संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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श्रीमद्भगवद्गीता [05.09]
🍃प्रलपन्विसृजन्गृह्णन्नुन्मिषन्निमिषन्नपि। 
इन्द्रियाणीन्द्रियार्थेषु वर्तन्त इति धारयन्
।।5.9।। 

♦️pralapanvisRRijangRRihNannunmiShannimiShannapi|
indriyaaNiindriyaartheShu vartanta iti dhaarayan||5.9||

5.9 Speaking, letting go, seizing, opening and closing the eyes convinced that the senses move among the sense-objects. 

।।5.9।। बोलता हुआ त्यागता हुआ ग्रहण करता हुआ तथा आँखों को खोलता और बन्द करता हुआ (वह) निश्चयात्मक रूप से जानता है कि सब इन्द्रियाँ अपनेअपने विषयों में विचरण कर रही हैं।। 

#geeta
🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२३
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०७८
🚩तिथि - पूर्णिमा सुबह १०:०५ तक तत्पश्चात प्रतिपदा

दिनांक - १९ दिसम्बर २०२२
दिन - रविवार
शक संवत -१९४३
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - मार्ग शीर्ष मास
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - मृगशिरा शाम ०४:५३ तक तत्पश्चात आर्द्रा
योग - शुभ सुबह १०:१० तक तत्पश्चात शुक्ल
राहुकाल - शाम ०४:४० से शाम ०६:०१ तक
सूर्योदय - ०७:११
सूर्यास्त - १८:००
दिशाशूल - पश्चिम दिशा में
Free online Sanskrit Course by MHRD, India
through Swayam.gov.in https://onlinecourses.swayam2.ac.in/cec22_hs04/preview

Introductory Sanskrit: Grammar To join click here

Course layout
सप्ताह 1 :
संस्कृतभाषा का महत्त्व ( Importance of Sanskrit Language )

सप्ताह 2 :
संस्कृत शास्त्रों का परिचय ( Introduction of Sanskrit Shastras )

सप्ताह 3 :
सन्धि, स्वादिसन्धि ( Combination, Swadi Combination )

सप्ताह 4 :
सन्धि अनुवर्तित ( Continioue Combination )

सप्ताह 5 :
स्त्री प्रत्यय ( Stri Suffixes)

सप्ताह 6 :
समास ( Compounds)

सप्ताह 7 :
तद्धित प्रत्यय ( Taddhit Suffixes)

सप्ताह 8 :
Assignments

सप्ताह 9 :
तिङन्त ( Tiganta )

सप्ताह 10 :
तिङन्त अनुवर्तित ( Tigant Anuvartit )

सप्ताह 11 :
सनाद्यन्तधातु ( Sanadhyant Dhatu)

सप्ताह 12 : ( Process of Atmanepada- Parasmaipada )
आत्मनेपद-परस्मैपदप्रक्रिया

सप्ताह 13 :
लकारार्थप्रक्रिया ( Process of Lakarartha )

सप्ताह 14 :
कृदन्त ( Kridanta )

