संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
इस तालिका के मदद से वर्णों के उच्चारण स्थान समझने में आसानी हो सकती है। इस कोष्ठक में वर्णों के उच्चारस्थानों के साथ साथ वर्णों का मृदु-कठोरभेद भी दिखाया गया है। सन्धिप्रकरण पढने के लिए यह कोष्ठक बहुत उपयोगी है। अतः छात्रों को इस कोष्ठक को कण्ठस्थ करना चाहिए।…
उच्चारण स्थान और संज्ञा में अंतर

उच्चारण स्थान एक मुख में स्थित एक अवयव का नाम है। जहां से वर्णों का उच्चारण होता है। तथा संज्ञा वर्ण की होती है। उच्चारण स्थान के अनुसार यह संज्ञा वर्ण को मिलती है। जैसे – अ। अ इस स्वर का उच्चारण स्थान है – कण्ठ। इसीलिए अ कण्ठ्य वर्ण है।

कण्ठ – मुख में स्थित एक शारीरिक अवयव। यानी गला।
कण्ठ्य – जिसका उच्चारण कण्ठ से होता है। जैसे – अ और कवर्ग के व्यंजन।

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पाणिनीय व्याकरण में स्वरों का ही दूसरा नाम अच् है। अतः अजन्त यानी स्वरान्त। यहाँ अच् + अन्त – अजन्त। ऐसा जश्त्व सन्धि है।
जिन शब्दों के अन्त में अच् (यानी स्वर) होता है, वह शब्द अजन्त शब्द कहलाता है। जैसे – राम (अ)। मुनि (इ)। भानु (उ)। पितृ (ऋ) इत्यादि।

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यण्-सन्धिः
सूत्रम् - इको यणचि

The letters य्, व्, र्, ल् replace the letters इ/ ई, उ/ऊ, ऋ/ऋ, ऌ, whe they are followed by a असवर्ण-स्वर (dissimilar vowel).

१.यदि + एवम् = यद्येवम् ।
२.स्मरतु + इति = स्मरत्विति ।
३. पितृ + अग्रजः = पित्रग्रजः ।
४.ऌ + आकृतिः = लाकृतिः।

Note: सवर्ण is a techical term of grammar. Two letters which have the same place of origin (उत्पत्तिस्थान) and same internal effort (आभ्यन्तरप्रयत्न) will be सवर्णs of each other.
For the purposes of executing सन्धिs, short and long varieties of any स्वर are सवर्णs of each other. For example, For the letter इ, इ-ई are सवर्णs, and all other स्वरs are अ-सवर्णs (not सवर्णs). ऋ, ॠ and ऌ are all सवर्णs of each other. #sanskritlessons
In Sanskrit grammar, vachanam refers to the number or quantity of nouns or verbs. There are three vachanas:

1. एकवचनम् (Ekavachanam): This refers to the singular number. It indicates one person, thing, or entity.
- वानरः रामम् अभिवादयति। (Vānaraḥ Rāmaṃ abhivādayati.)
- The monkey greets Rama.

2. द्विवचनम् (Dvivachanam): This refers to the dual number. It indicates two persons, things, or entities.
- रामलक्ष्मणौ गच्छतः। (Rāma-Lakṣmaṇau gacchataḥ.)
- Rama and Lakshmana go.

3. बहुवचनम् (Bahuvachanam): This refers to the plural number. It indicates more than two persons, things, or entities.
- बालाः गीतं गायन्ति। (Bālāḥ gītaṃ gāyanti.)
- The children sing a song.

Understanding vachanam helps us grasp whether a word refers to one, two, or more than two entities. It's like counting how many things or people are being talked about in a sentence.

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कृत् प्रत्यय की परिभाषा (Definition of Krit Pratyay)
कृत् प्रत्यय को धातु पदों को नाम पद बनाने वाले प्रत्ययों कहते हैं। इस प्रत्यय के प्रयोग से जो नए शब्द बनते हैं, उन्हें कृदन्त शब्द कहते हैं। "धातुं नाम करोति इति कृत्"। इस प्रत्यय को धातुज या कृदन्त प्रत्यय भी कहते हैं।

(Krit Pratyay is the suffix added to verb roots to form nouns. The new words formed by the use of this suffix are called kridanta words. "Dhatum naam karoti iti krit." This suffix is also called dhātuja or kridanta pratyaya.)

कृत् प्रत्यय के उदाहरण (Examples of Krit Pratyay)
पठ् (धातु) + तव्य (कृत् प्रत्यय) = पठितव्यम्
तेन संस्कृतं पठितव्यम्।
• उसे संस्कृत पढ़ना चाहिए।
• He should read Sanskrit.

प्रयोग की दृष्टि से प्रमुख कृत् प्रत्यय इस प्रकार हैं-
(Major Krit Pratyay in terms of usage are as follows:)

१. तुमुन् (Tumun) | २. अनीयर् (Anīyar)
३. तव्यत् (Tavyat) | ४. क्त्वा (Ktvā)
५. शानच् (Śānac) | ६. शतृ (Śatṛ)
७. ल्युट् (Lyuṭ) | ८. ण्वुल् (Ṇvul)
९. णमुल् (Ṇamul) | १०. तृच् (Tṛc)
११. क्तु (Ktu) | १२. क्तवतु (Ktavatu)
१३. ल्यप् (Lyap) | १४. क्तिन् (Ktin)
१५. केलिमेर् (Kelimēr) | १६. क्यप् (Kyap)
१७. क्वसु (Kvasu) | १८. कानच् (Kānac)
१९. स्यतृ (Syatṛ) | २०. स्यमान (Syamāna)

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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
कृत् प्रत्यय की परिभाषा (Definition of Krit Pratyay) कृत् प्रत्यय को धातु पदों को नाम पद बनाने वाले प्रत्ययों कहते हैं। इस प्रत्यय के प्रयोग से जो नए शब्द बनते हैं, उन्हें कृदन्त शब्द कहते हैं। "धातुं नाम करोति इति कृत्"। इस प्रत्यय को धातुज या कृदन्त प्रत्यय…
१। तुमुन् प्रत्यय (Tumun suffix):
तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग एक ही कर्ता द्वारा दो क्रियाओं को करने के लिए होता है। तुमुन् प्रत्यय के प्रयोग होने पर धातु के अंत में सिर्फ “तुम्” शेष बचता है। इसका अर्थ “के लिए” होता है।

The usage of the suffix "tumun" involves performing two actions by the same doer. When the suffix "tumun" is used, only "tum" remains at the end of the verb. Its meaning is "for."

तुमुन् प्रत्यय के उदाहरण(Examples of Tumun suffix) :
| धातु | प्रत्यय | क्रदन्त शब्द |
|------|-------|---------------|
| गम् | तुमुन् | गन्तुम् |
| पा | तुमुन् | पातुम् |
| हल् | तुमुन् | हन्तुम् |
| पठ् | तुमुन् | पठितुम् |

प्रयोग (Usage) :
•  बालक: गृहं गन्तुम् उद्यत: अस्ति।
– बालक घर जाने के लिये उत्सुक है।
– The boy is eager to go home.

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संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
१। तुमुन् प्रत्यय (Tumun suffix): तुमुन् प्रत्यय का प्रयोग एक ही कर्ता द्वारा दो क्रियाओं को करने के लिए होता है। तुमुन् प्रत्यय के प्रयोग होने पर धातु के अंत में सिर्फ “तुम्” शेष बचता है। इसका अर्थ “के लिए” होता है। The usage of the suffix "tumun" involves…
२। अनीयर् प्रत्यय (Aniyar suffix) :
अनीयर् प्रत्यय का प्रयोग “विधिलिङ् लकार” में किया जाता है। इसका अर्थ चाहिए होता है। अनीयर् प्रत्यय के प्रयोग होने पर अन्त में पुल्लिंग में “अनीयः”, स्त्रीलिंग में “अनीया”, नपुंसकलिंग में “अनीयम्” शेष बचता है।

The usage of the suffix "aniyar" is in the "Vidhilin lakara." Its meaning is "should be." When the suffix "aniyar" is used, at the end, "aniyah" remains in the masculine gender, "aniyaa" in the feminine gender, and "aniyam" in the neuter gender.

