🙏 ।।वन्दे सँस्कृतमातरम्।। 🙏
🌷 ।।जयतु भारतम्।। 🌷
सुष्ठु प्रकारेण संस्कारपूर्वकं कृतम् इति सुसंस्कृतम्।
उत्तम प्रकार से संस्कारयुक्त हो वही है सुसंस्कृत।
भारत के बच्चों को संस्कृत सिखाईये, ताकि संस्कार व संस्कृति बचे रहेंगे :----
1. संस्कृत भाषा के दो स्वरूप दिखाई देते हैं, प्रथम – सरल “समझने में सहज” बोली जाने वाली संस्कृत भाषा और द्वितीय – विद्वतापूर्ण, आलंकारिक “समझने में कठिन” साहित्यिक संस्कृत भाषा। उनके दोनों स्वरूपों के बीच कोई व्याकरणात्मक, संरचनात्मक या उच्चारण सम्बन्धी भेद नहीं है। दोनों ही व्याकरण की दृष्टि से पाणिनीय हैं। प्रथम सरल मानक संस्कृत है जिसमें न्यूनतम शब्दावली, न्यूनतम संरचनाएँ और अधिकतर वे संस्कृत शब्द विद्यमान हैं जो भारतीय भाषाओं में सामान्यतः उपलब्ध होते हैं।
2. संस्कृत भाषा बृहत्तर भारत में बोली जाने वाली एक लोकप्रिय भाषा थी। जिसके पर्याप्त प्रमाण पतंजलि के व्याकरण महाभाष्य में उपलब्ध हैं।
3. संस्कृत भाषा और साहित्य का अध्ययन जाति एवं लिंग भेद के बिना सभी लोगों द्वारा किया जाता था। इस तथ्य को प्रोफेसर धर्म पाल द्वारा विरचित “द ब्यूटीफुल ट्री” नामक पुस्तक में दिए गए आँकड़ों से जाना जा सकता है।
4. ब्रह्मा द्वारा बोली गई आद्य भाषा संस्कृत है। इसलिए इसे देववाणी के अतिरिक्त “चतुर्मुख-मुखोद्भव” भी कहा जाता है।
5. विश्व में संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें शास्त्रीयता, परिष्कृतता, प्राचीनता और निरंतरता की अप्रतिम और अविच्छिन्न परम्परा है।
6. वस्तुतः प्रत्येक भारतीय भाषा एक सांस्कृतिक भाषा है। संस्कृत को सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक जन सामान्य व्यक्ति की सर्वमान्य सांस्कृतिक भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है ।
7. संस्कृत भाषा और साहित्य ने सर्वदा समावेशी विचारों को बढ़ावा दिया है। संस्कृत भारतवर्ष की सर्व-समावेशी संस्कृति के लिए मुख्य रूप से कारणभूत है।
8. संस्कृत साहित्य अधिकांश भारतीय भाषाओं के साहित्य के लिए प्राचीन काल से ही प्रेरणा एवं विषय का मूल स्रोत रहा है।
9. सम्पूर्ण भारत में अधिकांश भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली सामान्य संस्कृत शब्दावली, पूजा और कर्मकांड के लिए संस्कृत स्तोत्र और मंत्र, शास्त्रोक्त जीवन पद्धति और समय के परिवर्तन के अनुरूप धार्मिक दृष्टि से संस्कृत में उनकी नवीन व्याख्याएँ, पुराण एवं इतिहास द्वारा स्थापित मानवमूल्य प्रणाली को आत्मसात् करना आदि विषयों के कारण राष्ट्र की एकता और समरसता आज भी अक्षुण्ण हैं ।
10. संस्कृत भाषा की शब्द निर्माण शक्ति विश्व में अद्वितीय है। क्रिया, उपसर्ग, प्रत्यय, सामासिक-शब्द और उत्तम व्याकरण आदि के समृद्ध भण्डार के कारण संस्कृत अनन्त-कोटि शब्दों का निर्माण करने में समर्थ है।
11. संस्कृत भाषा उतनी ही प्राचीन है जितनी कि सृष्टि, क्योंकि सृष्टि के समय सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से ही संस्कृत का आविर्भाव हुआ था।
12. तथ्य यह है कि संस्कृत योग की भाषा, आयुर्वेद की भाषा, वेदांत की भाषा, भगवद्गीता की भाषा, नाट्यशास्त्र की भाषा, भारतीय गणित की भाषा, भारतीय खगोल विज्ञान की भाषा, भारतीय अर्थशास्त्र की भाषा, भारतीय राजनीति विज्ञान की भाषा, न्याय (तर्क) आदि की भाषा है। इस तथ्य को ठीक से समझते हुए प्रकाशित करना चाहिए।
13. संस्कृत उन तीन भाषाओं में से एक है (अंग्रेजी और हिंदी अन्य दो भाषाएँ) जिसका सम्पूर्ण भारत में विद्यालयीय शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों में अध्ययन एवं अध्यापन किया जाता है। अन्य भाषाओं का क्षेत्रीय स्तर पर अध्ययन अध्यापन किया जाता है।
14. वर्तमान समय में विद्यालयस्तर पर संस्कृत-भाषा-शिक्षण में प्रयुक्त शिक्षण पद्धति, जिसे व्याकरण-अनुवाद-पद्धति कहा जाता है, वह एक विदेशी पद्धति है और यह पद्धति संस्कृत भाषा के ह्रास का मुख्य कारण है। भारत में अंग्रेजी माध्यम आरम्भ होने से पूर्व संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से ही पढ़ाया जाता था। संस्कृत को छोड़कर विश्व की प्रत्येक भाषा लक्ष्य भाषा के माध्यम से पढ़ाई जाती है। जब तक इस विदेशी पद्धति को परिवर्तित नहीं किया जाएगा और संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से नहीं पढ़ाया जाएगा, तब तक संस्कृत भाषा का विकास सम्भव नहीं है।
