नीतिशतकम्
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🔆धैर्यवान् जनः शतशः दुःखानि सोढ्वाऽपि कदापि धैर्यं न त्यजति यथा अग्नेः ज्योतिः अधोमुखी कृता अपि तस्याः शिखा अधः न अपितु ऊर्ध्वं दिशं प्रति एव भवति।
⚜धैर्यवान् पुरुष घोर दुःख पड़ने पर भी अपने धैर्य को नहीं छोड़ता; क्योंकि प्रज्वलित अग्नि के उल्टा कर देने पर भी उसकी शिखा ऊपर ही को रहती है।
#Subhashitam
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कदर्थितस्यापि हि धैर्यवृत्तेर्न शक्यते धैर्यगुणः प्रमार्ष्टुम्।
अधोमुखस्यापि कृतस्य वह्नेर्नाधः शिखा याति कदाचिदेव
।।🔆धैर्यवान् जनः शतशः दुःखानि सोढ्वाऽपि कदापि धैर्यं न त्यजति यथा अग्नेः ज्योतिः अधोमुखी कृता अपि तस्याः शिखा अधः न अपितु ऊर्ध्वं दिशं प्रति एव भवति।
⚜धैर्यवान् पुरुष घोर दुःख पड़ने पर भी अपने धैर्य को नहीं छोड़ता; क्योंकि प्रज्वलित अग्नि के उल्टा कर देने पर भी उसकी शिखा ऊपर ही को रहती है।
#Subhashitam
यदि त्वं मिथ्या वदसि तर्हि तव जीवितं दुष्करं भवेत्।
भवेत् इत्यस्य कृते कर्ता कः अस्ति।
भवेत् इत्यस्य कृते कर्ता कः अस्ति।
Anonymous Quiz
19%
तव
50%
जीवितम्
2%
तर्हि
29%
त्वम्
भोजन सम्बन्धी कुछ नियम
सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम है
🌹👉(१)पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
••पञ्चाङ्गं सम्यक् प्रक्षाल्य एव भोजनं कुर्यात्।(हस्तौ,पादौ च मुखं च)
🌹👉(२)पैर गीला करके खाने से आयु में वृद्धि होती है
••पादार्द्रैः भोजनं खादनेन आयुर्वर्धते।
🌹👉 (३)प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है।
••प्रात: सायं चैव भोजनस्य नियमोऽस्ति।
🌹👉( ४)पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही खाना चाहिए।
••पूर्वाभिमुखः उत्तराभिमुखो वा भूत्वा भुञ्जीत।
🌹👉(५)दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना प्रेत कुल में जन्म लेने के समान है।
••दक्षिणाभिमुखं भोजनं भूतकुलजन्मवत्।
🌹👉(६) पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
••पश्चिमिदिशि भोजनेन रोगो वर्धते।
🌹👉(७)बिछावन पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए।
••शय्यायां, हस्ते स्थापयित्वा, भग्नपात्रेषु भोजनं न ग्रहीतव्यम्।
🌹👉(८)मल मूत्र का वेग होने पर , कलह के माहौल में , अधिक शोर में , पीपल और बरगद वृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए।
••मलमूत्रवेगे सति च कलहवातावारणे च भृशं शोरगुले च वटावश्वत्थयो: अध: च भोजनग्रहणं न करणीयम्।
🌹👉 ९)परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
••परिवेषितभोजनस्य निन्दा कदापि न करणीया।
🌹👉(१०)खाने से पूर्व अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के उनको धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए।
••भोजनात् पूर्वम् अन्नदेवं अन्नपूर्णां च स्तुतिं कृत्वा तस्मै तस्यै च धन्यवादं च दत्त्वा प्रार्थनीयं यत् सर्वबुभूक्षाणां कृते अन्नं ददातु- इति।
🌹👉(११)भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से , मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले तीन रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये।
••यः भोजनं पचति सः शुद्धहृदयेन मन्त्रजपं कुर्वन् स्नानं कृत्वा एव पाकशालायां भोजनं पक्त्वा प्रथमं त्रीणि रोटिका: पृथक् पृथक् बहिः निष्कास्य गोकुक्कुरकाकानां कृते,ततः परं अग्निदेवाय भोजनं समर्पयन् एव परिवारजनेभ्य: भोजयेत्।
~उमेशगुप्तः
#vakyabhyas
सनातन धर्म के अनुसार भोजन ग्रहण करने के कुछ नियम है
🌹👉(१)पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे !
••पञ्चाङ्गं सम्यक् प्रक्षाल्य एव भोजनं कुर्यात्।(हस्तौ,पादौ च मुखं च)
🌹👉(२)पैर गीला करके खाने से आयु में वृद्धि होती है
••पादार्द्रैः भोजनं खादनेन आयुर्वर्धते।
🌹👉 (३)प्रातः और सायं ही भोजन का विधान है।
••प्रात: सायं चैव भोजनस्य नियमोऽस्ति।
🌹👉( ४)पूर्व और उत्तर दिशा की ओर मुंह करके ही खाना चाहिए।
••पूर्वाभिमुखः उत्तराभिमुखो वा भूत्वा भुञ्जीत।
🌹👉(५)दक्षिण दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना प्रेत कुल में जन्म लेने के समान है।
••दक्षिणाभिमुखं भोजनं भूतकुलजन्मवत्।
🌹👉(६) पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है !
