संस्कृत संवादः । Sanskrit Samvadah
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Rig Moolam E2
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - द्वादशी सुबह 08:19 तक तत्पश्चात त्रयोदशी

दिनांक - 13 अगस्त 2023
दिन - रविवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - अधिक श्रावण
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - आर्द्रा सुबह 08:26 तक तत्पश्चात पुनर्वसु
योग - वज्र दोपहर 03:56 तक तत्पश्चात सिद्धि
राहु काल - शाम 05:36 से 07:14 तक
सूर्योदय - 06:15
सूर्यास्त - 07:14
दिशा शूल - पश्चिम दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:31 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण - प्रदोष व्रत
अद्य संलापशाला नास्ति।
🍃दाम्पत्यमनुकूलं चेत्किं स्वर्गस्य प्रयोजनम्।
दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेन्नरकं किं गृहमेव तत्॥


🔅(मनुष्यस्य) दाम्पत्यं अनुकूलम् (स्यात्) चेत् स्वर्गस्य किं प्रयोजनम्? (अपि च मनुष्यस्य) दाम्पत्यं प्रतिकूलं चेत् नरकं किम्? तत् गृहम् एव (नरकं भवति)।

मनुष्य का दांपत्यजीवन यदि अनुकूल हो तो स्वर्ग का क्या प्रयोजन है? और साथ ही यदि मनुष्य का दाम्पत्यजीवन प्रतिकूल हो जाए तो नरक क्या है? वह घर ही नरक बन जाता है।

If the marriage life of a man is friendly, then what is the purpose of heaven? And also if the marriage life of a man is adverse, then what is the hell? Indeed! the home itself becomes hell.

#subhashitam
भू धातुः लङ्लकारः उत्तमपुरुषस्य एकवचनं किम्भवति।
Anonymous Quiz
65%
अभवाम
9%
भूमः
17%
भवाम
10%
अभवामः
घोंघा के मुलायम शरीर के ऊपर एक कठोर आवरण होता है जिसे शेल कहते है।जब घोंघा को खतरा महसूस होता है तो वह अपने मुलायम शरीर को शेल में सिमट लेता है।घोंघा एक रात में घूमने-फिरने वाला प्राणी है।धूप में यह अपने शरीर को खोल से बाहर नही निकालता है।
••शम्बूकस्य मृदुशरीरस्योपरि यद् एकं कठोरावरणं भवति तत् कवचावरणं कथ्यते।यदा शम्बूकेन भयमनुभूयते तदा स स्वमृदुशरीरं कवचावरणे सङ्कोचयति।शम्बूक: एक: निशाचर: प्राणी अस्ति।सूर्यातापे एष: स्वशरीरं कवचात् बहि: न निष्कासयति।

घोंघे के चलने की गति बहुत कम होती है।यह दुनिया के धीमी गति वाले जीवों में आते है।
••शम्बूकानां गमनवेगः अतीव न्यूनः भवति।एष जगतः मन्दगतिजीवेषु अन्तर्भूत: अस्ति।

घोंघा के मुंह में जीभ के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे दांत भी पाए जाते हैं।इसी वजह से यह फसल को नष्ट कर देते हैं।
••जिह्वां विहाय अनेके लघुदन्ताः अपि शम्बूकानां मुखे लभ्यन्ते।अत एव ते सस्यं नाशयन्ति।

घोंघा के मुंह में जीभ के अलावा बहुत सारे छोटे छोटे दांत भी पाए जाते हैं।इसी वजह से यह फसल को नष्ट कर देते हैं।
••जिह्वां विहाय अनेके लघुदन्ताः अपि कोषस्थस्य मुखे लभ्यन्ते।अत एव ते सस्यं नाशयन्ति।

घोंघा बिना भोजन के भी एक सप्ताह तक जीवित रह सकता है।
••कोषस्थ: भोजनं विनैव सप्ताहमेकं यावत् जीवितुं शक्नोति।