15. भारत की सात भाषाओं में से प्रत्येक भाषा के लिए एक-एक भाषा-विश्वविद्यालय हैं, जबकि संस्कृत के लिए सत्रह विश्वविद्यालय स्थापित हैं।
16. भारत और विदेशों में लगभग 3800 पुस्तकालयों और वैयक्तिक संग्रहालयों में उपलब्ध लगभग 40 लाख पांडुलिपियों में से 80% से अधिक पाण्डुलिपियाँ संस्कृत भाषा में हैं और उनमें से अधिकांश असम्पादित एवं अप्रकाशित हैं।
🌷 ।।जयतु भारतम्।। 🌷
सुष्ठु प्रकारेण संस्कारपूर्वकं कृतम् इति सुसंस्कृतम्।
उत्तम प्रकार से संस्कारयुक्त हो वही है सुसंस्कृत।
भारत के बच्चों को संस्कृत सिखाईये, ताकि संस्कार व संस्कृति बचे रहेंगे :----
1. संस्कृत भाषा के दो स्वरूप दिखाई देते हैं, प्रथम – सरल “समझने में सहज” बोली जाने वाली संस्कृत भाषा और द्वितीय – विद्वतापूर्ण, आलंकारिक “समझने में कठिन” साहित्यिक संस्कृत भाषा। उनके दोनों स्वरूपों के बीच कोई व्याकरणात्मक, संरचनात्मक या उच्चारण सम्बन्धी भेद नहीं है। दोनों ही व्याकरण की दृष्टि से पाणिनीय हैं। प्रथम सरल मानक संस्कृत है जिसमें न्यूनतम शब्दावली, न्यूनतम संरचनाएँ और अधिकतर वे संस्कृत शब्द विद्यमान हैं जो भारतीय भाषाओं में सामान्यतः उपलब्ध होते हैं।
2. संस्कृत भाषा बृहत्तर भारत में बोली जाने वाली एक लोकप्रिय भाषा थी। जिसके पर्याप्त प्रमाण पतंजलि के व्याकरण महाभाष्य में उपलब्ध हैं।
3. संस्कृत भाषा और साहित्य का अध्ययन जाति एवं लिंग भेद के बिना सभी लोगों द्वारा किया जाता था। इस तथ्य को प्रोफेसर धर्म पाल द्वारा विरचित “द ब्यूटीफुल ट्री” नामक पुस्तक में दिए गए आँकड़ों से जाना जा सकता है।
4. ब्रह्मा द्वारा बोली गई आद्य भाषा संस्कृत है। इसलिए इसे देववाणी के अतिरिक्त “चतुर्मुख-मुखोद्भव” भी कहा जाता है।
5. विश्व में संस्कृत ही एकमात्र ऐसी भाषा है जिसमें शास्त्रीयता, परिष्कृतता, प्राचीनता और निरंतरता की अप्रतिम और अविच्छिन्न परम्परा है।
6. वस्तुतः प्रत्येक भारतीय भाषा एक सांस्कृतिक भाषा है। संस्कृत को सम्पूर्ण भारत के प्रत्येक जन सामान्य व्यक्ति की सर्वमान्य सांस्कृतिक भाषा के रूप में स्वीकार किया जाता है ।
7. संस्कृत भाषा और साहित्य ने सर्वदा समावेशी विचारों को बढ़ावा दिया है। संस्कृत भारतवर्ष की सर्व-समावेशी संस्कृति के लिए मुख्य रूप से कारणभूत है।
8. संस्कृत साहित्य अधिकांश भारतीय भाषाओं के साहित्य के लिए प्राचीन काल से ही प्रेरणा एवं विषय का मूल स्रोत रहा है।
9. सम्पूर्ण भारत में अधिकांश भारतीय भाषाओं में प्रयुक्त होने वाली सामान्य संस्कृत शब्दावली, पूजा और कर्मकांड के लिए संस्कृत स्तोत्र और मंत्र, शास्त्रोक्त जीवन पद्धति और समय के परिवर्तन के अनुरूप धार्मिक दृष्टि से संस्कृत में उनकी नवीन व्याख्याएँ, पुराण एवं इतिहास द्वारा स्थापित मानवमूल्य प्रणाली को आत्मसात् करना आदि विषयों के कारण राष्ट्र की एकता और समरसता आज भी अक्षुण्ण हैं ।
10. संस्कृत भाषा की शब्द निर्माण शक्ति विश्व में अद्वितीय है। क्रिया, उपसर्ग, प्रत्यय, सामासिक-शब्द और उत्तम व्याकरण आदि के समृद्ध भण्डार के कारण संस्कृत अनन्त-कोटि शब्दों का निर्माण करने में समर्थ है।
11. संस्कृत भाषा उतनी ही प्राचीन है जितनी कि सृष्टि, क्योंकि सृष्टि के समय सृष्टिकर्ता ब्रह्मा के मुख से ही संस्कृत का आविर्भाव हुआ था।
12. तथ्य यह है कि संस्कृत योग की भाषा, आयुर्वेद की भाषा, वेदांत की भाषा, भगवद्गीता की भाषा, नाट्यशास्त्र की भाषा, भारतीय गणित की भाषा, भारतीय खगोल विज्ञान की भाषा, भारतीय अर्थशास्त्र की भाषा, भारतीय राजनीति विज्ञान की भाषा, न्याय (तर्क) आदि की भाषा है। इस तथ्य को ठीक से समझते हुए प्रकाशित करना चाहिए।
13. संस्कृत उन तीन भाषाओं में से एक है (अंग्रेजी और हिंदी अन्य दो भाषाएँ) जिसका सम्पूर्ण भारत में विद्यालयीय शिक्षा और उच्च शिक्षा दोनों में अध्ययन एवं अध्यापन किया जाता है। अन्य भाषाओं का क्षेत्रीय स्तर पर अध्ययन अध्यापन किया जाता है।
