🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 10:54 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 26 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रेवती रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात आश्विनी
⛅️ योग - आयुष्मान रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:17 से 03:58 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
⛅️ 🚩तिथि - एकादशी सुबह 10:54 तक तत्पश्चात द्वादशी
⛅️ दिनांक - 26 मई 2022
⛅️ दिन - गुरुवार
⛅️ शक संवत - 1944
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - रेवती रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात आश्विनी
⛅️ योग - आयुष्मान रात्रि 10:15 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅️ राहुकाल - अपरान्ह 02:17 से 03:58 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - दक्षिण दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:13 तक
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=vNogH2dRmzk
प्रतिदिनं प्रातः ७:१५ वादने १५ निमेषात्मिकायै वार्तायै डी डी न्यूज् इति पश्यत।
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वार्ता: संस्कृत भाषा में समाचार
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।
Read in English
हिन्दी में पढें
#chitram
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
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#chitram
🍃नात्यन्तं सरलेर्भाव्यं गत्वा पश्य वनस्थलीम्। छिद्यन्ते सरलास्तत्र कुब्जास्तिष्ठन्ति पादपाः।।
⚜Do not be very upright in your dealings, as you would see in forest, the straight trees are cut down while the crooked ones are left standing.
⚜अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे, बन में जो सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं,
और जो पेड़ टेढ़े हैं वो खड़े हैं।
🔅संसारे अतिसरलः भूत्वा न भवितव्यम् यतः वने सरलाः वृक्षाः प्रथमं छिद्यन्ते कुब्जान्(वक्रान्) वृक्षान् न केऽपि छिन्दन्ति।
#Subhashitam
⚜Do not be very upright in your dealings, as you would see in forest, the straight trees are cut down while the crooked ones are left standing.
⚜अपने व्यवहार में बहुत सीधे ना रहे, बन में जो सीधे पेड़ पहले काटे जाते हैं,
और जो पेड़ टेढ़े हैं वो खड़े हैं।
🔅संसारे अतिसरलः भूत्वा न भवितव्यम् यतः वने सरलाः वृक्षाः प्रथमं छिद्यन्ते कुब्जान्(वक्रान्) वृक्षान् न केऽपि छिन्दन्ति।
#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
क्षालयन्ति हि तीर्थानि सर्वथा देहजं मलम्। मानसं क्षालितुं तानि न समर्थानि वै नृपः।। = गङ्गादि जलमय तीर्थ में स्नान करने से शरीर का मल ही धुलता है, हे राजन् ये जलमय तीर्थ मानसिक दोषों को धोने में सर्वथा असमर्थ हैं। दह्यमानाः सुतीव्रेण नीचाः परयशोऽग्निना।…
संस्कृतं वद आधुनिको भव।
