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रॉयल_बंगाल_टाइगर_संभवतः_जलवायु_परिवर्तन
#का_सामना_नहीं_कर_पायेंगे_संयुक्त_राष्ट्र_रिपोर्ट
#मई_11_2019
संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट के अनुसार जलवायु परिवर्तन तथा समुद्र के बढ़ते हुए जल स्तर के कारण सुंदरबन नष्ट हो सकते हैं, सुंदरबन में बाघ बड़ी संख्या में पाए जाते हैं। यह अध्ययन जलवायु पर अंतरसरकार पैनल के कार्य पर आधारित है।
#रिपोर्ट_के_मुख्य_बिंदु
• संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट के अनुसार यदि ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन वर्तमान दर से बढ़ता रहा तो 2040 तक वायुमंडल के तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो सकती है। इस जलवायु परिवर्तन से महासागरीय जल का स्तर पर भी बढ़ जाएगा और सुंदरबन का अस्तित्व खतरे में आ जायेगा।
• 2010 में वर्ल्ड वाइड फण्ड फॉर नेचर ने अनुमान जारी करते हुए कहा था कि महासागरीय जलस्तर में 11 इंच की वृद्धि के कारण सुंदरबन के 96% बाघ कुछ ही दशकों में समाप्त हो जायेंगे।
• 2070 तक बांग्लादेश के हिस्से वाले सुंदरबन क्षेत्र में बाघों के लिए कोई भी उचित आवास स्थल शेष नहीं रहेगा।
• 70% सुंदरबन समुद्रतल से कुछ ही फीट ऊपर स्थित है, इसलिए जलवायु परिवर्तन से इसके अस्तित्व को खतरा उत्पन्न हो जायेगा। सुंदरबन बंगाल टाइगर का सबसे प्रमुख प्राकृतिक आवास है। बंगाल टाइगर उन प्रजातियों में शामिल है जिनके अस्तित्व पर जलवायु परिवर्तन के कारण खतरा उत्पन्न हो सकता है।
#सुंदरबन
सुंदरबन भारत तथा बांग्लादेश के तटीय क्षेत्र में विशाल और संगठित मैंग्रोव वन पारिस्थितिक तंत्र है जो भारत और बांग्लादेश में फैला है। इसमें लगभग 10,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र शामिल है जिसमें से 60% बांग्लादेश में हैं और शेष भारत में हैं। यह पद्मा, मेघना और ब्रह्मपुत्र नदी घाटी के डेल्टा क्षेत्र में स्थित है।
#बंगाल_टाइगर
बंगाल टाइगर भारत और बांग्लादेश का राष्ट्रीय पशु है। यह मुख्य रूप से भारत, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, चीन और म्यांमार में पाया जाता है। भारत सरकार ने सर्वप्रथम 1971 में बाघों के संरक्षण के लिए प्रोजेक्ट टाइगर शुरू किया था। 1900 के बाद अवैध शिकार व प्राकृतिक निवास के नष्ट होने के कारण बाघों की जनसँख्या 1,00,000 से कम होकर 4000 से भी कम रह गयी है।