संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
Sunday
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श्रीमद्भगवद्गीता [06.07]
🍃जितात्मनः प्रशान्तस्य परमात्मा समाहितः।
शीतोष्णसुखदुःखेषु तथा मानापमानयोः
।।6.7।।

♦️jitaatmanaH prashaantasya paramaatmaa samaahitaH|
shiitoShNasukhaduHkheShu tathaa maanaapamaanayoH||6.7||

6.7 The Supreme Self of him who is self-controlled and peaceful is balanced in cold and heat, pleasure and pain, as also in honour and dishonour.
 
।।6.7।। शीतउष्ण सुखदुख तथा मानअपमान में जो प्रशान्त रहता है ऐसे जितात्मा पुरुष के लिये परमात्मा सम्यक् प्रकार से स्थित है अर्थात् आत्मरूप से विद्यमान है।।

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [06.08]
🍃ज्ञानविज्ञानतृप्तात्मा कूटस्थो विजितेन्द्रियः।
युक्त इत्युच्यते योगी समलोष्टाश्मकाञ्चनः
।।6.8।।

♦️j~naanavij~naanatRRiptaatmaa kuuTastho vijitendriyaH|
yukta ityuchyate yogii samaloShTaashmakaa~nchanaH||6.8||

6.8 The Yogi who is satisfied with the knowledge and the wisdom (of the Self), who has conquered the senses, and to whom a clod of earth, a piece of stone and gold are the same, is said to be harmonied (i.e., is said to have attained Nirvikalpa Samadhi).

।।6.8।। जो योगी ज्ञान और विज्ञान से तृप्त है जो विकार रहित (कूटस्थ) और जितेन्द्रिय है जिसको मिट्टी पाषाण और कंचन समान है वह (परमात्मा से) युक्त कहलाता है।।

 #geeta
https://youtu.be/hQnzjIO7KJQ
#VedicChanting
The Karta/Yajamana recites this Mantra in all Pitru Ceremonies like Tarpana, Shraaddha etc, as Upastana (Prayer) Mantra to their Ancestors.
After invoking the Pitrus, Yajamana stands before the Pitrus, asking help and blessings from them, for happy family life and protection.
These 3 Mantras appear in Rig Veda also; Mandala-6, Sukta-75, Mantra-9,10,11.
It is believed that our deceased ancestors (Pitrus) possessing unbelievable powers to help us in most difficult situations, when they are prayed loudly.
You can hear the powerful Ghana Patha recitation of these Mantras with great energy, high pitch, speed, clarity, punch and voice synchronization.

Meaning of this Mantra:
*Power of Fathers*: The fathers (Pitara:) who are very powerful (Shakteevanta:) with profound (Gabheera:) mind, reside in pleasurable places (Svaadusham), bestowing strength (Vayodha:) to us at difficult situations. They are always unbeatable (Amrudhra:) by enemies because, they are with wide-range of hosts (Citrasena:) consists of real heroes (Sadoveera:) who conquered (Urava:) many hosts (Vraatasaaha:) in the past, supported by powerful arrows (Ishubala:).

*Blessings for protection*: Let the Brahmins, father and people deserving Soma (Divine drink) bless us, for our protection. Let the un-menaced (Anehasaa) heaven and earth (Dyaavaa Prutivee) be auspicious (Shive) to us. May Pooshan, the guardian of truth (Ruta Vrudha:) protect us from misfortune. You protect me. Let us be unbeatable by any foes.

Feather: A feather (Suparnam) is her garment (Vaste) and a deer (Mruga:) is her tooth (Danta:). She is tied (Sam naddha) with cow, but when shot, she flies (Patati) . Where (Yatra) men (Nara:) run together and apart, let the arrows grant us safety there. Here "she/her" refers to "arrows".
🚩जय सत्य सनातन🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
🚩तिथि - अमावस्या रात्रि १२:०२ तक तत्पश्चात प्रतिपदा

दिनांक - ०२ जनवरी २०२२
दिन - रविवार
शक संवत -१९४३
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शिशिर
मास - पौस
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - मूल शाम ०४:२३ तक तत्पश्चात पूर्वाषढा
योग - वृद्धि सुबह ०९:४३ तक तत्पश्चात ध्रुव
राहुकाल - शाम ०४:४७ से शाम ०६:०९ तक
सूर्योदय - ०७:१७
सूर्यास्त - १८:०७
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
https://youtu.be/y2e2sP8MaLE
#VedicChanting
आञ्जनेय दण्डकम्