14. वर्तमान समय में विद्यालयस्तर पर संस्कृत-भाषा-शिक्षण में प्रयुक्त शिक्षण पद्धति, जिसे व्याकरण-अनुवाद-पद्धति कहा जाता है, वह एक विदेशी पद्धति है और यह पद्धति संस्कृत भाषा के ह्रास का मुख्य कारण है। भारत में अंग्रेजी माध्यम आरम्भ होने से पूर्व संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से ही पढ़ाया जाता था। संस्कृत को छोड़कर विश्व की प्रत्येक भाषा लक्ष्य भाषा के माध्यम से पढ़ाई जाती है। जब तक इस विदेशी पद्धति को परिवर्तित नहीं किया जाएगा और संस्कृत को संस्कृत के माध्यम से नहीं पढ़ाया जाएगा, तब तक संस्कृत भाषा का विकास सम्भव नहीं है।
15. भारत की सात भाषाओं में से प्रत्येक भाषा के लिए एक-एक भाषा-विश्वविद्यालय हैं, जबकि संस्कृत के लिए सत्रह विश्वविद्यालय स्थापित हैं।
16. भारत और विदेशों में लगभग 3800 पुस्तकालयों और वैयक्तिक संग्रहालयों में उपलब्ध लगभग 40 लाख पांडुलिपियों में से 80% से अधिक पाण्डुलिपियाँ संस्कृत भाषा में हैं और उनमें से अधिकांश असम्पादित एवं अप्रकाशित हैं।
17. वस्तुतः अधिकांश भारतीय भाषाओं की शब्दावली का 50% से अधिक भाग संस्कृत है और ध्वनि प्रणाली, वाक्य संरचना और उनमें अंतर्निहित व्याकरण भी संस्कृत पर आधारित है, अतः किसी भी भारतीय भाषा को जानने वाले व्यक्ति के लिए संस्कृत सीखना कोई नवीन भाषा सीखने जैसा नहीं है। यह केवल उसके परोक्ष ज्ञान को प्रत्यक्ष करने जैसा है।
18. भारत और विदेशों में हजारों बच्चे हैं जिनकी मातृभाषा संस्कृत है। जिनका घर में पालन पोषण संस्कृत माध्यम से ही किया जाता है। वैश्विक जगत् से उनका परिचय भी संस्कृत माध्यम से ही हुआ। उनका चिन्तन एवं मनन संस्कृत में होता है एवं वे संस्कृत बोलते हैं।
19. जहां तक भारत में विद्यालयीय स्तर पर विभिन्न भाषाओं का चयन करने वाले छात्रों की संख्या का संबंध है, अंग्रेजी और हिंदी के बाद संस्कृत के छात्रों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
20. डॉ भीम राव अम्बेडकर संस्कृत को भारत संघ की राजभाषा बनाना चाहते थे। वास्तव में, उन्होंने इस संबंध में संविधान सभा में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था लेकिन दुर्भाग्य से वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
21. अंग्रेजी भाषा के भारत में आने से पूर्व, संस्कृत अखिल भारतीय संपर्क भाषा रूप में प्रचलित थी तथा शिक्षा, संचार, वाणिज्य, बौद्धिक परिचर्चा आदि की माध्यम भाषा भी थी, जैसे कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग्रेजी भारत में विद्यमान है। अखिल भारतीय जन सामान्य संपर्क भाषा के रूप में इसे पुनः स्थापित करना हमारे संकल्प – हमारी राष्ट्रीय इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
22. संस्कृत – १) भारत की एकता का आधारभूत स्तम्भ है, २) भारतभूमि की समग्रता एवं सर्व-समावेशी संस्कृति की गुणवत्ता एवं स्वरूप की प्रदात्री है, ३) विश्व धर्म, समृद्धि, स्थिरता और शांति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग दर्शाने वाला है। इस तथ्य से बहुत कम लोग परिचित हैं।
23. संस्कृत भाषा और संस्कृत ज्ञान प्रणाली भारत की महत्तम मृदु-शक्ति (soft power) है।
24. वस्तुतः योग, आयुर्वेद, वेदांत, भगवद्गीता, ध्यान, भक्ति आदि सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो रहे हैं और संस्कृत इन सभी विषयों का मूल स्रोत है, इसलिए संस्कृत भाषा धीरे-धीरे विश्व भाषा के रूप में उभर रही है
18. भारत और विदेशों में हजारों बच्चे हैं जिनकी मातृभाषा संस्कृत है। जिनका घर में पालन पोषण संस्कृत माध्यम से ही किया जाता है। वैश्विक जगत् से उनका परिचय भी संस्कृत माध्यम से ही हुआ। उनका चिन्तन एवं मनन संस्कृत में होता है एवं वे संस्कृत बोलते हैं।
19. जहां तक भारत में विद्यालयीय स्तर पर विभिन्न भाषाओं का चयन करने वाले छात्रों की संख्या का संबंध है, अंग्रेजी और हिंदी के बाद संस्कृत के छात्रों की तीसरी सबसे बड़ी संख्या है।
20. डॉ भीम राव अम्बेडकर संस्कृत को भारत संघ की राजभाषा बनाना चाहते थे। वास्तव में, उन्होंने इस संबंध में संविधान सभा में एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया था लेकिन दुर्भाग्य से वह प्रस्ताव पारित नहीं हो सका।
21. अंग्रेजी भाषा के भारत में आने से पूर्व, संस्कृत अखिल भारतीय संपर्क भाषा रूप में प्रचलित थी तथा शिक्षा, संचार, वाणिज्य, बौद्धिक परिचर्चा आदि की माध्यम भाषा भी थी, जैसे कि वर्तमान परिप्रेक्ष्य में अंग्रेजी भारत में विद्यमान है। अखिल भारतीय जन सामान्य संपर्क भाषा के रूप में इसे पुनः स्थापित करना हमारे संकल्प – हमारी राष्ट्रीय इच्छा शक्ति पर निर्भर करता है।
