संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃मौनं कालविलम्बश्च प्रयाणं भूमि-दर्शनम्।
भृकुट्यन्यमुखी वार्ता नकारः षड्विधः स्मृतः॥


🔅मौनं, कालविलम्बः, प्रयाणं, भूमिदर्शनं, भृकुटी, अन्यमुखी वार्ता चेति षड्विधः नकारः स्मृतः।

चुप रहना, समय में देरी करना, अन्य स्थान पर चले जाना, भूमि की ओर देखने लगना, भौंहें टेढ़ी कर लेना, दूसरे की ओर मुँह करके बात करने लगनी-ये छ: प्रकार के मना करने के संकेत स्मृतियों में कहे गये हैं। तात्पर्य यह है कि कोई व्यक्तिं बात करते समय इन छ: लक्षणों में से कोई भी एक लक्षण प्रकट करता है तो व्यक्ति को समझ लेना चाहिए कि उसकी आपकी बातों में कोई रुचि नहीं है अथवा वह आपकी बातों से सहमत नहीं है।

#Subhashitam
इम्यूनिटी बूस्टर काढ़ा बनाने का तरीका।
•• रोगप्रतिरोधकक्षमतावर्धकस्य क्वाथस्य निर्माणविधि:।

1 चम्मच मुलेठी, 2-4 ग्राम दालचीनी, थोड़ा अदरक और थोड़ी हल्दी,8-10 तुलसी की पत्तियां,गिलोय की थोड़ी डंडी और 2-4 पत्तियां ,थोड़ी काली मिर्च -
इन सभी को इमामदस्ता में डालकर अच्छी तरह से कूट लें।
•• एकचमसपूरिता मधुयष्टी , द्वे - चत्वारि ग्रामपरीमीतं दारुत्वचम् , अष्ट् - दशं तुलसीपत्राणि , गुडूच्य: कानिचन दण्डाणि तथा द्वि-चत्वारि पत्राणि , अल्प- अल्पमात्रायां आर्द्रकं हरिद्रं च कृष्णमरीचं च - एतानि सर्वाणि लौहभाण्डे पूरयित्वा सम्यग्विधिना कुटयतु।

एक लीटर पानी में इन सभी चीजों को
डालकर अच्छी तरह से उबाल कर छान लें।
••एकलीटरमिते जले इमानि सर्वाणि वस्तूनि दत्वा सम्यक्तया उद्वालयित्वा परिष्करोतु।

एक बोटल में रख लें और तैयार हो
गया आपका काढ़ा।
•• एकस्यां कूप्यां स्थापयतु प्रस्तुतश्च भवत: क्वाथः।


किसी दिन प्यास की तरह आएगी मृत्यु और पानी की तरह अंजूरी में भरकर ले जाएगी हमें।
•• कस्मिंश्चित् दिने मृत्यु: पिपासेव आगन्ता तथा जलमिव अञ्जल्यां पूरयित्वा अस्मान् नेता।

किसी दिन लगेगा ब्रेक इस फुल एक्स्लेरेट गाड़ी को और पटखनी लेती हुई,हो जाएगी मटियामेट।
•• कस्मिंश्चित् दिने एष पूर्णगत्या चलितो वाहनः अवरुद्धो भविता तथा दीर्घकालं यावत् चोटग्रस्तो भवन् एकस्मिन् दिने एतद् मृद्वाहनः मृत्तिकां मेलिता।

किसी दिन रूक जाएगा श्वास,बूझ जाएगी प्यास , ठहर जाएगी धड़कन , सिल जाएंगे होठ, खुल जाएंगे हाथ,बंद होगी आंख, ठंड होगी काया और रोज-रोज की माया से हमलोगों को मुक्ति मिल जाएगी।
•• कस्मिंश्चित् दिने श्वास: अवरुद्धो भविता, पिपासा शमिता , हृदयस्पन्दनं स्थाता , ओष्ठौ सेवितारौ , हस्तौ उद्घाटयितारौ,चक्षुषी पिधातारौ , शरीरं शीतलं भविता तथा प्रत्येकं दिनस्य मायायाः मुक्ताः भवितास्मः।

जीवन की इति यही है न ?
•• जीवनस्य इति इदमेव अस्ति वा?