सप्ताह 15 :
Assignments

1. यह सर्व विदित है कि जैसे लोकव्यवहार का प्रमुख साधन भाषा है वैसे यह भी स्थापित सत्य है कि विश्व की प्रायः सभी भाषाओं में संस्कृत प्राचीन एवं संरचना की दृष्टि से वैज्ञानिक भाषा है। जिसकी शब्द सम्पन्नता एवं अभिव्यञ्जन सामर्थ्य अद्भुत है।
2. व्याकरण संस्कार से युक्त होने का कारण यह संस्कृत के नाम से जानी जाती है।
3. भारतीय ऋषियों ने इसके ज्ञानपूर्वक प्रयोग में भी पुण्योत्पादकता स्वीकार की है।
4. भाषा का संस्कृतत्त्व तपःपूत महर्षियों के वैज्ञानिक व्याकरण की अनुशासन भित्ति पर आधारित है। प्रयोगार्ह पद दो प्रकार के होते है – सुबन्त एवं तिङन्त। सामान्यतः वाक्यों में सुबन्त अधिक एवं तिङन्त कम उपलब्ध होते है।
5. सुप्-प्रत्ययों की प्रकृति प्रातिपदिक भी दो प्रकार के होते है – कुछ आधुनिक नाम जैसे व्युत्पन्न और कुछ अव्युत्पन्न। व्युत्पन्नों में कुछ धातुप्रकृतिक कृदन्त होते हैं।
6. कृत्प्रत्ययों में कुछ ण्वुल्, तृच् आदि सार्वकालिक प्रत्यय; शतृ, शानच् जैसे वर्तमानकालिक प्रत्यय; क्त, क्तवतु जैसे भूतकालिक प्रत्यय तथा कुछ भविष्यत्कालिक प्रत्यय होते है।
7. ‘सर्वं वाक्यं क्रियया परिसमाप्यते’ यह उक्ति वाक्य में तिङन्त पद की महिमा स्पष्ट करती है।
8. इसके यथार्थ परिज्ञानार्थ गणों के अनुसार विभक्त विविध धातुओं के अर्थाधारित सकर्मकाकर्मक स्वरूप को जानना, उसके आत्मनेपदी परस्मैपदी तथा उभयपदी होने का निर्धारण करना अपेक्षित होता है।
9. भाषा दक्षता के वाच्यप्रबोधार्थ कर्ता कर्म एवं भाव में लकारों का प्रयोग प्रशिक्षण आवश्यक होता है।
10. इस प्रकार व्याकरण संस्कार से पुष्ट संस्कृत भाषा का परिचय कराने हेतु यह पाठ्यक्रम ‘परिचयात्मकसंस्कृतं व्याकरणं च’ को प्रस्तुत किया जा रहा है॥

Reference Books:

वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी - चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (हिन्दी व्याख्या - गोपाल दत्त पाण्डेय) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी ( तत्त्वबोधिनी ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वैयाकरणसिद्धान्तकौमुदी (बालमनोरमा टीका - आचार्य वासुदेव दीक्षित ) चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
व्याकरणशास्त्र का इतिहास ( आचार्य बलदेव उपाध्याय ), उत्तर प्रदेश संस्कृत संस्थान , लखनऊ .
व्याकरणशास्त्रस्येतिहसः ( आचार्यलोकमणिदहालः ), चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .
वेदाङ्गस्येतिहसः ( डॉ. नरेश झा) ,चौखम्बा प्रकाशन , वाराणसी .


Web links:
https://archive.org/details/VaiyakaranaSiddhantaKaumudiOfBhattojiDikshitaPt.GopalaShastriNene
https://archive.org/details/in.ernet.dli.2015.283755
https://ashtadhyayi.com/sutraani/
https://en.wikipedia.org/wiki/Vy%C4%81kara%E1%B9%87a
https://epustakalay.com/book/16700-vyakaran-shastra-ka-itihas-by-yudhishthir-mimansak/

Course certificate
“30 Marks will be allocated for Internal Assessment and 70 Marks will be allocated for external proctored examination”

Duration : 15 weeks
Start Date : 10 Jan 2022
End Date : 30 Apr 2022
Exam Date : 10 May 2022 IST
Enrollment Ends : 28 Feb 2022

#SanskritEducation
|| लट् लकारः || १३ ||

कृष्णः किं दिशति=कृष्ण क्या कहता है?
गुरुः ज्ञानं दिशते=गुरुजी ज्ञान देते हैं।
गुरुः शिष्यं दीक्षते=गुरुजी शिष्य को दीक्षा देते हैं।
गगने रविः दीप्यते=आसमान में सूर्य चमकता है।
कृष्णः गोः पयः दोग्धि=कृष्ण गाय का दूध दुहता है।
माधवः सर्वान् आद्रियते=माधव सबका आदर करता है।
मनोहरः दूरदर्शनं पश्यति=मनोहर टीवी देखता है।
वृष्टिकाले नभसि विद्युत् द्योतते=वर्षा के समय गगन में बिजली चमकती है।
असुरः देवाय द्रुह्यति= राक्षस देवता से द्रोह करता है।
तपस्वी मौनं दधाति=तपस्वी मौनधारण करता है।

