संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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✍🏻 नारङ्गफलशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - चतुर्थी रात्रि 01:12 तक तत्पश्चात पंचमी

दिनांक - 18 अक्टूबर 2023
दिन - बुधवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - अनुराधा रात्रि 09:01 तक तत्पश्चात ज्येष्ठा
योग - आयुष्मान सुबह 08:19 तक तत्पश्चात सौभाग्य
राहु काल - दोपहर 12:25 से 01:51 तक
सूर्योदय - 06:37
सूर्यास्त - 06:12
दिशा शूल - उत्तर दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:48 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:00 से 12:50 तक
व्रत पर्व विवरण - तुला संक्रांति ( पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर 12-25 तक)
भुङ्क्ते इति क्रियापदे कः धातुः वर्तते।
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75%
भुज्
16%
भुङ्
9%
भु
🍃इन्द्रियाणि च संयम्य बकवत्पण्डितो नरः।
देशकालबलं ज्ञात्वा सर्वकार्याणि साधयेत्॥


🔅 पण्डितः नरः, इन्द्रियाणि संयम्य, देश, काल, बलम् च ज्ञात्वा, सर्वकार्याणि बकवत् साधयेत्।

बुद्धिमान मनुष्य को चाहिए कि अपने इन्द्रियों को वश में और चित्त को एकाग्र करके तथा देश, काल और अपने बल को जानकर बगुले के समान धैर्यपूर्वक अपने सारे कार्यों को सिद्ध करे।

A wise man should perform his duties, having control over his senses and knowing place, time and ( self) strength like a Crane.

#subhashitam
संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
अन्तरेण (के बिना) - के साथ हमेशा द्वितीया विभक्ति का ही प्रयोग होता है। --------------------------------- (१) गौ के बिना जीवन नहीं और गौ के बिना कृष्णभक्ति भी नहीं है = गाम् अन्तरेण जीवनं नास्ति तथा गाम् अन्तरेण कृष्णभक्तिरपि नास्ति। (२) अभ्यास के बिना भाषा…
(११) प्रधानाध्यापक की अनुमति के बिना विद्यालय परिसर में पत्रकार या अन्य किसी के द्वारा भी विडियो ग्राफी करना या फोटो खींचना दंडनीय अपराध है।
= प्रधानाध्यापकस्य आज्ञाम् अन्तरेण विद्यालयप्राङ्गणे पत्रकारै:  अन्यजनै: वा विडियोचित्रग्रहणम् अथवा छायाचित्रग्रहणं  दण्डनीयोऽपराध: अस्ति।

(१२)संस्कृत के बिना भारत मरे हुए के समान है ।
= संस्कृतम् अन्तरेण भारतं निष्प्राणम् अस्ति।

(१३) यातायात की सुविधा के बिना एक जगह से दूसरे जगह तक पहुंचना बहुत ही कठिन है।
= यातायातस्य सुविधाम् अन्तरेण एकस्मात् स्थानात् अन्यस्थानं यावत् प्रापणम् अतीव दुष्करम् ।

(१४)इस कार्यालय में बिना अनुमति के प्रवेश करना मना है ।
= अस्मिन् कार्यालये आज्ञाम् अन्तरेण प्रवेशो निषिद्ध:।

(१५) शुद्ध पानी और भोजन के बिना मनुष्य बीमार पड़ जाता है ।
= शुद्धजलं शुद्धभोजनं चान्तरेण मनुष्यो रुग्णो भवति।

(१६) भगवान कृष्ण के बिना पाण्डव महाभारत युद्ध कभी भी जीत नहीं सकते थे ।
= भगवन्तं कृष्णम् अन्तरेण पाण्डव: महाभारतयुद्धं कस्याञ्चिदपि परिस्थित्यां जेतुं न शक्नोति स्म।

(१७) पदाधिकारियों और विभाग की लापरवाही के कारण किशनगंज के शिक्षक दस महिनों से वेतन के बिना जीने को मजबूर हैं ।
= पदाधिकारीणां विभागस्य च शैथिल्यै: किशनगंजस्य शिक्षका: दशमासानि वेतनम् अन्तरेण जीवनयापनाय विवशा: सन्ति।

