🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी दोपहर १२:२५ तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - १० जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रेवती सुबह ०८:५० तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - शिव सुबह १०:३७ तक तत्पश्चात सिध्द
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१३
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - अष्टमी दोपहर १२:२५ तक तत्पश्चात नवमी
⛅ दिनांक - १० जनवरी २०२२
⛅ दिन - सोमवार
⛅ शक संवत -१९४३
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - पौष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - रेवती सुबह ०८:५० तक तत्पश्चात अश्विनी
⛅ योग - शिव सुबह १०:३७ तक तत्पश्चात सिध्द
⛅ राहुकाल - सुबह ०८:४० से सुबह १०:०२ तक
⛅ सूर्योदय - ०७:१९
⛅ सूर्यास्त - १८:१३
⛅ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
__________किरणाः शीतलाः भवन्ति।
Anonymous Quiz
13%
चन्द्रमा
36%
चन्द्रमसः
20%
चन्द्रमस्य
32%
चन्द्रमायाः
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
गोदः गां ददाति।
• गाय दान करनेवाला गाय देता है।
पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते।
• मोजा एड़ी की रक्षा करता है।
अङ्गुलित्रम् अङ्गुलीः त्रायते।
• दस्ताना उँगलियों की रक्षा करता है।
मधुपः मधु पिबति।
• भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।
मधुकरः मधु करोति।
• भौंरा शहद बनाता है।
शास्त्रस्त्रज्ञः शास्त्रं जानाति।
• शास्त्रज्ञ शास्त्र जानता है।
शीधुपी शीधु पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
सुरापी सुरां पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि।
• आलसी तोंद थपथपा रहा है।
सामगी साम गायति।
• सामगान करनेवाली सामगान करती है।
न्यायकारी न्यायं करोति।
• न्यायकारी न्याय करता है।
दयाकरः दयां करोति।
• दयालु दया करता है।
सर्वाधारः सर्वान् आधरति।
• सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।
सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि।
• सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।
सर्वज्ञः सर्वं जानाति।
• सर्वज्ञ सब कुछ जानता है।
अल्पज्ञः अल्पं जानाति।
• अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।
सुखकरः सुखं करोति।
• सुखी सुख करता है।
सुखदः सुखं ददाति।
• सुखदाता सुख देता है।
दुःखकरः दुःखं करोति।
• दुःखी दुःख करता है।
दुःखदः दुःखं ददाति।
• दुःखदाता दुःख देता है।
कथाकारः कथां करोति।
• कथाकार कथा करता है।
श्लोककारः श्लोकं करोति।
• श्लोककार श्लोक बनाता है।
चाटुकारः चाटु करोति।
• चापलूस चापलूसी करता है।
सूत्रकारः सूत्रं करोति।
• सूत्रकार सूत्र बनाता है।
कलहकारः कलहं करोति।
• झगड़ालू झगड़ा करता है।
वैरकारः वैरं करोति।
• वैरी वैर करता है।
शकृत्करः शकृत् करोति।
• बछड़ा शौच करता है।
आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति।
• स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।
धर्मधरः धर्मं धरति।
• धार्मिक धर्म को धारण करता है।
सत्यपालः सत्यं पालयति।
• सत्यपाल सत्य का पालन करता है।
गोपालः गां पालयति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोपः गां पाति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
धरणीधरः धरणीं धरति।
• पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।
अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति।
• कम्पवा अंगों को हिलाता है।
जनमेजयः जनान् एजयति।
• जनमेजय लोगों को हिलाता है।
मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति।
• मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।
शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति।
• शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।
सञ्जयः सर्वं सञ्जयति।
• संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।
नासिकन्धमः नासिकां धमति।
• खर्राटे भरनेवाला खर्राटे भर रहा है।
मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति।
• मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।
अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति।
• अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।
#vakyabhyas
• गाय दान करनेवाला गाय देता है।
पार्ष्णिंत्रं पार्ष्णिं त्रायते।
• मोजा एड़ी की रक्षा करता है।
अङ्गुलित्रम् अङ्गुलीः त्रायते।
• दस्ताना उँगलियों की रक्षा करता है।
