संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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श्रीमद्भगवद्गीता [12.11]
🍃अथैतदप्यशक्तोऽसि कर्तुं मद्योगमाश्रितः।
सर्वकर्मफलत्यागं ततः कुरु यतात्मवान्
।।12.11।।

♦️athaitadapyashakto'si kartuM madyogamaashritaH|
sarvakarmaphalatyaagaM tataH kuru yataatmavaan

If you are unable to work for Me then just surrender unto My will with subdued mind, and renounce (the attachment to, and the anxiety for) the fruits of all work (by learning to accept all results, as God-given, with equanimity). (12.11)

और यदि इसको भी करने के लिए तुम असमर्थ हो तो आत्मसंयम से युक्त होकर मेरी प्राप्ति रूप योग का आश्रय लेकर तुम समस्त कर्मों के फल का त्याग करो।।12.11।।

#geeta
🚩जय सत्य सनातन🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द-५१२४
🌥 🚩विक्रम संवत-२०७९
⛅️ 🚩तिथि - द्वितीया प्रातः 05:18 (03 मई) तक तत्पश्चात तृतीया

⛅️दिनांक 02 मई 2022
⛅️दिन - सोमवार
⛅️विक्रम संवत - 2079
⛅️शक संवत - 1944
⛅️अयन - उत्तरायण
⛅️ऋतु - ग्रीष्म
⛅️मास - वैशाख
⛅️पक्ष - शुक्ल
⛅️नक्षत्र - कृतिका रात्रि 12:34 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅️योग - सौभाग्य अपरान्ह 03:38 तक तत्पश्चात शोभन
⛅️राहुकाल - सुबह 07:44 से सुबह 09:21 तक
⛅️सर्योदय - 06:06
⛅️सर्यास्त - 07:07
⛅️दिशाशूल - पूर्व दिशा में
⛅️बरह्म मुहूर्त- प्रातः 04:38 से 05:22 तक
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕚 IST 11:00 AM
🔰सार्थकं जीवनम्
🗓02nd May 2022, सोमवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं लौकिकजीवनस्य सार्थकता कस्मिन् कर्मणि अस्ति) चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

विशेषः - जैनमुनेः सम्बोधनम्।
पूज्यः मुनिश्री अमोघकीर्ति जी

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼👇🏼
https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Live stream scheduled for
🔰चित्रं दृष्ट्वा पञ्चवाक्यानि रचयत।
✍🏼सर्वे टिप्पणीसञ्चिकायां स्वोत्तराणि लेखितुं शक्नुवन्ति अथवा पुस्तिकायां लिखित्वा तस्य चित्रं स्वीकृत्य अपि प्रेषयितुं शक्नुवन्ति।
🗣सहैव तानि वाक्यानि उक्त्वा ध्वनिमाध्यमेन अपि प्रेषयत।

🔰 चित्र देखकर पांच वाक्य बनायें।
✍🏼आप कमेंट बॉक्स में टङ्कण कर सकते हैं या कॉपी पर लिखकर फोटो भी भेज सकते हैं।
🗣 साथ हि वें वाक्य बोलकर भी वाइस नोट भेजें।

🔰Make 5 sentences, Observing the attached image.
✍🏼You can type in the comment box or you can also send a photo by writing on the notebook.
🗣 Also, Send voice message by uttering those sentences.

#chitram
🍃"धृतिः क्षमा दमोऽस्तेयं शौच मिन्द्रियनिग्रहः ।
धी र्विद्या सत्यमक्रोधो दशकं धर्म लक्षणम्
॥"

"धारणा शक्ति, क्षमा, दम, अस्तेय (चोरी न करना), शौच, इन्द्रियनिग्रह, बुद्धि, विद्या, सत्य, अक्रोध – ये दस धर्म के लक्षण हैं ।"

🔅धारणाशक्तिः, क्षमा, दमः, अस्तेयम्(चौर्यं न करणम् ) , शौचः (शुद्धता) , इन्द्रियनिग्रहः (इन्द्रियाणाम् उपरि नियंत्रणम्), बुद्धिः, ,विद्या, सत्यम् , अक्रोधः - एतानि धर्मस्य दशलक्षणानि।

#Subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कोटिपतिः सर्ववेदसमिष्ट्वा आश्रमम् अन्ववात्सीत् अनूषितो वा = करोड़पति सकल धन दान करके आश्रम में रहा। दौर्भाग्यात् धनार्जनाय विदेशम् अन्ववसत् अनूषितो वा = दुर्भाग्य के कारण धन कमाने के लिए विदेश में रहा। वत्सः वत्साम् अन्वजायत अनुजातो वा = बछड़ी के…
नोदकक्लिन्नगात्रस्तु स्नात इत्यभिधीयते।
स स्नातो यो दमस्नातः स बाह्याभ्यन्तरः शुचि।।
= जल से भीगे हुए शरीरवाला नहाया हुआ नहीं कहाता, अपितु नहाया हुआ वह है, जो दम (मन के नियन्त्रण) रूपी जल में नहाया हुआ है। वस्तुतः वही बाहर और भीतर से शुद्ध है।

यः सर्वत्राऽनभिस्नेहस्तत्तत्प्राप्य शुभाऽशुभम्।
नाऽभिनन्दति न द्वेष्टि तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जिसका कहीं भी किसी से भी किसी भी प्रकार का लगाव नहीं है और जो शुभ को प्राप्त कर प्रसन्न नहीं होता तथा अशुभ को पाकर उससे द्वेष नहीं करता उसकी बुद्धि स्थिर है।

