संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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🍃ज्ञानं तीर्थं धृतिस्तीर्थं तपस्तीर्थमुदाहृतम्।
तीर्थानामपि तत्तीर्थं विशुद्धिर्मनसः परा
।।

(स्कन्द महापुराण, काशी खण्ड - ६/३२)

🔆 ज्ञानं तीर्थं भवति धैर्यमपि तथैव तपाचरणमपि किन्तु एतेभ्यः तीर्थेभ्यः अपि मनसः शुद्धता श्रेष्ठतरा भवति।

ज्ञान तीर्थ है, धैर्य तीर्थ है, तप को भी तीर्थ कहा गया है। अन्तःकरण की परम शुद्धता को तीर्थों में भी श्रेष्ठ तीर्थ को कहा गया है।

#Subhashitam
नृत्यति (नृत्) इत्यस्य क्तवतुरूपं किं पुंलिङ्गे।
Anonymous Quiz
18%
नृतवान्
55%
नर्तितवान्
25%
नृत्तवान्
2%
न एतेषु
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
दर्जी के दूकान में बातचीत ------------------------------ दर्जी=मैं आपकी क्या सेवा करूं? (सौचिक: = अहं भवत: किं सेवै?) -- शैलेन्द्र = मेरे लिए एक सुन्दर सुन्दर सुट बना दीजिए । (भवान् मम कृते एकम् आकर्षकं चोलपरिधानं निर्मातु।) ------- दर्जी=हां ,खुशी से।हमलोग…
दर्जी- ठीक है। आप जैसा कहिए।पांच दिन के बाद आप सुट ले जाइएगा।
(अस्तु।भवत: इच्छानुसारमेव कार्यं भविष्यति।पञ्चदिवसानन्तरं भवान् आगत्य वस्त्राभूषणं नेतुं शक्नोति।)
----
शैलेन्द्र = कितना चार्ज देना होगा?
(कियत् मूल्यम् ?)
------
दर्जी = केवल बारह सौ अस्सी रूपया।
(केवलानि अशीत्यधिकद्वादशशत - रूपयकाणि।)
------
(शैलेन्द्र दर्जी के द्वारा दिए हुए समय पर अपनी पत्नी शशि के साथ दूकान पर पहुंचता है =शैलेन्द्र: नियतसमये स्वजायया शशिना सह सौचिकापणं प्राप्नोति।)
----------
शैलेन्द्र (सूट पहनकर) = वाह! यह सुट मेरे शरीर पर बिल्कुल ही फिट बैठ रहा है।
{शैलेन्द्र:(चोलपरिधानं धारित्वा)=अह!इदानीम् एतत् चोलपरिधानं मम शरीरस्य कृते सम्यक् मापानुकूलम्।}
----
शैलेन्द्र (शशि से)- इस सुट में मैं कैसा लग रहा हूं?
{शैलेन्द्र (शशिं प्रति)- एतेन चोलपरिधानेन अहं कथं दृश्ये ?}
-----
शशि=आह ! नए सुट में आप कितना अच्छा लग रहे हैं ।
(शोभनम् ! नूतनचोलपरिधाने कियान् मनोहर: प्रतीयते भवान् !)

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
Hari om,

The Second Annual International Conference in Memory of Vsevolod Sergeyevich Sementsov «Philosophical Sanskrit Texts: Problems of Reading and Interpretation» will be held on 8-14 November 2023 in Savitribai Phule University of Pune (Pune, India).

More details at https://samskrtam.ru/sementsov/, it will be in zoom and streamed in Youtube and also in person in Pune. The official working languages of the conference are English and Russian. Conference is in a mixed format including face-to-face and online platform ZOOM. For participation in the conference, please, address: purushottama_rudn@mail.ru or r.pskhu@mail.ru .Several colleagues from Russia will come offline as well,

Regards,
Dr. Mārcis Gasūns
लोट्-लकारः (loṭ-lakāraḥ):
This is the imperative mood. This is used in the sense to order someone to do something.

Some examples are:
माता कथयति, “पुत्र, भोजनं खाद”। (mātā kathayati, “putra, bhojanaṃ khāda”।), this means, “The Mother is saying, “Son, eat your food.” Here, the mother is ordering her son to eat, therefore, it is in imperative mood.

शिक्षिका कथयति, “बालक, पुस्तकं पठ”। (śikṣikā kathayati, “bālaka, pustakaṃ paṭha”।), this means, “The teacher is saying, “Boy, read the book.” Here, the teacher is ordering the boy to read the book, therefore it is in imperative mood.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 वस्त्रशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
@samskrt_samvadah organises संलापशाला - A Sanskrit Voicechat Room

🔰 विषयः - सुभाषितादीनि
🗓२७/१०/२०२३ ॥ IST ११:०० AM   
🔴 It's recording would be shared on our channel.
📑कृपया दैववाचा चर्चार्थं एतद्विषयम् (संस्कृतकथां, सुभाषितं, हास्यकणिकां ,स्वस्य कञ्चित् उत्तमम् अनुभवं , प्रेरकप्रसङ्गं ,लौकिकन्यायं वा वदन्तु) अभिक्रम्य आगच्छत।

https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=b542447e65e9eb58d8

पूर्वचर्चाणां सङ्ग्रहः अधोदत्तः
https://archive.org/details/samlapshala_
Live stream scheduled for
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Forwarded from रामदूतः — The Sanskrit News Platform (ॐ पीयूषः)
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह 06:56 तक तत्पश्चात चतुर्दशी

दिनांक - 27 अक्टूबर 2023
दिन - शुक्रवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - हेमंत
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद सुबह 09:25 तक तत्पश्चात रेवती
योग - व्याघात प्रातः 05:223 तक तत्पश्चात हर्षण
राहु काल - सुबह 10:58 से 12:23 तक
सूर्योदय - 06:42
सूर्यास्त - 06:05
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:01 से 05:51 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक

#panchang
Forwarded from ॐ पीयूषः
🍃लोभमूलानि पापानि संकटानि तथैव च।
लोभात् प्रवर्तते वैरं अतिलोभात्विनश्यति


🔆 लोभस्य कारणेन एव सर्वाणि सङ्कटानि पापानि वा आगच्छन्ति लोभः शत्रूणामपि वर्धनं करोति तथैव अतिलोभस्तु व्यक्तेः नाशस्य कारणं भवति।

लोभ पाप और सभी संकटों का मूल कारण है, लोभ शत्रुता में वृद्धि करता है । अधिक लोभ करने वाला व्यक्ति विनाश को प्राप्त हो जाता है ।

#Subhashitam