स्वरों का एक और लक्षण
जबतक हमारे फेफडों में सांस है तब तक हम स्वर की ध्वनि को लंबा खींच सकते हैं। जैसे –
अ ऽ ऽ ऽ ऽ …
जबतक सांस है तब तक बोलते रहिए। इसके विपरीत व्यंजनों को हम नहीं खींच सकते। एक झटके से व्यञ्जनों की आवाज़ आती है और बाद में हम केवल स्वरों को ही खींचते हैं। जैसे कि क इस व्यंजन को ज्यादा देर तक खींच के देखिए।
क ऽ ऽ ऽ ऽ
दरअसल यहाँ अन्त में क् इस व्यंजन की ध्वनि नहीं, अपितु अ इस स्वर की ध्वनि सुनाई देती है। क् तो चुटकी जैसे निकल जाता है।
क् अ ऽ ऽ ऽ ऽ
🌐 kakshakaumudi.in
#sanskritlessons
जबतक हमारे फेफडों में सांस है तब तक हम स्वर की ध्वनि को लंबा खींच सकते हैं। जैसे –
अ ऽ ऽ ऽ ऽ …
जबतक सांस है तब तक बोलते रहिए। इसके विपरीत व्यंजनों को हम नहीं खींच सकते। एक झटके से व्यञ्जनों की आवाज़ आती है और बाद में हम केवल स्वरों को ही खींचते हैं। जैसे कि क इस व्यंजन को ज्यादा देर तक खींच के देखिए।
क ऽ ऽ ऽ ऽ
दरअसल यहाँ अन्त में क् इस व्यंजन की ध्वनि नहीं, अपितु अ इस स्वर की ध्वनि सुनाई देती है। क् तो चुटकी जैसे निकल जाता है।
क् अ ऽ ऽ ऽ ऽ
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🚩जय सत्य सनातन 🚩
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - तृतीया 10:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 15 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
⛅ योग - वृद्धि सुबह 10:17 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहु काल - सुबह 11:14 से 12:35 तक
⛅ सूर्योदय - 07:13
⛅ सूर्यास्त - 05:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:20 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:08 से 01:01 तक
🚩आज की हिंदी तिथि
🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
⛅ 🚩तिथि - तृतीया 10:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी
⛅ दिनांक - 15 दिसम्बर 2023
⛅ दिन - शुक्रवार
⛅ अयन - दक्षिणायन
⛅ ऋतु - हेमंत
⛅ मास - मार्गशीर्ष
⛅ पक्ष - शुक्ल
⛅ नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
⛅ योग - वृद्धि सुबह 10:17 तक तत्पश्चात व्याघात
⛅ राहु काल - सुबह 11:14 से 12:35 तक
⛅ सूर्योदय - 07:13
⛅ सूर्यास्त - 05:57
⛅ दिशा शूल - पश्चिम
⛅ ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:20 तक
⛅ निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:08 से 01:01 तक
🍃अरण्यं रक्षितं सिंहात् तस्मात् सिंहः सुरक्षितः।
इत्यन्योन्यस्योपकारे मित्रत्वं तन्निबन्धनम्।।
🔆 वनं सिंहकारणेन रक्षितं भवति तथा सिंहः वनकारणेन परस्परोपकारस्य भावेन एव तयोः मैत्री विद्यते।
मनुष्यैः अपि एवमेव जीवितव्यम् जगति।
⚜वन सिंह द्वारा रक्षित है और सिंह वन द्वारा सुरक्षित है। इस प्रकार एक दुसरे के उपकार में उनका मित्रत्व है।
#Subhashitam
इत्यन्योन्यस्योपकारे मित्रत्वं तन्निबन्धनम्।।
🔆 वनं सिंहकारणेन रक्षितं भवति तथा सिंहः वनकारणेन परस्परोपकारस्य भावेन एव तयोः मैत्री विद्यते।
मनुष्यैः अपि एवमेव जीवितव्यम् जगति।
⚜वन सिंह द्वारा रक्षित है और सिंह वन द्वारा सुरक्षित है। इस प्रकार एक दुसरे के उपकार में उनका मित्रत्व है।
#Subhashitam
को न्वस्मिन् साम्प्रतं लोके गुणवान् कश्च वीर्यवान् ।
धर्मज्ञश्च कृतज्ञश्च सत्यवाक्यो दृढव्रतः।।
श्लोके कः शब्दः न दत्तः।
धर्मज्ञश्च कृतज्ञश्च सत्यवाक्यो दृढव्रतः।।
श्लोके कः शब्दः न दत्तः।
Anonymous Quiz
16%
नु
14%
च
62%
वक्ता
8%
कः
जितेन्द्र = क्या आप एक्शन कम्पनी का कपड़े का जूते बेचते हैं ?