यदा संहरते चाऽयं कूर्मोऽङ्गानीव सर्वशः।
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेभ्यस्तस्य प्रज्ञा प्रतिष्ठिता।।
= जैसे (संकट आने पर) कछुआ अपने अंगों को समेट लेता है, वैसे ही जो मनुष्य अपनी इन्द्रियों को विषयों से भली भांति समेट लेता है उसी की बुद्धि स्थिर है।

न पण्डितः क्रुध्यति नाभिपद्यते न चापि संसीदति न प्रहृष्यति।
न चार्थकृच्छ्रव्यसनेषु शोचते स्थितः प्रकृत्या हिमवानिवाऽचलः।।
= पण्डित मनुष्य न क्रोध करता है और न अभिमान ही करता है, न अति दुःखी होता है और न अति प्रसन्न होता है। आर्थिक कठिनाइयों और आपत्तियों में शोक नहीं करता तथा स्वभाव से ही हिमालय के समान अचल और शान्त होता है।

निवृत्ता भागेच्छा पुरुषबहुमानो विगलितः, समानाः स्वर्याताः सपदि सुहृदो जीवितसमाः।
शनैर्यष्ट्युत्थानं घनतिमिररुद्धे च नयने, अहो दुष्टः कायस्तदपि मरणापायचकितः।।
= भोगों की इच्छा दूर हो गई है, पुरुषों में जो मान-सम्मान था वह भी कम हो गया है और अपने प्राणों के समान प्रिय समवयस्क मित्रजन भी शीघ्र ही क्रमशः स्वर्गवासी हो गए हैं। अब धीरे-धीरे लकड़ी के सहारे उठा जाता है और नेत्र गहरे अंधेरे से बन्द हो गए हैं, अहो ! यह दुष्ट शरीर (जीवन) तब भी मत्यु और संसार के विषय में चकित है।

भोगा न भुक्ता वयमेव भुक्तास्तपो न तप्तं वयमेव तप्ताः।
कालो न यातो वयमेव यातास्तृष्णा न जीर्णा वयमेव जीर्णाः।।
= हमारे द्वारा भोग नहीं भोगे गए अपितु हम ही भोगों के द्वारा भोग लिए गए। हमने तप नहीं तपा अपितु हम ही सन्तप्त हो गए। समय नहीं बीता अपितु हम ही बीत गए और तृष्णा बूढ़ी नहीं हुई वरन् हम ही बूढ़े हो गए।

मातापितृसहस्राणि पुत्रदारशतानि च।
तवाऽनन्तानि यातानि कस्तेषां कस्य वा भवान्।।
= हजारों माता-पिता और सैकड़ों पुत्र और पत्नियां इस प्रकार तेरे अनन्त सगे और सम्बन्धी हो चुके। उनका कौन हुआ और किसके तुम हो ?

दिनमपि रजनी सायं प्रातः शिशिरवसन्तौ पुनरायातः।
कालः क्रीडति गच्छत्यायुस्तदपि न मु´्चत्याशावायुः।।
= दिन-रात, सायं-प्रातः, शिशिर-वसन्त आदि बार-बार आए और गए। इस प्रकार काल क्रीडा कर रहा है तथा आयु बीतती जा रही है, तो भी आशा रूपी वायु पिण्ड अर्थात् शरीर नहीं छोड़ रही है। अर्थात् शरीर में आशाएं ज्यों कि त्यों विद्यमान हैं।

यावद्वित्तोपार्जनसक्तस्तावन्निजपरिवारो रक्तः।
पश्चाद् धावति जर्जर देहे वार्तां पृच्छति कोऽपि न गेहे।।
= जब तक मनुष्य धन कमाने में लगा रहता है तब तक उसका परिवार उससे प्रेम करता है। किन्तु जब बुढ़ापे में शरीर जीर्ण हो जाता है, तो घर में उसकी कोई बात भी नहीं पूछता है।

अङ्गं गलितं पलितं मुण्डं, दशनविहीनं जातं तुण्डम्।
वृद्धो याति गृहीत्वा दण्डं तदपि न मु´्चत्याशापिण्डम्।।
= शरीर गल गया है, सिर के बाल पक गए हैं और मुख दांतों से रहित हो गया है, इस अवस्था से युक्त बूढ़ा मनुष्य लकड़ी लेकर चलता है फिर भी जीने की बलवती लालसा उसका पीछा नहीं छोड़ती।

#vakyabhyas
Firstday of a threday workshop.
Course director - What programme is going on ?
Resource person - Sir, inaugurator not yet reached. So self introduction by the participants is going on one hour we can manage with it.

#hasya
सूचना ~
अद्य संस्कृताश्रमः कक्षा न भविष्यति।
आज संस्कृताश्रमः कक्षा नहीं होगी।
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [12.12]
🍃श्रेयो हि ज्ञानमभ्यासाज्ज्ञानाद्ध्यानं विशिष्यते।
ध्यानात्कर्मफलत्यागस्त्यागाच्छान्तिरनन्तरम्
।।12.12।।

♦️shreyo hi j~naanamabhyaasaajj~naanaaddhyaanaM vishiShyate|
dhyaanaatkarmaphalatyaagastyaagaachChaantiranantaram

Knowledge is better than mere ritualistic practice, meditation is better than mere knowledge, renunciation of the fruit of work is better than meditation, peace immediately follows the renunciation of (the attachment to) the fruit of work. (See more on renunciation in Chapter 18) (12.12)

अभ्यास से ज्ञान श्रेष्ठ है ज्ञान से श्रेष्ठ ध्यान है और ध्यान से भी श्रेष्ठ कर्मफल त्याग है त्याग से तत्काल ही शान्ति मिलती है।।12.12।।

#geeta