घोंघा के शरीर में पाए जाने वाले सेल काफी ज्यादा कठोर होता है जो इसके पूरे शरीर की रक्षा करती है।यदि ऐसे में इसके खोल में अगर दरारे आ जाती है तब तो यह जीवित रहता है लेकिन अगर इसके shell टूट जाते हैं तो यह जीवित नहीं रह पाता।
••कोषस्थस्य शरीरे लभ्यमानं कवचावरणम् अतीव कठोरं भवति यत् तस्य सम्पूर्णशरीरस्य रक्षणं करोति।यदि अकस्मात् कवचावरणं छेद: भवेत् तदा तर्हि एष: जीवितो भवेत् ,परन्तु यदि अस्य कवचावरणं भग्नं भवेत् तर्हि एष: जीवितुं न शक्नुयात्।

घोंघा एक छोटे जीव के रूप में पाया जाता है इसी कारण बड़े सांप, पक्षी, मेंढक, छिपकली और चूहा इनका आसानी से शिकार कर लेते हैं।
••कोषस्था: लघुजीवरूपेण दृश्यन्ते, अतः बृहत्सर्पाः, पक्षिणः, मण्डूकाः, कृकलासाः, मूषकाः च सहजतया एतेषां भक्षणं कुर्वन्ति।

घोंघा शुद्ध शाकाहारी जीव है जो मिट्टी, पत्ते और फूल को खाते हैं।
••कोषस्था: शुद्धाः शाकाहारिणः जीवा: सन्ति ये मृत्तिकापत्रपुष्पभक्षकाः सन्ति।

घोंघा दिन में आराम करता है और सूर्य की किरण पढ़ने पर अपना शरीर shell के अंदर ही रखता है।
••कोषस्थ: दिवा विश्रमति यदा च सूर्यरश्मि: तस्य शरीरे आपतति तदा स स्वशरीरं कवचावरणस्य अन्तर्भागे एव स्थापयति।

~उमेशगुप्तः

#Vakyabhyas
Live stream scheduled for
@samskrt_samvadah संलापशाला - A Samskrit Voicechat room.

यदीच्छसि वशीकर्तुं, भाषणमेककर्मणा। 
यायास्संलापशालां वै, भवति यत्र भाषणम्।। 

४५ निमेषाः
🕛 IST ११:०० AM   
🔰 वार्ताः
🗓 १४ अगस्त २०२३, सोमवासरः

🔴Voicechat would be recorded and shared on this channel.

📑यदि शक्येत चेत् संस्कृतेन(स्वस्थानीयां प्रादेशिकीं आन्ताराष्ट्रीयां वा वार्तां श्रावयन्तु)। चर्चार्थं कृपया पूर्वसिद्धतां कृत्वा आगच्छन्तु।

वयं युष्माकं प्रतीक्षां कुर्मः। 😇
स्मारणतंत्रिकां स्थापयतु

👇👇👇👇👇
https://t.me/samskrt_samvadah?livestream=c76d9941aeab5bd149

सङ्ग्रहः
https://archive.org/details/samlapshala_
*Invitation to Volunteer for the Experimental Research on Paninian Karakas*

Research being conducted by
Dr Jayashree Aanand Gajjam
IIT Kharagpur

==============

I'm conducting a series of online experiments on Sanskrit and Marathi languages to study the Cognition of Paninian karakas.

I need a group of 25 students who can read and understand both Sanskrit and Marathi.

Eligibility
Age 16+

A small token of appreciation will be given after completion of the research.

~ Dr Jayashree Aanand Gajjam

Telephone
+91 96371 47261
Rig Moolam E3.mp3
Rig Moolam E3
🚩जय सत्य सनातन 🚩

🚩आज की हिंदी तिथि

🌥️ 🚩युगाब्द-५१२५
🌥️ 🚩विक्रम संवत-२०८०
🚩तिथि - त्रयोदशी सुबह 10:25 तक तत्पश्चात चतुर्दशी



