संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
5.1K subscribers
3.13K photos
297 videos
309 files
5.92K links
Largest Online Sanskrit Network

Network
https://t.me/samvadah/11287

Linked group @samskrta_group
News and magazines @ramdootah
Super group @Ask_sanskrit
Sanskrit Books @GranthaKutee
Download Telegram
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-75
पञ्च सेनाग्रगान्‌ हत्वा सप्त मन्त्रिसुतानपि।
शूरमक्षं च निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्‌।।75।।

श्लोकान्वयः -
(स: हनुमान्‌) पञ्च सेनाग्रगान्‌ सप्त मन्त्रिसुतान्‌ च हत्वा
शूरम्‌ अक्षम्‌ अपि निष्पिष्य ग्रहणं समुपागमत्‌।।75।।

हिन्दी-अनुवाद -
तत्पश्चात्‌ हनुमान्‌ पाँच सेनापतियों को एवं सात मन्त्रिपुत्रों को मारकर
रावण के वीर पुत्र अक्षय कुमार को चूर-चूर कर मेघनाद द्वारा चलाए गए ब्रह्मास्त्र में आबद्ध हो गए।।75।।

English Meaning

पञ्च सेनाग्रगान् five commanders, सप्त मन्त्रिसुतानपि seven sons of counsellors, हत्वा having killed, शूरम् valiant, अक्षं च Akshaya Kumara, son of Ravana, निष्पिष्य having stamped, ग्रहणम् समुपागमत् got caught, to be taken as captive.

After killing five commanders, seven sons of the counsellors, stamping out valiant Akshayakumara, the son of Ravana, Hanuman got himself captured (to be taken as captive).

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-76
अस्त्रेणोन्मुक्तमात्मानं ज्ञात्वा पैतामहाद्वरात्‌।
मर्षयन्‌ राक्षसान्‌ वीरो यन्त्रिणस्तान्‌ यदृच्छया।।76।।
ततो दग्ध्वा पुरीं लङ्काम्‌ ऋते सीतां च मैथिलीम्‌।
रामाय प्रियमाख्यातुं पुनरायान्‌ महाकपि:।।77।।

श्लोकान्वयः -
(बन्धनानन्तरं हनुमान्‌) पैतामहात्‌ वरात्‌ अस्त्रेण आत्मानम्‌ उन्मुक्तं ज्ञात्वा
यन्त्रिण: तान्‌ राक्षसान्‌ यदृच्छया मर्षयन्‌ (रावणं प्राप्तवान्‌)।।76।।
तत: महाकपि: मैथिलीं सीताम्‌ ऋते लङ्कां पुरीं दग्ध्वा
रामाय प्रियमाख्यातुं पुन: आयात्‌।।77।।

हिन्दी-अनुवाद -
मेघनाद द्वारा प्रयुक्त ब्रह्मास्त्र में बद्ध हनुमान्‌ पितामह ब्रह्मा द्वारा प्राप्त वरदान के कारण
अपने आप को बन्धनमुक्त जानते हुए भी चुपचाप स्वेच्छा से उन राक्षसों को सहते हुए (अपने को बन्धन में ही समझते हुए)
रावण के पास पहुँचे।।76।।
रावणदर्शन के बाद वहाँ से निकलकर महाकपि हनुमान्‌ मिथिलानरेश की पुत्री सीता को तथा उसके स्थान मात्र को छोड़कर बाकी लङ्का नगरी को जलाकर श्री राम को प्रिय लगने वाले सीतादर्शन तथा अन्य वृत्तन्त सुनाने के लिए लौट आए।।77।।

English Meaning

वीर: mighty warrior, महाकपि: great monkey, Hanuman, पैतामहात् by Brahma's, वरात् boon, आत्मानम् his own self, अस्त्रेण by the weapon (given by Brahma), उन्मुक्तम् released, ज्ञात्वा coming to know, यदृच्छया casually (in the expectation of his another objective of seeing Ravana), यन्त्रिण: restrained by ropes, तान् राक्षसान् those rakshasas, मर्षयन् while enduring, तत: after completion of that act, मैथिलीम् सीतां ऋते except Sita (Mythili), लङ्कां पुरीम् the city of Lanka, दग्ध्वा having burnt, रामाय for Rama, प्रियम् welcome tidings, आख्यातुम् to deliver, पुन: आयात् returned again.