22. संस्कृत – १) भारत की एकता का आधारभूत स्तम्भ है, २) भारतभूमि की समग्रता एवं सर्व-समावेशी संस्कृति की गुणवत्ता एवं स्वरूप की प्रदात्री है, ३) विश्व धर्म, समृद्धि, स्थिरता और शांति का सर्वश्रेष्ठ मार्ग दर्शाने वाला है। इस तथ्य से बहुत कम लोग परिचित हैं।
23. संस्कृत भाषा और संस्कृत ज्ञान प्रणाली भारत की महत्तम मृदु-शक्ति (soft power) है।
24. वस्तुतः योग, आयुर्वेद, वेदांत, भगवद्गीता, ध्यान, भक्ति आदि सम्पूर्ण विश्व में लोकप्रिय हो रहे हैं और संस्कृत इन सभी विषयों का मूल स्रोत है, इसलिए संस्कृत भाषा धीरे-धीरे विश्व भाषा के रूप में उभर रही है
शिक्षकः छात्रान् पृच्छति-
भोः छात्राः! वदन्तु अस्यां पृथिव्यां कति देशाः सन्ति?
एकः छात्रः झटिति उत्थाय उत्तरितवान् एकः एव देशः अस्ति। सः अस्माकं भारतदेशः।
शिक्षकः- तर्हि अमेरिका, न्यूजीलैंड, फ्रान्स, आफ्रिका, आस्ट्रेलिया इत्यादयः के?
छात्रः- ते तु विदेशाः न तु देशाः।
छात्रस्य उत्तरं श्रुत्वा शिक्षकः मूर्च्छितः अभवत्।
-प्रदीपः!
😁😂😆🤣😁😂😁🤣
#hasya
भोः छात्राः! वदन्तु अस्यां पृथिव्यां कति देशाः सन्ति?
एकः छात्रः झटिति उत्थाय उत्तरितवान् एकः एव देशः अस्ति। सः अस्माकं भारतदेशः।
शिक्षकः- तर्हि अमेरिका, न्यूजीलैंड, फ्रान्स, आफ्रिका, आस्ट्रेलिया इत्यादयः के?
छात्रः- ते तु विदेशाः न तु देशाः।
छात्रस्य उत्तरं श्रुत्वा शिक्षकः मूर्च्छितः अभवत्।
-प्रदीपः!
😁😂😆🤣😁😂😁🤣
#hasya
Namaste ,
Vidyasvam has launched the 6th batch of Samskrita Karyashala July 2021 starting 18th July 2021.
The workshop will be conducted over the weekends - Saturdays and Sundays 7 PM to 9 PM ( IST ) for 6 months.
Brochure Video : https://youtu.be/Ri7pyiVUBvA
If you are interested in joining the workshop please register @ https://www.vidyasvam.in/.
I have attended their workshop and here are some of the things which I liked the most ->
1. Complete dedication of Vidyasvam Team to make the workshop successful
2. All Session Recordings available for later reference
3. Printed Handouts delivered to our house.
4. One of the most beautiful and comprehensive Mindmaps.
5. Weekly quizzes which make us think and test our understanding.
6. Self correcting and engaging Practice Assignments
7. Discussion with other participants.
8. Effective use of technology
9. Great mentors who are always there for help !
10. And finally , how can I forget ? The application of what we learn in Ramayana
To summarize , one of the best workshop on sanskrit.
Do Attend if you are keen to learn Samskritam.
Thanks
Vidyasvam has launched the 6th batch of Samskrita Karyashala July 2021 starting 18th July 2021.
The workshop will be conducted over the weekends - Saturdays and Sundays 7 PM to 9 PM ( IST ) for 6 months.
Brochure Video : https://youtu.be/Ri7pyiVUBvA
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6. Self correcting and engaging Practice Assignments
7. Discussion with other participants.
8. Effective use of technology
9. Great mentors who are always there for help !
10. And finally , how can I forget ? The application of what we learn in Ramayana
To summarize , one of the best workshop on sanskrit.
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Samskrita Workshop July 2021
All Testimonials : https://www.vidyasvam.in/testimonials
Register at : https://www.vidyasvam.in/
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🌐Namaskaram🙏🏼 We are going to start a 24/7 Sanskrit TV channel that will be aired on Youtube.
📡The Channel will show content related to Samskrit 24/7 like News, Shlokas, Entertainment, learning etc.
⛑️It will be non-profit, So we need volunteers for creating content and managing the channel.
