संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃भर्जनम्भवबीजानामर्जनं सुखसम्पदाम्।
तर्जनं यमदूतानां रामरामेति गर्जनम्
।।३६।।

🔆 रामनाम संसारदुःखानां नाशकम् अस्ति सर्वसुखदायकमस्ति तथा यमालयं गमनात् त्रायते अर्थात् रामनामोच्चारणं सदा करणीयम्।

'राम-राम' ऐसा घोष करना सम्पूर्ण संसारबीजों को भून डालने वाला, सम्पूर्ण सुख-सम्पत्ति की प्राप्ति कराने वाला तथा यमदूतों को भयभीत करने वाला है।

श्रीरामरक्षास्तोत्रम्

#Subhashitam
हरिशब्दस्य चतुर्थीविभक्तिः का।
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2%
हर्ये
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हरये
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हराय
1%
हरे
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लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई कहा जाता है।
••काष्ठकार्याणां कर्त्तार: जना: तक्षका: इति उच्यन्ते।

बढई एक ऐसी जाती है जो देश के हर प्रदेशों जिलो गांव शहर में बहुसंख्यक जाति के रूप मे निवास करती हैं।
••तक्षक: एका जातिः अस्ति या देशस्य प्रत्येकस्मिन् राज्ये, मण्डले, ग्रामे, नगरे च बहुमतजातिरूपेण निवसति।

इनकी संख्या भारत में लगभग 6% से 8 % के आस पास है, घर मकान आफिस नयी शोध सभी इसी समाज कि देन है, लेकिन राजनैतिक इच्छा शक्ति के अभाव मे पतन होता गया।
•एतेषां सङ्ख्या भारतवर्षे सामीप्यं षट्तः अष्ट प्रतिशतं यावदस्ति। गृहं , प्रकोष्ठः, कार्यालयः, नूतनशोधः सर्वे अस्यैव वर्गस्य योगदानमस्ति। परन्तु राजनैतिकवाञ्छायाः अभावे पतनम् अभवत्।

इस आधुनिक समाज के विकास का श्रेय इस जाति को जाता है।
••अस्य आधुनिकसमाजस्य विकासस्य श्रेयः अस्या एव जाते: अस्ति।

यह जाति प्राचीन काल से समाज के प्रमुख अंग रहा है।
••एषा जातिः प्राचीनकालादेव समाजस्य प्रमुखः अङ्गोऽस्ति।

घर की आवश्यक लकड़ी की वस्तुएँ बढ़ई जाति द्वारा बनाई जाती हैं।
••गृहस्य कृते आवश्यकानि काष्ठवस्तूनि तक्षकजात्या निर्मितानि भवन्ति।

बढई जाति के लोग रोजगार मे विश्वास करते हैं और अपने साथ अनेकों समाज और समुदाय को भी रोजगार उपलब्ध कराते हैं।
••तक्षकजाते: जनाः आजीविकायां विश्वासं कुर्वन्ति तेषां च सह अनेकेभ्यः समाजेभ्य: समुदायेभ्यश्च आजीविकां प्रयच्छन्ति।

आविष्कारों और रचनाओं के धनी है बढई जाति जिनको बढई समाज के नामों से पुकारा जाता है।
••तक्षकजातय: आविष्कारसृष्टिसमृद्धा: सन्ति ये च तक्षकसमुदायस्य नाम्ना उच्यन्ते।

दुनिया में इस समाज के अविष्कार का ही हर एक आदमी नकल करके ही कला को हासिल करता है।
••अस्य समाजस्य आविष्काराणामेव अनुकृतिं कृत्वैव जगति प्रत्येकं व्यक्तिः कलां साधयति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
उत्तमपुरुषः (uttamapuruṣaḥ) i.e. First Person is used by one to refer to himself/herself.
Similar to second person, only three words are used for first person: 
1. अहम् (aham) i.e. I which is singular, 
2. आवाम् (āvām) i.e. We which is Dual and 
3. वयम् (and vayam) i.e. We all which is Plural.

Following are some sentences using first person in all grammatical numbers:

Singular – अहं वदामि। (ahaṃ vadāmi।). This sentence means, “I am speaking”.

Dual – आवां वदावः। (āvāṃ vadāvaḥ।). This sentence means, “We two are speaking”.

Plural – वयं वदामः। (vayaṃ vadāmaḥ।). This sentence means, “We all are speaking.”