→ अपि भवान् एक्शन इति नाम्नः पटोपानहं विक्रीणाति ?
दुकानदार= हां,महाशय।आपको किस नाप के चाहिए ?और आपको कौनसा रंग पसंद है?
→ आपणिक: = आम्।महाशय! भवते किं मानम् आवश्यकम्?तथा भवते किं वर्णं रोचते ?
जितेन्द्र= मुझे छह नम्बर के चाहिए।और जहां तक रंग की बात है , मुझे काला रंग पसंद है।
= → मह्यं षट्संख्यकम् आवश्यकम्।यतो रङ्गस्य प्रश्नस्य प्रश्नोऽस्ति , मह्यं कृष्णवर्णं इष्टम् ।
दुकानदार = यह रही आपकी पसंद।
→ तवेष्टा अत्रास्ति
जितेन्द्र =आह!यह जूता जरा टाइट हो रहा है ।
→ अह!एतद् उपानद्द्वयं तु किञ्चित् निबिडयति
दुकानदार = ठीक है। और दूसरा जोड़ा देखिए।
→ अस्तु।इतोऽपि अन्यद् उपानद्द्वयं परीक्ष्य अवलोकयतु।
जितेन्द्र = बहुत अच्छा।यह जूता तो मेरे पैर में अच्छी तरह से फिट बैठ रहा है।इस जोड़े की कीमत क्या है?
→ शोभनम्। एतद् उपानद्द्वयं तु मम पादाभ्यां पूर्णतया उपयुक्तम्।एतस्य उपानद्द्वयस्य मूल्यं किम् ?
दुकानदार = बस पांच सौ साठ रुपए।
→ केवलानि षष्ट्यधिकं पञ्चशतं रूप्यकाणि।
जितेन्द्र = ठीक है।इसे पैक कर दीजिए।
→ अस्तु।एनं पोट्टलीकुरु
#vakyabhyas #samvadah
→ अपि भवान् एक्शन इति नाम्नः पटोपानहं विक्रीणाति ?
दुकानदार= हां,महाशय।आपको किस नाप के चाहिए ?और आपको कौनसा रंग पसंद है?
→ आपणिक: = आम्।महाशय! भवते किं मानम् आवश्यकम्?तथा भवते किं वर्णं रोचते ?
जितेन्द्र= मुझे छह नम्बर के चाहिए।और जहां तक रंग की बात है , मुझे काला रंग पसंद है।
= → मह्यं षट्संख्यकम् आवश्यकम्।यतो रङ्गस्य प्रश्नस्य प्रश्नोऽस्ति , मह्यं कृष्णवर्णं इष्टम् ।
दुकानदार = यह रही आपकी पसंद।
→ तवेष्टा अत्रास्ति
जितेन्द्र =आह!यह जूता जरा टाइट हो रहा है ।
→ अह!एतद् उपानद्द्वयं तु किञ्चित् निबिडयति
दुकानदार = ठीक है। और दूसरा जोड़ा देखिए।
→ अस्तु।इतोऽपि अन्यद् उपानद्द्वयं परीक्ष्य अवलोकयतु।
जितेन्द्र = बहुत अच्छा।यह जूता तो मेरे पैर में अच्छी तरह से फिट बैठ रहा है।इस जोड़े की कीमत क्या है?