श्री आञ्जनेयं प्रसन्नाञ्जनेयं
प्रभादिव्यकायं प्रकीर्ति प्रदायं
भजे वायुपुत्रं भजे वालगात्रं भजेहं पवित्रं
भजे सूर्यमित्रं भजे रुद्ररूपं
भजे ब्रह्मतेजं बटञ्चुन् प्रभातम्बु
सायन्त्रमुन् नीनामसङ्कीर्तनल् जेसि
नी रूपु वर्णिञ्चि नीमीद ने दण्डकं बॊक्कटिन् जेय
नी मूर्तिगाविञ्चि नीसुन्दरं बॆञ्चि नी दासदासुण्डवै
रामभक्तुण्डनै निन्नु नेगॊल्चॆदन्
नी कटाक्षम्बुनन् जूचिते वेडुकल् चेसिते
ना मॊरालिञ्चिते नन्नु रक्षिञ्चिते
अञ्जनादेवि गर्भान्वया देव
निन्नॆञ्च नेनॆन्तवाडन्
दयाशालिवै जूचियुन् दातवै ब्रोचियुन्
दग्गरन् निल्चियुन् दॊल्लि सुग्रीवुकुन्-मन्त्रिवै
स्वामि कार्यार्थमै येगि
श्रीराम सौमित्रुलं जूचि वारिन्विचारिञ्चि
सर्वेशु बूजिञ्चि यब्भानुजुं बण्टु गाविञ्चि
वालिनिन् जम्पिञ्चि काकुत्थ्स तिलकुन् कृपादृष्टि वीक्षिञ्चि
किष्किन्धकेतॆञ्चि श्रीराम कार्यार्थमै लङ्क केतॆञ्चियुन्
लङ्किणिन् जम्पियुन् लङ्कनुन् गाल्चियुन्
यभ्भूमिजं जूचि यानन्दमुप्पॊङ्गि यायुङ्गरम्बिच्चि
यारत्नमुन् दॆच्चि श्रीरामुनकुन्निच्चि सन्तोषमुन् जेसि
सुग्रीवुनिन् यङ्गदुन् जाम्बवन्तु न्नलुन्नीलुलन् गूडि
यासेतुवुन् दाटि वानरुल् मूकलै पॆन्मूकलै
यादैत्युलन् द्रुञ्चगा रावणुण्डन्त कालाग्नि रुद्रुण्डुगा वच्चि
ब्रह्माण्डमैनट्टि या शक्तिनिन् वैचि यालक्षणुन् मूर्छनॊन्दिम्पगानप्पुडे नीवु
सञ्जीविनिन् दॆच्चि सौमित्रिकिन्निच्चि प्राणम्बु रक्षिम्पगा
कुम्भकर्णादुल न्वीरुलं बोर श्रीराम बाणाग्नि
वारन्दरिन् रावणुन् जम्पगा नन्त लोकम्बु लानन्दमै युण्ड
नव्वेलनु न्विभीषुणुन् वेडुकन् दोडुकन् वच्चि पट्टाभिषेकम्बु चेयिञ्चि,
सीतामहादेविनिन् दॆच्चि श्रीरामुकुन्निच्चि,
यन्तन्नयोध्यापुरिन् जॊच्चि पट्टाभिषेकम्बु संरम्भमैयुन्न
नीकन्न नाकॆव्वरुन् गूर्मि लेरञ्चु मन्निञ्चि श्रीरामभक्त प्रशस्तम्बुगा
निन्नु सेविञ्चि नी कीर्तनल् चेसिनन् पापमुल् ल्बायुने भयमुलुन्
दीरुने भाग्यमुल् गल्गुने साम्राज्यमुल् गल्गु सम्पत्तुलुन् कल्गुनो
वानराकार योभक्त मन्दार योपुण्य सञ्चार योधीर योवीर
नीवे समस्तम्बुगा नॊप्पि यातारक ब्रह्म मन्त्रम्बु पठियिञ्चुचुन् स्थिरम्मुगन्
वज्रदेहम्बुनुन् दाल्चि श्रीराम श्रीरामयञ्चुन् मनःपूतमैन ऎप्पुडुन् तप्पकन्
तलतुना जिह्वयन्दुण्डि नी दीर्घदेहम्मु त्रैलोक्य सञ्चारिवै राम
नामाङ्कितध्यानिवै ब्रह्मतेजम्बुनन् रौद्रनीज्वाल
कल्लोल हावीर हनुमन्त ओङ्कार शब्दम्बुलन् भूत प्रेतम्बुलन् बॆन्
पिशाचम्बुलन् शाकिनी ढाकिनीत्यादुलन् गालिदय्यम्बुलन्
नीदु वालम्बुनन् जुट्टि नेलम्बडं गॊट्टि नीमुष्टि घातम्बुलन्
बाहुदण्डम्बुलन् रोमखण्डम्बुलन् द्रुञ्चि कालाग्नि
रुद्रुण्डवै नीवु ब्रह्मप्रभाभासितम्बैन नीदिव्य तेजम्बुनुन् जूचि
रारोरि नामुद्दु नरसिंह यन् चुन् दयादृष्टि
वीक्षिञ्चि नन्नेलु नास्वामियो याञ्जनेया
नमस्ते सदा ब्रह्मचारी
नमस्ते नमोवायुपुत्रा नमस्ते नमः
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