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (41) कृदन्त (9) शतृ प्रत्यय
(जब नाम शब्दों के विशेषण के रूप में वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल में विद्यमान परस्मैपद संज्ञक धातु का प्रयोग किया जाता है, तब उस धातु से शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ प्रत्ययान्त क्रिया शब्द के रूप पुल्लिंग में ‘पठत्’ के समान, óीलिंग में ‘नदी’ के समान तथा नपुंसकलिंग में ‘जगत्’ के समान चलेंगे।)
पाठं पठते बालकाय माता नारंगरसं यच्छति
= पाठ पढ़ते हुए बालक को मां मोसमी का रस दे रही है।
ग्रामम् आगच्छन्तं शकटं पथ्येव व्यकरोत्
= गांव आती हुई बैलगाड़ी रास्ते में ही बिगड़ गई।
प्राङ्गणे क्रीडन्तस्य किशोरस्य पादे कण्टकोऽविध्यत्
= आंगन में खेलते हुए बच्चे के पैर में कांटा चुभ गया।
कुण्डलिनीं खादन्तं बालकं भिक्षुकः कुण्डलिनीमयाचीत्
= जिलेबी खाते हुए बच्चे से भिखारी ने जिलेबी मांगी।
सन्तानिकामपसारयन्ती माता दुग्धं पिबन्तीं मार्जारमद्राक्षीत्
= मलाई निकालती हुई मां ने दूध पीती हुई बिल्ली देखी।
परीक्षायाः सज्जां कुर्वत्या मालया बहूनि पुस्तकानि पठितानि
= परीक्षा की तैयारी करती हुई माला के द्वारा बहुत पुस्तकें पढ़ी गईं।
प्रवणे विलुण्ठन्ती वृद्धा चीत्कारमकार्षीत्
= ढलान पर लुढकती हुई बुढिया चिल्लाई।
क्रीडनकेन क्रीडतः आत्मदर्शिनः क्रीडनकं ब्रह्मदर्शी अनैषीत्
= खिलौने से खेलते हुए आत्मदर्शी का खिलौना ब्रह्मदर्शी ले गया।
रुदते आत्मदर्शिने च ग्लुकोविटा-गुल्लिकां ददाति
= रोते हुए आत्मदर्शी को ग्लुकोविटा-टॉफी दे रही है।
गुल्लिकां खादन् आत्मदर्शी मोदते
= टॉफी खाता आत्मदर्शी खुश हो रहा है।
अनुधावतः कुक्कुरात् पान्थो बिभेति
= पीछे पड़े हुए कुत्ते से राहगीर डर रहा है।
बुक्कति कुक्कुरे भीतः पथिकः पाषाणं क्षिपति
= भौंकते हुए कुत्ते पर पथिक पत्थर फैंकता है।
जल्पन्तं तत्त्वदर्शिनं दृष्ट्वा देयाऽऽदेय-लेखां कुर्वन् पिता तं पठितुमवोचत्
= बात करते हुए तत्त्वदर्शी को देखकर हिसाब करते हुए पिता ने उसे पढ़ने के लिए कहा।
वृक्षे निवसन्तः खगाः प्रातरुड्डीय सायं
पुनः प्रत्यागच्छन्ति
= पेड़ पर रहते हुए पक्षी सुबह
उड़कर शाम को फिर आ जाते हैं।
स्वपन् शिशुः किमपि स्मरन् हसति
= सोया हुआ बच्चा कुछ याद करके हंस रहा है।
खादन् न जल्पेयुः
= खाते हुए बात न करें।
वसन्तीह रमा भृशं कलहायते स्म
= यहां रहती हुई रमा खूब झगड़े करती थी।
दीव्यन् कितवः सर्वं पराजयत
= जुआ खेलता हुआ जुआरी सब कुछ हार गया।
पादपान् सि´्चन्ती उद्यानपालिका पुष्पं चिन्वन्तीं कन्यामपश्यत्
= पौधों को पानी पिलाती हुई मालिन ने फूल तोड़ती हुई बच्ची को देखा।
सीमां रक्षतः सैनिकान् वन्दामहै
= सरहद की रक्षा करते हुए सैनिकों को हम वन्दन करते हैं।
मद्यपं जहता मद्यपेन बहूनि कष्टानि अनुभूतानि
= शराब छोड़ते हुए शराबी ने बहुत कष्ट अनुभव किया।
दूरं त्यक्तोऽपि भषकः जिघ्रन् पुनरपि ग्रामं प्रत्यावर्त्तत
= दूर छोड़ दिया गया कुत्ता फिर सूंघता हुआ गांव में आ गया।
वर्षन्ती मेघमाला मनः आह्लादते
= बरसते हुए बादल मन को आह्लादित करते हैं।