→ शोभनम्। एतद् उपानद्द्वयं तु मम पादाभ्यां पूर्णतया उपयुक्तम्।एतस्य उपानद्द्वयस्य मूल्यं किम् ?
दुकानदार = बस पांच सौ साठ रुपए।
→ केवलानि षष्ट्यधिकं पञ्चशतं रूप्यकाणि।
जितेन्द्र = ठीक है।इसे पैक कर दीजिए।
→ अस्तु।एनं पोट्टलीकुरु
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@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room
🔰विषयः - भज गोविन्दम्
🗓१६/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (भज गोविन्दम् इति स्तोत्रस्य कस्यचित् श्लोकस्य विवरणं करणीयम्) अभिक्रम्य आगच्छत।
https://t.me/samvadah?livestream
पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
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🗓१६/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
Daily dose of Sanskrit.
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भीष्मद्रोणप्रमुखतः सर्वेषां च महीक्षिताम्।
उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति।।1.25।।
महीक्षिताम् इत्युक्तानां केषां समक्षे पार्थ उवाच।
उवाच पार्थ पश्यैतान्समवेतान्कुरूनिति।।1.25।।
महीक्षिताम् इत्युक्तानां केषां समक्षे पार्थ उवाच।
Anonymous Quiz
19%
शूराणाम्
15%
धनुर्धराणाम्
21%
राज्ञाम्
45%
कुरुणाम्
संस्कृत वर्णमाला में कितने स्वर होते हैं?
उत्तर है – तेरह (१३)।
संभवतः आप को हिन्दी स्वरों के बारे में पता हो। हिन्दी में ग्यारह (११) स्वर होते हैं। तथा कुछ अंग्रेजी स्वरोच्चार भी हैं। ॠ और ऌ ये दो स्वर संस्कृत में हिन्दी से ज्यादा है। अतः संस्कृत स्वरों की कुल संख्या तेरह बन जाती है। और वे तेरह स्वर हैं –
अ। आ। इ। ई। उ। ऊ। ऋ। ॠ। ऌ। ए। ऐ। ओ। औ॥
हालांकि ॡ यह भी एक स्वर अस्तित्व में है। तथापि इसका भाषा में प्रयोग न के बराबर होने से इस वर्णमाला में नहीं गिनते हैं।
इन स्वरों के अलावा संस्कृत में नौ (९) प्लुत स्वर भी होते हैं। जिनको मिला कर संस्कृत में २२ स्वर हो जाते हैं। तथापि इन प्लुत स्वरों का व्यवहार में अधिक उपयोग नहीं होता है। तथा शालेय पुस्तकों में भी इनका ज़िक्र नहीं होता है। अतः इनको भी नज़रंदाज़ किया जाता है।
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उत्तर है – तेरह (१३)।
संभवतः आप को हिन्दी स्वरों के बारे में पता हो। हिन्दी में ग्यारह (११) स्वर होते हैं। तथा कुछ अंग्रेजी स्वरोच्चार भी हैं। ॠ और ऌ ये दो स्वर संस्कृत में हिन्दी से ज्यादा है। अतः संस्कृत स्वरों की कुल संख्या तेरह बन जाती है। और वे तेरह स्वर हैं –
अ। आ। इ। ई। उ। ऊ। ऋ। ॠ। ऌ। ए। ऐ। ओ। औ॥
हालांकि ॡ यह भी एक स्वर अस्तित्व में है। तथापि इसका भाषा में प्रयोग न के बराबर होने से इस वर्णमाला में नहीं गिनते हैं।
इन स्वरों के अलावा संस्कृत में नौ (९) प्लुत स्वर भी होते हैं। जिनको मिला कर संस्कृत में २२ स्वर हो जाते हैं। तथापि इन प्लुत स्वरों का व्यवहार में अधिक उपयोग नहीं होता है। तथा शालेय पुस्तकों में भी इनका ज़िक्र नहीं होता है। अतः इनको भी नज़रंदाज़ किया जाता है।
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