तां वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - द्वितीया रात्रि 01:13 तक तत्पश्चात तृतीया

दिनांक - 16 अक्टूबर 2023
दिन - सोमवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - स्वाती रात्रि 07:35 तक तत्पश्चात विशाखा
योग - विष्कम्भ सुबह 10:04 तक तत्पश्चात प्रीति
राहु काल - सुबह 08:04 से 09:31 तक
सूर्योदय - 06:37
सूर्यास्त - 06:14
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:47 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:50 तक
🍃तपः प्रदीपम् इत्याहुः आचारो धर्मसाधक:।
ज्ञानं वै परमं विद्यात् संन्यासं तप उत्तमम्
।।

🔆 तपस्या परमतत्वस्य प्रकाशिका उत्तमाचारः धर्मस्य साधकः ज्ञानं परब्रह्म तथा सन्न्यासः उत्तमं तपः वर्तते ।

(महाभारत, आश्वमेधिक पर्व - ४७/५)

तप परमतत्व का प्रकाशक प्रदीप कहा गया है। आचार धर्म का साधक है। ज्ञान परब्रह्मस्वरूप है और संन्यास उत्तम तप कहा जाता है।

#Subhashitam
कार्यविधेः ज्ञाता - _______।
कः विकल्पः उचितः।
Anonymous Quiz
64%
कार्यविधिज्ञः
9%
कार्यविधिजः
8%
कार्यविधिवान्
19%
कार्यविधी
जब दुनिया पत्थर घिसकर आग जलाना सीख रही थी तब हमारे पूर्वज पत्थरों पर नक्काशी बनाकर खेल रहे थे।
••यदा जगत् ग्रावाणं मर्दित्वा अग्निप्रज्वालनम् अधिजगे तदा अस्माकं पूर्वजाः ग्रावसु उत्कीर्णनं कृत्वा चिक्रीडु:।

हमारे पूर्वज कमाल के इंजीनियर थे।
••अस्माकं पूर्वजाः अद्भुताः अभियंतारो बभूवतु:।

यहां देखिए।यह पत्थर का मुंह है और इसमें पत्थर की गेंद है जो एक उंगली से चारो तरफ घूमती है।
••अत्र पश्यतु।एतत् ग्रावमुखमस्ति अस्मिन् च ग्रावकन्दुकमस्ति यत् एकया अङ्गुल्या चतुर्दिक्षु भ्रमति।

विशेष यह है की उस गेंद को आप बाहर नहीं निकाल सकते है।
••विशेषो यत् भवान् तत् कन्दुकं बहिर्निष्कासयितुं न शक्नोति।

इसे पत्थर के अन्दर ही बनाया हुआ है।
••ग्रावण: अन्तर्भागे एव एतत् निर्मितमस्ति।

न उस समय आधुनिक ड्रिल मशीन था न कटर था तो किस तरीके से बनाया होगा बिलकुल हैरान करने वाली बात है।
••न तदानीम् आधुनिकं छेदकयन्त्रं बभूव न च कर्तकयन्त्रं बभूव, तर्हि केन विधिना निर्मितं स्यात्? सर्वथा आश्चर्यकरो विषयोऽस्ति।

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जैसे नाव में पानी भरने से नाव डूबने का खतरा बढ़ जाता है।
••यथा नौकायां जले प्रविष्टे एतस्याः निमज्जनभयं वर्धते।

उस स्थिति में हम दोनों हाथों से नाव का पानी बाहर फेंकने लगते है।
••तस्यां परिस्थित्यां वयं द्वाभ्यां हस्ताभ्यां नौकाया: जलं बहि: उल्लाजयितुमारभामहे।

ठीक वैसे ही घर में धन बढ़ जाने पर हमें दोनों हाथों से दान करना चाहिए।
••तथैव गृहे धने वर्धिते अस्माभि: द्वाभ्यां हस्ताभ्यां दानं करणीयम्।

जल्दी से जल्दी दोनों हाथों से अधिक धन को बाहर निकलना चाहिए यानि दान करना चाहिए।यही समझदारी का काम है।
••अतिरिक्तं धनं यथाशीघ्रं द्वाभ्यां हस्ताभ्यां निष्कासयेत् अर्थात् दानं करणीयम्।इदमेव दूरदर्शित्वकार्यमस्ति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas