संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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अचार हमेशा घर में बना हुआ ही खाना चाहिए क्योंकि = गृहनिर्मितं सन्धितमेव सदैव भक्षणीयम् यतोहि••

बाज़ार के अचार में सरसों का तेल, मेथी और दूसरी औषधियों जैसे सौंफ, जीरा, हल्दी, सेंधा नमक, राई,कलौंजी आदि के स्थान पर गंदे व तेज केमिकल, तेजाब आदि का प्रयोग किया जाता है। जो शरीर के लिए लाभदायक कम हानिकारक अधिक है।
•• विपण्याः सन्धितेषु सर्षपतैलस्य मेथिकाया: एवञ्च अपरौषधीनां यथा शतपुष्पा,जीरकम्,काञ्चनी,सैन्धवम्, राजिका,कृष्णजीरकम् इत्यादीनां स्थाने घातकरसायनं मलिनरसायनं अम्लं च प्रयुज्यन्ते। यानि शरीराय लाभकराणि नैव , प्रत्युत् हानिकराणि एव भवन्ति।

बाज़ार में मिलने वाला अचार देखने में गंदा होता है।जबकि घर में बना हुआ अचार देख देख कर मन नहीं भरता
•• विपण्याः सन्धितं दर्शने मलिनम् अनुभूयते। यद्यपि गृहनिर्मितं सन्धितं दृष्ट्वा मनः न सन्तुष्यति।

बाज़ार में मिलने वाला अचार गंदे प्लास्टिक में पैक किया जाता है जबकि सनातन स्वदेशी घर का अचार वैज्ञानिक चीनी मिट्टी के बर्तनों में रखा जाता है। यह वैज्ञानिक चीनी मिट्टी के बर्तन अचार के साथ कोई भी रसायनिक क्रिया नहीं करते इसलिए अचार एक औषधि बन जाता है।
•• विपणिषु प्राप्तानि सन्धितानि मलिनेषु अभिघट्यपदार्थेषु पोट्टलीक्रियते,यद्यपि सनातनविधिना गृहनिर्मितानि सन्धितानि शुद्धचीनीमृत्तिकासु भाण्डेषु स्थाप्यन्ते।एतानि शुद्धचीनीमृत्तिकाभाण्डानि सन्धितै: सह कामपि रासायनिकक्रियां न कुर्वन्ति। अतः सन्धितम् एकम् औषधं निर्मितं भवति।

घर बने हुए अचार में से सुंगध आती है। जबकि गंदे और तेज केमिकलों के कारण branded आचार से बदबू आती
है।
•• गृहनिर्मिते सन्धिते सुगन्धं भवति, परन्तु मलिनेन तीव्रेन च रासायनेन सचिह्नात् सन्धितात् दुर्गन्धं नि:सरति।

घर के बने हुए अचार और मुरब्बों के बारे में सोच कर ही मुंह में पानी आ जाता है।
•• गृहनिर्मितस्य सन्धितानां खाण्डवानां च विषये चिन्तनं कृत्वैव मन तेषां भक्षणस्य कृते उद्विग्नं भवति।

घर में बने हुए आचार के प्रयोग से आप उस प्लास्टिक के प्रयोग को भी अलविदा कह सकते हैं।जिस प्लास्टिक के कारण सारी दुनिया और जीव जन्तु खत्म होने के कगार पर पहुंच गई है।
•• गृहनिर्मितस्य सन्धितस्य प्रयोगेन भवान् अभिघट्यपदार्थानाम् उपयोगमपि आजीवनं पिहितं कर्तुं शक्नोति।यै: अभिघट्यपदार्थै: सकलजगत् तथा सर्वे जीवा: समापनस्य सङ्कटावास्थायां प्राप्तवन्त:।

घर में बना हुआ आचार का लागत मूल्य बाजार में आने वाले गंदे आचारों की लागत मूल्य से कहीं कम होता है।
••गृहनिर्मितानां सन्धितानां क्रयमूल्यं विपण्या: मलिनसन्धितानां विक्रयमूल्यात् किञ्चित् न्यूनं भवति।

घर में बने हुए अचार में आप उच्च गुणवत्ता के आम,नींबू,सेन्धा नमक,आंवला, गाजर, गोभी, शलगम,हरी मिर्च,अदरक, लहसुन, सरसों और अन्य औषधियों का प्रयोग करते हैं जबकि बाजार में मिलने वाले ब्रांडेड और नॉन ब्रांडेड आचारों में घटिया क्वालिटी के अवयवों का प्रयोग किया जाता है।
•• गृहे निर्मिते सन्धिते भवन्तः उत्तमानाम् आम्राणां जम्बीराणां सैन्धवानाम् आमलकानां गृञ्जनानां केम्बुकानां शलगमानां हरितमरीचानां शृङ्गवेराणां लशुनानां सर्षपाणां अन्यासाम् च औषधानां प्रयोगं कुर्वन्ति ,परन्तु विपण्या: सचिह्नेषु अचिह्नेषु च सन्धितेषु निम्नगुणवत्तायुक्ता: अवयवा: प्रयुञ्ज्यन्ते।