The heroic Hanuman came to know that he could be released from the entanglements of the weapon granted to him through a boon by Brahma. He allowed himself to be restrained by the rakshasas with the ropes for the sake of achieving his other objective of seeing Ravana. Thereafter, he burnt the whole of Lanka except the place where Sita was and returned to deliver the good news to Rama.
#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-78
सोऽभिगम्य महात्मानं कृत्वा रामं प्रदक्षिणम्‌।
न्यवेदयदमेयात्मा दृष्टा सीतेति तत्त्वत:।।78।।

श्लोकान्वयः -
अमेयात्मा स: (महाकपि:) महात्मानम्‌ रामम्‌ अभिगम्य
प्रदक्षिणं (च) कृत्वा सीता तत्त्वत: दृष्टा इति न्यवेदयत्‌।।78।।

हिन्दी-अनुवाद -
अतुलनीय बल, बुद्धि एवं धैर्यसम्पन्न हनुमान्‌ राम के पास गए।
हनुमान्‌ ने महात्मा राम की प्रदक्षिणा करके बताया कि वस्तुत: उन्होंने सीता को देखा है।।78।।

English Meaning

अमेयात्मा possessing boundless intellect, स: he (Hanuman), महात्मानम् highly courageous, रामम् Rama, अधिगम्य having reached, प्रदक्षिणम् circumambulation, कृत्वा having made, दृष्टा seen, सीता Sita, इति in this manner, तत्त्वत: truthfully, न्यवेदयत् informed.

Reaching Rama the great Hanuman gifted with boundless intellect circumambulated him and infact informed him that he had seen Sita.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-79
तत: सुग्रीवसहितो गत्वा तीरं महोदधे:।
समुद्रं क्षोभयामास शरैरादित्यसन्निभै:।।79।।

श्लोकान्वयः -
तत: सुग्रीवसहित: (राम:) महोदधे: तीरं गत्वा
आदित्यसन्निभै: शरै: समुद्रं क्षोभयामास।।79।।

हिन्दी-अनुवाद -
हनुमान्‌ की बातों को सुनने के बाद श्री राम सुग्रीव के साथ समुद्र के तट पर गए।
पर लङ्का जाने के लिए मार्ग देने में समुद्र तत्पर नहीं था।
इससे क्रुद्ध होकर श्रीराम ने सूर्यप्रकाश के समान तेजस्वी बाणों से
समुद्र को पाताल लोक तक व्याकुल कर दिया।।79।।

English Meaning

तत: thereafter, सुग्रीवसहित: together with Sugriva, महोदधे: तीरम् shore of mighty ocean, गत्वा having reached, आदित्यसन्निभै: resembling sharp and hot rays of sun, शरै: with shafts, समुद्रम् Samudra, lord of the waters, क्षोभयामास agitated.

Thereafter, Rama reached the shore of the ocean together with Sugriva and saw the ocean agitated with shafts burning like the Sun.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-80
दर्शयामास चात्मानं समुद्र: सरितां पति:।
समुद्रवचनाच्चैव नलं सेतुमकारयत्‌।।80।।

श्लोकान्वयः -
सरितां पति: समुद्र: आत्मानं दर्शयामास (राम:)
समुद्रवचनात्‌ एव च नलं सेतुम्‌ अकारयत्‌।।80।।।

हिन्दी-अनुवाद -
नदियों के पति समुद्र ने लङ्का के लिए मार्ग न देने के अपराध को स्वीकार किया तथा
अपने स्वरूप को राम को दिखाया एवं अपने जल के ऊपर पुल बनवाने के लिए कहा।
समुद्र के वचन को सुनकर श्रीराम ने नल के द्वारा समुद्र पर पुल बनवाया।।80।।

English Meaning

सरितां पति: lord of rivers, समुद्र: Samudra, आत्मानम् in his own form, दर्शयामास appeared (to Rama), समुद्रवचनात् च एव on the advice of Samudra , नलम् through Nala, सेतुम् a bridge, अकारयत् got it built.