मधुपः मधु पिबति।
• भौंरा शहद पीता है / शराबी शराब पीता है।
मधुकरः मधु करोति।
• भौंरा शहद बनाता है।
शास्त्रस्त्रज्ञः शास्त्रं जानाति।
• शास्त्रज्ञ शास्त्र जानता है।
शीधुपी शीधु पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
सुरापी सुरां पिबति।
• शराबी महिला मदिरापान करती है।
तुन्दपरिमृजः तुन्दं परिमार्ष्टि।
• आलसी तोंद थपथपा रहा है।
सामगी साम गायति।
• सामगान करनेवाली सामगान करती है।
न्यायकारी न्यायं करोति।
• न्यायकारी न्याय करता है।
दयाकरः दयां करोति।
• दयालु दया करता है।
सर्वाधारः सर्वान् आधरति।
• सर्वाधार सबको अच्छी तरह से धारण करता है।
सर्वेश्वरः सर्वान् ईष्टि।
• सर्वेश्वर सब पर शासन करता है।
सर्वज्ञः सर्वं जानाति।
• सर्वज्ञ सब कुछ जानता है।
अल्पज्ञः अल्पं जानाति।
• अल्पज्ञ थोड़ा जानता है।
सुखकरः सुखं करोति।
• सुखी सुख करता है।
सुखदः सुखं ददाति।
• सुखदाता सुख देता है।
दुःखकरः दुःखं करोति।
• दुःखी दुःख करता है।
दुःखदः दुःखं ददाति।
• दुःखदाता दुःख देता है।
कथाकारः कथां करोति।
• कथाकार कथा करता है।
श्लोककारः श्लोकं करोति।
• श्लोककार श्लोक बनाता है।
चाटुकारः चाटु करोति।
• चापलूस चापलूसी करता है।
सूत्रकारः सूत्रं करोति।
• सूत्रकार सूत्र बनाता है।
कलहकारः कलहं करोति।
• झगड़ालू झगड़ा करता है।
वैरकारः वैरं करोति।
• वैरी वैर करता है।
शकृत्करः शकृत् करोति।
• बछड़ा शौच करता है।
आत्मम्भरिः आत्मानं बिभर्त्ति।
• स्वार्थी अपना भरण-पोषण करता है।
धर्मधरः धर्मं धरति।
• धार्मिक धर्म को धारण करता है।
सत्यपालः सत्यं पालयति।
• सत्यपाल सत्य का पालन करता है।
गोपालः गां पालयति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोपः गां पाति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
गोरक्षः / गोरक्षकः गां रक्षति।
• गोपाल गाय / पृथ्वी / वाणी की रक्षा करता है।
धरणीधरः धरणीं धरति।
• पहाड़ / राजा पृथ्वी को धारण करता है।
अङ्गमेजयः अङ्गानि एजयति।
• कम्पवा अंगों को हिलाता है।
जनमेजयः जनान् एजयति।
• जनमेजय लोगों को हिलाता है।
मृत्युञ्जयः मृत्युं जयति।
• मृत्युंजय मृत्यु को जीतता है।
शत्रुञ्जयः शत्रून् जयति।
• शत्रुंजय शत्रु को जीतता है।
सञ्जयः सर्वं सञ्जयति।
• संजय सभी को अच्छी प्रकार जीतता है।
नासिकन्धमः नासिकां धमति।
• खर्राटे भरनेवाला खर्राटे भर रहा है।
मुष्टिन्धयः मुष्टिं धयति।
• मुट्ठी पीनेवाला / चूसनेवाला बच्चा मूट्ठी चूस रहा है।
अङ्गुष्ठन्धयः अङ्गुष्ठं धयति।
• अंगूठा चूसनेवाला अंगूठा चूसता है।
#vakyabhyas
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-75
पञ्च सेनाग्रगान् हत्वा सप्त मन्त्रिसुतानपि।
शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
श्लोकान्वयः -
(स: हनुमान्) पञ्च सेनाग्रगान् सप्त मन्त्रिसुतान् च हत्वा
शूरम् अक्षम् अपि निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
हिन्दी-अनुवाद -
तत्पश्चात् हनुमान् पाँच सेनापतियों को एवं सात मन्त्रिपुत्रों को मारकर
रावण के वीर पुत्र अक्षय कुमार को चूर-चूर कर मेघनाद द्वारा चलाए गए ब्रह्मास्त्र में आबद्ध हो गए।।75।।
English Meaning
पञ्च सेनाग्रगान् five commanders, सप्त मन्त्रिसुतानपि seven sons of counsellors, हत्वा having killed, शूरम् valiant, अक्षं च Akshaya Kumara, son of Ravana, निष्पिष्य having stamped, ग्रहणम् समुपागमत् got caught, to be taken as captive.
After killing five commanders, seven sons of the counsellors, stamping out valiant Akshayakumara, the son of Ravana, Hanuman got himself captured (to be taken as captive).
#SankshepaRamayanam
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)
मूलश्लोकः-75
पञ्च सेनाग्रगान् हत्वा सप्त मन्त्रिसुतानपि।
शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
श्लोकान्वयः -
(स: हनुमान्) पञ्च सेनाग्रगान् सप्त मन्त्रिसुतान् च हत्वा
शूरम् अक्षम् अपि निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्।।75।।
हिन्दी-अनुवाद -
तत्पश्चात् हनुमान् पाँच सेनापतियों को एवं सात मन्त्रिपुत्रों को मारकर
रावण के वीर पुत्र अक्षय कुमार को चूर-चूर कर मेघनाद द्वारा चलाए गए ब्रह्मास्त्र में आबद्ध हो गए।।75।।
English Meaning
पञ्च सेनाग्रगान् five commanders, सप्त मन्त्रिसुतानपि seven sons of counsellors, हत्वा having killed, शूरम् valiant, अक्षं च Akshaya Kumara, son of Ravana, निष्पिष्य having stamped, ग्रहणम् समुपागमत् got caught, to be taken as captive.