ॐ। जयश्रीराम ॥ वन्देमातरम् ॥

(((-- संस्कृताभ्यासः --)))

१)तव भगवति श्रद्धा अस्ति ।
= तुम्हारी भगवान् पर श्रद्धा है ।
२)सः मम वचने विश्वासं करोति।
= वह मेरे वचन पर विश्वास करता है।

३) भगवन्तं नमस्कुरु ।
= भगवान् को नमस्कार करो ।
४) भवान् किं पठति ?
= आप क्या पढते हैं ?

५) भवतः समीपं पठनार्थम् आगतः अस्मि ।
= आप के पास पढ़ने के लिए आया हूँ ।
६) श्रीमते नमः ।
= श्रीमान् को नमस्कार ।

७)तस्मै बुद्धिमते एतानि पुस्तकानि यच्छ ।
= उस बुद्धिमान् को ये पुस्तकें दो ।
८) एतत् तस्य धनिकस्य गृहम् अस्ति ।
= यह उस धनवान् का घर है ।

९)बलवान् बालकं रक्षति ।
= बलवान् बालक की रक्षा करता है ।
१०) भवति ज्ञानं विद्या सत्यं धर्म: च सन्ति ।
= आप में ज्ञान, विद्या, सत्य और धर्म है।


•भवान् कं जानाति?
= आप किसको जानते हैं?
•जनाः कम् अताडयन्?
= लोगों ने किसको पीटा?
•भवान् तत्र कम् अपश्यत्?
= आपने वहां किसको देखा?
•त्वं कं कम् आह्वयसि?
= तुम किसको-किसको बुला रही हो?
•कं दृष्ट्वा सः मोदते?
= किसको देखकर वह खुश होता है?

🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩🚩

जालिनी एकविधं शाकम् अस्ति ।
= तोरई एक प्रकार की सब्जी है ।

अद्यत्वे इयं फलति जनाः खादन्ति ।
= आजकल ये फलरही है लोग खा रहे हैं ।

चित्रे याः लघुजालिन्यः दृश्यन्ते -
= चित्र में जो छोटी तरोइयाँ दिख रहीं हैं-

ताः चीनदेशस्य संकरितपादस्य सन्ति ।
= वे चीन देश की हाइब्रेडपौधे की हैं ।

अस्यां बहुबीजानि भवन्ति ।
= इसमें बहुत बीज होते हैं ।

अस्मिन् पादपे शीघ्रमेव अधिकाः जालिन्यः फलति ।
= इस पौधे में जल्दी ही अधिक तोरइयाँ हो जाती हैं ।

मया श्रुतं यत् लघुजालिनी न खादितव्या ।
= मैंने सुना कि छोटी तोरई खानी न चाहिये ।

हानिकारिणी भवति अतः त्यक्तव्या ।
= हानिकर होती है अतः त्याग देना चाहिये ।

🌴अस्माकं देशस्य जालिनी सौम्या हरितवर्णा अस्ति । 😊
= हमारे देश की तोरई सुन्दर हरे रंग की है ।

इयं लम्बिनी भवति । खादितव्या देशीया जालिनी ।
= यह लम्बी होती है । देशी तोरई खानी चाहिये ।

🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
यदि अस्मिन् प्रसङ्गे भवन्तः अपि जानन्ति किञ्चित्
तर्हि अवश्यमेव लिखतु ।
= यदि इस प्रसंग में आप भी कुछ जानते हैं तो अवश्य ही लिखिये ।