✅Eligibility —
🔰Must Know Hindi or English
🔰Must be determined to volunteer
🔰Not doing timepass or just observing the work
🔰Must give some hours in a week
🔰Must have some knowledge of Samskrit
📱To Volunteer Please Join the below Whatsapp group
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संस्कृतसञ्चालनसमितिः 📡
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah pinned «🌐Namaskaram🙏🏼 We are going to start a 24/7 Sanskrit TV channel that will be aired on Youtube. 📡The Channel will show content related to Samskrit 24/7 like News, Shlokas, Entertainment, learning etc. ⛑️It will be non-profit, So we need volunteers for creating…»
June 10, 2021
विमानम् अपहृत्य पाकिस्थानं नेष्यति इति युवकस्य भीषा। युवकः आरक्षकेण संग्रहीतः।
भोपाल> भोपाल इन्डोर् इत्यादि विमानपत्तनात् विमानम् अपहृत्य पाकिस्थानं नेष्यति इति भीषयन्तः युवकः मध्यप्रदेशस्य आरक्षकेण संग्रहीतः। मङ्गलवासरे सायाह्ने लब्धां भीषां आधारीकृत्यैव युवकः रक्षिपुरुषेण संगृहीतः।
भोपाले राजा भोजविमानपत्तने एव दूरवाणीसन्देशः लब्धः। अनन्तरं विमानपत्तनाधिकारिणः आरक्षकालये वार्तां आवेदयत्। मङ्गलवासरे रात्रौ एव भोपालतः शतं कि. मि. दूरतः षुजल्पूर् देशात् युवक: संग्रहीतः कारागारे बन्धित: च इति गान्धिनगरस्य आरक्षककार्यालयस्य उपाधिपेन अरुण् शर्मणा आवेदितम् । भीषासन्देशानन्तरं भोपाले विमानपत्तनस्य सुरक्षाम् अवर्धयत्। मङ्गलवासरे भोपालतः मुम्बे देशं प्रति प्रस्थितं विमानं सूक्ष्मपरिशोधनानन्तरम् एव प्रस्थितम्।
केरले 'ट्रोलिंङ्' निरोधः समारब्धः।
कोच्ची> केरलस्य तीरसमुद्रे अद्य आरभ्य ट्रोलिंङ् नामकस्य यन्त्रवत्कृत-यानमुपयुज्य मत्स्यबन्धनस्य निरोधः विहितः। मण्सूण् वर्षाकालः मत्स्यानां प्रजननकालः इत्यतः समुद्रे मत्स्यसम्पत्ति-संरक्षणाय कालानुसृतमयं निरोधः अनुवर्तमानः अस्ति। जुलाई ३१ दिनाङ्कपर्यन्तं ५२ दिनानि यावत्ट्रोलिंङ् निरोधः विहितः।
~ संप्रति वार्ता
विमानम् अपहृत्य पाकिस्थानं नेष्यति इति युवकस्य भीषा। युवकः आरक्षकेण संग्रहीतः।
भोपाल> भोपाल इन्डोर् इत्यादि विमानपत्तनात् विमानम् अपहृत्य पाकिस्थानं नेष्यति इति भीषयन्तः युवकः मध्यप्रदेशस्य आरक्षकेण संग्रहीतः। मङ्गलवासरे सायाह्ने लब्धां भीषां आधारीकृत्यैव युवकः रक्षिपुरुषेण संगृहीतः।
भोपाले राजा भोजविमानपत्तने एव दूरवाणीसन्देशः लब्धः। अनन्तरं विमानपत्तनाधिकारिणः आरक्षकालये वार्तां आवेदयत्। मङ्गलवासरे रात्रौ एव भोपालतः शतं कि. मि. दूरतः षुजल्पूर् देशात् युवक: संग्रहीतः कारागारे बन्धित: च इति गान्धिनगरस्य आरक्षककार्यालयस्य उपाधिपेन अरुण् शर्मणा आवेदितम् । भीषासन्देशानन्तरं भोपाले विमानपत्तनस्य सुरक्षाम् अवर्धयत्। मङ्गलवासरे भोपालतः मुम्बे देशं प्रति प्रस्थितं विमानं सूक्ष्मपरिशोधनानन्तरम् एव प्रस्थितम्।
केरले 'ट्रोलिंङ्' निरोधः समारब्धः।
कोच्ची> केरलस्य तीरसमुद्रे अद्य आरभ्य ट्रोलिंङ् नामकस्य यन्त्रवत्कृत-यानमुपयुज्य मत्स्यबन्धनस्य निरोधः विहितः। मण्सूण् वर्षाकालः मत्स्यानां प्रजननकालः इत्यतः समुद्रे मत्स्यसम्पत्ति-संरक्षणाय कालानुसृतमयं निरोधः अनुवर्तमानः अस्ति। जुलाई ३१ दिनाङ्कपर्यन्तं ५२ दिनानि यावत्ट्रोलिंङ् निरोधः विहितः।
~ संप्रति वार्ता
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा शाम 06:30 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 11 जून 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मॄगशिरा दोपहर 02:31 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - शूल सुबह 08:39 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅ राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:38 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 19:19
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - गंगा दशहरा प्रारंभ, चन्द्र - दर्शन
🌥️ 🚩युगाब्द - ५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा शाम 06:30 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 11 जून 2021
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ शक संवत - 1943
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - ग्रीष्म
⛅ मास - ज्येष्ठ
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - मॄगशिरा दोपहर 02:31 तक तत्पश्चात आर्द्रा
⛅ योग - शूल सुबह 08:39 तक तत्पश्चात गण्ड
⛅ राहुकाल - सुबह 10:58 से दोपहर 12:38 तक
⛅ सूर्योदय - 05:57
⛅ सूर्यास्त - 19:19
⛅ दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
⛅ व्रत पर्व विवरण - गंगा दशहरा प्रारंभ, चन्द्र - दर्शन
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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📃First instructions on how to do, What to do would be posted Today Evening.