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 पिच्छकन्दुकक्रीडाशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - इज़्रैल्फिलिस्तीन देशयोः युद्धम्
🗓११/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (द्वयोः देशयोः युद्धस्य कारणानि परिणामाः च के) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Audio
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - द्वादशी शाम 05:37 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक - 11 अक्टूबर 2023
दिन - बुधवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - मघा सुबह 08:45 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी
योग - शुभ सुबह 08:42 तक तत्पश्चात शुक्ल
राहु काल - दोपहर 12:26 से 01:54 तक
सूर्योदय - 06:35
सूर्यास्त - 06:18
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:46 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:51 तक
व्रत पर्व विवरण - द्वादशी का श्राद्ध, सन्यासी-यति-वैष्णवों का श्राद्ध, प्रदोष व्रत
🍃अव्यक्तादीनि भूतानि व्यक्तमध्यानि भारत।
अव्यक्तनिधनान्येव तत्र का परिदेवना
॥२.२८॥

🔆 हे भरतस्य वंशे जातः अर्जुन सर्वे प्राणिनः जन्मनः पूर्वम् अदृष्टाः भवन्ति जन्मनः परमपि तथैव इत्युक्ते न तस्य विषये कश्चन जानीयात् केवलं मध्यकालाय ते दर्शनार्हाः स्युः तदर्थं शोकः न कार्यः।

हे भरतवंशी! सम्पूर्ण प्राणी जन्म से पहले अप्रकट रहते है और मरने के बाद भी अप्रकट(अव्यक्त) हो जाने वाले हैं, केवल बीच में ही प्रकट हैं (इन्हे देखा जा सकता है),अत: शोक करने की क्या आवश्यकता है?

#Subhashitam
कियत् उत्तमं गीतम गायति भवती।
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43%
शुद्धं वाक्यम्।
57%
अशुद्धं वाक्यम्।
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
लकड़ी का काम करने वाले लोगों को बढ़ई कहा जाता है। ••काष्ठकार्याणां कर्त्तार: जना: तक्षका: इति उच्यन्ते। बढई एक ऐसी जाती है जो देश के हर प्रदेशों जिलो गांव शहर में बहुसंख्यक जाति के रूप मे निवास करती हैं। ••तक्षक: एका जातिः अस्ति या देशस्य प्रत्येकस्मिन्…
इन वस्तुओं में चारपाई, तख्त, पीढ़ा, कुर्सी, मचिया, आलमारी, हल, चौकठ, बाजू, खिड़की, दरवाजे तथा घर में लगने वाली कड़ियाँ - घर और दुकान में लगने वाली हर एक अधुनिक वस्तु इसी समाज का देन है।
••एतेषु वस्तुषु शय्या,काष्ठफलकं,पीठं,आसन्दी,आसन्दिका, मञ्जूषा, हलं, देहली, फलकं, वातायनं, द्वारं अर्गला च सन्ति अर्थात् गृहे आपणे च स्थापितं प्रत्येकं आधुनिकं वस्तु अस्यैव समाजस्य अवदानमस्ति।

बढई समाज के लोगो के घर में जन्मे बच्चे को पैदाइशी इंजीनियर कहा जाता है।
••तक्षकसमुदायस्य जनानां गृहे जाता: बालका: जन्मजाता: अभियन्तार: कथ्यन्ते।

बढई समाज जन्मजात अविष्कारक है।
••तक्षकसमुदाय: जन्मजातः आविष्कारकः अस्ति।

इनको अलग अलग प्रदेश में अलग अलग नामों से जाना जाता है।
••एते भिन्न-भिन्न-प्रदेशेषु भिन्न-भिन्न-नाम्ना ज्ञायन्ते।

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हृदय के लिए लौकी का रस अमृत के समान है।
••हृदयाय अलाबुरस: सुधावदस्ति।

लौकी का एक कप ताज़ा रस निकालकर प्रतिदिन सुबह पीने से हृदय के लिए व सामान्य स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छा रहता है।
••एकचषकपूरितम् तुम्बीरसं निष्कास्य प्रतिदिनं प्रात: पानेन हृदयार्थं सामान्यस्वास्थ्याय च अतीव लाभदायकं भवति।

इसमें सेब का रस मिलाकर भी पी सकते हैं।
••अस्मिन् सेबरसस्य मिश्रणं कृत्वा पातुं शक्नुथ।

सर्दी हो तो थोड़ा अदरक का रस या सोंठ मिलाकर पियें|
••यदि शैत्यं स्यात् तर्हि इशत् आर्द्रकरसस्य शुष्कार्द्रकचूर्णस्य वा मिश्रणं कृत्वा पिबत।

यह कॉलेस्ट्रोल भी कम करता है।
••एष पैत्तवमपि अपाकरोति।

नोट- रस निकलने से पहले लौकी को चख लें। यदि कड़वी हो तो प्रयोग न करें।
••ध्वातव्यं यत् रसनिष्कासनात् पूर्वं अलाबो: स्वादस्य परीक्षणं कुरुत।यदि कटु भवेत् तर्हि मा प्रयोगं कुर्यात।

~उमेशगुप्तः

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