#vakyabhyas
घृतमोदकं वक्रमपि सम्यक्
🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻🔻

वर्तमाने काले दृश्यते यत् धनं हि सर्वस्वम्।
वैवाहिकप्रकरणे तु अधिकाधिकं महत्त्वपूर्णम्। कश्चित् युवकः यदि निरुद्योगी स्यात् कामं देहेन कियान् अपि स्वस्थः बलिष्ठः वा भवेत् तर्हि तस्य विवाहे बाधाः भवन्ति एव। एतद्विपरीतं दृश्यते यत् यदि कश्चन क्षीणकायो रुग्णः चैव भवेत् परन्तु सः सर्वकारी भृत्यः स्यात् तर्हि तस्मै वधूपक्षिणां सम्मर्दः जायते। यावत् युवकः विवाहितः न भवेत् तावत् नित्यं कश्चित् वधूपक्षः आयाति एव। हिन्द्यां लोकोक्तिः कथ्यते यत् "घी कै लड्डू टेढ़ौ मेढ़" अर्थात् वरः सर्वकारी भृत्यः अस्ति चेत् रोगी, अपङ्गः, विकलाङ्गः वा कामं यथापि भवेत् स्वीक्रियते इति समाजे साम्प्रतं व्यापकरूपेण दृश्यते। अधुना तु युवत्यः काश्चन क्वचित् क्वचित् विवाहसमये मण्डपे स्थितिम् बुद्ध्वा परिणयं निषेधयन्ति। ताभ्यः वक्रं घृतमोदकं न रोचते😊

जयतु संस्कृतम्।। जयतु भारतम्।।
कश्चन वणिक् मरणासन्नः शय्यायां पतितः आसीत्।
तस्य महान् रोगः अभवत् यस्य उपशमनं न भवति स्म।

एकदा सः एकैकं कृत्वा गृहसदस्यान् सर्वान् आह्वयति स्म।
वणिक् - मम पत्नी कुत्र?
पत्नी - अहम् अत्रैव अस्मि।

वणिक्- मम पुत्री कुत्र?
पुत्री - हे पितः! अहमपि अत्रैव अस्मि!

वणिक्- मम पुत्रः कुत्र?
पुत्रः- अहमपि अत्रैव अस्मि पितः!

वणिक्- अरे! यूयं सर्वे यदि अत्रैव स्थ तर्हि आपणे कोऽस्ति?
*-प्रदीपः!*

#hasya
सङ्क्षेपरामायणम्
(महर्षिवाल्मीकिप्रणीत-रामायण-बालकाण्ड-प्रथमसर्ग-रूपम्)

मूलश्लोकः-48-49
वने तस्मिन्निवसता जनस्थाननिवासिनाम्‌।।48।।
रक्षसां निहतान्यासन्‌ सहस्राणि चतुर्दश।।49।।

श्लोकान्वयः -
तस्मिन्‌ वने निवसता (रामेण) जनस्थाननिवासिनां
रक्षसां चतुदश-सहस्राणि निहतानि आसन्‌।।48-49।।

हिन्दी - अनुवाद -
दण्डकारण्य में रहते हुए राम ने उस वन के
चौदह हजार राक्षसों को मारा था।।48-49।।

English Meaning

तस्मिन् वने in that forest, निवसता by Rama who was living, जनस्थाननिवासिनाम् of the inhabitants of Janasthana, रक्षसाम् of rakshasas, चतुर्दशसहस्राणि fourteen thousand of them, निहतानि आसन् were killed.