~उमेशगुप्तः #vakyabhyas
@samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰विषयः - सुभाषितादीनि
🗓१५/१२/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं , प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।


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पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
सञ्जय उवाच।
एवमुक्तो हृषीकेशो गुडाकेशेन भारत।सेनयोरुभयोर्मध्ये स्थापयित्वा रथोत्तमम्।।1.24।।
अत्र श्रोता कः
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8%
सञ्जयः
25%
गुडाकेशः
29%
अर्जुनः
39%
हृषीकेशः
स्वरों का एक और लक्षण

जबतक हमारे फेफडों में सांस है तब तक हम स्वर की ध्वनि को लंबा खींच सकते हैं। जैसे –

अ ऽ ऽ ऽ ऽ …
जबतक सांस है तब तक बोलते रहिए। इसके विपरीत व्यंजनों को हम नहीं खींच सकते। एक झटके से व्यञ्जनों की आवाज़ आती है और बाद में हम केवल स्वरों को ही खींचते हैं। जैसे कि क इस व्यंजन को ज्यादा देर तक खींच के देखिए।

क ऽ ऽ ऽ ऽ
दरअसल यहाँ अन्त में क् इस व्यंजन की ध्वनि नहीं, अपितु अ इस स्वर की ध्वनि सुनाई देती है। क् तो चुटकी जैसे निकल जाता है।

क् अ ऽ ऽ ऽ ऽ

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🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - तृतीया 10:30 तक तत्पश्चात चतुर्थी


दिनांक - 15 दिसम्बर 2023
दिन - शुक्रवार
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - मार्गशीर्ष
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा सुबह 08:10 तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा
योग - वृद्धि सुबह 10:17 तक तत्पश्चात व्याघात
राहु काल - सुबह 11:14 से 12:35 तक
सूर्योदय - 07:13
सूर्यास्त - 05:57
दिशा शूल - पश्चिम
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:26 से 06:20 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:08 से 01:01 तक
🍃अरण्यं रक्षितं सिंहात् तस्मात् सिंहः सुरक्षितः।
इत्यन्योन्यस्योपकारे मित्रत्वं तन्निबन्धनम्।।

🔆 वनं सिंहकारणेन रक्षितं भवति तथा सिंहः वनकारणेन परस्परोपकारस्य भावेन एव तयोः मैत्री विद्यते।
मनुष्यैः अपि एवमेव जीवितव्यम् जगति।

वन सिंह द्वारा रक्षित है और सिंह वन द्वारा सुरक्षित है। इस प्रकार एक दुसरे के उपकार में उनका मित्रत्व है।

#Subhashitam
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को न्वस्मिन् साम्प्रतं लोके गुणवान् कश्च वीर्यवान् ।
धर्मज्ञश्च कृतज्ञश्च सत्यवाक्यो दृढव्रतः।।
श्लोके कः शब्दः न दत्तः।
Anonymous Quiz
16%
नु
14%
62%
वक्ता
8%
कः
जितेन्द्र = क्या आप एक्शन कम्पनी का कपड़े का जूते बेचते हैं ?
→ अपि भवान् एक्शन इति नाम्नः पटोपानहं विक्रीणाति ?

दुकानदार= हां,महाशय।आपको किस नाप के चाहिए ?और आपको कौनसा रंग पसंद है?
→ आपणिक: = आम्।महाशय! भवते किं मानम् आवश्यकम्?तथा भवते किं वर्णं रोचते ?

जितेन्द्र= मुझे छह नम्बर के चाहिए।और जहां तक रंग की बात है , मुझे काला रंग पसंद है।
= → मह्यं षट्संख्यकम् आवश्यकम्।यतो रङ्गस्य प्रश्नस्य प्रश्नोऽस्ति , मह्यं कृष्णवर्णं इष्टम् ।

दुकानदार = यह रही आपकी पसंद।
→ तवेष्टा अत्रास्ति

जितेन्द्र =आह!यह जूता जरा टाइट हो रहा है ।
→ अह!एतद् उपानद्द्वयं तु किञ्चित् निबिडयति

दुकानदार = ठीक है। और दूसरा जोड़ा देखिए।
→ अस्तु।इतोऽपि अन्यद् उपानद्द्वयं परीक्ष्य अवलोकयतु।

जितेन्द्र = बहुत अच्छा।यह जूता तो मेरे पैर में अच्छी तरह से फिट बैठ रहा है।इस जोड़े की कीमत क्या है?
→ शोभनम्। एतद् उपानद्द्वयं तु मम पादाभ्यां पूर्णतया उपयुक्तम्।एतस्य उपानद्द्वयस्य मूल्यं किम् ?

दुकानदार = बस पांच सौ साठ रुपए।
→ केवलानि षष्ट्यधिकं पञ्चशतं रूप्यकाणि।

जितेन्द्र = ठीक है।इसे पैक कर दीजिए।
→ अस्तु।एनं पोट्टलीकुरु

#vakyabhyas #samvadah
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जब भी मैं लड्डू देखता हूंँ 😍🥰😋😋🤪

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