Samudra, lord of rivers, (afraid of Rama's anger) and having appeared in his own form, and on his advice got a bridge built with the help of Nala.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-81
तेन गत्वा पुरीं लङ्कां हत्वा रावणमाहवे ।
राम: सीतामनुप्राप्य परां व्रीडामुपागमत्‌।।81।।

श्लोकान्वयः -
राम: तेन (सेतुना) लङ्कां पुरीं गत्वा आहवे
रावणं हत्वा सीताम्‌ अनुप्राप्य परां व्रीडाम्‌ उपागमत्‌।।81।।

हिन्दी-अनुवाद -
श्रीराम समुद्र सेतु से लङ्कापुरी जाकर युद्ध में रावण का वध करने के पश्चात्‌
सीता को भलीभाँति प्राप्त कर परम लज्जित हुए (क्याोंकि राक्षस निवास में बहुत दिनों तक रखी गई सीता को पुन: स्वीकार किया,
इस लोकापवाद की शङ्का हृदय में थी।।81।।

English Meaning

राम: Rama, तेन through that bridge, लङ्कापुरीं city of Lanka, गत्वा having reached, आहवे in the battle, रावणम् Ravana, हत्वा after slaying, सीताम् Sita, प्राप्य having recovered, अनु thereafter, पराम् great, व्रीडाम् embarassment, उपागमत् experienced (pursuant to her stay in others' house for a long time).

Rama entered the city of Lanka by means of that bridge, killed Ravana in the battle and recovered Sita. Thereafter he felt greatly embarassed (for accepting his wife who had stayed in an others.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-82
तामुवाच ततो राम: परुषं जनसंसदि।
अमृृष्यमाणा सा सीता विवेश ज्वलनं सती।। 82।।

श्लोकान्वयः -
तत: राम: जनसंसदि तां परुषम्‌ उवाच।
(तत्‌) अमृष्यमाणा सा सती सीता ज्वलनं विवेश।।82।।

हिन्दी-अनुवाद -
सीता प्राप्ति के पश्चात्‌ राम वहाँ पर उपस्थित वानरादि के सम्मुख सीता के
प्रति अप्रिय वचन बोले उसको न सहन करती हुई साध्वी सीता ने अग्नि में प्रवेश किया।।82।।

English Meaning

तत: for that reason, राम: Rama, जनसंसदि in the assembly of men, ताम् about Sita, परुषम् harsh words, उवाच spoke, सती chaste, सा सीता Sita, अमृष्यमाणा incapable of enduring those words, ज्वलनं विवेश entered flaming fire.

Rama spoke harsh words about Sita in the assembly. Sita, incapable of enduring such words, entered fire.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-83-84
ततोऽग्निवचनात्सीतां ज्ञात्वा विगतकल्मषाम्‌ ।
कर्मणा तेन महता त्रैलोक्यं सचराचरम्‌।।83।।
सदेवर्षिगणं तुष्टं राघवस्य महात्मन:।
बभौ राम: संप्रहृष्ट: पूजित: सर्वदैवतै:।। 84।।

श्लोकान्वयः -
तत: अग्निवचनात्‌ सीतां विगतकल्मषां ज्ञात्वा राम: (अङ्गीचकार)।
महात्मन: राघवस्य तेन महता कर्मणा सचराचरं त्रैलोक्यं तुष्टम्‌।
सर्वदैवतै: पूजित: राम: सम्प्रहृष्ट:।।83-84।।

हिन्दी-अनुवाद -
सीता के अग्नि में प्रवेश करने के पश्चात्‌ अग्निदेव के कथन से सीता को दोषरहित जानकर श्री राम ने सीता को स्वीकार किया।
श्री राम के इस कार्य से (सीता को स्वीकार करने के) सम्पूर्ण त्रैलोक्य आह्लादित हो गया।
देवताओं के द्वारा पूजित श्रीराम भी सुशोभित हुए।।83-84।।

English Meaning

तत: thereafter, अग्निवचनात् because of the testimony of firegod, सीताम् Sita, विगतकल्मषाम् sinless, ज्ञात्वा having known, राम: Rama, सम्प्रहृष्ट: exceedingly pleased, सर्वदैवतै: by all gods, पूजित: was adored, बभौ shone.
महात्मन: of highly courageous, राघवस्य Rama's, तेन महता कर्मणा by that great act, सचराचरम् all the animate and inanimate beings, सदेवर्षिगणम् including groups of gods and sages, त्रैलोक्यम् in three worlds, तुष्टम् wellpleased.