अनीयर् प्रत्यय के उदाहरण (Examples of Aniyar suffix) :
| धातु | प्रत्यय | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | नपुंसकलिंग |
|------|-------|--------|------------|--------------|
| पठ् | अनीयर् | पठनीय: | पठनीया | पठनीयम् |
| गम् | अनीयर् | गमनीय: | गमनीया | गमनीयम् |
| कथ् | अनीयर् | कथनीय: | कथनीया | कथनीयम् |
| कृ | अनीयर् | करणीय: | करणीया | करणीयम् |
| लिख् | अनीयर् | लेखनीय: | लेखनीया | लेखनीयम् |

प्रयोग (Usage) :
•  सा वाणी बोधनीया अस्ति।
– वह वाणी बुझने के योग्य है।
– That speech is comprehensible.

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२। अनीयर् प्रत्यय (Aniyar suffix) : अनीयर् प्रत्यय का प्रयोग “विधिलिङ् लकार” में किया जाता है। इसका अर्थ चाहिए होता है। अनीयर् प्रत्यय के प्रयोग होने पर अन्त में पुल्लिंग में “अनीयः”, स्त्रीलिंग में “अनीया”, नपुंसकलिंग में “अनीयम्” शेष बचता है। The usage…
३। तव्यत् प्रत्यय : तव्यत् प्रत्यय का भी प्रयोग “विधिलिङ् लकार” में किया जाता है। इसका अर्थ 'चाहिए' होता है। तव्यत् प्रत्यय के प्रयोग होने पर अन्त में पुल्लिंग में “तव्यः”, स्त्रीलिंग में “तव्या”, नपुंसकलिंग में “तव्यम्” शेष बचता है। 
Tavyat Pratyaya: The tavyat suffix is also used in the vidhilin‌ laka‌ra. Its meaning is 'should be'. When the tavyat suffix is used, in the end, in masculine it becomes "tavyah‌", in feminine "tavya‌", and in neuter "tavyam". 

तव्यत् प्रत्यय के उदाहरण (Examples of Tavyat Pratyaya) 
| धातु | प्रत्यय | पुल्लिंग | स्त्रीलिंग | नपुंसकलिंग |
|-----|--------|--------|-----------|--------------|
| दा  | तव्यत् | दातव्य: | दातव्या  | दातव्यम्     |
| गम् | तव्यत् | गन्तव्य: | गन्तव्या  | गन्तव्यम्     |
| पठ् | तव्यत् | पठितव्य: | पठितव्या | पठितव्यम्    |
| कृ | तव्यत् | कर्तव्यः | कर्तव्या  | कर्तव्यम् |
| वच् | तव्यत् | वक्तव्यः | वक्तव्या   | वक्तव्यम्   |

Note: तव्यत् प्रत्यय के साथ सामान्यतय: कर्त्ता में तृतीया विभक्ति तथा कर्म में प्रथमा विभक्ति होती है। जैसे- 
Note: Generally, with the tavyat suffix, the subject is in the third case and the object is in the first case. For example- 

मया ग्रन्थः पठितव्यः । 
- A book should be read by me. 
- मेरे द्वारा ग्रन्थ पढा जाना चाहिए। 

बालकेन पाठ: पठितव्य: 
- The lesson should be read by the boy. 
- बालक द्वारा पाठ पढ़ा जाना चाहिए।

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