प्रेमशब्दस्य सप्तम्यां विभक्त्यां को रूपः।
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8%
प्रेमिणि
36%
प्रेमे
19%
प्रेम्नि
36%
प्रेम्णि
दांतों में कीड़ा लग जाने पर रात्रि को दांत में हींग दबाकर सोएं। कीड़े खुद-ब-खुद निकल जाएंगे।
••दन्तेषु दन्तकृमि: भवेत् तर्हि रात्रौ दन्तयो: मध्ये रामठं निष्पीड्य शयनं कुर्यात्।दन्तकृमि: स्वयमेव निस्सृतो भविष्यति।
यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें।कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।
••यदि कण्टकेन शरीरस्य कश्चन भागो निष्तुन्न: स्यात् तर्हि तत् क्षेत्रं रमठविलयनेन पूर्यात्।कण्टकः किञ्चित्कालानन्तरं स्वयमेव बहिरागमिष्यति।
हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।
••हिङ्गौ रोगप्रतिरोधकक्षमता भवति।दद्रू-कण्ड्वादि-त्वक्-रोगेषु जले घर्षित्वा तेषु स्थानेषु लेपनं हितकरं भवति।
हिंग का लेप बवासीर,तिल्ली और उदरशोथ में लाभप्रद है।
••रमठलेपनं अर्श-गुल्म-उदरशोथादिषु रोगेषु लाभकरं भवति।
कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।
••मलबन्धत्वस्य/कोष्ठबद्धताया: आक्षेपे जाते रमठचूर्णेन सह किञ्चित्मधुरसूर्यक्षारस्य मिश्रणं कृत्वा रात्रौ सेवनं कुर्यात्।प्रात: शौचं सुकरं भविता।
पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।
••यदि उदरवेदना,आध्मानम्,उदरमोटनम् इत्यादय: रोगा: भवेयु: तर्हि यवान्या लवणेन च सह हिङ्गुसेवनं लाभकरं भवेत्।
पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनीमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
••यदि उदरे कृमय: भवेयु: तर्हि रमठं जले निमज्ज्य वस्त्यौषधसेवनेन उदरकृमिणां शीघ्रं निष्कासनं भवति।
जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
••व्रणोपचारः यदि शीघ्रं न क्रियेत तर्हि तस्मिन् लघवः रोगाणवः जायन्ते।व्रणे हिङ्गुचूर्णनिक्षेपणेन रोगाणवः नश्यन्ति।
प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।
••सूपे, तेमने, केषुचित् शाकेषु च नित्यभोजने हिङ्गो: उपयोगः पाचनक्रियायां सहायको भवति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
••दन्तेषु दन्तकृमि: भवेत् तर्हि रात्रौ दन्तयो: मध्ये रामठं निष्पीड्य शयनं कुर्यात्।दन्तकृमि: स्वयमेव निस्सृतो भविष्यति।
यदि शरीर के किसी हिस्से में कांटा चुभ गया हो तो उस स्थान पर हींग का घोल भर दें।कुछ समय में कांटा स्वतः निकल आएगा।
••यदि कण्टकेन शरीरस्य कश्चन भागो निष्तुन्न: स्यात् तर्हि तत् क्षेत्रं रमठविलयनेन पूर्यात्।कण्टकः किञ्चित्कालानन्तरं स्वयमेव बहिरागमिष्यति।
हींग में रोग-प्रतिरोधक क्षमता होती है। दाद, खाज, खुजली व अन्य चर्म रोगों में इसको पानी में घिसकर उन स्थानों पर लगाने से लाभ होता है।
••हिङ्गौ रोगप्रतिरोधकक्षमता भवति।दद्रू-कण्ड्वादि-त्वक्-रोगेषु जले घर्षित्वा तेषु स्थानेषु लेपनं हितकरं भवति।
हिंग का लेप बवासीर,तिल्ली और उदरशोथ में लाभप्रद है।
••रमठलेपनं अर्श-गुल्म-उदरशोथादिषु रोगेषु लाभकरं भवति।
कब्जियत की शिकायत होने पर हींग के चूर्ण में थोड़ा सा मीठा सोड़ा मिलाकर रात्रि को फांक लें, सबेरे शौच साफ होगा।
••मलबन्धत्वस्य/कोष्ठबद्धताया: आक्षेपे जाते रमठचूर्णेन सह किञ्चित्मधुरसूर्यक्षारस्य मिश्रणं कृत्वा रात्रौ सेवनं कुर्यात्।प्रात: शौचं सुकरं भविता।