With the of testimony of the firegod, Rama was exceedingly pleased to know that Sita was sinless. All the gods adored him. All the animate and inanimate beings, gods and sages in the three worlds were very pleased at this noble deed of the great Rama.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-85
अभिषिच्य च लङ्कायां राक्षसेन्द्रं विभीषणम्‌ ।
कृतकृत्यस्तदा रामो विज्वर: प्रमुमोद ह।।85।।

श्लोकान्वयः -
तदा राक्षसेन्द्रं विभीषणं लङ्कायाम्‌ अभषिच्य
कृतकृत्य विज्वर: च राम: प्रमुमोद ह।।85।।

हिन्दी-अनुवाद -
सीतासमागम के पश्चात्‌ लङ्काराजसिंहासन पर राक्षसश्रेष्ठ विभषण का विधिपूर्वक
अभिषेक कराकर कृतार्थ एवं निश्चिन्त श्रीराम परम प्रसन्न हुए।।85।।

English Meaning

राम: Rama, विभीषणम् Vibhisana, राक्षसेन्द्रम् king of rakshasas, लङ्कायाम् in the city of Lanka, अभिषिच्य coronated, तदा then, कृतकृत्य: having accomplished his objective, विज्वर: free from distress, प्रमुमोद ह was exceedingly rejoiced.

After coronating the rakshasa chief Vibhishana in the city of Lanka, Rama free from distress, exceedingly rejoiced after having accomplished his objective.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-86
देवताभ्यो वरं प्राप्य समुत्थाप्य च वानरान्‌ ।
अयोध्यां प्रस्थितो राम: पुष्पकेण सुहृद्-वृत:।।86।

श्लोकान्वयः -
सुहृद्वृत: राम: देवताभ्य: वरं प्राप्य वानरान्‌
समुत्थाप्य च पुष्पकेण अयोध्यां प्रस्थित:।।86।।

हिन्दी-अनुवाद -
वानर आदि सुहृद्वृन्द से युक्त श्रीराम ने पहले देवताओं से प्राप्त वर के प्रभाव से युद्ध में हताहत वानरादि को
पुन: सचेत कर अपनी नगरी अयोध्या के लिए पुष्पक विमान द्वारा प्रस्थान किया।।86।।

English Meaning

राम: Rama, देवताभ्य: from devatas, वरम् boon, प्राप्य having obtained, वानरान् monkeys fallen in the battle, समुत्थाप्य च revived, सुहृद्वृत: accompanied by friends, पुष्पकेण by Pushpaka, the aerial car, अयोध्याम् Ayodhya, प्रस्थित: set out.

Having obtained a boon from the devatas (who had come to see him) Rama, revived all monkeys (fallen in the battle) and set out for Ayodhya accompanied by friends in the pushpaka (aerial car).

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-87
भरद्वाजाश्रमं गत्वाराम: सत्यपराक्रम:।
भरतस्यान्तिके रामो हनूमन्तं व्यसर्जयत्‌।।87।।

श्लोकान्वयः -
आराम: सत्यपराक्रम: राम: भरद्वाजाश्रमं गत्वा
भरतस्य अन्तिके हनूमन्तम्‌ व्यसर्जयत्‌।।87।।

हिन्दी-अनुवाद -
सबको प्रसन्न करने वाले सत्य पराक्रमी श्रीराम भरद्वाजमुनि के आश्रम पहुँचकर
अपने आगमन के सूचनार्थ भरत के पास हनुमान्‌ को भेजा।।87।।

English Meaning

सत्यपराक्रम: steadfast in truth, राम: delightful to everybody, भरद्वाजाश्रमम् hermitage of Bharadwaja, गत्वा having gone, भरतस्यान्तिकम् to the presence of Bharata, हनूमन्तम् Hanuman, राम: Rama, व्यसर्जयत् despatched.

Rama who was a delight of all whose strength lies in truth went to the hermitage of Bharadwaja (as promised) and despatched Hanuman to Bharata as his messenger.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-88
पुनराख्यायिकां जल्पन् सुग्रीवसहितस्तदा।
पुष्पकं तत्समारुह्य नन्दिग्रामं ययौ तदा।।88।।

श्लोकान्वयः -
तदा सुग्रीवसहित: (राम:) तत्‌ पुष्पकं पुन: समारुह्य
आख्यायिकाम्‌ जल्पन्‌ तदा नन्दिग्रामं ययौ।।88।।

हिन्दी-अनुवाद -
भरद्वाज जी के आश्रम से निकलकर सुग्रीव आदि के सहित श्रीराम पुन: पुष्पकविमान पर
आरूढ होकर भरतसम्बन्धि वृत्तन्त को कहते हुए उनके वासस्थान नन्दिग्राम को चले।।88।।

English Meaning

पुन: again, सुग्रीवसहित: accompanied by Sugriva, स: Rama, आख्यायिकाम् recalling earlier incidents, जल्पन् conversing with each other, तदा then, तत् पुष्पकं समारुह्य mounting on that Pushpaka, नन्दिग्रामम् to Nandigrama, ययौ departed.

