संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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अद्य संलापशाला सार्धैकादशवादने आरप्स्यते।
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🍃माता गुरूत्तरा भूमेः खात् पितोच्चतरस्तथा ।
मनः शीघ्रतरं वातात् चिन्ता बहुतरी तृणात्
।।

🔆माता सहनकारणेन भूमितः अपि अधिका भारयुक्ता भवति। पिता स्वत्यागकारणेन आकाशादपि उन्नतः भवति। मनः चञ्चलताकारणेन वायोः अपेक्षया वेगवत् अस्ति तथा चिन्ता
घासादपि अधिका भवति।

माता भूमि से भारी है । पिता आकाश से ऊँचा है । मन वायु से तेज है । चिंता घास से अधिक सङ्ख्या में होती है ।

यक्ष-युधिष्ठिर संवाद, वनपर्व, महाभारत

#Subhashitam
अत्रास्ति वा कश्चित् मया सह सम्भाषितुम्।
अस्ति क्रियापदस्य कृते कर्ता कः वर्तते।
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23%
मया
48%
कश्चित्
6%
अत्र
23%
कर्ता वाक्ये न दत्तः
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
नेवले को भी बहुत दुःख हुआ। ••नकुलोऽपि भृशं दुःखितोऽभवत्। वह दुख-भरे स्वर में बोला,"मित्र, मेरे बस में होता तो मैं उस नीच अजगर के सौ टुकडे कर डालता। •• स शोकाकुलेन स्वरेण उक्तवान् , "मित्र! यदि एतत् कार्यं मम आधिन्ये अभविष्यत् तर्हि अहं तस्य अधमस्य शयो:…
नेवले को अपनी मित्र चींटी रानी पर पूरा विश्वास था,इसलिए वह अपनी जान जोखिम में डालने पर तैयार हो गया। दूसरे दिन नेवला जाकर सांप के बिल के पास अपनी बोली बोलने लगा। अपने शत्रु की बोली सुनते ही अजगर क्रोध में भरकर अपने बिल से बाहर आया। नेवला उसी संकरे रास्ते वाली दिशा में दौडा। अजगर ने पीछा किया।अजगर रुकता था तो नेवला मुड़कर फुफकारता और अजगर को गुस्सा दिलाकर फिर पीछा करने पर मजबूर करता था।
•• नकुलस्य स्वमित्रे पिपीलिकाराज्ञ्यां पूर्णो विश्वास: आसीत्, अत: स स्वप्राणान् सङ्कटावास्थायां पातयितुम् उद्यतोऽभवत्।परेद्यु: नकुल शयुविवरं निकषा गत्वा स्वभाषायां वक्तुमारभत।स्वशत्रो: नादं शृण्वन्नेव शयु क्रोधितो भूत्वा स्वविवरात् बहिरागतवान्।नकुल: तमं सङ्कीर्णमार्गं प्रति धावितवान्।शयु: तम् अनुधावितवान्।शयु: विरमति स्म चेत् नकुल: परावर्त्य फुत्करोति स्म तथा शयू कोपयित्वा पुनः अनुसरणाय बाध्यं करोति स्म।

इस प्रकार नेवले ने उसे संकरीले रास्ते से गुजरने पर मजबूर कर दिया। नुकीले पत्थरों से उसका शरीर छिलने लगा। जब तक अजगर उस रास्ते से बाहर आया तब तक उसका काफ़ी शरीर छिल गया था और जगह-जगह से खून टपक रहा था।उसी समय चींटियों की सेना ने उस पर हमला कर दिया।चींटियां उसके शरीर पर चढकर छिले स्थानों के नंगे मांस को काटने लगीं।
•• एवं नकुल: तं सङ्कीर्णमार्गेण प्रस्थितुं बाध्यं कृतवान्।तीक्ष्णप्रस्तरै: तस्य शरीरं निष्कोषितुमारभत।यावत् शयु: तस्माद् मार्गाद् बहिरागत: तावत् तस्य शरीरस्य बहूनि अङ्गानि निष्कोषितानि आसन् तथा स्थानात्-स्थानात् रक्तं स्रवति स्म।तदैव पिपीलिकानां सैन्यं तस्मिन् आक्रमणं कृतवान्।पिपीलिका: तस्य शरीरम् आरुह्य निष्काषितचर्मणो नग्नमांसं दशितुमारभान्त।