➕Please Join the group before evening If you have GENUINE INTEREST🙏🏼
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🍃 यातुराजिदभाभारं द्यां व मारुतगन्धगम्।
सः अगम् आर पदं यक्षतुंगाभः अनघयात्रया ॥ १४॥
🔸असंख्य राक्षसों का नाश अपने तेजप्रताप से करनेवाले (राम), स्वर्गतुल्य सुगन्धित पवन संचारित स्थल (चित्रकूट) पर यक्षराज कुबेर तुल्य वैभव व आभा संग लिए पंहुचे।
🍃 यात्रया घनभः गातुं क्षयदं परमागसः।
गन्धगं तरुम् आव द्यां रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
🔸मेघवर्ण के श्रीकृष्ण, सत्यभामा को घोर अन्याय से शांत करने हेतु, अप्सराओं से शोभायमान, रम्भा जैसी सुंदरियों से चमकते आँगन, स्वर्ग को गए ताकि वे सुगन्धित पारिजात वृक्ष तक पहुँच सकें।
#Viloma_Kavya
सः अगम् आर पदं यक्षतुंगाभः अनघयात्रया ॥ १४॥
🔸असंख्य राक्षसों का नाश अपने तेजप्रताप से करनेवाले (राम), स्वर्गतुल्य सुगन्धित पवन संचारित स्थल (चित्रकूट) पर यक्षराज कुबेर तुल्य वैभव व आभा संग लिए पंहुचे।
विलोम श्लोक :—
🍃 यात्रया घनभः गातुं क्षयदं परमागसः।
गन्धगं तरुम् आव द्यां रंभाभादजिरा तु या ॥ १४॥
🔸मेघवर्ण के श्रीकृष्ण, सत्यभामा को घोर अन्याय से शांत करने हेतु, अप्सराओं से शोभायमान, रम्भा जैसी सुंदरियों से चमकते आँगन, स्वर्ग को गए ताकि वे सुगन्धित पारिजात वृक्ष तक पहुँच सकें।
#Viloma_Kavya
✊ चाणक्य नीति ⚔️
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- ७
अयुक्तस्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।
अमृतं राहवे मृत्युर्विषं शंकरभूषणम्।।७।।
♦️भावार्थ - समर्थ व्यक्ति का अयोग्य अथवा अनुचित कार्य भी अच्छा ही होता है और छोटे व्यक्ति का उत्तम कार्य भी दोषयुक्त होता है। राहु के लिए अमृत भी मृत्यु का कारण बना और प्राणघातक विष शिव के कण्ठ का आभूषण हो गया।
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- ८
तद् भोजनं यद् द्विज भुक्तशेषं ततसौहृदं यत्क्रियते परस्मिन्।
सा प्राज्ञता या न करोति पापं दम्भं विंना यः क्रियते स धर्मः।।८।।
♦️भावार्थ - द्विज के भोजन के पश्चात् शेष बचने वाला भोजन ही उत्तम भोजन है, दूसरों पर लुटाया जाने वाला स्नेह ही, स्नेह है। बुद्धिमान वही है, जो पाप कर्म से दूर है और जिसमें अहंकार नहीं, वही धर्म श्रेष्ठ है।
#Chanakya
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- ७
अयुक्तस्वामिनो युक्तं युक्तं नीचस्य दूषणम्।
अमृतं राहवे मृत्युर्विषं शंकरभूषणम्।।७।।
♦️भावार्थ - समर्थ व्यक्ति का अयोग्य अथवा अनुचित कार्य भी अच्छा ही होता है और छोटे व्यक्ति का उत्तम कार्य भी दोषयुक्त होता है। राहु के लिए अमृत भी मृत्यु का कारण बना और प्राणघातक विष शिव के कण्ठ का आभूषण हो गया।
✒️ पंचदशः अध्याय
♦️श्लोक :- ८
तद् भोजनं यद् द्विज भुक्तशेषं ततसौहृदं यत्क्रियते परस्मिन्।
सा प्राज्ञता या न करोति पापं दम्भं विंना यः क्रियते स धर्मः।।८।।
♦️भावार्थ - द्विज के भोजन के पश्चात् शेष बचने वाला भोजन ही उत्तम भोजन है, दूसरों पर लुटाया जाने वाला स्नेह ही, स्नेह है। बुद्धिमान वही है, जो पाप कर्म से दूर है और जिसमें अहंकार नहीं, वही धर्म श्रेष्ठ है।
#Chanakya
ओ३म्
३०८ संस्कृत वाक्याभ्यासः
बालकः – त्वं किं खादसि ?
= तुम क्या खा रहे हो ?
ज्येष्ठ: – न बालक ! त्वम् इति न वक्तव्यम्
= नहीं बालक ! “तुम” नहीं कहना चाहिये।
– अहं भवता ज्येष्ठ: ।
= मैं तुमसे बड़ा हूँ।
– अतः भवान् इति वद।
= इसलिये “आप” बोलो ।
बालकः – अस्तु , भवान् किं खादसि ?
= ठीक है , आप क्या खा रहे हो ?
ज्येष्ठ: – पुनः दोषः
= फिर से गलती।
भवान् किं खादति ?
भवान् किं पठति ?
भवान् किं लिखति ?
वान् किं करोति ?
भवान् कुत्र गच्छति ?
तथा वक्तव्यम् ?
स्त्रीलिङ्गे भवती इति वक्तव्यम् ।
भवती किं खादति ?
भवती किं पठति ?
भवती किं लिखति ?
भवती किं करोति ?
भवती कुत्र गच्छति ?
बालकः – एवं वा ?
एतद् तु बहु सरलम् अस्ति ।
भवान् मोदकं खादति।
भवती चित्रं पश्यति।
भवान् ध्यानं करोति।
भवती पत्रं लिखति।
भवान् दुग्धं पिबति।
भवती गीतं श्रृणोति।
बालकः – अधुना अहं कमपि ” त्वं ” न वदिष्यामि।
= अब मैं किसी को तुम नहीं बोलूँगा।
भवान् ….. भवती …..