Again accompanied by Sugriva and recalling earlier incidents and after both of them discussed with each other, Rama departed to Nandigrama riding that pushpaka chariot.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-89
नन्दिग्रामे जटां हित्वा भ्रातृभि: सहितोऽनघ:।
राम: सीतामनुप्राप्य राज्यं पुनरवाप्तवान्‌।।89।।

श्लोकान्वयः -
अनघ: राम: भ्रातृभि: सहित: नन्दिग्रामे जटां हित्वा
सीताम्‌ अनुप्राप्य राज्यं पुन: अवाप्तवान्‌।।89।।

हिन्दी-अनुवाद -
निष्पाप राम अपने अनुज भरतादि के सहित नन्दिग्राम में जटा का शोधन करके
सीता को साथ बैठाकर फिर अयोध्या राज्य को प्राप्त किया जिसे पहले पिता के वचन से त्याग दिया था।।89।।

English Meaning

अनघ: sinless, राम: Rama, नन्दिग्रामे in Nandigrama, भ्रातृभि: सहित: along with his brothers,
जटाम् matted lock, हित्वा shedding, सीताम् Sita, अनुप्राप्य having regained, राज्यम् kingdom, पुन: again, अवाप्तवान् got (back).

At Nandigrama sinless Rama arrived, met his brothers. They shed their matted locks. With Sita restored he regained his kingdom.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-90
प्रहृष्टमुदितो लोकस्तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:।
निरामयो ह्यरोगश्च दुर्भिक्षभयवर्जित:।। 90।।

श्लोकान्वयः -
लोक: हि (राज्यम्‌ अधिरूढे रामे) प्रहृष्टमुदित: तुष्ट: पुष्ट: सुधार्मिक:
निरामय: अरोग: दुर्भिक्षभयवर्जित: च भविष्यति।।90।।

हिन्दी-अनुवाद -
राम के राज्याधिरूढ हो जाने पर समस्त प्रजा जन आनन्द से रोमाञ्चित प्रसन्न सन्तुष्ट सर्वथा पुष्ट तथा सुधार्मिक
सर्वरोगमुक्त एवं अकालादि पीड़ा रहित रहेंगें।।90।।

English Meaning

लोक: entire world, प्रहृष्टमुदित: rejoiced with happiness, तुष्ट: contended (because of fulfillment of their desire), पुष्ट: grown in strength because of happiness, सुधार्मिक: with righteousness, निरामय: without sufferings or agonies, अरोग: without diseases, दुर्भिक्षभयवर्जित: च and without fear of famine.

The entire world rejoiced with happiness with their desire fulfilled they were content. All people were following the path of righteousness. There was no fear of sufferings or agonies, diseases or famine.

#SankshepaRamayanam
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

ूलश्लोकः-91
न पुत्रमरणं केचिद् द्रक्ष्यन्ति पुरुषा: क्वचित्‌।
नार्यश्चाविधवा नित्यं भविष्यन्ति पतिव्रता:।।91।।

श्लोकान्वयः -
केचिद् (अपि) पुरुषा: क्वचित्‌ पुत्रमरणं न द्रक्ष्यन्ति।
नार्य: नित्यम्‌ अविधवा: पतिव्रता: च भविष्यन्ति।।91।।

हिन्दी-अनुवाद -
श्री राम के राज्य में कोई भी पिता अपनेे पुत्र का मरण नहीं देखेगा।
नारियाँ सदैव सौभाग्यशालिनी एवं पतिव्रता बनी रहेगीं ।।91।।

English Meaning

पुरुषा: men, क्वचित् any where, किञ्चित् even little, पुत्रमरणम् death of ones's own son, न द्रक्ष्यन्ति will not see, नार्यश्च women, अविधवा: will not be widowed, नित्यम् always, पतिव्रता: भविष्यन्ति will be devoted to their husbands.

During the period of Rama's rule, no where would men witness the death of their sons or women widowed. They would ever remain chaste and devoted to their husbands.

#SankshepaRamayanam