After killing five commanders, seven sons of the counsellors, stamping out valiant Akshayakumara, the son of Ravana, Hanuman got himself captured (to be taken as captive).
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.
Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Swami Vivekanand.
(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
Tuesday.
Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss ( स्वामीविवेकानन्दस्य जीवनघटनां , जीवनपरिचयं वा वदन्तु। )in Sanskrit, If possible.
We are waiting for you.😇
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🍃
♦️shanaiH shanairuparamed buddhyaa dhRRitigRRihiitayaa|
aatmasaMsthaM manaH kRRitvaa na ki~nchidapi chintayet||6.25||
⚜6.25 Little by little let him attain to quietude by the intellect held firmly; having made the mind establish itself in the Self, let him not think of anything.
⚜।।6.25।। शनै शनै धैर्ययुक्त बुद्धि के द्वारा (योगी) उपरामता (शांति) को प्राप्त होवे मन को आत्मा में स्थित करके फिर अन्य कुछ भी चिन्तन न करे।।
#geeta
शनैः शनैरुपरमेद् बुद्ध्या धृतिगृहीतया।
आत्मसंस्थं मनः कृत्वा न किञ्चिदपि चिन्तयेत्
।।6.25।। ♦️shanaiH shanairuparamed buddhyaa dhRRitigRRihiitayaa|
aatmasaMsthaM manaH kRRitvaa na ki~nchidapi chintayet||6.25||
⚜6.25 Little by little let him attain to quietude by the intellect held firmly; having made the mind establish itself in the Self, let him not think of anything.
⚜।।6.25।। शनै शनै धैर्ययुक्त बुद्धि के द्वारा (योगी) उपरामता (शांति) को प्राप्त होवे मन को आत्मा में स्थित करके फिर अन्य कुछ भी चिन्तन न करे।।
#geeta
🍃
♦️yato yato nishcharati manashcha~nchalamasthiram|
tatastato niyamyaitadaatmanyeva vashaM nayet||6.26||
⚜6.26 From whatever cause the restless and unsteady mind wanders away, from that let him restrain it and bring it under the control of the Self alone.
⚜।।6.26।। यह चंचल और अस्थिर मन जिन कारणों से (विषयों में) विचरण करता है उनसे संयमित करके उसे आत्मा के ही वश में लावे अर्थात् आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
यतो यतो निश्चरति मनश्चञ्चलमस्थिरम्।
ततस्ततो नियम्यैतदात्मन्येव वशं नयेत्
।।6.26।। ♦️yato yato nishcharati manashcha~nchalamasthiram|
tatastato niyamyaitadaatmanyeva vashaM nayet||6.26||
⚜6.26 From whatever cause the restless and unsteady mind wanders away, from that let him restrain it and bring it under the control of the Self alone.
⚜।।6.26।। यह चंचल और अस्थिर मन जिन कारणों से (विषयों में) विचरण करता है उनसे संयमित करके उसे आत्मा के ही वश में लावे अर्थात् आत्मा में स्थिर करे।।
#geeta
🌞 ~ *आज का हिन्दू पंचांग* ~ 🌞
⛅ *दिनांक - 11 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - नवमी दोपहर 02:21 तक तत्पश्चात दशमी*
⛅ *नक्षत्र - अश्विनी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात भरणी*
⛅ *योग - सिध्द सुबह 10:56 तक तत्पश्चात साध्य*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:31 से शाम 04:53 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:13*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
⛅ *दिनांक - 11 जनवरी 2022*
⛅ *दिन - मंगलवार*
⛅ *विक्रम संवत - 2078*
⛅ *शक संवत -1943*
⛅ *अयन - दक्षिणायन*
⛅ *ऋतु - शिशिर*
⛅ *मास - पौस*
⛅ *पक्ष - शुक्ल*
⛅ *तिथि - नवमी दोपहर 02:21 तक तत्पश्चात दशमी*
⛅ *नक्षत्र - अश्विनी सुबह 11:10 तक तत्पश्चात भरणी*
⛅ *योग - सिध्द सुबह 10:56 तक तत्पश्चात साध्य*
⛅ *राहुकाल - शाम 03:31 से शाम 04:53 तक*
⛅ *सूर्योदय - 07:19*
⛅ *सूर्यास्त - 18:13*
⛅ *दिशाशूल - उत्तर दिशा में*
Forwarded from ॐ पीयूषः
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Topic : Swami Vivekanand.
(स्वामीविवेकानन्दः)
Date : 11thJanuary 2022,
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(स्वामीविवेकानन्दः)
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