ओ३म्
३०९ संस्कृत वाक्याभ्यासः
पश्यन्तु , सः आगतवान् ।
= देखिये , वह आ गया ।
सः समये एव आगतवान् ।
= वह समय पर ही आया
सः सर्वान् उत्थापितवान् ।
= उसने सबको उठाया।
सः सर्वेषां कृते ऊर्जाम् आनीतवान्।
= वह सबके लिये ऊर्जा लाया।
सः सर्वेभ्यः एकसमानं ददाति ।
= वह सबको एकसमान देता है।
तं दृष्ट्वा छात्राः विद्यालयं गच्छन्ति।
= उसको देखकर छात्र विद्यालय जाते हैं
तं दृष्ट्वा कृषकाः क्षेत्रं प्रति चलन्ति।
= उसे देखकर किसान खेत की ओर चलते हैं।
तं दृष्ट्वा सर्वे मन्त्रान् पठन्ति।
= उसे देखकर सभी मन्त्र पढ़ते हैं।
सर्वे नमस्कारं कुर्वन्ति ।
= सभी नमस्कार करते हैं ।
तं दृष्ट्वा सर्वे प्रसन्नाः भवन्ति।
= उसे देखकर सभी प्रसन्न होते हैं।
सः कः अस्ति ?
= वह कौन है ?
सः सूर्यः अस्ति ।
सः भास्करः
सः दिवाकरः
सः मार्तण्डः
सः आदित्यः
सः दिनकरः
ओ३म्
३१० संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलभाषेण वार्तालापः ….
= मोबाइल से बातचीत ….
तदपि संस्कृतभाषायाम् !!!!
= वह भी संस्कृत भाषा में !!!
गतदिने अहं कस्यापि आसम्
= कल मैं किसी की ऑफिस में था।
एकस्य दूरवाणी आगता
= किसी का फोन आया।
नमस्ते , अहं हंसदत्त शास्त्री वदामि।
= नमस्ते , मैं हंसदत्त शास्त्री बोल रहा हूँ।
अहम् – नमस्ते , वदतु … कथम् अस्ति ?
= नमस्ते , बोलिये … कैसे हैं ?
…. अहम् उत्थाय बहिः गन्तुं प्रवृत्तः अभवम्।
= …. मैं उठकर बाहर जाने लगा ।
कार्यालय-संचालकः निवेदितवान् ( न्यवेदयत् )
= कार्यालय के संचालक ने निवेदन किया
* अत्रैव वार्तालापं करोतु।
= यहीं बात करिये।
– अहं श्रोतुम् इच्छामि।
= मैं सुनना चाहता हूँ।
आवयोः संस्कृत-सम्भाषणं सः प्रेम्णा श्रुतवान्।
= हम दोनों का संस्कृत सम्भाषण उसने प्रेम से सुना।
हंसदत्तः कुमायूँतः वदति स्म।
= हंसदत्त जी कुमायूँ से बोल रहे थे।
ओ३म्
३११ संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलतु …
कुत्र ?
योगं कर्तुम्
अहं तु प्रतिदिनं योगं करोमि।
अद्य सर्वे एकसाकं करिष्यामः ।
अहम् अत्रैव एकाकी एव ध्यानं करिष्यामि।
तर्हि अहं गच्छामि।
योगश्चित्त वृत्ति: निरोधः।
भवता सह उपविशामि।
शान्तभावेन योग-ध्यानं करोतु।
विश्वयोगदिनस्य शुभकामनाः ।
ओ३म्
३१२ संस्कृत वाक्याभ्यासः
माता शिशोः कृते पुत्तलिकाम् आनयति।
= माँ शिशु के लिये गुड़िया लाती है।
शिशुः पुत्तलिकां हस्ते गृह्णाति।
= बालक गुड़िया को हाथ में लेता है।
शिशुः पुत्तलिकां पश्यति।
= बालक गुड़िया को देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः नेत्रे पश्यति।
= बालक गुड़िया की दोनों आँखें देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः केशान् पश्यति।
= बालक गुड़िया की आँखें देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः एकं हस्तम् उपरि करोति।
= बालक गुड़िया का एक हाथ ऊपर करता है।
बालकः पुत्तलिकायाः द्वितीयं हस्तम् उपरि करोति।
= बालक गुड़िया का दूसरा हाथ ऊपर करता है।
बालकः पुत्तलिकया सह क्रीडति।
= बालक गुड़िया के साथ खेलता है।
बालकः पुत्तलिकां दृष्ट्वा हसति।
= बालक गुड़िया को देखकर हँसता है।
बालकः पुत्तलिकां हस्ते गृहीत्वा शयनं करोति।
= बालक गुड़िया को हाथ में लेकर सोता है।
#vakyabhyas
३०८ संस्कृत वाक्याभ्यासः
बालकः – त्वं किं खादसि ?
= तुम क्या खा रहे हो ?
ज्येष्ठ: – न बालक ! त्वम् इति न वक्तव्यम्
= नहीं बालक ! “तुम” नहीं कहना चाहिये।
– अहं भवता ज्येष्ठ: ।
= मैं तुमसे बड़ा हूँ।
– अतः भवान् इति वद।
= इसलिये “आप” बोलो ।
बालकः – अस्तु , भवान् किं खादसि ?
= ठीक है , आप क्या खा रहे हो ?
ज्येष्ठ: – पुनः दोषः
= फिर से गलती।
भवान् किं खादति ?
भवान् किं पठति ?