शीकरं हस्तेन गृह्णत्या बालिकायाः बाल्यं
कियत् मनोरममस्ति
= फुहार को हाथ से पकड़ती हुई बच्ची का बचपना कितना मनोरम है।
वानप्रस्थिनः आश्रमे तपन्तः सुखेन जीवन्ति अन्ये तु अतीतानि दिनानि स्मरन्तः कालं यापयन्ति
= वानप्रस्थी आश्रम में तपस्या करते हुए सुख से जीते हैें, और अन्य लोग बीते दिनों को याद करते समय बिताते हैं।
परिव्राजकः परिव्रजन् सर्वान् धर्ममुपदिशेत्
= संन्यासी सर्वत्र विचरण करता हुआ सबको धर्म का उपदेश करे।
स्वाश्रमं निर्मिमियन् संन्यासी स्वधर्मात् प्रवच्यते
= अपना आश्रम बनाता हुआ संन्यासी अपने धर्म से गिर जाता है।
परछिद्रान्वेषी स्वछिद्राणि पश्यन्नपि न
पश्यति
= दूसरों के दोष देखने का आदि व्यक्ति अपने दोषों को देखते हुए भी नहीं देखता।
प्रत्यहं आत्मनिरीक्षणं कुर्वन् मनुष्य उन्नतिं लभते
= प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करनेवाला ऊँचाईयों को छूता है।
दानं ददन् गृहस्थी स्वर्गमाप्नोति
= दान देता हुआ गृहस्थी उत्तम सुखों को प्राप्त करता है।
#vakyabhyas
वेदान् पठ वैज्ञानिको भव।।
पाठ: (41) कृदन्त (9) शतृ प्रत्यय
(जब नाम शब्दों के विशेषण के रूप में वर्तमानकाल तथा भविष्यकाल में विद्यमान परस्मैपद संज्ञक धातु का प्रयोग किया जाता है, तब उस धातु से शतृ प्रत्यय का प्रयोग होता है। शतृ प्रत्ययान्त क्रिया शब्द के रूप पुल्लिंग में ‘पठत्’ के समान, óीलिंग में ‘नदी’ के समान तथा नपुंसकलिंग में ‘जगत्’ के समान चलेंगे।)
पाठं पठते बालकाय माता नारंगरसं यच्छति
= पाठ पढ़ते हुए बालक को मां मोसमी का रस दे रही है।
ग्रामम् आगच्छन्तं शकटं पथ्येव व्यकरोत्
= गांव आती हुई बैलगाड़ी रास्ते में ही बिगड़ गई।
प्राङ्गणे क्रीडन्तस्य किशोरस्य पादे कण्टकोऽविध्यत्
= आंगन में खेलते हुए बच्चे के पैर में कांटा चुभ गया।
कुण्डलिनीं खादन्तं बालकं भिक्षुकः कुण्डलिनीमयाचीत्
= जिलेबी खाते हुए बच्चे से भिखारी ने जिलेबी मांगी।
सन्तानिकामपसारयन्ती माता दुग्धं पिबन्तीं मार्जारमद्राक्षीत्
= मलाई निकालती हुई मां ने दूध पीती हुई बिल्ली देखी।
परीक्षायाः सज्जां कुर्वत्या मालया बहूनि पुस्तकानि पठितानि
= परीक्षा की तैयारी करती हुई माला के द्वारा बहुत पुस्तकें पढ़ी गईं।
प्रवणे विलुण्ठन्ती वृद्धा चीत्कारमकार्षीत्
= ढलान पर लुढकती हुई बुढिया चिल्लाई।
क्रीडनकेन क्रीडतः आत्मदर्शिनः क्रीडनकं ब्रह्मदर्शी अनैषीत्
= खिलौने से खेलते हुए आत्मदर्शी का खिलौना ब्रह्मदर्शी ले गया।
रुदते आत्मदर्शिने च ग्लुकोविटा-गुल्लिकां ददाति
= रोते हुए आत्मदर्शी को ग्लुकोविटा-टॉफी दे रही है।
गुल्लिकां खादन् आत्मदर्शी मोदते
= टॉफी खाता आत्मदर्शी खुश हो रहा है।
अनुधावतः कुक्कुरात् पान्थो बिभेति
= पीछे पड़े हुए कुत्ते से राहगीर डर रहा है।
बुक्कति कुक्कुरे भीतः पथिकः पाषाणं क्षिपति
= भौंकते हुए कुत्ते पर पथिक पत्थर फैंकता है।
जल्पन्तं तत्त्वदर्शिनं दृष्ट्वा देयाऽऽदेय-लेखां कुर्वन् पिता तं पठितुमवोचत्
= बात करते हुए तत्त्वदर्शी को देखकर हिसाब करते हुए पिता ने उसे पढ़ने के लिए कहा।