(१८)  त्याग के बिना प्रेम नहीं है।
= त्यागम् अन्तरेण प्रेम: नास्ति।

(१९) कर्त्तव्य के बिना अधिकार नहीं है।
= कर्त्तव्यम् अन्तरेण अधिकार: नास्ति।

(२०)धनिया की चटनी, गाजर के अचार,तिलौरी,पापर,सांभर और पनीर की सब्जी के बिना उसे भोजन करना अच्छा नहीं लगता है ।
= धान्यमावलेहं च गृञ्जनसन्धितं च तिलवटीं पर्पटं च शाकमिश्रितसूपव्यञ्जनं/साम्भारं च किलाटव्यञ्जनं चान्तरेण तस्मै भोजनं न रोचते।

(२१) ब्राह्मण के बिना मन्दिर में पूजा संभव नहीं है।
= देवालये ब्राह्मणम् अन्तरेण पूजनकार्यं न शक्यते।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
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Dative Case

The विभक्तिः (vibhaktiḥ) for this is चतुर्थी (caturthī) and this is the fourth case. Its कारकम् (kārakam) is सम्प्रदानम् (sampradānam). The dative case is used for the thing for which the action is done in the sentence.

Some examples for the dative case are:
छात्राः पठनाय विद्यालयं गच्छन्ति। (chātrāḥ paṭhanāya vidyālayaṃ gacchanti।), this means, “Students go to the school for learning.” Here, for the word, “पठनाय” the action in the sentence is performed. Therefore, the word is in the dative case. The students do the action of going to the school for learning.

भक्ताः देवस्य प्रार्थनायै मन्दिरं गच्छन्ति। (bhaktāḥ devasya prārthanāyai mandiraṃ gacchanti।), this means, “Devotees go to the temple to pray to god.” Here, for the word, “प्रार्थनायै” the action in the sentence is performed. Therefore, the word is in the dative case. The devotees do the action of going to the temple for praying to god.

🌐 Sanskritwisdom.com
#sanskritlessons
✍🏻 खड्गशब्देन वाक्यत्रयं लिख्यताम्।

#Shabdah
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🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि


🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - पंचमी रात्रि 12:31 तक तत्पश्चात षष्ठी

दिनांक - 19 अक्टूबर 2023
दिन - गुरुवार
शक संवत् - 1945
.अयन - दक्षिणायन
ऋतु - शरद
मास - आश्विन
पक्ष - शुक्ल
नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 09:04 तक तत्पश्चात मूल
योग - सौभाग्य सुबह 06:54 तक तत्पश्चात शोभन
राहु काल - दोपहर 01:51 से 03:18 तक
सूर्योदय - 06:38
सूर्यास्त - 06:11
दिशा शूल - दक्षिण दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:58 से 05:48 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:00 से 12:50 तक
व्रत पर्व विवरण - उपांग-ललिता पंचमी
🍃यस्य कृत्यं न विघ्नन्ति शीतमुष्णं भयं रति ।
समृध्दिरसमृद्धिर्वा स वै पण्डित उच्यते
।।

🔆 यस्य कार्यस्योपरि शैत्यम् ऊष्णता भयं प्रेम समृद्धिः तस्याः अभावः वा प्रभावं न जनयन्ति सः जनः पण्डितः उच्यते।

जिसका कार्य कभी ठंढ, ताप, भय, प्रेम, समृद्धि, या उसका अभाव से बाधित नहीं होता, केवल वही वास्तव में श्रेष्ठ है ।

#Subhashitam
के लिए
----------
(१) मैंने बच्चों के लिए मैगजिन खरीदा
= अहं पुत्रेभ्य: पत्रिकां क्रीतवान्।

(२) उसने बच्चों के पढ़ने के लिए एक चाइल्ड मैगजिन खरीदा
= स बालकानां पठनाय एकां बालपत्रिकां क्रीतवान्।

(३)दुल्हा ने दुलहिन के लिए पहनने के लिए एक अंगूठी खरीदी
= वरो वध्वै धारणाय एकां उर्मिकां क्रीतवान्।

(४)मैंने उस लड़के को झूठ बोलने के लिए डांटा
= अहं तं बालकं असत्यं वदनाय तर्जितवान्।

(५)उसे रहने के लिए घर नहीं है
= तस्य वसनाय गृहं नास्ति।

(६) उसे लिखने के लिए कलम है
= तस्य लेखनाय लेखनी अस्ति।

(७) उसे लिखने के लिए कागज नहीं है
= तस्य लेखनाय कर्गदं नास्ति।

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बदला लेने की नहीं बदलाव लाने की सोच रखिये।समझदार व्यक्ति वह नही हैं जो ईट का जवाब पत्थर से दे।समझदार व्यक्ति वो है जो फेंकी हुई ईटों से अपना आशियाना बना लें।
••परिवर्तनम् आनेतुं चिन्तयन्तु, प्रतिशोधं न।धीमन्त: जना: ते न सन्ति ये ईष्टिकानामुत्तरं पाषाणै: दद्यु:। धीमन्तो जना: ते सन्ति ये प्रक्षिप्ताभि: ईष्टिकाभि: स्वगृहाणां निर्माणं कुर्यु:।