भवान् किं लिखति ?
वान् किं करोति ?
भवान् कुत्र गच्छति ?
तथा वक्तव्यम् ?
स्त्रीलिङ्गे भवती इति वक्तव्यम् ।
भवती किं खादति ?
भवती किं पठति ?
भवती किं लिखति ?
भवती किं करोति ?
भवती कुत्र गच्छति ?
बालकः – एवं वा ?
एतद् तु बहु सरलम् अस्ति ।
भवान् मोदकं खादति।
भवती चित्रं पश्यति।
भवान् ध्यानं करोति।
भवती पत्रं लिखति।
भवान् दुग्धं पिबति।
भवती गीतं श्रृणोति।
बालकः – अधुना अहं कमपि ” त्वं ” न वदिष्यामि।
= अब मैं किसी को तुम नहीं बोलूँगा।
भवान् ….. भवती …..
ओ३म्
३०९ संस्कृत वाक्याभ्यासः
पश्यन्तु , सः आगतवान् ।
= देखिये , वह आ गया ।
सः समये एव आगतवान् ।
= वह समय पर ही आया
सः सर्वान् उत्थापितवान् ।
= उसने सबको उठाया।
सः सर्वेषां कृते ऊर्जाम् आनीतवान्।
= वह सबके लिये ऊर्जा लाया।
सः सर्वेभ्यः एकसमानं ददाति ।
= वह सबको एकसमान देता है।
तं दृष्ट्वा छात्राः विद्यालयं गच्छन्ति।
= उसको देखकर छात्र विद्यालय जाते हैं
तं दृष्ट्वा कृषकाः क्षेत्रं प्रति चलन्ति।
= उसे देखकर किसान खेत की ओर चलते हैं।
तं दृष्ट्वा सर्वे मन्त्रान् पठन्ति।
= उसे देखकर सभी मन्त्र पढ़ते हैं।
सर्वे नमस्कारं कुर्वन्ति ।
= सभी नमस्कार करते हैं ।
तं दृष्ट्वा सर्वे प्रसन्नाः भवन्ति।
= उसे देखकर सभी प्रसन्न होते हैं।
सः कः अस्ति ?
= वह कौन है ?
सः सूर्यः अस्ति ।
सः भास्करः
सः दिवाकरः
सः मार्तण्डः
सः आदित्यः
सः दिनकरः
ओ३म्
३१० संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलभाषेण वार्तालापः ….
= मोबाइल से बातचीत ….
तदपि संस्कृतभाषायाम् !!!!
= वह भी संस्कृत भाषा में !!!
गतदिने अहं कस्यापि आसम्
= कल मैं किसी की ऑफिस में था।
एकस्य दूरवाणी आगता
= किसी का फोन आया।
नमस्ते , अहं हंसदत्त शास्त्री वदामि।
= नमस्ते , मैं हंसदत्त शास्त्री बोल रहा हूँ।
अहम् – नमस्ते , वदतु … कथम् अस्ति ?
= नमस्ते , बोलिये … कैसे हैं ?
…. अहम् उत्थाय बहिः गन्तुं प्रवृत्तः अभवम्।
= …. मैं उठकर बाहर जाने लगा ।
कार्यालय-संचालकः निवेदितवान् ( न्यवेदयत् )
= कार्यालय के संचालक ने निवेदन किया
* अत्रैव वार्तालापं करोतु।
= यहीं बात करिये।
– अहं श्रोतुम् इच्छामि।
= मैं सुनना चाहता हूँ।
आवयोः संस्कृत-सम्भाषणं सः प्रेम्णा श्रुतवान्।
= हम दोनों का संस्कृत सम्भाषण उसने प्रेम से सुना।
हंसदत्तः कुमायूँतः वदति स्म।
= हंसदत्त जी कुमायूँ से बोल रहे थे।
ओ३म्
३११ संस्कृत वाक्याभ्यासः
चलतु …
कुत्र ?
योगं कर्तुम्
अहं तु प्रतिदिनं योगं करोमि।
अद्य सर्वे एकसाकं करिष्यामः ।
अहम् अत्रैव एकाकी एव ध्यानं करिष्यामि।
तर्हि अहं गच्छामि।
योगश्चित्त वृत्ति: निरोधः।
भवता सह उपविशामि।
शान्तभावेन योग-ध्यानं करोतु।
विश्वयोगदिनस्य शुभकामनाः ।
ओ३म्
३१२ संस्कृत वाक्याभ्यासः
माता शिशोः कृते पुत्तलिकाम् आनयति।
= माँ शिशु के लिये गुड़िया लाती है।
शिशुः पुत्तलिकां हस्ते गृह्णाति।
= बालक गुड़िया को हाथ में लेता है।
शिशुः पुत्तलिकां पश्यति।
= बालक गुड़िया को देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः नेत्रे पश्यति।
= बालक गुड़िया की दोनों आँखें देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः केशान् पश्यति।
= बालक गुड़िया की आँखें देखता है।
बालकः पुत्तलिकायाः एकं हस्तम् उपरि करोति।
= बालक गुड़िया का एक हाथ ऊपर करता है।
बालकः पुत्तलिकायाः द्वितीयं हस्तम् उपरि करोति।
= बालक गुड़िया का दूसरा हाथ ऊपर करता है।
बालकः पुत्तलिकया सह क्रीडति।
= बालक गुड़िया के साथ खेलता है।
बालकः पुत्तलिकां दृष्ट्वा हसति।
= बालक गुड़िया को देखकर हँसता है।
बालकः पुत्तलिकां हस्ते गृहीत्वा शयनं करोति।
= बालक गुड़िया को हाथ में लेकर सोता है।
#vakyabhyas