पेट के दर्द, अफारे, ऐंठन आदि में अजवाइन और नमक के साथ हींग का सेवन करें तो लाभ होगा।
••यदि उदरवेदना,आध्मानम्,उदरमोटनम् इत्यादय: रोगा: भवेयु: तर्हि यवान्या लवणेन च सह हिङ्गुसेवनं लाभकरं भवेत्।
पेट में कीड़े हो जाने पर हींग को पानी में घोलकर एनीमा लेने से पेट के कीड़े शीघ्र निकल आते हैं।
••यदि उदरे कृमय: भवेयु: तर्हि रमठं जले निमज्ज्य वस्त्यौषधसेवनेन उदरकृमिणां शीघ्रं निष्कासनं भवति।
जख्म यदि कुछ समय तक खुला रहे तो उसमें छोटे-छोटे रोगाणु पनप जाते हैं। जख्म पर हींग का चूर्ण डालने से रोगाणु नष्ट हो जाते हैं।
••व्रणोपचारः यदि शीघ्रं न क्रियेत तर्हि तस्मिन् लघवः रोगाणवः जायन्ते।व्रणे हिङ्गुचूर्णनिक्षेपणेन रोगाणवः नश्यन्ति।
प्रतिदिन के भोजन में दाल, कढ़ी व कुछ सब्जियों में हींग का उपयोग करने से भोजन को पचाने में सहायक होती है।
••सूपे, तेमने, केषुचित् शाकेषु च नित्यभोजने हिङ्गो: उपयोगः पाचनक्रियायां सहायको भवति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
🚩 जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 01:19 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 26 जनवरी 2024
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पुष्य सुबह 10:28 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅ योग - प्रीति सुबह 07:42 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
⛅ राहु काल - सुबह 11:30 से 12:52 तक
⛅ सूर्योदय - 07:22
⛅ सूर्यास्त - 06:23
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
#panchang
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - प्रतिपदा रात्रि 01:19 तक तत्पश्चात द्वितीया
⛅ दिनांक - 26 जनवरी 2024
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⛅ अयन - उत्तरायण
⛅ ऋतु - शिशिर
⛅ मास - माघ
⛅ पक्ष - कृष्ण
⛅ नक्षत्र - पुष्य सुबह 10:28 तक तत्पश्चात अश्लेषा
⛅ योग - प्रीति सुबह 07:42 तक तत्पश्चात आयुष्मान्
⛅ राहु काल - सुबह 11:30 से 12:52 तक
⛅ सूर्योदय - 07:22
⛅ सूर्यास्त - 06:23
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:38 से 06:30 तक
#panchang
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🌞 मनसा यत् न मनुते। येन मनः मतं इति ब्रह्मविदः आहुः। तत् एव त्वं ब्रह्म विद्धि। यत् इदं उपासते इदं न ॥
🌷 'वह' जो मन के द्वारा मनन नहीं करता, 'वह' जिसके द्वारा मन स्वयं मनन का विषय बन जाता है, 'उसे' ही तुम 'ब्रह्म' जानो, न कि इसे जिसकी मनुष्य यहां उपासना करते हैं।
🌹 That which thinks not by the mind, that by which the mind is thought, know That to be the Brahman and not this which men revere after here.
📍केनोपनिषदि १।५॥ #Subhashitam
यन्मनसा न मनुते येनाहुर्मनो मतम्।
तदेव ब्रह्म त्वं विद्धि नेदं यदिदमुपासते ॥
🌞 मनसा यत् न मनुते। येन मनः मतं इति ब्रह्मविदः आहुः। तत् एव त्वं ब्रह्म विद्धि। यत् इदं उपासते इदं न ॥
🌷 'वह' जो मन के द्वारा मनन नहीं करता, 'वह' जिसके द्वारा मन स्वयं मनन का विषय बन जाता है, 'उसे' ही तुम 'ब्रह्म' जानो, न कि इसे जिसकी मनुष्य यहां उपासना करते हैं।
🌹 That which thinks not by the mind, that by which the mind is thought, know That to be the Brahman and not this which men revere after here.