आलपिन सारे कागज को जोड़कर रखना चाहता है,लेकिन वह हर कागज को चुभती है।इसी प्रकार जो व्यक्ति सभी को जोड़कर रखना चाहता है वह भी सभी की ऑंखों में चुभता है।
•• यथा पत्रसूची सर्वान् कर्गदान् युगपत् सुरक्षितुमिच्छति , परन्तु सा सर्वै: कर्गदै: वेधिका अनुभूयते।तथैव य: जन: सर्वान् युगपत् स्थापयितुमिच्छति , स: कस्मै न रोचते।

कोई आपके अच्छे कार्य पर सन्देह करता है तो करने देना , क्योंकि शक़ सदा सोने की शुद्धता पर किया जाता है , कोयले की कालिख पर नहीं।
•• कश्चित् भवत: सत्कार्ये सन्देहं कुर्यात् चेत् करोतु नाम,यतोहि संशय: सर्वदा स्वर्णस्य शुद्धतायां हि क्रियते, अङ्गारस्य कज्जले नैव।

#vakyabhyas
संस्कृतस्य बहवः ग्रन्थाः अत्र उपलब्धाः

http://www.gyan-sagar.in/advancesearch?lang=Sanskrit
स्नुषाः श्वश्रुवः परस्परं बहुमानेन न अवलोकयन्ति इति प्रथा अस्ति खलु । तां प्रथां प्रत्याख्यातुं काश्चन स्नुषाः श्वश्रवः योजनामेकामरचयन् । योजना सर्वाः दूरस्थितं देवालयमेकं संदृश्य तत्र श्वश्रुवां स्नुषाणां परस्परं प्रीतिपूर्वकवृत्त्यर्थम् ईश्वरं प्रार्थयिष्यन्ति इत्येषा आसीत् । परंतु श्वश्रुवः एकस्मिन् बस्-याने देवालयं गता स्नुषाः अन्यस्मिन् बस्-याने गताः । विधिवशात् श्वश्रुवां यानं दुर्घटनाग्रस्तमभवत् सर्वाः बस्-यानस्थितश्वश्रुवः मृताश्च । स्नुषाः दुःखदां वार्तामशृण्वन् अश्रूण्यमुञ्चन् च । परंतु एका स्नुषा प्रभूतं रोदितुं प्रारभत । अन्याभिः सान्त्वनं निष्फलमभवत् । “कुतः इयतीं यातनामनुभवसि इति पृष्टा सा प्रत्यवदत्, “मम श्वश्रूः तद्याने न प्रातिष्ठत गृहे एव तिष्ठति” इति ।

~ जी एस् एस् मूर्तिः

#hasya
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

45 निमेषाः
🕛 IST 12:00 PM   
🔰 हास्यघटना
🗓 11दिसम्बर 2022, रविवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन (अस्माकं जीवनस्य काञ्चित् हास्यघटनां विवरितुं शक्नुमः)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇👇👇👇👇
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सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
Live stream scheduled for
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिन्दी तिथि 🚩


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२४
🚩शक संवत् - १९४४
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७९
🚩तिथि - तृतीया शाम 04:14 तक तत्पश्चात चतुर्थी

दिनांक - 11 दिसम्बर 2022
दिन - रविवार
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - पौष
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - पुनर्वसु रात्रि 08:36 तक तत्पश्चात पुष्य
योग - ब्रह्म 12 दिसम्बर प्रातः 05:15 तक तत्पश्चात इन्द्र
राहु काल - शाम 04:35 से 05:55 तक
सूर्योदय - 07:10
सूर्यास्त - 05:55
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:24 से 06:17 तक