राम कनमैलिया से अपने कान की खोंट निकलवा रहा है।
••रामः कर्णमलनिस्सारकेन कर्णमलं निस्सारयति।

~उमेशगुप्तः

#vakyabhyas
॥ अथ देव्यपराधक्षमापणस्तोत्रम् ॥

न मन्त्रं नो यन्त्रं तदपि च न जाने स्तुतिमहो
      न चाह्वानं ध्यानं तदपि च न जाने स्तुतिकथाः ।
न जाने मुद्रास्ते तदपि च न जाने विलपनं
      परं जाने मातस्त्वदनुसरणं क्लेशहरणम् ॥ १॥

विधेरज्ञानेन द्रविणविरहेणालसतया
      विधेयाशक्यत्वात्तव चरणयोर्या च्युतिरभूत् ।
तदेतत् क्षन्तव्यं जननि सकलोद्धारिणि शिवे
      कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ २॥

पृथिव्यां पुत्रास्ते जननि बहवः सन्ति सरलाः
      परं तेषां मध्ये विरलतरलोऽहं तव सुतः ।
मदीयोऽयं त्यागः समुचितमिदं नो तव शिवे
      कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ ३॥

जगन्मातर्मातस्तव चरणसेवा न रचिता
      न वा दत्तं देवि द्रविणमपि भूयस्तव मया ।
तथापि त्वं स्नेहं मयि निरुपमं यत्प्रकुरुषे
      कुपुत्रो जायेत क्वचिदपि कुमाता न भवति ॥ ४॥

परित्यक्ता देवा विविधविधसेवाकुलतया
      मया पञ्चा शीतेरधिकमपनीते तु वयसि ।
इदानीं चेन्मातस्तव यदि कृपा नापि भविता
      निरालम्बो लम्बोदरजननि कं यामि शरणम् ॥ ५॥

श्वपाको जल्पाको भवति मधुपाकोपमगिरा
      निरातङ्को रङ्को विहरति चिरं कोटिकनकैः ।
तवापर्णे कर्णे विशति मनु वर्णे फलमिदं
      जनः को जानीते जननि जननीयं जपविधौ ॥ ६॥

चिताभस्मालेपो गरलमशनं दिक्पटधरो
      जटाधारी कण्ठे भुजगपतिहारी पशुपतिः ।
कपाली भूतेशो भजति जगदीशैकपदवीं
      भवानि त्वत्पाणिग्रहणपरिपाटीफलमिदम् ॥ ७॥

न मोक्षस्याकाङ्क्षा भवविभववाञ्छापि च न मे
      न विज्ञानापेक्षा शशिमुखि सुखेच्छापि न पुनः ।
अतस्त्वां संयाचे जननि जननं यातु मम वै
      मृडानी रुद्राणी शिव शिव भवानीति जपतः ॥ ८॥

नाराधितासि विधिना विविधोपचारैः
      किं रुक्षचिन्तनपरैर्न कृतं वचोभिः ।
श्यामे त्वमेव यदि किञ्चन मय्यनाथे
      धत्से कृपामुचितमम्ब परं तवैव ॥ ९॥

आपत्सु मग्नः स्मरणं त्वदीयं
      करोमि दुर्गे करुणार्णवेशि ।
नैतच्छठत्वं मम भावयेथाः
      क्षुधातृषार्ता जननीं स्मरन्ति ॥ १०॥

जगदम्ब विचित्र मत्र किं
      परिपूर्णा करुणास्ति चेन्मयि ।
अपराधपरम्परापरं
      न हि माता समुपेक्षते सुतम् ॥ ११॥

मत्समः पातकी नास्ति पापघ्नी त्वत्समा न हि ।
एवं ज्ञात्वा महादेवि यथायोग्यं तथा कुरु ॥ १२॥ ॐ ॥


इति श्रीदेव्यपराधक्षमापणस्तोत्रं सम्पूर्णम् ।

#NavratriSpecialMusic

https://youtu.be/Ou2f8lmRGRw?feature=shared