📍केनोपनिषदि १।५॥ #Subhashitam
क्रोध एक तेज आँधी के झोंका की तरह होता है।
•• क्रोध: एकस्य तीव्रचण्डवातस्य प्रवाह: इव भवति।
जब आता है तो हमारे विवेक और बुद्धि को उड़ा ले जाता है।
•• यदा स आगच्छति तदा अस्माकं विवेकं बुद्धिं च उड्डायित्वा नयति।
अर्थात्
यदा स आगच्छति तदा अस्माकं विवेकं बुद्धिं च हरति।
आँधी के गुजर जाने के बाद हमें मालूम होता है हमारी क्या-क्या वस्तुएँ आँधी के साथ उड़ गई हैं।
•• चण्डवातस्य व्यतीतानन्तरम् अस्माभि: ज्ञायते यत् अस्माकं कानि-कानि वस्तूनि चण्डवातेन सह उड्डीय गतानि।
Big Cat की यह प्रजाति कभी भारत में पायी जाती थी।
•• एष वृहत्मार्जार: प्रजाति: कदाचित् भारते एव दृश्यते स्म ।
यह दुनिया का सबसे तेज फर्राटा लगाने वाला जानवर है
•• एषः जगतो द्रुततमो धावक: पशुः अस्ति
चीता 128 किमी/घंटे की रफ्तार तक दौड़ सकता है
•• चित्रक: अष्टाविंशत्याधिकशतानि किलोमीटरमीतं प्रतिघण्टापर्यन्तं धावितुं शक्नोति।
हिन्दी में चीता शब्द का अर्थ होता है अलग-अलग रंगों के धब्बों वाला या चितकबरा।
•• हिन्दीभाषायां चित्रकस्य शब्दार्थो भवति-
विविधवर्णै: युक्त: चिह्नवर्णीय: उत विचित्रवर्णीय:।
चीता को खास धब्बेदार खाल की वजह से यह नाम मिला है
•• विशिष्टचिह्नितवर्णात् चित्रकेण एतत् नाम प्राप्तम्।
अफ्रिका और मध्य इरान तक सिमटे चीता को भारत में बसाने की तैयारी है
•• अफ्रिकादेशे मध्य इरानदेशे च सीमितचित्रकाणां भारते निवासनाय सज्जत्वमस्ति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
•• क्रोध: एकस्य तीव्रचण्डवातस्य प्रवाह: इव भवति।
जब आता है तो हमारे विवेक और बुद्धि को उड़ा ले जाता है।
•• यदा स आगच्छति तदा अस्माकं विवेकं बुद्धिं च उड्डायित्वा नयति।
अर्थात्
यदा स आगच्छति तदा अस्माकं विवेकं बुद्धिं च हरति।
आँधी के गुजर जाने के बाद हमें मालूम होता है हमारी क्या-क्या वस्तुएँ आँधी के साथ उड़ गई हैं।
•• चण्डवातस्य व्यतीतानन्तरम् अस्माभि: ज्ञायते यत् अस्माकं कानि-कानि वस्तूनि चण्डवातेन सह उड्डीय गतानि।
Big Cat की यह प्रजाति कभी भारत में पायी जाती थी।
•• एष वृहत्मार्जार: प्रजाति: कदाचित् भारते एव दृश्यते स्म ।
यह दुनिया का सबसे तेज फर्राटा लगाने वाला जानवर है
•• एषः जगतो द्रुततमो धावक: पशुः अस्ति
चीता 128 किमी/घंटे की रफ्तार तक दौड़ सकता है
•• चित्रक: अष्टाविंशत्याधिकशतानि किलोमीटरमीतं प्रतिघण्टापर्यन्तं धावितुं शक्नोति।
हिन्दी में चीता शब्द का अर्थ होता है अलग-अलग रंगों के धब्बों वाला या चितकबरा।
•• हिन्दीभाषायां चित्रकस्य शब्दार्थो भवति-
विविधवर्णै: युक्त: चिह्नवर्णीय: उत विचित्रवर्णीय:।
चीता को खास धब्बेदार खाल की वजह से यह नाम मिला है
•• विशिष्टचिह्नितवर्णात् चित्रकेण एतत् नाम प्राप्तम्।
अफ्रिका और मध्य इरान तक सिमटे चीता को भारत में बसाने की तैयारी है
•• अफ्रिकादेशे मध्य इरानदेशे च सीमितचित्रकाणां भारते निवासनाय सज्जत्वमस्ति।
~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
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🔰विषयः - गणतन्त्रदिवसः
🗓२७/११/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं(गणतन्त्रदिवसस्य आचरणं कथं जातं तस्य महत्त्वं च ) एतद्विषयम् अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
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🗓२७/११/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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जगत्। ऋषिः। एतयोः शब्दयोः सन्धिकृतं पदं किं सिध्येत्।
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जगतृषिः
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जगदृषिः
36%
जगदर्षिः
17%
जगदॄषिः