वृक्षे निवसन्तः खगाः प्रातरुड्डीय सायं
पुनः प्रत्यागच्छन्ति
= पेड़ पर रहते हुए पक्षी सुबह
उड़कर शाम को फिर आ जाते हैं।
स्वपन् शिशुः किमपि स्मरन् हसति
= सोया हुआ बच्चा कुछ याद करके हंस रहा है।
खादन् न जल्पेयुः
= खाते हुए बात न करें।
वसन्तीह रमा भृशं कलहायते स्म
= यहां रहती हुई रमा खूब झगड़े करती थी।
दीव्यन् कितवः सर्वं पराजयत
= जुआ खेलता हुआ जुआरी सब कुछ हार गया।
पादपान् सि´्चन्ती उद्यानपालिका पुष्पं चिन्वन्तीं कन्यामपश्यत्
= पौधों को पानी पिलाती हुई मालिन ने फूल तोड़ती हुई बच्ची को देखा।
सीमां रक्षतः सैनिकान् वन्दामहै
= सरहद की रक्षा करते हुए सैनिकों को हम वन्दन करते हैं।
मद्यपं जहता मद्यपेन बहूनि कष्टानि अनुभूतानि
= शराब छोड़ते हुए शराबी ने बहुत कष्ट अनुभव किया।
दूरं त्यक्तोऽपि भषकः जिघ्रन् पुनरपि ग्रामं प्रत्यावर्त्तत
= दूर छोड़ दिया गया कुत्ता फिर सूंघता हुआ गांव में आ गया।
वर्षन्ती मेघमाला मनः आह्लादते
= बरसते हुए बादल मन को आह्लादित करते हैं।
शीकरं हस्तेन गृह्णत्या बालिकायाः बाल्यं
कियत् मनोरममस्ति
= फुहार को हाथ से पकड़ती हुई बच्ची का बचपना कितना मनोरम है।
वानप्रस्थिनः आश्रमे तपन्तः सुखेन जीवन्ति अन्ये तु अतीतानि दिनानि स्मरन्तः कालं यापयन्ति
= वानप्रस्थी आश्रम में तपस्या करते हुए सुख से जीते हैें, और अन्य लोग बीते दिनों को याद करते समय बिताते हैं।
परिव्राजकः परिव्रजन् सर्वान् धर्ममुपदिशेत्
= संन्यासी सर्वत्र विचरण करता हुआ सबको धर्म का उपदेश करे।
स्वाश्रमं निर्मिमियन् संन्यासी स्वधर्मात् प्रवच्यते
= अपना आश्रम बनाता हुआ संन्यासी अपने धर्म से गिर जाता है।
परछिद्रान्वेषी स्वछिद्राणि पश्यन्नपि न
पश्यति
= दूसरों के दोष देखने का आदि व्यक्ति अपने दोषों को देखते हुए भी नहीं देखता।
प्रत्यहं आत्मनिरीक्षणं कुर्वन् मनुष्य उन्नतिं लभते
= प्रतिदिन आत्मनिरीक्षण करनेवाला ऊँचाईयों को छूता है।
दानं ददन् गृहस्थी स्वर्गमाप्नोति
= दान देता हुआ गृहस्थी उत्तम सुखों को प्राप्त करता है।
#vakyabhyas
🍃
♦️sattvan rajastama iti gunah prakrtisanbhavah.
nibadhnanti mahabaho dehe dehinamavyayam৷৷14.5৷৷
⚜Purity, passion and inertia these alities, O Arjuna, born of Nature, bind fast in the body, the embodied, the indestructible.(14.5)
⚜हे महाबाहो सत्त्व रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण देही आत्मा को देह के साथ बांध देते हैं।।14.5।।
#geeta
सत्त्वं रजस्तम इति गुणाः प्रकृतिसंभवाः।
निबध्नन्ति महाबाहो देहे देहिनमव्ययम्
।।14.5।।♦️sattvan rajastama iti gunah prakrtisanbhavah.
nibadhnanti mahabaho dehe dehinamavyayam৷৷14.5৷৷
⚜Purity, passion and inertia these alities, O Arjuna, born of Nature, bind fast in the body, the embodied, the indestructible.(14.5)
⚜हे महाबाहो सत्त्व रज और तम ये प्रकृति से उत्पन्न तीनों गुण देही आत्मा को देह के साथ बांध देते हैं।।14.5।।
#geeta
🍃
♦️tatra sattvan nirmalatvatprakasakamanamayam.