During his stay in that forest Rama killed fourteen thousand rakshasas who were inhabitants of Janasthana.
#SankshepaRamayanam
Forwarded from संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah (मोहित डोकानिया)
@samskrta_samvadah is launching a kids group for children that want to learn Sanskrit with fun.⛄️🌈
👥Anyone between 5-15 years is most welcome in this group.
🚷Please No adult join this group.🙏🏼


@samskrta_samvadah उन बच्चों के लिए एक किड्स ग्रुप लॉन्च कर रहा है जो मस्ती के साथ संस्कृत सीखना चाहते हैं।⛄️🌈
👥 इस समूह में ५-१५ वर्ष के बीच के किसी भी व्यक्ति का स्वागत है।
🚷 कृपया कोई भी वयस्क इस समूह में शामिल न हो।🙏🏼

⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
➡️ https://t.me/sutaah ⬅️
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@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Sanskrit Samvadah group.
(संस्कृतसंवादः गणः)
Date : 20th December 2021, Monday

Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (भवन्तः कदा/कथं गणं आगतवन्तः, गणे किं अधिकं रोचन्ते )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
Set a reminder.


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https://t.me/samskrt_samvadah?voicechat
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [05.10]
🍃ब्रह्मण्याधाय कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा करोति यः। 
लिप्यते न स पापेन पद्मपत्रमिवाम्भसा
।।5.10।। 

♦️brahmaNyaadhaaya karmaaNi sa~NgaM tyaktvaa karoti yaH|
lipyate na sa paapena padmapatramivaambhasaa||5.10||

5.10 He who does actions, offering them to Brahman, and abandoning attachment, is not tainted by sin, just as a lotus-leaf is not tainted by water. 

।।5.10।। जो पुरुष सब कर्म ब्रह्म में अर्पण करके और आसक्ति को त्यागकर करता है वह पुरुष कमल के पत्ते के सदृश पाप से लिप्त नहीं होता।। 

#geeta
Audio
श्रीमद्भगवद्गीता [05.11]
🍃कायेन मनसा बुद्ध्या केवलैरिन्द्रियैरपि। 
योगिनः कर्म कुर्वन्ति सङ्गं त्यक्त्वाऽऽत्मशुद्धये
।।5.11।। 

♦️kaayena manasaa buddhyaa kevalairindriyairapi|
yoginaH karma kurvanti sa~NgaM tyaktvaa''tmashuddhaye||5.11||

5.11 Yogis, having abandoned attachment, perform actions only by the body, mind, intellect, and even by the senses, for the purification of the self. 

।।5.11।। योगीजन शरीर मन बुद्धि और इन्द्रियों द्वारा आसक्ति को त्याग कर आत्मशुद्धि (चित्तशुद्धि) के लिए कर्म करते हैं।। 

#geeta
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥 🚩यगाब्द - ५१२३
🌥 🚩विक्रम संवत - २०७८
⛅️ 🚩तिथि - प्रतिपदा दोपहर 12:36 तक तत्पश्चात द्वितीया

⛅️ दिनांक - 20 दिसम्बर 2021
⛅️ दिन - सोमवार
⛅️ शक संवत -1943
⛅️ अयन - दक्षिणायन
⛅️ ऋतु - हेमंत
⛅️ मास - पौष
⛅️ पक्ष - कृष्ण
⛅️ नक्षत्र - आर्द्रा शाम 07:46 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
⛅️ योग - शुक्ल सुबह 10:59 तक तत्पश्चात ब्रह्म
⛅️ राहुकाल - सुबह 08:32 से सुबह 09:54 तक
⛅️ सर्योदय - 07:12
⛅️ सर्यास्त - 18:00
⛅️ दिशाशूल - पूर्व दिशा में
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

Duration : 30 minutes only
Time : IST 11:00 AM 🕚
Topic : Sanskrit Samvadah group.
(संस्कृतसंवादः गणः)
Date : 20th December 2021, Monday

Please Join the voicechat on time.
😇 Please come prepared to discuss (भवन्तः कदा/कथं गणं आगतवन्तः, गणे किं अधिकं रोचन्ते )in Sanskrit , If possible.
We are waiting for you.😇
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