दिनांक - 14 अगस्त 2023
दिन - सोमवार
शक संवत् - 1945
अयन - दक्षिणायन
ऋतु - वर्षा
मास - अधिक श्रावण
पक्ष - कृष्ण
नक्षत्र - पुनर्वसु सुबह 08:26 तक तत्पश्चात पुष्य
योग - सिद्धि शान 04:40 तक तत्पश्चात व्यतिपात
राहु काल - सुबह 07:53 से 09:30 तक
सूर्योदय - 06:15
सूर्यास्त - 07:132
दिशा शूल - पूर्व दिशा में
ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:47 से 05:31 तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:22 से 01:07 तक
व्रत पर्व विवरण - मासिक शिवरात्रि
🍃कार्यमद्यतनीयं यत् तदद्यैव विधीयताम्।
विपरीता गतिर्यस्य स कष्टं लभते धृवम्॥

♦️kāryamadyatanīyaṁ yat tadadyaiva vidhīyatām
viparītā gatiryasya sa kaṣṭaṁ labhate dhṛvam

🔅यत् कार्यम् अद्यतनीयम् (अस्ति) तत् अद्य एव विधीयताम्। यस्य गतिः विपरीता (अस्ति) सः (मनुष्यः) धृवं कष्टं लभते।

जो कार्य आज का है, वह आज ही किया जाना चाहिए। जिसकी गति उलटी होती है, वह मनुष्य निश्चय ही तकलीफ पाता है।

#subhashitam
अक्सर कई किस्से कहानियों में कहा जाता है कि भेड़िए इंसानों के खून के प्‍यासे होते हैं,लेकिन यह बात पूरी तरह से सही नही मानी जा सकती है क्योंकि जीव संरक्षणकर्मियों का कहना है कि इंसान और भेड़ियों का एक साथ रहना भी संभव है।
••प्रायः अनेकाभिः कथाभिः कथ्यते यत् वृका: मानवरक्तस्य पिपासव: भवन्ति,परन्तु एतत् सर्वथा सम्यक् इति न मन्तव्यम् यतोहि जीवसंरक्षणकर्मिण: वदन्ति यत् मनुष्याणां वृकाणां च एकत्र वसनमपि सम्भवति।

ऐसा माना जाता है कि भेड़िए चांद को देखकर गुर्राते हैं।ऐसा इसलिए कहा जाता है क्योंकि भेड़िए रात में जब गुर्राते हैं तो अपना सिर ऊपर की ओर उठाते हैं।वैज्ञानिकों का कहना है कि भेड़िए ऐसा इसलिए करते हैं ताकि उनकी आवाज साफ निकल सके।
••एवं मन्यते यत् वृका: चन्द्रं दृष्ट्वा रसन्ति।एवम् एतदर्थम् एव कथ्यते यतोहि यदा वृका: रात्रौ रसन्ति तदा स्वशिरांसि ऊर्ध्वम् उन्नयन्ति।वैज्ञानिकानां कथनमस्ति यत् वृका: एवम् एतदर्थमेव कुर्वन्ति येन तेषां स्वर: सम्यग्रूपेण बहिरागन्तुं शक्नुयात्।

यह डॉयलॉग तो आपने कई फिल्मों में सुना होगा कि शेर अकेला ही आता है, झुंड में तो भेड़िए आते हैं।लेकिन कई बार भेड़िए को अकेला भी रहना पड़ता है।ऐसे भेड़िए को लोन वुल्‍फ कहा जाता है।
••संवादोऽयं तु भवद्भिर्बहुषु चलच्चित्रेषु श्रुतः स्याद् यत् सिंहः एकाकी एव आगच्छति, समूहे तु वृका एव आयान्ति। किन्तु बहुवारं वृकेनापि एकाकिना एव उष्यते। एतादृशो वृकः जनैः 'लोन वुल्फ' इत्यपि कथ्यते।

भेड़िए जीवन में एक ही साथी बनाते हैं और उन्‍हीं के साथ रहते हैं और ज्‍यादातर भेड़िए अपने साथी के प्रति वफादार होते हैं।भेड़ियों से जुड़ी यह बात अफवाह नहीं है। में
••वृका: जीवने एकामेव सहचरीं चिन्वन्ति। तया सह हि निवसन्त: बहव: च वृका: स्वसहचारीणां प्रति निष्ठावन्तो भवन्ति।वृकै: सम्बन्धितम् एतत् तथ्यं लोकवादो नास्ति।

~उमेशगुप्तः

#Vakyabhyas