sukhasangena badhnati jnanasangena canagha৷৷14.6৷৷
⚜Of these, Sattva, which from its stainlessness is luminous and healthy, binds by attachment to happiness and by attachment to knowledge, O sinless one.(14.6)
⚜हे निष्पाप अर्जुन इन (तीनों) में सत्त्वगुण निर्मल होने से प्रकाशक और अनामय (निरुपद्रव निर्विकार या निरोग) है (वह जीव को) सुख की आसक्ति से और ज्ञान की आसक्ति से बांध देता है।।14.6।।
#geeta
तत्र सत्त्वं निर्मलत्वात्प्रकाशकमनामयम्।
सुखसङ्गेन बध्नाति ज्ञानसङ्गेन चानघ
।।14.6।।♦️tatra sattvan nirmalatvatprakasakamanamayam.
sukhasangena badhnati jnanasangena canagha৷৷14.6৷৷
⚜Of these, Sattva, which from its stainlessness is luminous and healthy, binds by attachment to happiness and by attachment to knowledge, O sinless one.(14.6)
⚜हे निष्पाप अर्जुन इन (तीनों) में सत्त्वगुण निर्मल होने से प्रकाशक और अनामय (निरुपद्रव निर्विकार या निरोग) है (वह जीव को) सुख की आसक्ति से और ज्ञान की आसक्ति से बांध देता है।।14.6।।
#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 11:47 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 27 मई 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - आश्विनी रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात भरणी
⛅️ योग - सौभाग्य रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥 🚩यगाब्द - ५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७९
🌥 🚩शक संवत - १९४४
⛅️ 🚩तिथि - द्वादशी सुबह 11:47 तक तत्पश्चात त्रयोदशी
⛅️ दिनांक - 27 मई 2022
⛅️ दिन - शुक्रवार
⛅️ अयन - उत्तरायण
⛅️ ऋतु - ग्रीष्म
⛅️ मास - ज्येष्ठ
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - आश्विनी रात्रि 12:39 तक तत्पश्चात भरणी
⛅️ योग - सौभाग्य रात्रि 10:09 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️ राहुकाल - सुबह 10:56 से दोपहर 12:37 तक
⛅️ सर्योदय - 05:55
⛅️ सर्यास्त - 07:19
⛅️ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅️ बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:30 से 05:12 तक
Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (Bhavani Raman)
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन करेंगे - YouTube
https://m.youtube.com/watch?v=OtSF7ZsULbQ
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YouTube
वार्ता: संस्कृत में समाचार | पीएम मोदी आज भारत ड्रोन महोत्सव 2022 का उद्घाटन करेंगे
🍃न पश्यति च जन्मान्धः कामान्धो नैव पश्यति।
न पश्यति मदोन्मत्तो ह्यर्थी दोषान् न पश्यति ॥
⚜जन्म के अन्धे को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को भी कुछ नहीं दीखता, शराब आदि के कारण उन्मत्त को भी कुछ नहीं सूझता और स्वार्थी अपने काम को सिद्ध करने की धुन में किसी काम में दोष नहीं देखता ।।
🔅जन्मतः अन्धः न पश्यति, कामकारणेन अपि न पश्यति, व्यसनकारणेनापि न द्रष्टुं किमपि कर्तुं वा शक्नोति तथा च स्वार्थी जनः स्वकार्यं साधयितुम् अपि दोषान् न पश्यति।
#Subhashitam
न पश्यति मदोन्मत्तो ह्यर्थी दोषान् न पश्यति ॥
⚜जन्म के अन्धे को दिखाई नहीं देता, कामान्ध को भी कुछ नहीं दीखता, शराब आदि के कारण उन्मत्त को भी कुछ नहीं सूझता और स्वार्थी अपने काम को सिद्ध करने की धुन में किसी काम में दोष नहीं देखता ।।
🔅जन्मतः अन्धः न पश्यति, कामकारणेन अपि न पश्यति, व्यसनकारणेनापि न द्रष्टुं किमपि कर्तुं वा शक्नोति तथा च स्वार्थी जनः स्वकार्यं साधयितुम् अपि दोषान् न पश्यति।
#Subhashitam