अजगर तडप उठा।अपना शरीर पटकने लगा जिससे और मांस छिलने लगा और चींटियों को आक्रमण के लिए नए-नए स्थान मिलने लगे।अजगर चींटियों का क्या बिगाडता....? वे हजारों की गिनती में उस पर टूट पड रही थीं।कुछ ही देर में क्रूर अजगर ने तडप-तडपकर दम तोड़ दिया।
••शयु: उतप्तोऽभवत्।(शयु:) स्वशरीरं क्षेप्तुमारभत येन तस्य शरीरस्य मांसम् इतोऽपि निष्कोषितुमारत तथा पिपीलिकाभि: आक्रमणाय नूतनानि अङ्गानि (स्थानानि) प्राप्तुमारभ्यन्त।शयु: पिपीलिकानां कां क्षतिं कर्तुं शक्नोति स्म--? सहस्रश: ते तस्मिन् आक्रमणम् अकुर्वन्।क्षणात्परं निर्दयेण शयुना तप्त्वा तप्त्वा प्राणा: त्यक्ता:।
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शिक्षा -
संगठन शक्ति बड़े बड़ो को धूल चटा देती है। इसलिए संगठित होकर रहने में ही भलाई है।
•• सङ्गठनशक्तिः शक्तिसम्पन्नजीवमपि पराजयते। अतः सङ्गठनेन सह जीवनयापनैव कल्याणमस्ति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
Grammatical Numbers are known as वचनानि (vacanāni) in Sanskrit. These basically denote the number of something in a sentence.

Grammatical numbers are of three types. 
1. एकवचनम् (ekavacanam) i.e. Singular
2. द्विवचनम् (dvivacanam) i.e. Dual and 
3. बहुवचनम् (bahuvacanam) i.e. Plural.

It is एकवचनम् (ekavacanam) i.e. Singular when there is only one of something in the sentence.

It is द्विवचनम् (dvivacanam) i.e. Dual when there are two of something in a sentence.

It is बहुवचनम् (bahuvacanam) i.e. Plural when there are multiple things of something in a sentence.

🌐sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 त्रिशूलशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
Sivopasana
Challakere Brothers
🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - षष्ठी 05 अक्टूबर प्रातः 05:41 तक तत्पश्चात सप्तमी)

दिनांक - 04 अक्टूबर 2023
दिन - बुधवार
विक्रम संवत् - 2080
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - रोहिणी शाम 06:29 तक तत्पश्चात मृगशिरा
योग - व्यतिपात सुबह 06:43 से 05 अक्टूबर प्रातः 05:43 तक
राहु काल - दोपहर 12:28 से 01:57 तक
सूर्योदय - 06:32
सूर्यास्त - 06:25
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:44 तक

#panchang
अद्य संलापशाला नास्ति।
🍃ऐश्वर्यात्सहसम्बन्धं न कुर्याच्च कदाचन।
गते च गौरवं नास्ति आगते च धनक्षयः
।।
सु.र. भा.- ७. ४००

🔆केनापि जनेन अन्येन सह तस्य ऐश्वर्यं दृष्ट्वा मित्रता न करणीया यतो हि यदा मित्रता क्षीयते तदा गौरवस्य भावोऽपि विनष्टः भवति तथा यदि सम्पर्के भवति तदा धनस्य हानिः च भवति।

मनुष्य के ऐश्वर्य के कारण किसी ऐश्वर्यसम्पन्न व्यक्ति के साथ कभी भी सम्बन्ध नहीं करना चाहिए, क्योंकि उसके टूट जाने पर गौरव नहीं रहता और ऐसे व्यक्ति के आने पर धनहानि होती है ।।

#Subhashitam