••पश्चिमिदिशि भोजनेन रोगो वर्धते।
🌹👉(७)बिछावन पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो में भोजन नहीं करना चाहिए।
••शय्यायां, हस्ते स्थापयित्वा, भग्नपात्रेषु भोजनं न ग्रहीतव्यम्।
🌹👉(८)मल मूत्र का वेग होने पर , कलह के माहौल में , अधिक शोर में , पीपल और बरगद वृक्ष के नीचे भोजन नहीं करना चाहिए।
••मलमूत्रवेगे सति च कलहवातावारणे च भृशं शोरगुले च वटावश्वत्थयो: अध: च भोजनग्रहणं न करणीयम्।
🌹👉 ९)परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए।
••परिवेषितभोजनस्य निन्दा कदापि न करणीया।
🌹👉(१०)खाने से पूर्व अन्न देवता और अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के उनको धन्यवाद देते हुए तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इश्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए।
••भोजनात् पूर्वम् अन्नदेवं अन्नपूर्णां च स्तुतिं कृत्वा तस्मै तस्यै च धन्यवादं च दत्त्वा प्रार्थनीयं यत् सर्वबुभूक्षाणां कृते अन्नं ददातु- इति।
🌹👉(११)भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से , मंत्र जप करते हुए ही रसोई में भोजन बनाये और सबसे पहले तीन रोटिया अलग निकाल कर ( गाय , कुत्ता , और कौवे हेतु ) फिर अग्नि देव का भोग लगा कर ही घर वालो को खिलाये।
••यः भोजनं पचति सः शुद्धहृदयेन मन्त्रजपं कुर्वन् स्नानं कृत्वा एव पाकशालायां भोजनं पक्त्वा प्रथमं त्रीणि रोटिका: पृथक् पृथक् बहिः निष्कास्य गोकुक्कुरकाकानां कृते,ततः परं अग्निदेवाय भोजनं समर्पयन् एव परिवारजनेभ्य: भोजयेत्।
~उमेशगुप्तः
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जयपुरस्य केनचिद् निपुणशिल्पिना हस्तकृतम् इदं चान्दनिकं पूर्णपात्रं प्रधानमन्त्रिणा नरेन्द्रमोदिना अमेरिक्कादेशस्य राष्ट्रपतये जोबाइडेनित्यस्मै प्रादीयत।
#celebrating_sanskrit
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा।
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
⏳ ४५ निमेषाः
🕛 IST ११:०० AM
🔰सुभाषितं कथा प्रहेलिका
🗓२३ जून् २०२३, शुक्रवासरः
🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.
📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं ,प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।
वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु ⏰
👇👇👇👇👇
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=c76d9941aeab5bd149
सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
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यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।।
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🗓२३ जून् २०२३, शुक्रवासरः
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Telegram
संस्कृत संवादः (Sanskrit Samvadah)
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https://t.me/samskrt_samvadah/11287
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
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🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - पंचमी शाम 07:53 तक तत्पश्चात षष्ठी
⛅दिनांक - 23 जून 2023
⛅दिन - शुक्रवार
⛅शक संवत् - 1945
⛅अयन - दक्षिणायन
⛅ऋतु - वर्षा
⛅मास - आषाढ़
⛅पक्ष - शुक्ल
⛅नक्षत्र - मघा पूर्ण रात्रि तक
⛅योग - वज्र 24 जून प्रातः 04:32 तक तत्पश्चात सिद्धि
⛅राहु काल - सुबह 11:00 से दोपहर 12:42 तक
⛅सूर्योदय - 05:55
⛅सूर्यास्त - 07:28
⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:32 से 05:13 तक
⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:21 से 01:03 तक
⛅व्रत पर्व विवरण - श्री द्वारकाधीश पाटोत्सव, श्री वल्लभाचार्य वैकुंठ-गमन, संत टेऊँरामजी जयंती
🚩आज की हिंदी तिथि
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⛅व्रत पर्व विवरण - श्री द्वारकाधीश पाटोत्सव, श्री वल्लभाचार्य वैकुंठ-गमन, संत टेऊँरामजी जयंती
https://youtu.be/v_2__U37si4
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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Vaarta: News in Sanskrit | संस्कृत में समाचार
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मुद्राराक्षसम्
🔆 यथा सागरः रत्नानामागारः भवति तथैव सर्वेषां शास्त्राणां तत्वं ये जानन्ति यदि तेषां ज्ञानेन वयं न तुष्यामः चेत् सा अस्माकम् ईर्ष्या भवति।
⚜जैसे सागर रत्नों की खान है,उसी प्रकार जो शास्त्रों की खान(गुणवान)है उनके गुणों से हम भी संतुष्ट नहीं होते जब हम उनसे ईर्ष्या करते हैं।
#Subhashitam
आकर: सर्वशास्त्राणां रत्नानामिव सागर:।
गुणैर्न परितुष्यामो यस्य मत्सारिणो वयम्
।। मुद्राराक्षसम्
🔆 यथा सागरः रत्नानामागारः भवति तथैव सर्वेषां शास्त्राणां तत्वं ये जानन्ति यदि तेषां ज्ञानेन वयं न तुष्यामः चेत् सा अस्माकम् ईर्ष्या भवति।
⚜जैसे सागर रत्नों की खान है,उसी प्रकार जो शास्त्रों की खान(गुणवान)है उनके गुणों से हम भी संतुष्ट नहीं होते जब हम उनसे ईर्ष्या करते हैं।
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