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Topic : Winter season.
(शैत्यकालः)
Date :2nd January 2022,
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Free online Sanskrit Course by MHRD, India
through Swayam.gov.in https://onlinecourses.swayam2.ac.in/cec22_hs04/preview
This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.
Introductory Sanskrit: Grammar To join click here

Course layout
सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )

सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )

सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )

सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )

सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)

सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)

सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)

सप्ताह 8 :
Assignments

सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )

सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )

सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)

सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया

सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )

सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )

सप्ताह 15 :
Assignments

1. यह सर्व विदित है कि जैसे लोकव्यवहार का प्रमुख साधन भाषा है वैसे यह भी स्थापित सत्य है कि विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीन एवं संरचना की दृष्टि से वैज्ञानिक भाषा है। जिसकी शब्द सम्पन्नता एवं अभिव्यञ्जन सामर्थ्य अद्भुत है।
2. व्याकरण संस्कार से युक्त होने का कारण यह संस्कृत के नाम से जानी जाती है।
3. भारतीय ऋषियों ने इसके ज्ञानपूर्वक प्रयोग में भी पुण्योत्पादकता स्वीकार की है।
4. भाषा का संस्कृतत्त्व तपःपूत महर्षियों के वैज्ञानिक व्याकरण की अनुशासन भित्ति पर आधारित है। प्रयोगार्ह पद दो प्रकार के होते है – सुबन्त एवं तिङन्त। सामान्यतः वाक्यों में सुबन्त अधिक एवं तिङन्त कम उपलब्ध होते है।
5. सुप्-प्रत्ययों की प्रकृति प्रातिपदिक भी दो प्रकार के होते है – कुछ आधुनिक नाम जैसे व्युत्पन्न और कुछ अव्युत्पन्न। व्युत्पन्नों में कुछ धातुप्रकृतिक कृदन्त होते हैं।
6. कृत्प्रत्ययों में कुछ ण्वुल्, तृच् आदि सार्वकालिक प्रत्यय; शतृ, शानच् जैसे वर्तमानकालिक प्रत्यय; क्त, क्तवतु जैसे भूतकालिक प्रत्यय तथा कुछ भविष्यत्कालिक प्रत्यय होते है।
7. ‘सर्वं वाक्यं क्रियया परिसमाप्यते’ यह उक्ति वाक्य में तिङन्त पद की महिमा स्पष्ट करती है।
8. इसके यथार्थ परिज्ञानार्थ गणों के अनुसार विभक्त विविध धातुओं के अर्थाधारित सकर्मकाकर्मक स्वरूप को जानना, उसके आत्मनेपदी परस्मैपदी तथा उभयपदी होने का निर्धारण करना अपेक्षित होता है।
9. भाषा दक्षता के वाच्यप्रबोधार्थ कर्ता कर्म एवं भाव में लकारों का प्रयोग प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
10. इस प्रकार व्याकरण संस्कार से पुष्ट संस्कृत भाषा का परिचय कराने हेतु यह पाठ्यक्रम ‘परिचयात्मकसंस्कृतं व्याकरणं च’ को प्रस्तुत किया जा रहा है॥

Reference Books:

वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी - चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या - गोपाल दत्त पाण्डेय) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी ( तत्त्वबोधिनी ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा टीका - आचार्य वासुदेव दीक्षित ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( आचार्य बलदेव उपाध्याय ), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान , लखनऊ .
व्याकरणशास्त्रस्येतिहसः ( आचार्यलोकमणिदहालः ), चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वेदाङ्गस्येतिहसः ( डॉ. नरेश झा) ,चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .


Web links:
https://archive.org/details/VaiyakaranaSiddhantaKaumudiOfBhattojiDikshitaPt.GopalaShastriNene
https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.283755
https://ashtadhyayi.com/sutraani/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vy%C4%81kara%E1%B9%87a
https://epustakalay.com/book/16700-vyakaran-shastra-ka-itihas-by-yudhishthir-mimansak/

Course certificate
“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”

Duration : 15 weeks
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Exam Date : 10 May 2022 IST
Enrollment Ends : 28 Feb 2022

Note:This post posted earlier on 19.12.2021 is posted again today as the course is to begin by 10th Jan 2022.

#SanskritEducation
मदान्धः पुरुषः ।
'मदान्धस्य' विग्रहं कुर्वन्तु।
Anonymous Quiz
30%
मदात् अन्धः
16%
मदस्य अन्धः
6%
मदम् अन्धः
44%
मदेन अन्धः
3%
मदे अन्धः
[युध् धातुः (लड़ना) दिवादिगण]

युध्यते युध्येते युध्यन्ते
युध्यसे युध्येथे युध्वध्वे
युध्ये युध्यावहे युध्यामहे
🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷🌷

१) सा युध्यते ।
(वह लड़ती है ।)
२) सिंहौ युध्येते ।
( दो शेर लड़ते हैं ।)
३) दुर्जनाः मिथः युध्यन्ते ।
( बुरे लोग आपस में लड़ते हैं ।)
🌴🌴

४) त्वं न युध्यसे ।
(तुम नहीं लड़ते हो ।)
५) युवां कथं युध्येथे ?
(तुम दोनों क्यों लड़ते हो ?)
६) यूयम् अकारणमेव युध्यध्वे ।
(तुम सब अकारण ही लड़ते हो।)
🌴🌴

७) अहम् अकारणं न युध्ये ।
( मैं बिना कारण के नहीं लड़ता हूँ ।)
८) आवां यदा-कदा युध्यावहे अपि ।
(हम दोनों कभी-कभी लड़ते भी हैं।)
९) वयं देशहिताय युध्यामहे ।
(हम सब देशहित के लिये लड़ते हैं ।)


प्रश्नवाचकानि सप्तमीविभक्तेः
पञ्चवाक्यानि
🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺

🌻कस्मिन् माता स्निह्यति?
=मां किस से स्नेह करती है?

🌻कस्मिन् श्रीरामः स्निह्यति?
=श्रीराम किससे स्नेह करते हैं ?

🌻कस्मिन् काले भवान् आगतः?
=किस समय आप आए?

🌻कस्मिन् स्यूते फलानि सन्ति?
= किस थैले में फल हैं ?

🌻कस्मिन् विद्यालये पठसि?
तुम किस विद्यालय में पढ़ते हो?


👇क्त प्रत्यय👇
★अधि+इ--अधीतः★
•रामेण पुस्तकम् अधीतम्।
(राम के द्वारा पुस्तक पढ़ी गयी)

•कृष्णेन ग्रन्थः अधीतः।
(कृष्ण के द्वारा ग्रन्थ पढ़ा गया)

•मया भगवद्गीता अधीता।
(मेरे द्वारा भगवद्गीता पढ़ी गयी)

★अर्च्--अर्चितः★
•मात्रा भगवान् अर्चितः।
(माँ के द्वारा भगवान् की अर्चना की गयी)

•श्रीरामेण भगवती दुर्गा अर्चिता।
(श्रीराम के द्वारा भगवती दुर्गाजी की अर्चना की गयी)

•तेन शिवलिङ्गम् अर्चितम्।
(उसके द्वारा शिवलिङ्ग की अर्चना की गयी)

#vakyabhyas